देश में चल रहे चीनी उत्पादों के चौतरफा बहिष्कार के बीच दवा उत्पादन के लिए कच्चे माल के आयत को कम करने के लिए पहल कर दी गयी है. कच्चे माल के लिए चीन पर निर्भर फार्मा सेक्टर देश में ही कच्चे माल की उपलब्धता के लिए प्रयास शुरू कर दिया है. केन्द्र सरकार ने भी अपनी ओर से इसके लिए कदम बढ़ा दिया है. चीन समेत दुसरे देशों पर निर्भर न होना पड़े इसके लिए सरकार ने ऐसे 53 दवाओं का चयन किया है जिनके उत्पादन में प्रयोग होने वाले कच्चे माल विदेशों से मंगाए जाते हैं. कोरोना काल में शुरू की गयी प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम के तहत पहले से स्थापित दवाओं का कच्चा माल तैयार करने वाले उद्योगों को प्रोत्साहित किया जाएगा. नए उद्यमियों को भी ऑफर दिया गया है.
सबसे अधिक दवाओं का उत्पादक है भारत :
विश्व भर में दवा उत्पादन के मामले में भारत पहले स्थान पर है. भारत से दुसरे देशों को दवाएं निर्यात की जाती हैं. दवा उत्पादन में प्रयोग होने वाले कच्चे माल एक्टिव फार्मास्युटिकल इनग्रीडीएंट का 80 फ़ीसद आयात चीन से होता है. इसी कारण भारत ने अब कच्चे माल की देश में उपलब्धता के लिए कदम बढाएं हैं.
उद्योग निदेशालय के अनुसार फार्मा इंडस्ट्री को वार्षिक औसतन 5000 से 5200 क्विंटल कच्चे माल की जरूरत होती है. इसमें से लगभग 3700 से 4200 क्विंटल कच्चे माल का आयात चीन से हो रहा है. वर्तमान में देश में गुजरता के बड़ोदरा और महाराष्ट्र के नागपुर से कुछ यूनिटें कच्चा माल तैयार होती हैं जिससे कुल 20 से 25 फीसद मिल पाता है. अनलॉक के पहले महीने में भारतीय कंपनियों ने चीन से करीब 150 करोड़ रूपये के कच्चे माल का आयात कम किया है, जो कुल कारोबार का लगभग 25 फीसद है.
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