Monday, October 13, 2025

हिन्दू धर्म और संस्कृति की रक्षा हिन्दू नवयुवकों द्वारा ही सम्भव — रामाशीष जी

1925 से संघ ने केवल एक ही कार्य किया है ,स्वयंसेवकों का व्यक्तित्व निर्माण - नितिन जी


काशी। हिन्दू धर्म और संस्कृति की रक्षा हिन्दू नवयुवकों द्वारा ही सम्भव है। वर्तमान हिन्दू नवयुवक अपने इतिहास से अनभिज्ञ है, जबकि इतिहास के पाठ को अपने जीवन में सम्मिलित करना आवश्यक है। उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी दक्षिण भाग में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित एनसीसी ग्राउण्ड में मुख्य वक्ता के रूप में प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य रामाशीष जी ने व्यक्त किये।

संघ बना रहा समरस समाज

विजयादशमी उत्सव एवं पथ संचलन कार्यक्रम में स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए मुख्य वक्ता ने कहा कि संघ का उद्देश्य राष्ट्र के लिए ऐसे नागरकि का निर्माण करना है जिसमें छुआछूत का भेदभाव न हो। संघ ''ना हिन्दू पतितो भवेत'' की भावना के साथ समरस समाज बना रहा है। वर्तमान भारत की स्थिति पर रामाशीष जी ने कहा कि यहां ऐसे देशभक्त उत्पन्न हो गये है जिनकी निष्ठा वक्फ, मक्का या पाकिस्तान के साथ है। ऐसे लोग भारत के टुकड़े होने पर विचलित नहीं होंगे। वह हिन्दू समाज ही है, जो भारत माता के प्रति आत्मीय भाव रखता है। डाक्टर हेडगेवार जी ने संघ स्थापना के समय यह उद्देश्य स्पष्ट किया था कि हिन्दुओं को अपनी संस्कृति पर हो रहे वाह्य एवं आन्तरिक आक्रमणों का निदान करना होगा। संघ संस्थापक डा0 हेडगेवार के जीवन कथा के बारे में वक्ता ने कहा कि डाक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने जन्म से ही देशभक्ति को दिखाया। यह राष्ट्र भक्ति केवल ट्रेन से फेंक दिये जाने के फलस्वरूप उत्पन्न नहीं हुई।

स्वतंत्रता संग्राम में संघ संस्थापक का योगदान

संघ के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान की भूमिका पर वक्ता ने कहा कि डाक्टर साहब के जीवन में ऐसी अनेक घटनाएं हैं जो उन्हें क्रांतिकारी सिद्ध करती हैं। इन्होंने लोकमान्य तिलक, महिर्षि अरविन्द के साथ भी स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया था। भगिनी निवेदिता द्वारा स्थापित अनुशीलन समिति में डाक्टर साहब क्रांतिकारियों के सहायक थे। संघ शताब्दी वर्ष में पंच परिवर्तन को सामान्य जीवन में अपनाने का आग्रह भी वक्ता ने अपने वक्तव्य में किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो0 एस.एन संखवार ने एनएमओ के सेवा कार्य की विस्तृत चर्चा की। स्वयंसेवकों को राष्ट्र प्रथम की भावना अपने हृदय में सदैव संरक्षित करनी चाहिए। कार्यक्रम के प्रारम्भ में मालवीय नगर के माननीय संघचालक प्रो0 विवेक पाठक सहित मंचस्थ अतिथियों ने शस्त्र पूजन किया। अमृत वचन कुणाल, एकल गीत सौरभ एवं संचालन पुण्यांश ने किया। प्रार्थना के पश्चात पूर्ण गणवेश में स्वयंसेवकों ने घोष की धुन पर पथ संचलन किया। पथ संचलन आईआईटी बीएचयू एनसीसी ग्राउण्ड से निकलकर आईआईटी चौराहा, हैदराबाद गेट से धनराजगिरी छात्रावास चौराहा होते हुए कार्यक्रम स्थल पहुंचा l

1925 से संघ ने केवल एक ही कार्य किया हैस्वयंसेवकों का व्यक्तित्व निर्माण - नितिन जी

काशीl अपने स्थापना काल से संघ केवल एक ही कार्य कर रहा है, स्वयंसेवकों का व्यक्तित्व निर्माण l संघ में एक सूक्ति प्रचलित है, संघ कुछ नहीं करता स्वयंसेवक कुछ नहीं छोड़ताl

संघ की शाखा में व्यक्ति निजी स्वार्थ का त्याग कर केवल राष्ट्रभक्ति को अपना ध्येय मानता हैl उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ,काशी दक्षिण भाग के शिवाला बस्ती में काशी विभाग के विभाग प्रचारक नितिन जी ने व्यक्त किएl विजयादशमी उत्सव एवं पथ संचलन कार्यक्रम में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता ने कहा कि संघ के 100 वर्षों के इतिहास में उस पर तीन बार बड़े प्रतिबंध लगाए गए परंतु हर बार संघ ने उन चुनौतियों से पार पायाl

जब संघ पर 1948 में प्रथम प्रतिबंध लगा था तब स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए गुरु जी ने कहा था ,कि यदि दांत के बीच में जीभ आ जाए तो दांत को तोड़ा नहीं करतेl संघ पर दूसरा बड़ा प्रबंध 1975 में आपातकाल के समय में लगा थाl उस समय संघ के तृतीय सरसंघ चालक बाला साहब देवरस जी ने कहा था की आज जो समाज हम पर आरोप लगा रहा हैं ,वही समाज हमें आरोप से मुक्त करेगाl वर्ष 2008 में जब भगवा आतंकवाद नाम से एक नए विमर्श को हवा दी गई तब भी प्रतिबंध लगाने की योजना थी, परंतु संघ की समाज में व्यापकता के कारण  सफलता नहीं मिलीl

शताब्दी वर्ष में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में चलने वाले वर्ष भर के कार्यक्रमों की चर्चा करते हुए वक्ता ने बताया कि आगामी नवंबर माह में घर-घर संपर्क अभियान, दिसंबर माह में वृहद हिंदू सम्मेलन, जनवरी माह में युवाओं की भूमिका पर आधारित कार्यक्रम, फरवरी माह में सद्भाव बैठक, अगस्त, 2026 में प्रमुख नागरिक संगोष्ठी तथा सितंबर माह में सर्वत्र शाखा की योजना बनी हैl

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कांचीकाम कोटेश्वर मठ के प्रबंधक सुब्रमण्यम मणि जी ने बताया कि काशी में संघ के आरंभ से ही कई सारे महापुरुषों का संघ से जुड़ाव बना रहा उन्होंने  शंकर तत्ववादी, गोविंदाचार्य जी  की चर्चा कीशिवाला बस्ती में शाखा पर कार्यक्रम का संचालन शाखा कार्यवाह रंजीत, एकल गीत जयप्रकाश ने प्रस्तुत कियाl

कार्यक्रम के अंत में स्वयंसेवकों द्वारा गणवेश में पथ संचलन किया गया जो शिवाला  से सोनारपूरा चौराहा एवं पुनः हरिश्चंद्र घाट होते हुए माता आनंदमई अस्पताल के पास से वापस शाखा पर आकर समाप्त हुआl

कार्यक्रम में मुख्य रूप से गंगानगर के माननीय संघ चालक के वेंकटरमन घनपाठी,काशी दक्षिण भाग के सहभाग कार्यवाह सौरभ सहित बड़ी संख्या में स्वयंसेवक उपस्थित थेl

इसके अतिरिक्त काशी दक्षिण भाग के कर्दमेश्वर नगर में अभिनव जी, शूलटनकेेश्वर नगर में काशी विभाग के महाविद्यालय कार्य प्रमुख आशुतोष जी, हनुमान नगर में कृष्णकांत जी ने विजयादशमी उत्सव एवं पद संचलन के कार्यक्रम को संबोधित कियाl






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