Saturday, April 2, 2022

जन्मजात क्रांतिकारी थे डॉ. हेडगेवार - राजेन्द्र सक्सेना

 काशी दक्षिण भाग के स्वयंसेवकों ने किया पथ संचलन

महामना और डॉ साहब करते थे एक दूसरे का सम्मान : डॉ सुब्रमण्यम

धर्म की रक्षा हम करेंगे तो धर्म हमारी रक्षा करेगा - डा0 शुकदेव

काशी। आज से एक अरब 96 करोड़ 58 लाख 5124 वर्ष पूर्व चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की। पूरे ब्रह्मांड को 12 भागों में विभाजित भी किया। जिन्हें हम संक्रांति कहते हैं या राशि के 12 नामों से जानते हैं। यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के मुख्य मार्ग प्रमुख श्री राजेंद्र सक्सेना ने काशी दक्षिण भाग के गंगानगर द्वारा आयोजित वर्ष प्रतिपदा कार्यक्रम में पूर्ण गणवेश में उपस्थित स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा।

उन्होंने भारतीय नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए बताया कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा मां दुर्गा के अवतरण का दिन है, भगवान श्री राम के राज्याभिषेक का पावन पर्व है, गुरु अंगद देव का जन्मदिन है इसके साथ ही संत झूलेलाल का प्रकट महोत्सव भी वर्ष प्रतिपदा को है। उसी दिन विक्रमादित्य ने इस धरती से ग्रीक, हूण, शक यवन जैसे आततायियों को खदेड़ कर प्रयागराज संगम में राजसूय यज्ञ कर हिंदुत्व का झंडा गाड़ा, तब से विक्रम संवत प्रारंभ हुआ। इसी दिन 5124 वर्ष पूर्व युधिष्ठिर सम्वत भी प्रारंभ हुआ, जिसे कलयुग कहते हैं। इसी दिन स्वामी दयानंद ने आर्य समाज की स्थापना की तथा यह दिन हम सब संघ के स्वयंसेवकों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसी दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 1889 को बलिराम की आंगन में मां रेवती के गर्भ से संघ संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार जी का भी जन्मदिवस हम सब मनाते हैं।

श्री सक्सेना ने भारतीय नववर्ष एवं संघ संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डॉ हेडगेवार जन्मजात देशभक्त एवं क्रांतिकारी थे। उनके मन में स्वतंत्रता प्राप्ति की इतनी बड़ी ललक थी कि वह जब कोलकाता पढ़ाई करने के लिए गए तो वहां क्रांतिकारी बाल गंगाधर लोकमान्य तिलक के अनुयाई बन कर अनुशीलन समिति के सक्रिय सदस्य बन गए और विद्यार्थी रहते हुए क्रांतिकारी गतिविधियों से जुड़ गए। 1916 में डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी कर वे नागपुर पहुंचे। वहां भी कांग्रेस में रहकर स्वतंत्रता के लिए काम करने लगे जब तक भारत स्वतंत्र नहीं होता तब तक डॉक्टर हेडगेवार अपने लिए कुछ नहीं करेंगे। ऐसा भाव लेकर वे भारत को पूर्ण राज्य एवं गो-वध पर पूर्णविराम लगाने का प्रस्ताव 1920 के नागपुर अधिवेशन में महात्मा गांधी के पास रखा, जिसे नकार दिया गया। 1923 में केरल के काकीनाडा में कांग्रेस अधिवेशन में मौलाना मोहम्मद अली जौहर द्वारा वंदेमातरम का विरोध भारत में तुर्की के खलीफा के समर्थन में गांधी जी के नेतृत्व में प्रारंभ हुआ। खिलाफत आंदोलन का डॉक्टर हेडगेवार ने विरोध किया। परिणाम स्वरूप खिलाफत आंदोलन को बहुत समर्थन नहीं मिला, उसे बंद करना पड़ा।

क्षेत्र मार्ग प्रमुख ने उनके बचपन का प्रसंग सुनाते हुए आगे बताया कि जब वे तीसरी कक्षा में पढ़ रहे थे तभी रानी विक्टोरिया के राज्यारोहण पर  बंटने वाली मिठाई के दोने को फेंक देना, सीताबर्डी किले से यूनियन जैक उतारने के लिए सुरंग खुदवाना तथा नील सिटी हाई स्कूल में वंदे मातरम के उद्घोष पर उन्हें विद्यालय से निष्कासित किया गया।

कार्यक्रम में पूर्ण गणवेशधारी स्वयंसेवकों ने एकत्रित होकर आद्य सरसंघचालक प्रणाम, ध्वजारोहण एवं संघ प्रार्थना के पश्चात नगर की मुख्य सड़कों पर पथ संचलन किया। पथ संचलन माधव शाखा संघ स्थान से होते हुए ट्रौमा सेंटर से नगवा चौराहा, रविदास गेट लंका होते हुए मालवीय जी की प्रतिमा बीएचयू सिंहद्वार से पुनः संघ कार्यालय पर समाप्त हुआ। स्वयंसेवक अनुशासित होकर कदम ताल और संचलन गीत गाते हुए चल रहे थे। अध्यक्षता गंगा नगर कार्यवाह दिनेश चंद्र पांडेय ने की। गणगीत शशि सिंह जी ने,अमृत वचन कौस्तुभ भट्ट, एकल गीत अतुल जी  किया। शारीरिक प्रमुख दिवाकर ने शाखा के कार्यक्रम कराए। कार्यक्रम का संचालन एवं अतिथियों का परिचय बौद्धिक शिक्षण प्रमुख सुनील किशोर द्विवेदी ने किया।

महामना और डॉ साहब करते थे एक दूसरे का सम्मान : डॉ सुब्रमण्यम

मानस नगर में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता तेलंगाना प्रान्त के सह प्रान्त कार्यवाह डॉ सुब्रमण्यम जी ने बताया की महामना और डॉ साहब एक दूसरे का बहुत सम्मान करते थे, महामना ने संघ कार्य हेतु समाज से धन लेने का परामर्श  डॉ साहब को दिया पर उन्होंने मना कर दिया। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवक ही हमारी पूंजी हैं। जिस समय मध्य प्रान्त (वर्तमान मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र) में मात्र 72 डॉक्टर थे। पूजनीय डॉ साहब ने समाज कार्य को अपना ध्येय बनाया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्वी उ.प्र. के क्षेत्र कार्यवाह वीरेंद्र जी ने की। संचालन रजनीश ने किया।

   

धर्म की रक्षा हम करेंगे तो धर्म हमारी रक्षा करेगा - डा0 शुकदेव

रामनगर में कुटुंब प्रबोधन काशी प्रान्त के प्रान्त संयोजक  डा0 शुकदेव जी ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि सच्ची देश भक्ति कुशल, अनुशासित, राष्ट्रभक्त, संस्कार, अध्यात्मिक गुणवत्ता कुशल नागरिक निर्माण हेतु संघ की शाखा में जाना होगा। भारतीय  संस्कृति हिन्दूस्तान की धड़कन है। धर्म की रक्षा हम करेंगे तो धर्म हमारी रक्षा करेगा। ये प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि एक सर्वांगीण उन्नत समाज का हम निर्माण करें यह लक्ष्य हमें प्राप्त करना होगा। इस दौरान स्वयंसेवकों ने आद्य सरसंघचालक प्रणाम के पश्चात ध्वज  प्रणाम किया।

अन्य नगरों में भी आयोजित हुए कार्यक्रम

माधव नगर स्थित मुंशी प्रेमचन्द्र पार्क में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का कार्यक्रम आद्य सरसंघचालकप्रणाम के साथ सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम के वक्ता काशी विद्यापीठ के संस्कृत विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष श्रीराममुर्ति ने डाॅ हेडगेवार जी के जन्म तथाजीवनी व उनके विचारों पर प्रकाश डाला। अध्यक्षता नगर संघचालक दशरथ जी ने की।  कबीर नगर (लहरतारा औद्योगिक क्षेत्र) महेशपुर में मंगलबेला वाटिका में वर्ष प्रतिपदा उत्सव हर्षोल्लास के साथ  उत्साहपूर्वक मनाया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता काशी विभाग के कार्यवाह त्रिलोक जी ने भारतीय नववर्ष के महत्व और प्राचीनता पर विषय रखा। कार्यक्रम की अध्यक्षता उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री राजेन्द्र मोहन जी ने की। कार्यक्रम के उपरांत घोष वादन के साथ पथ संचलन हुआ,जो महेशपुर जी टी रोड, चांदपुर चौराहा,औधोगिक क्षेत्र में होते हुए संघ स्थान पर समाप्त हुआ। संचालन नगर कार्यवाह मनीष ने किया। कामाख्या नगर में मुख्य वक्ता विवेक पाठक  ने कहा संघ के सभी छह उत्सव में प्रमुख व प्रथम उत्सव वर्ष प्रतिपदा है। इस दिन स्वयंसेवकों द्वारा आद्य सरसंघचालक प्रणाम दिया जाता है। केशव नगर में नववर्ष के उपलक्ष में कार्यक्रम आयोजित हुआ। कामाख्या नगर में मुख्य वक्ता विवेक पाठक ने कहा कि संघ के सभी छह उत्सव में प्रमुख व प्रथम उत्सव वर्ष प्रतिपदा है। इस दिन स्वयंसेवकों द्वारा आद्य सरसंघचालक प्रणाम दिया जाता है। विवेकानंद नगर के दूर्गा शाखा पर  स्वयंसेवको ने आद्य सरसंघचालक प्रणाम किया। दौरान विभाग सह शारीरिक शिक्षण प्रमुख कैलाश जी ने अपना विचार रखा। 




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