हिन्दू साम्राज्य स्थापित करने के साथ भारतवासियों में
स्वत्व जागरण के लिए संकल्पित थे शिवाजी
काशी| काशी में
शुक्रवार को हर्षोल्लास के साथ हिन्दू साम्राज्य दिनोत्सव मनाया गया। विभिन्न
स्थानों पर आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि हिन्दवी स्वराज्य या हिन्दू
साम्राज्य की स्थापना इतिहास का प्रसंग अद्भुत है जिसके उदाहरण दुनियाँ में बहुत
कम देखने को मिलते हैं। शिवाजी महाराज का संकल्प केवल हिन्दू साम्राज्य स्थापित
करना भर नहीं था अपितु संपूर्ण भारतवासियों को स्वत्व जागरण का संदेश देना था
इसलिए इसका नाम “हिन्दवी
स्वराज्य" रखा गया।
राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ काशी प्रांत के एस एस पब्लिक स्कूल बाबतपुर में चल रहे संघ शिक्षा
वर्ग प्रथम वर्ष (सामान्य) के २० दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग में हिंदू साम्राज्य
दिनोत्सव के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता आई. आई. एम. सी. के डॉ. राकेश उपाध्याय ने कहा कि शिवाजी ने हिंदू साम्राज्य
की स्थापना उस समय की जब जनसामान्य के मध्य में “दिल्लीश्वरो वा जगदीशश्वरो वा " का भाव
भरा हुआ था जिसका अर्थ है जो दिल्ली का राजा है वही परमेश्वर है और उस समय दिल्ली
में मुगलों का आधिपत्य था।
काशी, मथुरा, अयोध्या में
हिंदू संस्कृति पर जैसे झाडू लग गई थी मगर उस आंधी को मात देकर शिवाजी महाराज जैसे
सूर्य का उदय हुआ। शिवाजी के राज्यारोहण के पूर्व कभी लगता ही नहीं था कि हिंदू
संस्कृति सभ्यता का सूर्य दोबारा इस धरा पर उदित होगा। वक्ता ने आगे बताया कि १६४६
से १६५४ तक के मध्य में ४० से अधिक किलो से मुगलिया झंडा हटा कर भगवा ध्वज स्थापित
कर दिया गया था। शिवाजी कुशल रणनीतिकार थे। उन्होंने ५०००० की फौज लेकर आए अफजल
खान को बाघ नख से उसकी चालाकी को मात देते हुए उसका वध कर दिया। शिवाजी के बार-बार
विजयी होने का कारण यह भी था कि शिवाजी ने देशभक्तों की एक लंबी सेना तैयार की थी
जिसमें जीवाजी, बाजीराव देशपांडे, तानाजी मालसुरे
आदि अनेक ऐसे नाम हैं। वक्ता ने बताया कि वाराणसी से शिवाजी का विशेष संबंध है
क्योंकि यहीं के विद्वान वेद पंडित गागा भट्ट जी ने शिवाजी का राज्याभिषेक करवाया
था। शिवाजी गुरिल्ला युद्ध के जनक माने जाते हैं साथ ही भारत में नौसेना स्थापित
करने का श्रेय भी शिवाजी को जाता है।
मंच पर वर्ग के
वर्गाधिकारी श्रीमान पुनीत लाल जी उपस्थित थे। एसएस पब्लिक स्कूल के निदेशक प्रबोध
नारायण सिंह जी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों
द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया एवं शिवाजी और भारत माता के चित्र पर पुष्पार्चन
किया गया। इस अवसर पर प्रांत प्रचारक प्रमुख रामचंद्र, प्रांत प्रचारक
रमेश, सह प्रांत
कार्यवाह राकेश, गौरीशंकर
सच्चिदानंद संतोष प्रतोष प्रवेश सहित बड़ी संख्या में संघ के अधिकारी एवं वर्ग में
शिक्षा प्राप्त कर रहे शिक्षार्थी उपस्थित थे। संचालन वर्ग के सह वर्ग कार्यवाह
सुरेंद्र ने किया।
कमच्छा विनायका
स्थित कामाख्या नगर के शंकराचार्य शाखा पर आयोजित हिंदू साम्राज्य दिनोत्सव में
मुख्य वक्ता उ.प्र. माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के पूर्व सदस्य डॉ. हरेंद्र
राय ने कहा कि बाल्यकाल से माता जीजा बाई द्वारा सुनाई गई छोटी छोटी कहानियां और
संस्कार देने के उपायों ने ही छत्रपति शिवाजी महाराज का व्यक्तित्व गढ़ा था।
उन्होंने कहा कि पिता के निर्देश के बावजूद कम आयु में भी शिवाजी ने आदिल शाह के
सामने सर झुकाने से मना कर दिया था, जो दिखाता है कि किसी बालक पर पिता से अधिक मां के दिए
संस्कार का प्रभाव होता है। उन्होंने बताया कि युवा शिवा को माता जीजाबाई के बाद
समर्थ गुरु रामदास का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ, जिससे उनके कार्यशैली में धैर्य के अद्भुत गुण का समावेश
हुआ। उन्होंने आगे कहा कि सन 1925 में स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी छत्रपति शिवाजी की
कार्यशैली से धैर्य पूर्वक व्यक्ति निर्माण के माध्यम से राष्ट्र निर्माण के
रास्ते पर चल रहा है। कार्यक्रम में मा. नगर संघचालक श्री विजय जायसवाल, अखिल भारतीय
ग्राहक पंचायत के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य श्री प्रदीप कुमार चौरसिया, ग्राहक पंचायत
वाराणसी के उपाध्यक्ष श्री राजेश डोगरा, सह भाग शारीरिक प्रमुख राजकिशोर जी आदि विशेष रूप से
उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता समाज सेवी श्री अरविंद त्रिपाठी ने किया।
संचालन बृजेश जी ने किया।
लंका स्थित माधव
मार्केट के केदारेश्वर नगर में आयोजित हिंदू साम्राज्य दिनोत्सव पर मुख्य वक्ता
रामसुचित पाण्डेय ने कहा कि शिवाजी एक न्यायप्रिय, सबका हित करने वाले लोकप्रिय शासक थे। जीवन के
साथ जीवन यापन करने वाले स्वातंत्र्य प्रिय, साहसी मावले युवको की एक सुन्दर टोली शिवाजी के नेतृत्व में
उनके लिए प्राण देने वाली सेना के रूप में एकत्रित हो गयी। उन्होंने साल्वेर की
लड़ाई में विशाल मुगल सेना को हराया था। अध्यक्षता प्रख्यात चिकित्सक डॉ. सुनील
जायसवाल ने किया। कार्यक्रम में वेंकट रमण घनपाठी, धर्मराज त्रिपाठी जी, डॉ. वैभव जायसवाल, राजेंद्र सक्सेना, सुनील किशोर, अभय सिंह, अजीत, सौरभ सिंह, शशि जी, केशव सेठ, संतोष उपाध्याय, सेवा प्रमुख
राकेश यादव जी, संदीप आदि
उपस्थित रहें। संचालन डॉ. रजनीश ने किया।
अन्य स्थानों पर आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज पूरे भारत में स्वत्व स्वाभिमान आत्मनिर्भर समाज की रचना करना चाहते थे। अपने इस संकल्प को आकार देने के लिये ही आक्रमणकारी सत्ताओं के हिन्दवी स्वराज्य की नींव रखी गई थी। वह ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष त्रयोदशी विक्रम संवत् १७३१ ( ईस्वी सन १६७४ ) की तिि जब दक्षिण भारत के रायगढ़ किले में हिन्दवी स्वराज्य हिन्दू पदपादशाही की नींव रखी गई थी। इसी दिन शिवाजी मह का राज्याभिषेक हुआ था। शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक उत्सव पूरे दस दिन चला था। यह आयोजन शिवाजी मह की माता जीजा बाई और समर्थ स्वामी रामदास जी के निर्देशन में हुआ था। इसलिए यह केवल राज्याभिषेक आयोजन न था। अपितु इसे संपूर्ण भारत राष्ट्र के स्वाभिमान और स्वत्व जागरण के उत्सव का स्वरूप प्रदान किया था। वक्ता आगे कहा कि वह कालखंड साधारण नहीं था। वह मुगल बादशाह औरंगजेब द्वारा भारत में हिन्दूत्व के दमन अि का दौर था। औरंगजेब ने १६६५ में सभी साँस्कृतिक प्रतिष्ठानों और मंदिरों को ध्वस्त करने का आदेश निकाला था। भय और लालच से मतान्तरण का अभियान चलाया जा रहा था। भारत के मूल निवासियों के समक्ष अपनी ही मातृभूमि प्राण बचाने और पेट भरने का संकट सामने था। उन विषम और विपरीत परिस्थितियों में शिवाजी महाराज ने स्वत्व स्वाभिमान जागरण अभियान आरंभ किया वह भी अपने चारों ओर आक्रमणकारी सत्ताओं के भीषण दबाव के बीच उनकी संकल्पशक्ति थी कि उन्होंने पूरे भारत को दासत्व से मुक्ति का मार्ग दिखाया ।
इन स्थानों पर हुए कार्यक्रम
काशी दक्षिण भाग में केदारेश्वर नगर में 3 विवेकानंद नगर में 2 रामनगर में 4 कर्दमेश्वर में 2, मात नगर में 4. कामाख्या में 3 हनुमान नगर में 3, संत रविदास नगर में 3, शूलटकेश्वर 2. मानस नगर में 6 माह 4. केशव नगर में 4 विश्वकर्मा में 3, कबीर नगर में 2, शिवधाम नगर में 2 स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित हुए।
हिंदू साम्राज्य दिवस की बधाई!
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