सऊदी अरब में 8000
साल पुराने पुरातात्विक स्थल की खोज हुई है. जिसमें एक मंदिर भी
स्थित है. तटीय शहर की खुदाई में ऐतिहासिक मंदिर के प्रतीक चिन्ह और कई शिलालेख
पाए गए हैं. राजधानी रियाद के दक्षिण-पश्चिम इलाके के अल-फॉ की साइट पर अवशेष मिले
हैं. सऊदी के नेतृत्व वाले पुरातत्वविदों की एक टीम ने साइट का व्यापक सर्वेक्षण
किया. स्टडी में हाई क्वालिटी की एरियल फोटोग्राफी, कंट्रोल
प्वाइंट के साथ ड्रोन फुटेज, रिमोट सेंसिंग, लेजर सेंसिंग और अन्य सर्वे का उपयोग किया गया.
मीडिया रिपोर्ट्स के
अनुसार, ‘सऊदी गैजेट’ में
प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अल-फॉ का ये क्षेत्र पुरातात्विक विभाग के
लोगों के लिए बीते 40 वर्षों से हॉट स्पॉट बना हुआ है. सर्वे
साइट पर सबसे अहम खोज इस मंदिर की है, जिसके ध्वस्त परिसर से
एक वेदी के कुछ हिस्सों के अवशेष भी मिले हैं. इससे पता चलता है कि यहां उस समय
ऐसे लोग रहते थे, जिनके जीवन में पूजा-पाठ और यज्ञ जैसे
अनुष्ठानों का काफी महत्व रहा होगा. इस मंदिर का नाम रॉक-कट मंदिर बताया जा रहा है
जो माउंट तुवाईक के किनारे पर स्थित है, जिसे अब अल-फॉ के
नाम से जाना जाता है. खुदाई में एक ऐसा शिलालेख मिला, जिससे
अल-फॉ के एक देवता कहल के होने की पुष्टि होती है. पहले हुए शोध की रिपोर्ट के
अनुसार, क्षेत्र में हजारों साल पहले से मंदिर और मूर्ति
पूजा की परंपरा रही है.
2,807 कब्र का पता चला
नई तकनीक के माध्यम से ही
नवपाषाणकालीन मानव बस्तियों के अवशेषों का पता लगाने में सफलता मिली है. इसके साथ
ही पूरे स्थल पर 2,807 कब्र
मिली हैं जो अलग-अलग समय की हैं. इन्हें छह समूहों में बांटा गया है. यहां मैदान
को भक्ति शिलालेखों से सजाया गया था जो उस समय अल-फ़ॉ के लोगों की धार्मिक मान्यताओं
की झलक देता है. जबल लाहक अभयारण्य एक शिलालेख है जो अल-फ़ॉ के एक देवता कहल का
जिक्र करता है.
सिंचाई की प्रणाली का हुआ
खुलासा
साइट पर सांस्कृतिक संपदा
के अलावा एक सुनियोजित शहर का पता चला है. जिनके कोने पर चार टावर हैं. इस
पुरातात्विक अध्ययन से दुनिया की सबसे शुष्क भूमि और कठोर रेगिस्तानी वातावरण में
नहरों, पानी के कुंड और सैकड़ों गड्डों सहित एक
जटिल सिंचाई प्रणाली का खुलासा हुआ है.
इनपुट – मीडिया रिपोर्ट्स
धरती चपटी है कि नहीं
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