Wednesday, December 16, 2020

विजय दिवस : काशी के शूरवीरों ने भी पाकिस्तानी सेना को चटाया था धूल

 विजय दिवस पर विशेष 

काशी/ राष्ट्र पर जब भी विपत्ति आई, भारत माता को जब कभी भी अपने वीर सपूतों की आवश्यकता पड़ी, उनकी रक्षा के लिए देश के अनेकों शूरवीर अपने प्राण हँसते-हँसते न्यौछावर कर दिए. राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने में काशी के भी देश के विभिन्न क्षेत्रों समेत काशी से भी शूरवीरों ने अपना सर्वस्व अर्पण किया. इन महान योद्धाओं की शौर्य गाथाएं पीढ़ियों तक प्रेरित करती रहेंगी. इनमें 1971 में चिर-प्रतिद्वंदी पाकिस्तान के विरुद्ध युद्ध के दौरान शूरवीर रामनारायण पाठक और लेफ्टिनेंट कर्नल राघवेन्द्र सिंह का नाम भी शामिल है.

रामनारायण पाठक ने पाकिस्तानी स्क्वाड्रन लीडर अहमद को आत्मसमर्पण करने के लिए किया मजबूर

इस युद्ध के प्रत्यक्षदर्शी रहें पूर्व वायु सैनिक रामनारायण जी सैन्य सेवा मेडल से सम्मानित भी थे. तब इनकी तैनाती बघा बॉर्डर से 12 किमी दूर सांसी में हुई थी. वह अपने ग्रुप के साथ हेड क्वार्टर के निर्देश का इन्तेजार कर रहे थे. निर्देश मिलते ही ग्रुप कैप्टन अग्निहोत्री मिग पर सवार होकर थोड़ी उंचाई पर पहुंचे ही थे कि पकिस्तान का स्क्वाड्रन लीडर अहमद जेट से भारत में प्रवेश किया और ग्रुप कैप्टन अग्निहोत्री के जहाज को हिट कर दिया. उनके जहाज में आग लग गयी. उन्हें निचे आने का निर्देश था किन्तु उकी कोशिश थी कि जहाज भारतीय सीमा में गिरे. इसी प्रयास में उन्होंने ने भी पाकिस्तानी जेट को हिट कर दिया. श्री पाठक के अनुसार मजबूर होकर अहमद पैराशूट से उतरा ही था कि रामनारायण पाठक के साहस ने स्क्वाड्रन लीडर अहमद को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कर दिया. किन्तु इस दौरान जलते हुए मिग को लैंड कराने के बाद ग्रुप कैप्टन अग्निहोत्री शहीद हो गये.

पाकिस्तान के कब्जे में आ गये थे कर्नल राघवेन्द्र

काशी के शूरवीरों में एक और नाम है लेफ्टिनेंट कर्नल राघवेन्द्र सिंह का. तीन दिसम्बर को पाकिस्तानी सेना को धुल चटाकर कर्नल राघवेन्द्र सिंह बंगलादेश के कुश्तियां पहुंचे थे. युद्ध के दौरान वे वहां बुरी तरह घायल हो गये और पाकिस्तानी सेना के कब्जे में आ गये. इसी बीच उनके शहीद होने की गलत सूचना उनके घर पहुँच गयी थी. पाकिस्तानी सेना के डॉक्टरों ने कर्नल राघवेन्द्र को बुरी तरह घायल होने के बावजूद उनका ऑपरेशन 30 दिन बाद किया. इस बीच हर मोर्चे पर पाकिस्तानी सेना हारती रही. अंततः पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण कर ही दिया. बाद में कर्नल राघवेन्द्र की वापसी भी हुई और उन्हें पहले सिलीगुड़ी लाया गया.

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