Tuesday, March 30, 2021

चुनौती के समय भी आनंद बिखेरना भारतीय संस्कृति की विशेषता – दत्तात्रेय होसबाले

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि चुनौती के समय भी धैर्य न खोना और संतुलन बनाए रखना ही भारतीय संस्कृति की विशेषता है. उन्होंने कोरोना संकट काल में लोगों से सावधान और सतर्क रहने की अपील की.

सरकार्यवाह राजधानी लखनऊ के श्रृंगार नगर स्थित पार्क में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा आयोजित होलिकोत्सव कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि पिछले एक वर्ष के कालखंड में कोरोना महामारी को लेकर जो संकट का माहौल रहा, उसे भी होली के अवसर पर हमें याद करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के दौरान जिस तरह से चिकित्सकों, नर्सों, सुरक्षाकर्मियों और सफाई कर्मचारियों सहित समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों ने अपनी जान जोखिम में डालकर काम किया, आज उन्हें नमन करना चाहिए और उनके प्रति कृतज्ञता अर्पित करनी चाहिए. उन्होंने देश की सीमाओं की सुरक्षा में लगे सेना के जवानों, किसानों और वैज्ञानिकों को भी याद करते हुए ‘‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान’’ नारे के साथ सभी के प्रति कृतज्ञता अर्पित की.

सरकार्यवाह ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने सेवा सहकार और समन्वय की अद्भुत मिसाल कायम की. स्वयंसेवकों ने अपनी जान को जोखिम में डालकर काम किया. सारी मानवता कोरोना संकट की चुनौती के साथ जूझती रही. उन्होंने कहा कि कोरोना का संकट अभी टला नहीं है. हमें इसे पूर्ण रुप से समाप्त करने के लिए नियमों का पालन अभी भी करना है. उन्होंने होली की शुभकामना देते हुए लोगों से अपील भी की कि कोरोना जैसी चुनौती का सामना करते हुए लोग आपस में उल्लास और आनंद को बिखेरें.

पूर्व में प्रसिद्ध संगीतकार श्रीकांत शुक्ल के नेतृत्व में सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया. होली के गीत गाए गए. फूलों की होली खेली गई और कलाकारों ने कत्थक नृत्य प्रस्तुत किया.

इस मौके पर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा, कैबिनेट मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक अनिल, महापौर संयुक्ता भाटिया, प्रांत प्रचारक कौशल, सह प्रांत प्रचारक मनोज, सहित अन्य उपस्थित रहे.

स्रोत - विश्व संवाद केन्द्र, भारत

Friday, March 26, 2021

हमारे अंदर शिक्षा, संस्कार, देशभक्ति की धारा प्रवाहित करती है पांचजन्य - अम्बरीष कुमार

पांचजन्य पाठक संगोष्ठी का आयोजन

शाहगंज (जौनपुर)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जौनपुर विभाग द्वारा प्रो राजेंद्र सिंह "रज्जू भैया" सरस्वती विद्या मंदिर शाहगंज में पांचजन्य पाठक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, काशी प्रांत के सह प्रचार प्रमुख अम्बरीष कुमार ने कहा कि यह पत्रिका भारतीय समाज का मार्गदर्शन करती है। विगत कई वर्षों से यह पत्रिका समाज को जागरूक कर रही है। इसके प्रथम संपादक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी रहे। यह पत्रिका हमारे अंदर शिक्षा, संस्कार, देशभक्ति के लिए प्रेरित करती है। साहित्य हमारे घरों में होना चाहिए। विश्व के विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित होने वाली इस पत्रिका का हमें नियमित पाठक बनना चाहिए। यह पत्रिका संस्कृति एवं ज्ञान का भंडार है। 

अयोध्या – श्री राम जन्मभूमि परिसर में खुदाई के दौरान मिलीं मूर्तियां व चरण पादुका, संग्रहालय में होंगी संरक्षित

 

सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के पश्चात अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का कार्य चल रहा है. मंदिर निर्माण के लिए नींव की खुदाई की जा रही है. 40 फीट की गहराई तक हुई नींव की खुदाई के दौरान चरण पादुका सहित प्राचीन पाषाण खंड और कुछ खंडित मूर्तियों के अवशेष मिले हैं. इन अवशेषों को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने सुरक्षित रखवाया है. पुरातात्विक महत्व के इन अवशेषों की पुरातात्विक तरीके से वैज्ञानिक जांच कराई जाएगी.

इससे पहले भी भूमि के समतलीकरण कार्य के दौरान कई प्राचीन अवशेष प्राप्त हो चुके हैं. प्राचीन नक्काशीदार शिलाएं मिली हैं. कुछ खंडित मूर्तियां भी मिली हैं. प्राचीन मंदिर से संबंधित पत्थरों के अवशेष भी मिले हैं. खुदाई के दौरान सीता रसोई से संबंधित पत्थर का सिलबट्टा भी प्राप्त हुआ है. इनके अलावा मानस भवन की ओर खुदाई के दौरान अति प्राचीन भगवान श्री राम की चरण पादुका भी मिली हैं. इन सभी अवशेषों को राम जन्मभूमि परिसर के संग्रहालय में ही संरक्षित कर दिया गया है. श्रीराम मंदिर निर्माण के पश्चात मंदिर परिसर में ही म्यूजियम बनाकर इन प्राचीन धरोहरों को श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए रखा जाएगा. श्रद्धालु रामलला के दर्शन के बाद इन प्राचीन धार्मिक अवशेषों का दर्शन कर सकेंगे.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इंजीनियर फिल्ड मटेरियल के लिए अल्ट्रा टेक सीमेंट की आपूर्ति लेने पर एलएंडटी सहित टीईसी के विशेषज्ञों ने मुहर लगा दी है. विशेषज्ञों की सहमति के बाद आवश्यकता के अनुसार निर्धारित मात्रा में सीमेंट की आपूर्ति सीधे कंपनी से ही लिए जाने का निर्णय हो चुका है. इसी फ्लाई एश यानि कोयले की राख को ऊंचाहार थर्मल पावर से मंगवाने का भी निर्णय हो गया है. फिलहाल परीक्षण के लिए ऊंचाहार से फ्लाई एश के दो ट्रक जरूर मंगवा लिए गये हैं. यह ट्रक भी परिसर में पहुंच गए हैं. इसके अलावा छतरपुरम.प्र. एवं कबरही बांदाउत्तरप्रदेश से बीएसआई मार्का गिट्टी व स्टोन डस्ट को भी मंगवाया गया है.

Thursday, March 25, 2021

समाज में निरंतर बढ़ता संघ का प्रभाव…!!!

- बद्री नारायण

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिनिधि सभा की बैठक में दत्तात्रेय होसबाले को सरकार्यवाह (संघ में नंबर 2 की पोजिशन) चुना गया. होसबाले बहुत मिलनसार हैं और उनकी यह नियुक्ति संघ में हो रहे बदलावों की दिशा का अंदाजा दे रही है. यह दिशा है संघ को लगातार समाज के सभी वर्गों से जोड़ना और जटिल सामाजिक मुद्दों पर लोगों से बातचीत का दायरा बढ़ाना.

महात्मा बुद्ध के दौर में और उसके बाद बौद्ध धर्म में एक सूत्र वाक्य गूंजा – ‘संघम् शरणम गच्छामि’. वहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ संघ तेरे द्वारे आयाका संदेश देने का प्रयास करता है. यानी संघ बातचीत करने के लिए खुद आपके दरवाजे पर पहुंचता है, आपकी बात समझने के लिए और अपनी बात समझाने के लिए.

इसे सुनील आंबेकर के नजरिए से समझा जा सकता है. वह आरएसएस के प्रचार प्रमुख हैं और उन्होंने एक किताब लिखी है. उसमें आंबेकर कहते हैं, संघ आपके जीवन में उसी तरह घुल-मिल जाना चाहता है, जैसे दूध में चीनी. चीनी जैसे दूध में मिल कर उसे मीठा बनाती है, उसी तरह संघ आपके जीवन में घुल-मिल कर उसे मिठास देना चाहता है.

आरएसएस की जो भाषा है, वह है तो आजकल की, लेकिन उसमें जो भाव है, जो अनुगूंज है, वह हजारों वर्षों की भारतीय सामाजिक परंपरा से जुड़ी है. चाहें तो आप इसे हिन्दू परंपरा भी कह सकते हैं. यह जो बात मैंने कही है, ठीक वही है, जो कांग्रेस के एक बड़े विचारक ने कही थी. तो जो हजारों वर्षों की परंपरा के भाव और तत्व हैं, उनके चलते आरएसएस की भाषा ऐसी हो जाती है, जिससे लोगों के मन में पुरानी यादें उभर आती हैं. यही भाषा लोगों के बीच आरएसएस के संदेशों के प्रचार और प्रसार की जगह बनाती है. इस भाषा में शामिल हो जाता है हिन्दू सामाजिक संस्कारों का पूरा दायरा.

आरएसएस के लोगों से मिले हों तो आपको पता ही होगा कि अभिवादन करने से लेकर पूरी बात समाप्त करने तक उनकी भाषा में भारतीय समाज की आम बोलचाल के ही तत्व दिखते हैं. कॉमरेड के बजाय भाई साहब, प्रणाम, नमस्कार, राम-राम जैसे शब्दों की लोकप्रियता का कारण आप समझ ही सकते हैं. एक जानेमाने लेखक हुए हैं, राहुल सांकृत्यायन. बौद्ध ग्रंथों की तलाश में तिब्बत से लेकर चीन तक कहां-कहां नहीं गए. उनकी नजर भी आमफहम शैली में लोगों से संबंध बनाने की जरूरत पर थी. इसलिए उन्होंने मार्क्स को बाबा मार्क्स के रूप में पेश करना चाहा, लेकिन कई वजहों से इस पहल को लोग आगे नहीं बढ़ा सके.

अधिक से अधिक लोगों तक आरएसएस की बातों के आसानी से पहुंचने की जो दूसरी वजह मुझे समझ में आती है, वह है उसकी शैली यानी बातचीत करने का तरीका. संघ के प्रचारक जब किसी आयोजन में अपनी बात कह रहे होते हैं, तो लगता है कि कथा सुनाई जा रही है. ठीक उसी तरह के वाक्य, वही शैली और किस्सागोई. इससे जो कुछ वे कहते हैं, लोग उससे ज्यादा आसानी से कनेक्ट होते हैं. यह शैली काफी हद तक प्रवचन करने वालों और भागवत पुराण बांचने वालों जैसी है. वही टोन, जो व्रत की कथाओं और रामायण-महाभारत के संवादों में झलकता है. भारतीय कथा परंपरा का मधुर उतार-चढ़ाव तो दिखता ही है इन प्रचारकों की शैली में, कहीं-कहीं लहजा आक्रामक भी हो जाता है. भारतीय जनमानस का मन कथा-कहानी से प्रभावित रहता है. गांवों में तो बात-बात पर रामायण, महाभारत, गीता, कबीर, रविदास के जीवन से जुड़ी बातें लोग आम बातचीत में इस्तेमाल करते दिख जाएंगे. आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने दरअसल धार्मिक कथाओं की वही दमदार शैली अपनाई है और उसे विकसित किया है.

संघ के कार्यकर्ताओं की यह शैली किस तरह विकसित हुई है, अगर इसका इतिहास देखें तो पता चलेगा कि आरएसएस ने कथा शैली मदन मोहन मालवीय से प्रेरित होकर हासिल की. मालवीय अपने एक श्लोक में ऐसे भारत की कामना करते हैं, जहां हर गांव में कथा हो, हर गांव में पाठशाला हो, हर गांव में मल्लशाला यानी अखाड़ा हो.

मालवीय का मानना था कि ग्रामीण जीवन के मूल्यों को मजबूत करने के लिए कथा एक अहम माध्यम है. बताते हैं कि आरएसएस प्रमुख रहे एम एस गोलवलकर भी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से जुड़े थे और मालवीय से प्रभावित थे. मालवीय ने जो बात कही, उससे गोलवलकर ने प्रेरणा ली. उन्होंने लोगों से संवाद करने की संघ की जो शैली है, उसमें धीरे-धीरे भारतीय कथा परंपरा का अंदाज शामिल किया. और जो तरीका बना, उसने लोगों के मन में आरएसएस की जगह बनाने का रास्ता बना दिया.

अब आते हैं उस तीसरे कारण पर, जिसके चलते आरएसएस का लगातार प्रसार हो रहा है. यह पहलू है सेवा कार्य का. यानी अकाल, भूकंप, बाढ़ जैसी विपदाओं में आरएसएस अपने लोगों के साथ सेवा कार्य में जुटा दिखता है. इससे समाज में उसकी गुडविल बनती है. संघ के सेवा कार्य का दूसरा स्तर है, समाज के वंचित और उपेक्षित तबके के बीच कई तरह के सहयोग और सहायता कार्यक्रम. दलित और वनवासी समुदायों के बीच स्वच्छता कार्यक्रम के अलावा स्कूल बनाने और धर्म-कर्म से जुड़े दूसरे काम इसी पहलू से जुड़े हैं. इससे इन तबकों को संघ से जोड़ने में मदद मिली है. आरएसएस का सेवा प्रकल्प करता है ऐसे कार्यक्रम.

संघ की सेवा परियोजना का तीसरा स्तर है, रोगों के इलाज के लिए मेलों-ठेलों में निःशुल्क सेवा कैंप लगाना. इलाहाबाद में पिछले दिनों हुए महाकुंभ में आंख के रोगियों के लिए विशाल सेवा कैंप नेत्र कुंभलगाया था.

संघ इस तरह के सेवा कार्यों को चुनाव और प्रचार से जोड़कर नहीं देखता. ऐसे काम वह लगातार करता रहता है, कई जगहों पर तो बिना किसी प्रचार के. संघ के एक प्रचारक ने मुझसे कहा, ‘ये य़ज्ञ की तरह हैं हमारे लिए. हम लगातार ऐसे कार्य करते रहते हैं. ये तो तबसे चल रहे हैं, जब न इनकी वेबसाइट थी और न अखबारों में इनकी खबरें छपती थीं.

एक और कारण है संघ की बढ़ती लोकप्रियता का. जिन समुदायों और समूहों से संघ जुड़ना चाहता है, उनके सुख-दुख से भी अपनी निकटता बनाने पर जोर रहता है. संघ कार्यकर्ता एक बार आपसे जुड़ जाने के बाद आपके जीवन की गतिविधियों में बार-बार शामिल होते रहते हैं. मरनी-हरनी, शादी-ब्याह, तीज-त्योहार, व्रत कथाओं का आयोजन आपके परिवार में हो रहा हो तो उनमें शामिल होकर एक बड़ा परिवार बनाने की अकूत क्षमता होती है इनमें. ये आपसे जुड़ने के कई अवसर खुद भी बनाते रहते हैं.

इस तरह देखें तो आरएसएस ने बातचीत की ऐसी भाषा और शैली तैयार की है, जो लोगों को याद दिला देती है भारतीय संस्कृति के कई पहलुओं और बोलचाल की आदतों की. दूसरी बात यह है कि कामकाज का ऐसा तरीका उसने बनाया है, जिसके जरिए उसे लोगों से मजबूत संबंध बनाने में मदद मिलती है. इनके चलते लगातार बढ़ता जा रहा है संघ का प्रभाव.

स्रोत- विश्व संवाद केन्द्र, भारत

Tuesday, March 23, 2021

अ. भा. प्र. स. प्रस्ताव दो : कोविड महामारी के सम्मुख खड़ा एकजुट भारत

 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघअखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा, बेंगलूरु

युगाब्द 5122,  19, 20 मार्च 2021


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा, वैश्विक महामारी कोविड-19 की चुनौती के संदर्भ में भारतीय समाज के उल्लेखनीय, समन्वित एवं समग्र प्रयासों को संज्ञान में लेते हुए तथा इसके भीषण परिणामों के नियंत्रण हेतु समाज के प्रत्येक वर्ग द्वारा निभाई गई भूमिका के लिए उसका हार्दिक अभिनंदन करती है.

जैसे ही इस महामारी तथा उसके हानिकारक परिणामों के समाचार आने प्रारम्भ हुए, केंद्र तथा राज्यों का शासन एवं प्रशासन तन्त्र तुरंत सक्रिय हो गया. जनसामान्य को इस रोग के लक्षण व उससे बचाव के लिए आवश्यक सावधानियों से अवगत कराने हेतु देशभर में विभिन्न सृजनात्मक साधनों एवं मीडिया के सकारात्मक सहयोग द्वारा एक वृहद् जनजागरण का कार्य हुआ. परिणामस्वरूप पूरे देश ने एकजुट होकर निर्धारित नियमों का पालन किया और प्रारम्भिक काल में अनुमानित विभीषिका से हम बच सके. कोरोना जाँच तथा रुग्ण सेवा के कार्य में संलग्न सभी चिकित्सकों, नर्सों, अन्य स्वास्थ्य एवं स्वच्छता कर्मियों ने चुनौती को स्वीकार किया एवं अपने जीवन को खतरे में डालकर भी वे कार्य में जुटे रहे. समाज के अनेक वर्गों जैसे सुरक्षा बल, शासकीय कर्मी, आवश्यक सेवाओं तथा वित्तीय संस्थाओं से जुड़े कर्मियों सहित, संगठित तथा असंगठित क्षेत्र से संबंधित अनेक समूहों की सक्रियता के कारण ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में दैनंदिन जीवन का प्रवाह सामान्यतः अबाधित रूप से चलता रहा. ये सभी कार्य और विभिन्न शासकीय विभागों के द्वारा किए गए समन्वित प्रयास यथा ‘‘श्रमिक ट्रेन’’, ‘‘वंदेभारत मिशन’’ और वर्तमान में चल रहा ‘‘कोविड टीकाकरण अभियान’’ सराहनीय है.

वैश्विक महामारी से जूझते हुए निःस्वार्थ भाव से कर्तव्य पालन कर रहे अनेक कोरोना योद्धाओं ने अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया. अ.भा.प्र. सभा हृदय की गहराइयों से उनके साहस और बलिदान का स्मरण करते हुए अपनी कृतज्ञता व्यक्त करती है. इस कालखण्ड में महामारी के कारण हजारों लोग काल ग्रसित हो गए. हम उन दिवंगत आत्माओं को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उनके शोक संतप्त परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं.

भारत के सम्पूर्ण समाज ने इस अनपेक्षित घटनाचक्र से पीड़ित करोड़ों लोगों की राशन, तैयार भोजन, स्वास्थ्य सेवा, यातायात, आर्थिक सहायता आदि अनेक माध्यमों से सहयोग कर सेवा, आत्मीयता एवं सामाजिक एकजुटता की एक नई गाथा रची है. विविध धार्मिक, सामाजिक एवं स्वयंसेवी संगठनों तथा सामान्य जनों ने जरूरतमंदों के घर-घर तक पहुँच कर उन्हें आवश्यक सहयोग दिया. अ.भा. प्रतिनिधि सभा ऐसी सभी संस्थाओं तथा व्यक्तियों द्वारा किए गए उनके निःस्वार्थ एवं आत्मीयतापूर्ण व्यवहार के प्रति अपना साधुवाद व्यक्त करती है.

कोविड के प्रकोप एवं तत्पश्चात् हुए लॉकडाउन के कठिन समय में प्रवासी श्रमिकों सहित समाज के एक बड़े वर्ग को अनेक संकटों व चुनौतियों से जूझना पड़ा. परंतु अपने समाज ने उल्लेखनीय धैर्य एवं असाधारण साहस का परिचय देते हुए इस विषम एवं अनिश्चिततापूर्ण परिस्थिति का सामना किया. चिकित्सा सुविधाओं की अपर्याप्तता और नगरों से हो रहे पलायन के कारण व्यक्त किए गए सभी भीषण अनुमानों के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति नियंत्रण में रही. वास्तविकता यह रही कि स्थानीय निवासियों द्वारा नगरों से आए इन लोगों की व्यवस्था एवं देखभाल प्रशंसा के योग्य रही.

इस कालखंड में कृषि उत्पादन सामान्य से अधिक हुआ और उद्योग जगत सहित साधारण आर्थिक परिदृश्य भी उत्साहवर्धक दिखाई दे रहा है. वेंटिलेटर, पीपीई किट, कोरोना जाँच की तकनीक तथा जल्दी व सस्ती स्वदेशी कोरोना वैक्सीन के विकास एवं निर्माण के औद्योगिक नवाचारों के द्वारा हम इस आपदा को भी अवसर में परिवर्तित करने में सफल हुए. इस कठिन समय में समाज की आंतरिक शक्ति और प्रतिभा को प्रकट होने का अवसर प्राप्त हुआ.

इस वैश्विक संकट में भारत ने अपनी ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम्’’ की परंपरा के अनुरूप प्रारंभिक काल में हाईड्रोक्सिक्लोरोक्विन तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति तद्नंतर ‘‘वैक्सीन-मैत्री’’ अभियान द्वारा विश्व के अनेकानेक देशों की ओर सहयोग का हाथ बढ़ाया. भारत द्वारा किए गए समयोचित अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की विश्व के अनेक नेताओं व देशों द्वारा प्रशंसा की गई.

इस महामारी में हमें अपनी समग्र वैश्विक दृष्टि, सदियों से चली आ रही परम्पराओं एवं विकेंद्रित ग्रामीण अर्थव्यवस्था की शक्ति तथा सामर्थ्य की अनुभूति भी हुई है. परंपरागत मूल्य बोध के अनुरूप हमारा दैनंदिन आचार-व्यवहार, परिवार के साथ मनोयोग से बिताया गया समय, संयमित उपभोग पर आधारित स्वस्थ जीवनशैली, पारंपारिक भोजन पद्धति एवं औषधियों के सेवन से प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि व रोगों की रोकथाम, योग और ध्यान के सकारात्मक परिणाम आदि इस कालखंड में उपयोगी सिद्ध हुए हैं. विश्वभर में अनेक विशेषज्ञों ने भारत की इस एकात्म दृष्टि और उस पर आधारित दैनंदिन जीवन के महत्त्व को स्वीकार किया है.

अ.भा. प्रतिनिधि सभा को पूर्ण विश्वास है कि भारतीय समाज सतत दृढ़ता एवं निश्चय के साथ इस महामारी के दुष्प्रभावों से मुक्त होकर शीघ्र ही सामान्य जीवन को प्राप्त करेगा. हम सबको यह ध्यान रखना होगा कि कोरोना के संकट से समाज अभी पूर्णतया मुक्त नहीं हुआ है. इस पृष्ठभूमि में संपूर्ण समाज से अपेक्षा है कि महामारी के उन्मूलन हेतु आवश्यक सूचनाओं व दिशानिर्देशों का कठोरतापूर्वक पालन करें. अ.भा. प्रतिनिधि सभा समस्त समाज का आवाहन करती है कि महामारी के कालखंड में अनुभवों से प्राप्त पाठ जैसे सुदृढ़ परिवार व्यवस्था, संतुलित उपभोग व पर्यावरण संरक्षण को व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन में अपनाते हुए आत्मनिर्भरता एवं स्वदेशी के मंत्र को जीवन में उतारें.

स्रोत- विश्व संवाद केन्द्र, भारत

अ. भा. प्र. स. प्रस्ताव एक – श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण भारत की अन्तर्निहित शक्ति का प्रकटीकरण

 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा, बेंगलूरु

युगाब्द 5122,  19, 20 मार्च 2021

श्रीराम जन्मभूमि पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय का सर्वसम्मत निर्णय, तत्पश्चात् श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए सार्वजनिक न्यास ‘‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र’’ का गठन, अयोध्या में भव्य मंदिर के निर्माण कार्य को प्रारंभ करने हेतु किया गया अनुष्ठान एवं निधि समर्पण अभियान भारत के इतिहास का वह स्वर्णिम पृष्ठ बन गया है, जो आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा देगा। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का यह सुविचारित मत है कि उपर्युक्त कार्यक्रमों से भारत की अंतर्निहित शक्तियाँ जागृत हुई हैं तथा ये कार्यक्रम आध्यात्मिक जागरण, राष्ट्रीय एकात्मता, सामाजिक समरसता एवं सद्भाव और समर्पण के अद्वितीय प्रतीक बन गए हैं।

युगाब्द 5122 भाद्रपद कृष्ण द्वितीया (5 अगस्त, 2020) को संपूर्ण विश्व उन क्षणों का साक्षी बनकर भावविभोर हो रहा था, जब भारत के माननीय प्रधानमंत्री, संघ के पूजनीय सरसंघचालक, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र के न्यासी एवं भारत के सभी मत-पंथों के पूज्य धर्माचार्यों की गरिमामयी उपस्थिति मंदिर निर्माण को प्रारंभ करने हेतु किये गए भव्य कार्यक्रम को आभामयी बना रही थी। भारत के सभी तीर्थों की पावन रज और सभी पवित्र नदियों के जल से यह अनुष्ठान सम्पन्न हुआ। कोरोना महामारी की भीषणता के समय किया गया यह कार्यक्रम सभी मर्यादाओं का पालन करते हुए सीमित संख्या का रखा गया था, परंतु इसका प्रभाव असीमित था । प्रत्यक्ष उपस्थिति तो मर्यादित थी, परंतु आभासी माध्यमों से समस्त हिन्दू समाज इस कार्यक्रम में भागीदारी कर रहा था। समाज के सभी वर्गों और राजनैतिक दलों ने एकमत होकर इस कार्यक्रम का स्वागत किया था।

मकर संक्रांति के पवित्र दिन भारत के प्रथम नागरिक महामहिम राष्ट्रपति के निधि समर्पण और दिल्ली स्थित भगवान वाल्मीकि मंदिर से प्रारंभ हुआ 44 दिन का यह अभियान विश्व इतिहास का सबसे बड़ा संपर्क अभियान सिद्ध हुआ है। लगभग 5.5 लाख से अधिक नगर-ग्रामों के 12 करोड़ से अधिक रामभक्त परिवारों ने भव्य मंदिर निर्माण के लिए अपना समर्पण किया है। समाज के सभी वर्गों और मत-पंथों ने इस अभियान में बढ़चढ़कर सहभागिता की है। ग्रामवासी-नगरवासी से लेकर वनवासी और गिरिवासी बंधुओं तक, सम्पन्न से सामान्य जनों तक सभी ने इस अभियान को सफल बनाने में अपना भरपूर योगदान दिया। इस अद्वितीय उत्साह व सहयोग के लिए प्रतिनिधि सभा सभी रामभक्तों का अभिनंदन करती है।

इस अभियान ने एक बार पुनः यह सिद्ध किया है कि संपूर्ण देश भावात्मक रूप से सदैव श्रीराम से जुड़ा हुआ है। प्रतिनिधि सभा देश के सभी सामाजिक-धार्मिक संस्थाओं, शिक्षाविदों, प्रबुद्ध वर्गों सहित समस्त रामभक्तों का आवाहन करती है कि वे श्रीराम के आदर्शों को समाज में संचारित करने की दिशा में सार्थक प्रयास करें। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के साथ-साथ सभी के सामूहिक संकल्प और प्रयास से श्रीराम के जीवन-मूल्यों से प्रेरित सामाजिक और राष्ट्रीय जीवन खड़ा होगा, इसके आधार पर ही वैभवसम्पन्न सामर्थ्यशाली भारत का मार्ग प्रशस्त होगा जो विश्व कल्याण की अपनी भूमिका का निर्वाह करेगा।

स्रोत- विश्व संवाद केन्द्र, भारत

Saturday, March 20, 2021

कार्य विस्तार, समाज परिवर्तन, वैचारिक प्रबोधन के लिए काम करेगा संघ – दत्तात्रेय होसबाले

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि संघ का कार्य समाज में आज अपरिचित नहीं है. देश-विदेश में संघ के बारे में जिज्ञासा है, प्रशंसा है व सहयोग भी है और संघ के कार्य का स्वागत भी सर्वदूर है, यह हम सबका प्रत्यक्ष अनुभव है. संघ को समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों से लेकर सर्वसामान्य तक स्नेह, आत्मीयता से सहयोग का अनुभव भी है. सरकार्यवाह बेंगलूरु में आयोजित अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के अंतिम दिन प्रेस वार्ता में संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण संघ का कार्य प्रभावित हुआ, नियमित शाखाएं नहीं लग सकीं. लेकिन कोरोना संकट के दौरान संघ कार्य का एक नया आयाम हमारे ध्यान में आया. घर में रहकर भी अपने कार्यकर्तत्व को, स्वयंसेवकत्व को जागृत, क्रियाशील रखने का कार्य स्वयंसेवकों ने किया. साथ ही सामाजिक दायित्व को भी स्वयंसेवकों ने निभाया. संकट के दौर में स्वयंसेवकों ने समाज के सहयोग से सबकी सेवा की. लाखों-करोड़ों की संख्या में लोगों तक दैनंदिन आवश्यकता और राहत सामग्री पहुंचाई.

सरकार्यवाह ने कहा कि इस संबंध में प्रस्ताव पारित किया गया है. संकट के दौरान पूरा भारत एकजुट होकर खड़ा हुआ. महामारी का सामना करने के लिए समाज ने अपनी शक्ति का परिचय दिया. इस दौरान समस्त फ्रंटलाइन वर्कर्स ने अपना दायित्व निभाया, देश की भावी पीढ़ी उनके इस समर्पण से प्रेरणा लेगी. उन्होंने आशा जताई कि देश और विश्व जल्द ही इस समस्या से मुक्त होगी. भारत ने वेंटिलेटर, पीपीई किट, कोरोना जाँच की तकनीक तथा जल्दी व सस्ती स्वदेशी कोरोना वैक्सीन के विकास एवं निर्माण के औद्योगिक नवाचारों के द्वारा हम इस आपदा को भी अवसर में परिवर्तित करने में सफल हुए. इस कठिन समय में समाज की आंतरिक शक्ति और प्रतिभा को प्रकट होने का अवसर प्राप्त हुआ. प्रतिनिधि सभा को पूर्ण विश्वास है कि भारतीय समाज सतत दृढ़ता एवं निश्चय के साथ इस महामारी के दुष्प्रभावों से मुक्त होकर शीघ्र ही सामान्य जीवन को प्राप्त करेगा.

श्रीराम मंदिर पर पारित प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि पर सर्वोच्च न्यायालय के सर्वसम्मत निर्णय, तत्पश्चात् श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्रका गठन, अयोध्या में भव्य मंदिर के निर्माण कार्य को प्रारंभ करने हेतु किया गया अनुष्ठान एवं निधि समर्पण अभियान भारत के इतिहास का वह स्वर्णिम पृष्ठ बन गया है, जो आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा देगा. जब तीर्थ क्षेत्र ने निधि संग्रह का अभियान लिया तो मंदिर आंदोलन में सहयोगी रहे संघ के स्वयंसेवकों ने सहयोग किया. इस अभियान के दौरान समाज का सहयोग व उत्साह ऐतिहासिक था. जहां स्वयंसेवक नहीं पहुंच पाए तो वहां के लोगों ने संपर्क करके स्वयं बुलाया. भारत में रहने वाले श्रीराम के साथ किस प्रकार जुड़े हैं, यह इस अभियान से सिद्ध हो गया.

ग्रामवासी-नगरवासी से लेकर वनवासी और गिरिवासी बंधुओं तक, सम्पन्न से सामान्य जनों तक सभी ने इस अभियान को सफल बनाने में अपना भरपूर योगदान दिया. इस अद्वितीय उत्साह व सहयोग के लिए प्रतिनिधि सभा सभी रामभक्तों का अभिनंदन करती है. इस अभियान ने एक बार पुनः यह सिद्ध किया है कि संपूर्ण देश भावात्मक रूप से सदैव श्रीराम से जुड़ा हुआ है.

अगले तीन वर्षों में हर मंडल तक पहुंचेगा संघ

संघ कार्य के विस्तार पर उन्होंने कहा कि अगले तीन वर्षों में भारत में संघ कार्य को हर मंडल तक पहुंचाने की योजना है. 58 हजार मंडलों तक संघ कार्य पहुंचाने को लेकर योजना बनी है. कोरोना संकट के कारण दीवाली तक शाखा नहीं लग सकी थी, उसके पश्चात आवश्यक गाइडलाइन का पालन करते हुए धीरे-धीरे शाखाएं प्रारंभ हुईं. उन्होंने आशा व्यक्त की कि परिस्थितियां सुधरती हैं तो संघ न केवल मार्च 2020 की स्थिति को हासिल करेगा, बल्कि उससे आगे बढ़ेगा.

उन्होंने कहा कि वर्तमान में परिवार प्रबोधन, गौ सेवा, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समरसता की गतिविधियां संचालित की जा रही हैं. इन्हें आगे बढ़ाया जाएगा. संघ का उद्देश्य भेदभाव रहित हिंदू समाज का निर्माण करना है.

उन्होंने बताया कि आने वाले समय में ग्राम विकास और कृषि क्षेत्र में विशेष दृष्टि रखते हुए कार्य का आरंभ करेगा. 13 अप्रैल से संघ भूमि सुपोषण अभियान शुरू करने वाला है. कृषि क्षेत्र के तज्ञ लोगों ने प्रयोग करके सिद्ध किया है कि इन प्रयोगों से किसानों की स्थिति बेहतर बनाई जा सकती है. इस क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्थाओं, संगठनों ने मिलकर कार्य करने का निर्णय लिया है. इसे सामाजिक अभियान के रूप में चलाने का निर्णय लिया है. भूमि-सुपोषण से अर्थ है कि मृदा में आवश्यक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए काम किया जाए.

भारत का नेरेटिव, वैचारिक पक्ष. भारत क्या है, भारत का अतीत, भारत का संदेश क्या है. पुरातन ज्ञान को नकारने से काम नहीं बनेगा, उसके आधार पर नए भारत का निर्माण. नई पीढ़ी की आवश्यकता के अनुरूप उसे कैसे विकसित करना. इसके लिए भारत के नेरेटिव को सही दृष्टि में रखने के एक वैचारिक प्रबोधन, वैचारिक अभियान की भी आवश्यकता है. इसलिए समाज परिवर्तन का बड़ा काम और वैचारिक क्षेत्र में परिवर्तन का काम, ये दोनों करना है तो संगठन की शक्ति को बड़ा करना पड़ेगा.

उन्होंने कहा कि अभी हुए अभियान ने हमें अद्भुत प्रेरणा दी है. कार्य विस्तार, समाज परिवर्तन, वैचारिक प्रबोधन, तीनों पर काम करते हुए आगे बढ़ेंगे.