Monday, October 30, 2023

अयोध्या में श्री रामजन्मभूमि मंदिर में रामलला की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा समारोह को सफल बनाने हेतु रणनीति तैयार

संघ विचार परिवार की बैठक में कार्यक्रमों की की गई घोषणा

व्यापक गृह संपर्क एवं जन सम्पर्क अभियान

     काशी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचार परिवार की महत्वपूर्ण बैठक रविवार को संत अतुलानंद कान्वेंट स्कूल कोयराजपुर में संपन्न हुई। इस बैठक में 22 जनवरी को अयोध्या में संपन्न होने वाले ऐतिहासिक प्राण प्रतिष्ठा समारोह के संबंध में विस्तृत कार्य योजना की घोषणा की  गई। चार अलग-अलग सत्रो में पूरे दिन भर चली बैठक में विचार परिवार के 35 संगठनों के प्रमुख पदाधिकारियों की उपस्थिति में कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य करने का आह्वान किया गया।

     श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महामंत्री एवं विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री चंपत राय जी ने पूरे 45 दिन तक चलने वाले महाअभियान की चरण बद्ध ढंग से विस्तृत जानकारी दी।

     निर्धारित योजना के अनुसार 4 नवंबर 2023 को 200 कार्यकर्ता अयोध्या पहुंचेंगे। पांच को वहां से अक्षत भरे पीतल के कलश लेकर सभी विभाग तक उसे पहुंचाएंगे। यह अक्षत न्यास की ओर से आमंत्रण का प्रतीक होगा।

     5 नवंबर से दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक कार्यकर्ता देशभर के सभी मंदिरों में अक्षत पहुंचायेंगे| 1 से 15 जनवरी 2024 तक पूजित अक्षत लेकर कार्यकर्ता हर गांव-मोहल्ले एवं बस्तियों में संपर्क कर सभी को अयोध्या पहुंचने का औपचारिक निमंत्रण देंगे। 

     प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन 22 जनवरी को कार्यकर्ता अपने-अपने गांव मोहल्ले के मंदिरों में इकट्ठे होंगे। वहां भजन कीर्तन के कार्यक्रम चलेंगे तथा सायं काल अपने दरवाजे पर दीप जलाएंगे। 5 करोड़ घरों में इस दिन दीपक जलाए जाएंगे।

     22 जनवरी को अयोध्या में केवल देश भर के कश्मीर से कन्याकुमारी तक के 140 संप्रदायों के साधु संत, मा0 प्रधानमंत्री, पूज्य सरसंघचालक तथा इस आंदोलन में प्राण गवाने वालों के परिजन और विभिन्न क्षेत्रों में विशेष उपलब्धियां अर्जित करने वाले समाज के विशिष्ट नागरिक उपस्थित होंगे।

     8000 लोगों की सीमित क्षमता होने के कारण कार्यकर्ताओं से 22 जनवरी को अयोध्या न आकर अपने-अपने क्षेत्र में कार्यक्रमों में जुटने का निर्देश दिया गया है। कार्यकर्ताओं को अलग-अलग तिथियों में उनके प्रांत के अनुसार अयोध्या पहुंचने का श्री चंपत राय जी ने निमंत्रण दिया। अयोध्या पहुंचने वाले कार्यकर्ताओं के रुकने तथा भोजन आदि की समुचित व्यवस्था का भी उन्होंने भरोसा दिलाया। 25000 कार्यकर्ताओ के प्रतिदिन अयोध्या में रूकने एवं खाने की व्यवस्था की जा रही है।

     काशी प्रांत के कार्यकर्ता 30 जनवरी को अयोध्या पहुंचेंगे। इसी तरह अलग-अलग प्रांतो के लिए अलग-अलग तिथियां होंगी। 45 दिनों तक चलने वाले इस अभियान  में 50 लाख लोगों के आवास एवं भोजन की व्यवस्था अयोध्या में उपलब्ध कराई जाएगी।

     काशी प्रांत के प्रांत प्रचारक श्रीमान रमेश जी ने द्वितीय सत्र में कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उन्होंने आग्रह किया कि संगठन की रीति नीति के अनुसार और सभी कार्यकर्ता अपने-अपने स्थान पर सौंपे  गये दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वाह करते हुए कार्यक्रम को सफल बनाएं। उन्होंने कहा कि सभी कार्यकर्ता अपने-अपने क्षेत्र के मंदिरों की सूची बनाएं| प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन मंदिरों में संपूर्ण हिंदू शक्ति को एकत्रित कर भजन कीर्तन के कार्यक्रम संचालित करें। माइक लगाकर प्रभु श्री राम का गुणानुवाद कराये| इसके लिए कथावाचकों विद्वानों की भी सहायता ली जा सकती है।

1 से 15 जनवरी तक के महासंपर्क अभियान में न छूटे एक भी हिन्दू घर  

1 से 15 जनवरी तक अब तक का सबसे बड़ा महासंपर्क अभियान चलेगा। इसमें कार्यकर्ता पूरी भागीदारी निभायें। एक भी हिंदू घर छूटने न पाए इसका ध्यान रखें। 15 दिसंबर से पहले खंडो की समन्वय बैठकें हो जाए। टोलियों का गठन कर लें। गठित टोलिया ही परिवारों से संपर्क करेंगी।

     उन्होंने विचार परिवार की बैठक जिलास्तर पर करने के लिए अभी से तिथि तय करने का निर्देश दिया। कार्यकर्ताओं को 15 दिसंबर से पूर्व अयोध्या से लाई गई सारी सामग्री मिल जाएगी। दूसरी ओर मातृशक्ति-संगमको भी विभाग स्तर पर सफल बनाने लिए कार्यकर्ताओं से सक्रिय रहने का निर्देश दिया। इसके लिए अलग-अलग विभागों की तिथियां भी घोषित कर दी गई।

ऐतिहासिक महानाट्य जाणता राजा देखने के लिए सभी जिलों के तिथियों की भी दी गई जानकारी

छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित ऐतिहासिक महानाट्य जाणता राजा देखने के लिए सभी जिलों की तिथियां की भी जानकारी दी गई। 21 नवंबर को चंदौली-सोनभद्र, 22 को मिर्जापुर-भदोही, 23 को प्रयागराज, 24 को प्रतापगढ़-कौशांबी 25 को सुल्तानपुर-अमेठी तथा 26 को जौनपुर-गाजीपुर के कार्यकर्ता जाणता राजा महानाट्य देखेंगे। वाराणसी जिले के लोग स्थानीय होने के कारण सभी दिनों में प्रतिभाग कर सकते हैं।

मंच पर मा0 प्रांत संघचालक डॉ. विश्वनाथ लाल निगम, प्रांत कार्यवाह मुरलीपाल जी की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। संचालन सह प्रांत कार्यवाह डॉ. राकेश जी ने किया। इस समन्वय बैठक में भारत विकास परिषद, विहिप, सक्षम, आरोग्य भारती, सेवा भारती, अ.भा.विद्यार्थी परिषद, शैक्षिक महासंघ, इतिहास संकलन समिति, गंगा समग्र, भाजपा, भारतीय मजदूर संघ समेत कुल 36 संगठनों के 545 पदाधिकारी उपस्थित थे।




Tuesday, October 17, 2023

हिंदुत्व के ऊपर आक्रमण को रोकने का सर्वप्रथम प्रयत्न शिवाजी ने किया - अनिल ओक

काशी| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक ने कहा कि हिंदुत्व के ऊपर वैचारिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और शारीरिक आक्रमण को रोकने का सर्वप्रथम प्रयत्न शिवा जी ने किया| वे काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वैदिक विज्ञान केन्द्र के सभागार में छत्रपति शिवाजी के जीवन पर आधारित और ऐतिहासिक महानाट्य जाणता राजा (दूरदर्शी राजा) के मंचन के पूर्व आयोजित संवाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
21 से 26 नवंबर को आयोजित इस महानाट्य के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित हिन्दवी स्वराज के 350 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में काशी में इस महानाट्य का मंचन हो रहा है| शिवा जी की युद्धनीति के सन्दर्भ में चर्चा करते हुए श्री ओक ने आगे कहा कि स्वराज की स्थापना हेतु जीवित रहना आवश्यक है| अतः युद्ध जीतने के लिए लड़ना चाहिए। लन्दन मिलिट्री स्कूल में विश्व के सात प्रमुख युद्धों में शिवाजी और अफजल खान के मध्य हुए युद्ध को सम्मिलित किया गया है| इस युद्ध के वर्णन के मुख्य वक्ता ने कविता के रूप में प्रस्तुत किया|
शिवाजी के सुशासन नीति के बारे में उन्होंने कहा कि वास्तव में शिवाजी ने मात्र सात वर्ष युद्ध किया तथा 28 वर्ष सुराज के लिए कार्य किया| सर्वप्रथम पेंशन योजना, अनुकम्पा नियुक्ति, हर परिवार को अनाज योजना, नौसेना, मर्चेंट नेवी का प्रारम्भ शिवाजी के ही शासन काल में हुआ| नाट्य की एक भाग में औरंगजेब ने भी शिवाजी के चरित्र की प्रशंसा की है| श्री ओक ने आगे कहा कि महानाट्य जाणता राजा वर्तमान परिस्थितियों में आमजन के मध्य छत्रपति शिवाजी जैसी दहाड़ मरेगा। हिन्दवी साम्राज्य की स्थापना के लिए शिवा जी ने ऐसे मित्र बनाये जिनका आदर्श वर्तमान परिस्थिति में भी प्रासंगिक है शिवाजी नाई का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि युद्ध में पारंगत न होते हुए भी स्वराज के लिए अपने प्राणों की चिंता न करके शत्रु के दल में सीधा प्रवेश किया। वहीं बाजी प्रभुदेश पाण्डे ने छत्रपति शिवाजी के प्राणों की रक्षा के लिए मात्र तीन सौ मावलों को लेकर चार हजार पठान घुड़सवारों के साथ भीड गये और वीरगति को प्राप्त हुए वर्तमान में महाराष्ट्र का वह स्थान पावन खिण्ड के नाम से प्रसिद्ध है। राष्ट्रभक्ति का भाव शिवाजी में कूट-कूटकर भरा था। उन्हें राजा बनने की इच्छा नहीं थी परन्तु हिन्दवी साम्राज्य की स्थापना के लिए उन्होंने छत्रपति की उपाधि धारण की शिवाजी महिलाओं का भी विशेष सत्कार करते थे। गरीब महिला के साथ दुर्व्यवहार करने के कारण अपने सगे मामा मोहिते को भी आजीवन कारावास का दण्ड दिया। त्वरित निर्णय लेना छत्रपति शिवाजी की विशेषता थी मात्र 60 सैनिकों को लेकर शाइस्ता खान के महल में एक लाख सैनिकों को गुरिल्ला युद्ध करके पराजित किया। नये दुर्गों का निर्माण, नौसेना की स्थापना, सुशासन हेतु पंत प्रधानों की नियुक्ति छत्रपति शिवाजी द्वारा रामराज्य की परिकल्पना को साकार करती है। शिवाजी के इन्हीं आदशों को कलमबद्ध करते हुए बाबा साहब पुरन्दरे जी ने महानाट्य की रचना की।
संबोधन के दौरान सभागार में उपस्थित युवाओं ने "जय भवानी-जय शिवाजी" के उद्घोष से जाणता राजा की उपस्थिति का भान कराया| कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए प्रख्यात कथावाचक शांतनु जी महाराज ने प्रस्तावना रखते हुए कहा कि भारतीय इतिहास के साथ षड़यंत्र कर कई महापुरुषों के चरित्रों को इतिहास के पृष्ठों से गायब कर दिया गया| सेवा भारती काशी प्रान्त ऐसे ही एक चरित्र को पढ़ाने, दिखाने और सुनाने का कार्य करेगा| महामना की बगिया में जाणता राजा का मंचन महामना को भी प्रसन्न करेगा| शिवाजी ने संकल्प लिया कि हिन्दवी साम्राज्य की स्थापना करनी है ऐसा सोचने वाले वह एक मात्र राजा थे| जिस प्रकार अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण हेतु सभी भारतीयों ने अपनी - अपनी आहुति डाली थी, उसी प्रकार सभी की आहुति इस महानाट्य हेतु भी होनी चाहिए| अध्यक्षता करते हुए भारत सरकार के केन्द्रीय मंत्री डॉ.महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने कहा कि शिवाजी महाराज के जीवन में काशी के विद्वत जनों का भी योगदान था| यही के पंडित गागा भट्ट ने शिवाजी का राज्याभिषेक कराया| वास्तव में वर्तमान कालखंड भी ऐसी परिस्थियों से गुजर रहा है जैसी परिस्थितियां शिवाजी के समय में थी| ऐसे में जाणता राजा महानाट्य का मंचन हमें उन परिस्थितियों का समाधान प्रदान करेगा| शिवाजी के गुरु समर्थ गुरु रामदास ने उन्हें जाणता राजा कहा था जिसका अर्थ है दूरदर्शी राजा|
कार्यक्रम के प्रारम्भ में मंचासीन अतिथियों द्वारा महामना की प्रतिमा पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्ज्वलन किया गया| संगीत मंच कला संकाय की छात्राओं द्वारा कुलगीत की प्रस्तुति की गयी| इस दौरान मंच पर काशी प्रान्त प्रचारक रमेश चन्द्र एवं सेवा भारती काशी प्रान्त के अध्यक्ष राहुल सिंह उपस्थित रहें|

      कार्यक्रम में मुख्य रूप से महानाट्य आयोजन समिति के सह सचिव डॉ.हरेन्द्र राय, डॉ.सत्य प्रकाश पाल, प्रो.डीसी राय, काशी विभाग प्रचारक नितिन सहित विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के प्रोफ़ेसर एवं विद्यार्थी उपस्थित रहें| धन्यवाद ज्ञापन वैदिक विज्ञान केन्द्र के समन्वयक प्रो.उपेन्द्र नाथ त्रिपाठी तथा संचालन पत्रकारिता विभाग के डॉ.ज्ञान प्रकाश मिश्र ने किया|  

प्राप्त धन से कैंसर अस्पताल के तीमारदारों के लिए होगी आवासीय व्यवस्था

श्री ओक ने बताया कि 21 से 26 नवंबर तक एम्फीथियेटर मैदान, काशी हिंदू विश्वविद्यालय में यह नाटक सायं काल 5:30 बजे से रात्रि 8:30 बजे तक आयोजित किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि नाटक देखने के लिए टिकट की व्यवस्था की गई है। इस टिकट से प्राप्त होने वाली धन से काशी के कैंसर अस्पताल के सामने तीमारदारो के लिए आवासीय व्यवस्था की जाएगी।


Sunday, October 15, 2023

वर्तमान में देश को छत्रपति शिवाजी की कुशल रणनीति की आवश्यकता - अनिल ओक जी

 

प्रयागराज/प्रतापगढ़। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक ने कहा कि वर्तमान में चुनौतियों से घिरे हुए अपने देश को छत्रपति शिवाजी महाराज की कुशल रणनीति की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है, इसलिए शिवाजी आज सर्वाधिक प्रासंगिक है। 

छत्रपति शिवाजी महाराज की 350वीं जयंती के उपलक्ष्य में काशी में आयोजित होने वाले जाणता राजा की तैयारी बैठक को संबोधित करते हुए क्रमशः शनिवार को प्रयागराज के मेडिकल कॉलेज स्थित प्रीतम दास मेहता प्रेक्षा गृह में एवं रविवार को प्रतापगढ़ के तुलसी सदन में उन्होंने उक्त विचार प्रस्तुत किया। विचार परिवार के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि काशी में सेवा भारती की ओर से आयोजित होने वाला यह नाटक केवल मनोरंजन के लिए नहीं बल्कि हिंदुत्व के विशालजागरण के लिए हो रहा है। 350 साल पहले शिवाजी महाराज जितने प्रासंगिक थे आज उससे भी अधिक प्रासंगिक हो गए हैं। शिवाजी की प्रशासनिक, राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक नीतियों का विस्तार से वर्णन करते हुए अपने उद्बोधन में श्री ओक ने कहा कि शिवाजी महाराज की सराहना उनका सबसे बड़ा दुश्मन औरंगजेब भी करता था। उसने कहा था हुकूमत करना हो तो शिवा का चलन सीखो।

प्रयागराज में आयोजित कार्यक्रम 

उन्होंने कहा कि आज देश को मिर्जा राजा जयसिंह तथा बाजी प्रभु देशपांडे एवं जयचंद तथा पृथ्वीराज के बीच अंतर करना सीखना होगा। देश में जितनी श्रेष्ठ प्रशासनिक व्यवस्था शिवाजी ने दी थी उतना शायद ही कोई दे पाएगा। कर्मचारियों के लिए अनुकंपा नियुक्ति तथा पेंशन योजना एवं सभी गरीबों के घर ढाई शेर अनाज पहुंचाने की योजना शिवाजी ने लागू की थी। उन्होंने समर्पित देशभक्त एवं जुझारू योद्धाओं के बल पर हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की थी। आज देश में सैकड़ों मिर्जा राजा जयसिंह पैदा हो गए हैं। शिवाजी के नीति का अनुपालन करते हुए इन्हें अलग-थलग करना सीखना होगा। आज देश को फिर से खंडित करने के कुचक्र चले जा रहे हैं, देश चुनौतियों से घिरा हुआ है। सांस्कृतिक एवं धार्मिक आक्रमण हो रहे हैं। सनातन धर्म को लांछित किया जा रहा हैं। इसलिए शिवाजी की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने राज्य में सभी के लिए समान न्याय और सभी के लिए समान सम्मान की व्यवस्था की थी| भ्रष्टाचार मुक्त शासन और जनता के लिए सुलभ राजा शासन का प्रमुख अंग था| राजा प्रजा के प्रति समर्पित हो, ऐसा उनके शासनकाल में परिलक्षित हुआ| उनके शासनकाल में नारी को विशेष सम्मान प्राप्त था| माता जीजाबाई के विशेष मार्गदर्शन और समर्थ गुरु रामदास की शिक्षा दीक्षा ने शिवाजी को सशक्त योद्धा के रूप में विकसित किया| इसके पूर्व समिति के संरक्षक प्रसिद्ध कथावाचक शांतनु जी महाराज ने जाणता राजा के महत्व एवं उसकी प्रासंगिकता पर अत्यंत ओजस्वी शब्दों में प्रकाश डाला। ‌उन्होंने कहा कि शिवाजी के जीवन से वर्तमान पीढ़ी पूरी तरह अपरिचित है, इसलिए इस नाटक का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। 

मंचन के प्राप्त आय से मरीजों के तीमारदारो के लिए होगी आवासीय व्यवस्था

श्री ओक ने बताया कि 21 से 26 नवंबर तक एम्फीथियेटर मैदान, काशी हिंदू विश्वविद्यालय में यह नाटक सायं काल 5:30 बजे से रात्रि 8:30 बजे तक आयोजित किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि नाटक देखने के लिए टिकट की व्यवस्था की गई है। इस टिकट से होने वाली आय से काशी के कैंसर अस्पताल के सामने तीमारदारो के लिए आवासीय व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए भूमि की व्यवस्था हो चुकी है। उन्होंने बताया कि प्रयागराज निवासी 23 नवम्बर को महानाट्य देख सकेंगे जबकि प्रतापगढ़ के निवासियों के लिए 24 नवम्बर की तिथि निर्धारित की गयी हैं|


प्रतापगढ़ में आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित जनमानस 

Friday, October 13, 2023

ऑपरेशन अजय – इस्रराइल से 212 भारतीय पहली विशेष उड़ान से स्वदेश लौटे

नई दिल्ली. भारत ने युद्धग्रस्त इस्राइल से भारतीय नागरिकों को वापस लाने के ऑपरेशन अजय प्रारंभ किया है. ऑपरेशन अजय के तहत पहली उड़ान आज सुबह दिल्ली हवाई अड्डे पहुंची.

इस उड़ान से 212 भारतीयों को स्वदेश लाया गया. केन्‍द्रीय मंत्री राजीव चन्‍द्रशेखर ने इनकी अगवानी की. यह विमान तेल-अवीव के बेन गुरियन हवाई अड्डे से कल शाम रवाना हुआ था.

विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने इस्राइल से वापस आने के इच्छुक भारतीयों के लिए ऑपरेशन अजय शुरु किये जाने की घोषणा की थी. इस्राइल पर हमास के हमले के बाद जारी लड़ाई को देखते हुए यह निर्णय लिया गया था. इस बीच इस्राइल में भारतीय दूतावास ने आज के लिए दूसरी उड़ान की घोषणा की है और इस बारे में ई-मेल भेज दिया है.

भारत इससे पहले भी विभिन्न देशों में फंसे (रूस युक्रेन युद्ध, सूडान संकट, अफगानिस्तान संकट, कोरोना काल, व अन्य अवसरों पर) हजारों भारतीय नागरिकों को सकुशल वापिस ला चुका है.

ऑपरेशन गंगा

रूस और यूक्रेन की जंग के बीच यूक्रेन में फंसे भारतीयों की घर वापसी के लिए केंद्र सरकार ने ऑपरेशन गंगाअभियान चलाया था. इस दौरान बड़ी संख्या में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों को भारत सुरक्षित भारत लाया गया था. पिछले साल ऑपरेशन गंगाअभियान चलाया गया था. इस अभियान में यूक्रेन में फंसे करीब 22,500 से अधिक नागरिकों को स्वदेश लाया गया था.

वंदे भारत मिशन

कोरोना महामारी के दौर में जब पूरी दुनिया महामारी से ग्रस्त थी. तब वंदे भारत मिशन चलाया गया था. इसके तहत केंद्र सरकार ने विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए वंदे भारत मिशन चलाया. इस ऑपरेशन के तहत 30 अप्रैल, 2021 तक लगभग 60 लाख से अधिक भारतीयों को स्वदेश लाया गया. केंद्र के अनुसार, एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस की उड़ानों से 18,79,968 भारतीयों ने वापसी की. वहीं, 36,92,216 लोगों ने चार्टर्ड उड़ानों के माध्यम से वापसी की. वहीं 5,02,151 को जमीनी सीमाओं के माध्यम से वापस लाया गया.

ऑपरेशन समुद्र सेतु

कोरोना संकट के ही दौरान भारत ने ऑपरेशन गंगा की तरह ऑपरेशन समुद्र सेतु चलाया था. इसमें भारतीयों को अपने देश में लाने के लिए नौसेना ने उत्कृष्ट कार्य किया था. यह एक नौसैनिक अभियान था. इसके तहत 3,992 भारतीय नागरिकों को समुद्र के रास्ते वतन वापस लाया गया. भारतीय नौसेना के जहाज जलाश्व (लैंडिंग प्लेटफार्म डाक), और ऐरावत, शार्दुल और मगर (लैंडिंग शिप टैंक) ने ऑपरेशन में भाग लिया. यह अभियान करीब 55 दिनों तक चला. इसमें समुद्र द्वारा 23,000 किमी से अधिक की यात्रा शामिल थी.

ऑपरेशन राहत

यमन की सरकार और हौथी विद्रोहियों के बीच साल 2015 में संघर्ष छिड़ा था. सऊदी अरब द्वारा घोषित नो-फ्लाई जोन होने के कारण हजारों भारतीय फंसे हुए थे और यमन हवाई मार्ग से सुलभ नहीं था. ऑपरेशन राहत के तहत भारत ने यमन से लगभग 5,600 लोगों को निकाला.

ऑपरेशन मैत्री

नेपाल में साल 2015 में भीषण भूकंप आया था. इस भूकंप के बाद नेपाल में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए ऑपरेशन मैत्री चलाया गया था. अभियान के तहत सेना-वायु सेना के संयुक्त ऑपरेशन में नेपाल से वायु सेना और नागरिक विमानों की मदद से 5,000 से अधिक भारतीयों को वापस लाया गया. भारतीय सेना ने अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और जर्मनी के 170 विदेशी नागरिकों को सफलतापूर्वक निकाला था.

Wednesday, October 11, 2023

"स्वस्थ भारत-श्रेष्ठ भारत" के अंतर्गत एन.एम.ओ. ने 22 हजार मरीजों का उपचार किया

     आपने कई अस्पतालों को अपना प्रचार करने के मध्यम से मुफ्त स्वास्थ्य शिविर आयोजित करते हुए तो देखा होगा। परंतु सिर्फ देशभक्ति की भवाना लेकर, केवल लोगों को स्वस्थ रखने हेतु स्वयं तत्पर होना शायद ही सुना हो। ऐसा या तो कभी किसी मोहल्ले में हो जाता या फिर ज्यादा से ज्यादा किसी एक गांव में लेकिन आपको शायद ही सूचना होगी की प्रति वर्ष नेशनल मेडिकोज ऑर्गेनाइजेशन (NMO) भारत भूषण पंडित मदन मोहन मालवीय स्वस्थ सेवा यात्रा का आयोजन करता है।

एन.एम.ओ. के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. विश्वम्भर जी ने बताया कि यह स्वस्थ सेवा यात्रा 2015 में प्रारंभ की गई थी, और मुख्यतः बनारस में ही आयोजित हुई थी। प्रत्येक वर्ष IMS BHU एवं समीप के क्षेत्रों  में स्थित मेडिकल कॉलेज जैसे प्रयागराज, मिर्जापुर आदि के छात्र-छात्राएं एवं चिकित्सक इस यात्रा में बढ़चढ़कर भाग लेते हैं एवं देशप्रेम और देशभक्ति की भावना लिए स्वयं को ग्रामीण क्षेत्रों को सेवा के लिए तत्पर रहते हैं। इस वर्ष इस यात्रा का सातवां प्रकरण था, जो 7-8 अक्टूबर, 2023 को संपन्न हुआ। इस वर्ष यह यात्रा सैदपुर, चंदौली, सोनभद्र, सारनाथ, आशापुर आदि क्षेत्रों में आयोजित हुई। कुल 18 शिविरों का आयोजन हुआ जिसमें IMS BHU के 90 मेडिकल छात्रों एवं 40 चिकित्सकों ने अपना योगदान दिया और कुल 22 हज़ार मरीजों का उपचार किया। इस बार की यात्रा का उद्देश्य था "स्वस्थ भारत-श्रेष्ठ भारत"। मेडिकल छात्रों एवं चिकित्सकों ने उपचार के अलावा विभिन्न प्रांतीय महामारियों से बचाव के उपाय भी बताए। डॉक्टर एस. के. तिवारी जी (सर्जरी, सर सुंदरलाल) ने कहा "इस यात्रा का उद्देश्य केवल मुफ्त इलाज या फिर मुफ्त दवाएं बाटना नहीं है, परंतु सभी ग्रामीण जनता को अनेक रोगों के बारे में जाग्रत करवाना भी है और साथ साथ यह भी विश्वास दिलवाना है कि सम्पूर्ण चिकित्सक समुदाय आप सभी को सेवा के लिए तत्पर हैं। स्वस्थ ग्रामीण जनता ही स्वस्थ देश का निर्माण करते हैं एवं देश के विकास में अपना अहम योगदान प्रदान करते हैं|"

जाति-पाति पूछे नहीं कोई, हरि का भजे सो हरि का होई, यही है सनातन परम्परा - डॉ. सुरेंद्र जैन

सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के खेल मैदान में विहिप की चार प्रांतों से निकली शौर्य यात्रा का हुआ भव्य समापन

काशी| विश्व हिन्दू परिषद् के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने कहा कि हम ऋणी हैं उस समाज के जिन्होंने मैला ढ़ोना स्वीकार किया, लेकिन अपना धर्म छोड़ना स्वीकार नहीं किया| हम ऋणी हैं उस समाज के जिन्होंने चमड़ें की जूती काटनी स्वीकार की, लेकिन सिकंदर लोदी के अत्याचारों के बावजूद राम का नाम लेना नहीं छोड़ा| जैन, बौद्ध, सिख हिन्दू समाज के अविभाज्य अंग हैं| जाति-पाति पूछे नहीं कोई, हरि का भजे सो हरि का होई, यही सनातन परम्परा है| वे विश्व हिंदू परिषद एवं बजरंग दल द्वारा संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के खेल मैदान में मंगलवार को आयोजित विशाल शौर्य सभा को संबोधित कर रहे थे|

     उन्होंने कहा कि काशी में सनातन संस्कृति प्राचीन काल से बेहद समृद्ध रही है। भारत में मुस्लिम आक्रांताओं ने बार- बार हिंदू और सनातन संस्कृति को मिटाने की पूरी कोशिश की लेकिन वह खुद ही मिटते चले गए। हिन्दुत्व भारत की आत्मा में रचा बसा है। इसे मिटाने की सोच रखने वाले आगे भी स्वयं मिट जाएंगे। विशाल सभा को संबोधित करते हुए डॉ जैन ने कहा कि अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर शान से बन रहा है। अब तो ऐसा लग रहा है कि काशी में भी नन्दी का इंतजार अब खत्म होने वाला है,  क्योंकि बाबा विश्वनाथ जी अपनी धरती को कभी छोड़ने वाले कदापि नहीं है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ हिंदू विरोधी  हमसे पूछते हैं कि आखिर हिंदुत्व या सनातन कितनी पुरानी संस्कृति है तो उनकी मूढ़ता पर हंसी आती है। दरअसल उन्हें जर्मनी के उस वैज्ञानिक से सीख लेनी चाहिए जिसने अपनी पुस्तक में लिखा है सनातन संस्कृति इतिहास लिखे जाने के बहुत पहले से ही विद्यमान है। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज को इजराइल में आतंकी संगठन हमास के हमले से भी सीख लेनी होगी। ऐसे लोग कभी भी आपके लिए भी गंभीर खतरा उत्पन्न कर सकते हैं इसलिए सर्वदा सतर्क और संगठित रहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत में कुछ लोग आतंकी संगठन हमास का समर्थन करते दिख रहे, यह कदापि भारत हितैषी नहीं हो सकते। उन्होंने काशी की प्राचीन संस्कृति, सभ्यता पर चर्चा करते हुए बताया कि काशी नगरी बाबा भोले के त्रिशूल पर बसी है। वेद, पुराणों में इसका जिक्र है। यह वही धरती है जहां जैन धर्म के चार तीर्थंकर हुए तो भगवान बुद्ध ने पांच शिष्य को धर्म का उपदेश दिया। काशी में ही महान संत रविदास हुए तो कबीर दास की जन्मस्थली भी काशी है। उन्होंने दयानिधि, स्टालिन समेत कई ऐसे लोगों को निशाने पर लिया जो हिंदुत्व के खिलाफ बोलते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के पूर्वज भी हिंदुत्व और सनातन की ही पूजा करते थे आज भले वोट के लिए तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि हरियाणा के नूंह जैसी घटना फिर दोहराई गई तो इस बार हिंदू समाज भी इसका करारा जवाब देगा। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने बंटवारे के वक्त खुद कहा था कि यदि धर्म के आधार पर बंटवारा हो रहा है तो फिर यह पूर्ण ईमानदारी से होना चाहिए। लेकिन उसे वक्त गांधी और नेहरू के अड़ जाने से ऐसा न हो सका। यदि अंबेडकर की बात मान ली गई होती तो आज भारत की तस्वीर ही अलग होती। इस अवसर पर मौजूद शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने आगत अतिथियों और यात्रा में शामिल लोगों को आशीर्वचन दिया। कहा कि हिन्दू समाज ने शौर्य जागरण किया| अब आपको अपने महापुरुषों के शौर्य को, अपने शौर्य को जागृत रखना है|

संत रविदास मंदिर के महंत भारत भूषण महाराज ने कहा कि मुग़ल आक्रांताओं ने भारत के हिंदुओं पर बहुत जुर्म ढाया है, तब हिंदू समाज भी एकत्रित नहीं था। उन्होंने कहा कि अपने संस्कृति को समझो, प्रेम करो। हम बिखरे हुए हैं, बाहर की शक्तियां हमें तोड़ने में लगी हुई है। हमें सभी समाज के साथ मिलकर जाति भेद से ऊपर उठकर काम करना है। इस देश में दो तरह के लोग गुलाम है। एक मानसिक रूप से, दूसरे सामाजिक रूप से। सामाजिक रूप से वो हैं जिन्हें हम छोटा समझते हैं। मानसिक रूप से वो है जो ये कहते हैं कि वह छोटा है।

इस अवसर पर अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि कुछ लोग इजराइल में क्रूर हमला करने वाले आतंकी संगठन हमास का भारत में समर्थन कर रहे हैं ऐसे लोग तो भारत हितैषी कदापि नहीं हो सकते। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री और उसके समर्थक नेताओं को निशाने पर लेते हुए कहा कि जातिगत जनगणना के बहाने हिंदुओं को अलग-अलग बांटने का कुचक्र रचा जा रहा है, ऐसे लोगों को शर्म आनी चाहिए। देश के हिंदू उनकी चाल को समझ रहे हैं| ऐसे झांसे में कदापि आने वाले नहीं है। इजराइल में आतंकियों ने जिस तरह का बर्ताव किया वह पूरे विश्व को चिंता में डाल गया। महिलाओं बच्चों की नृस्ंश हत्या हुईं तो अस्सी साल की बुजुर्ग महिला समेत तमाम इजरायली युवतियों का जबरन चीर हरण किया गया। ऐसे विधर्मियो और कट्टरवादियों के क्रूर करतूतों से आज पूरे विश्व में स्थिति बेहद विकट है।

     विहिप के क्षेत्रीय संगठन मंत्री गजेंद्र जी ने कहा की देश में हिंदुओं के खिलाफ विधर्मी लगातार षड्यंत्र रचते रहते हैं। हिंदू समाज को चेतना जागृत कर स्वयं से मजबूत होना होगा। याद रहे कोई सत्ता या सरकार हिंदुओं की रक्षा नहीं कर सकती हमें अपने बल पर खुद भी लड़ना होगा। अन्नपूर्णा मंदिर के महत्व शंकरपुरी महाराज ने कहा कि अब भी समय है हिंदुओं संगठित और एक हो जाओ वरना पश्चाताप करोगे। समारोह का संचालन क्षेत्रीय सत्संग प्रमुख दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने किया। इस दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर नागेंद्र पांडेय, मेयर अशोक तिवारी, क्षेत्रीय सेवा प्रमुख राधेश्याम द्विवेदी, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक एवं प्रांत अध्यक्ष कविंद्र प्रताप सिंह, काशी प्रांत के संगठन मंत्री नितिन जी, प्रांत मंत्री कृष्ण गोपाल जी, काशी प्रांत के सह विशेष सम्पर्क प्रमुख सत्य प्रकाश सिंह, प्रांत संयोजक सत्य प्रताप सिंह, प्रांत प्रचार प्रमुख अश्वनी मिश्रा, सह प्रचार प्रमुख डॉ. लोकनाथ पांडेय, काशी महानगर अध्यक्ष कन्हैया सिंह, जिला अध्यक्ष राजेश पांडेय आदि उपस्थित रहे।