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Thursday, May 9, 2024

भ्रामक विज्ञापनों का समर्थन करने वाले प्रसिद्ध व प्रभावशाली लोग भी समान रूप से उत्तरदायी


नई दिल्ली. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा यदि सोशल मीडिया के प्रभावशाली व्यक्ति और प्रसिद्ध हस्तियां भ्रामक विज्ञापनों में उत्पादों या सेवाओं का समर्थन करते हैं तो वे भी समान रूप से उत्तरदायी होंगे.

मंगलवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) के दिशानिर्देश हैं जो प्रभावित करने वालों को भुगतान किए गए समर्थन के बारे में पारदर्शी होने के लिए कहते हैं.

न्यायालय ने कहा –

हमारा मानना है कि विज्ञापनदाता या विज्ञापन एजेंसियां या समर्थनकर्ता झूठे और भ्रामक विज्ञापन जारी करने के लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं. प्रभावशाली लोगों, प्रसिद्ध हस्तियों आदि द्वारा समर्थन, किसी उत्पाद को बढ़ावा देने में बहुत सहायता करता है और उनके लिए यह अनिवार्य है कि विज्ञापनों के दौरान किसी भी उत्पाद का समर्थन करते समय जिम्मेदारी के साथ कार्य करें.”

न्यायालय ने जोर दिया कि प्रभावशाली लोगों और मशहूर हस्तियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे किसी भी उत्पाद का प्रचार करते समय सीसीपीए दिशानिर्देशों का अनुपालन करें और जनता के विश्वास का दुरुपयोग न करें.

ये सीसीपीए दिशानिर्देश और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत अन्य प्रावधान यह सुनिश्चित करने के लिए हैं कि उपभोक्ता बाजार से खरीदे गए उत्पादों, खासकर स्वास्थ्य और खाद्य क्षेत्रों के बारे में जागरूक हो.

न्यायालयों ने टीवी प्रसारकों और प्रिंट मीडिया को स्व-घोषणा पत्र दाखिल करने का निर्देश देते हुए एक अंतरिम आदेश भी पारित किया, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाए कि उनके मंच पर प्रकाशित या प्रसारित कोई भी विज्ञापन भारत में कानूनों जैसे कि केबल टीवी नेटवर्क नियम 1994 और विज्ञापन संहिता के अनुरूप है.

यह स्व-घोषणा प्रपत्र विज्ञापन प्रसारित होने से पहले दाखिल किया जाना है.

न्यायालय ने कहा कि “हम वहां (विज्ञापनदाताओं द्वारा स्व-घोषणा प्रस्तुत करने में) बहुत अधिक लालफीताशाही नहीं चाहते हैं. हम विज्ञापनदाताओं के लिए विज्ञापन देना कठिन नहीं बनाना चाहते. हम केवल यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि जिम्मेदारी तय हो”.

केंद्र सरकार को प्रिंट मीडिया पर विज्ञापनों के लिए ऐसे स्व-घोषणा पत्र दाखिल करने के लिए एक नया पोर्टल स्थापित करने का आदेश दिया. न्यायालय ने कहा, यह पोर्टल चार सप्ताह के भीतर स्थापित किया जाना है.

Tuesday, May 7, 2024

राम मन्दिर की जगह बाबरी बनाने जैसे दिवास्वप्न साकार नहीं होंगे

 

नई दिल्ली. पूर्व कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद द्वारा राम मंदिर पर कांग्रेस नेता को लेकर किये गए दावे के बाद विश्व हिन्दू परिषद ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की. विहिप ने कहा कि राम मन्दिर की जगह बाबरी बनाने जैसे दिवास्वप्न साकार नहीं होंगे.

विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संयुक्त महासचिव डॉ. सुरेंद्र जैन ने कहा कि कांग्रेस के एक पूर्व वरिष्ठ नेता ने यह खुलासा किया है कि राहुल गांधी सत्ता में आने के बाद राम मंदिर की जगह बाबरी मस्जिद बनाएंगे, चाहे उसके लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को बदलने के लिए शाहबानो की तरह संविधान में संशोधन करना पड़े. इसका अभी तक किसी ने खंडन भी नहीं किया है. इसका मतलब उन्होंने इस आरोप को स्वीकार कर लिया है.

डॉ. जैन ने कहा कि इंडी गठबंधन का यह निर्णय विश्व के करोड़ों राम भक्तों के लिए एक बड़ी चुनौती है. राम मंदिर की जगह बाबरी मस्जिद बनाने के इरादों का राम भक्त हमेशा की तरह मुंह तोड़ जवाब देंगे. इंडी गठबंधन का सनातन विरोधी व राम विरोधी चरित्र बार-बार सामने आता रहा है. इस अपवित्र गठबंधन के सदस्यों ने ही अयोध्या में कारसेवकों का नरसंहार किया था और गोधरा में 59 कारसेवकों को जिंदा जलाने वालों का साथ दिया था. कांग्रेस ने तो राम मंदिर के निर्णय को लटकाने व भटकाने के लिए वरिष्ठ वकीलों की एक फौज खड़ी कर दी थी. तब भी राम भक्तों के संकल्प के सामने किसी के भी राम मंदिर विरोधी षड्यंत्र सफल नहीं हो सके और भव्य राम मंदिर का निर्माण हो गया तो उन्होंने यह नया प्रपंच रचा है.

ये लोग सत्ता में आने पर संविधान को बदल देना चाहते हैं और राम मंदिर की जगह बाबरी मस्जिद बनाना चाहते हैं. इन्होंने अपने इरादे पहले ही बता दिए हैं. इसलिए ऐसे नेता बार-बार बाबरी की बात करके समाज को भड़काते हैं. छोटे-छोटे बच्चे भी  यही जहर भरे हुए नारे लगा रहे हैं.

विहिप राम भक्तों का आह्वान करती है कि अपने मतदान द्वारा इन राम विरोधी और राष्ट्र विरोधी षडयंत्रों को असफल करें. वे मतदान अवश्य करें. “शत प्रतिशत मतदान और राष्ट्र के हित में मतदान”, हमारा यही संकल्प इन राष्ट्र विरोधी तत्वों को मुंहतोड़ जवाब देने में सफल होगा.

 

Wednesday, May 1, 2024

जूना अखाड़े की अनूठी पहल – अनुसूचित समाज के तपस्वी, ज्ञानवान साधुओं को भी महामंडलेश्वर की उपाधि


भगवान दत्तात्रेय व प्रभु श्रीराम की भक्ति में लीन महेंद्रानंद गिरि जी को जूना अखाड़ा ने जगद्गुरु की उपाधि प्रदान की. महेंद्रानंद गिरि जी वंचित समाज से आते हैं, लेकिन धर्म के प्रति उनके समर्पण के कारण जगदगुरु की उपाधि प्रदान की गई. अब महेंद्रानंद गिरी जी वंचित समाज के अन्य लोगों को सनातन धर्म से जोड़ने के अभियान में जुटे हैं.

वर्ष 2018 में महामंडलेश्वर बनने वाले वंचित समाज के कन्हैया प्रभुनंद गिरि जी कहते हैं – धर्मगुरु बनने के बाद उनका जीवन बदल गया. जो हेय दृष्टि से देखते थे, वे सम्मान करने लगे. महामंडलेश्वर बनने के पश्चात शिक्षा, सेवा प्रकल्प चलाकर मतांतरण रोकने के अभियान में जुटा हूं. कुछ ऐसे ही भाव इसी समाज के कैलाशानंद गिरि जी के हैं. जूना अखाड़ा ने इन्हें भी महामंडलेश्वर बनाया है.

इधर, अखाड़े ने आदिवासियों व वंचित समाज के संन्यासियों को महामंडलेश्वर बनाने का अभियान तेज कर दिया है. दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, अभी तक 52 आदिवासियों का चयन महामंडलेश्वर बनाने के लिए किया है. लोभ-भय, समाज से उपेक्षित व सरकारी सुविधाओं से वंचित लोग मतांतरण करते हैं. इनके घनत्व वाले क्षेत्रों में ईसाई मिशनरियां सक्रिय हैं. इसे देखते हुए जूना अखाड़ा के संन्यासी इनके बीच समय व्यतीत करके उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने में जुटे हैं. मेल-मिलाप करके उनके बीच के व्यक्ति को धर्मगुरु बनाने की योजना है.

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, गुजरात और महाराष्ट्र में आदिवासी एवं वंचित समाज के व्यापक घनत्व वाले क्षेत्रों के प्रभावशाली लोगों को अखाड़े से जोड़ा जा रहा है. इसमें कर्मकांड व सनातन धर्म में आस्था रखने वालों को महाकुंभ-2025 में महामंडलेश्वर की उपाधि प्रदान की जाएगी. अभी तक मध्य प्रदेश से पांच, छत्तीसगढ़ से 12, झारखंड से आठ, गुजरात से 15 और महाराष्ट्र के आदिवासी क्षेत्रों से 12 लोगों को महामंडलेश्वर बनाने के लिए चुना गया है.

जूना अखाड़ा ने पिछले 10 वर्षों में 5,150 से अधिक वंचित समाज के संन्यासियों को सनातन धर्म से जोड़ा है. इनके बीच से योग्य लोग महामंडलेश्वर बनाए जाएंगे. जूना अखाड़ा के सभापति श्रीमहंत प्रेम गिरि जी कहते हैं कि पद जाति से नहीं, योग्यता के आधार पर मिलना चाहिए. इसी कारण अखाड़े ने आदिवासी एवं वंचित समाज के योग्य लोगों को महामंडलेश्वर बनाने का निर्णय लिया है.

पद के लिए देनी होती है परीक्षा

जूना अखाड़ा में महामंडलेश्वर पद के लिए संबंधित को परीक्षा देनी पड़ती है. उन्हें पहले अखाड़े के किसी आश्रम से जोड़कर सनातन धर्म के ग्रंथों का अध्ययन कराया जाता है. अगर अनपढ़ हैं तो उन्हें पढ़े-लिखे संन्यासी धर्मग्रंथों का मर्म आत्मसात कराते हैं. घर-परिवार से दूर रहकर भक्ति व त्याग वाली दिनचर्या अपनानी होती है. पांच वर्ष तक इसमें खरा उतरने वालों को पद दिया जाता है.

आज चार लोग बनेंगे महामंडलेश्वर

जूना अखाड़ा ने 30 अप्रैल को गुजरात के सायंस सिटी सोला अहमदाबाद में पट्टाभिषेक समारोह का आयोजन किया है. इसमें वंचित समाज के संन्यासियों का महामंडलेश्वर पद का पट्टाभिषेक होगा. इसमें मंगल दास जी, प्रेम दास जी, हरि प्रसाद जी व मोहन दास बापू जी को महामंडलेश्वर बनाया जाएगा. इनके साथ लगभग पांच हजार लोग सनातन धर्म से जुड़ेंगे.