Monday, November 15, 2021

श्याम सुन्दर जी तुलस्यान जी को स्वयंसेवकों की ओर से श्रद्धांजलि

काशी| काशी में संघ  के नींव के पत्थरों का यदि नाम पता किया जाय तो यह निश्चित है कि उसमें से एक नाम श्याम सुन्दर जी तुलस्यान का भी रहेगा। वर्तमान में मंडुवाडीह (मोढ़ेला) निवासी श्याम सुंदर तुलस्यान जी का रविवार १४/११/२०२१को  प्रात:निधन हो गया। "श्याम सुन्दर तुलस्यान जी नहीं रहे" यह समाचार काशी के स्वयंसेवकों के लिए हृदय विदारक है।

काशी प्रांत के सह व्यवस्था प्रमुख जयंती जी ने अपना शोक व्यक्त करते हुए बताया कि अभी चंद दिनों पूर्व ही उनके निवास पर दीपावली के पश्चात श्रीमान गौरी शंकर जी एवं श्रीमान प्रदीप जी के साथ भेंट हुई थी। बहुत ही थके हुए लग रहे थे।  परन्तु इतना शीघ्र हम लोंगो को छोड़ कर चले जायेंगे, ऐसा आभास  भी नहीं हुआ था। स्मृति शेष श्याम सुंदर तुलस्यान जी ७ भाई थे। इनके देहावसान के साथ उनकी पीढ़ी भी समाप्त हो गई। श्याम सुन्दर जी तुलस्यान लगभग ४ वर्ष प्रचारक रहेउन्होंने बस्ती जिले में  प्रचारक के रूप में भी काम किया था। उनके दो पुत्र हैंजिनमें संतोष जी बड़े है और छोटे सहर्ष जी छोटे है। दोनों भाइयों के बीच एक विवाहित पुत्री शालिनी है। उनकी अंत्येष्टि मणिकर्णिका घाट पर  १४/११/२०२१ को ही रात्रि में गयी| मुखाग्नि बड़े पुत्र संतोष ने दी।

संघ और समाज समर्पित थे तुलस्यान जी

तुलस्यान जी मूलतः गोरखपुर के थे। वर्तमान में उनकी आयु लगभग ८६ वर्ष थी। वे नानाजी देशमुख द्वारा बनाए गए स्वयंसेवक थे। वे कालांतर में काशी आकर बस गए थे। उनके साथ काम कर चुके काशी नाथ शास्त्री जी ने बताया कि १९७५ में प्रतिबंध के पूर्व महानगर व्यवस्था प्रमुख थे। प्रतिबंध के पूर्व हुए महानगर योजना बैठक में उन्हें महानगर प्रभात कार्यवाह का दायित्व दिया गया, जिसका निर्वहन उन्होंने प्रतिबंध काल में बड़ी कुशलता से किया। प्रतिबंध काल के पश्चात व्यापार में घाटे के कारण उन्हें अपना मकान बेचना पड़ा। परंतु उनकी संघ निष्ठा में कोई कमी नहीं आई। कालांतर में उन्हें सक्षम का दायित्व दिया गया। उनका सप्ताहिक पांचजन्य के प्रसार का बड़ा आग्रह रहता था। उनके जनसंपर्क का ढंग भी अनोखा था। झोले में से पाञ्चजन्य की निकाल कर पढ़ने को देते थे। इस प्रकार से उन्होंने अनेकानेक सज्जनों को संघ से अथवा संघ से संबंधित संगठनों से जोड़ा है। इस दृष्टि से उनका सतत प्रयास रहता था, जिससे हर नगर में अधिकाधिक ग्राहक बनाकर उसके वितरण की व्यवस्था बन सकी थी। अधिक आयु एवं स्वास्थ्य ठीक न होने के बावजूद वे अपने अभियान में लगे रहते थे। इसी दौरान उनकी स्कूटी पलटने से दुर्घटना में पैर में फैक्चर हो गया और उनका प्रवास भंग हो गया फिर भी वे घर से ही दूरभाष द्वारा कार्य की चिंता करते थे। विविध दायित्वों के निर्वहन के बावजूद पांचजन्य के प्रसार में लगे रहते थे। कुछ वर्षों पूर्व उन्हें नगर संघचालक का दायित्व दिया गया, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया। इस दौरान उन्होंने अन्य नगरों के संघचालकों की मासिक बैठक का भी आयोजन किया। दिव्यांगजनों के कल्याण की संस्था “सक्षम” में प्रदेश स्तर पर दायित्व संभाला। समय-समय पर विद्यार्थी परिषद सहित अनेक संगठनों का दायित्व संभाल चुके थे।  कैंट विधानसभा क्षेत्र में हरीश जी के चुनाव संयोजक भी रहे थे।

तुलस्यान जी ने भाऊराव देवरस जी के साथ बहुत  काम किया था। तुलस्यान जी संघ कार्य के प्रति पूरी निष्ठा से समर्पित भाव से लगे रहते थे।  चाहे सन् १९६६ का गोरक्षा आन्दोलन हो अथवा १९७५ का आपातकाल मे रणभेरी बांटना हो। चाहे संघ का कोई काम हो अथवा अानुषागिक संगठन यथा विश्व हिन्दू परिषद, भारतीय जनसंघ  या विद्यार्थी परिषद  का आह्वान हो, हर जगह तन, मन, धन से अग्रणी भूमिका में  तुलस्यान जी नजर आते थे। उनका मुस्कुराता हुआ चेहरा सदैव स्मृतियों में बना रहेगा। उनके द्वारा सम्पादित कार्य सदैव प्रेरणा देते रहेंगे।  उनके तिरोधान से संघ के की अपूरणीय क्षति हुई है। तुलस्यान जी को अगणित स्वयं सेवकों ओर से  भावभीनी श्रद्धांजलि| ईश्वर से प्रार्थना है कि पुण्य आत्मा को शांति प्रदान करें,और परिजनों को इस कष्ट को सहन करने की हिम्मत दे।

2 comments:

  1. उनका अचानक परलोक गमन काशी में चलराहे अनेक करो की गति में व्यावधान के साथ ही अपूरनी क्षति है जिसकीकी तत्काल पूर्ति नहीं हो सकती। शांति शांति शांति

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