Friday, February 7, 2020

लोकसभा में बोले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी : संसद के फैसलों का सड़क पर विरोध अराजकता


राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब प्रधानमंत्री के आक्रामक तर्को से विपक्ष सन्न
 नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ एक महीने से जारी विपक्ष की मोर्चाबंदी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में अपने धारदार तर्को, तंजों और तथ्यों से धराशायी कर दिया। मोदी ने आक्रामक व चुटीले अंदाज में कहा कि संसद और विधानसभाओं के फैसलों के खिलाफ सड़कों पर विरोध प्रदर्शन से अराजकता बढ़ती है। इससे हर किसी को चिंतित होना चाहिए। उन्होंने सीएए से लेकर कश्मीर तक के मुद्दे को सदन में इस तरह रखा कि कांग्रेस के हाथ-पांव सुन्न हो गए और बोल ही बदल गए। पीएम ने कहा, जिन्हें जनता ने नकार दिया है वे भ्रम फैलाकर वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं।
राष्ट्रपति के अभिभाषण की चर्चा के बाद गुरुवार को दोनों सदनों में प्रस्ताव मंजूर हो गया। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में करीब डेढ़ घंटे और राज्यसभा में एक घंटे से अधिक लंबा जवाब दिया। मोदी ने कहा कि लोग ऐसे ही कानूनों का विरोध करेंगे तो अराजकता फैलेगी। उन्होंने सीएए और एनपीआर के विरोध के लिए कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि लोगों को गुमराह करने की कोशिश न करें। इन प्रदर्शनों की आड़ में अलोकतांत्रिक गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है। इससे किसी को राजनीतिक लाभ नहीं होगा। पीएम ने सवाल किया कि अगर राजस्थान विधानसभा में लिए गए फैसले को लोग मानने से इन्कार कर दें तो क्या होगा? मध्य प्रदेश में यही हो तो क्या होगा? गौरतलब है कि इन दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकारें हैं। मोदी ने कश्मीर, अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी और किसानों के मुद्दों पर सरकार के रुख को स्पष्ट करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी को खासतौर पर निशाने पर लिया। उन्होंने कश्मीर को भारत को मुकुटमणि बताया।
कांग्रेस ने बदला सुर, कहा- नेपाल और श्रीलंका के लोगों को भी दें नागरिकता
पीएम के जवाब के बाद सीएए से मुस्लिमों को बाहर रखे जाने का विरोध करती रही कांग्रेस ने अपना सुर बदल लिया। कांग्रेस ने कहा कि उनका विरोध केवल इसलिए था कि इसमें नेपाल व श्रीलंका जैसे देशों को शामिल नहीं किया गया। राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने सदन के अंदर यह बात पूरे विपक्ष की ओर से कही और फिर विपक्ष राष्ट्रपति को धन्यवाद ज्ञापन करने के लिए प्रस्ताव पारित करने से पहले ही बाहर चला गया। दोनों सदनों में चर्चा का जवाब देने आए प्रधानमंत्री मोदी ने जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, राम मनोहर लोहिया, कांग्रेस कार्यसमिति के प्रस्तावों का तथ्य सामने रख दिया जिसका निचोड़ यही था कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हंिदूुओं को प्रताड़ित किया जा रहा है और उन्हें भारत में नागरिकता देना नैतिक कर्तव्य है।
शास्त्री व लोहिया की याद दिलाई

वहीं राज्यसभा में मोदी ने 1964 में दिए गए शास्त्री के बयान उद्धृत किए जिसमें उन्होंने पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में हिन्दुओं के साथ हो रहे अत्याचार पर चिंता जताई थी और कहा था कि ऐसा लगता है कि वहां से सभी अल्पसंख्यकों को बाहर कर दिया जाएगा। मोदी ने समाजवादी नेताओं को भी याद दिलाया कि वह लोहिया के बयान का तो आदर करें। मोदी ने 25 नवंबर 1947 के कांग्रेस कार्यसमिति के प्रस्ताव का भी जिक्र किया जिसमें कहा गया था,‘हम पाकिस्तान से आने वाले सभी गैर मुसलमानों को देश में सुरक्षा देंगे।नए-नए तथ्यों से सन्नाटे में दिख रहे कांग्रेस नेताओं से मोदी ने सवाल किया कि उस वक्त कांग्रेस ने बाहर से आने वाले सभी नागरिकों के बजाय सिर्फ नॉन मुस्लिम की बात क्यों नहीं की?


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