Monday, May 27, 2024

‘‘को नृप होउ हमहि का हानी’’ की मानसिकता देश के लिए हानिकारक - रमेश जी

काशी। ‘‘को नृप होउ हमहि का हानी’’ ये मानसिकता देश के लिए हितकारी नहीं है। इसका दुष्परिणाम 1947 में दिखाई जब कुछ लोगों के द्वारा चुने हुए व्यक्तियों ने भारत की धरती पर लकीर खींचकर भारत का विभाजन कर दिया। उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काशी प्रान्त प्रचारक श्रीमान रमेश जी ने संस्कार भारती काशी महानगर द्वारा लोकमत परिष्कार के सन्दर्भ में आयोजित काशी कला साधक संगम   कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा।

     दुर्गाकुण्ड स्थित श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय में आयेजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में रमेश जी ने आगे कहा कि भारत सदैव एक राष्ट्र रहा है और आगे भी रहेगा यही इसकी विशेषता है। उन्होंने कहा कि ‘‘कारवां आता गया, हिन्दोस्तां बसता गया’’ ये विचार हमारे मन में डाले गये। जबकि हमारी संस्कृति हमें बताती है कि ‘‘हिमालयात् समारभ्य यावत् इन्दु सरोवरम्, तं देव निर्मितं देशं हिन्दुस्थानम् प्रचक्षते’’ यह एक राष्ट्र का ही दर्शन है। चुनाव को राजनीति मानकर उसकी उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए। भारत एक लोकतांत्रिक देश है। भारत के संविधान ने मतदान के द्वारा अपना प्रतिनिधि चुनने की व्यवस्था बनायी है। यह एक अनुशासन भी है।

वक्ता के रूप में उपस्थित पद्मश्री राजेश्वर आचार्य ने कहा कि नर से नारायण बनने की प्रक्रिया काशी में ही पूर्ण होती है। लोकतंत्र में बौद्धिक संस्कारयुक्त आलोक होना चाहिए। विज्ञान विराट से सूक्ष्म की ओर आया है। जबकि भारतीय दर्शन सूक्ष्म से विराट की ओर पहुंचा है। उन्होंने कहा कि ‘‘उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत’’ को परिभाषित करते हुए कहा कि उठो, जागो और अपने पड़ोसियों को भी इस भाव से अभिसिंचित कर लोकतंत्र के महापर्व में अपना मतदान कर राष्ट्रनिर्माण के सहभागी बने। उन्होंने काशी के लोगों का आह्वान करते हुए कहा कि हमारा पूर्ण मतदान ही हमारी सजगता का परिचायक होगा।

कार्यक्रम में मंचासीन अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री जितेन्द्रानन्द सरस्वती ने कहा कि जब पूरी दुनिया युद्ध के झंझावात में फंसी हुई है और भारत की ओर एक आस भरी नजरों से  देख रही है। ऐसे समय में हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम शत्-प्रतिशत मतदान कर अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। पद्मश्री प्रो0ऋत्विक सान्याल ने सभी कला साधकों से सोच समझकर सपरिवार मतदान करने का आह्वान किया।

कार्यक्रम का प्रारम्भ मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर संस्कार भारती के ध्येय गीत ‘‘साधयति संस्कार भारती भारते नव जीवनम्’’ से हुआ। कार्यक्रम का समापन सामूहिक वन्देमातरम के गायन से हुआ। धन्यवाद ज्ञापन प्रेम नारायण सिंह एवं संचालन डा.प्रेरणा चतुर्वेदी ने किया।





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