Tuesday, December 26, 2023

राममय हुई शिवनगरी, निकाली गयी भव्य पूजित अक्षत कलश यात्रा

काशी उत्तर भाग : दिव्यांगजनों ने किया शोभायात्रा का नेतृत्व

काशी दक्षिण : अक्षत देकर श्री संकट मोचन महाराज को किया आमंत्रित

काशी। अयोध्या में होने वाले श्रीराम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के पूर्व देश भर में हिन्दू समाज द्वारा विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। काशी में काशी दक्षिण एवं उत्तर भाग में पूजित अक्षत कलश यात्रा निकाली गयी। काशी दक्षिण भाग में धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज द्वारा स्थापित धर्मसंघ से संकट मोचन मन्दिर तक एवं काशी उत्तर भाग में के.जी.आर.पहाड़िया से शास्त्रीघाट तक श्रीरामभक्तों ने यह यात्रा निकाली।

     धर्मसंघ में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि काशी सुमेरु पीठाधीश्वर शंकराचार्य श्री नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी ने अपने आशीर्वचनों में कहा कि 500 वर्षों बाद समग्र हिन्दू समाज का गौरव अयोध्या में श्रीराम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा के रूप में पुनः स्थापित हो रहा है। इस सुअवसर पर पूरे भारत में मध्यान्ह काल में हिन्दुओं द्वारा मन्दिरों और घरों में भजन कीर्तन का आयोजन करना है तथा सायंकाल त्रेतायुग की तरह दीपावली मनानी है। मा.भाग संघचालक अरुण कुमार ने कहा कि हम सभी सौभाग्यशाली हैं जो यह पुण्य का अवसर याचि देहि याचि डोला देखने में सक्षम हैं, जिसका अर्थ है इसी शरीर से और इन्ही आखों से यह सुअवसर हमें देखने को मिला है। 1 से 15 जनवरी तक स्वयंसेवकों द्वारा घर-घर जाकर यह पूजित अक्षत को श्रीराम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा के निमंत्रण के स्वरूप दिया जाएगा। अध्यक्षता धर्मसंघ शिक्षामण्डल के महामंत्री जगजीतन जी ने की। कार्यक्रम का प्रारम्भ अतिथियों ने दीपप्रज्जवलित कर किया। मंचासीन अतिथियों में विहिप के सह प्रान्त धर्माचार्य प्रमुख शशिभूषण त्रिपाठी, काशी दक्षिण भाग के श्रीराम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा गृह सम्पर्क अभियान के आयोजक के.वेंकट रमण घनपाठी एवं संयोजक संतोष, काशी विश्वनाथ मन्दिर के मुख्य अर्चक श्रीकान्त शर्मा उपस्थित रहें। इन सभी ने दक्षिण भाग के 12 नगरों के कार्यसमिति को पूजित अक्षत कलश प्रदान किया। कार्यक्रम के अन्त में भव्य शोभायात्रा संकट मोचन में निकाली गयी। जहां भक्तों ने श्री हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ कर पूजित अक्षत द्वारा श्रीसंकटमोचन महाराज को निमंत्रित किया। यात्रा में प्रमुख रूप से मा.सह भाग संचालक डा.आर.एन.चौरसिया, भाग प्रचारक विक्रान्त, डॉ.दिवाकर, डॉ.हरेन्द्र राय, विहिप की विभाग महिला संयोजक डॉ.विभा मिश्रा, रागिनी मिश्रा, प्रशान्त एवं माताएं-बहनों सहित बड़ी संख्या में श्रीरामभक्त सम्मिलित हुए।

काशी उत्तर भाग : दिव्यांगजनों ने किया शोभायात्रा का नेतृत्व

    के.जी.आर. बिल्डिंग से शास्त्री घाट के लिए पूजित अक्षत कलश लेकर हजारों की संख्या में पुरुष महिलायें और बच्चे साथ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक, वि.हि.प., बजरंगदल के कार्यकर्ता रैली के रूप में अक्षत कलश यात्रा निकाली। यात्रा का नेतृत्व दिव्यांगजनों ने किया। यह यात्रा पहाड़िया से होते हुए पाण्डेयपुर, महावीर मंदिर, अर्दली बाजार, कचहरी, वरुणा पुल होते हुए शास्त्री घाट पहुंचा। रास्ते मे जगह-जगह क्षेत्रीय नागरिकों ने पुष्प वर्षा कर मालाओं से स्वागत किया। जहाँ काली मंदिर पर दुर्गावाहिनी एवं मातृ शक्ति ने शंख बजाकर एवं फूल माला पहनाकर रामभक्तो का स्वागत किया। शास्त्री घाट पर आयोजित सभा को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने राम मंदिर आंदोलन के बारे में तथा प्राण प्रतिष्ठा के बारे में विस्तार से बताया। 

    डमरू दल के 50 सदस्यों ने डमरू ढ़ोल की नाद एवं जय श्रीराम के नारे से वातावरण को गुंजायमान कर दिया। इस कार्यक्रम का संयोजन काशी उतर भाग श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा अभियान के प्रमुख राहुल सिन्हा ने किया। गौतम नगर, कपिल नगर, सारंग नगर, प्रेमचंद नगर के कार्यवाह मंच पर उपस्थित थे। वहीं विश्व हिन्दू परिषद से महानगर अध्यक्ष कन्हैया जी, मंत्री आनंद जी, संजय सिन्हा जी, धीरज सिंह जी, विशाल व मनोज जी थे। वहीं मातृ शक्ति सीमा सिंह, अनीता सिंह, सुधारानी मिश्रा, पूनम जी एवं शहर विधायक रविन्द्र जायसवाल जी के साथ अभय पाण्डेय जी, राजेन्द्र मौर्या समेत अनेक कार्यकर्ता उपस्थित रहें।






Saturday, December 23, 2023

काशी तमिल संगम – राम दरबार की सर्वाधिक मांग, तमिल अतिथियों को भा रही काशी की काष्ठ कला

वाराणसी में आयोजित काशी तमिल संगम में उत्तर और दक्षिण की कला परंपराओं की वेशभूषा के स्टॉल लगाए गए हैं. तमिलनाडु से आए अतिथियों को काशी की काष्ठ कला काफी पसंद आ रही है. कारीगरों को लगभग 200 पीस के आर्डर आ चुके हैं. भगवान राम पर आधारित अलग-अलग लीला एवं तमिल एवं काशी पर आधारित कलाकृतियों का मांग अधिक है.

काशी में तमिलनाडु के मेहमानों के साथ ही वहां के व्यापारी और स्टार्टअप के उद्यमी भी पहुंचे हैं. यहां वे अपने उत्पदों को लोगों के बीच बेच रहे हैं. ‌वहीं काशी की काष्ठ कला पर आधारित तीन दुकान लगाई गई है. जहां भगवान के विभिन्न स्वरूपों एवं अलग अलग मंदिरों का डिजाइन रखा गया है. जो काशीवासियों एवं तमिल मेहमानों को पसंद आ रहा है. राम मंदिर से लेकर भगवान राम की अलग-अलग झांकियों और लीलाओं की काष्ठ की मूर्तियां तैयार करके बेची जा रही हैं.

काष्ठ कला के शिल्पी ओम प्रकाश शर्मा ने बताया कि काष्ठ कला काशी का बहुत पुराना आर्ट है. यह कला एकदम लुप्त होने के कगार पर थी. हम सभी आज तमिल संगम में आए हुए हैं. यहां पर हमारी कला को लोग देख रहे हैं. यहां पर इसका काफी प्रचार- प्रसार भी हो रहा है. लोग सराहना भी कर रहे हैं. हमारी दुकान में100 से अधिक प्रकार के अलग अलग काष्ठ कलाकृति हैं‌. सबसे अधिक मांग राम पर आधारित लीलाओं के बहुत सारे ऑर्डर मिल रहे हैं, कला को अब काफी पसंद किया जा रहा है.

Saturday, December 16, 2023

धर्मनगरी के साथ राष्ट्र को राम मय बनाये कार्यकर्ता, घर-घर करें संपर्क - रमेश जी

“जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान है” का संदेश श्री राम से ही हम सभी को मिलता है

प्रयागराज। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काशी प्रान्त प्रचारक रमेश जी ने कार्यकर्ताओं का आह्वान करते हुए कहा कि धर्मनगरी प्रयागराज के साथ राष्ट्र को राममय बनाना है इसके लिए कार्यकर्ता घर-घर संपर्क करें। राम और राष्ट्र अलग नहीं बल्कि एकाकार हैं। श्री राम राष्ट्रभक्ति के प्रखर प्रेरणा स्रोत है। वे शुक्रवार को मेडिकल कॉलेज के प्रीतम दास मेहता प्रेक्षा गृह में आयोजित प्रयागराज महानगर की कार्यकर्ता बैठक को संबोधित कर रहे थे। प्रातः काल 7:00 बजे से शुरू हुई इस महत्वपूर्ण बैठक में 1  से 15 जनवरी तक चलने वाले महा जन संपर्क अभियान की रणनीति को अंतिम रूप दिया गया|

  प्रांत प्रचारक ने कहा कि प्रत्येक परिवार के जन-जन को श्रीराम से जोड़ें। जो राम से जुड़ेगा वह राष्ट्र से जुड़ेगा। यह अवसर गंवाना नहीं है। प्रचंड संगठन शक्ति के साथ इस अभियान को सफल बनाना है। आगे  कहा कि श्री राम केवल ईश्वर ही नहीं बल्कि मर्यादा पुरुषोत्तम भी है। सनातन संस्कृति के लिए संपूर्ण समर्पण की प्रेरणा हमें  उन्हीं से मिलती है। उन्होंने संपूर्ण मानव जाति के कल्याण के लिए एक समरस समाज की स्थापना का संदेश दिया है, जिस पर हम सभी को आगे बढ़ना है ।

श्रीराम आस्था विश्वास एवं राष्ट्र के प्रतीक है। “जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान है” का संदेश श्री राम से ही हम सभी को मिलता है। उन्होंने कहा कि 72 बार के संघर्ष तथा साढे तीन लाख लोगों के बलिदान के बाद श्रीराम लला मंदिर में प्रतिष्ठित होने जा रहे हैं। यह एक ऐतिहासिक अवसर है। लोक जागरण के लिए इसमें सभी कार्यकर्ता दिन रात एक करके अपनी पूरी ताकत झोंक दें। 1 से 15 जनवरी तक पूर्णकालिक कार्यकर्ता बनकर घर-घर जनसंपर्क अभियान का एक नया कीर्तिमान बनाएं। उन्होंने याद दिलाया कि संघ का कार्यकर्ता जब ठान लेता है तो असंभव को भी संभव बना देता है। जब धर्म, संस्कृति, राष्ट्र एवं  भारतीय परंपरा संकट में पड़ती है, तब संघ कार्यकर्ता सब कुछ छोड़कर पूरे दमखम के साथ मैदान में आ जाता है। आज वही समय आ गया है। पूरी दुनिया संघ की ओर देख रही है। हमें लोक जागरण का एक नया कीर्तिमान बनाना है। संघ एक दैवी संगठन है और इस समय आसुरी प्रवृत्तियों के विनाश के लिए संघावतार हो चुका है। बलिदानों की एक लंबी परंपरा के कारण प्रखर राष्ट्रभक्ति का जागरण पूरे देश में हो चुका है। मंदिर निर्माण का कार्य अब अंतिम चरण में है। 500 वर्षों के संघर्ष का परिणाम आंखों के सामने आने वाला है। देश का जनमानस श्रीराम के साथ खड़ा है। निधि संग्रह अभियान में संघ कार्यकर्ताओं ने साढे पांच लाख गांवों तक घर-घर संपर्क किया था| इस बार 6,70,000 गांव में घर-घर संपर्क का लक्ष्य तय किया गया है। हम इस लक्ष्य को प्राप्त करके ही दम लेंगे।

कड़ाके की ठंड में सूर्योदय से पूर्व शुरू हुई इस बैठक में मंच पर विभाग कार्यवाह प्रो0 संजय सिंह उपस्थित थे। इसके अतिरिक्त विभाग प्रचारक आदित्य जी, प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ. मुरारजी त्रिपाठी, घनश्याम जी, शिव प्रकाश संजीव जी, वीर कृष्ण, आशीष मोहन समेत बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

Friday, December 8, 2023

श्रीरामलला के प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में सम्पूर्ण हिन्दू समाज का दर्शन हो - प्रान्त प्रचारक

  •  संघ विचार परिवार की बैठक में प्रान्त प्रचारक ने कार्यक्रम के विस्तृत रूपरेखा की घोषणा की।
  • 1 से 15जनवरी तक चलेगा श्रीराम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा गृह संपर्क महाभियान

सुलतानपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक श्री रमेश जी ने कहा कि श्रीरामलला के प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम सम्पूर्ण हिन्दू समाज का है। अपने निकट कार्यक्रम स्थल मंदिर पर आयोजित कार्यक्रम में बिना किसी भेदभाव के प्रत्येक विचार, जाति, पंथ के लोग शामिल हो। प्रत्येक गांव के कार्यक्रम में हिन्दू संगम का नजारा दिखे और सम्पूर्ण हिन्दू समाज का दर्शन हों। 22 जनवारी को प्राण प्रतिष्ठा के दिन शाम को घरों में प्रत्येक सदस्य की ओर से दीपक जलाया जाए और दीपमालाओं से घरों को भी सजाया जाएगा।

बैठक को संबोधित करते प्रान्त प्रचारक रमेश जी 

     सुलतानपुर शहर के विवेकानंदनगर स्थित सरस्वती शिशु मंदिर के हाल में संघ विचार परिवार के प्रमुख पदाधिकारियों की बैठक हुई। अयोध्या में श्रीरामलला की मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर देश के यशस्वी प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम् पूजनीय सरसंघचालक डॉ० मोहन भागवत जी, देश के पूज्य संत, महंत, महामण्डलेश्वर, प्रबुद्ध प्रतिष्ठित आध्यात्मिक सांस्कृतिक समाज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र के लगभग 10 हजार लोगों की गरिमामयी उपस्थिति में सम्पन्न होगा। इस ऐतिहासिक अवसर तक पूरे काशी प्रांत में हिंदू-शक्ति के व्यापक जनजागरण हेतु चरणबद्ध ढंग से एक बड़े गृह संपर्क महाभियान की तिथि वार घोषणा कर दी गयी है। संघ के प्रांत प्रचारक श्री रमेश जी ने इस महाअभियान की आज विधिवत घोषणा की।

श्री रमेश जी ने बताया कि महाभियान के दौरान गृह संपर्क अभियान के लिए पहले खंड, मंडल और बस्ती स्तर पर समितियां गठित होगी। इसके बाद प्रत्येक गांव में 15 से 20 टोली बनेगी। प्रत्येक टोली में  5 कार्यकर्ता शामिल किए जाएंगे। इन टोलियों में महिला शक्तियां व विचार परिवार के अलावा सज्जन,  प्रतिष्ठित व्यक्तियों को भी शामिल किया जाएगा। इन सारी समितियों के गठन के बाद 17 दिसम्बर तक इनके पास कलश, श्रीराम मंदिर का पूजित अक्षत, श्रीरामजी का चित्र और निमंत्रण पत्र पहुंच जाएगा। उसके बाद 20 दिसम्बर तक सभी न्याय पंचायत स्तर तक सामग्रियां पहुंचेगी। 24 दिसम्बर 2023 को टोली प्रमुख का प्रशिक्षण आयोजित किया गया है। जिन्हें प्रशिक्षण में ही ग्राम पंचायतो तक पहुचाने वाली सामग्री प्रदान कर दी जाएगी। एक जनवरी से 20 जनवरी तक गृह संपर्क अभियान चलेगा।

     श्री रमेश जी ने कहा कि यह विश्व के सबसे बड़े संगठन की ओर से चलाया जाने वाला विश्व का सबसे बड़ा महाजनसंपर्क अभियान होगा। यह 'श्री राम जन्मभूमि रामलला प्राण प्रतिष्ठा गृह संपर्क महाअभियान' के रूप में चलाया जाएगा। काशी प्रांत के 22 हजार गांवों में 55 हज़ार टोली बनाकर लगभग 3 लाख कार्यकर्ता के हाथों में पूजित अक्षत, श्रीराम मंदिर का चित्र एवं निमंत्रण पत्रक सबको देकर अयोध्या पहुंचने का निमंत्रण देंगे।

पूर्व विभाग संघचालक डॉ रमाशंकर मिश्र और प्रान्त प्रचारक श्री रमेश जी की उपस्थिति में भारी उत्साह एवं जय श्रीराम के उद्घोष के बीच सुलतानपुर, कादीपुर, अमेठी व जगदीशपुर के मा. जिला संघचालक व कार्यवाह को अयोध्या से आए पूजित अक्षत वाले कलश सौंप दिए गये। भारी उत्साह के बीच अपने ओजस्वी उद्बोधन में कार्यकर्ताओं में जोश भरते हुए हुए प्रांत प्रचारक श्री रमेश जी ने कहा “दसो दिशाओं में जाएं, दल-बादल सा छा जाएं” का संदेश लेकर कार्यकर्ता “राष्ट्र को राममय” करने के लिए हर गाँव गली मोहल्ले में पहुंचकर योजनानुसार सबको व्यक्तिगत रूप से निमंत्रण पत्र सौंपेंगे। राम में राष्ट्र का स्वरूप प्रतिबिंबित होता है, इसलिए बगैर भेदभाव के सभी दलों, विचारों, पन्थो के लोगों तक संघ परिवार के कार्यकर्ता और समाज के हर व्यक्ति तक अपनी पहुंच बना कर उन्हे निमंत्रित करेंगें। इस अभियान में “एक भी हिंदू घर छूटने ना पाए, इसका पूरा ध्यान रखेंगे।” 

आगामी 1 से 15 जनवरी 2024 तक चलने वाले इस महाभियान को सफल बनाने के लिए कार्यकर्ताओं की टोली को 15 दिनों में 100 घरों में संपर्क करना होगा। संपर्क अभियान के दौरान कार्यकर्ता सामाजिक समरसता का वातावरण पैदा करते हुए महासंपर्क अभियान में सभी स्थानीय प्रमुख मंदिरों की सूची, उनका स्थान, किस देवता का मंदिर है आदि विवरण भी कार्यकर्ता संग्रहित करेंगे। यह कार्यालय में डाटा के रूप में सुरक्षित रखे जाएंगे।

आगामी 22 जनवरी को 11:00 बजे से 1:00 बजे तक प्रांत के सभी मंदिरों में भजन-कीर्तन श्री राम, जय-जय राम, जय-जय राम का सामूहिक जाप तथा 11 से 12 तक सामूहिक आरती एवं 12 से 1:00 बजे तक प्राण प्रतिष्ठा समारोह का जीवंत एवं सीधा प्रसारण कार्यकर्ताओं को दिखाया जाएगा। इस प्रसारण को सम्पूर्ण हिन्दू समाज के लोग देख सके। प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रसाद वितरण की भी व्यवस्था की जा सकती हैं। श्रीराम मंदिर आंदोलन से निर्माण तक के आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाने वाले काशी प्रांत के चयनित 3 हजार श्रीराम भक्त रामलला के दर्शन को 30 जनवरी 2024 को अयोध्या पहुंचेंगे।

      बैठक में सह प्रान्त प्रचारक मुनीश जी, विभाग प्रचारक श्रीप्रकाश, सह विभाग प्रचारक ओम प्रकाश जी, मा. विभाग संघचालक डॉ. ए. के. सिंह, मा.सह विभाग संघचालक डॉ. ह्रदय राम, विभाग कार्यवाह नवीन जी, सह कार्यवाह अम्बिका जी, विभाग बौद्धिक प्रमुख डॉ राधाकृष्ण, सह विभाग बौद्धिक प्रमुख राकेश मणि त्रिपाठी, व्यवस्था माता प्रसाद शुक्ल आदि रहें।



Monday, December 4, 2023

भारत की पारंपरिक चिकित्सा व्यवस्था में चिकित्सक रहे हैं भगवान धनवंतरी

 

नेशनल मेडिकल कमीशन ने अभी अपने लोगों में वाक्य में और परिचय मे थोड़ा सा परिवर्तन किया है, जिसको लेकर कुछ लोग काफी दुखी हैं और विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है भगवान धन्वंतरी सेक्युलर नहीं हैं और उनका चित्र लोगो में लगाना उचित नहीं है। परंतु मेरा यह मानना है कि ऐसा करना बिल्कुल उचित है, क्योंकि भारत की पारंपरिक चिकित्सा व्यवस्था को अगर देखे तो धनवंतरी जी चिकित्सक रहे हैं| प्राचीन भारत में और काशी में तो उनका स्थान और पहचान स्वरूप मंदिर भी है।

कई ग्रंथो में उनका और उनके कार्यों का उल्लेख भी है। क्योंकि आयुर्वेद भारत की पारंपरिक चिकित्सा का नाम है और इसके माध्यम से ही हजारों साल तक भारत के लोग कम से कम तो जीवित हैं और इतनी जनरेशन मनुष्यो की स्वस्थ्य रही हैं। जहां तक भारत में आज की चिकित्सा व्यवस्था, जिसको मॉर्डन मेडिसिन कहते हैं| उसका पदार्पण लगभग 100 वर्षो से हुआ है। आज के जीवन शैली में यह एक उचित पद्धति है। परंतु इसका यह बिलकुल मतलब नहीं कि प्राचीन व्यवस्था पूर्ण रूप से अप्रासंगिक हो गई। एक तरह से देखे तो धनवंतरी जी हमारे पूर्वज है। जिनको अभी तक ग्रीक या अन्य चिन्ह से दिक्कत नहीं थी, उनको इससे इतनी दिक्कत क्यों है, समझ नहीं आता।

वैसे इंडिया शब्द को भारत करने से शायद इन लोगों को आपत्ति ज्यादा है। भारत तो हमसब के हृदय स्थल जैसा है। इन दोनो को स्वीकार नहीं करना, मुलवासियो के विचारों के अपमान जैसा है।

-    डा विश्वंभर सिंह, पूर्व राष्ट्रीय सचिवएन.एम.ओ.


Tuesday, November 28, 2023

मुग़ल आक्रान्ताओं का सामना करते हुए शिवाजी ने स्थापित किया हिन्दवी स्वराज, छत्रपति का हुआ राज्याभिषेक

 350 वर्ष पूर्व और आज भी शिवाजी महाराज का जीवन भारतीय समाज के लिए आदर्श : शांतनु जी महाराज

काशी| महानाट्य के अंत में शिवाजी के रणनीति के सभी मुगलिया सेना नतमस्तक हो जाते है| शिवाजी महाराज द्वारा हिंदवी स्वराज्य की पताका फहराते हुए 84 बंदरगाहों और 42 जल दुर्ग जीत लेते हैं। अलाउद्दीन खिलजी, औरंगजेब, आदिलशाह, अफजल खान समेत सभी मुग़ल शासकों का सामना कर उन्हें परास्त करते हुए छत्रपति शिवाजी हिन्दवी स्वराज की स्थापना करते है| काशी के वेद मूर्ति विद्वान पंडित गागा भट्ट द्वारा शिवाजी महाराज का राजतिलक कर उनका राज्याभिषेक कराया जाता है।

300 साल से गुलामी में मर रहे हैं अब हमें जीना है स्वतंत्र शेर की तरह

तरुण शिवाजी (राजे) द्वारा अपनी मां से यह कहना कि मैं भी अपने बाप दादा की तरह राज करूंगा। मां जिजाऊ द्वारा शिवाजी को कहना कि मैराथन का सब कुछ मिटाने वाले के दरबार में घुटने के बल बैठोगे। सभी के अपमान का बदला करने के लिए बगावत कीजिए और आप निश्चय करें तो कालचक्र को घुमा सकते हैं। तब शिवाजी द्वारा यह ऐलान करना कि 300 साल से गुलामी में मर रहे हैं अब हमें जीना है स्वतंत्र शेर की तरह। मां तुलजा भवानी के सामने कसम खाते हुए शिवाजी कहते हैं कि मेरी तलवार बेसहारों की सहारा बनेगी। स्वराज्य को सोने के सिंहासन पर विराजमान करना है। हिंदी स्वराज्य के सपने को साकार करना है।

जाणता राजा महानाट्य में आदर्श शासक की झलक

मंचन के दौरान यह भी दर्शाया गया है कि जाति, समुदाय, धर्म और पंथ से ऊपर उठकर एक आदर्श शासन को अपनी प्रजा के लिए कैसा होना चाहिए। महिला के साथ बच्चों की करने पर अपने राज्य के पाटिल को सजा देना और  मोहिते मामा को गिरफ्तार करना। अधिकार का दुरुपयोग करने पर अपने प्रधानमंत्री को बर्खास्त कर देना। शिवाजी महाराज के द्वारा स्थापित आदर्श शासन के तौर पर अनुशासन व न्याय प्रियता युवा समाज के लिए प्रेरणा का काम करेगी।

मेरे जीते जी कौन छू सकता है मेरे राजा को

शिवाजी महाराज के स्वराज में गुलामी बंद ऐलान से आदिल शाह की सल्तनत में घबराहट मच गई और अपने सैनिकों को बुलाकर शिवाजी को रोकने की रणनीति बनाते हुए अफजल खां को आगे बढ़ने का फरमान सुनाता है। आदिल शाह की फौज के आगे कई मराठा शासक घुटने टेक देते हैं और शिवाजी के खिलाफ युद्ध में शामिल होने की घोषणा कर देते हैं। लेकिन तान्हा जी जेधे द्वारा घर परिवार त्याग कर भी शिवाजी महाराज के लिए जीने मरने की बात स्वराज स्थापना की मजबूती को दर्शाता है। तान्हा जी जेधे द्वारा यह कहना कि मेरे जीते जी कौन छू सकता है मेरे राजा को, दर्शाता है कि हिंदवी स्वराज की स्थापना हेतु शिवाजी महाराज की तलवार को ऐसे वीर योद्धाओं का किस कदर समर्थन प्राप्त था। तान्हा जी जेधे के समर्थन के साथ 12 मावल के जवान वीर शिवाजी के साथ लड़ने के लिए तैयार खड़े होते हैं। हर हर हर महादेव के जयकारे के साथ एलान करते हैं कि मावल कि हथियारबंद भवानी आपकी सुरक्षा के लिए तैयार है।

राष्ट्रीय चेतना को जगाने हेतु लोगों ने लिया राष्ट्र शपथ

वीर शिवाजी महाराज के जीवन चरित्र पर आधारित महानाट्य जाणता राजा के मंचन के बीच उपस्थित विशाल जन समूह को राष्ट्र शपथ दिलाई गई। ईश्वर को साक्षी मानकर यह शपथ लेता हूं कि अपने देश को विश्व गुरु बनाने के लिए विश्व में प्रत्येक अवसर पर छत्रपति शिवाजी जैसा राष्ट्रभक्त, योग्य, साहसी और पराक्रमी, जाति धर्म का भेद न करने वाला, देश ही तो वह जनहित को सर्वोपरि रखते वाला दूरदर्शी नेतृत्व ही स्वीकार करूंगा। ऐसी नीतियों का ही समर्थन करूंगा। किसी भी अवसर पर अपने हित के पहले देश हित को महत्व दूंगा। भारत माता की जय।

6 दिन में 80 हजार दर्शकों ने शिवाजी का जीवन दर्शन किया : शांतनु जी महाराज

जाणता राजा महानाट्य मंचन के अंतिम दिन अध्यक्ष के रूप में उपस्थित प्रख्यात कथावाचक शांतनु जी महाराज ने भारत माता की जय व जय भवानी जय शिवाजी के जयघोष करते हुए कहा कि "प्रत्यक्षं किम प्रमाणं" यानी प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं होती। 6 दिनों में काशी प्रांत के विभिन्न जिलों से आए लगभग 80 हजार दर्शकों ने छत्रपति शिवाजी महाराज के विराट व्यक्तित्व को सीने में बसाया। भाव-विभोर दर्शकों ने अनुभव किया कि 350 वर्ष पूर्व यदि महाराज शिवाजी का जीवन अनिवार्य आवश्यक था तो आज 350 वर्ष बाद भी छत्रपति शिवाजी का जीवन प्रासंगिक है।

माता तुलजा भवानी की आरती से शुरू होता रहा मंचन

महाराज शिवाजी के छत्रपति बनने की भव्य जीवन गाथा को जाणता राजा महानाट्य के जरिए दर्शाया गया। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, कथावाचक शांतनु जी महाराज, प्रांत प्रचारक रमेश जी, सेवा भारती प्रांत अध्यक्ष राहुल सिंह आदि द्वारा माता तुलजा भवानी की आरती के बाद दुदंभी की गूंज और ढोल नगाड़ों की तेज धुनों के साथ मंचन की शुरुआत हुई। सभी दिन मंचन की शुरुआत माता तुलजा भवानी की आरती से की जाती रही|

उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि हिंदू साम्राज्य की स्थापना करने वाले शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित महानाट्य से समाज में युवा शक्ति को प्रेरणा लेकर उनके जैसा व्यक्तित्व निर्मित करना चाहिए। भारत रत्न महामना मदन मोहन मालवीय के इस प्रांगण में आकर गर्व का अनुभव कर रहा हूँ।इस भाव भूमि में आने का अवसर प्रदान करने के लिए सेवा भारती के प्रांत अध्यक्ष श्री राहुल सिंह का विशेष आभार व्यक्त किया। उन्होंने  कहा कि काशी के धरती पर आज अयोध्या राममंदिर की की चर्चा करना चाहता हूं।













Sunday, November 26, 2023

गनीमिकावा (गोरिल्ला युद्ध) मंत्र पाकर शिवाजी महाराज हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना की ओर अग्रसर

 

काशी| गनीमिकावा (गोरिला युद्ध) से शिवाजी हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना की ओर अग्रसर होते हैं|  शिवाजी तोरणगढ़ किले पर कब्जा कर हिंदवी साम्राज्य की स्थापना आरम्भ करते हैं। उधर आदिलशाह के फरमान पर शिवाजी को ठिकाने लगाने के लिए अफजल खान और शाहिस्ता खान जैसे मुगल सेना नायक आते हैं पर मावला की घाटियों में शिवाजी के सामने सभी को मुंह की खानी पड़ती है। शिवाजी को औरंगजेब से मिलने के लिए आगरा के किले में जाना होता है जहां धोखे से शिवाजी को औरंगजेब कैद करवा देता है। कैद में रहने के कुछ दिनों बाद वीर शिवाजी अपने मुट्ठी भर सैनिकों के दम पर औरंगजेब की सवा लाख की सेना को पराजित कर फरार हो जाते हैं। इसके बाद शिवाजी हिंदवी स्वराज्य के विस्तार हेतु 84 बंदरगाहों और 42 जल दुर्गों पर अपनी पताका फहराते हैं।

हिंदू हैं तो हिंदू जैसा आचरण रखें, विधर्मियों से सतर्क रहकर अपना कर्म करें : महंत शंकर गिरी जी महाराज

जाणता राजा महानाट्य मंचन के चौथे दिन विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित मां अन्नपूर्णा मंदिर महंत पूज्य शंकर गिरी जी महाराज ने कहा कि मां अन्नपूर्णा के आशीर्वाद की तरह प्रत्येक मां का आशीर्वाद मिलना चाहिए, तभी हर बालक में वीर शिवाजी जैसा साहसी व्यक्तित्व जन्म लेगा। वर्तमान समय में हिंदू समाज को विधर्मियों से सतर्क रहकर अपना कर्म करना होगा और हिंदू है तो हिंदू का आचरण अपनाना होगा। माथे पर टिका, हाथों में कलेवा आदि पूर्व के संस्कार अपने होंगे। अपने साथ परिवार एवं समाज में भी हिंदू संस्कार पर विशेष ध्यान देना होगा। महंत शंकर गिरी जी महाराज ने उपस्थित हजारों लोगों से अपील किया कि एक रोटी कम खाएं लेकिन संस्कारवान बनें।

पांचवे दिन उत्तर प्रदेश की महामहिम राज्यपाल ने देखा मंचन

जाणता राजा महानाट्य मंचन के पांचवें दिन उत्तर प्रदेश की महामहिम राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने मंचन देखा। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित राज्यपाल श्रीमती आनन्दी बेन पटेल नाटक के दृश्यों को देखकर द्रवित और भाव विभोर हो गयी। उन्होंने पत्रकारों से संवाद के क्रम में कहा कि यह नाटक अद्वितीय एवं रोमांचकारी है तथा भारतीय मूल्यों को अपने में समेटे हुए जीवंत कर रखा है। दी।उन्होंने प्रान्त प्रचारक श्री रमेश जी का भी हृदय से आभार जताया इसके साथ ही सेवाभारती के प्रांत अध्यक्ष राहुल सिंह एवं आयोजन सचिव एवं अध्यक्ष अभय सिंह को अयोजन की सफलता के लिए बधाई

 

शिवाजी महाराज के द्वारा स्थापित आदर्श शासन, अनुशासन व न्याय प्रियता युवा समाज के लिए प्रेरणा

मंचन के दौरान यह भी दर्शाया गया है कि जाति, समुदाय, धर्म और पंथ से ऊपर उठकर एक आदर्श शासन को अपनी प्रजा के लिए कैसा होना चाहिए। महिला के साथ बच्चों की करने पर अपने राज्य के पाटिल को सजा देना और  मोहिते मामा को गिरफ्तार करना। अधिकार का दुरुपयोग करने पर अपने प्रधानमंत्री को बर्खास्त कर देना। शिवाजी महाराज के द्वारा स्थापित आदर्श शासन के तौर पर अनुशासन व न्याय प्रियता युवा समाज के लिए प्रेरणा का काम करेगी।

हिन्दवी स्वराज विशेषांक की हुई सराहना

काशी। जाणता राजा महानाट्य मंचन के दौरान विश्व संवाद केंद्र काशी द्वारा प्रकाशित चेतना प्रवाह के हिन्दवी स्वराज विशेषांक संत समाज को काशी प्रांत प्रचारक रमेश जी एवं पत्रिका के प्रबंध संपादक नागेंद्र द्विवेदी भेंट किया गया।

पूज्य सद्गुरु रितेश्वर जी महाराज ने कहा कि यह विशेषांक शिवाजी महाराज के सम्पूर्ण जीवन पर एवं उनसे जुड़े सभी महापुरुषों, सहयोगियों और योद्धाओं को समेटे हुए है। जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यतिंद्रानंद जी महाराज ने कहा कि हिंदवी स्वराज विशेषांक से वर्तमान पीढ़ी शिवाजी की कुशल रणनीतियों से परिचित होगी। उक्त विशेषांक जाने माने अंतरिक्ष वैज्ञानिक एवं विद्वान प्रो.ओम प्रकाश पांडेय के अतिरिक्त अन्य अतिथियों को भी भेंट किया गया।

विशेषांक लेने के लिए लोगो में उत्साह

हिंदवी स्वराज विशेषांक के वितरण काउंटर पर विशेषांक लेने के लिए लोगों में उत्साह दिखा। मंचन देखने आए दर्शकों ने कहा कि नाट्य देखने के बाद विशेषांक के माध्यम से शिवाजी के जीवन चरित को अपने जीवन में उतारने का यह अच्छा अवसर है|




Friday, November 24, 2023

छत्रपति की रणनीति से घबरायी मुग़ल सेना, कहा- “दुश्मन भी मिला तो शिवा जैसा”

 हमारे राज्य में मां-बहनें देवी की साक्षात प्रतिमूर्ति  : छत्रपति शिवाजी महाराज


काशी| काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के एम्फिथिएटर मैदान में चल रहे जाणता राजा महानाट्य के तीसरे दिन के मंचन में शिवाजी की रणनीति से मुग़ल सेना कांपती दिखी| आदिलशाह का घबराना और कहना कि “दुश्मन भी मिला तो शिवा जैसा” शिवाजी के प्रभाव को दर्शाता है|

मंचन में हिंदवी स्वराज्य की स्थापना के साथ ही शिवाजी महाराज लगातार 84 बंदरगाह और 25 जल दुर्ग जीतने के साथ ही अपने सिंधु नदी के उद्गम से लेकर कावेरी नदी के तट तक स्वराज्य की स्थापना की| अपनी प्रतिज्ञा को साकार करने हेतु अनगिनत विजय का परचम दर्ज करते हुए कोंकण दुर्ग को भी जीत लिया। कोंकण के सैनिकों को लेकर थल सेना का निर्माण  किया और छत्रपति शिवाजी महाराज ने "स्वराज्य में गुलामी बंद", का ऐलान कर दिया।

स्वराज्य में गुलामी बंद के ऐलान से शहंशाह आदिलशाह थरथरा उठा और अपने सिपाह सलारों को बुलाकर शिवाजी भोंसले को गिरफ्तार करने का आदेश देता है। अफजल खां खुद को आगे करते हुए कहता है कि शिवाजी को जिंदा या मुर्दा आपके दरबार में पेश करूंगा। अफजल खां की शिवाजी से भेंट के दौरान यह कहना कि सब कुछ छोड़कर शहंशाह के कदमों में झुक जाओ तो तुम्हारी जान बच जाएगी। महानाट्यमन्चन को एक मोड़ देता है।

"डरो तो प्रभु रामचंद्र से डरो", शिवाजी महाराज ने भेंट के दौरान अफजल खां की पीठ में छुरा भोकने की नापाक मंशा को भांपकर उसे ही हमेशा के लिए सुला दिया और अपने हिंदवी स्वराज्य के स्थापना के रथ को आगे बढ़ाया और उसे गति दी।

महाराष्ट्र भाग्य भवानी जिजाऊ के रूप में प्रकट हुई

मुगलों की अत्याचार से चीख रही जनता ने मां तुलजा भवानी के सामने पूजा अर्चना कर आवाह्न किया कि हे महिषासुर मर्दिनी प्रकट हो और दुष्टों का संहार करो। यह नाटक दृश्य द्रवित करने वाला क्योंकि भक्त जब अत्याचार से कराह उठता है तो भगवान की शरण में जाता है। तब भगवान और भवानी की कृपा से समाज या राष्ट्र की रक्षा स्वयं भगवान के अवतरण से होता है। महाराष्ट्र भाग्य भवानी जी जाऊं के रूप में प्रकट हुई और शाहजी राजा से उनकी शादी हुई। भगवती स्वरूप मां तुलजा भवानी की आरती और कपाट खुलने की दृश्य ने दर्शक दीर्घा को जय जय अंबे जय जय भवानी के जय घोष सुनाई देने लगे।

300 साल से गुलामी में मर रहे हैं अब हमें जीना है स्वतंत्र शेर की तरह

तरुण शिवाजी (राजे) द्वारा अपनी मां से यह कहना कि मैं भी अपने बाप दादा की तरह राज करूंगा। मां जिजाऊ द्वारा शिवाजी को कहना कि मैराथन का सब कुछ मिटाने वाले के दरबार में घुटने के बल बैठोगे। सभी के अपमान का बदला करने के लिए बगावत कीजिए और आप निश्चय करें तो कालचक्र को घुमा सकते हैं। तब शिवाजी द्वारा यह ऐलान करना कि 300 साल से गुलामी में मर रहे हैं अब हमें जीना है स्वतंत्र शेर की तरह। मां तुलजा भवानी के सामने कसम खाते हुए शिवाजी कहते हैं कि मेरी तलवार बेसहारों की सहारा बनेगी। स्वराज्य को सोने के सिंहासन पर विराजमान करना है। हिंदी स्वराज्य के सपने को साकार करना है।

इस अवसर पर अखिल भारतीय गोसेवा प्रमुख अजित प्रसाद महापात्र ने कहा कि छत्रपति शिवाजी का जीवन हर भारतीय को अनुसरण करना चाहिए| उनका जीवन भारतीय संस्कृति के अनुरुप था| उन्होंने वसुधैव कुटुम्बकम के मूल तत्वों का अनुगमन किया। महिलाओं के प्रति सम्मान के भाव में उनकी माता जीजाबाई की प्रेरणाश्रोत थी। श्री महापात्र ने कहा कि शिवाजी का जीवन प्रबन्धन की अभूतपूर्व कला थी| वे चाहते थे कि उनके राज्य में सभी स्वतन्त्र एवं निर्भीक जीवन व्यतीत करें। कार्यक्रम का संचालन सेवा भारती काशी प्रान्त के अध्यक्ष राहुल सिंह ने किया।