Monday, May 29, 2023

अध्यात्म और राष्ट्रीयता का प्रतीक नया संसद भवन – विश्व हिन्दू परिषद

नई दिल्ली. विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय महासचिव मिलिंद परांडे ने कहा कि नए संसद भवन का उद्घाटन भारत के लोगों की अंतर्निहित एकता, परंपरा, संस्कृति, जीवन मूल्य (मूल्यों) को दर्शाता एक महान आयोजन है.

आज भारत के लिए एक महत्वपूर्ण तारीख है जब हमारे प्रधानमंत्री ने नए संसद भवन को राष्ट्र को समर्पित किया है. यह समर्पण कार्यक्रम तमिझगम के 21 अधीनमों द्वारा सेंगोल को सौंपे जाने से किया गया. अधीनम शैव सिद्धांतम मठों के प्रमुख हैं, जिनकी स्थापना 1000 साल पहले पूरे तमिलनाडु में शिव मंदिरों और धर्मग्रंथों के प्रचार और सुरक्षा के लिए की गई थी. सेंगोल, एक राजा के धर्मी शासन, उसके राज्य के न्यायपूर्ण शासन और लोगों के कल्याण का प्रतीक है और विभिन्न तमिल साहित्य में इसे सुशासन के सबसे महत्वपूर्ण लेख के रूप में दर्शाया गया है. आम तौर पर एक संत सेंगोल को राज्य के नए शासक को सौंपते हैं, पवित्र भजनों के साथ आशीर्वाद देते हैं और उनसे तमिल में सेंगोल वझुवमल अतची पुरिया वेंडुमकहते हैं, जिसका अर्थ है, “सेंगोल को गिराए बिना राज्य पर शासन करना”. यदि उसका शासन धर्मी नहीं है, तो सेंगोल उसके हाथों से गिर जाएगा.

उन्होंने कहा कि वही सेंगोल जो आज हमारे प्रधानमंत्री को भेंट किया गया है, उसका पहली बार 14 अगस्त, 1947 को अनावरण किया गया था. अंग्रेजों ने भारतीय परंपरा के अनुसार शासन सौंपने की प्रक्रिया के बारे में जवाहर लाल नेहरू से पूछा. और उन्होंने बदले में श्री राजाजी से पूछा, जो तमिल साहित्य से अच्छी तरह परिचित थे और वो जानते थे कि सेंगोल सदियों की परंपरा रही है. उन्होंने तिरुवदुथुराई अधीनम से इसे एक बार फिर बनाने का अनुरोध किया. और इसे चेन्नई के ज्वैलर वुम्मूदी बंगारूचेट्टी द्वारा बनाया गया था और 14 अगस्त को नई दिल्ली भेजा गया था. थिरुवदुथुराई अधीनम के प्रमुख कुमारस्वामी थम्बिरन ने तब सेंगोल को सौंपा था, जो उन्होंने माउंटबेटन से जवाहरलाल नेहरू को सत्ता सौंपने के संकेत के रूप में प्रदान किया था.

मिलिंद परांडे ने कहा कि यह आयोजन भारतीय संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिकता को दर्शाता है, जो इस पवित्र राष्ट्र के निहित लक्षण हैं. अध्यात्म और राष्ट्रीयता, इस देश की दो आंखें हैं जैसा कि श्री मुथुरामलिंगा थेवर ने कहा है. विश्व हिन्दू परिषद इस आयोजन को राष्ट्र का गौरव मानती है, क्योंकि इसने राष्ट्र की ऐतिहासिक, पवित्र संस्कृति और परंपरा को उजागर किया है और कुछ राष्ट्र विरोधी और हिन्दू विरोधी ताकतों द्वारा राजनीतिक लाभ के लिए इसका राजनीतिकरण करने के प्रयास की निंदा की है. विश्व हिन्दू परिषद इस अध्यात्म के संदेश को आने वाले दिनों में पूरे देश में ले जाएगी, जब विहिप अपने स्थापना के 60वें वर्ष में प्रवेश कर रही है. 

Saturday, May 27, 2023

स्वयंसेवक से कार्यकर्ता की ओर अग्रसर होने का नाम है संघ शिक्षा वर्ग - रमेश जी

 

काशी| स्वयंसेवक से कार्यकर्ता की ओर अग्रसर होने का नाम है संघ शिक्षा वर्ग। प्रखर राष्ट्रीयता के भाव का जागरण करने का नाम है संघ शिक्षा वर्ग l राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी प्रांत के संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष (सामान्य) के उद्घाटन सत्र में काशी प्रान्त प्रचारक रमेश चन्द्र ने यह बातें कहींl उक्त वर्ग बाबतपुर के एस एस पब्लिक स्कूल में आयोजित है।

     उन्होंने आगे कहा कि प्रशिक्षण में व्यक्ति के गुणों का विकास के साथ साथ मन, शरीर और आत्मा का शुद्धिकरण होता है l कार्यकर्ता की सद्वृत्ति को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण आवश्यक है l संघ में 4 चरणों में प्रशिक्षण कार्यक्रम होता है। पहला सात दिवसीय प्राथमिक,दूसरा 20 दिवसीय प्रथम वर्ष। पुनः 20 दिवसीय द्वितीय वर्ष और अंत में 25 दिन का तृतीय वर्ष नागपुर में आयोजित किया जाता है l

     रमेश जी ने आगे कहा कि प्रशिक्षण द्वारा हर स्वयंसेवक निर्दोष होकर निकले यह मूल भावना रहती है, मन के विकार कैसे संस्कारों में परिवर्तित हो जाएं यह प्रशिक्षण का विषय रहता है l संघ शिक्षा वर्ग में बहुत बड़ी रहस्यमय बातों का प्रशिक्षण नहीं अपितु छोटे-छोटे संस्कारों का प्रशिक्षण दिया जाता हैl सूचना मिलने पर उसका अक्षरशः पालन करना स्वयंसेवक का कर्तव्य हैl सामूहिक जीवन, सामूहिक विचार, सामूहिक रहन-सहन संघ की अनूठी शैली है l

     कार्यक्रम का प्रारंभ भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर हुआ। दीप प्रज्वलन मुख्य वक्ता के रमेश जी के साथ काशी प्रांत के मा.सह प्रांत संघचालक अंगराज जी एवं संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष के वर्ग अधिकारी पुनीत लाल जी ने किया l सह प्रांत कार्यवाह राकेश जी ने वर्ग व्यवस्था में उपस्थित अधिकारियों का परिचय कराया l वर्ग में कुल 318 शिक्षार्थी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं l वर्ग में काशी प्रांत के चार विभाग काशी, जौनपुर, सोनभद्र और विंध्याचल विभाग के शिक्षार्थी उपस्थित हैंl

     उद्घाटन सत्र में सच्चिदानंद को वर्ग कार्यवाह घोषित किया गया l वर्ग का समापन 15 जून को होगा। सह प्रांत प्रचारक मुनीश जी, वर्ग पालक अधिकारी श्री रामचंद्र जी, मुख्य शिक्षक श्रीमान प्रवेश जी, सर्व व्यवस्था प्रमुख श्रीमान गौरी शंकर जी एवं बौद्धिक पालक अधिकारी कृष्णचंद्र जी सहित काशी प्रांत के कई अधिकारी उपस्थित रहें l





Wednesday, May 24, 2023

प्रशिक्षण वर्ग में समाज और राष्ट्र के प्रति सर्वस्व समर्पण का भाव कार्यकर्ताओं में जगाया जाता है - रमेशजी

प्रयागराज।  ज़िला मुख्यालय से 20किमी. दूर गौहनिया स्थित वात्सल्य परिसर में 20 दिवसीय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 'संघ शिक्षा वर्ग' प्रथम वर्ष (सामान्य) का मंगलवार को उद्घाटन करते हुए संघ के प्रांत प्रचारक रमेश जी ने कहा कि प्रशिक्षण वर्ग में कार्यकर्ता गढ़े जाते हैं। इसमें समाज, राष्ट्र के प्रति सर्वस्व समर्पण का भाव जगाया जाता है। यह व्यक्ति निर्माण की सबसे बड़ी कार्यशाला है|

उन्होंने कहा कि वर्ग में सामाजिक समरसता, सामूहिक नेतृत्व तथा आचरण में सामूहिकता का भाव उत्पन्न किया जाता है। कार्यकर्ताओं से उन्होंने आग्रह किया कि वे अनुशासन तथा समय पालन एवं सूचनाओं के पालन के प्रति पूरी तरह जागरूक रहें क्योंकि वर्ग में इसी भाव को लेकर कार्यकर्ताओं का निर्माण किया जाता है। अपने उद्बोधन में उन्होंने आगे कहा कि शाखाओं में स्वयंसेवकों का निर्माण होता है जबकि वर्ग में कार्यकर्ता गढ़े जाते हैं। वास्तव में यह प्रशिक्षण स्वयंसेवक से कार्यकर्ता बनने का एक महान उपक्रम है। इसमें स्वयंसेवकों का शारीरिक मानसिक तथा बौधिक विकास कर  उनमें नेतृत्व क्षमता उत्पन्न की जाती है। यह प्रशिक्षण कठोर साधना से ही फलीभूत होता है। वर्ग में राष्ट्र की समस्याओं का समाधान निकालने का प्रशिक्षण दिया जाता है| यहां कार्यकर्ता में सामाजिक समरसता, सामूहिकता के साथ रहने तथा सबको साथ लेकर चलने का भाव विकसित किया जाता है।

 20दिवसीय इस प्रशिक्षण वर्ग में प्रयागराज, प्रतापगढ़ तथा सुल्तानपुर विभाग के 225 प्रशिक्षणार्थी भाग ले रहे हैं। इस पूर्णकालिक प्रशिक्षण वर्ग का समापन 13 जून को होगा| 40 वर्ष से कम उम्र के स्वयंसेवक प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। यह संघ का प्रतिवर्ष चलने वाला प्रशिक्षण है जिसमें स्वयंसेवक वर्ग में आकर पूरे 20 दिन प्रातः 5:00 से रात्रि 10:00 तक विभिन्न शारीरिक एवं बौद्धिक विषयों का प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने अपने कार्य क्षेत्र के लिए लौटते हैं।

प्रारंभ में प्रांत प्रचारक रमेश जी ने भारत माता की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर औपचारिक उद्घाटन किया।

मंच पर मा.प्रांत संघचालक डॉ. विश्वनाथ लाल निगम, वर्ग अधिकारी सीताराम केसरी जी उपस्थित थे। उद्घाटन सत्र में सह प्रांत प्रचारक मुनीश जी, वर्ग पालक प्रो. राजबिहारी, वर्ग कार्यवाह घनश्याम जी, हरीश जी, प्रांत प्रचार प्रमुख डा. मुरार जी त्रिपाठी, प्रो. सत्यपाल आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

Friday, May 19, 2023

#TheKeralaStroy – सर्वोच्च न्यायालय ने फिल्म को प्रतिबंधित करने के पश्चिम बंगाल सरकार के फैसले पर रोक लगाई

नई दिल्ली. फिल्म #TheKeralaStroy पर प्रतिबंध के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार के प्रतिबंध आदेश पर रोक लगा दी, साथ ही तमिलनाडु सरकार को सिनेमाघरों को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया.

न्यायालय ने आदेश दिया – “पश्चिम बंगाल ने 8 मई को एक आदेश जारी कर पश्चिम बंगाल सिनेमाज रेगुलेशन एक्ट की धारा 4 के साथ पढ़ी जाने वाली धारा 6(1) के तहत पूरे पश्चिम बंगाल में फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी. प्रथम दृष्टया हमारा विचार है कि पूर्व की सामग्री के आधार पर पश्चिम बंगाल द्वारा निषेध मान्य नहीं है. इस प्रकार फिल्म पर प्रतिबंध लगाने के आदेश पर रोक लगा दी गई है.

तमिलनाडु के संबंध में, न्यायालय ने राज्य की इस दलील पर गौर किया कि राज्य में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से फिल्म के प्रदर्शन पर रोक नहीं लगाई गई है.

न्यायालय ने फिल्म निर्माताओं को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि फिल्म में स्पष्ट रूप से यह कहते हुए एक डिस्क्लेमर हो कि फिल्म घटनाओं का एक काल्पनिक संस्करण है और धर्मांतरण (इस्लाम में महिलाओं के) के आंकड़े का समर्थन करने के लिए कोई प्रामाणिक डाटा नहीं है.

सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) के सर्टिफिकेशन को दी गई चुनौती के बारे में न्यायालय ने कहा कि इसे गर्मी की छुट्टियों के बाद लिस्ट किया जाएगा क्योंकि इसके लिए न्यायालय को पहले फिल्म देखनी होगी.

सीबीएफसी प्रमाणन को चुनौती देने वाले मद्रास उच्च न्यायालय के अंतिम फैसले को हम छुट्टियों के बाद सूचीबद्ध करेंगे. इसके लिए हमें फिल्म देखनी होगी. हम ऐसा करेंगे.

शीर्ष न्यायालय की पीठ दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी एक 5 मई के केरल उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती है, जिसने फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने या ट्रेलर और अन्य क्लिप को हटाने से इनकार कर दिया था.

दूसरी फिल्म के निर्माताओं द्वारा फिल्म पर प्रतिबंध लगाने के पश्चिम बंगाल सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका है.

तमिलनाडु में, उन्होंने अनुरोध किया कि सिनेमाघरों में सुरक्षा प्रदान की जाए और फिल्म को न दिखाने के लिए औपचारिक या अनौपचारिक रूप से कोई निर्देश जारी नहीं किया जाए.

फिल्म डायरेक्टर सुदीप्तो सेन के निर्देशन में बनी द केरल स्टोरीशालिनी, नीमा और गीतांजलि नाम की लड़कियों पर आधारित है, जो नर्स बनने का सपना लिए घर से दूर एक कॉलेज में आती हैं. जहां उनकी मुलाकात आसिफा से होती है. आसिफा एक फंडामेंटलिस्ट है और जैसे-जैसे फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है, वैसे-वैसे यह पता चलता है कि वह आईएसआईएस के लिए लड़की भेजने का काम करती है. फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे आसिफा अपने साथियों की मदद से उन तीन लड़कियों का ब्रेनवॉश करके उन्हें अपना धर्म बदलने के लिए उकसाती है. फिल्म के निर्माता विपुल शाह हैं.

Monday, May 8, 2023

समाज के ताने बाने को बनाये रखना तथा समाज को सही दिशा देना ही वास्तविक पत्रकारिता - डॉ. मनमोहन वैद्य

काशी। उत्तम पत्रकारिता का उद्देश्य भारत की संस्कृति एवं भारत की मौलिकता को बनाये रखना है। समाज के ताने बाने को बनाये रखना तथा समाज को सही दिशा देना वास्तविक पत्रकारिता का अर्थ है पत्रकार धर्म का पालन करते हुए सारा समाज हमारा है, इस भावना के प्रति प्रमाणिकता रखना सच्ची पत्रकारिता है। उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शताब्दी कृषि प्रेक्षागृह में व्यक्त किया। वे रविवार को विश्व संवाद केन्द्र, काशी द्वारा आयोजित आद्य पत्रकार देवर्षि नारद जयन्ती एवं पत्रकार सम्मान समारोह में "संवेदनशील पत्रकारिता की सामाजिक परिवर्तन में भूमिका" विषयक संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे।

आद्य पत्रकार देवर्षि नारद के सन्दर्भ में बोलते हुए उन्होंने कहा कि नारद जी का त्रिलोक में हर और संचार एवं संवाद था। उनकी पत्रकारिता पर देव-दानव एवं मानव सभी को इतना विश्वास था कि रनिवास तक भी उनके आने-जाने पर कोई रोक नहीं थी। भारत की जीवन दृष्टि आध्यात्म पर आधारित है। जीवन में जितनी कलाएं हैं, उतने ही देवता हैं। परन्तु स्वामी विवेकानन्द की नारद भक्ति स्तोत्र पुस्तक में देवर्षि नारद को श्रेष्ठ कहा गया है। भारत के आध्यात्मिक संस्कृति के सन्दर्भ में चर्चा करते हुए डॉ. वैद्य जी ने कहा कि गंगा जमुनी तहजीब यह भारत की परम्परा नहीं है, क्योंकि यमुना भी गंगा में मिल जाती हैं और अन्त में केवल गंगा ही सागर में मिलती हैं। अतः भारत की संस्कृति गंगा है। पत्रकारों के उत्तम गुणों के सन्दर्भ में मुख्य वक्ता ने कहा कि सही सूचना जनमानस में पहुंचाना तथा हर सूचना की प्रमाणिकता तय करना उत्तम संवाददाता का कार्य है। भारतीय जनमानस की सेवा भावना की चर्चा करते हुए डॉ. वैद्य जी ने कहा कि भूकम्प अथवा बाढ़ के समय सारा विश्व सेवा कार्य में बढ़ चढ़कर भाग लेता है, परन्तु कोविड काल में भारत वर्ष ही एकमात्र ऐसा देश रहा जहां सेवा कार्य हेतु कोरोना योद्धा सड़कों पर उतरें। इस काल में पत्रकारिता की सकारात्मक भूमिका प्रशंसनीय रही। उन्होंने कहा कि भगवद्भक्ति की स्थापना तथा प्रचार के लिए नारद जी का आविर्भाव हुआ है। उन्होंने कठिन तपस्या से ब्रम्हर्षि पद प्राप्त किया है। देवर्षि नारद धर्म के प्रचार तथा लोककल्याण हेतु सदैव प्रयत्नशील रहते हैं। इसी कारण सभी युगों में, सब लोकों में, समस्त विद्याओं में, समाज के सभी वर्गों में नारद जी का सदा से प्रवेश रहा है। मात्र देवताओं ने ही नहीं वरन् दानवों ने भी उन्हें सदैव आदर दिया है। समय-समय पर सभी ने उनसे परामर्श लिया है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि कृषि वैज्ञानिक प्रो. दिनेश चन्द्र राय ने कहा कि देवर्षि नारद ने महर्षि बाल्मिकी को रामायण की रचना के लिए प्रेरित किया। विश्व संवाद केन्द्र की भूमिका का वर्णन करते हुए कहा कि वर्तमान युग में समाज जागरण का अद्भुत कार्य इस संस्था के माध्यम से हो रहा है। देवर्षि नारद जयन्ती के आयोजन द्वारा श्रेष्ठ पत्रकारिता को सम्मानित कर समाज कार्यों में पत्रकारिता के महत्व को बढ़ाने का कार्य हो रहा है। अध्यक्षता करते हुए विश्व संवाद केन्द्र काशी न्यास के अध्यक्ष प्रो.बिशन किशोर ने कहा कि देवर्षि नारद सृष्टि में सौहार्द बनाये रखने की भूमिका का निर्वहन करते थे। देवर्षि नारद की छवि परिहास की नहीं अपितु ज्ञान के प्रतीक की हैं। कार्यक्रम प्रस्थापना करते हुए संस्थापक सचिव डॉ. वीरेन्द्र जायसवाल ने कहा कि यथा जनता तथा तंत्र यह लोकतंत्र की पहचान है, इसको सन्दर्भित करने का कार्य पत्रकारों का है क्योंकि समाज निर्माण में और समाज परिवर्तन में पत्रकारिता की भूमिका रहती है। अतः जितनी सकारात्मक पत्रकारिता होगी, उतनी समाज और लोकतंत्र में संवेदना आयेगी आयोजित सम्मान समारोह में पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने वाले चयनित सात पत्रकारों एवं एक कर्मयोगी समेत आठ लोगों को स्मृति चिह्न, सम्मान पत्र एवं अंगवस्त्रम भेंट कर सम्मानित किया गया। जिनमें श्री अशोक कुमार सिंह (वरिष्ठ संवाददाता, दैनिक जागरण) श्री आलोक कुमार त्रिपाठी (सीनियर सब एडिटर, अमर उजाला), श्रीमती कुमुद सिंह चतुर्वेदी (ब्यूरो चीफ, नेशनल व्हील्स) श्री आशुतोष सिंह (मुख्य संवाददाता, टाइम्स नाउ भारत), श्री नवीन पाण्डे (संवाददाता, एबीपी गंगा न्यूज), श्री नरेन्द्र नाथ मिश्र (सम्पादक, सोच विचार), श्री विजय शंकर गुप्ता (छायाकार, हिन्दुस्थान समाचार एजेन्सी) श्री अवधेश मिश्र ( कर्मयोगी) सम्मिलित हैं। मुख्य अतिथि को न्यास के उपाध्यक्ष डॉ. हेमन्त गुप्त, कार्यक्रम संयोजक सुरेश बहादुर ने स्मृति चिह्न अंगवस्त्रम अध्यक्ष बिशन किशोर ने भेंट किया।

कार्यक्रम का प्रारम्भ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन महामना मदन मोहन मालवीय जी की प्रतिमा एवं भारत माता व आद्य पत्रकार देवर्षि नारद के चित्र पर मार्ल्यापण कर किया गया। स्वस्तिवाचन वेंकट रमन घनपाठी द्वारा किया गया। कार्यक्रम अध्यक्ष की अनुमति से सचिव प्रदीप कुमार चौरसिया ने कार्यक्रम आरम्भ किया। कुलगीत सुश्री मालविका एवं सुश्री अंजलि द्वारा किया गया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रीय गीत वंदेमातरम से हुआ।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. कुमकुम पाठक एवं धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम संयोजक सुरेश बहादुर सिंह ऐड द्वारा किया गया। 






Friday, May 5, 2023

देवर्षि नारद जयन्ती समारोह : "संवेदनशील पत्रकारिता की सामाजिक परिवर्तन में भूमिका" विषयक संगोष्ठी एवं पत्रकारों का सम्मान

काशी। विश्व संवाद केन्द्र काशी द्वारा प्रत्येक वर्ष मनाया जाने वाला देवर्षि नारद जयन्ती एवं पत्रकार सम्मान समारोह रविवार ज्येष्ठ कृष्ण द्वितीया, ( 07 मई 2023 ) को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शताब्दी कृषि प्रेक्षागृह ( निकट श्रीकाशी विश्वनाथ मन्दिर) में अपराह्न 04 बजे आयोजित की गयी है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य जी रहेंगे। वे पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करने वाले सात पत्रकारों समेत एक कर्मयोगी को सम्मानित करेंगे। इसके साथ ही डॉ. वैद्य "संवेदनशील पत्रकारिता की सामाजिक परिवर्तन में भूमिका" विषयक संगोष्ठी को सम्बोधित भी करेंगे। उक्त जानकारी विश्व संवाद केन्द्र काशी- न्यास के उपाध्यक्ष डॉ. हेमन्त गुप्त, सचिव प्रदीप कुमार चौरसिया एवं देवर्षि नारद जयन्ती समारोह के संयोजक सुरेश बहादुर सिंह एड. ने विश्व संवाद केन्द्र काशी कार्यालय पर शुक्रवार को आयोजित पत्रकार वार्ता को संयुक्त रूप से सम्बोधित करते हुए दी।

पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने बताया कि विश्व संवाद केन्द्र काशी द्वारा वर्ष 2003 से अब तक पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने वाले अनेकों पत्रकारों को देवर्षि नारद सम्मान से सम्मानित किया जा चुका हैं। इस वर्ष सम्मान हेतु समारोह के पत्रकार चयन समिति द्वारा सम्बन्धित क्षेत्र से कुल आठ लोगों को चयनित किया जाएगा, जिसमें एक महिला पत्रकार, दो प्रिंट मीडिया के पत्रकार, दो इलेक्ट्रानिक चैनल के पत्रकार, एक स्तम्भकार, एक छायाकार एवं एक कर्मयोगी सम्मिलित होंगे। उन्होंने आगे बताया कि कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि कृषि वैज्ञानिक प्रो. दिनेश चन्द्र राय एवं विश्व संवाद केन्द्र काशी- न्यास के अध्यक्ष प्रो. विशन किशोर ( निवर्तमान विभागाध्यक्ष, मैकेनिकल इंजिनियरिंग विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) रहेंगे।

वक्ताओं ने आगे कहा कि सभी पुराणों में महर्षि नारद एक मुख्य व अनिवार्य भूमिका में प्रस्तुत हैं। उन्हें देवर्षि की संज्ञा दी गयी है, परन्तु उनका कार्य देवताओं तक ही सीमित नहीं था। वह दानवों और मनुष्यों के भी मित्र, मार्गदर्शक, सलाहकार और आचार्य के रूप में उपस्थित हैं। पुराणों में नारद को भागवत संवाददाता के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह भी सर्वमान्य हैं कि नारद की ही प्रेरणा से महर्षि बाल्मीकि ने रामायण जैसे महाकाव्य और व्यास ने भगवद्गीता जैसे सम्पूर्ण भक्तिकाव्य की रचना की थी। ऐसे नारद को कुछ लोग कलह प्रिय के रूप में भी प्रस्तुत करते हैं। जबकि देवर्षि नारद के कार्यों और विचारों का अध्ययन करने से सिद्ध होता है कि उन्होंने विवाद और संघर्ष को भी लोक कल्याण के रूप में प्रयोग किया है। देवर्षि नारद समकालीन महत्वपूर्ण देवताओं, मानवों व असुरों से सम्पर्क करते हैं और उनके प्रश्न, वक्तव्य एवं कटाक्ष सभी को सकारात्मक दिशा देते हैं। उनके प्रत्येक परामर्श और वक्तव्य में कहीं न कहीं लोकहित झलकता है। वर्तमान में देवर्षि नारद के अनुयायी के रूप में अनेक पत्रकार मित्र देवर्षि नारद की भूमिका का निर्वहन समाज में कर रहे हैं। समाज को पत्रकार मित्रों की भूमिका का बोध कराने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी देवर्षि नारद जयन्ती कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।

Tuesday, May 2, 2023

सर्वोच्च न्यायालय का ‘द केरल स्टोरी’ की रिलीज रोकने से इंकार

नई दिल्ली. सर्वोच्च न्यायालय ने सुदीप्तो सेन निर्देशित फिल्म द केरल स्टोरीकी रिलीज को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से मना कर दिया.

जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की खंडपीठ ने कहा कि इंटरलोक्यूटरी आवेदन के माध्यम से फिल्म की रिलीज को चुनौती देना उचित उपाय नहीं है.

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अधिवक्ता निजाम पाशा ने फिल्म की रिलीज रोकने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. उन्होंने कहा कि फिल्म का ट्रेलर अब तक करीब 1.6 करोड़ बार देखा जा चुका है. पाशा ने कहा,”फिल्म में अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया है जो ऑडियो-विजुअल प्रोपेगंडा है.

पीठ ने कहा, कई तरह के नफरत भरे भाषण होते हैं. इस फिल्म को सर्टिफिकेशन मिल गया है और सेंसर बोर्ड ने इसे स्वीकृति दी है. यह ऐसा नहीं है कि कोई व्यक्ति मंच पर चढ़कर अनियंत्रित भाषण देने लगे. यदि आप फिल्म की रिलीज को चुनौती देना चाहते हैं, तो आपको सही तरीके से फिल्म के सर्टिफिकेशन को देनी चाहिए.

जस्टिस जोसेफ ने कहा कि एक बार फिल्म को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा प्रमाणित कर दिए जाने के बाद अदालतें तब तक हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं, जब तक कि प्रमाणीकरण को मूल याचिका में चुनौती नहीं दी जाती.

न्यायालय ने कहा कि हम इसे हेट स्पीच के साथ नहीं टैग कर सकते. यह आपके अन्य मामलों से बिल्कुल अलग है.

जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि याचिकाकर्ता को पहले उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए.

इसके जवाब में पाशा ने कहा कि अब समय नहीं बचा है क्योंकि फिल्म शुक्रवार को रिलीज होने वाली है.

पीठ ने कहा कि ये कोई खाली ग्राउंड नहीं है, ऐसे तो हर कोई सीधे सर्वोच्च न्यायालय आना शुरू कर देगा.

स्रोत - विश्व संवाद केन्द्र, भारत