Wednesday, August 30, 2023

रक्षाबंधन समरसता और समानता के भाव के साथ व्यवहार करने का सन्देश देता है - रमेश जी

 


फूलपुर (गंगापार)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ फूलपुर नगर के तत्वावधान में मंगलवार को बौड़ई स्थित जिला कार्यालय पर आयोजित रक्षाबंधन उत्सव को सम्बोधित करते हुए मुख्य वक्ता काशी प्रांत प्रचारक रमेश जी ने कहा कि रक्षाबंधन समरसता, समानता के भाव के साथ व्यवहार करने का सन्देश देता है। भारत पर्वों का देश माना जाता है यहाँ का हर दिन पावन होता है। भारत को भारत बनाने व बचाने में ऋषियों मुनियों की जितनी भूमिका रही ही है उससे कमतर भूमिका यहाँ के पर्व और त्योहारों की नही है।ये पर्व और उत्सव न होते तो यह देश 1300 वर्षों की गुलामी के कारण छिन्न भिन्न हो जाता।

उन्होने कहा कि सबसे प्राचीन हमारा राष्ट्र, जो सनातन परंपरा का ध्वजवाहक और सामर्थ्यवान राष्ट्र था। यह पराधीन हो गया लेकिन इसकी उत्सवधर्मिता के कारण पराधीनता में भी हमने अपनी परंपराओं को नही छोड़ा। पर्व संस्कारों को जोड़े रखने का कार्य करते है और इतिहास के अनछुए प्रश्नों की ओर ले जाते हैं। उन्होने कहा कि रक्षाबंधन का पर्व सिर्फ भाई बहनों के संदर्भ में ही नही है बल्कि पौराणिक घटनाओं से जुड़ा हुआ है। आसुरी शक्तियों से रक्षा के लिये इंद्राणी ने इन्द्र को, द्रौपदी ने योगेश्वर श्रीकृष्ण को जो रक्षा सूत्र बांधे थे, ये वही रक्षाबंधन है। संघ इस पर्व को राष्ट्र रक्षा के निमित्त मनाता है। जो संदेश देता है एक दूसरे की रक्षा करना, देश, समाज, धर्म, संस्कृति, राष्ट्र, परिवार की रक्षा करना।

अध्यक्षता करते हुए एके श्रीवास्तव ने कहा कि संघ की कारण ही आज देश में व्यापकरूप से सकारात्मक परिवर्तन हुए है। जिनकी कल्पना भी नही की गई थी वे सब बातें साकार हो रही है।

कार्यक्रम में स्वयंसेवको ने भगवा ध्वज व एक दूसरे को रक्षा सूत्र बांधा। इस अवसर पर बेचन सिंह, प्रेम सागर, यशवंत, शोभनाथ चौरसिया, मदन, रवि पाण्डेय, सुभाष, गजानन पाण्डेय, अमरनाथ यादव, विपेन्द्र सिंह पटेल, सुरेश विश्वकर्मा, गौरीशंकर, डा.आत्माराम, विद्या रत्न आदि उपस्थित रहे। संचालन उमा चरण ने किया।



Tuesday, August 29, 2023

सातवीं कक्षा के छात्र अब पढ़ सकेंगे राष्ट्रीय युद्ध स्मारक ‘हमारे वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि’ पर अध्याय

नई दिल्ली. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने सातवीं कक्षा के पाठ्यक्रम में इस साल से राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर एक अध्याय हमारे वीर सैनिकों को श्रद्धांजलिशामिल किया है. रक्षा मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय द्वारा संयुक्त पहल का उद्देश्य स्कूली बच्चों में देशभक्ति, कर्तव्य के प्रति समर्पण और साहस व बलिदान के मूल्यों को निरूपित करना तथा राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भागीदारी बढ़ाना है.

यह अध्याय स्वतंत्रता के बाद राष्ट्र की सेवा में सशस्त्र बलों के वीरों द्वारा दिये गए सर्वोच्च बलिदान के अलावा, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (एनडब्ल्यूएम) के इतिहास, महत्व और अवधारणा को रेखांकित करता है. अध्याय में, दो दोस्त पत्रों का आदान-प्रदान करते हैं और वीरों के बलिदानों के कारण मिली स्वतंत्रता के लिए कृतज्ञता तथा आभार प्रकट करते हैं. एनसीईआरटी के लेखकों द्वारा बच्चों में उत्पन्न होने वाले गहरे भावनात्मक प्रभाव और जुड़ाव को रचनात्मक रूप से सामने लाया गया है.

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री ने 25 फरवरी, 2019 को नई दिल्ली में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को राष्ट्र को समर्पित किया था. यह लोगों के बीच बलिदान और राष्ट्रीय भावना की भावना पैदा करने और राष्ट्र की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर सैनिकों को समुचित श्रद्धांजलि देने के लिए स्थापित किया गया है.

Monday, August 28, 2023

ज्ञानवापी मामले में तथ्य हमारे पक्ष में, हिन्दू पक्ष मजबूत, हम विजयी होंगे – आलोक कुमार

काशी. विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि ज्ञानवापी मामले में हिन्दू पक्ष काफी मजबूत है. तथ्य, और कानून हमारे पक्ष में हैं. मैंने मामले का अध्ययन किया है. अतिशीघ्र हम विजयी होंगे. जिस प्रकार अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्णय हमारे पुरुषार्थ से पक्ष में रहा, उसी प्रकार काशी और मथुरा में भी होगा. आलोक कुमार वाराणसी स्थित एक होटल में आयोजित विचार प्रबोधन कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे.

बीते महीने हरियाणा के नूंह में ब्रजमंडल यात्रा के दौरान हुई हिंसा पर आक्रोश प्रकट करते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर यात्रा से दो दिन पूर्व ही प्याज़ की तरह तोड़ दोजैसे आक्रमक पोस्ट वायरल होने लगे थे. परंतु खूफिया एजेंसियों ने सक्रियता नहीं दिखाई और प्रशासन ने भी गत वर्षों में हुई यात्रा का आंकलन करके सुरक्षा प्रदान नहीं की, इसलिए यह हिंसा हुई. बावजूद इसके हम इस यात्रा को पूर्ण करेंगे और अपनी तरफ से किसी प्रकार की कोई गतिविधि नहीं करेंगे, परंतु यदि हम पर कोई हमला करेगा, तो कानूनन हमें प्रतिकार करने का अधिकार है.

हिन्दू परिवारों के विघटन पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हिन्दू लड़कियां प्रेम के चक्कर में षड्यंत्र का शिकार होती हैं और जब उनके परिवार उन्हें बचाने के लिए हमसे संपर्क करते हैं तो वे ही साथ खड़ी नहीं होतीं. टीवी सीरियल्स इस विघटन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इन प्रकरणों से बचने के लिए कुटुंब प्रबोधन आवश्यक है. सभी परिवार समय निकालकर घर पर एक साथ भोजन करें, अपने बच्चों से संवाद करें एवं बच्चों में तुलसी को जल देने का, गाय को पहली रोटी देने का, सभी त्योहारों को सहयोग से मनाने का संस्कार उत्पन्न करें. जिससे उनमें हिन्दू रीति-नीति से जीवन जीने की आकांक्षा उत्पन्न हो. तभी हिन्दू संस्कृति का संरक्षण हो पाएगा.

उन्होंने कहा कि जिहाद आज वैश्विक चुनौती बनकर उभरा है. जाकिर नाईक जैसे लोगों ने इसके गलत अर्थ को प्रस्तुत करते हुए महिला अपहरण, बलात्कार, हत्या, लूटपाट को धर्म का कार्य बना दिया है. जिहाद के इसी विकृत स्वरूप को अपनाते हुए पक्ष विशेष ने फ्रांस, जर्मनी, इंग्लैंड को भी आतंकित किया. भारत में इसी मानसिकता के लोग विद्रोही वातावरण बनाते हैं.

आगामी कुछ‌ महीनों में संगठन की गतिविधियों पर कहा कि 30 सितंबर से 20 अक्तूबर तक बजरंग दल देश भर में शौर्य यात्राएं निकालेगा. दीपावली से 15 दिन पहले और 15 दिन बाद संत समाज द्वारा देशभर के गांवों की गली-गली में पदयात्रा निकाली जाएगी एवं अनुसूचित जाति/जातियों वाले घरों में जलपान किया जाएगा, जिससे जातिगत भेदभाव समाप्त होगा. उन्होंने उपस्थित जनसमुदाय से जनवरी में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दौरान स्थानीय नदी अथवा पवित्र कुओं, तालाब पूजा करने एवं 200 तांबे के पात्रों में जल भेजने, प्रत्येक मंदिर में अनुष्ठान करने, मन्दिर में सामूहिक स्क्रीन लगाकर प्राण प्रतिष्ठा देखने एवं भंडारा करवाने का आह्वान किया.

उन्होंने कहा हम लोगों ने राम मन्दिर निर्माण से जुड़े 5000 व्यक्ति चिन्हित किए हैं, जिनके साथ भविष्य में अयोध्या दर्शन के तहत सरयू स्नान, राम मन्दिर दर्शन-पूजन एवं नगर की गली-गली घूमने, कारसेवा से जुड़े किस्से स्थानीय बालकों और युवाओं को बताने का काम होगा. राम मन्दिर निर्माण से रामत्व का विकास होगा और त्रेतायुग की भांति आतंकवाद से मुक्ति, स्त्रियों का रक्षण एवं समरस समाज की स्थापना हो सकेगी. हम सबके साझे प्रयास से फिर वह दिन आएगा, जब हम कह सकेंगे कि भारत वह भूमि है, जहां कोई भूखा नहीं सोता, किसी को अन्न, वस्त्र का अभाव नहीं है, हरेक के पास छत है और हरेक के पास अच्छा जीवन जीने के संस्कार हैं.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष नागेंद्र पांडेय ने कहा विहिप के संपर्क विभाग का यह आयोजन अभिनंदनीय है क्योंकि संपर्क बनाए रखने से ही समाज एकजुट रहता है.

कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए अंबरीश ने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद की पहचान भले ही राम मन्दिर आंदोलन से हुई. पर परिषद मठ, मंदिर, अर्चक, पुरोहित, गौ सबके हित में काम कर रहा है. आम श्रद्धालु तक तो सब पहुंच जाते हैं, पर विशिष्ट जनों तक नहीं. इसी कड़ी में आज का आयोजन है. वज्रयान विद्या केंद्र, सारनाथ के निदेशक खेमको कंपा गेटूर ने कार्यक्रम के आयोजन की बधाई दी.

विहिप काशी प्रांत के अध्यक्ष कविन्द्र प्रताप ने धन्यवाद किया. कार्यक्रम का संचालन सत्य प्रकाश ने किया.

हिन्दू समाज अपनी धार्मिक-सांस्कृतिक विरासत के आधार पर अजेय शक्ति खड़ी करे

काशी. काशी के महमूरगंज स्थित होटल लैंडमार्क में आयोजित प्रेस वार्ता में विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि शांति और सद्भावना के साथ ब्रजमंडल यात्रा पूरी होगी. आलोक कुमार दो दिवसीय प्रवास पर काशी में हैं. उन्होंने कहा कि जिहादी मानसिकता के कारण हिन्दू समाज के त्योहार और उत्सवों के दौरान लगातार हमले हो रहे हैं. मेवात और नूंह की घटना भी इसी मानसिकता के चलते हुई. हिन्दू समाज के धैर्य और ईश्वर पर विश्वास के कारण उकसाने पर भी हम हथियार नहीं उठाए. हम कानून पर विश्वास करते हैं.

उन्होंने कहा कि मेवात में हुई घटना में सरकारी तंत्र फेल रहा है. 300 व्यक्तियों, पांच पुलिसकर्मियों की सुरक्षा संगठन के लोगों ने मंदिर में घुसकर की. अब अपराधियों पर कार्रवाई की जा रही है, सरकार के प्रयासों की मैं प्रशंसा करता हूं.

उन्होंने कहा कि लगातार हिन्दू समाज को उकसाने का प्रयास किया जा रहा है. लेकिन हम पूरी दुनिया में शांति और सुख की कामना करने वाले लोग हैं. हिन्दू समाज से हम आग्रह करते हैं कि ऐसी घटनाओं का प्रतिकार अपने सांस्कृतिक, धार्मिक संरक्षण एवं संवर्धन को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए. जी-20 को ध्यान में रखते हुए हम अपनी यात्रा पूर्ण करेंगे.

काशी विश्वनाथ प्रकरण पर माननीय न्यायालय में हिन्दू समाज की जीत होगी. ऐसा अध्ययन और वस्तु स्थिति देखने पर मैं अधिवक्ता होने के नाते कह सकता हूं. काशी विश्वनाथ और मथुरा के प्रकरण माननीय न्यायालय द्वारा तय किए जाएंगे. हमें अपनी न्याय व्यवस्था पर पूरा विश्वास है. श्री राम जन्मभूमि आंदोलन की सफलता के बाद काशी और मथुरा में भगवान अपने पूर्व स्वरूप में विराजित होंगे.

विश्व हिन्दू परिषद का लक्ष्य है कि हिन्दू समाज एक सूत्र में बंधा हो, धर्मांतरण और लव जिहाद पर पूर्ण रूप से रोक लगे, हिन्दू धर्म संस्कृति का संवर्धन एवं संरक्षण हो, गौ माता की रक्षा हो. विश्व हिन्दू परिषद अपनी स्थापना के साथ 60 वर्ष पूर्ण करने जा रहा है. हम सब का प्रयास होगा कि हिन्दू समाज अपनी धार्मिक सांस्कृतिक विरासत के आधार पर अजेय शक्ति खड़ी करे.

Saturday, August 19, 2023

हमें छत्रपति शिवाजी के त्याग, 600 सैनिकों के बलिदान और अपनी मिट्टी से जुड़ी पावन खिण्ड दौड़ को अपनाना चाहिए : अनिल ओक

- यह दौड़ भारत की पहचान बताएगी : रमेश जी

पहली पावन खिण्ड दौड़ कानपुर के पश्चात अब सोनभद्र में होगी देश की दूसरी दौड़ का आयोजन

- अखण्ड भारत और हिन्दू साम्राज्य की स्थापना के लिए शिवाजी ने 52 किलोमीटर की लगाई थी दौड़

सोनभद्र|  हम सब को दूसरे देश की मैराथन दौड़ को नहीं ढोना चाहिए| छत्रपति शिवाजी के त्याग और 600 सैनिकों के बलिदान से जुड़ी, अपनी मिट्टी से जुड़ी पावन खिण्ड दौड़ को अपनाना चाहिए, जिसमें भारतीयता और देश के लिए मर मिटने का जज्बा परिलक्षित हो रहा है। यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक जी ने व्यक्त किया| वे शुक्रवार को क्रीड़ा भारती और शहीद उद्यान के संयुक्त तत्वावधान में सोनभद्र के राज सभागार में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे|

     उन्होंने कहा कि ग्रीस और एथेंस से जुड़ी मैराथन दौड़ का न तो कोई सांस्कृतिक इतिहास है न ही उस दौड़ से कोई संदेश मिलता है, जबकि इतिहास के पन्नों में दर्ज वीर शिवाजी द्वारा देश के लिए 52 किमी की दौड़ देश की आत्मा और स्वाभिमान से जुड़ी है। शिवाजी ने अखण्ड भारत और हिन्दू साम्राज्य की स्थापना के लिए यह दौड़ लगायी थी|

     राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक रमेश जी ने कहा कि आने वाले समय में यह दौड़ भारत की पहचान बताएगी और प्रमुख दौड़ बन जाएगी। उन्होंने कहा कि सोनभद्र सौभाग्यशाली है कि उसे इस दौड़ को आयोजित कराने का मौका मिला। पूरा देश सोनभद्र के इस आयोजन से मार्गदर्शन प्राप्त करेगा। विषय प्रवर्तन करते हुए शहीद उद्यान ट्रस्ट के चेयरमैन और वरिष्ठ पत्रकार विजय शंकर चतुर्वेदी ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव समाप्त हो गया है, अब देश अमृत काल में प्रवेश कर गया है। वीर शिवाजी की स्मृतियाँ अमृतकाल में बुनियादी विचारों का सृजन करेंगी जिससे देश परमगौरव को प्राप्त करेगा। कार्यक्रम का शुभारम्भ मंत्रोच्चार के साथ दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया| डॉ. अंजली विक्रम सिंह ने इस सफल आयोजन के लिए सभी का आभार प्रकट किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता राहुल श्रीवास्तव एवं संचालन भोलानाथ मिश्र ने की|

15 नवम्बर को आयोजित है यह दौड़

     बताया गया कि जनजातीय गौरव दिवस, 15 नवम्बर के दिन यह दौड़ आयोजित की जाएगी| इस दौड़ में युवक - युवतियां दोनों भाग लेंगे, धर्मशाला चौराहे से प्रारंभ होकर यह दौड़ शहीद उद्यान पर समाप्त होगी। शीघ्र ही इसकी योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा| सम्पूर्ण कार्यक्रम पर शीघ्र एक बुकलेट जारी की जाएगी।

क्या है पावन खिण्ड दौड़

    भारत को मुगल साम्राज्य से मुक्ति दिलाने के लिए महाराष्ट्र के पन्हालगढ़ से विशालगढ़ तक 52 किमी की दौड़ वीर शिवाजी ने दुर्गम रास्ते को तय करते हुए बरसाती रात्रि के कुछ घण्टों में पूरी की थी। वे गंतव्य तक सुरक्षित पहुंच गए थे लेकिन रास्ते में मुग़लसेना से लड़ते हुए 600 मराठी सैनिको ने बलिदान दिया। इस प्रेरणादायी गौरवगाथा के स्मरण के लिए पहली पावन खिण्ड दौड़ कानपुर में आयोजित की गयी थी, सोनभद्र में देश की दूसरी दौड़ का आयोजन किया जा रहा है।


Wednesday, August 16, 2023

हमें पूर्ण स्वतंत्रता के लिए अपनी परंपरा और संस्कृति को पुनः जागृत - स्थापित करना है : रमेश जी

सुलतानपुर| हम वैधानिक रूप से स्वतंत्र हो गए हैं, पर हमारी भारतीय परंपरा और संस्कृति जिसे दुनिया में प्रशंसा मिलती है, जिस देश का चिंतन सर्वे भवन्तु सुखिनः का रहा हो, वह आज भी स्वतंत्र नही है। हमें उस परंपरा और संस्कृति को पुनः जागृत और स्थापित करना है। हमें अपने स्वभाषा, स्वभूषा और स्वदेशी का स्वजागरण करना है। उक्त विचार सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, विवेकानंद नगर सुलतानपुर में स्वतंत्रता दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काशी प्रान्त प्रचारक श्रीमान रमेश जी ने व्यक्त किया|

    उन्होंने आगे कहा कि यह उत्सव आज हम उत्साहपूर्वक उन ज्ञात-अज्ञात बलिदानियों के कारण मना रहे हैं जिन्होंने अपने सर्वस्व को त्यागकर मातृभूमि को प्राथमिकता पर रखा और देश के लिए बलिदान हुए। हमें उन्हें निरन्तर याद रखना चाहिए। वे हमारे लिए प्रेरणा स्रोत हैं।

    विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए प्रान्त प्रचारक ने कहा कि प्रयागराज व अयोध्याधाम से भारतीय संस्कृति और परंपरा को बोध होता है। फैजाबाद बोलने से वह भाव नही जागृत होता था जो अब अयोध्याधाम से हो रहा है।

     कार्यक्रम के आरम्भ में प्रान्त प्रचारक श्रीमान रमेश जी ने ध्वजारोहण किया। विद्यालय के प्रधानाचार्य बलवंत सिंह ने अतिथियों का परिचय कराया। छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम अंतर्गत राष्ट्रगान व भाषण प्रस्तुत कर मंत्रमुग्ध किया। कार्यक्रम में शारीरिक शिक्षण के छात्रों ने योग प्रदर्शन किया। संचालन वरिष्ठ आचार्य राज नारायण शर्मा ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में विद्यार्थियों के अतिरिक्त स्थानीय संभ्रांत नागरिक एवं अध्यापकगण उपस्थित रहे|


Monday, August 14, 2023

प्रतापगढ़ में मनाया गया अखंड भारत संकल्प दिवस

प्रतापगढ़| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, प्रतापगढ़ के महाविद्यालयीन विद्यार्थी कार्य विभाग द्वारा सोमवार को अखंड भारत संकल्प दिवस का आयोजन प्रताप बहादुर स्नातकोत्तर महाविद्यालय  में किया गया| कार्यक्रम के मुख्य वक्ता विभाग प्रचार प्रमुख डॉ सौरभ पांडेय ने कहा कि भारत सांस्कृतिक दृष्टि से सशक्त और समृद्ध राष्ट्र है| एक समय था जब भारत की सांस्कृतिक और भौगोलिक सीमा विश्व के विस्तृत भूभाग में फैली थी| परिस्थितियों के चलते भौगोलिक सीमा में परिवर्तन हुआ| धीरे-धीरे विदेशी आक्रांताओं के प्रभाव के कारण अनेक प्रकार के सामाजिक परिवर्तन हुए| समय परिवर्तन के साथ हम आत्मविस्मृति में चले गए और अपने गौरवशाली अतीत को भूल गए| आज का दिन "स्व" के जागरण और उसके संकल्प का दिवस है| आज इस बात का स्मरण करें कि हमारा एक गौरवशाली, वीरता से भरा हुआ, समृद्ध, स्वाभिमान युक्त, पूरे विश्व को दिशा देने वाला इतिहास है| भारत में 1947 को स्वाधीनता प्राप्त होने के पश्चात 75 वर्षों की यात्रा में देश का गौरव और आत्मविश्वास बढ़ा है| आज सांस्कृतिक और सामरिक  दृष्टि से भारत पूरे विश्व में सशक्त राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल हुआ है| हमारे पास ज्ञान का अथाह भंडार है| इसके आधार पर पूरे विश्व को दिशा देने में हम सक्षम हैं| आज धर्म, संस्कृति, विज्ञान, पर्यावरण सभी क्षेत्रों में भारत एक समुन्नत राष्ट्र के रूप में स्थापित हुआ है| यह मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम और योगेश्वर श्रीकृष्ण की धरती है| यहां पर हमारे पूर्वजों ने त्याग, करुणा, दया, दान, तप समानता, समरसता का संदेश दिया है| आज अखंड भारत संकल्प दिवस के अवसर पर अपने सांस्कृतिक यात्रा को संपूर्ण विश्व में स्थापित करने की दिशा में बढ़ने का संकल्प लें और अपने गौरवशाली इतिहास को स्मरण करते हुए गर्व की अनुभूति करें| अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर अमित कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि भारतवर्ष को धीरे-धीरे कई बार विखंडित किया गया| 1947 में देश का विभाजन भारत और पाकिस्तान के रूप में किया गया और प्रयास किया गया कि भारत पूरी तरह से विखंडित हो जाए लेकिन सरदार पटेल  ने अपने बुद्धिमता का परिचय देते हुए भारत को वर्तमान स्वरूप प्रदान करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया| मा.जिला संघचालक चिंतामणि द्विवेदी ने कहा कि भारतभूमि हमारी माता है और यहां पर रहने वाले सभी लोग हमारे बंधु हैं| हम सबको राष्ट्र की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए अपना सर्वस्व अर्पित करने का संकल्प लेना चाहिए|

     कार्यक्रम के आरंभ में अतिथियों द्वारा भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन किया गया| इस अवसर पर अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहें|

Tuesday, August 8, 2023

डॉ. मोहन भागवत जी ने काशी में की कामना - ब्रह्मतेज और क्षात्रतेज से पल्लवित होकर भारत विश्वगुरु बने

श्रौत कर्म (अग्निहोत्र), सदाचार और धर्म की वृद्धि के लिए है डॉ. मोहन भागवत जी

काशी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि भारतवासियों की श्रद्धा पूर्वकाल में वेद में थी, वर्तमान में है और भविष्य में भी रहेगी. वर्तमान विज्ञान में अन्तःस्फूर्ति शब्द का प्रयोग हो रहा है. परन्तु यह तथ्य हमारे पूर्वजों को पहले से ही पता था और इसी तथ्य के आधार पर वह सत्य का अन्वेषण करते थे. भारत की उन्नति भौतिक, आर्थिक, सामरिक तो होनी चाहिए, परन्तु आध्यात्मिक और दार्शनिक उन्नति भी अतिआवश्यक है. नहीं तो वह उन्नति वैशिष्ट्य पूर्ण नहीं होगी. वर्तमान समय में आक्रमणों के कारण वेदों की ज्ञान व्यवस्था ध्वस्त हुई है. अमृत महोत्सव वर्ष में भारत का अभ्युदय हो, ऐसा हम सबका प्रयास है. सरसंघचालक जी काशी में चेतसिंह घाट पर आयोजित अग्निहोत्री विद्वान सम्मान समारोह में सम्बोधित कर रहे थे. कांची कामकोटिश्वर पीठ के शंकराचार्य श्री विजयेन्द्र सरस्वती जी के चातुर्मास काशी प्रवास के क्रम में कार्यक्रम आयोजित किया गया था.

उन्होंने कहा कि आज की कठिन परिस्थिति में निष्ठापूर्वक व्रतधारण करके कुछ लोग कार्य कर रहे हैं, उनके कारण वेदों की ज्ञान धारा का रक्षण हो रहा है. ज्ञान, कर्म, भक्ति का मूर्त उदाहरण हमारे अग्निहोत्री वैदिक जन हैं. श्रौत कर्म (अग्निहोत्र), सदाचार और धर्म की वृद्धि के लिए है. वेदों का जतन और अग्निहोत्र धारण कर देवताओं के आह्वान की क्षमता अहिताग्नि विद्वान रखते हैं. ब्रह्मतेज और क्षात्रतेज से पल्लवित भारत विश्व का गुरु बने, यह शुभकामना है. अग्निहोत्री विद्वानों को नमन करते हुए मोहन भागवत जी ने कहा कि आप सभी वेदों का संरक्षण करें, समग्र हिन्दू समाज को खड़ा करना हमारा कार्य है.

जगतगुरु शंकराचार्य जी ने कहा कि मंदिरों को अग्निहोत्री विद्वानों से जोड़ना चाहिए. अग्निहोत्र का कार्य शास्त्रीय पर्यावरण और चिन्तन पर्यावरण के रक्षण हेतु किया जाता है. वर्तमान भारत के विकास के दो आयाम हैं प्रथम डिजिटल इंडिया का विकास और दूसरा डिवाइन इंडिया का विकास. वर्तमान में धर्म समृद्धि आवश्यक है. संघ के कार्यकर्ताओं द्वारा चलने वाली धर्म जागरण एवं कुटुम्ब प्रबोधन गतिविधि इसी तथ्य को आगे बढ़ा रहे हैं. जिस प्रकार माइक्रो इकॉनोमी होती है, उसी प्रकार धर्म का रक्षण करने के लिए माइक्रो चैरिटी होनी चाहिए. काश्मीर से कन्याकुमारी तक मन्दिरों का संरक्षण नीति, नियम निर्वहन से होना चाहिए. वेद अपौरुषेय हैं. इसमें अग्नि उपासना के विषय को पुनः विकसित करना चाहिए.

पंचाग्नि और उसका महत्व

शंकराचार्य जी ने पंचाग्नि और उसके महत्व की चर्चा करते हुए बताया कि विधिपूर्वक अरणी मंथन कर वैदिक रीति से उत्पन्न अग्नि पर आहुति दी जाती है. वह पांच प्रकार की होती है. यह पंचवायु रूप में चित्रित है जो पंचमहाभूत से निर्मित शरीर के लिए अतिआवश्यक है. पंचाग्नि के नाम इस प्रकार हैं गाह्र्यपत्य (प्राणवायु), आह्वनीय (अपानवायु), दक्षिणाग्नि (ज्ञानवायु), आवसभ्य (समानवायु), सभ्य (उदानवायु). अग्निहोत्र श्रौत यज्ञ का एक प्रकार है, जिसे अग्नि पर आधान कर जीवन पर्यंत धारण करना होता है. जिसमें प्रातःकाल सूर्यनारायण और सायंकाल अग्निदेव के लिए हवन होता है. सायंकाल और प्रातःकाल दोनों का समय मिलाकर एक कृत्य होता है.

जो सपत्नीक अग्निहोत्र धारण करता है वो अहिताग्नि या अग्निहोत्री होता है. वर्तमान में पूरे भारत में 140 अग्निहोत्री विद्वान हैं, जिनमें से लगभग सौ विद्वानों ने अग्निहोत्र सभा में भाग लिया.

आद्य शंकराचार्य द्वारा जिस योग लिंग की स्थापना की गयी थी, तब से आज तक उसी प्रकार से योगलिंग और श्रीविद्या की उपासना वर्तमान शंकराचार्य द्वारा भी हो रही है. उसी पूजन परम्परा के साक्षी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक भी हुए.

कार्यक्रम के प्रारम्भ में जगतगुरु शंकराचार्य जी तथा सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने लगभग 45 मिनट तक विभिन्न याग (हवन) में भाग लिया तथा अग्निहोत्री विद्वानों से आशीर्वाद तथा प्रसाद ग्रहण किया. तत्पश्चात सभास्थल पर आयोजित विभिन्न यज्ञ के उपकरणों की प्रदर्शनी तथा एक दर्जन से अधिक यज्ञ विधियों के सन्दर्भ में शंकराचार्य जी द्वारा जानकारी दी गयी. मंच पर विभिन्न विद्वानों द्वारा लिखित पुस्तकों का विमोचन भी किया गया.