Saturday, March 24, 2012

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने लगाया रक्तदान शिविर

विश्व संवाद केन्द्र काशी, 23 मार्च। भारतीय नववर्ष एवं शहीद दिवस के शुभ अवसर पर नववर्ष चेतना समिति, सेवाभारती, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एवं ललित कला समिति के संयुक्त तत्वावधान में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय सरसुन्दरलाल चिकित्सालय ब्लड बैंक के सहयोग से रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर के माध्यम से कुल 34 से अधिक लोगों ने रक्तदान किया।
रक्तदान शिविर का उद्घाटन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. यू.एस. द्विवेदी ने किया। इस अवसर पर डाॅ. यू.एस. द्विवेदी ने कहा कि आज के युग में रक्तदान ही महादान है इससे गरीबों की सेवा होती है। पहली बार सन् 1919 में रक्तदान की परम्परा की शुरूवात हुई थी। रक्तदान के माध्यम से अनेक लोगों के प्राण बचाये जा सकते हैं। रक्तदान से शरीर में किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है।
शिविर में देवेश ठाकुर, विजय प्रताप, चन्दनदास गुप्ता, नितेश कुमार सेठ, नवीन कुमार सिंह, आशुतोष पाण्डेय, योगेन्द्रनाथ पाण्डेय, अंकिता यादव, सन्नी सिंह, अजय कुमार, प्रिया सिंह, अंकित जायसवाल, नंदिता पाठक, आनंद सिंह, अपर्णा शर्मा, गौरीशंकर आदि ने रक्तदान ंिकया।
सनातन धर्म इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य डाॅ. हरेन्द्र राय ने कहा कि चैत्र शुक्ल वर्ष प्रतिपदा के दिन रक्तदान बहुत पवित्र कार्य है। वर्ष प्रतिपदा से नये वर्ष का शुभारम्भ होता है। इस बार की वर्ष प्रतिपदा 23 मार्च सन् 2012 ई. से युगाब्ध 5114, विक्रमी संवत् 2069 का प्रारम्भ है। उन्होंने कहा कि चैत्र शुक्ल वर्ष प्रतिपदा से नये वर्ष का प्रारम्भ ज्योतिषीय काल गणना के अनुसार वैज्ञानिक है। आज से एक अरब 97 करोड़, 39 लाख 49 हजार 110 वर्ष पूर्व प्रथम सूर्योदय से ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसलिए भारत में प्रचलित सभी संवत् वर्ष प्रतिपदा से ही आरम्भ होते हैं। इस समय पूरे देश में विक्रमी संवत् सबसे अधिक व्यवहार में लाया जाता है। उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने शक आक्रमणकारियों को भारत से निकाल बाहर किया था। राष्ट्रीय गौरव के इसी प्रसंग को याद रखने के लिए महाराजा विक्रमादित्य के नाम से यह विक्रमी संवत् प्रारम्भ हुआ। इसी भारत में प्रचलित कुछ अन्य प्रसंग जैसे- प्रभु राम ने भी इसी दिन को लंका विजय के बाद अयोध्या आने के बाद राज्याभिषेक के लिये चुना, शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्र स्थापना का पहला दिन यही है। प्रभु राम के जन्मदिन रामनवमी से पूर्व नौ दिन उत्सव मनाने का प्रथम दिन, सिख परंपरा के द्वितीय गुरू अंगददेव जी का प्रकटोत्सव, समाज को श्रेष्ठ (आर्य) मार्ग पर ले जाने हेतु स्वामी दयानंद सरस्वती ने इसी दिन को आर्य समाज स्थापना दिवस के रूप में चुना, सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार संत झूलेलाल इसी दिन प्रकट हुए, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डाॅ0 केशवराव बलिराम हैडगेवार का जन्मदिवस, शालिवाहन संवत्सर का प्रारंभ दिवस, 5111 वर्ष पूर्व युधिष्ठिर का राज्याभिषेक, पतझड़ की समाप्ति के बाद वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है। शरद ऋतु के प्रस्थान व ग्रीष्म के आगमन से पूर्व वसंत अपने चरम पर होता है। फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के विभाग संगठन मंत्री विजय प्रताप ने कहा कि शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव के शहीदी दिवस के उपलक्ष्य इस प्रकार का रक्तदान शिविर का आयोजन कर शहिदो को श्रद्धांजलि भेंट किया गया।
इस अवसर पर सेवा भारती के प्रान्त मंत्री विश्वनाथ वर्मा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक रत्नाकर जी, जिला प्रचारक हरिशंकर जी, प्रान्त सेवा प्रमुख परमेश्वर जी, प्रान्त सह प्रचार प्रमुख कृष्ण मोहन जी, नववर्ष चेतना समिति के संयोजक ओंकार सिंह, देवेश ठाकुर, सुधीर जी, अजित उपाध्याय, दीक्षा कला समिति के निदेशक चन्दन दा सहित अनेक लोग उपस्थित थे। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ईकाई के अध्यक्ष्रा श्यामजी सिंह ने कार्यक्रम का संचालन किया।

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