राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा, बेंगलूरु
युगाब्द 5122, 19, 20 मार्च 2021
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा, वैश्विक महामारी कोविड-19 की
चुनौती के संदर्भ में भारतीय समाज के उल्लेखनीय, समन्वित
एवं समग्र प्रयासों को संज्ञान में लेते हुए तथा इसके भीषण परिणामों के नियंत्रण
हेतु समाज के प्रत्येक वर्ग द्वारा निभाई गई भूमिका के लिए उसका हार्दिक अभिनंदन
करती है.
जैसे ही इस महामारी तथा उसके हानिकारक परिणामों के समाचार आने
प्रारम्भ हुए, केंद्र तथा राज्यों का शासन एवं
प्रशासन तन्त्र तुरंत सक्रिय हो गया. जनसामान्य को इस रोग के लक्षण व उससे बचाव के
लिए आवश्यक सावधानियों से अवगत कराने हेतु देशभर में विभिन्न सृजनात्मक साधनों एवं
मीडिया के सकारात्मक सहयोग द्वारा एक वृहद् जनजागरण का कार्य हुआ. परिणामस्वरूप
पूरे देश ने एकजुट होकर निर्धारित नियमों का पालन किया और प्रारम्भिक काल में
अनुमानित विभीषिका से हम बच सके. कोरोना जाँच तथा रुग्ण सेवा के कार्य में संलग्न
सभी चिकित्सकों, नर्सों, अन्य
स्वास्थ्य एवं स्वच्छता कर्मियों ने चुनौती को स्वीकार किया एवं अपने जीवन को खतरे
में डालकर भी वे कार्य में जुटे रहे. समाज के अनेक वर्गों जैसे सुरक्षा बल, शासकीय कर्मी, आवश्यक
सेवाओं तथा वित्तीय संस्थाओं से जुड़े कर्मियों सहित, संगठित
तथा असंगठित क्षेत्र से संबंधित अनेक समूहों की सक्रियता के कारण ऐसे चुनौतीपूर्ण
समय में दैनंदिन जीवन का प्रवाह सामान्यतः अबाधित रूप से चलता रहा. ये सभी कार्य
और विभिन्न शासकीय विभागों के द्वारा किए गए समन्वित प्रयास यथा ‘‘श्रमिक ट्रेन’’, ‘‘वंदेभारत
मिशन’’ और वर्तमान में चल रहा ‘‘कोविड
टीकाकरण अभियान’’ सराहनीय है.
वैश्विक महामारी से जूझते हुए निःस्वार्थ भाव से कर्तव्य पालन
कर रहे अनेक कोरोना योद्धाओं ने अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया. अ.भा.प्र. सभा
हृदय की गहराइयों से उनके साहस और बलिदान का स्मरण करते हुए अपनी कृतज्ञता व्यक्त
करती है. इस कालखण्ड में महामारी के कारण हजारों लोग काल ग्रसित हो गए. हम उन
दिवंगत आत्माओं को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उनके शोक संतप्त परिवारों के प्रति
हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं.
भारत के सम्पूर्ण समाज ने इस अनपेक्षित घटनाचक्र से पीड़ित
करोड़ों लोगों की राशन, तैयार
भोजन, स्वास्थ्य सेवा, यातायात, आर्थिक सहायता आदि अनेक माध्यमों से सहयोग कर सेवा, आत्मीयता एवं सामाजिक एकजुटता की एक नई गाथा रची है. विविध
धार्मिक, सामाजिक एवं स्वयंसेवी संगठनों तथा सामान्य जनों ने
जरूरतमंदों के घर-घर तक पहुँच कर उन्हें आवश्यक सहयोग दिया. अ.भा. प्रतिनिधि सभा
ऐसी सभी संस्थाओं तथा व्यक्तियों द्वारा किए गए उनके निःस्वार्थ एवं आत्मीयतापूर्ण
व्यवहार के प्रति अपना साधुवाद व्यक्त करती है.
कोविड के प्रकोप एवं तत्पश्चात् हुए लॉकडाउन के कठिन समय में
प्रवासी श्रमिकों सहित समाज के एक बड़े वर्ग को अनेक संकटों व चुनौतियों से जूझना
पड़ा. परंतु अपने समाज ने उल्लेखनीय धैर्य एवं असाधारण साहस का परिचय देते हुए इस
विषम एवं अनिश्चिततापूर्ण परिस्थिति का सामना किया. चिकित्सा सुविधाओं की अपर्याप्तता
और नगरों से हो रहे पलायन के कारण व्यक्त किए गए सभी भीषण अनुमानों के बावजूद
ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति नियंत्रण में रही. वास्तविकता यह रही कि स्थानीय
निवासियों द्वारा नगरों से आए इन लोगों की व्यवस्था एवं देखभाल प्रशंसा के योग्य
रही.
इस कालखंड में कृषि उत्पादन सामान्य से अधिक हुआ और उद्योग
जगत सहित साधारण आर्थिक परिदृश्य भी उत्साहवर्धक दिखाई दे रहा है. वेंटिलेटर, पीपीई किट, कोरोना
जाँच की तकनीक तथा जल्दी व सस्ती स्वदेशी कोरोना वैक्सीन के विकास एवं निर्माण के
औद्योगिक नवाचारों के द्वारा हम इस आपदा को भी अवसर में परिवर्तित करने में सफल
हुए. इस कठिन समय में समाज की आंतरिक शक्ति और प्रतिभा को प्रकट होने का अवसर
प्राप्त हुआ.
इस वैश्विक संकट में भारत ने अपनी ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम्’’ की
परंपरा के अनुरूप प्रारंभिक काल में हाईड्रोक्सिक्लोरोक्विन तथा अन्य आवश्यक
वस्तुओं की आपूर्ति तद्नंतर ‘‘वैक्सीन-मैत्री’’ अभियान द्वारा विश्व के अनेकानेक देशों की ओर सहयोग का हाथ
बढ़ाया. भारत द्वारा किए गए समयोचित अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की विश्व के अनेक नेताओं
व देशों द्वारा प्रशंसा की गई.
इस महामारी में हमें अपनी समग्र वैश्विक दृष्टि, सदियों से चली आ रही परम्पराओं एवं विकेंद्रित ग्रामीण
अर्थव्यवस्था की शक्ति तथा सामर्थ्य की अनुभूति भी हुई है. परंपरागत मूल्य बोध के
अनुरूप हमारा दैनंदिन आचार-व्यवहार, परिवार
के साथ मनोयोग से बिताया गया समय, संयमित
उपभोग पर आधारित स्वस्थ जीवनशैली, पारंपारिक
भोजन पद्धति एवं औषधियों के सेवन से प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि व रोगों की
रोकथाम, योग और ध्यान के सकारात्मक परिणाम आदि इस कालखंड में उपयोगी
सिद्ध हुए हैं. विश्वभर में अनेक विशेषज्ञों ने भारत की इस एकात्म दृष्टि और उस पर
आधारित दैनंदिन जीवन के महत्त्व को स्वीकार किया है.
अ.भा. प्रतिनिधि सभा को पूर्ण विश्वास है कि भारतीय समाज सतत
दृढ़ता एवं निश्चय के साथ इस महामारी के दुष्प्रभावों से मुक्त होकर शीघ्र ही
सामान्य जीवन को प्राप्त करेगा. हम सबको यह ध्यान रखना होगा कि कोरोना के संकट से
समाज अभी पूर्णतया मुक्त नहीं हुआ है. इस पृष्ठभूमि में संपूर्ण समाज से अपेक्षा
है कि महामारी के उन्मूलन हेतु आवश्यक सूचनाओं व दिशानिर्देशों का कठोरतापूर्वक
पालन करें. अ.भा. प्रतिनिधि सभा समस्त समाज का आवाहन करती है कि महामारी के कालखंड
में अनुभवों से प्राप्त पाठ जैसे सुदृढ़ परिवार व्यवस्था, संतुलित उपभोग व पर्यावरण संरक्षण को व्यक्तिगत एवं सामाजिक
जीवन में अपनाते हुए आत्मनिर्भरता एवं स्वदेशी के मंत्र को जीवन में उतारें.
स्रोत- विश्व संवाद केन्द्र, भारत
तथ्यों पर आधारित यह प्रस्ताव सामाजिक कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाता है!
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