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Friday, December 11, 2009

Freedom Fighters

Chandrasekhar Azad

Date of Birth : Jul 23, 1906
Date of Death : Feb 27, 1931
Place of Birth : India

Freedom Fighters
Dr. Rajendra Prasad
Purushottam Das Tandon
Motilal Nehru
Jawaharlal Nehru
Lal Bahadur Shastri
Indira Gandhi
Jayaprakash Narayan
Hakim Ajmal Khan
Pandit Madan Mohan Malaviya
Feroze Gandhi
Liaquat Ali Khan
Maulana Mohammad Ali
Maulana Shaukat Ali
Govind Ballabh Pant
Dr.Shanker Dayal Sharma
Mahavir Tyagi
Mukhtar Ahmed Ansari
Ram Manohar Lohia
Chandrasekhar Azad
Dr. B.R. Ambedkar
Mohandas Karamchand Gandhi
Dadabhai Naoroji
Sardar Vallabhbhai Patel
Bal Gangadhar Tilak
Ravi Shankar Vyas
Narhari Parikh
Jivatram Kripalani
Mahadev Desai
Mohanlal Pandya
Abbas Tyabji
Gopal Krishna Gokhale
Narahar Vishnu Gadgil
Vithalbhai Patel
Vinoba Bhave
Ganesh Vasudev Mavlankar
Vinayak Damodar Savarkar
Muhammad Ali Jinnah
Kulapati K.M. Munshi
Senapati Bapat
Mahadeo Govind Ranade
Subhas Chandra Bose
Bipin Chandra Pal
Chittaranjan Das
Maulana Abul Kalam Azad
Rabindranath Tagore
Surya Sen
Gopinath Bordoloi
Benoy Basu
Badal Gupta
Dinesh Gupta
Khudiram Bose
Bagha Jatin
Barindra Kumar Ghosh
Aravinda Ackroyd Ghosh
Surendranath Banerjea
Ambika Chakrobarty
C. Rajagopalachari
Krishna Menon
Bhogaraju Pattabhi Sitaramayya
Srinivasa Iyengar
Muhammad Iqbal
Lala Lajpat Rai
Sardul Singh Caveeshar
Sheikh Abdullah
Khan Abdul Ghaffar Khan
Bhagat Singh
Shivaram Rajguru
Sukhdev
Tej Bahadur Sapru
Sikander Hyat Khan
Madan Lal Dhingra

Chandrasekhar Azad was a great Indian freedom fighter and revolutionary thinker. Revered for his audacious deeds and fierce patriotism, he was the mentor of Bhagat Singh, the famous Indian martyr. Chandrasekhar Azad is considered one of the greatest Indian freedom fighter along with Bhagat Singh, Sukhdev, Rajguru, Ram Prasad Bismil, and Ashfaqulla Khan. Chandrasekhar Azad's parents were Pandit Sita Ram Tiwari and Jagrani Devi. He received his early schooling in Bhavra District Jhabua (Madhya Pradesh). For higher studies he went to the Sanskrit Pathashala at Varanasi. Young Azad was one of the young generation of Indians when Mahatma Gandhi launched the Non-Cooperation Movement. But many were disillusioned with the suspension of the struggle in 1922 owing to the Chauri Chaura massacre of 22 policemen. Although Gandhi was appalled by the brutal violence, Azad did not feel that violence was unacceptable in the struggle, especially in view of the Amritsar Massacre of 1919, where Army units killed hundreds of unarmed civilians and wounded thousands in Amritsar. Young Azad and contemporaries like Bhagat Singh were deeply and emotionally influenced by that tragedy. As a revolutionary, he adopted the lastname 'Azad', which means "Free" in Urdu.There is an interesting story that while he adopted the name "Azad" he made a pledge that the Police will never capture him alive. Azad and others had committed themselves to absolute independence by any means. He was most famous for The Kakori Rail Dacoity in 1925 and the assassination of the assistant superintendent of Police John Poyantz Saunders in 1928.


Azad and his compatriots would target British officials known for their oppressive actions against ordinary people, or for beating and torturing arrested freedom fighters. Azad was also a believer in socialism as the basis for a future India, free of social and economic oppression and adversity. Bhagat Singh joined Azad following the death of Lala Lajpat Rai, an Indian leader who was beaten to death by police officials. Azad trained Singh and others in covert activities, and the latter grew close to him after witnessing his resolve, patriotism and courage. Along with fellow patriots like Rajguru and Sukhdev, Azad and Singh formed the Hindustan Socialist Republican Association, committed to complete Indian independence and socialist principles of for India's future progress. Betrayed by an informer on 27 February 1931 Azad was encircled by British troops in the Alfred park, Allahabad. He kept on fighting till the last bullet. Azad is a hero to many Indians today. Alfred Park was renamed Chandrasekhar Azad park, as have been scores of schools, colleges, roads and other public institutions across India.

Tuesday, November 3, 2009

गाय के दूध व मल-मूत्र भी लाभदायक


भागलपुर।28 october 09 देश के दिग्गज संत जनों के सहयोग से 30 सितंबर को हरियाणा के कुरुक्षेत्र से निकली विश्व मंगल गौ-ग्राम रथ यात्रा बुधवार की देर शाम भागलपुर पहुंची। गौ-ग्राम रथ यात्रा के स्वागत में घंटाघर स्थित शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में गौ पूजन, भजन एवं संतों के प्रवचन का आयोजन किया गया। गौ ग्राम यात्रा के साथ आए अभियान के राष्ट्रीय सचिव शंकर लाल तथा अयोध्या से आए स्वामी रामनयन दास जी महाराज ने गायों की सेवा से मिलने वाले लाभ की जानकारी दी।

शंकर लाल ने बताया कि देश में गायों को पालने की परंपरा अब धीरे-धीरे समाप्त होने लगी है। वहीं विदेशी नस्लों की गायों का प्रचलन बढ़ रहा है। यह कृषि क्षेत्र के उत्पादन को भी प्रभावित करेगा। श्री लाल ने गायों की महिमा का बखान करते हुए बताया कि गोबर व गो मूत्र का प्रयोग अगर खेतों में करें तो न केवल खेतों की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होगी बल्कि उससे मानव स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। उन्होंने कहा कि भैंस का दूध पीने से मानव में हिंसात्मक प्रवृति का वास होता है।

इस मौके पर पीएचईडी मंत्री अश्रि्वनी चौबे ने गौ पूजन कर पूज्य संतों का अभिनंदन किया। वहीं दूसरी ओर विश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा के प्रदेश स्वागताध्यक्ष दिलीप राय, स्वागताध्यक्ष दिवाकर चंद दुबे, अनिल सिन्हा, पवन गुप्ता, अजीत घोष, राजेश कुमार, दयानंद यादव, जगदीश शर्मा, अजय कुमार, विजय वर्मा आदि ने कुरूक्षेत्र से आए यात्री दलों का पुष्प माला के साथ स्वागत किया


बाढ़, : गो संरक्षण-संवर्धन के बिना राष्ट्र का विकास संभव नहीं है। प्राचीन काल में भारत को समृद्धशाली बनाने में गोवंश का महत्वपूर्ण योगदान था। यह बातें स्थानीय अनुग्रह नारायण सिंह महाविद्यालय के क्रीड़ा मैदान में बुधवार को विश्व मंगल गो-ग्राम यात्रा के मौके पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए दिगम्बर अखाड़े के स्वामी रामनयन दास जी ने कही। गोवंश का संवर्धन करना धार्मिक, सामाजिक, वैज्ञानिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। जिस प्रकार राम-राम कहने से राम आपके हाथ में हो जाते हैं, वहीं गाय-गाय करते रहें तब आय आपके हाथ में होगी। गो करुणामयी, ममतामयी मां। यह सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाली है। सभी रोगों का निवारण करने वाली है। गोवंश की रक्षा से पर्यावरण को सुरक्षित किया जा सकता है। रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल की जगह खेतों में गोबर डालने से उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी और पर्यावरण को भी खतरा नहीं होगा। आज पश्चिमी देशों के वैज्ञानिक भी मानते हैं कि ओजोन को ढकने का उपाय गाय का घी है। संविधान के अनुच्छेद 48 के अंतर्गत गोमाता की सुरक्षा की बात कही गयी है। गोहत्या पर रोक लगाये बिना हम अपने को स्वतंत्र नहीं कह सकते। बूढ़े गायों को हम कसाई के हाथों बेच देते हैं, यह कितना बड़ा अन्याय है। महज उसके सींग के उपयोग कर हम एक एकड़ जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ा सकते हैं। तुष्टिकरण ओर वोट की राजनीति से गोवंश बर्बाद हो रहा है। समारोह में स्वामी रामदास जी, यात्रा प्रमुख मनोज जी, नवीन कुमार, रामसागर ठाकुर, सुरेन्द्र सिंह सहित कई लोगों ने विचार व्यक्त किये।

विश्व मंगल गोऊ ग्राम यात्रा से सम्बंधित कार्यक्रम जोधपुर प्रान्त में प्रारम्भ शुरुहत हुई हस्ताक्षर अभियान से

गो सरंक्षण की मांग को लेकर किए हस्ताक्षर
जायल। विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा के तहत बुधवार को कस्बे में माहेश्वरी भवन में हस्ताक्षर अभियान शुरू किया गया। सैकडों लोगों ने मांग पत्र पर हस्ताक्षर गो संरक्षण की जरूरत पर बल दिया। कार्यक्रम संयोजक हरकरण पारीक ने बताया कि गाय को राष्ट्रीय प्राणी घोषित करवाने, भारतीय नस्ल की गायों के संरक्षण व संवर्द्धन, गोचर भूमि के संरक्षण व केन्द्रीय कानून बनाकर गो हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग को लेकर निकाली जा रही राष्ट्रव्यापी विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा के तहत हस्ताक्षर कराए गए।
उन्होंने बताया कि देश भर से 50 करोड हस्ताक्षर कराकर राष्ट्रपति को प्रस्तुत किए जाएंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तहसील कार्यवाह सोहनलाल गोदारा ने बताया कि ग्रामवार कमेटियों का गठन कर गांव-गांव हस्ताक्षर अभियान शुरू किया गया है।
'गौ सेवा ही सबसे बडी सेवा'
निमाज। कस्बे की श्रीकृष्ण गोशाला में सोमवार को गोपाष्टमी पर्व मनाया गया। समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. महेन्द्र रोहिवाल ने कहा कि गौ सेवा, मातृ सेवा से भी बडी सेवा है। इससे आत्मिक संतुष्टि मिलती है। श्रीकृष्ण गोशाला समिति के सचिव शिवराम एकलिया ने कहा कि एक गाय में 33 करोड देवी-देवताओं का वास होता है। विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रचारक महावीर, तहसील प्रमुख मुकेश, गोशाला समिति के संरक्षक संत सोहनराम रामस्नेही, अध्यक्ष मुरलीधर पाठक, संत कानाराम महाराज, चन्द्राराम कुमावत आदि ने भी संबोघित किया।
हस्ताक्षर अभियान शुरू
सिरोही। जिलेभर में कई स्थानों पर सोमवार को विश्व मंगल गौ-ग्राम यात्रा का जन जागरण हस्ताक्षर अभियान का शुभारंभ किया गया।
जिला मुख्यालय पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जयगोपाल पुरोहित के अनुसार भाटकडा स्थित शिव मंदिर के महंत हरिदास ने सवेरे गौ माता का पूजन कर हस्ताक्षर अभियान का शुभारंभ किया। उन्होंने बताया कि अभियान 2 नवम्बर तक चलाया जाएगा। इसके लिए शहर में 11 भाग बनाकर 101 टोलियां गठित की गई हैं। इस अवसर पर हरिसिंह सिंदल, कैलाश जोशी, जे.पी रावल, मधुसूदन त्रिवेदी, महेन्द्र प्रजापत, सुबोध प्रजापत समेत कई लोग उपस्थित थे।
आबूरोड। विश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा के तहत जनजागरण के उद्देश्य से प्रस्तावित हस्ताक्षर अभियान का सोमवार सुबह थाना परिसर से शुभारम्भ किया गया। हस्ताक्षर के साथ ही गौमाता की सेवार्थ प्रति सदस्य से सहयोग राशि के रूप में एक रूपया लिया जा रहा है।
इस अवसर पर यात्रा समिति के सुरेश कोठारी, तहसील संयोजक भरत सीरवी, प्रचार प्रमुख मंदीपसिंह, भगवतसिंह परमार व नगर संयोजक मनीष पंचाल आदि के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने क्षेत्रवासियों से हस्ताक्षर करवाए। इसके बाद राजकीय चिकित्सालय व नगरपालिका कार्यालय में अभियान के समर्थन में कर्मचारियों, अघिकारियों एवं शहरवासियों के हस्ताक्षरण करवाए। हस्ताक्षर अभियान संयोजक भरतकुमार सीरवी के अनुसार नगर में हस्ताक्षर अभियान के लिए वार्ड प्रभारी नियुक्त किए गए हैं।

गोवंश की रक्षा परमधर्म-तोगडिया

अनादरा। गोवंश की रक्षा करना हिन्दू समाज का परम धर्म है, देश में बढती गोहत्या के तांडव को हर हाल में रोकना होगा। यह बात सिरोडी के आदर्श बाल निकेतन उच्च प्राथमिक विद्यालय में विश्व हिन्दू परिषद के अन्तरराष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण भाई तोगडिया ने कही। गौ ग्राम रक्षा हस्ताक्षर अभियान समारोह में रविवार को आए तोगडिया ने कहा कि पहले जब गोवंश सुरक्षित था। तब देश में शांति थी, रोग नहीं थे। लेकिन बढती गौ-हत्याओे से अशांति फैलती जा रही है।
ग्रामीणों ने तोगडिया का ढोल बजाकर स्वागत किया। विहिप विभाग प्रमुख इन्द्रजीत सिंह ने साफा पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर तीर्थगिरी महाराज, विहिप प्रांत मंत्री भंवरलाल चौधरी, जिला अध्यक्ष मोडाराम रावल, प्रांत अध्यक्ष विरेन्द्र भंडारी, भूराराम, हरिसिंह देवडा, नारायणसिंह राव मौजूद थे।

'गाय हमारी संस्कृति का आधार'
भीनमाल। विश्व मंगल गो-ग्राम यात्रा के तहत तहसील क्षेत्र में हस्ताक्षर अभियान का सोमवार को गायत्री मंदिर में जैन मुनि जयरत्न विजय महाराज ने हस्ताक्षर कर शुभारंभ किया। इस अवसर पर जैन मुनि ने कहा कि गाय संस्कृति का आधार एवं पूजनीय है। जिसका हर हालत में संरक्षण आवश्यक है। आरएसएस के जिला संघचालक डॉ. श्रवणकुमार मोदी ने अभियान की जानकारी दी। इस अवसर पर मोहनलाल परिहार, महेश व्यास, रतनलाल अग्रवाल व सुरेश पारिक सहित बडी संख्या में विद्यार्थी व लोग मौजूद थे। अंत में यात्रा के संयोजक मदनसिंह मणधर ने सभी का आभार व्यक्त किया।

आहोर। निकटवर्ती भाद्राजून ढाणी स्थित कृष्ण गौशाला में महामंडलेश्वर संतोषभारती महाराज ने हस्ताक्षर कर विश्वमंगल गौ ग्राम यात्रा के हस्ताक्षर अभियान का शुभारंभ किया। इस मौके महामंडलेश्वर ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को गौ सेवा करनी चाहिए, क्योंकि गौ माता ही सृष्टि का आधार है। समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह विभाग कार्यवाह खीमाराम शंखवाली, भाद्राजून तहसील कार्यवाह तेजकरण बालोत, तहसील संयोजक चतराराम चौधरी, व अन्य गौ भक्तों ने गौ महत्व पर प्रकाश डाला। इसी प्रकार दयालपुरा गांव में गौ ग्राम यात्रा समिति का गठन किया गया।
जिसमें महिपालसिंह चारण को यात्रा प्रमुख, उप सरपंच जगदीश त्रिपाठी को कार्यक्रम प्रमुख, मदनगोपाल व्यास को प्रचार प्रमुख, नरोत्तमलाल त्रिपाठी को संयोजक, नरपतपुरी गोस्वामी को सह संयोजक, प्रवीण माली को कोषाध्यक्ष, कन्हैयालाल सोनी व जोगसिंह को हस्ताक्षर प्रमुख मनोनीत किया गया। चांदराई गांव में गौ भक्तों की बैठक आयोजित हुई। जिसमें गौ ग्राम यात्रा को लेकर हस्ताक्षर अभियान पर चर्चा की गई। बैठक में उपस्थित गौ भक्तों द्वारा गौ ग्राम यात्रा को लेकर हस्ताक्षर अभियान की विधिवत शुरूआत की गई।

सांचौर। निकटवर्ती पादरडी गांव में विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा कार्यक्रम क्षेत्र के साधु संतों के नेतृत्व में 30 अक्टूम्बर को प्रारम्भ किया जाएगा। तहसील संयोजक जयंतीलाल पुरोहित ने बताया कि विश्वमंगल गो-ग्राम यात्रा की तैयारियां जोरो पर चल रही है। गाय और ग्राम को बचाने के लिए चल रहे इस कार्यक्रम का शुभारंभ 30 अक्टूबर को पादरडी गांव में साधु-संतों के नेतृत्व में होगा।रामसीन। कस्बे समेत आसपास के गांवों विश्वमंगल गौ ग्राम यात्रा को लेकर कार्यकर्ताओं ने सोमवार को समितियों का गठन कर हस्ताक्षर अभियान की शुरूआत की। कार्यक्रम संयोजक परबतसिंह सिन्दल व कार्यकर्ताओं ने क्षेत्र के गांवाें में समितियों का गठन कर कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारियां सौंपी।

हस्ताक्षर करने उमडे लोग

नागौर। विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा के तहत गोवंश संरक्षण के लिए छह सूत्री मांग पत्र पर सोमवार को लोगों ने हस्ताक्षर कर गो संरक्षण की जरूरत पर जोर दिया। हस्ताक्षर करने को लेकर लोगों में बडा उत्साह नजर आया। अभियान के तहत बंशीवाला मंदिर में सुबह से ही लोग हस्ताक्षर करने के लिए पहंुचने लगे। दिन भर यह सिलसिला चला।

मेडता रोड । विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा के कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सोमवार को यहां रामद्वारा में कार्यकर्ताओे की बैठक में जिम्मेवारियां सौंपी गई। बैठक में गोग्राम यात्रा के जिला उपाध्यक्ष नारायण सिंह राजपुरोहित ने कहा कि संस्कृति को बचाने के लिए गो संरक्षण जरूरी है। आज गाय की हर जगह दुर्दशा हो रही है। हमें अपनी संस्कृति को बचाने के लिए गाय की सेवा करने का जज्बा लोगों में पैदा करना होगा। खण्ड संयोजक इन्द्रचंद भाकल ने यात्रा के उद्देश्यों के बारे में अवगत करवाया। संत गोरधन दास ने कहा कि गाय का गोबर व मूत्र अमृत के समान है जो कई रोगों को काटता है। इस मौके पर बस स्टैंड व रेलवे स्टेशन चौराहे पर लगाई गई गोयात्रा प्रदर्शनी को देखने लोगों की भीड उमडी। लोगों ने गो संरक्षण मांग पत्र पर हस्ताक्षर किए।
यात्रा के लिए समिति का गठन कर नंदलाल शर्मा को अध्यक्ष, भंवरलाल दाधीच उपाध्यक्ष, बालकिशन सोनी, भीखाराम लटियाल, शेरू वैष्णव, राजकुमार चौहान को मंत्री, इन्द्र भाकल व पवन कोठारी को कोषाध्यक्ष व विजय कुमार को यात्रा प्रमुख बनाया गया।

मेडतासिटी। विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा के मेडता तहसील संयोजक नारायणसिंह राजपुरोहित ने कहा कि आज विदेशों में भारतीय नस्ल की गायों का महत्व बढा है। प्राचीन काल से गाय का भारतीय संस्कृति से अत्यंत ही महत्वपूर्ण स्थान रहा है। राजपुरोहित रविवार रात रेगारो के मोहल्ला स्थित गंगामाई मंदिर प्रांगण में विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा को लेकर कार्यकर्ताओं को संबोघित कर रहे थे। उन्होंने गाय को राष्ट्रीय प्राणी घोषित करने, गो भक्त बनने एवं गो वृति का भाव जगाने पर बल दिया।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए घेवरराम ने वर्तमान समय में गाय के महत्व को समझते हुए गो सेवा के लिए आगे पर बल दिया। इस मौके पर जगदीशप्रसाद दायमा ने आगामी गो ग्राम यात्रा की कार्य योजना एवं उद्देश्यों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। बैठक में दुर्गेश दायमा, अशोक सेन, महेन्द्र, ताराचंद, दिनेश, मांगीलाल पटवारी, विनोद, जगदीशप्रसाद जावा, रणजीत, मनोहरलाल आदि मौजूद थे।

परबतसर। विद्या भारती के क्षेत्रीय प्रमुख रूद्र कुमार शर्मा ने कहा कि गाय का महत्व हमारी संस्कृति बहुत अघिक है। गाय एक चलता फिरता औषधालय भी है। गाय के बछडे के मूत्र से कैंसर का इलाज हो रहा है। गाय के गोबर और मूत्र से उपजे अन्न का बाजार में तिगुना मुल्य मिल रहा है। पंजाब में किसान रासायनिक छिडकावों व यूरिया के उपयोग से धरती का बंजर कर बैठे हैं। गाय के गोबर से भूमि उपजाऊ होती है। कार्यक्रम में तहसील संयोजक नवनील गौड, पूर्व पालिकाध्यक्ष अरूणकुमार माथुर, पीयुष दवे एबीवीपी के वीरेन्द्रसिंह, रामस्वरूप मोदी, ओमप्रकाश सैन, विनोद बागडा, जस्साराम बागडा, चतुर्भुजराज पुरोहित, प्रभुदयाल जांगिड, बनवारीलाल आदि मौजूद थे।

लाडनूं। रामस्नेही सम्प्रदाय के संत स्वामी रामनिवास महाराज ने गाय के हित में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की ओर से संचालित विश्व मंगल गोग्राम यात्रा के तहत अपने हस्ताक्षर सर्वप्रथम कर अभियान का श्रीगणेश किया। इस मौके पर रामनिवास महाराज ने कहा कि हमारे संस्कारों और संस्कृति को यदि कायम रखना है तो हमें पुन: घर-घर में गोपालन की तरफ आना पडेगा। गाय सबसे लाभदायक पशु होने के साथ हमारे लिए श्रद्घा का केन्द्र एवं पूजनीय भी है।
किशनाराम गोदारा ने यात्रा के बारे में जानकारी दी। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के तहसील कार्यवाह बजरंगलाल सैनी ने बताया कि लाडनूं क्षेत्र को गो ग्राम यात्रा के तहत चार खण्डों में विभक्त कर कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रचार प्रसार मंत्री विरेन्द्र भाटी मंगल ने बताया कि राष्ट्रपति को दिए जाने वाले इस ज्ञापन में पचास करोड लोगों के हस्ताक्षर होंगे। संघ के नगर कार्यवाह नरेन्द्र भोजक ने बताया कि लाडनूं, जसवंतगढ, निम्बीजोधा व मिठडी खण्डों में कार्यकर्ता क्षेत्र में जुटे हैं।

Monday, October 26, 2009

सामर्थ्यशाली समाज



ई-मेल

सामर्थ्यशाली समाज ही समस्याओं को हल करने में सक्षम
बालासाहब देवरस

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय सरसंघचालक श्री बालासाहब देवरस जी का १९९० की विजयदशमी पर नागपुर में दिया गया उदबोधन सार रूप में यहाँ प्रस्तुत है |राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिन्दू समाज को सामर्थ्य संपन बनाना चाहता है. उसकी इच्छा है की यह सामर्थ्य समाज में स्वाभाविक रीती से सदैव विद्यमान रहे. किसी बाह्य संघठन द्वारा समाज की रक्षा की जाती रहे, यह उचित नहीं. एक विशेष प्रकार का व्यवहार करने वाले व्यक्तियों का समूह ही समाज कहलाता है.

विशिष्ट व्यबहार करने वाले व्यक्तिओं के बीच एक स्वाभाविक व्यवस्था होती है. क्यों कि उस व्यवस्था में ही समाज का वास्तविक सामर्थ्य निहित है.जब समाज में इस प्रकार का सामर्थ्य जागृत होजाता है तो वह अपनी हर समस्या का हल निकलने के लिये स्वयमेव सदा तैयार रहता है. संघ इस प्रकार के स्वाभाविक सामर्थ्य के जागरण का कार्य कर रहा है.
अब प्रश्न उठता है कि यह होगा कैसे?

द्वितीय महायुद्ध के समय इंगलैंड का उदहारण इस प्रश्न का उत्तर देते हुए इसकी दिशा का निर्देश करता है. महायुद्ध की चपेट में आकर फ्रांस, पोलेंड आदि देश कुछ ही दिनों में समाप्त हो गए. इंग्लॅण्ड को भी एक बार अपने सश्त्राश्त्र समेट कर डन्कर्क से भागना पड़ा. लगता था कि अब इंग्लॅण्ड समाप्त हो गया. लेकिन इंग्लॅण्ड विजयी हुआ. उसे यह सफलता क्यों मिली?

इंग्लॅण्ड के समाज के स्वाभाव में जो सामर्थ्य छिपा है, सफलता का सारा श्रेय वास्तव में उसी को है. युद्ध काल में उन पर नित्य बम बारी होती थी. माकन नष्ट हो गए थे. जनता खाइयों में सोती थी. ६-७ वर्ष तक बहुत ही कठिन जीवन व्यतीत करना पड़ा था. किसी ने भी आत्मसमर्पण करने या शरणागत होने की आवाज तक नहीं उठाई. सम्पूर्ण समाज ने अपनी पूरी शक्ति लगा दी.

उन्होंने संकटों पर विजय प्राप्त कर ली. अतः जो समाज स्वाभाविक रूप से शक्तिशाली एवं साहसी होता है वही अपने को सुरक्षित रख पता है. जब तक समाज की यह स्वाभाविक अवस्था नहीं बनती उसकी अंतर्बाह्य समस्याएं सुलझाई नहीं जा सकती. संघ कार्य की कल्पना भी ऐसी है.

किसी भी राष्ट्र का बड़प्पन इस बात पर निर्भर नहीं है कि उसके नेता कितने महान, बुद्धिमान और बड़े हैं. वरन इस बात पर निर्भर है कि उस राष्ट्र का सामान्य जन कितना बड़ा है, कितना धैर्यवान और सामर्थ्यशाली है. उसका आचार विचार व व्यवहार कैसा है? जिस समाज में लोग स्वार्थ ग्रस्त हों, सम्पूर्ण समाज और देश का कभी विचार ना करते हों, उस समाज का जीवन बहुत दिन नहीं चल सकता. अपने हिन्दू धर्म में इसीलिए कहा गया है कि स्वार्थ छोड़ कर परमार्थ का कार्य करना चाहिए. स्वार्थ में लीन व्यक्ति को राक्षस कहा गया है. जहाँ का सामान्य व्यक्ति स्वार्थ रहित हो जाता है उस समाज में सहज एवं स्वाभाविक सामर्थ्य उत्पन्न हो जाता है.


इंग्लॅण्ड, जर्मनी, इस्रायल, जापान, भारत आदि देशो के पुर्नार्निर्मान का इतिहास द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद प्रारंभ हुआ है. जर्मनी ने इन वर्षों में पहले से भी अधिक आर्थिक उन्नति कर ली है. जापान और इस्रायल ने भी चमत्कार कर दिखाया है. इस्रायल निवासी यहूदियों का हाल पुराने ज़माने के लाला लोगों के सामान रहा है. इतिहास में उनको पैसे के लिए मरने वाले, लोभी, कायर, युद्ध कला से अनभिज्ञ आदि बताया गया है. परन्तु इन्ही यहूदियों ने लगातार संघर्ष कर अपनी जन्म भूमि इस्रायल को प्राप्त किया. १९४८ के बाद २५ वर्षों तक वे युद्ध करते रहे. इस्रायल कि आधी जनसँख्या घरों की छतों पर बैठी लडाई लड़ती रही और आधा समाज भूमिगत होकर कारखाने चलता रहा.


उन पर अरबो का भय सदैव बना रहता था. परन्तु आज अरबों पर उनकी धाक है. अल्पकाल में ही उन्होंने अपनी आन्तरिक व्यवस्था उन्नत एवं मजबूत कर ली. तथा बाह्य आक्रमण के लिए भी सामर्थ्य उत्पन्न कर लिया. यह कैसे संभव हुआ?
इसका एक ही कारण है की वहां के सामान्य व्यक्ति के व्यवहार sइ समाज में स्वाभाविक सामर्थ्य जाग्रत हो गया. अपने समाज के सामान्य लोगो में जो शक्ति का वास्तविक स्रोत है उसी स्वाभाविक सामर्थ्य को जागृत करने के लिए संघ कार्य चल रहा है


गोरक्षा एवं गोसंवर्धन

अति प्राचीन काल से भारत में गोवंश की महिमा गायी गयी है. वेदों में अनेक स्थानों पर गो पूजा, गो संबर्धन इत्यादि विषयक आदेश पाए जाते हैं. गोरक्षा एवं पूजा में मानव का सम्पूर्ण हित सन्निहित है. ऐसा गोवंश का गौरव पूर्ण उल्लेख किया गया है. इन बातों को सब विद्वान जानते हैं. इस कारण यहाँ उपर्युक्त वचन उद्धृत करने की आवशकता नहीं है. पौराणिक एवं ऐतिहासिक काल में गो विषयक श्रृद्धा प्रस्फुटित होती हुई स्पष्ट दिखती है. भारतीय जीवन के सर्वव्यापी आदर्श पूर्णावतार भगवान श्री कृष्ण तो स्वयं गोपाल, गोविन्द आदि नामो से पुकारे जाते हैं.

अनेक राजा, सम्राट, चक्रवर्ती अपने को गो-ब्राह्मण प्रतिपालक के ब्रीदवाक्य से गौरवान्वित करने में धन्यता का अनुभव करते थे. भारतीय राष्ट्र जीवन में से पराभूतता का पराभव कर आक्रमणकारियों का दमन करने वाले स्वराज्य संस्थापक श्री छत्रपति शिवाजी महाराज अपने निकटतम अतीत के तेजस्वी, सर्वगुण संपन्न युग पुरुष इसी ब्रीदवाक्य से उदघोषित किये जाते थे. बाल्यकाल से ही गोवध के प्रति उनकी उग्रता हुई, यह सर्व विदित ही है.

भारतीय सांस्कृतिक आधार पर पुनरुत्थान के कार्य में संलग्न अपने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जन्मदाता के जीवन में आये ऐसे रोम हर्षक प्रसंगों से सब परिचित हैं. उन्होंने अपने धन या प्राणों को सहर्ष संकट में डाल कर वधिको से गोरक्षा की थी. आज की अन्यान्य संस्थाओं में जो अग्रगण्य रहे, उन सबने गोरक्षा एवं गो संवर्धन को अपने जीवन का सर्वश्रेष्ट भूषन माना.

अनादिकाल से इस प्रकार पूज्य एवं अवध्य होने पर भी भारत में गोवध कैसे चल पड़ा? इस प्रश्न का उत्तर भी इतिहास देता है. जब कोई असंस्कृत आक्रमणकारी समाज किसी देश में विजेता के उन्माद से रहने लगता है, तब मानो अपने विजय का रस लेने के लिए पराजित जाति को अपमानित करना, उसके श्रृद्धा स्थानों को नष्ट भ्रष्ट करना, उसका धन मान लूटना इत्यादि न्रिशंश अत्याचार करने के लिए वह प्रयत्न पूर्वक प्रस्तुत होता है.

साथ ही अपनी विजय तथा नवस्थापित सत्ता को बनाये रखने के लिए विजितो के सब मान विन्दुओं को ठेस लगा कर नष्ट भ्रष्ट कर उनकी चित्तवृत्तियाँ इतनी आहत एवं स्वाभिमान शुन्य बनाना कि उनके मन् में कभी पुनरोत्थान का विचार ही उत्पन्न ना हो और प्राप्तदासता में ही सुखानुभव हो.

इसी प्रवृत्ति के फलस्वरूप भारत में स्थित मुसलमानों ने गो हत्या को मानो धार्मिक कृत्य माना. ईद आदि त्योहारों पर गोहत्या मानो अनिवार्य विधि मान कर प्रकट रूप में अतात्देशिया जनता की भावनाओ को चोट पहुचाने में अपने को धन्य माना. अन्यथा कुरान शरीफ में गो वध का आदेश या विधि कही भी ना होते हुए और गोपालन पुण्य कारक है, ऐसा उल्लेख होते हुए भी गोहत्या का उनके द्वारा यह विपरीत आग्रह क्यों?

यह ठीक है कि गोमांस भक्षण उस पंथ में निषिद्ध नहीं है, परन्तु आग्रह पूर्वक गो हत्या करने का आदेश भी नहीं है. बाद में परकीय शासन के रूप में आये हुए अंग्रेजों ने भी श्रृद्धा भंग के रूप में इस कार्य को अधिक कुशलता से कैसे चालू रखा यह बात किसी से छिपी नहीं. अंग्रेज शासकों की इस नीति व गोमांस भक्षक होने के कारण और साथ ही मुसलमानों के स्वभाव को देख कर गो वध बहुत परिमाण में चलता ही रहा.

अब तो अंग्रजो का शासन नहीं है। मुसलमान भी यहाँ विजेता के रूप में नहीं है. किन्तु इसी देश में एत्त्देशीय हिन्दू समाज के साथ रहेने के लिए विवश है. हिन्दू समाज ने सदा ही सब मतों - पंथो का सत्कार कर अपना कर्त्तव्य पूरा किया है. अब मुसलमान, इसाई आदि समाजो को अपने कर्तव्य को समझ कर चलने की, भारतीय राष्ट्र जीवन की श्रद्धाओं को अपनाने की, उन्हें जीवन में उतने की आवश्कताहै.


देश की परिस्थितियां डरावनी: भागवत

रविवार, २५ अक्तूबर २००९

जयपुर. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहनराव भागवत ने कहा है कि उग्रवाद, आपसी भेदभाव की चिंता हर किसी को सता रही है। देश की वर्तमान परिस्थितियां डरावनी हैं। मुस्लिमों को हिंदुओं से हिंदुओं को मुस्लिमों से, ईसाई को दोनों से डराकर अपना काम निकालने वाले बहुत हैं।हम डरने वाले नहीं और यही हमारी राष्ट्रीय पहचान है। यह डरावनी परिस्थिति तब जाएगी जब देश समर्थ बनेगा। केशव विद्यापीठ (जामडोली) में अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन का उद्घाटन करते हुए भागवत शिक्षा के बढ़ते व्यवसायीकरण पर खूब बरसे।उन्होंने कहा कि डिग्रियां पैसों से मिल रही हैं, जिससे पैसा नहीं मिलता, उसे शिक्षा नहीं माना जाता। शिक्षा समर्थ और स्वाभिमानी समाज के निर्माण के लिए होनी चाहिए जबकि हकीकत यह है कि इसका उपयोग सौदेबाजी के लिए होने लगा है।भागवत ने कहा कि शिक्षा में बदलाव की बात तो सब करते हैं लेकिन इसका बीड़ा उठाने वाले कम ही हैं। शिक्षा में सूचना एवं ज्ञान के साथ नैतिकता एवं विवेक का मिश्रण आवश्यक है तभी जाकर संपूर्ण समाज की रचना हो सकेगी। विज्ञान के साथ नैतिकता नहीं होगी तो जिसे राम बनाना होगा वह रावण बन जाएगा।दिशा, समझ और विवेक के अभाव में रोजगारपरक शिक्षा, सौदेबाजी से ऊपर नहीं उठ सकती। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के अध्यक्ष के. नरहरि ने ऐसे विद्यार्थियों का निर्माण करने पर जोर दिया जो शिक्षा को मिशन मानें न कि वृत्ति।
स्त्रोत:http://www.bhaskar.com/2009/10/25/091025061756_mohan_bhagwat_in_jaipur.html#

सोमवार, २६ अक्तूबर २००९ समाचार पत्रों से




Saturday, October 24, 2009

विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा आजमगढ़ गई

वाराणसी। गुरुवार की रात महानगर पहुंची विश्व मंग गो ग्राम यात्रा शुक्रवार की सुबह आजमगढ़ के लिए रवाना हो गई। यात्रा के लिए विदाई समारोह महमूरगंज स्थित माहेश्वरी भवन में आयोजित किया गया। यहां यात्रा में शामिल रथ की आरती उतारने के साथ पाणिनी कन्या महाविद्यालय की छात्राओं ने वेद मंत्रों का सस्वर पाठ किया।
इस मौके पर महाविद्यालय की संचालिका मेधा ने पंचगव्य का महत्व बताया। कहा कि पंचगव्य की उपयोगिता व महत्व को भूलना किसी दृष्टि से उचित नहीं है। भारतीय किसान संघ के प्रांत संगठन मंत्री रामचेला ने कहा कि भारत के उज्जवल भाविष्य की परिकल्पना तभी साकार होगी जब हम गोवंश की रक्षा के लिए तत्पर रहेंगे। फैशन की गिरफ्त में आकर चमड़े से बने सामानों का उपयोग करने से बचने की भी उन्होंने सलाह दी। संघ के विभाग प्रचारक मनोज कुमार ने कहा कि जहां गौ माता होती हैं वह स्थान तीर्थ स्थल होता है। कार्यक्रम में जानेमाने चिंतक व विचारक केएन गोविंदाचार्य, विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री हुकुम चंद्र, भाजपा के वरिष्ठ नेता हरिश्चंद्र श्रीवास्तव हरीश जी, महानगर अध्यक्ष प्रेमप्रकाश कपूर, सूर्यकांत जालान, मधुसूदन, सौरभ श्रीवास्तव, सीताराम केदिलाय आदि प्रमुख रूप से मौजूद थे। कार्यक्रम संचालन पवन उपाध्याय ने किया।


गोमाता राष्ट्र माता के रूप में प्रतिष्ठित हों : अविमुक्तेश्वरानंद महाराज



वाराणसी, अक्तूबर २२ – ज्योतिश पीठ के स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा है कि जन जन को पोशित करने वाली गोमाता को राष्ट्र माता के रूप में प्रतिष्ठित होना चाहिए । विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा के लिए वाराणसी के टाउन हाल मैदान में आयोजित कार्यक्रम में जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने यें बातें कहीं । उन्होंने कहा कि आज गोवंश के महत्व को समझ कर भी हिन्दू गोहत्या के विरुद्ध आवाज उठाने में विलंब कर रहा है, गोवंश की रक्षा के प्रति संकल्प ही सनातन धर्म की रक्षा का संकल्प है ।
अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि भारत में कभी हर घर में गाय शृंगार हुआ करती थी, लेकिन आज देश में गोवंश की स्थिति दयनीय बनी हुई है, देश में गोहत्या में निरंतर वृद्धि के कारण आज गावों के परिवारों में गो दर्शन दुर्लभ होता जा रहा है । उन्होंने कहा कि अमृत रूपी गो दुग्ध की उपेक्षा करना हमारी मूर्खता का सबसे बडा परिचायक है, गोपालन के जरिए ही हम अपने जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति कर सकते है । अविमुक्तेश्वरानंद ने गोदुग्धपान को अत्यंत आवश्यक बताते हुए कहा कि गोदुग्ध से बुद्धि की उर्वरा शक्ति में तीव्र वृद्धि होती है ।
स्वामी परमात्मानंद ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जैविक कृषि को भूल कर रासायनिक खादों के प्रयोग के कारण ही देश की कृषि बदहाल अवस्था में है, आज किसान आत्महत्या के लिए मजबूर है, रासायनिक खादों ने हमारे शत्रु कीटों के साथ मित्र कीटों को भी समाप्त कर दिया है । उन्होंने कहा कि गाय की रक्षा देश व विश्व की रक्षा है, अतः गाय के प्रति प्रत्येक मानव के मन में श्रद्धा व विश्वास का होना अत्यंत आवश्यक है ।
इससे पहले मिर्जापुर में विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा का भव्य स्वागत किया गया । विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा के लिए आयोजित कार्यक्रम में साधु संतों के साथ राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं भाजपा के पूर्व नेता के.एन. गोविंदाचार्य भी उपस्थित थे । गोविंदाचार्य ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि देश में आज असमानता, अपसंस्कृति, भेदभाव का बोलबाला बढा है, परिवार संस्था, विवाह संस्था जैसी पवित्र परंपराएँ नष्ट हो रही है, जल, जमीन, जंगल प्रदूषित ही नही अपितु समाप्त प्राय है । उन्होंने कहा इन सबका सबसे बडा कारण गोवंश की समाप्ति है, गोमाता भारत की विशेषता, अस्मिता की परिचायक है । उन्होंने कहा कि लगभग २५० वर्शों बाद विकास मानक बदलाव के कगार पर है । अब विकास आर्थिक रूप में नही बल्कि संस्कृति के रूप में होगा और यदि हमें विकास करना है तो हमें हमारी संस्कृति गोमाता को बचाना होगा । गोविंदाचार्य ने कहा कि विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा गोसंपदा उसकी संस्कृति, सामाजिक स्थिति के बारे में जनजागरण का प्रयास है ।
विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा आज सुबह प्रयाग से निकलकर मिर्जापुर, जौनपुर होते हुए शाम वाराणासी पहुंची । काषी विश्वनाथ के दरबार में यात्रा का अत्यंत उत्साह के साथ स्वागत किया गया । विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा के लिए आयोजित कार्यक्रम में अनेक संतों के साथ भोजपुरी फिल्म अभिनेता व गायक मनोज तिवारी भी मौजूद थे । मनोज तिवारी ने भोजपुरी अंदाज में गीत गाकर विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा का स्वागत किया । कार्यक्रम में भारी संख्या में लोगों ने साधुसंतों का आशीर्वचन प्राप्त कर गोसंवर्धन का संकल्प भी किया ।

गो ग्राम यात्रा की अगवानी में उमड़ा जनसमूह




सुल्तानपुर, 21 अक्टूबर : अमर कंटक के परम संत परमात्मानंद जी महराज ने कहा कि आज हिन्दू समाज का किसी को भय नहीं है। यही कारण है कि हमारी गौ माता को काटा जा रहा है। जिस दिन हिन्दू समाज का भय लोगों में होगा उसी दिन गोवध बंद हो जायेगा। गाय से खेती, खेती से किसान, किसान से गांव और गांव से देश बचेगा। इसलिए गाय, गांव औ किसान की सुरक्षा जरूरी है। वे आज खुर्शीद क्लब मैदान में विश्वमंगल गो ग्राम यात्रा के आगमन पर धर्म सभा को सम्बोधित कर रहे थे।
कुरुक्षेत्र से संतो के नेतृत्व में निकली विश्वमंगल गो ग्राम यात्रा बुधवार को जिला मुख्यालय पहुंची। जिसे जिले की सीमा पर कूरेभार में विहिप जिलाध्यक्ष नागेन्द्र सिंह, बजरंग दल प्रान्त संयोजक ओम प्रकाश पाण्डेय, डा।जेपी सिंह, भाजपा के पूर्व जिला महामंत्री रामभुवन मिश्र आदि दर्जनों प्रमुख लोगों ने अगवानी की। नगर में भी जगह-जगह श्रद्धालुओं ने शोभायात्रा में शामिल लोगों पर पुष्प वर्षा करके अगवानी की। खुर्शीद क्लब में धर्मसभा के दौरान संत परमात्मानन्द व क्षेत्र प्रमुख नवल किशोर ने भारतीय संस्कृति और गो रक्षा पर आमजनों को सचेत किया। क्षेत्र प्रमुख नवल किशोर ने कहा कि कृषि का आधार गोवंश हैं। इसे हमारे महापुरुषों ने पूजा है। सिक्खों ने गोरक्षा में बड़े बलिदान दिये हैं, लेकिन आज आजादी के बाद तीन हजार से छत्तीस हजार गोवध शालाएं हो गयी हैं। दो लाख में एक लाख गोवंश भारत में ही कटता है। रासायनिक खादों से उर्वरा शक्ति नष्ट हो रही है। किसान आत्महत्या कर रहे हैं। कैंसर रोगी बढ़ रहे हैं। धर्मसभा को यात्रा संचालन समिति के अध्यक्ष डा.जेपी सिंह, ओम प्रकाश पाण्डेय, कृपाशंकर द्विवेदी, सुरेन्द्र सिंह, रतन सिंह आदि ने सम्बोधित किया। नगर संयोजक सुनील श्रीवास्तव धन्यवाद ज्ञापन दिया। इस दौरान विभिन्न पंथों के प्रमुखों में कृष्ण लीला, जगत प्रताप सिंह, नामधारी रतन सिंह, कुलदीप सिंह, झण्डाबाबा, धर्मप्रकाश, हनुमानगढ़ी के पुजारी कृष्णकुमार शास्त्री, डा.पीपी पाण्डेय, युग निर्माण योजना के रामचन्द्र शुक्ल आदि मौजूद रहे। उधर, इलाहाबाद की ओर प्रस्थान करते वक्त जगह-जगह रामगंज, छीड़ा आदि क्षेत्रों में महिलाओं ने अगवानी की। मुसाफिरखाना संवादसूत्र के अनुसार विहिप नेता सुरेश तिवारी, गंगेश सिंह, सुरेन्द्र सिंह, शिवशंकर मिश्र, रुद्रदत्त त्रिपाठी, संतोष श्रीवास्तव, अरूणोदय त्रिपाठी, कन्हैया फौजी आदि ने विश्वमंगल गो यात्रा के दौरान विविध धार्मिक आयोजन किये। संचालक विशम्भर दयाल श्रीवास्तव ने गो सेवा पर व्याख्यान दिया।


राष्ट्रीय मुद्दा है गोमाता की रक्षा का सवाल : गोविन्दाचार्य


वाराणसी। चर्चित चिंतक केएन गोविंदाचार्य ने कहा है कि गोमाता की रक्षा का सवाल राजनीतिक नहीं बल्कि राष्ट्रीय मुद्दा है। 'विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा' को देश के लाखों मुसलमानों का भी समर्थन मिला है। राजनीति दलों व नेताओं में प्रतिबद्धता व समझ का अभाव है, यही कारण रहा कि वोट बैंक के चक्कर में गो माता की रक्षा का मुद्दा अब तक चुनावी एजेंडे में शामिल न हो सका। गाय-गंगा व गांव की रक्षा के लिए दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति व जनांदोलन की आवश्यकता है।
108 दिवसीय 'विश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा' के काशी पहुंचने की पूर्व संध्या पर श्री गोविंदाचार्य बुधवार को लंका स्थित विश्व संवाद केंद्र में पत्रकारों से बात कर रहे थे। गो संरक्षण व गो संव‌र्द्धन के मुद्दे को जनांदोलन बनाए जाने पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य सर्वतोन्मुखी हिंसक समृद्धि और पर्यावरण विनाश पर टिके आधुनिक विकास के विकल्प में विश्व के कल्याण के लिए राष्ट्रीय चेतना का जागरण और गांव-गांव में विद्यमान गो संस्कृति के संस्कारों को सुदृढ़ करना है। मेरा स्पष्ट मत है कि विश्व के संसाधनों की निर्मम लूट और साम्राज्यवादी शोषण पर आधारित विकास का वर्तमान मॉडल सम्पूर्ण विश्व के कल्याण में असमर्थ है। विकास के आधुनिक रूप ने पर्यावरण का विनाश किया है। जल, जंगल, जमीन और आकाश को प्रदूषित और क्षरित किया है। यात्रा के दौरान अब तक देश के पांच लाख मुसलमानों ने गो माता की रक्षा के अभियान को अपना समर्थन दिया है।
प्रेसवार्ता में श्री गोविंदाचार्य ने गोमाता की ओर से अनुरोध पत्र जारी किया। पत्र में विकास की अवधारणा मानव केंद्रित न होकर प्रकृति केंद्रित करने, मानवाधिकार के समान जमीन, जल, जंगल, जानवर, प्रकृति के भी अनुल्लंघनीय अधिकार, केंद्र में गो विकास मंत्रालय बनाने, हर प्रखंड में पंचायतों के अनुसार नंदीशाला स्थापित करने, पशु चिकित्सालय का हर न्याय-पंचायत तक विस्तार करने, पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय हर जिले में स्थापित करने, गौ तस्करी के लिए विशेष दंड की व्यवस्था करने, मांस के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने, गाय के दूध का दाम बढ़ाने, कृषि भूमि का अधिग्रहण बंद करने तथा एक फसली या नकदी फसल की खेती पर दबाव घटाने की मांग की गई है।
इस दौरान सुरभि शोध संस्थान के प्रमुख सूर्यकांत जालान ने बताया कि विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा का संदेश देश के लगभग दो लाख गांवों तक पहुंचेगा। यात्रा से जहां गो माता की रक्षा के लिए राजसत्ता पर दबाव बनेगा, वहीं अभियान से देशभर के लोगों को जोड़ने में मदद मिलेगी।

आज भारत में गोवंश समाप्तप्राय : अशोक सिंघल
प्रयाग, अक्तूबर २१ – विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल ने कहा है कि भारत में निरंतर बढ रही गो हत्या का परिणाम ही है कि आज गोवंश समाप्ति की कगार पर है । विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा के लिए प्रयाग में आयोजित कार्यक्रम में जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने ये बातें कही । उन्होंने कहा कि गोवंश की हत्या हिन्दू समाज की संस्कृति की हत्या के समान है । सिंघल ने गोवंश को कृषि का आधार बताते हुए कहा कि आज की खेती आधुनिक उपकरणों द्वारा की जा रही है, ट्रैक्टर द्वारा खेतों की जुताई एवं रासायनिक खादों की उपयोगिता ने हमारी कृषि को कमजोर किया है, जिसके कारण आज का किसान आत्महत्या के लिए मजबूर है ।
अशोक सिंघल ने कहा कि लगभग बीस हजार गाय की हत्य भारत में नित्य हो रही है, जो कि अत्यंत दुखद है । उन्होंने कहा कि प्रत्येक हुन्दू को संकल्प करने की आवश्यकता है कि गोवंश को कसाइयों के हाथों न बिकने दें । उन्होंने विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा को आजादी के बाद अब तक का सबसे बडा लोकजागरण आंदोलन बताते हुए लोगों से गोवंश के पालन व संरक्षण की अपील की ।
शंकराचार्य वासुदेवानन्द सरस्वती ने गाय को स्नेह की देवी की संज्ञा देते हुए कहा कि गाय भगवस्वरूपा, मातृस्वरूपा एवं धातृस्वरूपा है । उन्होंने कहा कि जब तक भारत में गोवंश की हत्या नही रुकेगी भारत का विकास संभव नहीं है । उन्होंने कहा कि गोसंरक्षण कानून की अपेक्षा सरकार से करना निरर्थक है । अतः देश को, समाज को जागृत होकर गोवंश के संरक्षण हेतु आगे आना होगा । शंकराचार्य ने कहा कि मथुरा, प्रयाग, आगरा आदि अनेक स्थानों पर जहाँ गाय के महत्व का वर्णन किया गया है वहाँ पर गो हत्या होना अत्यंत निंदनीय है । उन्होंने कहा कि अनार्थिक गायों को गलत हाथों में बेचकर हम सभी गोहत्या के पाप के भागीदार बन रहें हैं, अतः यह आवश्यक है कि गाय को हम गलत हाथों में न बेचें । उन्होंने कहा कि प्रत्येक हिन्दू अपनी धर्म संस्कृति की रक्षा गोहत्या को रोक कर ही कर सकता है ।
विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा आज सुबह आयोध्या से चलकर शाम प्रयाग पहुंची, यहाँ पर कार्यकर्ताओं द्वारा यात्रा का भव्य स्वागत किया गया । जगह जगह चौराहों पर लोगों ने स्वागत कार्यक्रमों द्वारा यात्रा के साथ चल रहें साधु संतों को माल्यार्पण कर स्वागत किया । गो ग्राम यात्रा इससे पहले सुल्तानपुर, प्रतापगढ होते हुए प्रयाग पहुंची ।



Sunday, September 27, 2009

मंगल संकल्प गाय बनेगी विश्व एकता का साझा सूत्र

मंगल संकल्प

गाय बनेगी विश्व एकता का साझा सूत्र

६२ वर्ष पहले हमारा देश विदेशी शासन से स्वतंत्र हुआ । विडंबना देखिए, यद्यपि हम स्वयं अपने स्वामी बन गये पर पश्चिमी चकाचोंध के अवांछनीय प्रभावों के दास भी हो गये । तब से अपनी यात्रा के प्रत्येक पड़ाव पर हम अपनी मौलिकता और स्वाभिमान खोते गये ।
आज की वास्तविकता भयावह है । हम जानते हुए भी विषैल भोजन करते है । हमारे अपने स्वास्थ्यकर भोजन के उत्पादन में हमारी दिलचस्पी समाप्त हो गई है । परिणामतः बाहरवालों पर हमारी निर्भरता बढ़ती जा रही है ।
यदि मनुष्यों की यह दुःखद स्थिति है, तो पशु-पक्षियों की गति बदतर है ।
विद्वान लोग एक कारण बताते है – मानव जाति भूमंडल पर एक लाख वर्षों से है । इस काल में हमारे पर्यावरण को पिछले १०० वर्षों से हुई क्षति उसके पहले के ९९,९०० वर्षों में हुई क्षति के बराबर है । स्पष्टतः इसका कारण है मनुष्य द्वारा हर वस्तु पर नियंत्रण का लोभ । यह संभव भी नहीं है और यही दुष्प्रयास हमारे घोर कष्टों का कारण भी है ।

भारतीय संदर्भ में इस बंधन से निकलने का एक मात्र मार्ग है – हमारे देश में एक समय में फलते-फूलते गौ केंद्रित ग्राम की तरफ वापसी ।
इसी पृष्ठ भूमि में श्री रामचंद्रापुर मठ के पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य श्री राघवेश्वर भारती स्वामीजी" पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य श्री राघवेश्वर भारती स्वामीजी ने विश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा अभियान प्रारंभ किया है जिसका उद्देश्य लोगों को गौ केंद्रित ग्रामों तक वापस ले जाना है ।
यह सर्वविदित है कि श्री स्वामीजी ने अपना जीवन गौ कल्याण के लिये समर्पित किया है । इस यात्रा के माध्यम से उनका प्रयास है हमारे राष्ट्र और समस्त विश्व को गाय रूपी एक डोर में बांधना । इसके साथ ही जुडा है प्रत्येक आत्मा में प्रकृति प्रेम जगाना ।


अनिवार्यता

यह यात्रा अपरिहार्य है ?

हाँ, यह कोरी काल्पनिक आवश्यकता नहीं है । यह आवश्यकता है करो या मरो की स्थिति तक पहुँचे एक राष्ट्र की । आधुनिक मानव विपरीत ध्रुवों और विरोधाभासों के मध्य फंसा है ।
शांति बनाम आनंद, प्राकृतिक बनाम यांत्रिक, समानुभूति बनाम स्वार्थ, प्रकृति बनाम पुरुष, दूर दृष्टि बनाम अदूरदर्शिता, सर्वांगीण लाभ बनाम वित्तीय लाभ, कृषि बनाम उद्योग, गौ आधारित कृषि बनाम यांत्रिक कृषि, ग्राम बनाम नगर, गुणवत्ता बनाम संख्या, स्वास्थ्यकारी भोजन बनाम जंक फूड, गहरी नींद बनाम द्रव्यजनित तंद्रा – ऐसे संधर्षों की तुलना में बाह्य आतंकवाद नगण्य है ।

किसान चेष्टा कर रहा है भूमि का सार तत्व खींच लेने की । उसकी दृष्टि में देशी बीज, गायें और खाद बेकार है । वह बहुराष्ट्रीय कंपनियों से संकर बीज, रासायनिक खाद, कीटनाशक और कृषि उपकरण लेने को प्रस्तुत है । कुछ वर्षों तक बेहतर फसल और अधिक आय के भ्रमजाल को वह समृद्धि समझ बैठता । अपने बच्चों को शहरों में पढ़ा कर उन्हें वह गांवों और खेती से दूर करता है । कालांतर में कृषि के गलत तरीके उसकी भूमि का उपजाऊपन क्रमशः कम कर देते हैं । पैदावार घट जाती है और ऋण और कठिनाइयाँ बढ़ जाती हैं और वह आत्मा हत्या जैसे चरम कदम उठा बैठता है ।
यह एक अपवाद स्वरूप कहानी नहीं है । बल्कि हमारी जनसंख्या का ७०% माने जाने वाले आम किसानों की नियति है ।
एक और दृष्टि से मनुष्यों की स्थिति बेहतर है ।
वन्यप्राणी जो कि पहले हजारों कि संख्या में थे, अब सैंकड़ों कि संख्या में आ गये हैं ।
भूमि की सतह बंजर होती जा रही है, यह आश्चर्य की बात है कि कुछ जंगल अभी भी बचे हुए हैं ।
गौ परिवार जो कि किसान का जीवन आधार है, घटता जा रहा है ।
भारतीय गायों की ७० प्रजातियों में से केवल ३३ वची हैं । इन बची हुई नस्लों में भी कुछ में तो सिर्फ १० या २० गायें ही मौजूद हैं ।
६० वर्षों में वधशालओं की संख्या ३०० से ३६,००० हो गई है ।
स्वाधीनता से अब तक देश, अपनी ८०% गौ संख्या खो चुका है ।
इस दुःखद स्थिति का एक स्थायी समाधान आज की आवश्यकता और चुनौती है । हमारे लिये गौ केंद्रित ग्रामीण जीवन ही श्रेष्ठ विकल्प है । पारस्परिक निर्भरता, देख-भाल, सम्मान और सब जीवों के हित के प्रति चिंता इस विचारधारा का मध्य बिंदु है । जीवन के प्रत्येक पल में यह सत्य परिलक्षित होता है ।
विश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा इन पवित्र संदेशों को भारत के कोने-कोने तक पहुँचायेगी । कृपया इसके महत्व पर गौर करें ।
सच्चा स्वतंत्रता संग्राम

यह सच्चा स्वाधीनता आंदोलन अंतिम हो
प्रत्येक व्यक्ति को अपनी स्वाधीनता प्रिय है और वह उसे बनाये रखने की चेष्टा करता है । १८५७ में हुआ भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम भारतीय इतिहास में एक सीमा चिन्ह है । बंदूकों की गोलियों पर गाय या सुअर के मांस की चर्बी चढ़ी होने की अफवाहों ने आंदोलन को चिंगारी दिखाई । लेकिन देश की स्वाधीनता की आशा प्रज्वलित होकर बुझ गई ।

महात्मा गांधी द्वारा हमारे स्वाधीनता आंदोलन के विचारों और प्रयासों को सघन करते तक छिटपुट संघर्ष, विरोध, लडाइयों और हत्यायें होती रहीं । लोगों के मन में ठोस ढांचे वाले स्वतंत्र राष्ट्र की कल्पना नहीं थी । महात्मा गांधी ने जीवन के विभिन्न क्षेत्र के भारतीयों के स्वप्नों और महत्वाकांक्षाओं को दृढ़ करने वाले एक ढ़ांचे की परिकल्पना दी । किसान, उद्योगपति, कलाकार, पत्रकार और आम नागरिक सभी ने यह जाना कि उनका ईमानदारी और समर्पित होकर किया गया कार्य भी स्वतंत्रता संग्राम का भाग था । अंततः १५ अगस्त, १९४७ को हमें आजादी मिली ।
इस आनंद के साथ ही मोह भी भंग हुआ । राष्ट्रपिता गांधीजी ने समृद्ध कृषि, पशु फार्म और हस्तशिल्प रामराज्य का स्वप्न देखा था जिसमें ग्राम आत्मनिर्भर और स्वतंत्र हों । उन्होंने हमारे लोगों की अलग पहचान का सपना देखा जिसमें बाहरी लोगों की नकल नहीं करनी थी । यद्यपि उनका चिंतन ठोस और यथार्थवादी था, पर वह एक सपना मात्र रहा ।
स्वतंत्रता के साथ देश का विभाजन भी हुआ और हमारी उपजाऊ भूमि का एक बड़ा भाग पाकिस्तान को चला गया । बांग्लादेश के निर्माण के कारण वहाँ के कष्टों और आस्थिरता का कुछ प्रभाव हम पर भी पड़ा । इसके अतिरिक्त समय-समय पर पड़ने वाले सूखे और बाढ़ द्वारा उत्पन्न संकटों ने हमारे देश को उन वर्षों में तात्कालिक समाधानों के लिये विवश किया ।
संकट की उस घड़ी में हमें बाहरी तकनीक और विधियों में आशा की किरण दिखाई दी । हमने जोतने के लिए ट्रैक्टर और फसल काटने के लिये टिलर अपनाये । हमने संकर बीज बोये, पौधों को कृत्रिम खाद दी और रासायनिक कीटनाशकों द्वारा उनकी रक्षा की । विशाल बांधो के जल द्वारा सिंचाई कर हमने वर्ष में तीन फसलें उगाईं । बाजार में जल्द बिकने वाली फसलों पर जोर दिया गया, परिणामतः खाद्यान्न उगाने वाले खेत नकद फसलों में, बगीचों में बदल गये । कर्ज पर निर्भरता बढ़ी । बैल और बूढ़ी गायों को वधशालाओं में भेज दिया गया । जर्सी और एच.एफ. गायों ने अधिकांश घरों में भारतीय नस्लों का स्थान ले लिया । कुछ वर्षों में हरित क्रांति और श्वेत क्रांति पर ध्यान केंद्रित हो गया और गुणवत्ता का स्थान परिमाण ने ले लिया ।
आगे जाकर औद्योगिक प्रगति और सूचना प्रौद्योगिकी सामने आईं । इन सब बदलावों के कारण लोग गांवों से शहरों की तरफ आकर्षित हुए । शहरों में युवा पीढ़ी के लिये नये उभरने वाले व्यवसायों में लाभप्रद रोजगार के अवसर मिलने लगे । आज की पीढ़ी अपने बच्चे को जन्म से ही शहर भेजने की तैयारी करती है । यह पीढ़ी गाँव, खेती, पशुधन, ग्राम, घर और यहाँ तक कि माता-पिता का भी नहीं सोचती । यदि बाजार में सभी आवश्यकतायें पूर्ण हो जायें तो साधन की क्या चिंता ? जब आपको पाउच में दूध मिले तो फिर गाय की क्या परवाह ?
हम सोचते हैं विदेशी कृषि विधियों से हानि हुई है, किसान फंस गया है । भूमि का महत्व घट रहा है और किसान बीज, खाद और कृषि उपकरणों के लिये बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर निर्भर है । किसान असह्य ऋण के बोझ से टूट रहा है । यदि इन समस्याओं का समाधान नहीं है तो किसान आत्महत्या की ओर बढ़ता है ।
शहरों में हालात भी अच्छे नहीं है । शहरों की ओर अबाधित, अमर्यादित व स्थानांतरण से ढ़ाचागत सुविधायें अपर्याप्त हो गई है, जिससे नागरिकों का दम घुटता है । नौकरियों पर निर्भरता निराशाकारक है । गाँव और शहर दोनों बाहरी समाधानों की प्रतीक्षा में हैं ।
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी ने अपने चर्खे को प्रतीक बनाकर सारे देश को एक सूत्र में पिरोया । लेकिन हमें सच्ची आजादी नहीं मिली । हमारा यह स्वतंत्रता संघर्ष अंतिम हो । स्वाधीनता के इस दूसरे संघर्ष में, पवित्र गाय हमारा नेतृत्व करेगी । गाय जो हमारी माताओं तक को दूध पिलाती हैं, हमारी आशा की ज्योति है । विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा के माध्यम से गाय एकता क संदेश सारे देश पहुँचायेगी । हमें प्रसन्नता है कि इस सत्कार्य में सभी गो भक्त संगठित हो रहे हैं ।


यात्रा की रूपरेखा

विषय वस्तु : गाय संसार की माता है ।
संकल्प : गाय की रक्षा मेरा पवित्र कर्तव्य है ।
नारा : जो गाय को बचाये, गाय उसे बचाये ।
लक्ष्य : गो भक्ति से ग्राम प्रगति करें, ग्रामों की प्रगति से राष्ट्र की प्रगति हो, जिससे संसार की प्रगति हो ।
माध्यम : गाय
संदेश : चलें गाँव की ओर । चलें गाय की ओर चलें प्रकृति की ओर ।
मंगल संकल्प : पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य श्री श्री राघवेश्वर भारती स्वामीजी, श्री रामचंद्रापुर मठ
मंगल प्रेरणा : पूज्य गोऋषि श्री श्री स्वामी दत्तशरणानंदजी महाराज, पथमेडा
प्रवर्तक : पूज्य श्री श्री रविशंकरजी, पूज्य श्री श्री रामदेवजी बाबा, पूज्य श्री श्री माता अमृतानंदमयीजी, पूज्य आचार्य श्री श्री विद्यासागरजी, पूज्य आचार्य श्री श्री महाप्रज्ञजी, पूज्य आचार्य श्री श्री विजय रत्नसुंदर सुरीश्वरजी, पूज्य श्री श्री स्वामी दयानंद सरस्वतीजी, पूज्य श्री श्री मुरारी बापूजी महाराज, पूज्य श्री श्री सद्गुरु जगजीत सिंहजी महाराज, पूज्य श्री श्री सयामडांग रिनपोचेजी
संघटन : पूज्य डा. प्रणव पंड्याजी के गौरवाध्यक्षता में राष्ट्रीय समिति, राज्य और जिला स्तर पर समितियाँ
समर्थन : सभी गो भक्तों का
यात्रा शुभारंभ : कुरुक्षेत्र, विजयदशमी, ३० सितंबर, २००९
अवधि : १०८ दिन
आयोजन : गाय को प्रार्थना, संदेश, जुलूस, सांस्कृतिक कार्यक्रम, पर्व का माहौल
कुल मार्ग : २०,००० कि.मी
सहयात्रायें : १५,००० (जिला तालूका – ग्राम केंद्रों से)
सहयात्रा मार्ग : १० लाख कि.मी
समापन : नागपुर, मकर संक्रांति, १७ जनवरी, २०१०
हस्ताक्षर अभियान : गो के प्रति हिंसा रोकने के लिए और गाय को राष्ट्रीय प्राणि का दर्जा दिलाने के लिए करोडों के संख्या मे हस्ताक्षर संग्रह होगा ।
भारत के राष्ट्रपति को प्रस्तावना : २९ जनवरी, २०१० को करोड़ों हस्ताक्षरों के साथ

Tuesday, August 25, 2009

PP Sarsanghchalak Mohanji Bhagwat’s इन्तेर्विएव On Times Now channel

PP Sarsanghchalak Mohanji Bhagwat’s Interview
On Times Now channel
Telecast on 18 Aug. 2009

Interview with Shri. Arnab Gosvami of Times Now Channel
Question: - Let me start by asking you when you took over as the head of the RSS, as Sarsanghchalak you emphasized change. You said that no organization can change as quickly as we do, we can even change our leaders and change is a factor in the RSS. Do you feel that the election results this year emphasize that need for change not just in the BJP but also in the RSS in your style of thinking?
Answer: - As I said change is the character of RSS. We keep on changing. We changed our Prarthna in 1939. But there was this comment ‘RSS is not changing-not changing’. I answered that. We are the organization most ready for the change. There are certain things which we have to keep fast, they can not change. Roots you don’t change. Everything else you can change. In RSS we can change everything except ‘Hindusthan is Hindu Rashtra’. But we have got a particular method. We create consensus and when that consensus is achieved we change immediately.
Question: -In 2004 elections the RSS explained the loss of BJP as; I think it was because of the dilution of the Hindutva ideology. Vajpayee had cited Gujarat riots as one of the possible reasons the party didn’t do very well. The party at that time defended Modi. The RSS defended Modi. Vajpayee had to backtrack. My question is very simple. Hasn’t that brand of Hindutva being rejected once again by the people of this country?
Answer: - That is to be thought by the political party. Our Hindutva has no brand. Our Hindutva is a set of values. Unity in diversity, gratitude, austerity, simplicity and such values. They are the Hindutva. It is not concerned with politics and it is concerned with everything in your life. So it is not a particular religion or creed. It is a view, a worldview.
Question: - Hindutva is essentially today, largely in the country is understood in the political context. You say that it is a way of life but without doubt it is a political slogan today. My question to you is does Hindutva as a political slogan work?
Answer: - As a political slogan what works and what doesn’t work depends on so many factors. How you put the slogan, what is the situation prevalent then. Some times it work, some times it doesn’t works and reasons are various. But we don’t look to Hindutva as a political slogan or as political ideology. It is the nature of Bharat, identity of Bharat. Unity in diversity. One manifested in everything is the base. That is particular to Bharat only.
Question: - But as has been interpreted and projected fanatically by the BJP, by the large part of the BJP. Hindutva is seen today in its political interpretation and application as a form of political intolerance. You would not deny that Hindutva is used politically by the BJP.
Answer: - As I said, the BJP has to think about it. When we go to people in the course of our work we straight away approach the society. We never experience that type of perception. With open arms they come to us. Even Muslims. The other day one Muslim scholar from Nagpur came here and we had a very good exchange of views. There was no misconception about Hindutva in his mind. So this is a particular thing which should be given thought to by the political party.
Question: - Would you concede that the BJP has conceded Hindutva. The BJP today seems to be synonymous with certain themes for example Ramjanama Bhoomi, article 370, and uniform civil code. That seems to be the narrow understanding of the political Hindutva. Would you agree that interpretation of Hindutva perhaps is not as valid and perhaps doesn’t have that much relevance for the people of this country?
Answer: - You see, about all these issues…… 370 issue is not concerned with Hindutva. It is concerned with the integrity of the land. We are all one. Therefore we should have one set of rules. एक देश में दो विधान दो निशान दो प्रधान नहीं चलेंगे that is the slogan. Ramjanama Bhoomi is not a question of mere Rambhakti. The temple was demolished by a foreign aggressor. And we are now independent. So we should restore the emblems of our national pride. It has nothing to do with Hindus, Muslims etc. It is national. That is why I say the set of values is particular to Bharat. Muslims of Bharat, Christian of Bharat, and so-called Hindus of Bharat all are inheritors of that particular culture.
Question: - It is precisely this kind of thinking which people say is the reason why the BJP is trapped in a dogma of its own making. It is why people say that other parties have moved forward, congress perhaps has moved forward and has a greater connect with young India, where as BJP has been caught in a time warp. And the general view after the election was that if the BJP wants to move forward it needs to change, it needs to be less hard liner.
Answer: - The BJP has to think about that. You are asking me about BJP, I am Sarsanghchalak of the RSS. The BJP is having its Chintan Baithak, they will think about it. How to interpret the Hindutva, whether we have really been left behind or is it a temporary matter that will have be thought by them.
Question: - After the election results you along with two other top RSS leaders met Mr. L.K. Advani. Did you ask Mr. L.K. Advani to carry on?
Answer: - I was not there. For your information, I was on my tour for sangh shiksha Vargas. You can check my itinerary. Because Advani ji had resigned, three of our Adhikaris, went to meet him. He is our Swayamsevak; he is not only BJP leader. So they went to him.
Question: - Did the RSS leadership tell Mr. Advani not to resign?
Answer: - No.
Question: - Are you categorical about that? Because it was interpreted……..
Answer: - We did not tell anything to Mr. Advani at that time. Mr. Advani himself has said that it was his own decision. So when a chief person of a political party who is our Swayamsevak does something like this, I think it is very fair to go and meet him.
Question: - The entire media report that the RSS………because Mr. Advani has said immediately after the election results that he doesn’t want to hold any post. And after that the RSS, three top RSS leaders meet him and it was reported that the RSS leaders convinced Mr. Advani to stay on.
Answer: - This is not the subject of RSS. Advani ji told me, during my transit Advani ji met me on 1st of June in Delhi and he told me "I took all the responsibility, I resigned. But then my colleagues from party came to me and asked that, you were prepared to be Prime Minister if we had won then why are you running away from this responsibility? And I found some substance in there argument, then I gave a re-thinking and I withdrew my resignation". That is what he told me. Was it not reported in media? He had said this publicly.
Question: - You are saying that this was Mr. Advani’s own decision ?
Answer: - Yes. Both decisions were his own decisions.
Question: - A bitter criticism of the way the BJP handled the election campaign has come in RSS mouth pieces, and I can even quote for you what was said. It was said that the politics is fought at the grassroots and connect to the people at the grassroots and not in the air-conditioned chat rooms with reference to Advani’s website and internet connect and a sort of urban way of fighting and election. That was the criticism that came in the RSS. Do you stand by that?
Answer: - You see, many persons express their views. Official view of the RSS is put forth by the Sarsanghchalak, Sarkaryavaha, and the six persons nominated to speak with the press. But our Swayamsevaks are free to express their views and there are many types of views which have been put forth. This is one type, there are another types also.
Question: - So what is your explanation?
Answer: - I am not expert of politics. Our Swayamsevaks are there in politics, in BJP. They should think about this and if they find some reality in this criticism they should make amends.
Question: - You are constantly distancing yourself from BJP while there is an open relationship. The link between RSS and BJP is an open fact.
Answer: - Links between RSS and BJP are the Swayamsevaks. BJP has our Swayamsevaks at very high places but as a party BJP is a separate political organization.
Question: - ? Do you see Mr. Advani ji to carry on for five years?
Answer: - They will have to decide it. If they come and ask for our suggestion we will give it to them.
Question: - What was your suggestion?
Answer: - I don’t suggest anything unless I am asked. I will never suggest anything unless asked by them. I have never done it.
Question: - You are the youngest - if I am not mistaken - chief of the RSS since Hedgewar. So are you happy with the situation when the top tier of the BJP’s leadership varying between 70 or 75-85 where as the second tier of the BJP is between 60-70.
Answer: - The BJP has to decide about it. You see it is not the question of what we think. They have to manage their party. It is a universal rule. Young generation must be placed. But when and where that they have to decide. Today you say BJP top hierarchy is like this. But before thirty years, it was a reverse situation. Now that generation, after working for 35 years, has become old. So they will have to think how to bring up the younger generation in the party. The modus operandi, when, where and how, is there decision.
Question: - But the transition is necessary?
Answer: - Not only in BJP, everywhere that transition is necessary. In RSS also after 10-15 years we will have to think.
Question: - Do you think that the transition can wait till the next general election? That is my question.
Answer: - They will have to judge.
Question: - No. But you are of the view that the transition is necessary. For the BJP to go into next general election they would need to transit to younger generation. Do you admit that?
Answer: - Yes, when and how to do it that is their prerogative.
Question: - Have you communicated this to Mr. Advani?
Answer: - We have been saying this since 2003. Whenever they asked us how their party should be. We say you have sufficient young workers. Bring them gradually forward. It was published also.
Question: - Only at the top level of the party or across all levels of the party?
Answer: - Transition is at all levels. See there is average age group at every level, that average age group must be maintained.
Question: - What should that average age be?
Answer: - I don’t know about politics. But in Sangh at my level we say 60; 55-60 should be the average age group.
Question: - So the next leadership of the BJP also in your view, the details can be worked out, the time place when where can be worked out, but there should be an attempt to find the next leadership within 55-60.
Answer: - 55-60 is for Sangh. What age group should be in politics they are the best judge. I do not judge that. I am not a political person.
Question: - But certainly not in the eighties?
Answer: - That also they will have to judge.
Question: - BJP is the party with which, Mr. Bhagwat, you have had long links. You have an association with BJP. The BJP has said it is proud of its association with RSS. You had meetings with the BJP on several occasions. You are involved in politics in an advisory role, may be not a direct role. How do you view what is happening in the BJP of late? I want you to be frank with me. How do you view this factionalism?
Answer: - I have been very frank with you hiding nothing. I think BJP has received a nasty jolt, unexpectedly. So it was a bit destabilized, lost its balance. They will have to regain it. What ever has happened was not very good. And not only am I saying it, in their national executive, ample expression of this have come out. And I know that all the leaders in BJP feel bad about it. They have to get that balance back quickly, and make amends to everything. How it happened, what was the mistake that they will have to give thought in their Chintan Baithak, and they will do it. I am sure.
Question: - So it is time for all this factionalism to stop?
Answer: - It is now too much. Now it must stop immediately.
Question: - Mr. Khanduri went because of this, in Bihar for Shushil Kumar Modi - there was mini rebellion against him. I am sure you know what is happening against Vasundhara Raje Sindia – She is asked to go, she doesn’t go – she parades the party MLA’s, almost parades….. .
Answer: - All that should be……., this is due to the imbalance, lack of procedure. All that all should be restored. And I am sure, because I meet them frequently, during my travel our transition, they expressed their angst about this. So they are keen to restore it but they should do it quickly.
Question: - When you speak about leadership are you speaking about individual leaders or general leaders, BJP top leadership?
Answer: - Top leadership, not particular leaders.
Question: - I am only putting two and two together. The situation can arise, and correct me if I am wrong, out of three situations, either there is nothing like inner party democracy, secondly a weak top leadership – a weak top leader - or thirdly there is a lack of collective leadership at the top and there is factionalism at the top. Possibly it could be all three. But which one do you think is most important.
Answer: - I have not given thought to the internal situation of BJP. That is not my job. I tell them to sit together, hatch the things out and do necessary amends. . ……………. See, their party has a mission. That mission should be kept in view and they should think where we have gone wrong. If they have gone wrong they are the best judge. I don’t know anything about politics. Its actual working in day to day politics, in elections. I don’t know about it.
Question: - I know you will keep saying it. Because you are RSS Sarsanghachalak, you can not say that you are interested in politics in public. I completely appreciate that. But at the same time my direct question to you would be, what do you think of Rajnath Singh’s leadership of the BJP? If you want to compare, you have seen several leaders of the BJP in the past. You have seen the BJP through ups and... highs and lows …and you are fully aware that there has never been a level of open factionalism and squabble as there has been before and after the general election. Should the top leaders not take responsibility?
Answer: - Instead of attributing all this to a particular person, one or the other, general condition of the party should be paid attention to, by all these persons. I do not see it as a result of Rajnathsinghji being there, or Advaniji being there, this man being there, or that man being there. I see it … a general debility has affected the party. They have to restore it.
Question: - There is a level of infighting among top leaders.
Answer: - They will have to resolve that. They have to think about the party. No leader can afford to think about himself only. Because party is supreme.
Question: - You had a meeting with Mr. Advani in August. You have been asked about it and I will ask you again, did you ask Mr. Advani to resign?
Answer: - I have categorically said, I did not ask anything of Mr. Advani on that day. I did not issue any directive on that day. He came to me, he wanted to meet me, I was not in Nagpur on that day. I said I am in transit in Delhi. He said OK. One hour will be sufficient. He came there. It was lunch time so we had lunch and he described all these things. …… the same thing as I have told you. That you consider how this situation came? Because it was a disciplined party, a very good party, party with a difference, you have to restore that difference and for that you have to install the methods. In your Chintan Baithak, all should sit down together and think. Personal considerations must be kept away. That is what I told. He agreed. Actually, he told me initially that “I have been very sad about it, I have been working in Jansangh also, this was not the atmosphere that we saw there”. I told Advaniji you are a very senior, experienced person. So you know what to do about it. Just together, collectively, form some way of bringing that back in party.
Question: - Do you see a role for him in bringing together this change or … What role do you see for Mr. Advani in the BJP? A role of a mentor? As a person who guides the change?
Answer: - He is a very senior person. Well respected person. If he asks something of the workers he should surely be obeyed.
Question: - Mr. Bhagwat there is also a serious speculation and I want to ask you something. The RSS wants to affect changes in the BJP at all levels. The people in the BJP are little worried about it. Some people in the BJP. But that you want to bring in talent at different levels. At the state level, at the district level, at the national level. Some people say it could be something like Kamraj type of overhauling plan? I am asking you this because you have two options, and I fully respect the fact that you are saying that I am not involved in politics but you can influence this party at least, the principal opposition party. What would you see your role in this process in the BJP?
Answer: - We have been asking our Swayamsevaks in BJP 4 -5 things. He should be reasonably sound and articulate about the ideology. Secondly a collective work pattern, team working. Thirdly you should have dialogue with all the... say fellow travelers. There are many well wishers, there are many other organizations where Swayamsevaks are working, there are many others who are not Swayamsevaks but they agree with BJP, they should have a system of continuous dialogue with them, there should not be any disconnect. Fourth, they should be a party with a difference. Actually I will put this on second. And fifth, gradually they should bring the young generation fourth. These are the things which I have been asking of the Swayamsevaks in BJP. BJP as a party has to do it. BJP as a party is not run by RSS. They have to find the way. They have to agree to this or disagree. They are free. But our Swayamsevaks always belong to us. We are telling them this.
Question: - That’s almost like as if the BJP disagrees. I see from what you are saying that the RSS will be more politically involved, or more involved, at least in guiding the BJP. Do you see any resistance from the BJP?
Answer: - No.
Question: - You don’t see it?
Answer: - Until now that has not happened. And I don’t see that it will happen in future also. Because we have very good relations with non- Swayamsevaks also in BJP.
Question: - This is very interesting. Because I do see from what you are saying a greater exercise of influence. Before I wrap up this interview, Mr. Bhagwat let me take the opportunity of asking you a few direct questions today. You know that 55 percent of this country is below the age of 35. And I think a much higher number will be below the age of forty. Do you think this population identifies with what Varun Gandhi said? It is a straight question. The Varun Gandhi kind of speech, is that kind of political speech which young India will associate or identify with strongly in the future?
Answer: - My experience with the young generation, when we go to them with our appeal of Hindutva, patriotism and service is that these have the highest appeal in the young generation now. We get very good response. What Varun Gandhi said I have not examined in details. What actually he intended … 2 or 3 sentences of him were projected. What was the reference, I have not studied. So I don’t know this brand. Those 2 sentences or 3 sentences that were projected, of course, we don’t agree with them. But if there is any Varun Gandhi brand, what is that brand I don’t know. I know the RSS brand and we go to college students with it.
Question: - I said that was my last question, but I have one more question. My last question to you is who is the next BJP president?
Answer: - They will have to decide.
Question: - OK. Let me … I was prepared for that answer. I will follow it with a question. Is the next BJP president limited only to the four? Arun Jaitely, Venkaiyya Naidu, Sushama Swaraj, Narendra Modi? Can there be a fifth, or the sixth or the seventh or the eighth?
Answer: - That also depends on the BJP. If BJP wishes to look beyond these four, I do not think they will lack able persons in party. If they want to choose from these four, then it will be one of them. It depends how they take it.
Question: - If there are so many Swayamsevaks in BJP, is the talent limited to the four?
Answer: - No, no. That is what I am telling you. If they choose to see beyond these four, for some reason if they think these four should be kept in there own places, we want someone else, they don’t have dearth of proper persons.
Question: - You have anyone in mind?
Answer: - I will have to quote 75 to 80! So that will take long time!
Mr. Arnab Goswami :- It has been a pleasure talking to you. You have spoken very frankly and I am glad that you gave us time. Thank you so much.
VSK कशी PRANT