- यह दौड़ भारत की पहचान बताएगी : रमेश जी
पहली पावन खिण्ड दौड़
कानपुर के पश्चात अब सोनभद्र में होगी देश
की दूसरी दौड़ का आयोजन
- अखण्ड भारत और हिन्दू साम्राज्य की स्थापना के
लिए शिवाजी ने 52 किलोमीटर की लगाई
थी दौड़
सोनभद्र| हम सब को दूसरे देश की मैराथन दौड़ को नहीं ढोना
चाहिए| छत्रपति शिवाजी के त्याग और 600 सैनिकों के बलिदान से जुड़ी, अपनी मिट्टी से जुड़ी पावन
खिण्ड दौड़ को अपनाना चाहिए, जिसमें भारतीयता और देश के लिए मर मिटने का जज्बा
परिलक्षित हो रहा है। यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय व्यवस्था
प्रमुख अनिल ओक जी ने व्यक्त किया| वे शुक्रवार को क्रीड़ा भारती और शहीद उद्यान के
संयुक्त तत्वावधान में सोनभद्र के राज सभागार में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर
रहे थे|
उन्होंने कहा कि ग्रीस और एथेंस से जुड़ी
मैराथन दौड़ का न तो कोई सांस्कृतिक इतिहास है न ही उस दौड़ से कोई संदेश मिलता है, जबकि इतिहास के पन्नों में दर्ज वीर शिवाजी
द्वारा देश के लिए 52 किमी की दौड़ देश की
आत्मा और स्वाभिमान से जुड़ी है। शिवाजी ने अखण्ड भारत और हिन्दू साम्राज्य की
स्थापना के लिए यह दौड़ लगायी थी|
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक
रमेश जी ने कहा कि आने वाले समय में यह दौड़ भारत की पहचान बताएगी और प्रमुख दौड़ बन
जाएगी। उन्होंने कहा कि सोनभद्र सौभाग्यशाली है कि उसे इस दौड़ को आयोजित कराने का
मौका मिला। पूरा देश सोनभद्र के इस आयोजन से मार्गदर्शन प्राप्त करेगा। विषय
प्रवर्तन करते हुए शहीद उद्यान ट्रस्ट के चेयरमैन और वरिष्ठ पत्रकार विजय शंकर
चतुर्वेदी ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव समाप्त हो गया है, अब देश अमृत काल में प्रवेश कर गया है। वीर
शिवाजी की स्मृतियाँ अमृतकाल में बुनियादी विचारों का सृजन करेंगी जिससे देश
परमगौरव को प्राप्त करेगा। कार्यक्रम का शुभारम्भ मंत्रोच्चार के साथ दीप
प्रज्ज्वलन कर किया गया| डॉ. अंजली विक्रम सिंह ने इस सफल आयोजन के लिए सभी का
आभार प्रकट किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता राहुल श्रीवास्तव एवं संचालन भोलानाथ
मिश्र ने की|
15 नवम्बर को आयोजित
है यह दौड़
बताया गया कि जनजातीय गौरव दिवस, 15 नवम्बर के दिन यह
दौड़ आयोजित की जाएगी| इस दौड़ में युवक - युवतियां दोनों भाग लेंगे, धर्मशाला चौराहे से प्रारंभ होकर यह दौड़ शहीद
उद्यान पर समाप्त होगी। शीघ्र ही इसकी योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा| सम्पूर्ण
कार्यक्रम पर शीघ्र एक बुकलेट जारी की जाएगी।
क्या है पावन खिण्ड
दौड़
भारत को मुगल
साम्राज्य से मुक्ति दिलाने के लिए महाराष्ट्र के पन्हालगढ़ से विशालगढ़ तक 52 किमी की दौड़ वीर शिवाजी ने दुर्गम रास्ते को तय
करते हुए बरसाती रात्रि के कुछ घण्टों में पूरी की थी। वे गंतव्य तक सुरक्षित
पहुंच गए थे लेकिन रास्ते में मुग़लसेना से लड़ते हुए 600 मराठी सैनिको ने
बलिदान दिया। इस प्रेरणादायी गौरवगाथा के स्मरण के लिए पहली पावन खिण्ड दौड़ कानपुर
में आयोजित की गयी थी, सोनभद्र में देश की
दूसरी दौड़ का आयोजन किया जा रहा है।
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