Sunday, February 28, 2010


संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता श्रीपति शास्त्री का ह्दयाघात से निधन

पुणे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता, पूर्व अखिल भारतीय सह बौद्धिक प्रमुख प्रो. श्रीपति शास्त्री का आज पुणे में ह्दयाघात के कारण निधन हो गया। वे 74 वर्ष के थे।
उनका अंतिम संस्कार पुणे स्थित वैकुंठ धाम में प्रातः 11 बजे होगा। शास्त्रीजी पिछले कुछ समय से मधुमेह से पीड़ित थे और हाल ही में बंगलुरू में चिकित्सा के बाद पुणे वापस लौटे थे। यहां शनिवार दोपहर उन्हें ह्दयाघात हुआ, इसके पहले कि वह अस्पताल पहुंच पाते, उनके शरीर ने जीवन का साथ छोड़ दिया।
मूलतः मैसूर के पास के एक गांव के रहने वाले श्रीपति शास्त्री अंग्रेजी और इतिहास विषय के जाने-माने विद्वान थे। उन्होंने अपनी परास्नातक तक की शिक्षा अंग्रेजी विषय में प्राप्त की लेकिन आगे चलकर वह स्वरुचि से इतिहास विषय की ओर प्रवृत्त हुए और उन्होंने इसमें अद्भुत विशेषज्ञता प्राप्त की। उन्होंने आगे चलकर इतिहास में डॉक्टेरट उपाधि प्राप्त की और अध्यापन जगत में प्रवेश किया। अनेक महाविद्यालयों में पठन-पाठने करते हुए कालांतर में वह पुणे विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में प्रोफेसर नियुक्त हुए।
हिंदी, मराठी, अंग्रेजी, कन्नड़, तमिल आदि अनेक भाषाओं के जानकार श्रीपति शास्त्री इतिहास समेत धर्म और दर्शन के गूढ़ रहस्यों को भी अत्यंत रोचक ढंग से व्याख्यायित करने में सिद्ध थे। उनका वक्तृत्व इतना प्रभावी और तर्कपूर्ण होता था कि पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई भी उनकी वक्तृत्वकला और विद्वत्ता के मुरीद बन गए। एक बार उन्होंने भाजपा सांसदों के मध्य उन्हें वक्तृत्व के लिए आमंत्रित भी किया। भारतीय इतिहास और राजनीति पर पूरी रोचकता के साथ घंटों बोलने में समर्थ विद्वान के रूप में वह सर्वत्र लोकप्रिय थे। विशेषकर देश के विभाजन के मार्मिक अध्याय पर उनका सारगर्भित, धाराप्रवाह विश्लेषण सहज ही श्रोताओं को उन्हें सुनते रहने के लिए बाध्य कर देता था।
श्रीपति शास्त्री को देशाटन के साथ प्रांत-प्रांत के युवकों से वार्तालाप करने की गहन अभिलाषा रहती थी। संघ के नियमित प्रवासक्रम में वह विद्यार्थियों से मिलने, उन्हें सुनने और समझने में सर्वाधिक रुचि लेते थे। संघकार्य के लिए वह आजीवन देश का प्रवास करते रहे। उन्होंने अनेकानेक प्रतिभाओं को चुपचाप गढ़ने का अनूठा लोकसंग्रही कार्य करते हुए अपनी जीवनसाधना पूर्ण की। विश्व हिंदू वॉयस की ओर से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि।
ब्यूरो। 27 फरवरी,

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