Monday, August 10, 2020

सशक्त व गौरवशाली भारत का आधार बनेगा श्रीराम मंदिर – डॉ. सुरेन्द्र जैन

प्रेस वक्तव्य - डॉ. सुरेन्द्र जैन (संयुक्त महामंत्री, विश्व हिन्दू परिषद)

विश्व हिन्दू परिषद के संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेन्द्र जैन ने कहा कि श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन देश के लिए एक परम गौरवशाली क्षण है. इस राष्ट्रीय गौरव को कोई धूमिल नहीं कर सकता है. 492 वर्ष पूर्व श्रीराम जन्मभूमि पर एक विदेशी आक्रांता बाबर द्वारा निर्मित स्मृतियों को हटाकर राष्ट्रीय अस्मिता के प्रतीक भगवान राम का मंदिर बनाने के लिए हिन्दू समाज ने निरंतर संघर्ष किए हैं. 1984 से प्रारंभ हुए वर्तमान संघर्ष में तीन लाख से अधिक गांवों की सहभागिता के साथ 16 करोड़ रामभक्तों ने भाग लिया. 09 नवंबर 2019 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक निर्णय तक यह संघर्ष निरंतर चलता रहा. इस अद्वितीय अभियान का ही परिणाम था कि राष्ट्रीय शर्म का प्रतीक बाबरी ढांचा अब वहां नहीं है और राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण का संकल्प एक-एक कदम आगे बढ़ते हुए साकार हो रहा है.

नई दिल्ली में आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन का इतिहास देश को आत्मग्लानि से आत्मविश्वास की ओरजाने वाली एक अद्भुत गौरव यात्रा है. लगभग 1000 वर्षों तक विदेशी आक्रमणकारियों के विरुद्ध चले निरंतर संघर्ष के बाद हमने विजय प्राप्त की थी, परंतु छद्म धर्म-निरपेक्षता की विभाजनकारी राजनीति ने देश के स्वाभिमान को कुंठित करने का प्रयास निरंतर किया. हिन्दू समाज को न केवल काल्पनिक आधारों पर बांटा जा रहा था, अपितु हिन्दुओं में एक हीन भावना का निर्माण भी किया जा रहा था. इस आंदोलन ने विभाजन की सभी रेखाओं को समाप्त कर दिया है. जाति, पंथ, भाषा, क्षेत्र आदि से ऊपर उठकर हिन्दू समाज संगठित हुआ है. गौरव से परिपूर्ण होकर आत्मविश्वास के साथ आज करोड़ों हिन्दू कहते हैं गर्व से कहो हम हिन्दू हैं”. इसी स्वाभिमान, आत्मविश्वास व राष्ट्रीय गौरव के परिणाम स्वरूप भारत में विभाजनकारी राजनीति जीवन के सभी क्षेत्रों से लुप्त होती जा रही है. संपूर्ण देश अब आत्मविश्वास से परिपूर्ण होकर हर क्षेत्र में कल्याणकारी परिवर्तन ला रहा है. साथ ही, भारत, वैश्विक मंच पर, एक महाशक्ति के रूप में पदार्पण कर रहा है.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीयता का गौरव किसी भी देश के लिए एक महत्वपूर्ण प्रेरक तत्व होता है. परंतु, विभाजनकारी तुष्टीकरण की राजनीति के कारण भारत की राष्ट्रीयता की परिभाषा भ्रमित कर दी गई थी. अब भारत की राष्ट्रीयता को किसी विदेशी आक्रांता से नहीं जोड़ा जा सकता. राष्ट्रपुरुषों की प्रेरक गाथाएं ही इस को परिभाषित करती हैं. भगवान राम से बढ़कर राष्ट्रपुरुष कौन हो सकता है? इसे स्वयं देश के संविधान ने स्वीकार किया है.

डॉ. सुरेंद्र जैन ने कहा कि इस कल्याणकारी परिवर्तन की गति तेज होती जा रही है. भगवान राम के मंदिर का शीर्ष कलश स्थापित होने तक सभी विभाजनकारी तत्व पूर्ण रूप से निरर्थक व निष्तेज हो जाएंगे और आत्मगौरव, स्वाभिमान तथा आत्मविश्वास से युक्त एक नए भारत का संकल्प साकार होगा.

उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि यह शिलान्यास नहीं है, शिलान्यास पहले हो चुका है जो हमारे दलित बंधु कामेश्वर चौपाल जी ने किया था.

कार्यक्रम के लिए निमंत्रण के विषय पर कहा कि सावधानियों को ध्यान में रखकर उन्होंने तय किया कि हर एक को व्यक्तिगत रूप से सूचना दी जाए, आज से ये प्रक्रिया होना प्रारंभ हो जाएगी. जिनके साथ हम बैठे हुए है मा. ओम प्रकाश जी हमारे उपाध्यक्ष रामजन्मभूमि आंदोलन में इनकी भी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. इनके पास भी आज ही सूचना आई है जो-जो उनकी सूची में हैं, उनको सबको आज फोन से सूचना मिल जाएगी और सादर आमंत्रित होंगे. यह कार्यक्रम श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र का है, विश्व हिन्दू परिषद का नहीं है. विश्व हिन्दू परिषद में महामंत्री और उनसे ऊपर सीमित संख्या है, उन्हीं को बुलाया गया है.

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि जब जन्मभूमि आंदोलन शुरू हुआ था, तब उस समय पूज्य संतों ने ही तय किया था, हर एक से पूछकर तय नहीं किया गया था. मुहूर्त का विषय अनुउत्तरित रह गया, जब शिलान्यास किया गया कामेश्वर चौपाल जी द्वारा, उस समय भी इन्हीं लोगों ने कहा था कि ये शुभ मुहूर्त नहीं है. यदि वो समय शुभ नहीं था तो आज ये सपना कैसे साकार हो रहा है. इसलिए मैं समझता हूं कि इन सब विवादों में पड़े बिना आगे बढ़ते चले जा रहे हैं, सपना धीर-धीरे साकार हो रहा है और भव्य मंदिर वहां पर निश्चित तौर पर निकट भविष्य में ही सामने साकार होने वाला है.

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