Thursday, May 22, 2025

आपरेशन सिन्दूर : काशी में शक्ति के सम्मान में उतरीं मातृशक्ति, गौरव यात्रा में गूंजा भारत माता की जय

 - मातृशक्तियों ने एक स्वर में कहा कि सिंदूर का अर्थ अब सिर्फ श्रृंगार नहीं, ये भारत की सुरक्षा का पहचान है

काशी। आपरेशन सिन्दूर देश के दुश्मनों के लिए एक संदेश सिद्ध हुआ। आतंकिस्तान के साथ पाकिस्तान को भी हिला कर रख देने वाला भारतीय सेना का यह मिशन भारत की शक्ति को पुनः स्थापित किया। भारत में बेटियों को शक्ति का रूप माना गया है और इस मिशन में भारतीय सेना का नेतृत्व कर रही दो बेटियों ने बता दिया कि सिन्दूर की ओर आंख उठाने का परिणाम क्या होगा। आपरेशन सिन्दूर के बाद देश भर में हर्ष का माहौल है। इसी क्रम में बुधवार को वाराणसी में भी मातृशक्तियों ने भारतीय मातृशक्ति गौरव समिति, काशी द्वारा आयोजित विशाल गौरव यात्रा निकालकर भारत की सैन्य शक्ति का सम्मान किया है। सीमा पर युद्ध में वीरगति को प्राप्त भारत माता के बलिदानी वीर सपूतों को श्रद्धांजलि दी है। सिगरा नगर निगम स्थित शहीद उद्यान से निकली इस यात्रा में हजारों की संख्या में उपस्थित मातृशक्ति ने गगनभेदी उद्घोष  से भारत की तरफ आंख उठाने वालों को सन्देश दिया कि सेना के साथ हम भी डटे हैं। मातृशक्तियों ने एक स्वर में कहा कि सिंदूर का अर्थ अब सिर्फ श्रृंगार नहीं, ये भारत की सुरक्षा की पहचान है। इसी के साथ वन्देमातरम और भारत माता की जय के उद्घोष महानगर गुंजायमान होता रहा। यह यात्रा अपने विश्राम स्थल भारत माता मन्दिर पहुंची। मन्दिर परिसर में उपस्थितजनों को सम्बोधित करते हुए मुख्य वक्ता एन.सी.सी. बीएचयू की सीनियर गर्ल्स कैडेट श्रुति श्रीवास्तव ने कहा कि आपरेशन सिन्दूर से हमारी सेना ने बता दिया कि हम शान्ति चाहते है, किन्तु अगर कोई युद्ध थोपेगा तो विजय हम ही लिखेंगे। उन्होंने कहा कि आज का दिन मात्र एक आयोजन नहीं, गौरव का उत्सव है। बलिदानियों के बलिदान का प्रणाम करने का संकल्प है, और भारत माता के प्रति अपनी निष्ठा को दोहराने का अवसर है। इसके पूर्व मन्दिर परिसर में भारत माता की प्रतिमूर्ति बालिका का माल्यार्पण किया गया। दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। विषय प्रस्तावना सह संयोजिका प्रो0 अमिता सिंह ने किया। अतिथि परिचय एवं धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम संयोजिका प्रो0 मंजू द्विवेदी एवं संचालन डॉ.शिप्राधर व सीए जमुना शुक्ला ने किया। इस अवसर पर डॉ.आनन्द प्रभा, डॉ.रंजना श्रीवास्तव, प्रो0 भावना, डॉ.रूचि, गूंजन नन्दा, सीमा तिवारी ने अपने महत्वपूर्ण योगदान से कार्यक्रम को सफल बनाया।

भारत माता एवं अहिल्याबाई की झांकी से यात्रा का नेतृत्व

यात्रा का नेतृत्व भारत माता एवं देवी अहिल्याबाई की झांकी से किया गया। देवी अहिल्या के नौ रूपों में शिवलिंग लेकर आयी बालिकाओं ने भारत की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और प्राचीन नारीशक्ति से परिचित कराया, जिसका संयोजन डॉ.शिप्राधर ने किया। देवी अहिल्याबाई श्रीकाशी विश्वनाथ की अनन्य भक्त रहीं। यह झांकी लोगों में आकर्षण का केन्द्र रही।









Thursday, May 1, 2025

विश्व में अपनेपन के भाव से ही शांति आएगी – डॉ. मोहन भागवत जी

काशी के खोजवां क्षेत्र में शंकुलधारा पोखरे पर बुधवार को आयोजित अक्षय कन्यादान महोत्सव की पावन बेला पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी उपस्थित रहे। समारोह में कुल 125 कन्याओं का विवाह संपन्न हुआ। सरसंघचालक जी ने सोनभद्र के रेणूकूट की जनजाति समाज की बेटी राजवंती का कन्यादान किया, उसके वर अमन के पांव पखारे। सरसंघचालक जी ने परिणय सूत्र में बंधने पर सभी दंपत्तियों को शुभाशीर्वाद दिया।

सरसंघचालक जी ने कहा कि विश्व में अपनेपन से शांति लाई जा सकती है। जिसने भी विश्व को अपना कुटुंब माना, उसके सामने सब झुक जाते हैं। जैसे ठोस मकान के निर्माण में पक्की ईंट की भूमिका होती है। उसी तरह कुटुंब संस्कारों से पक्का होता है। प्रत्येक समाज की ईंट परिवार होता है और यह परिवार संस्कारों से, अपनेपन से पक्का होता है। संस्कारित व्यक्ति, समाज और देश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अच्छे मनुष्य का प्रशिक्षण कुटुंब में ही होता है। जो समाज का अविभाज्य अंग होता है। कई बार अपनों के लिए हमें त्याग करना पड़ता है, जो संस्कार से आता है। यह अपनेपन को और मजबूती देता है। इसी अपनेपन से विश्व में शांति आएगी। यह स्वभाव हम सभी को अपने में विकसित करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि विवाह के बाद दूसरे घर से आई कन्या को हम अपनेपन के कारण ही परिवार का सदस्य बना पाते हैं। अपनेपन की ऐसी रीति है कि वह सतत बढ़ता है। भारतीय समाज का यही अपनापन जब एक व्यक्ति में उत्पन्न होता है, तो वह सारी दुनिया को अपना परिवार मानता है। भारत का संस्कार इस प्रकार का है कि अपनों के लिए कार्य करने की हमारी पुरानी परंपरा है और यही संस्कार देश का उद्धार करने वाला होगा, यही संस्कार संपूर्ण विश्व में शांति की स्थापना करेगा।

अक्षय कन्यादान महोत्सव आयोजक एवं संघ के क्षेत्र कार्यवाह वीरेंद्र जायसवाल जी को शुभकामनाएं देते हुए इस कार्यक्रम को आगे भी जारी रखने का संकल्प दिलाया।

यह विवाह कार्यक्रम उपकार की भावना से आयोजित नहीं हुआ है, बल्कि इसके पीछे अपनत्व का भाव कार्य कर रहा है। विवाह से कुटुंब, कुटुंब से समाज और उससे देश का निर्माण होता है। भारतीय समाज में कुटुंब अपनेपन के कारण स्थायी रहता है। उन्होंने दो महत्वपूर्ण बिंदुओं को लेकर आग्रह किया, प्रथम आज जिन-जिन यजमानों ने कन्यादान किया है, वह सभी उन परिवारों से वर्ष में कम से कम एक बार मिलने जाएंगे। दूसरा सामूहिक विवाह जैसे संस्कारित कार्यक्रम समाज में प्रतिवर्ष आयोजित होने चाहिए क्योंकि ऐसे ही संस्कार युक्त कार्यक्रम मर्यादा की सीमा से बाहर आकर स्वभाव में आते हैं। सामूहिक विवाह का प्रतिवर्ष आयोजन समाज में अपनेपन की भावना में वृद्धि करेगा।