काशी/ भारत में भी अब देश की महान परम्पराओं और विद्याओं को आमजन
तक पहुंचाई जाएगी. इसके लिए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय सांस्कृतिक अर्थशास्त्र पर
देश का पहला दो वर्षीय स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू करने जा रहा है. इसके अंतर्गत
देश की कला व संस्कृति, वैदिक अध्यात्मिक ग्रन्थ, लोक साहित्य, वास्तुकला, वैदिक
विज्ञान, प्राचीन कलाकृति, गौरवशाली धरोहर, मूर्त-अमूर्त विरासत, लोककलाओं को
जोड़कर अध्ययन किया जाएगा. अपने देश में इन कलाओं-विद्याओं को अब तक कोई महत्व नहीं
दिया गया जबकि विदेशों में स्थित विश्व के विख्यात विश्वविद्यालयों ऑक्सफ़ोर्ड,
हावर्ड समेत नीदरलैंड के स्टारडम में भारत के सांस्कृतिक अर्थशास्त्र को आधार
बनाकर पाठ्यक्रम चलाए गए. देश की प्राचीन विद्याओं, वेद, वेदांत, दर्शन,
शास्त्रों, कौटिल्य-मौर्यकाल के राजनीतिक दर्शन व अर्थनीति को आधार बनाकर
सांस्कृतिक अर्थशास्त्र का विस्तार से प्रसार किया गया. पाठ्यक्रम की प्रस्तावक
असोसिएट प्रोफेसर डॉ मनीषा आशीष मेहरोत्रा के अनुसार देश में पहली बार प्रो पुअर
टूरिज्म अवधारणा की शुरुआत होगी. प्रो पुअर राजस्थान में चल रहे हेरिटेज टूरिज्म
से आगे की है और सतत विकास से जुडी अवधारणा है. इसमें क्षेत्र विशेष में पर्यटन के
माध्यम से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के मौके सृजित करना और गरीबों तक शुद्ध
आर्थिक लाभ पहुँचाना है. प्रो. मेहरोत्रा के अनुसार पश्चिम के छात्रों को भारतीय
और बनारसी संस्कृति भाता रहा है. इसलिए इस पाठ्यक्रम में उनकी विशेष रूचि होगी. रोजगार
और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए पाठ्यक्रम को देश के पर्यटन और सांस्कृतिक विकास
से जोड़ा जाएगा.
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