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Saturday, September 7, 2024

विदेशी ताकते रच रही भारत के विरुद्ध षड्यंत्र- मिलिंद परांडे



वाराणसी. मिलिंद परांडे ने कहा कि कुछ विदेशी ताकतों तथा विधर्मियों द्वारा सनातन धर्म एवं हिन्दू संस्कृति के खिलाफ लगातार षड्यंत्र रचा जा रहा, इस संबंध में प्रबुद्धजनों को सतर्क रहना होगा. विश्व के कुछ देशों को भारत का उत्थान सहन नहीं हो रहा, वे यहां लंगड़ी सरकार चाहते हैं जिससे उनकी बादशाहत कायम रहे.

विश्व हिन्दू परिषद काशी प्रांत द्वारा शुक्रवार को आयोजित (रामाश्रय वाटिका) कचहरी तथा बीएचयू के वैदिक विज्ञान केंद्र में प्रबुद्धजनों की गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे जी ने संबोधित किया.

उन्होंने कहा कि कट्टर विधर्मियों के साथ ग्लोबल मार्केट के खिलाड़ी हमारी संस्कृति के खिलाफ नया-नया कुचक्र रच कर अपना नेरेटिव सेट कर रहे हैं. कई देश चाहते हैं कि भारत में हिन्दू समाज खंड-खंड में विभक्त रहे, जिससे उनकी दुकानदारी चलती रहे. कट्टरवादियों के साथ मिलकर कुछ देश जनता द्वारा चुनी सरकारों को कमजोर करने का कुचक्र रचते हैं. बांग्लादेश में चुनी गई सरकार को उखाड़ फेंकना व हिन्दू समाज पर जघन्य हमला, उसी का हिस्सा था. भारत में भी बांग्लादेश जैसा जघन्य कृत्य करने की धमकी दी गई है. ऐसे में हिन्दू समाज को एकत्रित होकर ऐसी ताकतों का कड़ा प्रतिकार करना होगा.

मिलिंद परांडे ने कहा कि 1947 में देश आजाद हुआ, लेकिन उसके पूर्व हजारों साल तक हमारी संस्कृति पर आक्रमण होता रहा. सनातन संस्कृति को मिटाने की लाख प्रयास हुए, लेकिन हम फिर से उठ खड़े हुए. आज पूरी दुनिया भारत का लोहा मान रही है. प्रबुद्धजनों को यह समझना होगा कि एक तरफ हम विश्व की तीसरी आर्थिक शक्ति बनने जा रहे हैं तो दूसरी तरफ विदेशी षड्यंत्र और कट्टरवादियों के खतरे से भी हम जूझ रहे हैं. देश को कमजोर करने के लिए ऐसे षड्यंत्र रचे जा रहे हैं, ताकि हिन्दू समाज युवा, महिला, अनुसूचित जाति, अगड़ा-पिछड़ा में अलग-अलग बँट जाए. इस चुनौती से लड़ने के लिए युवा शक्ति को जागृत कर समाज की एकता के लिए सभी को संकल्पित होना होगा.

उन्होंने कहा कि 16वीं शताब्दी तक समूचे विश्व की 35% संपदा भारत के पास रही जो 17वीं सदी तक घटकर 22 प्रतिशत रह गई. 21वीं सदी में भारत फिर से आर्थिक, सामरिक क्षेत्र में अपना डंका बजाने लगा है तो विश्व के कुछ बड़े देश जलने लगे. वसुधैव कुटुंबकम की राह पर चलने वाले हम वो पथिक हैं जो कभी विश्व गुरु रहे. महर्षि अरविंद ने भी कहा था कि भारत की स्वाधीनता स्वयं के लिए नहीं, बल्कि विश्व कल्याण के लिए है.

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में कार्यक्रम के अध्यक्ष विश्व वैदिक विज्ञान केंद्र के समन्वयक प्रोफेसर उपेंद्र कुमार त्रिपाठी ने महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के जीवन वृत्त पर चर्चा की.

कार्यक्रम में विश्व हिंदू परिषद पूर्वी उ०प्र० के क्षेत्र संगठन मंत्री गजेंद्र जी, काशी प्रांत के अध्यक्ष कविंद्र प्रताप सिंह, सह मंत्री सत्य प्रकाश सिंह, डॉ० हरेंद्र राय, प्रतिभा दीदी, काशी उत्तर भाग के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश पांडेय, काशी दक्षिण के अध्यक्ष सच्चिदानंद सिंह, काशी ग्रामीण के जिला अध्यक्ष राजेश पांडे, सेंट्रल बार के अध्यक्ष मुरलीधर सिंह बनारस बार के अध्यक्ष अवधेश जी समेत अनेक प्रोफेसर, विद्वत् जन एवं वरिष्ठ अधिवक्ता गण उपस्थित रहे. संचालन काशी ग्रामीण जिला मंत्री पवन जी ने किया.





Wednesday, September 4, 2024

संवेदनशील, दायित्ववान नागरिक ही सर्वोच्च राष्ट्र का निर्माता - रमेश कुमार


काशीl जिस समाज जिस देश में हमको रहना है उसे हमें ही सुंदर बनाकर रखना होगाl एक दायित्ववान और संवेदनशील नागरिक ही सर्वोच्च राष्ट्र के प्रति चिंतन करता हैl राष्ट्र में यदि बदलाव लाना है तो सभी नागरिकों द्वारा सकारात्मक प्रयासों से ही यह कार्य संभव हो सकता हैl उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, पंच संकल्प समिति, काशी दक्षिण भाग द्वारा काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित सामाजिक विज्ञान संकाय के समता भवन में आयोजित  संगोष्ठी - नागरिक कर्तव्य बोध एवं उसका निर्वहन में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, काशी प्रांत के प्रान्त प्रचारक रमेश कुमार ने व्यक्त कियाl प्रान्त प्रचारक ने कहा कि सभ्य राष्ट्र के नागरिकों के लिए नियम कानून का पालन आवश्यक है। उदाहरण स्वरूप यातायात के नियमों का पालन करना, वाहन को सही स्थिति में पार्किंग में खड़ा करना, अपने बाएँ ओर से चलना, शुद्ध जल वायु इत्यादि के लिए पर्यावरण का संरक्षणl नागरिक किसी भी विचारधारा के हों, परंतु सबको प्राकृतिक होगाl संविधान की चर्चा करते हुए मुख्य वक्ता ने कहा कि राष्ट्र की संपत्ति की सुरक्षा, स्वच्छता प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य हैl दोष मुक्त समाज का निर्माण, नशाखोरी पर लगाम, अनर्गल व्यसनों से युवा पीढ़ी को बचाने का काम यह सब सभ्य नागरिक का कर्तव्य हैl

नागरिक कर्तव्य में सेवा कार्यों के उल्लेख करते हुए कोरोना काल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों द्वारा किए गए सेवा कार्यों का उल्लेख भी मुख्य वक्ता ने कियाl शांति और सद्भाव रहने से समृद्धि अपने आप आती हैl रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी उल्लेख किया है कि जहां सुमति तहां संपति नाना।

संगोष्ठी में भारत अध्ययन केंद्र के समन्वयक प्रोफेसर सदाशिव द्विवेदी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि भारत में उत्पन्न सभी विषयों का एकमात्र उद्देश्य था लोक का नियमन और यदि कर्तव्य बोध से कोई हटता है तो उसकी रक्षा हेतु समय-समय पर शास्त्र की रचना की गईl जनमानस को उसके कर्तव्य बोध पर चलाने के लिए पुराण की रचना की गयीl भारत के ऋषि परंपरा ने सर्वस्व का त्याग करके अत्यंत कर्त्तव्यशील होते हुए समाज हित में कार्य करने की शिक्षा दी हैl अधिकार एवं कर्तव्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैंl वर्तमान स्थिति में कर्तव्य बोध की चर्चा इसलिए आवश्यक है कि इस समय मनुष्य संवेदना से विहीन हो रहा हैl वक्ता ने नारी शक्ति के कर्तव्य बोध की चर्चा करते हुए कहा कि भारत में शक्ति और प्रकृति के सिद्धांत को सर्वोपरि रखा गया हैl

कार्यक्रम में दूसरे वक्ता के रूप में निवेदिता शिक्षा सदन इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्य डॉ0 आनंद प्रभा सिंह जी ने कहा कि वर्तमान पीढ़ी का अपने अधिकारों पर ध्यान अधिक है, कर्तव्य पर ध्यान की अपेक्षाl

नागरिक कर्तव्य बोध के लिए समाज के भीतर जाकर तथा कथित सभ्य समाज के मध्य उसका निर्वहन करवाना आवश्यक हैl वक्त ने कहा कि पश्चिम बंगाल जैसी घटनाएं नियम कानून बनाने से नहीं रुकती वह कर्तव्य बोध निर्वहन से ही रुक सकेंगी मानवीय संवेदनाओं की जागृति आवश्यक हैl वर्तमान समाज ने आत्मीय संबंधों को विस्मृत कर दिया हैl यदि हमें पन्नाधाय, जीजाबाई, लक्ष्मीबाई, अहिल्याबाई जैसे वीर संताने  पुनः पैदा करनी है तो महिलाओं में कर्तव्य बोध की भूमिका को बढ़ाना होगाl भारतीय थल सेना मध्य कमान लखनऊ के कर्नल आदित्यदेव ने कहा कि सैनिकों का जो कर्तव्य सीमा पर होता है वही नागरिक कर्तव्य बोध प्रत्येक नागरिक का देश के प्रति होना चाहिए। यदि हमारे अंदर नैतिक बल है तो कोई भी काम हम आसानी से कर सकते हैंl देश से हम काफी उम्मीदें रखते हैं परंतु हम देश के लिए क्या कर सकते हैं यह महत्वपूर्ण विचार हैl वास्तव में नागरिक कर्तव्य बोध के स्थान पर नागरिक चेतना का विमर्श अधिक उपयोगी होगाl

संविधान का अनुच्छेद 51(A) में स्पष्ट वर्णित है कि मौलिक कर्तव्य मौलिक अधिकार से पहले आते हैंl अपना देश जिस प्रकार आंतरिक और वाह्य रूप से दुश्मनों से घिरा हुआ है ऐसे में हर नागरिक को सुरक्षा चेतना भी होनी चाहिएl
वक्ता ने कई पूर्व बलिदानी सैनिकों के संस्मरण भी सुनाएंl

कार्यक्रम के प्रारंभ मंचासीन अतिथियों द्वारा महामना मदन मोहन मालवीय जी की प्रतिमा एवं भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन करके किया गयाl के. वेंकटरमन घनपाठी द्वारा मंगलाचरण की प्रस्तुति की गईl काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र शनि रस्तोगी ने विश्वविद्यालय का कुल गीत प्रस्तुत कियाl विषय स्थापना राजनीति विज्ञान विभाग के प्रो0 हेमंत मालवीय द्वारा की गईl सुश्री गोपा गौतम के वंदे मातरम गायन से संगोष्ठी का समापन हुआl कार्यक्रम का संचालन सुनील कुमार द्विवेदी एवं धन्यवाद ज्ञापन कृष्णमोहन द्वारा किया गयाl

इस अवसर पर काशी दक्षिण भाग के मा. भाग संघचालक अरुण, काशी प्रांत के सह प्रांतकार्यवाह राकेश, काशी विभाग के विभाग प्रचारक नितिन सहित बड़ी संख्या में वरिष्ठ गणमान्य नागरिक एवं माता भगिनी उपस्थित थीl