Saturday, March 13, 2021

हिन्दू राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा के संकल्प के साथ प.पू.हेडगेवार जी ने प्रारम्भ किया था काशी की प्रथम शाखा - रमेश जी

काशी/ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक परम पूज्य डाक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार जी द्वारा आरम्भ की गयी काशी की प्रथम शाखा धनधानेश्वरका वार्षिकोत्सव शनिवार को सम्पन्न हुआ।  कार्यक्रम में काशी प्रान्त के प्रान्त प्रचारक श्रीमान रमेश जी का मार्गदर्शन स्वयंसेवकों को प्राप्त हुआ। इस दौरान उन्होंने अपने सारगर्भित उद्गार व्यक्त किये। उन्होंने अपने उद्बोधन में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि धनधानेश्वर शाखा को आज 90 वर्ष पूरे हो गये। धनधानेश्वर शाखा का प्राकट्य संघ के संस्थापक परम पूज्य डाक्टर साहब के द्वारा हुआ, यह हमारे लिए अत्यंत ही गर्व की बात है।

उन्होंने आगे कहा कि उस समय हिन्दू समाज संगठित नहीं था और देश को स्वतंत्र कराने के लिए हिन्दू समाज के संगठन की बहुत बड़ी आवश्यकता थी। इसी कारण डाक्टर साहब के द्वारा "राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ" की स्थापना की गयी। अब सम्पूर्ण भारत में संघ का विस्तार करनें की आवश्यकता थी। सन 1925 मे डाक्टर साहब का संबंध स्वातंत्र्यवीर "वीर सावरकर" और उनके बंधु श्रीमान बाबूराव सावरकर से आया। सावरकरबंधु  डाक्टर साहब के हिन्दू समाज के संगठन के इस प्रयास से बहुत ही खुश थे और वे संघ का विस्तार सम्पूर्ण भारत में देखना चाहते थे।

उन्होंने बताया कि सन् 1931 में वीर सावरकर के बड़े भाई श्रीमान बाबूराव सावरकर अपनी चिकित्सा के लिए काशी आये। उस समय काशी में त्र्यम्बक शास्त्री वैद्य बहुत ही ख्यातिप्राप्त वैद्य थे। सम्पूर्ण भारत वर्ष में उनकी चिकित्सा की बहुत ख्याति थी। श्रीमान बाबूराव सावरकर अपनी चिकित्सा के लिए श्रीमान त्र्यम्बक शास्त्री वैद्य के यहाँ, रतन फाटक स्थित निवास अमृत भवन में ही ठहरे थे। जिस क्षेत्र में श्रीमान त्र्यम्बक शास्त्री वैद्य का घर था, वहां मराठी बोलने वालों की बहुलता थी। श्रीमान बाबू राव सावरकर जी ने स्थानीय लोगों के साथ मराठी लोगों की एक बैठक बुलाई और हिन्दू समाज पर होने वाले अत्याचारों का मुकाबला करने के लिए हिन्दू समाज के संगठन की आवश्यकता पर बल दिया और तदनिमित्त काशी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा प्रारंभ की सहमति निर्माण की और नागपुर में श्रीमान डाक्टर साहब को शीघ्र संदेश भेज कर इस बात की सूचना दी। डाक्टर साहब ने बिना विलंब किये काशी जाना सुनिश्चित किया और वे काशी पधारे।

काशी पधारने के उपरांत वे श्रीमान बाबूराव सावरकर जी से मिले और स्थानीय लोगों के साथ  मराठी लोगों की एक बैठक की और सबको हिन्दू राष्ट्र और हिन्दू संस्कृति की रक्षा करने की प्रतिज्ञा दिलवायी और दूसरे दिन रतन फाटक स्थित अमृत भवन के निकट स्थित धनधानेश्वर मंदिर में स्थित मैदान में दैनिक शाखा प्रारंभ की। उक्त शाखा का नाम धनधानेश्वर मंदिर के नाम पर "धनधानेश्वर" रखा गया।  तब से अनवरत विगत 90 वर्षो से धनधानेश्वर शाखा स्वयंसेवकों मे संस्कार का निर्माण कर रही है।

महाराष्ट्र में नागपुर में आस पास संघ की शाखाओं के विस्तार के  पश्चात शेष भारत में पहली शाखा काशी में K-17/6 लछिमन जोशी गली (रतन फाटक) स्थित "धनधानेश्वर मंदिर", वाराणसी में 13 मार्च 1931 को संघ के संस्थापक परम पूज्य डाक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार द्वारा प्रारंभ की गयी। सन 1931 से 1962 तक शाखा उसी स्थान पर धनधानेश्वर मंदिर स्थित मैदान में लगती रही। बाद में शाखा में संख्या बढ़ने के कारण शाखा ब्रह्मघाट पर गंगा जी के तट पर वर्तमान संघ स्थान पर लगने लगी। गंगाजी में बाढ़ आने पर उपर पहले के कुछ वर्षों तक बिन्दुमाधव मैदान और वर्तमान में नाना फणडवीस वाडा में लगती है।

उन्होंने स्वयंसेवकों से कहा कि हमें गर्व हैं कि हमारी शाखा में प्रथम संघचालक परम पूज्य डाक्टर साहब,  द्वितीय संघचालक परम पूज्य गुरुजी,  पूज्य भाऊराव देवरसजी,  माननीय माधव रावजी देशमुख,  माननीय यादव राव देशमुख,  माननीय रामकृष्ण नेने,  माननीय तुक्करी जी, माननीय श्यामजी गुप्त, माननीय शंकर जी तत्ववादी जैसे अनेक महापुरुषों का मार्ग दर्शन प्राप्त हुआ है। वर्तमान में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविन्द देव जी गिरि महाराज भी इसी शाखा के स्वयंसेवक है। वर्तमान में हमारी धनधानेश्वर शाखा में परम पूज्य भगवा ध्वज के मार्गदर्शन में हमें गुरुकुल पद्धति से व्यक्ति निर्माण एवं संस्कारों की शिक्षा दी जाती है। हमारे सभी स्वयंसेवक शारीरिक और खेल-कूद में पारंगत होने के साथ-साथ बौद्धिक कार्यक्रम यथा गीत, सुभाषित, अमृत वचन, बोध कथा, समसामयिक चर्चा में निपुण है।

उन्होंने उपस्थित सभी अभिभावकों एव जनसामान्य के बंधुओं से विनम्र निवेदन करते हुए कहा कि शाखा में नियमित रूप से सम्मिलित हो और अपने परिवार तथा मोहल्ले के लोगों को खास तौर पर बच्चों को शाखा के लिए प्रेरित करें। हम उन्हें विश्वास दिलाते है कि शाखा आने से सभी में एक सकारात्मक बदलाव अवश्य आयेगा।वार्षिकोत्सव में बाल स्वयंसेवकों के द्वारा शारीरिक प्रर्दशन किया गया जिसमें सूर्य नमस्कार,  योगभ्यासडण्ड योग,  समता का प्रयोग और खेल का प्रदर्शन किया गया।

1 comment:

  1. मुझे भी इस कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर आज मिला।बहुत अच्छा कार्यक्रम और प्रेरक मार्गदर्शन था।

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