Saturday, November 20, 2021

अमृत महोत्सव : गुणगान हमलावरों का नहीं देश के शूर वीरों का होना चाहिए - डॉ मुरारजी

प्रयागराज। देश को विश्व गुरु के पद पर प्रतिष्ठित कराने के लिए नई पीढ़ी में सही इतिहास का बोध बहुत आवश्यक है। गुणगान हमलावरों का नहीं देश के शूर वीरों का होना चाहिए। उक्त विचार प्रयाग दक्षिण के देवप्रयागम नगर के पीपल गांव स्थित रामचंद्र मिश्र मेमोरियल पब्लिक स्कूल में आयोजित महोत्सव का उद्घाटन के दौरान मुख्य अतिथि अमृत महोत्सव आयोजन समिति काशी प्रांत के सह संयोजक डॉ मुरारजी त्रिपाठी ने व्यक्त किया| इस दौरान कारगिल योद्धा को सम्मानित किया गया।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता की दशा एवं दिशा पर विचार करने का महत्वपूर्ण अवसर है यह अमृत महोत्सव। उन्होंने आगे कहा कि नई पीढ़ी को यह बताना जरूरी है कि हमलावर महान नहीं| उन्हें धूल चटाने वाले देश के शूरवीर महान थे डचो को त्रावणकोर से खदेड़ने वाले मार्तंड वर्मा शकारि विक्रमादित्य चंद्रगुप्त मौर्य राणा प्रताप शिवाजी महान थे। सिकंदर तथा अकबर को महान बताना देश की युवा पीढ़ी को गुमराह करने जैसा है।

विद्यालय के प्रबंधक आकाश मिश्रा जी की अध्यक्षता में संपन्न हुये इस कार्यक्रम में वक्ता आइटीबीपी के कमांडेंट श्री डब्ल्यू इनोबी सिंह ने सरकारी संस्थाओं में 12 मार्च 2021 से प्रारंभ हुए तथा आगे आने वाले 75 सप्ताह के कार्यक्रमों की संक्षिप्त जानकारी दी। जिसमें अरुणाचल प्रदेश से दिल्ली तक की साइकिल यात्रा हो चुकी है। कमांडेंट सीआइएसएफ एस के सारस्वत ने टूगेदर एवरीवन अचीव मोर (टीम) के माध्यम समझाया कि जब हम साथ मिलकर काम करते हैं तो हम जल्दी और ज्यादा उपलब्धि हासिल करते हैं। प्रिया जी ने  महारानी लक्ष्मीबाई पर लिखी कविता का सुंदर वाचन किया तथा माताओं से अपनी परंपरा के संरक्षण और देश भक्ति के भाव अपनी संतानों में जगाने का आव्हान किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ भारत माता के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्प अर्पण के साथ किया गया। समापन वंदेमातरम् से किया गया|

विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने राष्ट्र गान और देशभक्ति के गीत प्रस्तुत किए। विद्यालय के निदेशक सुभाष मिश्र ने कारगिल योद्धा श्री राम प्रकाश द्विवेदी को शाल,  श्रीफल से सम्मानित किया। संचालन श्री राहुल चावला ने किया। इस अवसर पर विजय मिश्र जी, चारु मित्र जी,  श्रीधर जी, वीरेंद्र त्रिपाठी जी, मनोज गौतम जी, वसु पाठक सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।

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