Saturday, February 29, 2020

संयुक्त राष्ट्र ने माना- पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों से की जा रही हिंसा

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ हिंसा की घटनाएँ आम बात हो चुकी हैं. हर दिन उन्हें धार्मिक हिंसा का शिकार होना पड़ता है. पाकिस्तान में इस तरह की घटनाओं को संयुक्त राष्ट्र ने भी स्वीकार किया है. संयुक्त राष्ट्र ने मानवाधिकार के उल्लंघन पर पाकिस्तान को घेरा भी.
जिनेवा में आयोजित मानवाधिकार परिषद की बैठक में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैश्लेट ने कहा कि पाक में धार्मिक अल्पसंख्यकों को लगातार हिंसा का सामना करना पड़ रहा है. उनके धर्मस्थलों पर बार-बार हमले हो रहे हैं. बैश्लेट ने पाकिस्तान सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि ईशनिंदा कानून के प्रावधानों में संशोधन करने में पाकिस्तान सरकार असफल है और सरकार की असफलता का परिणाम धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हिंसा है. 

भारत के बाद विदेश में पहला योग विश्वविद्यालय खोलेगा अमेरिका, इसी वर्ष शुरू होंगी कक्षाएं



देश ही नही अब विदेशों में भी योग के प्रति जागरूकता बढती जा रही है। योग के प्रति लोगों में विशेष रूचि देखने को मिल रहा है। विदेशों में लोग अब योग को स्वीकार करने लगे हैं। योग के प्रति लोगों का झुकाव देखकर अमेरिका में योग की शिक्षा-दीक्षा के लिए योग विश्वविद्यालय की स्थापना की जा रही है। भारत में स्थापित योग विश्वविद्यालय के बाद भारत से बाहर यह पहला विश्वविद्यालय होगा।

नासा के पूर्व वैज्ञानिक नागेंद्र होंगे विश्वविद्यालय के चेयरमैन
वायु नासा के पूर्व वैज्ञानिक नागेंद्र के दिमाग की उपज है जो चार दशक से युग को सामाजिक रूप से प्रासंगिक विज्ञान में बदलने पर काम कर रहे हैं। विश्वविद्यालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि केस वेस्टर्न विश्वविद्यालय के प्रोफेसर श्रीनाथ को इसका अध्यक्ष नामित किया गया है। भारतीय योग गुरु एचआर नागेंद्र इस विश्वविद्यालय के चेयरमैन होंगे। बयान में बताया गया है कि पाठ्यक्रम अगस्त 2020 से शुरू होगा जिसके लिए संस्थापक अध्यक्ष के तौर पर श्रीनाथ के नेतृत्व में योग में मास्टर की डिग्री के लिए अप्रैल 2020 से दाखिले शुरू होंगे।

विदेश में हजारों योग शिक्षकों को मिलेगी सहायता
भारत में 2002 में पहला योग विश्वविद्यालय स्थापित करने के बाद नागेंद्र ने कहा कि उनकी इच्छा योग आधारित उच्च शिक्षा के लिए वैश्विक विश्वविद्यालय बनाने की है। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के एक सदस्य प्रेम भंडारी ने कहा कि विश्वविद्यालय से अमेरिका में हजारों योग शिक्षकों को मदद मिलेगी जिनकी योग शिक्षा 200 या 500 घंटे के सर्टिफिकेट के पाठ्यक्रम तक सीमित है।
भारत के आह्वाहन के बाद पूरे विश्व में योग को खुले दिल से अपनाया है। विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम मनाया जाने लगा है और अब इससे जुड़ी एक और बड़ी खबर सामने आई है। भारत से बाहर दुनिया का पहला योग विश्वविद्यालय अमेरिका में इसी साल से शुरू होगा। परास्नातक और रिसर्च की कक्षाओं के साथ विश्वविद्यालय अपना पाठ्यक्रम शुरू करेगा। जानकारी के अनुसार इस विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए अप्रैल माह से पंजीयन शुरू होंगे। विवेकानंद योग यूनिवर्सिटी को $5000000 के बजट के साथ लास एंजिल्स में स्थापित किया गया है। विश्वविद्यालय ने योग आधारित उच्च शिक्षा मुहैया कराने के लिए नवंबर 2019 में यूरोप और प्राइवेट पोस्ट सेकेंडरी एजुकेशन कैलिफोर्निया से आधिकारिक मान्यता प्राप्त होने के 3 माह में यह घोषणा की है।

Wednesday, February 26, 2020

वीर सावरकर /पुण्य स्मरण - 26 फरवरी

वीर सावरकर दुनिया के अकेले स्वातंत्र्य योद्धा थे जिन्हें दो-दो आजीवन कारावास की सजा मिलीसजा को पूरा किया और फिर से राष्ट्र जीवन में सक्रिय हो गए।

वे विश्व के ऐसे पहले लेखक थे जिनकी कृति 1857 का प्रथम स्वतंत्रता को दो-दो देशों ने प्रकाशन से पहले ही प्रतिबंधित कर दिया।

वीर सावरकर पहले ऐसे भारतीय राजनीतिज्ञ थे जिन्होंने सर्वप्रथम विदेशी वस्त्रों की होली जलाई।

वे पहले स्नातक थे जिनकी स्नातक की उपाधि को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण अँगरेज सरकार ने वापस ले लिया।

वीर सावरकर पहले ऐसे भारतीय विद्यार्थी थे जिन्होंने इंग्लैंड के राजा के प्रति वफादारी की शपथ लेने से मना कर दिया। फलस्वरूप उन्हें वकालत करने से रोक दिया गया।

वीर सावरकर ने राष्ट्र ध्वज तिरंगे के बीच में धर्म चक्र लगाने का सुझाव सर्वप्रथम ‍दिया थाजिसे राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने माना।

उन्होंने ही सबसे पहले पूर्ण स्वतंत्रता को भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का लक्ष्य घोषित किया। वे ऐसे प्रथम राजनैतिक बंदी थे जिन्हें विदेशी (फ्रांस) भूमि पर बंदी बनाने के कारण हेग के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मामला पहुँचा।

वे पहले क्रांतिकारी थे जिन्होंने राष्ट्र के सर्वांगीण विकास का चिंतन किया तथा बंदी जीवन समाप्त होते ही जिन्होंने अस्पृश्यता आदि कुरीतियों के विरुद्ध आंदोलन शुरू किया।

दुनिया के वे ऐसे पहले कवि थे जिन्होंने अंदमान के एकांत कारावास में जेल की दीवारों पर कील और कोयले से कविताएँ लिखीं और फिर उन्हें याद किया। इस प्रकार याद की हुई दस हजार पंक्तियों को उन्होंने जेल से छूटने के बाद पुन: लिखा।

संकलनकर्ता :- नरेंद्र सहगल

रामनगरी में सांप्रदायिक सौहार्द और सद्भाव की होली, मुस्लिम समुदाय के लोग भी जुटें होली की तैयारी में

- फाइल फोटो 
राममंदिर पर निर्णय के पश्चात् पहली होली को लेकर राम भक्तों में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है. इस वर्ष होली पर सांप्रदायिक सौहार्द और सद्भाव का दृश्य भी देश में एकता और अखंडता का संदेश देगा क्योंकि राम मंदिर के न सिर्फ हिन्दू समर्थक बल्कि मुस्लिम समुदाय के लोग भी अयोध्या नगरी में बड़े उत्साह से होली का पर्व मनाने की तयारी में जुटे हैं. 

दो महीने में शुरू हो जायेगा मंदिर निर्माण 
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपालदास महाराज ने कहा कि अगले दो महीने में मंदिर निर्माण कार्य शुरू हो जायेगा. उन्होंने कहा कि ट्रस्ट सरकार से चंदा नहीं लेगा. भक्तो के सहयोग से ही निर्माण कार्य पूरा किया जायेगा. 

Tuesday, February 25, 2020

कोरोना वायरस : चीन ने जताया भारत का आभार, कहा- भारत के साथ मिलकर लड़ेंगे यह लड़ाई

पड़ोसी देश चीन से भारत के सम्बन्ध जैसे भी हो, विपदा की इस घड़ी में भारत ने चीन को  पूर्ण सहयोग का भरोसा देकर दुनिया को फिर एक बार मानवता का पाठ पढ़ाया. 
चीन से बढ़कर विश्वव्यापी संकट बनने की ओर अग्रसर कोरोना वायरस के असर से दुनिया भर के लोग भयभीत है. ऐसे में भारत सरकार की ओर से चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को पत्र लिखकर किसी भी प्रकार की सहायता का भरोसा दिया गया था. प्रधानमंत्री के इस सहयोग पर चीन की सरकार ने आभार व्यक्त किया है.
चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से दिए गये एक वक्तव्य में कहा गया है, ‘भारत की ओर से कोरोना वायरस को लेकर जो समर्थन की बात कही गईउसके लिए हम धन्यवाद करते हैं. हम भारत और दुनिया के सभी देशों के साथ काम करने को तैयार हैंताकि इस वायरस के खिलाफ जंग लड़ सकें’.

संघ का मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म की रक्षा और समाज में समानता है : मोहन भागवत


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्य ध्येय  समाज में समानता और सनातन धर्म की रक्षा  है। इसी कारण सनातन धर्म की रक्षा के लिए काम कर रहे हर संस्थान से संघ का जुड़ाव है। यह विचार देवघर के सत्संग आश्रम में लोगों को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय संवयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने व्यक्त किया। सत्संग आचार्य के आमंत्रण पर सत्संग आश्रम पहुंचे सरसंघचालक जी ने आश्रम के कार्यों की सराहना की। यहां के बाद श्री भागवत देवघर के वैद्यनाथ धाम भी पहुंचे और पूजा-अर्चना की। देवघर में लगभग तीन घंटे समय बिताने के बाद वह दुर्गापुर के लिए रवाना हो गए। 
वैद्यनाथ धाम मंदिर पहुंचने पर पंडा धर्मरक्षिणी सभा के अध्यक्ष प्रो. सुरेश भारद्वाज व महामंत्री काíतकनाथ ठाकुर ने डॉ भागवत को भगवान भोलेनाथ का प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। यहां भोलेनाथ के दर्शन के बाद श्री भागवत 20 मिनट रुके रहे और लोगों का हालचाल लेते रहे।

Monday, February 24, 2020

मणि मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का शुभारंभ

  • धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज की तपोस्थली धर्म संघ में मणि मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन
  • देव विग्रह की स्थापना अथवा महायज्ञ के पूर्व प्रायश्चित करने का शास्त्रों में विधान वर्णित
विश्व भर में सनातन धर्म का पताका फहराने वाले धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज की तपोस्थली धर्म संघ में रविवार को मणि मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का शुभारंभ किया गया। दुर्गा कुंड स्थित धर्मसंघ में मणि मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के पहले दिन वैदिक ऋचाएं गूंजीं। इस महोत्सव में सम्मिलित होने के लिए देश विदेश से श्रद्धालु काशी आ रहे हैं।


महोत्सव का शुभारंभ धर्म संघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रह्मचारी जी महाराज ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। दुर्गाकुंड स्थित धर्म संघ शिक्षा मंडल के प्रांगण में मणि मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के पहले दिन सर्वप्रथम यजमानों को संकल्प कराया गया तत्पश्चात उनका क्षौर कर्म किया गया। यजमानों ने ठाकुर जी का दूध, दही, घी, मधु, गोबर, गोमूत्र, भस्म आदि से दस विधि स्नान कराया। वैदिक आचार्य पं. लक्ष्मीकान्त दीक्षित के आचार्यत्व में शास्त्र सम्मत विधि से विस्तृत कर्मकाण्ड द्वारा प्रायश्चित विधान कराया गया। धर्मसंघ के पं० जगजीत पांडे ने बताया कि देव विग्रह की स्थापना अथवा महायज्ञ के पूर्व प्रायश्चित करने का शास्त्रों में विधान वर्णित है। तत्पश्चात षोडशोपचार विधि से विष्णु पूजन किया गया। प्रायश्चित विधि का समापन शुक्ल यजुर्वेद के मंत्रों द्वारा हवन कराकर किया गया।
सोमवार से आरंभ होने वाले अतिरूद्र महायज्ञ के लिए 33 कुंड बनाए गए हैं जिसमें 200 वैदिक भूदेव 25 लाख वेद मंत्रों से संपूर्ण परिसर को अभिसिंचित करेंगे। दोपहर 2 बजे अरणि मंथन से अग्नि प्रज्वलित कर यज्ञ कुंड में आहुतियां प्रारंभ हो जाएंगी।

प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के दूसरे दिन विविध आयोजन होंगे जिसमें सायंकाल 4:00 बजे से धर्म संघ में जगद्गुरु रामानंदाचार्य विद्या भास्कर जी महाराज का प्रवचन और श्रद्धालुओं द्वारा संकीर्तन होगा।

पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर – भूल और सुधार

प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव का कार्यकाल जम्मू और कश्मीर के लिए अनेक उतार-चढ़ावों वाला था. एक तरफ कश्मीर घाटी से हिन्दुओं का नरसंहार और निष्कासन लगातार जारी था. वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) में भारत के खिलाफ आतंकवादियों के प्रशिक्षण की शुरुआत हो चुकी थी. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पाकिस्तान की भाषा को समर्थन मिलने लगा था. साल 1993 में अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट में उप-सहायक सचिव (दक्षिण एशिया) जॉन मैलोट भारत के दौरे पर थे. उन्होंने कश्मीर में भारतीय सेना पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का झूठा आरोप लगा दिया.
यह सोची-समझी साजिशें थी, जिनकी भूमिका पाकिस्तान के तत्कालीन दो प्रधानमंत्रियों ने लिखी थी. साल 1990 में बेनजीर भुट्टो और फिर 1991-93 के बीच नवाज शरीफ ने पीओजेके के लगातार कई दौरे किये. भुट्टो ने 13 मार्च, 1990 में मुज़फ्फराबाद की एक सभा में भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों का सार्वजनिक समर्थन किया. शरीफ भी पीछे नहीं थे और पीओजेके से कश्मीर बनेगा पाकिस्तानजैसे युद्धक नारे लगाने शुरू कर दिए.
अब इस मामले पर तुरंत प्रभावी कार्यवाही की जरुरत थी. इसलिए भाजपा ने प्रमुख विपक्षी दल के नाते केंद्र सरकार पर दबाव बनाना शुरु कर दिया. इसमें कोई दोराय नहीं है कि प्रधानमंत्री राव एक सुलझे हुए व्यक्ति थे. उन्होंने भी समस्या की गंभीरता को समझा और पहला कदम 22 फरवरी, 1994 उठाया. उस दिन संसद ने पीओजेके पर एक संकल्प पारित किया था. लोकसभा के अध्यक्ष शिवराज पाटिल और राज्यसभा के सभापति के. आर. नारायणन (भारत के उपराष्ट्रपति) ने जम्मू-कश्मीर राज्य सम्बन्धी इस प्रस्ताव को दोनों सदनों के समक्ष रखा. जिसमें सर्वसम्मति से जोर दिया गया कि पाकिस्तान को जम्मू-कश्मीर के कब्जे वाले इलाकों को खाली कराना होगा.
लगभग साल बाद केंद्र सरकार ने पीओजेके को लेकर दूसरा कदम उठाया. साल 1995 में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (जम्मू सहित) और उत्तरी इलाकों (गिलगित-बाल्टिस्तान) पर विदेश मंत्रालय की स्टैंडिंग कमेटी ने संसद में एक रिपोर्ट पेश की. भाजपा के अटल बिहारी वाजपेयी इसकी अध्यक्षता कर रहे थे. इस सर्वदलीय कमेटी में लोकसभा और राज्यसभा से 45 सदस्यों को शामिल किया गया था, जिन्होंने दोहराया कि पूरा जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है. साथ ही कमेटी ने सुझाव दिया कि पीओजेके और गिलगित-बाल्टिस्तान में मानवाधिकारों के हनन पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष आवाज़ उठाई जानी चाहिए.
यह दोनों अभूतपूर्व कदम थे, जो सालों पहले ही उठा लिए जाने चाहिए थे. दरअसल पिछले तीन दशकों से यह मुद्दा केंद्र सरकारों की प्राथमिकता में शामिल नहीं था. इस बीच पाकिस्तान ने मनगढ़ंत कहानियां बनानी शुरू कर दीं. इसके जिम्मेदार पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे. इस दास्तां की शुरुआत 30 अप्रैल, 1962 को होती है. राज्यसभा में अटल बिहारी वाजपेयी (उन दिनों जनसंघ) ने पीओजेके पर प्रधानमंत्री से जवाब मांगा. हालांकि, जवाब विदेश राज्य मंत्री लक्ष्मी मेनन ने दिया. वाजपेयी ने फिर से प्रधानमंत्री की तरफ इशारा किया और तब प्रधानमंत्री नेहरू खड़े हुए. आखिरकार, उन्होंने पाकिस्तान के साथ बातचीत करने की बात कहकर मुद्दे को टाल दिया.
जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान के साथ बातचीत की प्रक्रिया ने भारतीय हितों को नुकसान पहुंचाया है. जबकि जम्मू-कश्मीर भारत का एक आंतरिक मामला है, जिस पर भारत की संसद ही फैसला कर सकती है. प्रधानमंत्री नेहरू अपनी बातचीतकी नीति पर काबिज रहे और साल 1964 में शेख अब्दुल्ला को पाकिस्तान भेजा. उनकी मुलाकात पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान से हुई. इस पूरे दौरे में उनेक साथ गुलाम अब्बास भी मौजूद थे. अब्बास को ही पाकिस्तान ने आजाद कश्मीर सरकारका मुखिया घोषित किया था. इन बातचीतों का कोई ठोस फायदा हुआ नहीं और होना भी नहीं था. इसी बीच प्रधानमंत्री नेहरू का निधन हो गया और शेख दिल्ली लौट आए.
यही एक बातचीतअसफल नहीं हुई, इसके बाद कई दौर की मुलाकातें भी बेनतीजा रहीं. फिर भी अगली सरकारों ने इस टालमटोल को जारी रखा. इसका एक उदाहरण प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय विदेश राज्य मंत्री बी. आर. भगत ने पेश किया. साल 1968 में जनसंघ के राज्यसभा सदस्य निरंजन वर्मा (मध्य प्रदेश) ने प्रधानमंत्री से सवाल किया, “जम्मू तथा कश्मीर के जिस भाग पर पाकिस्तान ने बलात कब्जा कर लिया था और जिसे पाकिस्तान सरकार ने आजाद कश्मीर की संज्ञा दी थी, उस भाग को वापस लेने के लिए भारत सरकार ने अब तक क्या कार्यवाही की है?” भगत ने जवाब दिया, “सरकार को उससे अधिक और कुछ नहीं कहना है जो स्वर्गीय प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने राज्य सभा में 30 अप्रैल, 1962 को अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा पूछे गए प्रश्न संख्या 129 के पूरक प्रश्नों के दौरान कहा था.
हालांकि, इस दौर में एक बार ऐसा मौका आया जब महसूस किया गया कि भारत ने पीओजेके के मुद्दे पर प्रभावी तरीके से अपनी बात रखी है. यह बात 1975 की है, जब शेख अब्दुल्ला श्रीनगर के लालचौक पर एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे. चमत्कारिक तौर पर उनके भाषण का केंद्र बिंदु पीओजेके था. आमतौर पर शेख की नीतियों में कोई प्रभाव नज़र नहीं आता है और हमेशा वे पीओजेके पर बात करने से बचते रहे. इस बार उनका यह भाषण मात्र एक कारण से महत्वपूर्ण बन गया, क्योंकि 28 सालों (1947 से) बाद उन्होंने पहली बार सार्वजानिक मंच से पीओजेके पर चर्चा की थी.
शुरुआत से ही अगर भारत सरकार ने पीओजेके पर गंभीरता से रुख किया होता, तो आज इतिहास कुछ अलग ही होता. जिस दिन कश्मीर रियासत का भारत के साथ अधिमिलन हुआ, उसी दिन महात्मा गाँधी ने पीओजेके पर एक बात कही, वह इस प्रकार थी, “जो कुछ भी कश्मीर में हो रहा है, मुझे उसकी जानकारी है. पाकिस्तान कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने का दबाव बना रहा है. ऐसा नहीं होना चाहिए. किसी से जबरदस्ती कुछ भी लेना संभव नहीं है.यह उन्होंने तब कहा, जब पाकिस्तान की सेना जम्मू-कश्मीर पर हमला कर चुकी थी. गांधी जी ने आगे कहा, “लोगों पर हमला नहीं किया जा सकता और उनके गांवों को जलाकर उन्हें विवश नहीं किया जा सकता. अगर कश्मीर के लोग, चाहे वे मुस्लिम बहुसंख्यक ही क्यों न हों, अगर भारत के साथ अधिमिलन चाहते हैं तो कोई उन्हें नहीं रोक सकता.
महात्मा गांधी की सलाह को प्रधानमंत्री नेहरू ने अनदेखा किया. शेख ने भी अपनी बात रखने में बहुत वक्त लगा दिया. वास्तव में तो प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से पहले ही पीओजेके को वापस लेने के लिए भारत सरकार को अपनी नीतियां स्पष्ट कर देनी थीं. हालांकि कुछ भरपाई प्रधानमंत्री नरसिम्हा ने की, लेकिन अभी बहुत कुछ होना बाकी है. अंत में, हमें महात्मा गांधी द्वारा एक प्रार्थना सभा में दिया गया कथन हमेशा याद रखना चाहिए. उन्होंने 16 जुलाई, 1947 को कहा था कि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी के मध्य रहने वाले सभी भारतीय नागरिक हैं.
- देवेश खंडेलवाल

जम्मू कश्मीर – वर्षों बाद शिवरात्रि पर जगमगाया श्रीनगर का शंकराचार्य शिव मंदिर

जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35ए हटने के बाद से ही वहां बदलावों का क्रम जारी है. जहां आए दिन आतंक के भय में लोगों का जीना दुश्वार था. वहीं अब स्थानीय लोगों को रोजगार, व्यापार और बच्चों को पढ़ने की पूरी आजादी मिल गई है. साथ ही घाटी में एक बड़ा परिवर्तन हुआ है. जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में डल झील के किनारे स्थित प्राचीन शंकराचार्य शिव मंदिर में महाशिवरात्रि के दिन वर्षों बाद भक्तों की भीड़ देखने को मिली. बड़ी संख्या में श्रद्धालु शिव मंदिर पहुंचकर भगवान महादेव के दर्शन किए. पूरा मंदिर फूलों और लाइटों से सजाया गया था. मंदिर में भगवान शिव का महाअभिषेक हुआ.
जम्मू कश्मीर पहुंचे पर्यटकों ने भी शिवरात्रि के अवसर पर भगवान शिव के दर्शन किए. आस-पास के इलाक़ों में तैनात सशस्त्र बलों के जवानों ने भी देवाधिदेव भगवान महादेव के मंदिर में जाकर उनका आशीर्वाद लिया. मंदिर के मुख्य पुजारी राकेश भान शास्त्री ने बताया कि शिवरात्रि के दिन सुबह से ही पूजा-पाठ शुरू हो जाता है. इसलिए खास तरह के पूजा का आयोजन किया गया है. पूजा के बाद महादेव से जम्मू कश्मीर में शांति बहाली के लिए प्रार्थना भी की गई.

Saturday, February 22, 2020

संघ का कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है- मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि संघ का कोई राजनीति एजेंडा नहीं है। पांच दिवसीय बैठक में रांची  पहुंचे  सरसंघचालक जी ने कहा कि यह संगठन सत्य पर आधारित है। समय-समय पर समाज के मुद्दों को संघ उठाता रहता है। जरूरत होने पर उसकी व्याख्या की जाती है। संघ के स्वयंसेवक सरकार में हैं। वे अपना निर्णय स्वयं लेते हैं। संघ का संस्कार है इसलिए निर्णय अच्छा लेते हैं। नई शिक्षा नीति के सवाल पर पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि यह जल्द आनी चाहिए। आने के बाद देखेंगे कि उसमें क्या है। कमी होने पर सरकार को सुझाव देंगे।

काशी का जल संचय माॅडल अब पूरे प्रदेश में होगा लागू


काशी का जल संचय माॅडल अब पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। इस माॅडल के अन्तर्गत सरकारी हैण्डपम्प के पास ड्रम आधारित माॅडल पर सोक पिट्स का निर्माण, मनरेगा योजना के अन्तर्गत व्यक्तिगत लाभार्थियों के तालाबों का निर्माण, नदियों की सफाई व पुनरुद्धार के साथ कम पानी वाली फसलों को प्रोत्साहन, घरों की छत पर जल एकत्रीकरण जैसे कार्य किये जाएंगे।
प्रशासन द्वारा वाराणसी में ‘‘संचय जल-बेहतर कल’’ अभियान चलाया गया था। जिसके अच्छे परिणाम सामने आए। वाराणसी में अभियान के दौरान शहरी क्षेत्र के 130 सरकारी भवनों, जिले के 1368 प्राथमिक विद्यालयों, आठ ब्लाक, तीन तहसील व 30 पुलिस स्टेशनों पर रेनवाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की गई। हैण्डपम्प, बोरवेल, ट्यूबवेल व घरों के पास ‘ड्रम आधारित माॅडल’ पर सोक पिट का निर्माण कराया गया। यह प्रयोग जल स्तर बढ़ाने का बड़ा माध्यम बना।

किसी भी राष्ट्र की नियति उस राष्ट्र के जनसंख्या चरित्र पर निर्भर करती है – अरुण कुमार

  • सीमावार्ती प्रदेशों में घुसपैठ जनसंख्या असंतुलन का सबसे बड़ा कारण
  • हिन्दू सर्व कल्याण (सर्वे भवन्तु सुखिनः) की भावना रखता है

संस्कृति संवर्धन न्यास, इंदौर द्वारा जनसंख्या असंतुलन की चुनौतियां एवं हमारी भूमिकाविषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार का उद्बोधन रहा.
उन्होंने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण की आवश्यकता हेतु सन् 1952 से विचार शुरू हो गया था. सन् 1951 से 2011 के मध्य देखते हैं तो जहां भारत उद्भव मत-पंथ सन् 1951 में 87.09% थे, सन् 2011 में 82.6 रह गए; और 1951 में मुस्लिम 10.45% थे, वो 2011 में बढ़कर 14.23% हो गए. देश में 25 राज्य ऐसे हैं, जहां औसत गति से ज्यादा मुस्लिम एवं ईसाई बढ़ रहे हैं. जहां 30 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम हैं, वहां बहुत तेज गति से परिवर्तन होना शुरू हो जाते हैं.
उन्होंने कहा कि सीमावार्ती प्रदेशों में घुसपैठ जनसंख्या असंतुलन का सबसे बड़ा कारण है, जिसका जीवंत उदाहरण असम व बंगाल हैं. जनसंख्या परिवर्तन के तीन बड़े कारण हैं जन्म दर में अंतर, घुसपैठ और मतांतरण. अरुण कुमार ने कहा कि समाज में जनसंख्या चुनौती के विषय को लेकर बड़े स्तर पर चर्चा की आवश्यकता है. संसार में जहां-जहां संघर्ष चल रहा है, वहां जनसंख्या असंतुलन ही मुख्य कारण है. सन् 2001 के बाद तीन देशों का जन्म हुआ, जिसका मुख्य कारण जनसंख्या के चरित्र में परिवर्तन होना है.
उन्होंने कहा कि इस पृथ्वी पर सभी किसी न किसी निमित्त आए हैं. भारत देश का जन्म भी पूरे विश्व का मार्गदर्शन करने के लिए हुआ है. अगर हिन्दुओं की संख्या कम हुई तो न भारत रहेगा, न विश्व. क्योंकि हिन्दू सर्व कल्याण (सर्वे भवन्तु सुखिनः) की भावना रखता है. देश में जो भी बड़ा बदलाव करना है, उसके लिए लगातार प्रयास किये जाने चाहिएं, तभी परिणाम आते हैं. अनुच्छेद 370 हटना, श्रीराम मंदिर मामले में सकारात्मक निर्णय आना, इसी का परिणाम है.
कार्यक्रम में शहर के गणमान्य नागरिक व बुद्धिजीवी उपस्थित रहे. कार्यक्रम की प्रस्तावना व भूमिका किशोर जी चौकसे ने रखी. संस्कृति संवर्धन न्यास का परिचय संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक जी बडजात्या ने करवाया. कार्यक्रम में मंच संचालन कमल जी तिवारी ने कियाआभार दिनेश जी साहू ने व्यक्त किया.

Friday, February 21, 2020

पहली बार काशी में महाशिवरात्रि महोत्सव


बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में पहली बार महाशिवरात्रि महोत्सव मनाया जा रहा है. महोत्सव का आयोजन राजघाट पर किया गया है. तीन दिवसीय इस महोत्सव का शुभारम्भ वृहस्पतिवार को किया गया.
 
काशी में महाशिवरात्रि का पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. शहर में विभिन्न स्थानों पर शिव बारात निकाली जाती है. स्थानीय लोग अपने स्तर से कार्यक्रम भी आयोजित करते हैं. लेकिन यह पहली बार है कि इस वर्ष महाशिवरात्री पर्व पर महोत्सव का आयोजन सरकारी बजट से किया गया है.

विभिन्न कार्यक्रम एवं प्रतियोगिताएँ भी आयोजित
२० से २२ फरवरी तक होने वाले इस महोत्सव में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ प्रतियोगितओं का भी आयोजन किया गया है. २० और २१ फरवरी को सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन है एवं २२ फरवरी को नौका प्रतियोगिता आयोजित है.

नूर फातिमा करती हैं शिव का जलाभिषेक

नूर फातिमा के घर में बना  भगवान शिव का मंदिर  

कबीर, रैदास और तुलसी की नगरी में शिव और अल्लाह की साथ-साथ आराधना की जाती है। शिव की नगरी काशी को गंगा जमुनी तहजीब का शहर कहा जाता है। आज चर्चा हो रही है डीरेका के गणेशपुर की रहने वाली नूर फातिमा की, जो नमाज के साथ ही भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करना अपने जीवन का हिस्सा मानती हैं। नूर फातिमा हर दिन शिव के धाम में शीश नवाती हैं और प्रत्येक दिन वह अल्लाह को भी याद करती हैं। 

फातिमा के अनुसार कण-कण में ईश्वर हैं 
फैजाबाद (अयोध्‍या) जिले में जन्मीं नूर फातिमा ने बनारस में खुद के प्रयास से शिवमंदिर बनवाया है।महाशिवरात्रि पर्व भी उनके लिए बहुत महत्व रखता है। उनका मानना है कि काशी में शिव है तो कण-कण में ईश्वर है। नूर फातिमा के घर में मन्दिर काॅलोनी के लोगों के लिए आस्था का केन्द्र है। नूर फातिमा व्यावसायिक रूप से अधिवक्ता हैं।
  
सपने में आते थे मंदिर 
उन दिनों गुजरात के भुज में भूकंप आया था। वहां सब तबाह हो गया था। मेरे दिमाग में आया काशी शिव के त्रिशूल पर टिकी है यहां का विनाश नहीं हो सकता इसलिए पति से कहा हम यहीं घर बनवाकर रहेंगे। गणेशपुर कालोनी में जमीन ली और घर बनवाया। वर्ष 2003 में घर बन गया। उस वक्त मुझे सपने में अक्सर सफेद रंग का मंदिर दिखाई देता जहां मैं पूजा करती थी। मेरे मन में विचार आया कि गणेशपुर में शिव मंदिर बनाया जाए तो इस पर काॅलोनी वासियों ने भी सहमति जताई। ईश्वर की कृपा से दो बेटीयां हैं। एक इंजीनियर और दूसरी बड़ी कम्पनी में मैनेजर है।

मातृभाषा को रोजगार के साथ जोड़ें - उपराष्ट्रपति


देश के उपराष्ट्रपति एम. वकैया नायडू ने कहा कि मातृभाषा को रोजगार के साथ जोड़ना होगा, तभी लोग उसे अपनाएंगे. लोग अपनी मातृभाषा का प्रयोग करना चाहते है लेकिन उसमे रोजगार न होने की वजह से उन्हें विदेशी भाषा का सहारा लेना पड़ता है. गुरूवार को मानव विकास मंत्रालय की ओर से अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर आयोजित एक समारोह में यह बात कही.
उन्होंने कहा कि दुनिया भर में कम से कम ४० फीसदी आबादी को उस भाषा में शिक्षा नहीं मिलती, जिसे वह बोलते या समझाते हैं. भारतीय भाषाएँ जनता को करीब ला सकती हैं. किसी भी देश के सांस्कृतिक जीवन को आकर उस देश की मातृभाषा ही देती है. यह एक अदृश्य अहम डोर है जो अतीत को वर्तमान से जोडती है.

प्रपंची मीडिया गिरोह ने संघ प्रमुख के बयान को फिर अपनी सुविधा अनुसार तोड़ा मरोड़ा…..!

टीआरपी के लिए या कहें कि अपना एजेंडा सेट करने के लिए मीडिया किस तरह तथ्यों को तोड़ मरोड़कर प्रस्तुत करता हैइसका उदाहरण आज फिर देखने को मिला. रांची में आयोजित कार्यक्रम में संघ प्रमुख के कथन को लेकर मीडिया ने यही किया. सरसंघचालक मोहन भागवत ने राष्ट्रवाद (Nationalism) शब्द को लेकर इंग्लैंड में कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत का उद्धरण दिया था. लेकिन मीडिया ने कथन को अपनी सुविधा के अनुसार प्रस्तुत किया. जैसे सरसंघचालक स्वयंसेवकों को सचेत कर रहे हों. प्रपंच खड़ा करने वाले मीडिया गिरोह के प्रमुख NDTV, सहित अन्य ने भी मोहन भागवत के कथन के एक हिस्से को ही बताया………
एनडीटीवी ने अंग्रेजी समाचार में हेडलाइन दिया….. Avoid “Nationalism” Word, It Implies Nazism, Says RSS Chief, जबकि हिन्दी शीर्षक दिया…..RSS चीफ मोहन भागवत बोले- राष्ट्रवाद’ का मतलब हिटलर और नाजीवाद होता हैइसका इस्तेमाल न करो
हिन्दुस्तान टाइम्स ने शीर्षक दिया Avoid using word ‘nationalism’, as it may mean Hitler, Nazism, says RSS chief Mohan Bhagwat
आजतक ने शीर्षक दिया…… मोहन भागवत बोले – ‘राष्ट्रवाद’ शब्द में हिटलर की झलकहिंदुत्व एजेंडे पर काम करेगा RSS
इस दौड़ में अन्य भी भागने लगे. जबकि संघ प्रमुख ने कहीं हिटलर का नाम लिया ही नहीं था. उन्होंने तो केवल अपने प्रवास के दौरान कार्यकर्ताओं से हुई चर्चा के बारे में बताया था. आज प्रातः रांची महानगर में स्वयंसेवकों के एकत्रीकरण को मोहन भागवत ने संबोधित किया. उन्होंने बताया कि कैसे बातचीत के दौरान भाषा में शब्दों के अर्थ भिन्न हो जाते हैं. उन्होंने जो कहावो शब्दशः ……..
भारत का भी यह स्वभाव रहा है कि भारत अपने लिए बड़ा नहीं बनता है. दुनिया में कई देश बड़े बने और पतित हो गए. आज भी बड़े देश हैंजिनको आज महाशक्ति कहते हैं. लेकिन हम देखते हैं तो ये देश महाशक्ति बनकर करते क्या हैंतो सारी दुनिया पर प्रभुत्व संपादन करते हैंसारी दुनिया पर अपना शासन करते हैंसारी दुनिया के साधनों का अपने लिए उपयोग करते हैंसारी दुनिया पर राजनीतिक सत्ता अपनी चलेप्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से ऐसा प्रयास करते हैंसारी दुनिया पर अपना ही रंग चढ़ाने का प्रयास करते हैंये सब चलता आया है और चल रहा है. और इसलिए दुनिया में एक बहुत बड़े भूभाग में विद्वान ऐसा सोचते हैं कि राष्ट्र का बड़ा होना दुनिया के लिए खतरनाक बात है. नेशनलिज्मइस शब्द का आज दुनिया में अच्छा अर्थ नहीं है. कुछ वर्ष पूर्व संघ की योजना से यूके जाना हुआ तो वहां बुद्धिजीवियों से बात होनी थी. 40-50 चयनित लोगों से संघ के बारे में चर्चा होनी थी. तो वहां के अपने कार्यकर्ता ने कहा कि शब्दों के अर्थों के बारे में सावधान रहिएअंग्रेजी आप की भाषा नहीं है और आपने अंग्रेजी में पुस्तक पढ़ी है उसके हिसाब से बोलेंगे. परन्तु यहां बातचीत में शब्दों के अर्थ भिन्न हो जाते हैं. इसलिए आप नेशनलिज्म शब्द का उपयोग मत कीजिए. आप नेशन कहेंगे चलेगानेशनल कहेंगे चलेगानेशनलिटी कहेंगे चलेगापर नेशनलिजम मत कहो. क्योंकि नेशनल्जिम का मतलब होता है हिटलरनाजीवादफासीवाद. अब ऐसे ही यह शब्द वहां बदनाम हुआ है. लेकिन हम जानते हैं कि एक राष्ट्र के नाते भारत जब-जब बड़ा हुआतब-तब दुनिया का भला ही हुआ है. अभी गीत आपने सुना 
विश्व का हर देश जबदिग्भ्रमित हो लड़खड़ाया
सत्य की पहचान करनेइस धरा के पास आया
भूमि यह हर दलित को पुचकारती,
हर पतित को उद्धारतीधन्य देश महान.



ऐसा हमारा धन्य महान देश भारत है. यह इसका स्वभाव है. और आज की दुनिया को भारत की आवश्यकता है.