Wednesday, November 10, 2021

कर्नाटक – संतरे बेचने वाले हरेकला ने गांव में बनवाया स्कूल, पद्मश्री से सम्मानित

 नारंगी विक्रेता हरेकला हजब्बा ने हरेकला-न्यूपाडपु (Harekala-Newpadpu) गांव में एक स्कूल का निर्माण करवाकर ग्रामीण शिक्षा में क्रांति लाने का प्रयास किया. जिसके चलते उन्हें पद्म पुरस्कार से सम्मानित किय़ा गया है.

65 वर्षीय हजब्बा द्वारा निर्मित स्कूल में गांव के 175 छात्रों का नामांकन है. पिछले 44 वर्षों से संतरा बेचने वाले हरेकला हजब्बा ने स्वयं औपचारिक शिक्षा नहीं ली है.

अपने गांव में सबसे वंचितों को भी शिक्षा उपलब्ध कराने का विचार उनके दिमाग में उस समय आया, जब वह एक विदेशी के साथ संवाद करने में विफल रहे, जिसने उनसे संतरे मांगे थे. पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित हजब्बा ने बताया, ” मैं विदेशी के साथ संवाद नहीं कर सका, मुझे बुरा लगा और मैंने गांव में एक स्कूल बनाने का फैसला किया. मैं केवल कन्नड़ जानता हूं, अंग्रेजी या हिंदी नहीं. इसलिए मैं उदास था कि मैं विदेशी की मदद नहीं कर सका.

परोपकारी कार्यों के कारण अक्षरा सांता (पत्र संत) की उपाधि अर्जित की. हजब्बा अभी भी सुबह जल्दी उठकर स्कूल परिसर में झाडू लगाते हैं. वह कैंपस को अपना घर मानकर छात्रों और शिक्षकों के लिए पीने का पानी उबालते हैं. उन्हें 2004 में कन्नड़ प्रभा द्वारा पर्सन ऑफ द ईयरऔर 2009 में सीएनएन-आईबीएन द्वारा रियल हीरोजपुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया.

हजब्बा ने मैंगलोर शहर से लगभग 35 किमी दूर हरेकला-न्यूपाडपु गांव में एक स्कूल का निर्माण किया है. वर्तमान में इस स्कूल में गांव के 175 वंचित छात्र हैं. हजब्बा 1977 से मैंगलोर बस डिपो पर संतरा बेच रहे हैं और उसने कभी किसी स्कूल में पढ़ाई नहीं की.

उन्होंने अपनी कमाई से जिस स्कूल का सपना देखा, बाद में सरकारी मदद और लोगों की सहायता से वह तैयार हुआ और उसे हजब्बा स्कूल के नाम से जाना जाने लगा.

28 छात्रों के साथ स्कूल शुरू हुआ था और अब कक्षा 10 तक 175 छात्र उनके द्वारा बनवाया गए स्कूल में पढ़ते हैं. पद्म पुरस्कार विजेता ने अपने गांव में और स्कूल और कॉलेज बनाने का लक्ष्य रखा है. उन्होंने बताया कि उन्होंने लोगों से पैसा लिया है और स्कूलों और कॉलेज के लिए जमीन खरीदने के लिए पुरस्कार राशि जमा की है. मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपने गांव में एक प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज (कक्षा 11 और 12 के छात्रों के लिए) का निर्माण करने का अनुरोध किया है.

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