Thursday, November 25, 2021

धमनियों में राष्ट्रधर्म : काशी का एक विद्यालय जिसके छात्रों एवं शिक्षकों ने स्वतंत्रता की वेदी पर दी थी अपनी आहुति

- डॉक्टर हेमंत गुप्त

अंग्रेजों के शासन काल में भारतीयों को मानसिक और बौद्धिक  रूप से ग़ुलाम बनाने के लिए मैकाले ने भारतीय गुरुकुल शिक्षा को ध्वस्त कर मिशनरी शिक्षा नीति को स्थापित किया। इसके  अंतर्गत 1854 में यूपी का पहला आधुनिक विद्यालय बंगाली टोला इंटर कॉलेज वाराणसी के रूप में स्थापित हुआ। जहाँ देश में अधिकतर विद्यालय सरकारी राज्य कोष से आगे बढ़ रहे थे, वहीं काशी की धरती पर बंगाली टोला इंटर कॉलेज के शिक्षकों और छात्रों में अंग्रेज़ी सरकार के प्रति रोष पनप रहा था।

विद्यालय में शिक्षा के साथ-साथ यहाँ के शिक्षक अपने छात्रों को राष्ट्रप्रेम और स्वाधीनता की भी शिक्षा देते थे। इस विद्यालय के संस्थापक योगीराज श्यामाचरण लाहिरी जैसे विभूति थे। उन्होंने इस विद्यालय के शिक्षक और विद्यार्थियों में राष्ट्रभक्ति एवं पराधीनता की बेड़ियों से मुक्ति के लिए संघर्ष करने का मंत्र दिया। उनकी प्रेरणा से इस विद्यालय के शिक्षकों और विद्यार्थियों ने काशी से राष्ट्र के स्वतंत्रता संग्राम में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में 1905 के बंग-भंग आंदोलन का महत्वपूर्ण स्थान है। इस आंदोलन ने विद्यालय के अंदर स्वतंत्रता का बीज प्रस्थापित किया और यही से काशी में स्वतंत्रता संग्राम पुष्पित एवं पल्लवित हुआ, जिसमें यहाँ के छात्रों और शिक्षकों ने  अपना सर्वस्व माँ भारती के चरणों में अर्पित कर दिया। इसका जीता जागता उदहारण है विद्यालय के प्रांगण में स्थापित शहीद वेदी; जिसमें वे ग्यारह नाम वर्णित है जिन्होंने अपने अदम्य साहस से अंग्रेजो को धूल चाटने पर मजबूर कर दिया था। पूरे विद्यालयों में शायद ऐसा पहला विद्यालय होगा जहाँ के छात्र और शिक्षकों ने स्वतंत्र भारत का सपना लिए स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। आज की आधुनिक सदी में भी बनारस का ये बंगाली टोला इंटर कॉलेज विद्यालय अपने स्वतंत्रता सेनानियों को नहीं भूला है। अपने शहीदों के सम्मान में आज भी  विद्यालय में पठन-पाठन से पहले विद्यालय के प्रधानाचार्य और छात्रगण शहीद वेदी पर माल्यार्पण करते है फिर देशभक्ति गीत और राष्ट्रगीत के माध्यम से उन शहीदों को नमन किया जाता है। इस वेदी की स्थापना से आज भी यहाँ के छात्रों में राष्ट्र्भक्ति एवं राष्ट्रधर्म का संचार होता है। विद्यालय में राष्ट्रधर्म के उद्भव से आज भी इस विद्यालय के छात्रों एवं शिक्षकों की धमनियों में राष्ट्रधर्म का संचार होता है, जब भी माँ भारती को अपने सपूतों की आवश्यकता हो, वे राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व लुटाने के लिए प्रतिबद्ध रहते हैं।

इस विद्यालय के शिक्षक और छात्र जिन्होंने भारत माता के चरणों में अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया उनके नाम निम्न प्रकार से हैं -

1-      सुशील कुमार लाहिड़ी - अध्यापक - मृत्युदंड

2-      सचिन्द्र नाथ सान्याल - छात्र - (काकोरी काण्ड में ) आजीवन कारावास

3-      सुरेश चंद्र भटाचार्य  -छात्र -  (काकोरी काण्ड में )7  वर्ष  कारावास

4-   जितेंद्र नाथ सान्याल - (बनारस लाहौर षड्यंत्र में ) छात्र - सश्रम कारावास

5-      प्रियनाथ भट्टाचार्य  - (बनारस षड्यंत्र में )छात्र - 2 वर्ष कारावास

6-      रविंद्र नाथ  सान्याल - (बनारस षड्यंत्र में ) - छात्र - कारावास

7-      सुरेंद्र नाथ मुख़र्जी -(बनारस षड्यंत्र में ) - छात्र - कारावास

8-      विभूति भूषण गांगुली - छात्र - नजरबंद

9-      विजय नाथ चक्रवर्ती - अध्यापक - बनारस से निर्वासन

10-      रमेश चंद्र जोयेरदार - अध्यापक - बनारस से निर्वासन

11-      राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी - छात्र - (काकोरी षड्यंत्र में ) - मृत्युदंड

ये वो महान विभूतियाँ थी जिनके नाम विद्यालय की शहीद वेदी पर अंकित है और ये सिर्फ काशी ही नहीं अपितु पूरे भारतवर्ष के लिए गर्व का विषय है। स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद भी यह शहीद वेदी समस्त काशीवासियों में राष्ट्र भक्ति का संचार करती है।

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