Tuesday, October 26, 2021

अच्छी कहानियों को फिल्म का रूप देने की कोशिश करें - के.जी. सुरेश


माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति के.जी. सुरेश ने कहा कि ऐसी फिल्म बनाएं जो परिवार के साथ देखी जा सके. वर्तमान में ऐसी फिल्में बनाई जा रही हैं जो परिवार के साथ देखी नहीं जा सकती हैं. भारतीय परिवार मूल्यों को नष्ट करने की साजिश रची जा रही है. अच्छी कहानियों को फिल्म का रूप देने की कोशिश करें. आजकल बिना पढ़े, लिखना और बिना सुने, बोल देने की परंपरा चल पड़ी है. क्योंकि हमने पढ़ना व लिखना छोड़ दिया है.के.जी. सुरेश चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग तथा मेरठ चलचित्र सोसाइटी के संयुक्त तत्वाधान में बृहस्पति भवन में आयोजित नवांकुर फिल्म महोत्सव-2021 में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे.

के.जी. सुरेश ने कहा कि फिल्म या तो अच्छी है या फिर कम अच्छी है. क्योंकि हर निर्माता का उद्देश्य फिल्म को अच्छा बनाने का ही होता है. भारत में भारतीय सिनेमा है, हॉलीवुड या फिर बॉलीवुड की क्या आवश्यकता है? आजकल मोबाईल के माध्यम से भी फिल्म बनाई जा सकती है. लेकिन इसके लिए अध्ययनशीलता बनाए रखें. अगर रचनात्मकता नहीं है तो फिल्म बनाने का कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा कि वर्तमान की फिल्मों में इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया जाता है, इसलिए इतिहास को पढ़ना बहुत जरूरी है.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने विश्व गुरू का मार्ग प्रशस्त किया है. हम परीक्षा देने के लिए न पढ़ें, बल्कि जीवन के लिए तैयार करें. हर व्यक्ति से कुछ सीखने को मिलता है. अच्छा है कि कहानी और जीवनी को पढ़ें. एपिक चैनल को देखें, बहुत कुछ सीखने को मिलेगा.

कार्यक्रम में ऑनलाइन माध्यम से लेखक, निर्देशक आकाशादित्य लामा ने कहा कि पुरस्कार नहीं मिला है तो चिंता की बात नहीं है, कहीं और पुरस्कार मिलेगा. अपनी बात कितने अच्छे से कहते हैं, उसका प्रभाव कितना पड़ता है, यह सोचना चाहिए. मानव जाति के उत्थान के लिए कुछ नहीं किया तो जीवन बेकार है. हम जो फिल्म नाटक लघु कथा लिखते हैं, उसके बारे में विचार करना चाहिए कि विश्व को और देश को हम क्या संदेश देने जा रहे हैं. हमारी संस्कृति का सबसे बड़ा वाहक है सिनेमा. हम विश्व को क्या दे सकते हैं, इस बात को विचार कर फिल्म और उसकी पटकथा लिखनी चाहिए.


प्रतियोगिता के विजेता 10 मिनट श्रेणी

प्रथम ऑक्सीजन (महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, वर्धा महाराष्ट्र)

द्वितीय विभाजन की विभीषिका (पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ)

सांत्वना पुरस्कार लगन देश सेवा की (पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ), नजरिया – (डीसीटी स्टूडियो), डिस्पोजन फैमिली (पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ), हिन्दी हैं हम (चंडीगढ़ विश्वविद्यालय पंजाब)

05 मिनट श्रेणी

प्रथम आंदोलन द ट्रूथ (एसआर डी मीडिया)

द्वितीय मोबाइल के मारे हैं हम (पत्रकारिता  विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ)

सांत्वना पुरस्कार

कैंची बाजार मेरठ (आईआईएमटी मीडिया प्रा. लिमिटेड), द फर्स्ट डे (पॉइंट एंड ऑफ द सेंटेंस),

द अनरिकॉगनाइज बोस (आईएमएस नोएडा), नॉट जस्ट ए ड्रीम (आईआईएमटी ग्रेटर नोएडा),

लुक डू लाई (पत्रकारिता विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ)

कार्यक्रम की अध्यक्षता चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेंद्र कुमार तनेजा ने की. निर्णायक भूमिका में नीता गुप्ता, सुमंत डोगरा व डॉ. दिशा दिनेश रही. पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के निदेशक प्रो. प्रशांत कुमार ने सभी का स्वागत किया एवं मेरठ चलचित्र सोसाईटी के अध्यक्ष अजय मित्तल ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया.

Monday, October 25, 2021

संपूर्ण समाज में देशभक्ति का भाव जगाना ही अमृत महोत्सव का मुख्य उद्देश्य

काशी। काशी प्रांत के गांव-गांव तक अमृत महोत्सव का संदेश पहुंचा कर देशभक्ति का ज्वार जगाने की व्यापक रणनीति तैयार कर ली गई है। अमृत महोत्सव आयोजन समिति की काशी प्रांत की एक दिवसीय कार्यशाला में काशी प्रांत के सभी जिलों से आए डेढ सौ प्रतिनिधियों की उपस्थिति में रणनीति को अंतिम रूप दिया गया। पूर्वांचल में स्वतंत्रता संघर्ष के गढ के रूप में प्रसिद्ध  रहे वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के केंद्रीय ग्रंथालय  के हाल में पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक श्रीमान अनिल जी की उपस्थिति में रविवार को कार्य योजना  को अंतिम रूप दिया गया।

प्रज्ञा प्रवाह के पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं बिहार के क्षेत्र संगठन मंत्री रामाशीष जी एवं प्रांत प्रचारक श्रीमान रमेश जी के दीप प्रज्वलन के बाद दो सत्रों में चली इस कार्यशाला में श्रीमान अनिल जी ने महोत्सव के उद्देश्य पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संपूर्ण समाज में देशभक्ति का भाव जगाना ही अमृत महोत्सव का मुख्य उद्देश्य है। यह कार्य अकेले सरकार के प्रयासों से नहीं हो सकता। संपूर्ण समाज की सहभागिता जरूरी है। उन्होंने कहा कि 7 नवंबर तक सभी जिलों में तथा उसके पश्चात खंड एवं न्याय पंचायत स्तर की समितियों का गठन का कार्य पूर्ण कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि जनसभाओं को संबोधित करने वाले वक्ताओं के चयन में पूरी सावधानी बरती जाए। आम जनता तक सहज एवं सरल भाषा में अपनी बात पहुंचाने वाले वक्ता ही जनसभाओं को संबोधित करने के लिए भेजे जाएं। जनसभाओं में जन भावना का पूरा ध्यान रखते हुए झोपड़पट्टी में रहने वाले वंचित समाज के बंधुओं को भी कार्यक्रमों से सीधा जोड़ा जाए क्योंकि स्वतंत्रता संघर्ष में गांव के गरीबों का  योगदान किसी से कम नहीं था। इस परिप्रेक्ष्य में उन्होंने कारगिल की लड़ाई में भेड़ चराने वाले लोगों की ओर से सेना को दी गई सूचना का उदाहरण प्रस्तुत किया।

प्रांत प्रचारक श्रीमान रमेश जी ने संपूर्ण अभियान की व्यापक रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि 19 नवंबर से 16 दिसंबर तक चलने वाले इस व्यापक अभियान में जनसभाएं, रथयात्रा,  भारत माता पूजन, भारत माता की आरती तथा बड़े पैमाने पर जिलों में वंदे मातरम के सामूहिक गान के कार्यक्रम होंगे ।

हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने पौरुष पराक्रम से देश को जिस तरह झकझोरने का काम किया था अमृत महोत्सव में भी कार्यकर्ता उसी तरह देश भक्ति का भाव जागृत करेंगे। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सरकारी प्रयासों से सामाजिक संगठनों का काम ज्यादा  असरकारी होगा। इस व्यापक अभियान के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना है इसे सभी को ध्यान में रखना होगा। स्वतंत्रता संघर्ष के ऐसे पहलुओ को उजागर करना होगा जिन्हें राजनीतिक हितों के लिए जानबूझकर जनता से छिपाया गया। सच्चे इतिहास की जानकारी जनता को देनी होगी।

 अभियान के स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि यह अभियान पूर्वी उत्तर प्रदेश के सभी 155 ब्लॉकों 104 नगरों सभी महाविद्यालयों विश्वविद्यालयों में चलाया जाएगा जिला खंड एवं ग्राम समितियों में 25 से 35 समर्पित कार्यकर्ताओं की मजबूत कार्यकारिणी होगी। समिति में 7 महिलाओं को भी प्रतिनिधित्व देने का उन्होंने आग्रह किया| उन्होंने कहा कि सभी समितियों के गठन का कार्य 25 अक्टूबर तक अवश्य पूरा कर लिया जाए| 19 नवंबर को वीरांगना महारानी लक्ष्मी बाई की जयंती के दिन सभी जिलों के जिला मुख्यालयों, खंड नगर एवं न्याय पंचायत केंद्रों पर एक साथ उद्घाटन के कार्यक्रम एक निश्चित समय पर होंगे। यह कार्यक्रम 2 घंटे तक चलेंगे।

  20 से 30 नवंबर तक जिलों में तिरंगा यात्रा निकाली जाएंगी| इसके पश्चात न्याय पंचायतो, ग्राम पंचायतों एवं बस्ती में यह यात्रा एक साथ निकलेगी। इस दौरान इस अभियान से कोई भी गांव-नगर एवं बस्ती अछूती न रहे इसका पूरा ध्यान कार्यकर्ताओं को रखना होगा। अभियान के दौरान स्टीकर हैंड बिल तथा पत्रक घर-घर बांटे जाएंगे। तिरंगा यात्रा के बाद 15 दिनों तक सभी जिलों के जिला केंद्रों, नगरों सभी खंडों तथा गांव में भारत माता की भव्य झांकी निकाली जाएगी तथा सामूहिक आरती होगी। 16 दिसंबर को अब तक सेना की ओर से आयोजित होने वाले विजय दिवस को गांव-गांव में मनाया जाएगा। इसी दिन 1971 में पाकिस्तान ने आत्म समर्पण किया था। अभियान के अंतर्गत महानगरों में एक साथ सामूहिक वंदे मातरम गायन के कार्यक्रम  होंगे।

प्रज्ञा प्रवाह के क्षेत्र संगठन मंत्री रामाशीष जी ने कार्यशाला में कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद स्व का जागरण नहीं हो सका। यह अभियान स्वराज्य, स्वदेशी, स्व धर्म, स्वावलंबन एवं स्व के प्रगटीकरण के लिए चलाया जाएगा। लोगों को सही इतिहास की जानकारी दी जाएगी तथा स्वतंत्रता के लिए संघ के योगदान के बारे में बताया जाएगा। उन्होंने प्रतिनिधियों का आह्वान किया कि वे अमृत महोत्सव में इतिहास का मंथन कर उसमें से अमृत निकालें जिससे समाज में सद्भाव बढे और स्वतंत्रता की रक्षा हो सके। जनसभाओं में स्थानीय स्तर पर स्वतंत्रता के लिए जिन लोगों ने संघर्ष किया उनके योगदान की चर्चा करें। गौ संरक्षण, देशभक्ति तथा संघ के योगदान की अवश्य चर्चा करें। कार्यालय के द्वितीय सत्र में प्रतिनिधियों ने अपने अपने सुझाव रखे।

कार्यशाला का संचालन सह प्रांत कार्यवाह डॉ राकेश जी ने किया। इतिहास संकलन समिति के डॉ आनंद शंकर सिंह, पत्रकारिता संस्थान के निदेशक प्रो0 ओमप्रकाश सिंह, विश्व संवाद केंद्र, काशी के डॉ हेमंत कुमार, प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ0 मुरारजी त्रिपाठी, प्रांत बौद्धिक प्रमुख डॉ सत्यपाल तिवारी समेत अनेक प्रतिनिधियों ने अपने विशेष सुझाव रखे। कार्यशाला में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, विद्या भारती प्रज्ञा प्रवाह आदि संगठनों के कार्यकर्ताओं ने विशेष रूप से भाग लिया। 

हिन्दू समाज के पास हो मंदिरों के संचालन की जिम्मेदारी – विहिप


विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा कि हिन्दू मंदिरों का संचालन पूरे तरीके से हिन्दू समाज को करना चाहिए, सरकारी कब्जे से मंदिरों को मुक्ति मिलनी चाहिए. शुक्रवार को भोपाल में पत्रकार वार्ता के दौरान परांडे ने कहा कि मंदिरों के साथ मंदिरों की संपत्ति का वहां आए हुए दान का उपयोग हिन्दुओं के लिए ही हो. मंदिर के रखरखाव के लिए तथा धार्मिक प्रचार के लिए इस दान का उपयोग किया जाए. विश्व हिन्दू परिषद इसके लिए समाज जागरण और कानूनी तौर पर न्यायालय में भी प्रयास करेगा.

उन्होंने कहा कि ईसाई मिशनरीज द्वारा प्रलोभन देकर, झूठ बोलकर देशभर में हिन्दुओं का मतांतरण किया जा रहा है. अब यह एक राष्ट्रीय स्तर की समस्या बन चुकी है, इसके लिए भी हम सरकारों से केंद्रीय कानून बनाने की मांग कर रहे हैं. लव जिहाद की समस्या भी इस कानून के अंतर्गत आनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि बीते दिनों अकाल तख्त तथा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा भी पंजाब में मिशनरियों के षड्यंत्र पर वक्तव्य दिया था, इस बात से यह समझ आता है कि मिशनरीज द्वारा किया जा रहा षड्यंत्र कितना खतरनाक है.

बांग्लादेश में भी लगातार हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध विहिप ने देशभर में व्यापक प्रदर्शन किए. देश के अधिकांश जिलों में परिषद द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की यह भयानक समस्या CAA कानून की सार्थकता व आवश्यकता को दिखाती है.

उन्होंने बताया कि श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर की नींव निर्माण का कार्य लगभग संपन्न हो गया है, दिसंबर 2023 तक भगवान श्रीराम लला गर्भ गृह में विराजमान हो जाएंगे, यह विश्वास विहिप को है.

Saturday, October 23, 2021

प्रत्येक नागरिक को पीने का शुद्ध जल निश्चित रूप से उपलब्ध होना चाहिए - दिनकर सबनीस

काशी| शनिवार को वाराणसी में अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत, काशी प्रान्त की ओर से आयोजित पत्रकार वार्ता में अ.भा. संगठन मंत्री दिनकर सबनीस ने कहा कि देश की बढ़ती हुई जनसंख्या के सामने आज शुद्ध पेयजल की उपलब्धि एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। ग्राहक पंचायत का स्पष्ट मत है कि प्रत्येक नागरिक को पीने का शुद्ध जल निश्चित रूप से उपलब्ध होना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्थानीय निकायों जैसे नगर पालिका, नगर निगम, ग्राम पंचायत आदि की जिम्मेदारी तय होना चाहिए कि वह अपने क्षेत्र के समस्त नागरिकों के शुद्ध पेय जल की सुविधा का ध्यान रखें। इस हेतु स्थानीय निकाय स्पष्ट नीति बनाकर इस अतिआवश्यक मुद्दे को हल करने का प्रयास करें। बोतलबंद पानी और R.O./फिल्टर के बढ़ते व्यापार के बीच आम गरीब ग्राहक जो खरीद कर नहीं ले सकता वह पीने के शुद्ध पानी के लिए ना तरस जाए यह ध्यान रखना स्थानीय निकायों का कर्तव्य है।

उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लिए निर्णय के अनुसार स्वर्ण आभूषण विक्रेताओं के लिए देश के 256 जिलों में छह अंकों वाले कोड के हॉलमार्किंग को अनिवार्य किया गया है। हॉलमार्क वाले जेवर खरीदने पर ग्राहक को धोखा होने की संभावना नहीं रहेगी। यह बहुत सकारात्मक कदम है किंतु ग्राहक पंचायत का मत है कि इसे देश के सभी जिलों में लागू किया जाना चाहिए। भारतवर्ष में 700 से अधिक जिले हैं फिर 450 जिलों के ग्राहक क्यों अशुद्ध आभूषण अधिक मूल्य पर खरीदें ?  संगठन की मांग है कि पक्का बिल देना सभी विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं के लिए अनिवार्य किया जाना चाहिए। पक्के बिल से ग्राहकों को धोखाधड़ी के प्रति सुरक्षा तो हासिल होगी ही साथ ही वे कर चुका कर देश के विकास में भी भागीदार बन सकेंगे।

ग्राहक पंचायत  लम्बे समय से पेट्रोल- डीजल को जी.एस.टी. के दायरे में लाने की मांग कर रही है। वर्तमान में अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग प्रकार के कर होने से पेट्रोल/डीजल के दामों में काफी अंतर रहता है इस कारण जिन राज्यों में दर कम रहती है वहां दूसरे राज्यों के वाहन अधिकतम इंधन खरीद कर वापस लौटते हैं और पेटोल पम्प मालिकों को नुकसान भी होता है। ऐसे में यदि इन उत्पादों पर जी.एस.टी लागू किया जाए तो सभी राज्यों में समान दर रहेगी और मूल्य नियंत्रित रहने से अंततः ग्राहक को भी लाभ होगा। परिवहन लागत नियंत्रण में रहने से अन्य वस्तुओं की महंगाई पर भी प्रभावी रोक लगेगी। अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत की केंद्रीय वित्त मंत्री से मांग है कि पेट्रोल और डीजल को जी.एस.टी. के दायरे में लाने के लिये प्रस्ताव कौंसिल में प्रस्तुत करे और समस्त राज्य सरकारों के मुख्य मंत्रीयों से आग्रह करती है कि वे ग्राहकों के हित में इस प्रस्ताव का पुरजोर समर्थन करे।

एम.आर.पी. को लेकर बाजार में अधिकांशतः असमंजस बना रहता है। कई वस्तुएं एम.आर.पी. से भी ज्यादा मूल्य पर विक्रय होती हैं तो कई वस्तुएं एम.आर.पी. मूल्य से आधे बल्कि चौथाई मूल्य तक मिल जाती हैं। ऐसी स्थिति में ग्राहक के ठगे जाने की सम्भावना बनी रहती है। विशेषकर दवाइयों के मूल्य में एम.आर.पी. और वास्तविक मूल्य का अंतर अत्यधिक देखा गया है। मरीज और उसके परिजन वैसे ही मानसिक और आर्थिक रूप से त्रस्त रहते हैं उस पर एम.आर.पी. की धोखाधड़ी उन पर बहुत भारी गुजरती है। जिस प्रकार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल विक्रय होने पर अपनी लागत पर एक निश्चित मुनाफा प्राप्त हो जाता है, उसी प्रकार ग्राहक पंचायत सभी औद्योगिक उत्पादन पर भी एक राष्ट्रव्यापी मूल्य निर्धारण नीति चाहती है ताकि विक्रय हेतु किसी मूल्य सूत्र के माध्यम से वस्तुओं के दामों का निर्धारण हो और समाज जन  मुनाफाखोरी से बच सके।

ग्राहक सम्बंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते हुए श्री सबनीस ने बढ़ती हुई ऑनलाइन खरीदी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रकार की खरीदी में ग्राहक वस्तुओं का चयन ठीक से नहीं कर पाता है और अन्ततः नुकसान उठाता है। अपने आसपास के विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं से खरीदी करने पर ग्राहक और दुकानदार के बीच पारिवारिक रिश्ते मजबूत होते हैं। ऑनलाइन खरीदी में आए दिन धोखे देखने में आते हैं, आसपास के विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं से खरीदी करने पर यह जोखिम नही रहती। बड़ी-बड़ी कंपनियां पहले प्रलोभन देकर बाजार पर कब्जा करती हैं और बाद में मोनोपाली होने पर अपनी मनमानी पर उतर आती हैं जबकि छोटे स्थानीय दुकानदारों और उत्पादन को प्रोत्साहित करने पर हमारे देश का एक बहुत बड़ा वर्ग स्वावलंबी बनता है एवं समाज आत्मनिर्भर होता है।

पत्रकार वार्ता में पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के सह संगठन मंत्री मेहताब, काशी प्रांत के संगठन मंत्री प्रदीप कुमार चौरसिया, सह संगठन मंत्री अरविंद कुमार, वाराणसी ईकाई के अध्यक्ष डॉ एस.एस. पांडे एवं  महामंत्री सी.ए. रजनीश विश्वकर्मा उपस्थित थे।

Friday, October 22, 2021

संगठन के नाते देश की कला और संस्कृति के लिए कार्य करते रहना हमारी श्रद्धांजलि होगी – दत्तात्रेय होसबाले जी

नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि श्रद्धेय अमीर चंद जी कला और संस्कृति के लिए आजीवन कार्य करने वाले संस्कार ऋषि व्यक्तित्व थे जो जीवन के अन्त समय तक अपनी कला साधना में लीन रहे. पूरे देश की कला प्रतिभाओं को जोड़ने के काम में महती भूमिका का निर्वाह किया. भारतीय कला के प्रचार प्रसार में इनका विशेष योगदान था. पूर्वोत्तर से उनका विशेष लगाव था और पूर्वोत्तर में संस्कार और संस्कृति के लिए काम करते हुए उसी भूमि पर अपना प्राण त्याग दिया. कला और संस्कृति के ये साधक सदैव हमारे ह्रदय में जीवित रहेंगे. कोरोना महामारी के दौरान कलाकारों के जीवन के कष्ट को ध्यान में रखते हुए उन्होंने पीर परायी जाणे रे अभियान द्वारा बड़े कलाकरों को जोड़ कर छोटे और मंझोले कलाकारों की सहायता की.

श्रद्धेय अमीर चंद जी को श्रद्धांजलि देने के लिए अम्बेडर सेंटर सभागार में संस्कार भारती ने स्मृति सभा का आयोजन किया. जिसमें देश भर से गणमान्य व्यक्तियों ने दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि दी. सरकार्यवाह ने कहा कि संगठन के नाते देश की कला और संस्कृति के लिए कण-कणक्षण-क्षण कार्य करते रहना उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

संस्कार भारती के युवा कार्यकर्ता सुशांक ने बेहद आत्मीयता के साथ अमीर चंद के जीवन के उन पहलुओं को छुआ जो उनको युवाओं से जोड़ता था. स्मृति सभा में राज्यसभा सदस्य पद्मविभूषण सोनल मानसिंहमशहूर निर्देशक चंद्रप्रकाश द्विवेदीगायक वासिफुद्दीन डागरमालिनी अवस्थी सहित अन्य गणमान्य लोगों ने श्रद्धासुमन अर्पित किए.

स्मृति सभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जीसुरेश सोनी जीकला ऋषि पद्मश्री बाबा योगेंद्र जीसहित संस्कार भारती के अनेक कार्यकर्ताकला जगत से जुड़े कलाकार उपस्थित रहे.

संस्कार भारती के अखिल भारतीय महामंत्री श्री अमीरचंद जी का पूरा जीवन कला साहित्य और संस्कृति के संवर्धन के प्रति समर्पित रहा. ‘मौन तपस्वी साधक बनकरहिमगिरी सा चुपचाप गलें’ का मन्त्र जीवन भर साधने वाले अमीरचंद बलिया शहर से लगे गाँव ब्रह्माइन में एक अत्यंत साधारण परिवार में जन्में. सन् 1981 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े. ब्रह्माइन गांवजिसे उन्होंने कभी युवावस्था में हीराष्ट्र की सेवा के लिए त्याग दिया और समर्पित कर दिया थाअपना सर्वस्व भारत की सांस्कृतिक चेतना को संगठित करने में… फिर तो इन्होंने संघ को अपना परिवार मानते हुए पूरा जीवन राष्ट्र यज्ञ में होम कर दिया. उनको मात्र 56 वर्ष की आयु मिली. लेकिन इतने समय में ही उन्होंने एक बड़ी लकीर खींच दी.

हिन्दुओं की रक्षा हेतु बंग्लादेश सरकार से सख्ती से बात करे भारत सरकार – डॉ. सुरेन्द्र जैन

 भारतीय सांसदों का एक विशेष जांच दल बांग्लादेश भेजा जाए

नई दिल्ली. बांग्लादेश उच्चायोग के सामने रोष प्रदर्शन को संबोधित करते समय विहिप के संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने कहा कि बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार बर्बरता की सभी सीमाएं पार कर चुके हैं. यह संपूर्ण विश्व के लिए चुनौती है कि बांग्लादेश में हो रहे बर्बर अत्याचारों को किस प्रकार रोका जाए. भारत सरकार अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकती. बांग्लादेश सरकार को भी अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए पूर्ण निष्पक्षता के साथ सभी नागरिकों के जान माल की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए. विश्व हिन्दू परिषद, हिन्दू समाज पर हो रहे अत्याचारों को मूकदर्शक बनकर नहीं देख सकती.

उन्होंने पूछा कि जिस हिन्दू ने संपूर्ण मानवता के कल्याण की कामना की, उस हिन्दू को अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में क्यों प्रताड़ित किया जा रहा है? क्या हिन्दू की सभ्यता उसकी कमजोरी बन गई है? संपूर्ण विश्व बिरादरी को समझ लेना चाहिए यदि हिन्दू समाप्त हुआ तो संपूर्ण विश्व में सभ्यता समाप्त हो जाएगी. इसलिए संपूर्ण विश्व बिरादरी को आगे आकर इस इस्लामिक कट्टरता का मजबूती से शमन करना चाहिए. भारत सरकार जितनी मजबूती से अफगानिस्तान और पाकिस्तान में हिन्दुओं पर होने वाले अत्याचारों को उठाती है, बांग्लादेश में होने वाले अत्याचारों के विरोध में इतनी मजबूती से नहीं खड़ी होती. इसलिए भारत सरकार को पूरी कठोरता के साथ शेख हसीना को इस बात के लिए मजबूर करना चाहिए कि वह हिन्दुओं पर कोई दमन, कोई अत्याचार ना होने दें. भारत का टूल किट गैंग जो फिलिस्तीन के बारे में कुछ भी बोलता है, बांग्लादेश पर बोलते समय यह क्यों कहता है कि यह किसी एक देश का आंतरिक मामला है? उनका दोगलापन इससे स्पष्ट होता है.

आज नागरिकता संशोधन कानून का महत्व सबको समझ में आ रहा है. पीड़ित हिन्दू भारत में नहीं तो कहां जाएगा? हमने सभी पीड़ितों को शरण दी है तो हिन्दू पीड़ित को क्यों नहीं? इसलिए सभी दलों को भी नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने के लिए नियम लाने के लिए सरकार से निवेदन करना चाहिए. केंद्र सरकार को सांसदों का एक जांच दल बांग्लादेश में भेजना चाहिए जो बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों की पूर्ण जांच करके उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक करे.

कार्यक्रम को विश्व हिन्दू परिषद दिल्ली के अध्यक्ष कपिल खन्ना ने कहा कि हम किसी भी हालत में पूरी दुनिया में कहीं भी हिन्दू पीड़ित होगा, उसके पक्ष में आवाज अवश्य उठाएंगे और तब तक आवाज उठाते रहेंगे जब तक वह सुरक्षित ना हो जाए. महंत नवल किशोर दास जी व अन्य संतों ने हिन्दू समाज की भावनाओं को व्यक्त किया और बांग्लादेश को चेतावनी दी कि जिस देश को भारत ने निर्माण किया है, वह भारत का एहसान मानने की जगह भारत को और हिन्दुओं को आंखें दिखाता है, भारत विरोधी और हिन्दू विरोधी कार्य करता है. यह स्वीकार नहीं किया जा सकता.

कार्यक्रम के अंत में डॉ. सुरेंद्र जैन और कपिल खन्ना ने बांग्लादेश उच्चायुक्त को वहां की प्रधानमंत्री के नाम एक ज्ञापन दिया, जिसमें मांग की गई कि वे अपने देश में हिन्दुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करें क्योंकि हिन्दू समाज ने बांग्लादेश के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान तो दिया ही है, अपने सभी नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करना उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए.

Wednesday, October 20, 2021

स्व. अमीर चंद जी का उनके पैतृक गांव हुआ अंतिम संस्कार

अमीरचंद जी ने कला जगत में भारतीय दृष्टि स्थापित करने के लक्ष्य को साकार करने के लिए अपना जीवन समर्पित किया अभिजीत गोखले

संस्कार भारती के राष्ट्रीय महामंत्री स्व. अमीर चंद जी (56 वर्षीय) जी का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव बलिया जिले के हनुमानगंज के शिवराम घाट में  किया गया. विगत शनिवार देर शाम अरुणाचल प्रदेश में पूर्वोत्तर की सांस्कृतिक यात्रा के दौरान उनका स्वर्गवास हो गया था.

अमीरचंद को अंतिम विदाई देने के लिए रा. स्व. संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रय होसबाले जी, कला ऋषि पद्मश्री बाबा योगेंद्र जी सहित संस्कार भारती के अनेक कार्यकर्ता, केंद्रीय और उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति मंत्रालय से जुड़े पदाधिकारी और कला जगत से जुड़े गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.

अमीरचंद जी के पैतृक आवास पहुंचे संस्कार भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री अभिजीत गोखले ने कहा कि “अमीर चंद जी के असामयिक निधन से सम्पूर्ण कला जगत की अपूरणीय क्षति हुई है. अमीरचंद जी ने कलाकारों से व्यक्तिगत स्नेह और वैचारिक संवाद की अपनी वैशिष्ट्य पूर्ण कार्यशैली के माध्यम से कला जगत में भारतीय दृष्टि स्थापित करने के लक्ष्य को साकार करने के लिए अपना जीवन समर्पित किया.

अमीर चंद वर्ष 1985 में बने संघ के प्रचारक

अमीरचंद वर्ष 1985 में संघ के प्रचारक बने और वर्ष 1987 में उन्हें संस्कार भारती में जिम्मेदारी दी गई. वह 1987 में पूर्वी उत्तर प्रदेश प्रांत संगठन सचिव बने. इसके बाद से वह संस्कार भारती में ही उत्तर प्रदेश, बिहार, कोलकाता और दिल्ली में विभिन्न दायित्वों पर रहते हुए अक्तूबर 2018 में संस्कार भारती के राष्ट्रीय महामंत्री बने. देश की कला, संस्कृति, लोकविधाओं, लोक कलाओं व कलाकारों के अभिभावक के रूप में लोकप्रिय अमीरचंद ने पूर्वोत्तर भारत की लोक कलाओं को देश व विदेशों में पहुंचाने का कार्य किया. पूर्वोत्तर भारत की यात्रा में ही उन्होंने अंतिम सांस ली.

Sunday, October 17, 2021

दुखद : नहीं रहें कलाकारों की पहचान करने वाले अमीरचंद जी

 

संस्कार भारती के अखिल भारतीय संगठन महामंत्री अमीरचंद जी नहीं रहे। संस्कार भारती के माध्यम से पूर देश के कलाकारों की प्रतिभा को निखारने वाले श्री अमीरचंद जी का शनिवार सायं (16 अक्टूबर) लगभग छह बजे तवांग (अरुणाचल प्रदेश) में निधन हो गया।

शनिवार सायं लगभग सात बजे दिल्ली स्थित संस्कार भारती कार्यालय में एक फोन आया। फोन करने वाले ने बहुत मुश्किल से बताया कि भाई साहब यानि अमीरचंद जी नहीं रहे। इसके अलावा वह कुछ नहीं बता पाया। यह संदेश सुनने वाला भी सदमे में चला गया। कुछ देर बाद उसने होश संभाला और संस्कार भारती के अन्य अधिकारियों और कुछ वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को यह खबर दी। इसके बाद तो तवांग से लेकर कोलकाता और दिल्ली से लेकर मुम्बई तक सन्नाटा छा गया। जिसने भी यह खबर सुनी वह जड़वत हो गया। किसी को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि एक जिंदादिल व्यक्ति इतनी जल्दी हम सबके बीच से चला जाएगा।

सांस लेने में हो रही थी दिक्कत

वे दिल्ली से एक कार्यक्रम के लिए अरुणाचल प्रदेश गए थे। तवांग जाने के दौरान जसवंतगढ़, जो समुद्र तल से लगभग 14,000 फीट पर है, में उनका आक्सीजन स्तर अचानक घट गया। सांस लेने में दिक्कत महसूस हुई तो कुछ ही देर में उन्हें नजदीकी आईटीबीपी के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। चिकित्सकों ने बहुत प्रयास किया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।

उत्तर प्रदेश के बलिया निवासी थे

अमीरचंद जी मूलत: हनुमानगंज, बलिया (उ.प्र.) के रहने वाले थे। 1981 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से उनका संपर्क हुआ और इसके बाद वे संघ के ही होकर रह गए। 1985 में प्रथम वर्ष का प्रशिक्षण लेने के बाद वे प्रखंड विस्तारक के रूप में बलिया में संघ कार्य करने लगे। फिर इसी वर्ष उन्हें तहसील प्रचारक का दायित्व देकर आजमगढ़ भेजा गया। 1987 में उन्हें संस्कार भारती, पूर्वी उत्तर प्रदेश के संगठन सचिव का दायित्व दिया गया। इसके बाद से वे अब तक संस्कार भारती में ही रहे और संगठन को एक नई पहचान दिलाई। संस्कार भारती में उन्होंने संगठन मंत्री के रूप में बिहार, पश्चिम बंगाल, दिल्ली सहित अनेक राज्यों मेंं काम किया। 1997 से 2014 तक वे संस्कार भारती के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री रहे। 2018 में उन्हें अखिल भारतीय संगठन महामंत्री का दायित्व दिया गया था।

समाज के सहयोग से समाज का सामाजिक और सांस्कृतिक उत्थान करता है संघ - रमेश जी

  • काशी विभाग प्रचारक ने कहा कि वर्तमान संघ को युवा वर्ग ही आगे ले जाने में सक्षम 

  • 19 नवंबर से 16 दिसंबर तक मनाया जाएगा आजादी का अमृत महोत्सव 

काशी| संघ में सम्पूर्ण समाज के सामाजिक, सांस्कृतिक उत्थान का कार्य किया जाता है, जिसके लिए संपूर्ण समाज का सहयोग लिया जाता है, इसलिए “संघे शक्ति कलियुगे” कहा जाता है। उक्त विचार काशी उत्तर भाग के सारनाथ (गौतम नगर) में विजयदशमी उत्सव एवं संघ स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में काशी प्रांत प्रचारक रमेश जी ने व्यक्त किया|

शुक्रवार को विजयादशमी उत्सव पर काशी संघमय रहा| काशी विभाग के स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में सभी जिलों के समस्त नगर एवं शाखाओं पर विजयादशमी उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया| काशी उत्तर भाग के गौतम नगर में स्वयंसेवकों को विजयादशमी का महत्व समझाते हुए काशी प्रांत प्रचारक रमेश जी ने आगे कहा कि विजयादशमी मात्र शुभकामनाओं का पर्व मात्र नहीं है। विजयादशमी का विशेष महत्व है| विजय के इस दिन जिस कार्य को शुरू किया जाता है, उसमें अवश्य विजय मिलती है| इसी महत्व को केंद्र में रख कर विजयादशमी के दिन 27 सितंबर 1925 को परमपूज्य सरसंघचालक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार जी ने राष्ट्र में देशभक्ति के लिए प्रचंड-प्रखर प्रवाह हेतु राष्ट्रहित में एक चिंतन मनन कर्तव्यनिष्ठ तथा ध्येयनिष्ठ संस्था की स्थापना किया है, जिसे हम सभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के रूप में जानते हैं । ऐसा कहते हैं कि द्वापर में प्रभु श्रीकृष्ण, त्रेता में प्रभु श्रीराम, अब कलयुग में केशव बलिराम का अवतरण समग्र समाज में एवं जनमानस में राष्ट्रभक्ति जागृति करने के लिए हुआ है। उन्होंने कहा कि संघ आज 96 वर्ष का हो गया है और अनंत तक चलता ही रहेगा, क्योंकि इसका मंत्र ही है “चरैवेति चरैवेति”। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उद्भव संपूर्ण समाज को सांस्कृतिक एवं जागृत करने के लिए हुआ है, इसका उद्देश्य भारतवर्ष को परम वैभव पर ले जाना है।

हमारे इतिहास के ग्रंथों में जैसा होना चाहिए था वैसा नहीं है

असत्य पर सत्य के एवं बुराई पर अच्छाई के विजय का प्रतीक यह महापर्व समग्र भारतवर्ष में मनाया जा रहा है| जहां हम सभी सनातनी बंधुओं ने देश के अंदर व्याप्त बुराइयों को समाप्त करने, सामाजिक कलह- विद्वेष को दूर करने, जातीय भेदभाव को हमेशा-हमेशा के लिए समाप्त करने एवं सामाजिक समरसता को स्थापित करने के लिए पूरे देशवासियों ने शक्ति की उपासना की है वहीं दूसरी ओर पूरे भारत में एक असत्य का मायाजाल बुना जा रहा है| देश की आजादी में सभी क्षेत्रों, समूह, वर्गों का सहयोग रहा है किंतु विडंबना यह रही है की एक विशेष दृष्टि से लिखे गए इतिहास के अध्याय में उन सभी समूहों, व्यक्तियों का बौद्धिक जैसा हमारे इतिहास के ग्रंथों में होना चाहिए था वैसा नहीं है। स्वातंत्र्यवीर वीर विनायक सावरकर को इतिहास में एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में परिचित नहीं कराया जाता है बल्कि संकीर्ण संकुचित मानसिकता का परिचय देते हुए उन्हें अंग्रेजो के दलाल के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। यदि वास्तव में सावरकर ऐसे होते तो काला पानी कहे जाने वाले अंडमान निकोबार के उन काल कोठरीयो में मोटे-मोटे लोहे के जंजीरों में उन्हें बांधकर नहीं रखा गया होता।

स्वतंत्रता संग्राम में रानी दुर्गाबाई, महान वीरांगना काशी पुत्री रानी लक्ष्मीबाई का योगदान अविस्मरणीय है, किंतु यह विचार का विषय है कि क्या उन्हें इतिहास के पुस्तकों में उचित स्थान प्राप्त हुआ है।

स्वतंत्रता संग्राम में चाफेकर बंधुओं का योगदान साहस भरता है, किंतु आज के युवाओं को उनके जैसे महान स्वतंत्रता सेनानियों के विषय में बहुत कम ही सूचना प्राप्त होती है। आदिवासियों से लेकर स्वतंत्रता संग्राम को एक अलग आयाम देने का कार्य करने वाले वीर स्वतंत्रा सेनानी बिरसा मुंडा का भी इतिहास में उल्लेख वैसा नहीं मिलता जैसा उनका व्यक्तित्व रहा है।

 महाराणा प्रताप, शिवाजी के महान विराट व्यक्तित्व को उपयुक्त स्थान तो मिला ही नहीं साथ ही इन अधर्मी इतिहासकारों ने वीर शिवाजी को पहाड़ी चूहा तक कह दिया| शिवाजी को राष्ट्र निर्माण में अद्वितीय योगदान के लिए इतिहास की दृष्टि से पुनः व्याख्यायित करने की आवश्यकता है। शिवाजी के संगठन कौशल से प्रेरणा लेकर बाल केशव ने अपने प्रारंभिक जीवन काल में विद्यालय स्तर पर बालको को संगठित करके अंग्रेजों के विरुद्ध वंदे मातरम का जयघोष कराया था| उस समय अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता की मांग के लिए यह बीजपन का कार्य करता था। डॉक्टर साहब का यह क्रांतिकारी स्वभाव आगे के जीवन में भी चलता रहा| मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद स्वहित को त्याग कर राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा और अपने डॉक्टरी के ज्ञान के माध्यम से धनोपार्जन की तुलना में उन्होंने एक संत सन्यासी का मार्ग चुना और राष्ट्रहित में कार्य करने का निश्चय किया। 1925 में संघ की स्थापना के बाद से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़ा और आजादी को नई दिशा प्रदान की|

यह वर्ष एक विशेष प्रकार का वर्ष है। स्वाधीनता का 75 वां वर्ष है, जिसे पूरा देश हर्षोल्लास के साथ मना रहा है वर्षों से चली आ रही गुलामी की जंजीरों को क्रांतिकारियों ने 15 अगस्त 1947 को तोड़ दिया| इसी पावन दिवस को इस वर्ष 75 वर्ष होने के अवसर पर पूरे भारत में सभी देशवासी हर्षोल्लास के साथ अमृत महोत्सव के रूप में मना रहे हैं।

19 नवंबर से 16 दिसंबर तक मनाया जाएगा आजादी का अमृत महोत्सव

उन्होंने बताया कि इस वर्ष आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर संपूर्ण देश में क्षेत्र से लेकर प्रांत तक, नगर-खंड से लेकर ब्लॉक तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आजादी का अमृत महोत्सव मनाने का कार्यक्रम रखा है| मातृशक्ति वीरांगना काशी की पुत्री स्वतंत्रता सेनानी रानी लक्ष्मीबाई के जन्मदिन 19 नवंबर से प्रारंभ कर सैन्य बलों के सम्मान में भारत के वीरों के शौर्य दिवस 16 दिसंबर तक आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जाएगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रदीप कुमार जी ने कहा कि देश को आत्ममंथन की आवश्यकता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्रवाद के द्वारा राष्ट्र को पोषित करने का कार्य करता है।

कार्यक्रम में गौतम नगर संघचालक नंदलाल जी, भाग कार्यवाह डॉ आशीष, राजेश विश्वकर्मा, भाग प्रचारक रजत प्रताप, राहुल, अमित, विष्णु नारायण, विजय, राहुल, रजनीश, विनोद, हरिशंकर, पवन, सौरभ सहित सैकड़ों की संख्या में स्वयंसेवक व गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यक्रम में एकल गीत शशांक एवं अमृत वचन विजय द्वारा प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का संचालन गौतम नगर कार्यवाह राहुल ने किया।

इसी क्रम में रविदास नगर के लाटभैरव शाखा के स्वयंसेवकों ने संघ स्थान पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्थापना दिवस, विजया दशमी उत्सव व शस्त्र पूजन का कार्यक्रम आयोजित किया। चेतसिंह नगर में बौद्धिक लाजपत नगर मा. संघचालक डॉ गंगाधर जी ने दिया| प्रेमचंद नगर में शिवाजी शाखा पर स्वयंसेवको ने संचलन किया| कार्यक्रम में बौद्धिक प्रान्त धर्म जागरण प्रमुख गुलाब जी का हुआ| इसके साथ ही विशेश्वर नगर में राकेश अग्रहरि जी (प्रांत सह शारीरिक शिक्षण प्रमुख), भारतेंदु नगर में श्याम जी (प्रांत कार्यालय प्रमुख), बागेश्वरी नगर में बृज श्याम जी (भाग विद्यार्थी बौद्धिक शिक्षण प्रमुख), लाजपत नगर में मुरली जी, तिलक नगर में दीनदयाल जी (प्रांत संपर्क प्रमुख), शिव नगर में डॉ. राजेंद्र पांडे (विभाग कुटुंब प्रबोधन प्रमुख), राजर्षि नगर में जितेंद्र जी (विभाग धर्म जागरण संयोजक), कपिल नगर में  रमेश जी (भाग कुटुंब प्रबोधन प्रमुख) ने अपने विचार रखा|

इन दौरान कार्यक्रमों में काशी के हजारों स्वयंसेवक एवं समाज के बन्धु-भगिनी ने सहभागिता की और कार्यक्रम को सफल बनाया।

काशी दक्षिण : वर्तमान संघ को युवा वर्ग ही आगे ले जाने में सक्षम – विभाग प्रचारक

काशी दक्षिण भाग में भी स्वयंसेवकों ने स्थापना दिवस एवं विजयादशमी उत्सव उल्लास पूर्वक मनाया| भाग प्रचार प्रमुख रवि ने बताया कि कोविड काल के कारण उत्सव केंद्रीय ना होकर नगर सह हुआ| सभी 12 नगरों में प्रातः पूर्ण गणवेश में स्वयंसेवको का एकत्रीकरण हुआ| तत्पश्चात शस्त्र पूजन किया गया|

 

घोष की ध्वनि पर अलग अलग मार्गो से पथ संचलन भी निकाला गया|  रामनगर एवं मालवीय नगर में विभाग कार्यवाह त्रिलोक जी ने संघ स्थापना के कारणों तथा वर्तमान परिवेश में संघ के कार्य प्रणाली को बताया| उन्होंने कहा कि श्रीराम के जीवन से शिक्षा लेकर के समस्त हिंदू समाज के निर्माण और समर्थ संगठन के निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया। श्रीराम का व्यक्तित्व तमाम झंझावातो के परे साम्य और पूर्ण था। समान भाव का हमारे अंदर प्रस्फुटन होना आवश्यक है। श्रीराम ने जो समय वन में व्यतीत किया, उस समय उन्होंने समाज का संगठन किया और दुष्ट शक्तियों को पराजित कर बुराई पर अच्छाई की जीत के सास्वत सिद्धांत को प्रतिस्थापित किया। उन्होंने कहा कि आज ही पूजनीय डॉक्टर साहब ने संघ की स्थापना कि हमारा यह संगठन भी समाज को जोड़ने और व्यक्तियों के व्यक्तित्व विकास के लिए है।

इस उत्सव के अवसर पर मा. भाग संघचालक डॉ सुनील जी, सह नगर संघचालक प्रो. हेमंत मालवीय जी, भाग कार्यवाह रामकुमार जी, समरसता प्रमुख हरिराम जी तथा पर्यावरण संयोजक डॉ विनोद जी उपस्थित रहे। मानस नगर में काशी विभाग प्रचारक कृष्णचन्द्र जी ने अपने बौद्धिक में कहा कि संघ को शताब्दी वर्ष मनाना ही नहीं था| उन्होंने कहा कि वर्तमान संघ को युवा वर्ग ही आगे ले जाने में सक्षम हैं|

माधव नगर के मुंशी प्रेमचन्द्र पार्क में बौद्धिक प्रान्त सहकार्यवाह मा. राकेश जी का रहा। उन्होंने संघ कि स्थापना और संघ के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज संघ का उत्सव ही नहीं अपितु मुल्यांकन का दिवस भी है कि हम सामाज को परम वैभव तक ले जाने में कितने सफल हुये? कहाँ कमियों को ठीक करने कि आवश्यकता हैं? कार्यक्रम में मा. नगर संघचालक दशरथ जी, नगर कार्यवाह कृष्णमोहन जी व अन्य स्वयंसेवक बंधु उपस्थित रहे। गंगा नगर में स्वयंसेवकों ने पथ संचलन कर एकता और अनुशासन का परिचय दिया| कार्यक्रम में बौद्धिक धर्मवीर त्रिपाठी जी का था|