देश भर में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा हिन्दी है. देश भर में हिंदी को सर्वाधिक लोकप्रियता प्राप्त है. हिन्दी को काशी ने भक्ति काल से लेकर आधुनिक काल के हर दौर में आत्मसात किया है. कबीरदास से प्रारम्भ होकर हिंदी भाषा की यह श्रृंखला आधुनिक काल के जयशंकर प्रसाद के बाद आज भी अनेक सहित्योकारों तक पहुँच रही है. काशी ने हिंदी साहित्य के निर्माण एवं विकास में अपनी मुख्य भूमिका निभायी है.
साहित्यकार सुरेन्द्र वाजपेयी के अनुसार नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना के साथ ही काशी में हिंदी आन्दोलन की शुरुआत हुई. संस्था की स्थापना का उद्देश्य हिंदी एवं देवनागिरी लिपि का राष्ट्रव्यापी प्रचार-प्रसार था. उस समय न्यायालयों या सरकारी कार्यालयों में हिंदी का प्रयोग नहीं होता था. हिन्दी की शिक्षा वैकल्पिक रूप से मिडिल पाठशालाओं तक ही सीमित थी.
हिन्दी के लिए काशी में हुआ पहला सत्याग्रह
साहित्यकार पं0 जितेन्द्रनाथ मिश्र के अनुसार हिंदी प्रदेशों में देवनागिरी लिपि में हिंदी के प्रयोग की के लिए खूब आन्दोलन हुए. नागरी प्रचारिणी सभा ने सरकार को नागरी लिपि की वैज्ञानिकता के सम्बन्ध में मेमोरेंडम प्रस्तुत किया जो देवनागिरी लिपि को संसार की सबसे अधिक वैज्ञानिक लिपि सिद्ध करने वाला पहला विस्मृत, प्रमाणिक और सर्वमान्य दस्तावेज हैं. इस आन्दोलन में सभा के कई कार्यकर्ता गिरफ्तार हुए और इस आन्दोलन को हिंदी का पहला सत्याग्रह माना जता है.
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