Monday, December 5, 2022

समर्थ भारत के लिए हिंदू समाज का सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक रूप में परस्पर आबद्ध होना आवश्यक - मनोजकांत जी

काशी। समर्थ भारत के लिए आवश्यक है यहां निवास करने वाला हिंदू सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक रूप में परस्पर आबद्ध हो। उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी द्वारा आयोजित स्वयंसेवक संगम में संघ के पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के सह क्षेत्र प्रचार प्रमुख मनोजकांत जी ने व्यक्त किया। वे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित तरण ताल की शाखा पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

मनोज कांत जी ने संगठित हिन्दू समर्थ भारत विषय पर अपना विचार रखते हुए आगे कहा कि स्वामी विवेकानंद ने समर्थ भारत के विषय को गंभीरता से लेते हुए कहा था जब तक हिंदू समाज में व्याप्त संकीर्णताओं, विकृतियों एवं भेदभाव से ऊपर समता एवं ममता पूर्ण भावनाओं पर आधारित समाज की रचना नहीं होगी तब तक समर्थ भारत का निर्माण नहीं हो सकताl

कार्यक्रम का आयोजन काशी के सभी 30 नगरों के सभी बस्तियों में किया गया।

काशी दक्षिण भाग प्रचार प्रमुख रविकांत ने बताया कि अपने भारत को परम वैभव संपन्न राष्ट्र बनाने के उद्देश्य हेतु भाग के सभी 15 नगरों के कुल 124 बस्तियों में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। काशी दक्षिण भाग के स्वयंसेवकों ने बड़ी संख्या में शाखा में उपस्थित हो परम पवित्र भगवा ध्वज के समक्ष प्रार्थना की। इसके पूर्व शाखा में खेल, योग आसन आदि शारीरिक कार्यक्रम हुए। तदोपरान्त जन समूह को दो समूहों में बाँट कर सामाजिक समस्याओ पर चर्चा भी हुई।

कार्यक्रम की अध्यक्षता Phisycal Education के प्रो. भुवन चंद कापड़ी जी ने किया। उक्त अवसर पर IIT BHU के प्रो. सुनील, मयंक, अरुण देशमुख सहित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

माधव नगर स्थित मुंशी प्रेमचंद पार्क में कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय नगर संघचालक डॉ अजय पांडे जी के द्वारा की गयी। ओंकार जी ने अपना विचार रखते हुए समाज के संगठित करने हेतु विभिन्न बिंदुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भारत समर्थ तभी हो सकता है जब हिंदू संगठित होंगे। समाज को व्यक्तिनिष्ठ न होकर तत्वनिष्ठ होना चाहिए। संयोजक रामअवतार जी रहे। कार्यक्रम में कृष्ण मोहन जी(नगर कार्यवाह), शशि भूषण जी, कृष्णानंद जी, अंकित जी, अभिषेक जी, साकेत जी व अन्य सभी कार्यकर्ता गण उपस्थित थे।

मानस नगर में वक्ता के रूप में कमलेश जी ने विचार रखा। नवीन जी एवं ओंकार जी उपस्थित रहें। इसके अतिरिक्त केशव नगर, कर्दमेश्वर नगर, कबीर नगर, केदारश्वर नगर आदि नगरों में भी कार्यक्रम आयोजित हुए।

ककरहिया प्राइमरी पाठशाला में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता राजेन्द्र प्रताप (सह विभाग सामाजिक सद्भाव संयोजक काशी विभाग) ने संगठित हिंदू समर्थ भारत पर विचार रखते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति समाज को तभी स्वस्थ व समृद्ध बनाएगा जब वह खुद स्वस्थ होगा और स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम, योगा करना बहुत ही आवश्यक होता है|

Saturday, December 3, 2022

पुण्यतिथि विशेष : एक सच्चे कर्मवीर – अजीत जी

23 वर्ष की उम्र में इलेक्ट्रिकल एंड मेकेनिकल इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडल वो भी 65 वर्ष पहले। इसमें कोई संदेह नहीं कि एक चमचमाता हुआ कैरियर  इस प्रतिभाशाली युवक का इंतजार कर रहा था, परंतु उसके सपने तो सारी दुनिया से अलग थे। शायद इतिहास लिखने वाले लोग साधारण राह नहीं चुनते, और यही गुड़ीबंडे, कोलार जिला, कर्नाटक के गजेटेड ऑफिसर ब्रम्हसूरय्या व उनकी पत्नी पुट्टतायाम्मा की दूसरी संतान अजीत कुमार जी ने किया। किसी बड़ी कंपनी में नौकरी ज्वाइन करने के बजाय 1957 में वो रातोंरात घर छोड़कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक निकल गये। संघ के यशस्वी प्रचारकों में से एक अजीत जी ने अपने अल्प जीवन काल में बेंगलुरु में सेवा के क्षेत्र में एक यूनीक मॅाडल हिन्दू सेवा प्रतिष्ठान की स्थापना की। जिसने कई नयी अवधारणाओं को जन्म दिया। सेवा करने वाले लोग ट्रेंनिग देकर भी तैयार किये जा सकते हैं, महिलाएं भी अपना पूरा जीवन सेवाव्रती के रूप में समाज को दे सकती हैं, ये दोनो ही विचार संघ के लिए एकदम नये थे। किंतु उन्होंने इस परिकल्पना को साकार करने का दृढ़ निश्चय कर लिया व संगठन की सहमति से 1980 में "हिंदू सेवा प्रतिष्ठान" की स्थापना कर सेवाव्रती बनने के इच्छुक युवक व युवतियों की, 23 लोगों की, प्रथम बैच की, 40 दिन की, ट्रेनिंग आरंभ हुयी। नेले, अरूण, चेतना, प्रसन्ना काउंसलिंग सेंटर, सेवामित्र, सुप्रजा जैसे कुछ प्रकल्पों को चलाने वाले सभी सेवाव्रती, संस्थान को यहीं से मिले। स्वर्गीय अजीत जी की संकल्पना अब विशाल वटवृक्ष बन चुकी है। स्थापना से लेकर आज तक 42 वर्षों में यहाँ से ट्रेनिंग लेकर 4000 से अधिक लोगों ने अपना जीवन सेवाकार्यों के लिए समर्पित किया, जिनमें 3500 महिलाएं हैं। इनमें से अधिकांश लोगों ने अपनी युवा अवस्था के 3-10 वर्ष और कुछ ने तो अपना पूरा जीवन सेवा को समर्पित कर दिया

बेंगलुरु में BE करते हुए कंबनपेटे की कल्याण शाखा से संघ जीवन का आरंभ करने वाले अजीत जी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। हालांकि उनकी संघ शिक्षा देर से आरंभ हुयी किंतु कालेज जीवन में प्रथम शिक्षा वर्ग बाद ही उनके जीवन की दिशा बदल गयी।कालेज जीवन में विद्यार्थी परिषद का कार्य करते हुए भी वे आभाव ग्रस्त बंधु बांधवों का जीवन संवारने के लिए चिंतित रहने लगे थे।

1957 में संघ के प्रचारक निकलने के बाद 1960-75  तक संघ के विभिन्न दायित्वों को पूरा करते हुए वे आपतकाल में मीसा बंदी के रूप में 2 बरस जेल में रहे। वहां भी उन्होंने बंदीजनों को योग का प्रशिक्षण दिया। संघ के वर्गों के पाठ्यक्रम में योग को शामिल करने का श्रेय भी अजीत जी को ही जाता है। इसके लिए उन्होंने प्रख्यात योगाचार्य श्री पट्टाभि से योगासन सीखे।

हिंदू सेवा प्रतिष्ठान में सेवाव्रतियों की ट्रेनिंग का पाठ्यक्रम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अजीत जी के सहयोगी रहे एवं वर्तमान सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले जी कहते हैं कि अजीत जी निरंतर चिंतित रहते थे कि जिन्हे सेवा की आवश्यकता है ऐसे लाखों है और सेवा करने वालो की संख्या उंगलियों पर गिनी जा सकती है। व जिसके मूल स्वभाव में ही सेवा है वो नारी भी सेवाकार्य से कोसों  दूर खड़ी है। शायद उनकी इसी पीड़ा ने जन्म दिया सेवाव्रती की परिकल्पना को। यानि सेवा के लिए उत्तम व्यक्तियों का निर्माण कर उन्हें वंचित समाज के उत्थान में लगाना। इसके लिए प्रतिष्ठान यहाँ ट्रेनिग लेने वाले सेवाव्रतियों को भारत की वैभवशाली परंपरा , महापुरुषों की जीवनियां, सेवा की आवश्यकता, योग एवं अनुशासन का महत्व आदि विभिन्न विषयों पर  40 दिन की ट्रेनिंग देता है। इसके बाद सेवाव्रती 3 साल फील्ड में अपनी रुचि के अनुसार सेवा कार्यों के लिए समय देते हैं। इस दौरान उनके रहने, खाने के साथ छोटी सी राशि मानधन के रूप में प्रतिष्ठान देता है। युवावस्था में अपने जीवन के तीन वर्ष सेवा कार्यों को देने के बाद अधिकांश सेवाव्रती अपना पूरा जीवन सेवा को ही समर्पित कर देते हैं। 1989 में यहाँ से ट्रेनिंग लेकर प्रतिष्ठान में बरसों तक महिला विभाग की संचालिका रही और बाद में शेष जीवन सेवा को देने वाली वनिता हेगड़े जी बताती हैं कि अजीत जी स्थापना के बाद सिर्फ नौ वर्ष जीवित रहे किंतु इन नौ वर्षों में उन्होंने अपनी सारी ऊर्जा इस प्रोजेक्ट को सफल करने में लगाई।

ट्रेनिंग के दौरान वे पूरा समय वहां रहते एवं सभी प्रतिभगियों से उनका आत्मीय संबंध बन जाता था। कौन सेवा बस्ती में कार्य कर पाएगा? किसकी योग्यता का उपयोग योग केंद्र में किया जा सकता है, वे बखूबी समझ जाते। न सिर्फ सेवाव्रतियों का सही नियोजन बल्कि वे वहां ठीक से कार्य कर सकें इसको सुनिश्चित करने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहती थी। वे फील्ड में जाकर हर सेवाव्रती के साथ एक दिन बिताने का प्रयास करते थे।उनके सहज स्नेह व ओजस्वी विचारों से प्रभावित होकर अनेक युवक व युवतियां आजीवन सेवा का संकल्प लेने के लिए प्रेरित होते थे। सेवा के लिए उत्तम व्यक्ति का निर्माण होना चाहिए यह भाव हिंदू सेवा प्रतिष्ठान के प्रथम निदेशक अजीत जी ने अपने सहयोगियों में भी संचारित किया।

किंतु काल के क्रूर प्रहार ने उनको असमय ही हम सबसे छीन लिया, केवल 56 वर्ष की उम्र में 3 दिसंबर 1990 को बेंगलुरु संघ कार्यालय केशव कृपा से तुमकुर जाते समय सुबह 4 बजे एक कार दुर्घटना में उनका निधन हो गया।

उनको श्रद्धांजलि देते हुए नानाजी देशमुख ने कहा था कि समूचे उत्तर भारत के लिए यह विश्वास करना कठिन है कि 16 वर्ष की उम्र में कोई युवती सेवा से जुड़ने के लिए स्वयं एक फार्म भरकर ट्रेनिंग लेगी। किंतु अजीत जी ने एक असंभव से लगने वाले विचार को एक सफल प्रकल्प के रूप में साकार किया।





स्त्रोत - सेवागाथा 

Thursday, December 1, 2022

लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य की माँग को लेकर 19 दिसम्बर को दिल्ली के रामलीला मैदान में होगी किसान गर्जना रैली

काशी. विश्व संवाद केन्द्र, काशी, लंका कार्यालय पर पत्रकार वार्ता के दौरान भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी जी ने कहा कि लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य की मांग को लेकर दिल्ली के रामलीला मैदान में 19 दिसंबर को भारतीय किसान संघ की किसान गर्जना रैली होगी, जिसमें देशभर से दो लाख किसानों के पहुंचने की संभावना है.

बेशक, देश की सरकारों द्वारा किसानों के लिए आज और कल की स्थिति को M.S.P. में 50 प्रतिशत तक लाभकारी मूल्य देकर आत्मनिर्भर बनाना है तो आज भी उत्तम खेती करने वाला किसान गरीबी में है? इसका मुख्य विषय है कि कृषि उत्पादों के मूल्य नीति लाभकारी नहीं है. यानि M.S.P. (मिनिमम सपोर्ट प्राईज) तर्क संगत नहीं है. एक कुशल श्रेणी प्रबंधक किसान का वेतन, सम्मिलित नहीं है और न ही M.S.P. घोषित फसलों को खरीदा जाता है, केवल धान, गेहूँ की फसलों के कुल उत्पादन का 10-11 प्रतिशत खरीदा जाता है. इस प्रकार की नीतियों से देश का किसान आत्मनिर्भर, समृद्धशाली कैसे बनेगा? भारतीय किसान संघ का प्रारम्भ से मुख्य मुद्दा किसान को लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य दिलाना रहा है, किसानों को आत्मनिर्भर बनाने हेतु भारतीय किसान संघ सरकार के समक्ष निम्न मांगें रखता है

1.  लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य दिया जाए.

2.  कृषि आदानों को GST के दायरे से बाहर रखा जाए.

3.  किसान सम्मान निधि बढ़ाई जाए व प्रत्येक किसान को सुनिश्चिति की जाए.

4.  केन्द्र सरकार सभी प्रकार के GM, BT GM सरसों के अनुमति को तत्काल वापस ले.

5.  फसल अवशेष जलाने पर किसान पर हो रही कार्यवाही व आर्थिक दण्ड समाप्त करें.

भारतीय किसान संघ काशी प्रान्त सभी जनपद में 1 दिसम्बर से 10 दिसम्बर तक ग्राम जनजागरण का अभियान चलाया जाएगा. इसमें काशी प्रान्त से हजारों की संख्या में कार्यकर्ता भाग लेंगे. साथ ही 19 दिसम्बर को दिल्ली के आन्दोलन में भी शामिल होंगे. प्रान्त अध्यक्ष इन्द्रासन सिंह ने कहा कि किसान संघ कि प्रमुख मांग है लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य. हमारा संगठन किसान हित में माँग को पूर्ण करने की मांग करता है.