भारत में ग़रीबों की संख्या बढ़ी
भारत सरकार ने कहा है कि ग़रीब लोगों की संख्या का फिर से आकलन करने पर पता चला है कि पहले लगाए गए अनुमान की तुलना में ग़रीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले लोगों की संख्या 10 करोड़ अधिक है.
सरकारी आँकड़ों के अनुसार वर्ष 2004 में ग़रीबी रेखा के नीचे जी रहे लोगों की संख्या 27.5 प्रतिशत थी जो अब बढ़कर 37.2 प्रतिशत के क़रीब हो गई है.
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार जिन लोगों को प्रतिदिन 1.25 डॉलर (लगभग 55 रुपए) से कम पर गुज़ारा करना पड़ रहा है वो ग़रीबी रेखा से नीचे आते हैं.
भारत सरकार उन लोगों को ग़रीबी रेखा से नीचे मानती है जिनको आवश्यक पोषक तत्वों की ज़रुरत के लिए कम से कम एक वक़्त खाना न मिल पा रहा हो.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार योजना आयोग के सदस्य अभिजीत सेन ने कहा है, "योजना आयोग ने ग़रीबी के नए आँकड़ों को स्वीकार कर लिया है."
ये आँकड़े ऐसे समय में आए हैं जब सत्तारूढ़ यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने सरकार से कहा है कि वह खाद्य सुरक्षा विधेयक में संशोधन करके इसका लाभ अधिक महिलाओं, बच्चों और ज़रुरतमंदों तक पहुँचाने का प्रयास करें.
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि नई परिस्थितियों में सरकार को ग़रीबों को भोजन उपलब्ध करवाने में कितना पैसा अधिक ख़र्च करना पड़ेगा.
एक अनुमान है कि दुनिया के ग़रीबों की एक तिहाई आबादी भारत में रह रही है.
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