Thursday, April 8, 2021

काशी विश्वनाथ मंदिर ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण की अनुमति

काशी । न्यायालय ने काशी विश्वनाथ मंदिर ज्ञानवापी परिसर विवाद मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. न्यायालय ने परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण का आदेश दिया है, सर्वेक्षण का खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाएगा. मामले को लेकर वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई चल रही थी. सीनियर डिवीजन, फास्ट ट्रैक कोर्ट सिविल जज आशुतोष तिवारी ने फैसला सुनाया. कोर्ट ने 1991 से सर्वेक्षण को लेकर चल रहे मामले पर आदेश जारी किया है. कोर्ट ने निर्देश दिया कि पुरातत्व विभाग के 5 लोगों की टीम बनाकर पूरे परिसर का अध्ययन किया जाए.

रिपोर्ट्स के अनुसार मामले में वादी पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि 1991 में दायर याचिका में मांग की गई थी कि मस्जिद ज्योतिर्लिंग विश्वेश्वर मंदिर का एक अंश है. जहां हिन्दू आस्थावानों को पूजा-पाठ, दर्शन और मरम्मत का अधिकार है. स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर के पक्षकार पंडित सोमनाथ व्यास और अन्य ने याचिका दायर की थी. मुकदमे में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद तथा अन्य विपक्षी हैं. मुकदमा दाखिल करने वाले दो वादियों डॉ. रामरंग शर्मा और पंडित सोमनाथ व्यास की मौत हो चुकी है. जिसके बाद वादी पंडित सोमनाथ व्यास की जगह पर प्रतिनिधित्व कर रहे वादमित्र पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) विजय शंकर रस्तोगी ने प्रार्थनापत्र में कहा है कि कथित विवादित परिसर में स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ का शिवलिंग आज भी स्थापित है. यह देश के बारह ज्योतिर्लिंग में से है और मंदिर परिसर पर कब्जा करके मस्जिद बना दी है. 15 अगस्त, 1947 में विवादित परिसर का स्वरूप मंदिर का ही था. अब वादी ने कोर्ट से भौतिक और पुरातात्विक दृष्टि से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा रडार तकनीक से सर्वेक्षण तथा परिसर की खुदाई कराकर रिपोर्ट मंगाने की अपील की थी.

काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी परिसर मामले में 2019 दिसंबर से पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने को लेकर कोर्ट में बहस चल रही थी. वाराणसी फार्स्ट ट्रैक कोर्ट के जज आशुतोष तिवारी ने काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सर्वे कराकर आख्या प्रस्तुत करने का आदेश दिया है.

इसके बाद जनवरी 2020 में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति ने ज्ञानवापी मस्जिद और परिसर का एएसआई द्वारा सर्वेक्षण कराए जाने की मांग पर प्रतिवाद दाखिल किया. पहली बार 1991 में वाराणसी सिविल कोर्ट में स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से ज्ञानवापी में पूजा की अनुमति के लिए याचिका दायर की गई थी.

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