मध्यप्रदेश
सरकार ने गौ केबिनेट बनाने का ऐतिहासिक फैसला लिया है.
शिवराज सरकार का यह फैसला इसलिए और विशेष हो जाता है क्योंकि मध्यप्रदेश गौ
केबिनेट बनाने वाला पहला राज्य होगा. राज्य में गौ संरक्षण व संवर्धन के उद्देश्य
से गौ केबिनेट बनाई गई है, जिसकी
पहली बैठक गोपाष्टमी के दिन राजधानी भोपाल में आयोजित हुई. बैठक में मुख्यमंत्री
शिवराज सिंह ने आगर में गायों को लेकर रिसर्च सेंटर बनाने की घोषणा की.
क्या है
गौ केबिनेट?
मध्यप्रदेश में गौ माता के संरक्षण के उद्देश्य से प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीते दिनों गौ केबिनेट बनाने की घोषणा की थी. केबिनेट में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री स्वयं अध्यक्ष के रूप में रहेंगे तो वहीं प्रदेश के 5 मंत्रियों को केबिनेट का सदस्य बनाया गया है. केबिनेट में राज्य सरकार के पशु पालन, वन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, राजस्व, गृह और किसान कल्याण को मिला कर कुल 6 विभागों को शामिल किया गया है. यह सभी विभाग गायों के संरक्षण के लिए मिलकर सामूहिक फैसला लेंगे. पशु पालन विभाग राज्य में गायों के प्रजनन और गौशालाओं की देखभाल पहले से ही करता आ रहा है. अब वन विभाग भी गायों के संरक्षण पर काम करेगा तो वहीं गृह विभाग गायों की रक्षा के लिए मुखर रहेगा.
गौशालाओं को बनाया जाएगा आत्मनिर्भर बनाया जाएगा
गौ
केबिनेट बनाने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है. केबिनेट बनाने की घोषणा
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने ट्विटर के माध्यम से की थी. इस केबिनेट
की पहली बैठक राजधानी भोपाल में आयोजित की गई, जिसमें
प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने आगर जिले में गायों को लेकर रिसर्च सेंटर
बनाने की घोषणा की, साथ ही
राज्य को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गौ धन के प्रयोग करने की बात भी कही गई है.
मुख्यमंत्री
ने कहा कि इस प्रकार प्रदेश में गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा और बड़ी संख्या
में गौशालाओं को निर्माण किया जाएगा, जिसके
लिए आम जन से सहायता ली जाएगी.
इसलिए
जरूरी है गौ केबिनेट
विश्व
हिन्दू परिषद का दावा है कि देश में प्रतिदिन 20 से 25 हजार गाय या गौवंश पकड़ा जा रहा है, सैकड़ों गायों की रोजाना हत्या की जा रही है. दूध उत्पादन पर
इसका विपरीत असर दिख रहा है. नेशनल कॉपरेटिव डेयरी फेडरेशन ऑफ इंडिया के आंकड़े
बताते हैं कि देश में वर्ष 2013-14 में 13.75 करोड़ टन दूध का उत्पादन हुआ, इसे आधार
मानकर वर्ष 2021-22 तक इसे 20 करोड़ टन प्रतिवर्ष पहुंचाना है. दुधारू पशुओं की हत्या के
कारण यह लक्ष्य हासिल करना कठिन हो रहा है. दुधारू पशुओं की हत्या से देश में
प्रतिदिन 40 से 45 लाख लीटर
दूध की क्षति हो रही है. इसमें 30 से 35 प्रतिशत हिस्सेदारी गाय के दूध की होती है. इसलिए गौ हत्या पर
रोक लगाने और गायों के संरक्षण के लिए मध्यप्रदेश सरकार द्वारा बनाया गया गौ
केबिनेट सराहनीय है.
संविधान
में भी गौ संरक्षण के लिए विशेष प्रावधान
ऐसा नहीं
है कि मध्यप्रदेश में बनाई गई गौ केबिनेट में पहली बार गायों के संरक्षण की बात की
जा रही हो. गायों के संरक्षण के लिए हमारे देश के संविधान में भी विशेष प्रावधान
किए गए हैं. भारत के संविधान के अनुच्छेद 48 में
राज्यों को गायों और बछड़ों और अन्य
मसौदे के मवेशियों की हत्या को प्रतिबंधित करने का आदेश दिया गया है. इसी प्रकार
संविधान की सातवीं अनुसूची की राज्य सूची का प्रवेश 15 है, जिसका अर्थ है कि राज्य की विधायिकाओं में गायों के वध और
संरक्षण के लिए कानून बनाने की विशेष शक्तियाँ प्रदान करती है.
श्रोत- विश्व संवाद केन्द्र, भारत
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