- संघ के प्रखर समर्थक थे डोमराजा, श्रीगुरूजी की जन्मशताब्दी कार्यक्रमों में भी बढ़-चढ़ कर लिया था हिस्सा
- प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने व्यक्त किया शोक
- संतों के साथ महंत अवेद्यनाथ ने अस्पृश्यता के विरुद्ध अभियान चलाकर डोमराजा के घर किया था भोज
- डोमराजा ने मोदी को प्रधानमंत्री बनने का दिया था आशीर्वाद
- राजा हरिश्चंद्र को ख़रीदा था डोमराजा परिवार ने
महादेव की मोक्ष नगरी काशी के डोमराजा जगदीश चौधरी का मंगलवार को निधन हो गया. उन्होंने त्रिपुरा भैरवी घाट स्थित आपने आवास पर अंतिम सांस ली. डोमराजा एक माह से पैर में गंभीर घाव के कारण अस्वस्थ थे. उनका निजी चिकित्सालय में इलाज चल रहा था. उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को ही सायंकाल महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर ही किया गया. संघ के प्रखर समर्थक रहे डोमराजा ने द्वितीय सरसंघचालक प० पू० माधव सदाशिवराव गोलवलकर उपाख्य श्रीगुरूजी की जन्मशताब्दी कार्यक्रमों में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था.
ऐसी मान्यता है कि जगदीश चौधरी की मां जमुना देवी को डोम राजमाता माना जता है, जिनके दिशा-निर्देश पर मणिकर्णिका घाट पर अग्नि देने का काम शुरू किया गया. डोमराजा के निधन की सुचना मिलते ही भैरवी घाट स्थित उनके आवास पर जिलाधिकारी समेत अनेक गणमान्य लोगों की जुटान शुरू हो गयी. डोमराजा अपने पीछे अपनी मां के अलावा पत्नी रुक्मणी, दो पुत्री व एक पुत्र से भरा परिवार छोड़ गये.
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने व्यक्त किया शोक
डोमराजा जगदीश चौधरी के निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गहरा दुःख व्यक्त करते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रर्थना की. प्रधानमंत्री ने कहा कि वह काशी की संस्कृति में रचे बसे थे और वहां की सनातन परम्परा के संवाहक थे.
संतों के साथ महंत अवेद्यनाथ ने अस्पृश्यता के विरुद्ध अभियान चलाकर डोमराजा के घर किया था भोज
.धर्मान्तरण का मुख्य कारण हिन्दू समाज में अस्पृश्यता को कोढ मानते हुए उसके विरुद्ध अभियान छेड़ने वाले गोरक्षपीठ के महंत अवेद्यनाथ ने ढ़ाई दशक पहले संतों के साथ सहभोज करके सामाजिक क्रांति ला दी थी. उक्त बातें अपने सन्देश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताई. उन्होंने सन्देश में चर्चा किया कि डोमराजा काशी ही नहीं अध्यात्म के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं. यहाँ महंत अवेद्यनाथ से जुड़े उस क्रांतिकारी प्रसंग की चर्चा लाजिमी है, जिससे डोमराज परिवार और नाथ पीठ के उस आध्यात्मिक रिश्ते की नींव पड़ी थी. 19 फरवरी 1980 में मिनाक्षीपुरम में घटित धर्मांतरण की घटना ने महंत जी को विचलित कर दिया था. फिर उन्होंने अस्पृश्यता के खिलाफ अभियान छेड़ दिया था. इस अभियान के दौरान ही उन्होंने संतों और धर्माचार्यों के साथ काशी के डोमराजा सुजीत चौधरी के घर उनकी मां सारंगी देवी के हाथ का बना भोजन किया. उनके इस कार्य की देश भर में प्रशंसा और स्वागत हुई. उन्होंने इससे छुआछूत मिटाने के प्रयासों की नींव रखी.
डोमराजा ने मोदी को प्रधानमंत्री बनने का दिया था आशीर्वाद
डोमराजा जगदीश चौधरी ने लोकसभा चुनाव - 2019 के दौरान नरेन्द्र मोदी को प्रधानमन्त्री बनने का आशीर्वाद दिया था. उन्होंने कहा था कि 'हमारा आशीर्वाद है कि वह फिर से प्रधानमंत्री बनें और देश की सेवा करें'. लोकसभा चुनाव - 2019 में वाराणसी लोकसभा नामांकन के लिए जगदीश चौधरी को मोदी का प्रस्तावक बनाया गया था. इस पर उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा था कि पहली बार किसी नेता या प्रधानमंत्री ने डोमराजा की बारे में सोचा है. डोम समाज दुनिया के सबसे पुराने शहर बनारस ने सबसे पिछड़ा समाज है. वह पीढ़ियों से मणिकर्णिका घाट पर शवों के दाह संस्कार का काम करता आया है. कोई नेता कभी हमारे बारे में नहीं सोचता है, जिस तरह प्रधानमंत्री ने मेरे बारे में, मेरे पूरे परिवार समेत पूरे समाज के बारे में सोचा है, वह नेक पहल है.
राजा हरिश्चंद्र को ख़रीदा था डोमराजा परिवार ने
कहा जाता है कि जगदीश चौधरी के पुरखे-पुरनियों ने कभी सत्यवादी, चक्रवर्ती राजा हरिश्चंद्र को इसी काशी नगरी की घाट पर मुंह-मांगा मोल देकर ख़रीदा था. बस इसी गौरव बोध की थाती को सीने से लगाए वे सदियों से मोक्ष नगरी काशी के महाश्मशान पर अपनी समान्तर सत्ता चलाते रहें है.
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