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Thursday, October 16, 2025

संघ का शताब्दी वर्ष हिंदुओं की एकजुटता की गांठ को मजबूत करने का कालखण्ड — सुभाष जी

प्रतापगढ़/कुण्डा। संघ का शताब्दी वर्ष हिंदुओं की एकजुटता की गांठ को मजबूत करने का एक कालखण्ड है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की संकल्पना का एकमात्र उद्देश्य मानव मात्र का कल्याण रहा है। उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र प्रचार प्रमुख सुभाष जी ने व्यक्त किया।

प्रतापगढ़ नगर के अर्जुन बस्ती में आयोजित श्री विजयादशमी उत्सव, शस्त्र पूजन व पथ संचलन का कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए सुभाष जी ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 100 वर्ष पूर्ण कर चुका है इस यात्रा में संघ ने समाज को परिष्कृत करने के लिए विविध प्रकार के उपक्रम किए। वास्तव में हिमालय के उत्तर में बसा हुआ यह राष्ट्र पूरे विश्व को शैक्षिक दृष्टि से एवं आध्यात्मिक दृष्टि से तथा तकनीकी दृष्टि से प्राचीन काल से ही दिशा देने का काम करता रहा है। यही नहीं हिंदुस्तान का वैदिक कालीन विचार व इसके पूर्व के कॉल खंडो में भी ऋषियों ने मुनियों ने देशकाल परिस्थित के अनुसार राष्ट्र की उन्नति में अग्रणी भूमिका निभाई है। किसी समय में भारत पूरी दुनिया का गुरु था। भारत ने ही पूरे विश्व को शून्य और रेखा गणित देकर समृद्ध किया। विगत के कॉल खंडो में हिंदू समाज विभिन्न जातियों में बिखरा हुआ था जिसका कारण था कि हमारा देश हजारों वर्ष तक पराधीनता की बेड़ियो में जकड़ा रहा। इन्हीं कारणों से डॉक्टर हेडगेवार जी ने संघ की शाखा चलाने का निर्णय लिया। जिसका उद्देश्य था भारतीय संस्कृति के अनुसार एवं भारतीय वातावरण के अनुसार व्यक्ति का निर्माण हो सके तभी देश और राष्ट्र की उन्नति संभव है। 

कुण्डा जिले के लालगंज नगर में आयोजित विजयदशमी उत्सव पर स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान राम की विजय धर्म की विजय थी। भगवान राम की विजय सत्य की विजय थी और संगठित शक्ति की विजय थी। भगवान राम की सेना में एक अच्छा नियोजन था जिसके कारण रावण का संघार किया। डॉक्टर हेडगेवार ने इतिहास का अवलोकन किया था और उन्होंने यह सोचा कि देश कभी पराधीन ना हो इसलिए हमें हिंदू समाज के संगठन की आवश्यकता है यही कारण है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की गई। संघ का उद्देश्य है धर्म की जय हो यानी भारत के रहने वाले लोग धर्म के अनुसार अपनी संस्कृति के अनुसार अपना आचरण करेंगे और आलस्य को त्याग कर ,सत्य के मार्ग पर चलना और सब के हित का चिंतन करना तभी विश्व का कल्याण हो सकता है। सर्वे भवंतु सुखिना की भावना सभी के मन मस्तिष्क में होनी चाहिए। इसलिए हमें व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण की तरफ बढ़ना चाहिए तभी हम भारत के वैभव को स्थापित कर सकते हैं। शताब्दी वर्ष में नागरिक कर्तव्य, कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, पर्यावरण तथा स्व का जागरण जैसे विषयों को लेकर हमे समाज में सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में काम करने का संकल्प लेना चाहिए।  कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉक्टर महेंद्र मिश्रा ने किया। विभाग कार्यवाह हरीश जी उपस्थित रहे। इस अवसर पर जिला कार्यवाह हेमंत कुमार, विभाग प्रचार प्रमुख प्रभा शंकर पांडे, जिला प्रचार प्रमुख अंकुर श्रीवास्तव, नगर कार्यवाह अंकित आदि उपस्थित रहे।





Monday, October 13, 2025

हिन्दू धर्म और संस्कृति की रक्षा हिन्दू नवयुवकों द्वारा ही सम्भव — रामाशीष जी

1925 से संघ ने केवल एक ही कार्य किया है ,स्वयंसेवकों का व्यक्तित्व निर्माण - नितिन जी


काशी। हिन्दू धर्म और संस्कृति की रक्षा हिन्दू नवयुवकों द्वारा ही सम्भव है। वर्तमान हिन्दू नवयुवक अपने इतिहास से अनभिज्ञ है, जबकि इतिहास के पाठ को अपने जीवन में सम्मिलित करना आवश्यक है। उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी दक्षिण भाग में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित एनसीसी ग्राउण्ड में मुख्य वक्ता के रूप में प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य रामाशीष जी ने व्यक्त किये।

संघ बना रहा समरस समाज

विजयादशमी उत्सव एवं पथ संचलन कार्यक्रम में स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए मुख्य वक्ता ने कहा कि संघ का उद्देश्य राष्ट्र के लिए ऐसे नागरकि का निर्माण करना है जिसमें छुआछूत का भेदभाव न हो। संघ ''ना हिन्दू पतितो भवेत'' की भावना के साथ समरस समाज बना रहा है। वर्तमान भारत की स्थिति पर रामाशीष जी ने कहा कि यहां ऐसे देशभक्त उत्पन्न हो गये है जिनकी निष्ठा वक्फ, मक्का या पाकिस्तान के साथ है। ऐसे लोग भारत के टुकड़े होने पर विचलित नहीं होंगे। वह हिन्दू समाज ही है, जो भारत माता के प्रति आत्मीय भाव रखता है। डाक्टर हेडगेवार जी ने संघ स्थापना के समय यह उद्देश्य स्पष्ट किया था कि हिन्दुओं को अपनी संस्कृति पर हो रहे वाह्य एवं आन्तरिक आक्रमणों का निदान करना होगा। संघ संस्थापक डा0 हेडगेवार के जीवन कथा के बारे में वक्ता ने कहा कि डाक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने जन्म से ही देशभक्ति को दिखाया। यह राष्ट्र भक्ति केवल ट्रेन से फेंक दिये जाने के फलस्वरूप उत्पन्न नहीं हुई।

स्वतंत्रता संग्राम में संघ संस्थापक का योगदान

संघ के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान की भूमिका पर वक्ता ने कहा कि डाक्टर साहब के जीवन में ऐसी अनेक घटनाएं हैं जो उन्हें क्रांतिकारी सिद्ध करती हैं। इन्होंने लोकमान्य तिलक, महिर्षि अरविन्द के साथ भी स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया था। भगिनी निवेदिता द्वारा स्थापित अनुशीलन समिति में डाक्टर साहब क्रांतिकारियों के सहायक थे। संघ शताब्दी वर्ष में पंच परिवर्तन को सामान्य जीवन में अपनाने का आग्रह भी वक्ता ने अपने वक्तव्य में किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो0 एस.एन संखवार ने एनएमओ के सेवा कार्य की विस्तृत चर्चा की। स्वयंसेवकों को राष्ट्र प्रथम की भावना अपने हृदय में सदैव संरक्षित करनी चाहिए। कार्यक्रम के प्रारम्भ में मालवीय नगर के माननीय संघचालक प्रो0 विवेक पाठक सहित मंचस्थ अतिथियों ने शस्त्र पूजन किया। अमृत वचन कुणाल, एकल गीत सौरभ एवं संचालन पुण्यांश ने किया। प्रार्थना के पश्चात पूर्ण गणवेश में स्वयंसेवकों ने घोष की धुन पर पथ संचलन किया। पथ संचलन आईआईटी बीएचयू एनसीसी ग्राउण्ड से निकलकर आईआईटी चौराहा, हैदराबाद गेट से धनराजगिरी छात्रावास चौराहा होते हुए कार्यक्रम स्थल पहुंचा l

1925 से संघ ने केवल एक ही कार्य किया हैस्वयंसेवकों का व्यक्तित्व निर्माण - नितिन जी

काशीl अपने स्थापना काल से संघ केवल एक ही कार्य कर रहा है, स्वयंसेवकों का व्यक्तित्व निर्माण l संघ में एक सूक्ति प्रचलित है, संघ कुछ नहीं करता स्वयंसेवक कुछ नहीं छोड़ताl

संघ की शाखा में व्यक्ति निजी स्वार्थ का त्याग कर केवल राष्ट्रभक्ति को अपना ध्येय मानता हैl उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ,काशी दक्षिण भाग के शिवाला बस्ती में काशी विभाग के विभाग प्रचारक नितिन जी ने व्यक्त किएl विजयादशमी उत्सव एवं पथ संचलन कार्यक्रम में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता ने कहा कि संघ के 100 वर्षों के इतिहास में उस पर तीन बार बड़े प्रतिबंध लगाए गए परंतु हर बार संघ ने उन चुनौतियों से पार पायाl

जब संघ पर 1948 में प्रथम प्रतिबंध लगा था तब स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए गुरु जी ने कहा था ,कि यदि दांत के बीच में जीभ आ जाए तो दांत को तोड़ा नहीं करतेl संघ पर दूसरा बड़ा प्रबंध 1975 में आपातकाल के समय में लगा थाl उस समय संघ के तृतीय सरसंघ चालक बाला साहब देवरस जी ने कहा था की आज जो समाज हम पर आरोप लगा रहा हैं ,वही समाज हमें आरोप से मुक्त करेगाl वर्ष 2008 में जब भगवा आतंकवाद नाम से एक नए विमर्श को हवा दी गई तब भी प्रतिबंध लगाने की योजना थी, परंतु संघ की समाज में व्यापकता के कारण  सफलता नहीं मिलीl

शताब्दी वर्ष में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में चलने वाले वर्ष भर के कार्यक्रमों की चर्चा करते हुए वक्ता ने बताया कि आगामी नवंबर माह में घर-घर संपर्क अभियान, दिसंबर माह में वृहद हिंदू सम्मेलन, जनवरी माह में युवाओं की भूमिका पर आधारित कार्यक्रम, फरवरी माह में सद्भाव बैठक, अगस्त, 2026 में प्रमुख नागरिक संगोष्ठी तथा सितंबर माह में सर्वत्र शाखा की योजना बनी हैl

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कांचीकाम कोटेश्वर मठ के प्रबंधक सुब्रमण्यम मणि जी ने बताया कि काशी में संघ के आरंभ से ही कई सारे महापुरुषों का संघ से जुड़ाव बना रहा उन्होंने  शंकर तत्ववादी, गोविंदाचार्य जी  की चर्चा कीशिवाला बस्ती में शाखा पर कार्यक्रम का संचालन शाखा कार्यवाह रंजीत, एकल गीत जयप्रकाश ने प्रस्तुत कियाl

कार्यक्रम के अंत में स्वयंसेवकों द्वारा गणवेश में पथ संचलन किया गया जो शिवाला  से सोनारपूरा चौराहा एवं पुनः हरिश्चंद्र घाट होते हुए माता आनंदमई अस्पताल के पास से वापस शाखा पर आकर समाप्त हुआl

कार्यक्रम में मुख्य रूप से गंगानगर के माननीय संघ चालक के वेंकटरमन घनपाठी,काशी दक्षिण भाग के सहभाग कार्यवाह सौरभ सहित बड़ी संख्या में स्वयंसेवक उपस्थित थेl

इसके अतिरिक्त काशी दक्षिण भाग के कर्दमेश्वर नगर में अभिनव जी, शूलटनकेेश्वर नगर में काशी विभाग के महाविद्यालय कार्य प्रमुख आशुतोष जी, हनुमान नगर में कृष्णकांत जी ने विजयादशमी उत्सव एवं पद संचलन के कार्यक्रम को संबोधित कियाl






पंच संकल्प हमारे आचरण में उतरेगा तो एक नए और स्वस्थ भारत का स्वरूप दिखेगा - मुरली पाल

यमुनापार। पंच संकल्प हमारे आचरण में उतरेगा तो एक नए और स्वस्थ भारत का स्वरूप दिखेगा। उक्त विचार मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी प्रांत के प्रांत कार्यवाह मुरली पाल ने व्यक्त किया। प्रयागराज के यमुनापार जिले  के उरुवाखंड के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शुकुलपुर मंडल के कार्यकर्ताओं ने जवनिया स्थित सिद्धेश्वर महादेव मंदिर परिसर में विजयादशमी के उपलक्ष्य में शस्त्र पूजन कर उत्सव मनाया। पथ संचलन से पूर्व स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता ने कहा कि मानवकृत प्रयास और ईश्वरीय कृपा के मिलन बिंदु पर एक शंखनाद होता है जो विजय का संकेत देता है। संघ कार्य भी एक ईश्वरीय कार्य है। स्वयंसेवकों के तन मन धन और निःस्वार्थ भाव से किए जा रहे प्रयास से संगठन यशस्वी हो रहा है। इसी के बल पर संघ स्थापना के इस शताब्दी वर्ष में हमें जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विजय अवश्य मिलेगी। भारत पुनः परम वैभव के शिखर पर पहुंचेगा और विश्वगुरू के रूप में पूरे विश्व का मार्गदर्शन करेगा।

उन्होंने कहा शताब्दी वर्ष में सात विषयों के लेकर आगामी एक वर्ष की कार्य योजना के साथ हम समाज के लोगों के साथ मिलकर कार्य करने वाले है। विजयादशमी उत्सव से शुरुआत करके उत्साह के साथ विजय अभियान के लिए हम निकल पड़े है। विजयकी पटकथा लिखने का यही आधार है। इसके बाद घर घर संपर्क की व्यापक योजना बनाई गई है तो सुप्त शक्ति के जागरण, सज्जन शक्ति और नारी शक्ति के साथ मिलकर संघ प्रत्येक मंडल और बस्ती में हिंदू सम्मेलन करके जन चेतना की अलख जगाएगा।युवाओं के लिए कार्यक्रम के साथ ही सामाजिक सद्भाव की बैठकों के जरिए एकजुट भेदरहित समाज के वातावरण का संदेश हम विश्व को देगे। इतना ही नहीं प्रमुख नागरिक गोष्ठी कर देश निर्माण में सबकी भूमिका तय करना संघ शताब्दी की सार्थकता है। आगामी विजयादशमी तक सर्वत्र शाखा का माहौल तैयार हो जाय इसके लिए हम कृत संकल्प है। ऐसा परिवर्तन होते ही एक नए भारत का स्वरूप दिखेगा किंतु इसके लिए हमें पंच संकल्प को आचरण में उतारना पड़ेगा।सामाजिक समरसता,कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण,स्व की भावना और नागरिक कर्तव्य जैसे पंच परिवर्तन के विषय से ही हम समाज परिवर्तन में समर्थ होंगे। समाज परिवर्तन होते ही हम देश ही नहीं विश्व में शांति एवं कल्याण स्थापित करने में सफल होंगे और विश्वगुरू बनकर दुनिया का मार्गदर्शन करेंगे। अध्यक्षता उमाशंकर तथा संचालन खंड कार्यवाह डा अभय राय ने किया। मुख्यरूप से जिला कार्यवाह ब्रह्मप्रताप  प्रोफेसर आनंद पाल अखिलेश्वर राहुल अमलेश पवन रोहित शाश्वत विहिप के जिला उपाध्यक्ष रमाकांत दर्जनों लोगों की सक्रिय सहभागिता रही।

Monday, October 6, 2025

बाल व तरूण स्वयंसेवकों के बल पर हमने राष्ट्रोत्थान का कार्य कर सौ वर्ष की यात्रा पूर्ण किये- सचिदानन्द जी

गाजीपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष 2025 उत्सव के अवसर पर रविवार को नगर के शिवाजी शाखा क्षेत्र में स्थित सरस्वती शिशु मंदिर रायगंज में विजयदशमी उत्सव  मनाया गया। शस्त्र पूजन कर कार्यक्रय का शुभारम्भ किया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप मे विभाग संचालक सचिदानन्द जी ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विजयादशमी के दिन सन् 1925 में स्थापित हुई। हम अपने बालव तरूण स्वयंसेवकों के बल पर हमने राष्ट्रोत्थान का कार्य कर आज सौ वर्ष पूर्ण कर शताब्दी समारोह मना रहें हैं। इन सौ वर्षो में अनेक उपलब्धियो को प्राप्त कर संघ ने समाज को एकरूप व एकतार मे खड़े करने का जो अदभुत प्रयास किया है वो अविस्मरणीय हैहमारे समाज को अपने पूराने गौरवशाली इतिहास को स्मरण कराते हुए उससे सीख लेने व निरंतर आगे बढ़ते रहने की सीख ही हमारा कतर्व्य व दायित्वो का बोध कराता है। इन सौ वर्षो में हमारे समाज की बहुप्रतिक्षित लक्ष्य राम मंदिर निर्माण कर रामराज की आधारशीला रखने का कार्य किया है। मुगलो व अंग्रेजो ने जो हमारे सनातनी विरासत को नष्ट कर पाश्चात्य सभ्यता को थोपने का कार्य किया है उसे हमे धीरे धीरे नियंत्रित करना होगा। हम अपने सांस्कृतिक विरासत के बल पर अपने भारत के गौरव को पुनः स्थापित करने का कार्य करेंगे। जिससे लिए समाज में समरसतास्वदेशी का भावपर्यावरण सुरक्षानागरिक कतर्व्यकटुम्ब प्रबोधन के माध्यम से राष्ट्रीय भावना कायम करना होगा। जो अपने वाली नवयुवको की पीढी को हम विरासत मे दे सके। इसके पूर्व अतिथियों ने संयुक्त रूप से संघ के संस्थापक डा. केशव बलिराम हेडगेवार व माधव सदाशिवराव गोलवकर के चित्र पर पुष्प अर्पित कर ध्वज प्रणाम किया। इसके पश्चात पथ संचलन निकाला गया। पथ संचलन सरस्वती शिशु मंदिर रायगज से प्रारम्भ होकर लालदरवाजापावरहाउसहरिशंकरी होते हुए अमरनाथ मंदिर रायगंज पहुचां और जगह जगह पुष्पवर्षा कर पथ संचलन में सम्मिलित स्वयसेवकों का स्वागत किया गया।


Saturday, October 4, 2025

संघमय हुई काशी, चहुंओर गुंजा जयतु जय जय भारत

  • स्वयंसेवकों में दिखा शताब्दी वर्ष का हर्षोल्लास
  • काशी की मूल पहली शाखा पर माल्यार्पण कर दी गई डॉ0 हेडगेवार एवं श्रीगुरुजी को किया नमन





काशी। गुरुवार को विजयादशमी का दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों के लिए ऐतिहासिक था। संघ के 100 वर्ष पूरे होने पर काशी में स्वयंसेवकों का उत्साह देखते ही बन रहा ​था। चारों ओर विजयादशमी उत्सव मनाने के साथ पथ संचलन का आयोजन किया गया। काशी की सभी सड़कों पर पथ संचलन करते स्वयंसेवक एकता, अनुशासन और संस्कार का परिचय दे रहे थे। विभिन्न आयोजनों के साथ संघ संस्थापक डॉ0हेडगेवार जी द्वारा काशी में आरम्भ की गयी संघ शाखा की पहली नींव धनधान्येश्वर शाखा पर भी विजयादशमी उत्सव का विशेष आयोजन किया गया। महानगर में निकले पथ संचलनों पर जगह—जगह  पुष्पवर्षा भी किये गये।

समाज में व्याप्त सं​कीर्णताओं के अंत के लिए हुआ संघ का निर्माण — रमेश जी

काशी की प्रथम मूल शाखा धनधानेश्वर शाखा पर भी श्रीविजयादशमी उत्सव का आयोजन कर संघ शताब्दी वर्ष का शुभारम्भ किया गया। कार्यक्रम में काशी प्रान्त के प्रान्त प्रचारक रमेश जी ने स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिस प्रकार दुष्टों के संहार के किये भगवान राम ने त्रेता युग में तथा द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने अवतार लिया था, उसी प्रकार कलियुग में समाज में व्याप्त सं​कीर्णताओं के अंत के लिए और व्यक्ति निर्माण के लिए संघ का निर्माण हुआ है। संघ के प्रारम्भिक इतिहास को बताते हुए उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में पुराने कार्यकर्ताओं ने जी जान लगा कर संघ कार्य आगे बढाया। आज अनुकूल परिस्थितियों में अपने देश को शक्तिशाली बनाने के लिए बहुत ही धैर्य पूर्वक सावधानी से कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि शाखा में व्यक्ति निर्माण के लिए स्वयंसेवको को संस्कार सिखाये जाते हैं। भारतीय संस्कृति के मूल्यों की शिक्षा दी जाती है। शाखा में स्वयंसेवको राष्ट्र भक्ति कूट कूट कर भरी जाती है| शाखा में अपने हिन्दू धर्म के चारित्रिक मूल्यों की शिक्षा दी जाती है। शाखा में स्वयंसेवको के अच्छे स्वास्थ्य के लिए शारीरिक शिक्षा दी जाती है और सभी कार्य ठीक ढंग से करना सिखाया जाता है। पूर्व में मूल संघस्थान धनधानेश्वर मंदिर में आद्य सरसंघचालक प. पू. डा0 केशव बलिराम हेडगेवार एवं दूसरे सरसंघचालक प. पू श्री गुरुजी के चित्रों पर प्रांत प्रचारक रमेश कुमार जी ने पुष्पांजली अर्पित की। तत्पश्चात दत्तात्रय मंदिर धनधानेश्वर संघस्थान में मंच पर उपस्थित अधिकारियों प्रांत प्रचारक रमेश जी एवं भारतेन्दु नगर माननीय संघचालक मोहन लाल जी द्वारा शस्त्र पूजन किया गया| इसके पूर्व उन्होंने यूपी कॉलेज के रा​जर्षि नगर में आयोजित विजयादशमी उत्सव के कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उन्होंने संघ के 100 वर्ष पर प्रकाश डाला। तत्पश्चात स्वयंसेवकों ने पथ संचलन निकाला।

राष्ट्र रक्षा का संकल्प लेकर सजग और संगठित होकर लक्ष्य की ओर सतत् बढ़ना है — मुरलीपाल 

काशी उत्तर भाग स्थित भक्तिनगर बस्ती की आजाद शाखा द्वारा आयोजित विजयादशमी उत्सव में पथ संचलन से पूर्व आयोजित शस्त्र पूजन कार्यक्रम में मुख्य वक्ता काशी प्रांत के प्रांत कार्यवाह मुरली पाल ने उपस्थित स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि शस्त्र पूजन से केवल आत्मबल ही विकसित नहीं होता है अपितु समाज और राष्ट्र समर्थ एवं सशक्त होता है। उन्होंने समाज को चेताया कि शस्त्र से सुसज्जित राष्ट्र में ही सुरक्षा की गारंटी होती है। अतः हमें अपनी और राष्ट्र रक्षा का संकल्प लेकर सजग और संगठित रहते हुए लक्ष्य की ओर सतत् बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि कुशल संगठन,अनुशासित एवं समर्पित व्यक्तियों के बल पर हमें ऊंच नीच, अमीर गरीब,अस्पृश्यता और रूढ़वादिया को त्यागकर समरस  समाज का निर्माण करना होगा। इसी को ध्यान में रखकर शताब्दी वर्ष में सात बिंदुओं जैसे विजया दशमी उत्सव,घर घर संपर्क, हिन्दू सम्मेलन, युवाओं के लिए कार्यक्रम ,सामाजिक सद्भाव,प्रमुख नागरिक गोष्ठी तथा सर्वत्र शाखा जैसे विविध कार्यक्रम इस दशहरा से लेकर विजया दशमी 2026 तक चलाए जाएंगे। अंत में गणवेश धारी सैकड़ों स्वयंसेवकों ने पथ संचलन में हिस्सा लेकर तीन किमी की दूरी तय किया। कदम मिलाते हुए कतारबद्ध अनुशासित पथ संचलन देख मंत्र मुग्ध नगर वासियों ने जगह जगह पर स्वयंसेवकों के ऊपर पुष्पवर्षा करके उनका उत्साहवर्धन एवं स्वागत किया।

देश पर आयी आपदा—विपदा में स्वयंसेवक सबसे आगे कि पंक्ति मे खड़ा रहा — जयप्रकाश जी


 लोहता बस्ती में आयोजित विजयादशमी उत्सव को सम्बोधित करते हुए पू00प्र0 क्षेत्र के क्षेत्र व्यवस्था प्रमुख जयप्रकाश जी ने संघ के 1925 मे एक बीज से शताब्दी वर्ष 2025 तक वटवृक्ष बनने की गाथा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संघ को विभिन्न समयों मे प्रतिबंधों व अन्य माध्यमों से दबाने का प्रयास किया गया लेकिन स्वयंसेवको के त्याग व समर्पण के कारण दमन का यह विरोधी कार्य असफल रहा। उन्होेंने कहा कि जब भी देश पर कोई भी संकट आया स्वयंसेवक सबसे आगे कि पंक्ति मे खडा रहा चाहे वो युद्ध का समय हो या भूकंप का हो या किसी भी प्रकार की आपदा विपदा रही हो।

 विवेकानंद नगर की विभिन्न शाखाओं पर विजयादशमी उत्सव उत्साह पूर्वक मनाया गया । शताब्दी वर्ष मे बस्ती सह निकलने वाले पथसंचलन की दृष्टि से इसके अतिरिक्त विवेकानंद नगर के भरथरा बस्ती, भिठारी बस्ती में भी स्वयंसेवकों ने संचलन निकाला।

अपने जीवन में पंच प्रण को स्वीकार करें — शिवमूर्ति जी

महानगर के कमच्छा बस्ती में शंकराचार्य शाखा पर काशी प्रांत के सामाजिक सद्भाव प्रमुख शिवमूर्ति जी ने 1925 से लेकर 2025 तक के 100 वर्षों की पूरी यात्रा की कहानी विस्तार स्वयंसेवकों को बताया। उन्होंने डॉक्टर साहब, श्रीगुरु जी, बालासाहब ‌भाऊराव देवरस जी व अन्य विभूतियों की कहानियों पर परिचय डालते हुए बताया कि कैसे उन्होंने अपने पूरे जीवन को राष्ट्र के लिए समर्पित कर संघ को यहां तक पहुंचाने के लिए प्रयास किया। अंत में उन्होंने पंच परिवर्तन के माध्यम से सभी स्वयंसेवक बंधुओ से आग्रह किया कि सभी लोग अपने और अपने परिवार के जीवन में पंच प्रण लागू करें। इसके साथ ही स्वयंसेवकों द्वारा पथ संचलन भी निकाला गया। कामाख्या नगर के अन्य बस्तीयों एवं शाखाओं पर भी श्रीविजयादशमी एवं पथ संचलन का आयोजन किया गया।

काशी दक्षिण भाग में आयोजित कार्यक्रम

100 वर्षों से सतत मातृभूमि की आराधना में लगा हुआ है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ- अरविंद जी

काशी। 100 वर्षों से सतत राष्ट्र की आराधना में लगा हुआ संगठन जिसका नाम है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, एक तरफ जहां दुनिया के कई सारे संगठन 100 वर्षों की यात्रा या तो पूरी नहीं कर पाए अथवा उनमें विघटन आ गया ऐसे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लगातार  राष्ट्र की आराधना कर रहा है l

उक्त वक्तव्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कर्दमेश्वर नगर काशी दक्षिण के कंदवा बस्ती में आयोजित विजयादशमी उत्सव एवं पथ संचलन कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में काशी प्रान्त गौ सेवा संयोजक ने कही l वक्ता ने संघ के 100 वर्षों के इतिहास को बताते हुए कहा कि संघ समाज के प्रत्येक क्षेत्र में समाज की आवश्यकता के हिसाब से अलग-अलग संगठनों के माध्यम से लगातार सेवा कार्य कर रहा है l उदाहरण देते हुए वक्ता ने कहा कि मजदूर संघ असंगठित श्रमिकों के मध्य में काम करने वाला विश्व का सबसे बड़ा संगठन बन गया है इसी प्रकार विद्यार्थियों के बीच में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद विश्व का सबसे बड़ा विद्यार्थी संगठन बना हुआ है शिक्षा के क्षेत्र में विद्या भारती विश्व का सबसे बड़ा विद्यालय समूह बना हुआ है l संघ सेवा के लिए समाज में पहचान रखता है सेवा भारती के 2 लाख से ज्यादा के उपक्रम पूरे भारत में अलग-अलग क्षेत्र में सेवाएं दे रहे हैं, विगत दिवसों में बाढ़ और वर्षा से उत्पन्न त्रासदी का उल्लेख करते हुए वक्ता ने कहा कि उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश ,पंजाब और ऐसी सभी जगह पर जहां बाढ़ की विभीषिका आई हुई थी वहां लोगों ने संघ के सेवा भाव को समझा l संघ के संस्थापक डॉक्टर केशव राम बलिराम हेडगेवार के जीवन पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि संघ के सरसंचालक रहते हुए भी डॉक्टर साहब जंगल सत्याग्रह में 1 वर्ष के लिए जेल गए थे l

संघ में सरसंघचालकों की एक  वृहद परंपरा रही है जिनके नेतृत्व में संघ ने सतत राष्ट्र की वंदना और आराधना की है l अरविंद जी ने संघ द्वारा शताब्दी वर्ष में आयोजित पंच प्रण के संदर्भ में विस्तार से विषय रखा l सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन ,स्व का भाव ,नागरिक कर्तव्य एवं पर्यावरण का विशेष उल्लेख वक्त ने किया l वक्ता ने आगामी शताब्दी वर्ष में आयोजित संघ के सभी साथ कार्यक्रमों का विस्तार से वर्णन किया l

ज्ञात हो कि संघ शताब्दी वर्ष के उपलक्ष में काशी महानगर में कई सारे स्थान पर विजयादशमी उत्साह एवं पद संचलन का कार्यक्रम आयोजित हो रहा है उसी क्रम में रामनगर में अयोध्या मैदान स्थित शाखा पर आयोजित कार्यक्रम में दक्षिण भाग के प्रचार प्रमुख रवि ने बौद्धिक दिया l मानस नगर स्थित दीनदयाल उद्यान कबीर नगर में मुख्य वक्ता डॉक्टर कमलेश तिवारी रहे l यहां कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष संजय सिंह ने की l अमरा अखरी स्थित शुल्टनकेश्वर नगर की शाखा पर माध्यमिक शिक्षा परिषद के सदस्य डॉक्टर हरेंद्र राय ने अपने विचार व्यक्त किया l तारानगर कॉलोनी छित्तूपुर स्थित ज्ञान गंगा अकैडमी में आयोजित संत रविदास नगर के कार्यक्रम में विभाग महाविद्यालय प्रमुख ,काशी विभाग आशुतोष जी ने बौद्धिक दिया l रोहनिया स्थित पंचवटी लॉन में  शिवधाम नगर के आयोजन में भाग प्रचारक आदर्श जी ने

स्वयंसेवकों का मार्गदर्शन किया l इसी क्रम में माधव नगर, केशव नगर सहित काशी दक्षिण भाग के सभी 12 नगरों में कार्यक्रमों का आयोजन हुआ जिसके बाद सभी स्थानों पर पथ संचलन भी हुआ , जिसमें संघ के गणेश धारी स्वयंसेवक घोष की धुन पर दंड लेकर ध्वज के पीछे पीछे पंक्तिबद्ध होकर चल रहे थे l पथ संचलन के ऊपर विभिन्न सामाजिक संस्थाओं द्वारा पुष्प वर्षा भी की गई l सभी कार्यक्रमों में गणमान्य नागरिक एवं माता बहनें बड़ी संख्या में उपस्थित रहे l





सम्पूर्ण हिन्दू समाज का संगठित स्वरूप ही भारत की एकता, एकात्मता, विकास व सुरक्षा की गारंटी है – डॉ. मोहन भागवत जी

नागपुर, 2 अक्तूबर 2025। रेशीमबाग मैदान में आयोजित शताब्दी वर्ष विजयादशमी उत्सव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि सम्पूर्ण हिन्दू समाज का बल सम्पन्न, शील सम्पन्न संगठित स्वरूप ही इस देश की एकता, एकात्मता, विकास व सुरक्षा की गारंटी है। क्योंकि हिन्दू समाज अलगाव की मानसिकता से मुक्त और सर्वसमावेशक है। हिन्दू समाज ही ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की उदार विचारधारा का पुरस्कर्ता व संरक्षक है। इसलिए संघ सम्पूर्ण हिन्दू समाज के संगठन का कार्य कर रहा है। क्योंकि संगठित समाज अपने सब कर्तव्य स्वयं के बलबूते पूरे कर लेता है।

यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना का शताब्दी वर्ष है। सरसंघचालक जी ने कहा कि भारतवर्ष को वैभवशाली व सम्पूर्ण विश्व के लिए अपेक्षित व उचित योगदान देने वाला देश बनाना, यह हिन्दू समाज का कर्तव्य है। इस अवसर पर मंच पर भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी, संघ के विदर्भ प्रान्त संघचालक दीपक जी तामशेट्टीवार, विदर्भ प्रान्त सह संघचालक श्रीधर जी गाडगे और नागपुर महानगर संघचालक राजेश जी लोया उपस्थित थे।

स्वदेशी तथा स्वावलम्बन का कोई विकल्प नहीं

उन्होंने कहा कि अमेरिका ने अपने स्वयं के हित को आधार बनाकर जो आयात शुल्क नीति चलायी है, जिसके कारण हमें भी कुछ बातों का पुनर्विचार करना पड़ेगा। विश्व परस्पर निर्भरता पर जीता है, किन्तु यह परस्पर निर्भरता हमारी मजबूरी न बने, इसके लिए हमें आत्मनिर्भर बनना होगा। क्योंकि स्वदेशी तथा स्वावलम्बन का कोई पर्याय नहीं है।

विश्व के जड़वादी व उपभोगवादी नीति के परिणामस्वरूप हो रहे पर्यावरणीय असंतुलन पर चिन्ता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भारत में भी उसी नीति के चलते वर्षा का अनियमित व अप्रत्याशित होना, भूस्खलन, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएं गत तीन-चार वर्षों में तेजी से बढ़ गई हैं। दक्षिण एशिया का सारा जलस्रोत हिमालय से आता है। उस हिमालय में इन दुर्घटनाओं का होना भारतवर्ष और दक्षिण एशिया के अन्य देशों के लिए खतरे की घंटी माननी चाहिए।

उपद्रवी शक्तियों से सावधान

सरसंघचालक जी ने भारत के पड़ोसी देशों की अराजक स्थिति का उल्लेख करते हुए कहा कि गत वर्षों से हमारे पड़ोसी देशों में बहुत उथल-पुथल मची है। श्रीलंका, बांग्लादेश और हाल ही में नेपाल में जन-आक्रोश का हिंसक उद्रेक होकर सत्ता का परिवर्तन हुआ। अपने देश में भी इस प्रकार के उपद्रवों को चाहने वाली शक्तियां सक्रिय हैं, वह हमारे लिए चिन्ताजनक है। हिंसक उद्रेक में वांच्छित परिवर्तन लाने की शक्ति नहीं होती। प्रजातांत्रिक मार्गों से ही समाज में ऐसे आमूलाग्र परिवर्तन लाया जा सकता है। अन्यथा ऐसे हिंसक प्रसंगों में विश्व की वर्चस्ववादी ताकतें अपना खेल खेलने के अवसर ढूंढ लेती हैं। चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे पड़ोसी देश सांस्कृतिक दृष्टि से तथा आपसी नित्य सम्बन्धों के कारण भी भारत से जुड़े हैं। एक तरह से यह हमारा परिवार ही है। वहाँ पर शान्ति रहे, स्थिरता रहे, उन्नति हो, सुख और सुविधा हो, इसकी हमारे लिए भी आवश्यकता है।

हमारी वर्तमान आशाएं और चुनौतियाँ

डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि वर्तमान कालावधि एक ओर हमारे विश्वास तथा आशा को अधिक बलवान बनाने वाली है तथा दूसरी ओर हमारे सम्मुख उपस्थित पुरानी व नयी चुनौतियों को अधिक स्पष्ट रूप में उजागर कर रही है, साथ ही हमारे लिए नियत कर्तव्य पथ को भी निर्देशित करने वाली है।

गत वर्ष प्रयागराज में सम्पन्न महाकुम्भ ने श्रद्धालुओं की संख्या के साथ ही उत्तम व्यवस्थापन के भी सारे कीर्तिमान तोड़कर एक जागतिक विक्रम प्रस्थापित किया। इसके परिणामस्वरूप सम्पूर्ण भारत में श्रद्धा व एकता की प्रचण्ड लहर को अनुभव किया जा सकता है। वहीं 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में सीमापार से आए आतंकियों ने 26 भारतीय यात्री नागरिकों की उनका हिन्दू धर्म पूछकर हत्या की। सम्पूर्ण भारतवर्ष में नागरिकों में दुःख और क्रोध की ज्वाला भड़की। भारत सरकार ने योजना बनाकर मई मास में इसका पुरजोर उत्तर दिया। इस सब कालावधि में देश के नेतृत्व की दृढ़ता तथा हमारी सेना के पराक्रम तथा युद्ध कौशल के साथ-साथ ही समाज की दृढ़ता व एकता का सुखद दृश्य हमने देखा।

उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा पर जोर देते हुए कहा कि अन्य देशों से मित्रता की नीति व भाव रखते हुए भी हमें अपने सुरक्षा के विषय में अधिकाधिक सजग रहने और अपना सामर्थ्य बढ़ाते रहने की आवश्यकता है। नीतिगत क्रियाकलापों से विश्व के अनेक देशों में से हमारे मित्र कौन-कौन और कहाँ तक है, इसकी परीक्षा भी हो गई।

सरसंघचालक जी ने कहा कि देश के अन्दर उग्रवादी नक्सली आन्दोलन पर शासन तथा प्रशासन की दृढ़ कार्रवाई से बड़ी मात्रा में नियंत्रण आया है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में न्याय, विकास, सद्भावना, संवेदना तथा सामंजस्य स्थापन करने के लिए कोई व्यापक योजना शासन-प्रशासन द्वारा बनाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि संचार माध्यमों व अंतरराष्ट्रीय व्यापार के कारण दुनिया के देशों में निकटता जैसी परिस्थिति का सुखदायक रूप दिखता है। परन्तु विज्ञान एवं तकनीकी की प्रगति की गति व मनुष्यों की इनसे तालमेल बनाने की गति में बड़ा अंतर है। इसलिए सामान्य मनुष्यों के जीवन में बहुत सारी समस्याएँ उत्पन्न होती दिखाई दे रही हैं। इन सबसे उबरने के प्रयास हुए हैं, परन्तु वे इन समस्याओं की बढ़त को रोकने में अथवा उनका पूर्ण निदान देने में असफल रहे हैं। इसलिए अब सारा विश्व इन समस्याओं के समाधान के लिए भारत की दृष्टि से निकले चिन्तन में से उपाय की अपेक्षा कर रहा है।

हमारी सामाजिक एवं सांस्कृतिक एकता

उन्होंने सामाजिक एकता के महत्त्व को रेखांकित करते हुए कहा कि किसी भी देश के उत्थान में सबसे महत्त्वपूर्ण कारक उस देश के समाज की एकता है। हमारा देश विविधताओं का देश है। अनेक भाषाएँ अनेक पंथ, भौगोलिक विविधता के कारण रहन-सहन, खान-पान के अनेक प्रकार, जाति-उपजाति आदि विविधताएं पहले से ही हैं।

हमारी विविधताओं को हम अपनी अपनी विशिष्टताएं मानते हैं और अपनी-अपनी विशिष्टता पर गौरव करने का स्वभाव भी समझते हैं। परन्तु यह विशिष्टताएं भेद का कारण नहीं बननी चाहिए। अपनी सब विशिष्टताओं के बावजूद हम सब एक बड़े समाज के अंग हैं। समाज, देश, संस्कृति तथा राष्ट्र के नाते हम एक हैं। यह हमारी बड़ी पहचान हमारे लिए सर्वोपरि है, यह हमको सदैव ध्यान में रखना चाहिए। उसके चलते समाज में सबका आपस का व्यवहार सद्भावनापूर्ण व संयमपूर्ण रहना चाहिए। सब की अपनी-अपनी श्रद्धाएँ, महापुरुष तथा पूजा के स्थान होते हैं। मन, वचन, कर्म से आपस में इनकी अवमानना न हो, इसका ध्यान रखना चाहिए।

अराजकता का व्याकरण रोकना जरूरी

उन्होंने कहा कि नियम पालन, व्यवस्था पालन करना व सद्भावपूर्वक व्यवहार करने का स्वभाव बनना चाहिए। छोटी-बड़ी बातों पर या केवल मन में सन्देह है इसलिए, कानून हाथ में लेकर रास्तों पर निकल आना, गुंडागर्दी, हिंसा करने की प्रवृत्ति ठीक नहीं है। मन में प्रतिक्रिया रखकर अथवा किसी समुदाय विशेष को उकसाने के लिए अपना शक्ति प्रदर्शन करना, ऐसी घटनाओं को योजनापूर्वक कराया जाता है। उनके चंगुल में फंसने का परिणाम, तात्कालिक और दीर्घकालिक, दोनों दृष्टि से ठीक नहीं है। इन प्रवृत्तियों की रोकथाम आवश्यक है। शासन-प्रशासन अपना काम बिना पक्षपात के तथा बिना किसी दबाव में आए, नियम के अनुसार करें। परन्तु समाज की सज्जन शक्ति व तरुण पीढ़ी को भी सजग व संगठित होना पड़ेगा, आवश्यकतानुसार हस्तक्षेप भी करना पड़ेगा।

पंच परिवर्तन का आग्रह महत्त्वपूर्ण

उन्होंने कहा कि हमारी एकता के आधार को डॉक्टर आम्बेडकर साहब ने Inherent cultural unity (अन्तर्निहित सांस्कृतिक एकता) कहा है। भारतीय संस्कृति प्राचीन समय से चलती आई भारत की विशेषता है। वह सर्व समावेशक है। व्यक्तियों, समूहों में व्यक्तिगत तथा राष्ट्रीय चारित्र्य, दोनों के सुदृढ़ होने की आवश्यकता है। अपने राष्ट्र स्वरूप की स्पष्ट कल्पना व गौरव, संघ की शाखा में प्राप्त होता है। नित्य शाखा में चलने वाले कार्यक्रमों से स्वयंसेवकों में व्यक्तित्व, कर्तृत्व, नेतृत्व, भक्ति व समझदारी का विकास होता है। इसलिए शताब्दी वर्ष में व्यक्ति निर्माण का कार्य देश में भौगोलिक दृष्टि से सर्वव्यापी हो तथा सामाजिक आचरण में सहज परिवर्तन लाने वाला पंच परिवर्तन कार्यक्रम – सामाजिक समरसता, कुटुम्ब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्व-बोध तथा स्वदेशी, नागरिक अनुशासन व संविधान का पालन – स्वयंसेवकों के आचरण के उदाहरण से समाजव्यापी बने, यह संघ का प्रयास रहेगा। संघ के स्वयंसेवकों के अतिरिक्त समाज में अनेक अन्य संगठन व व्यक्ति भी इसी तरह के कार्यक्रम चला रहे हैं। उन सब के साथ संघ के स्वयंसेवकों का सहयोग व समन्वय साधा जा रहा है।

सामाजिक व्यवहार में बदलाव केवल भाषणों से नहीं आता

समारोह में मुख्य अतिथि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द जी ने कहा कि श्री विजयादशमी उत्सव का ये दिन संघ का शतकपूर्ति दिवस है। आज विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति का संवहन करने वाली आधुनिक विश्व की सबसे बड़ी स्वयंसेवी संस्था का शताब्दी समारोह सम्पन्न हो रहा है। नागपुर की यह पावन धरती आधुनिक भारत के विलक्षण निर्माताओं की पावन स्मृति से जुड़ी हुई है। उन राष्ट्र निर्माताओं में दो डॉक्टर ऐसे भी हैं – जिनका मेरे जीवन निर्माण में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान रहा। वे दोनों महापुरुष हैं – डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और डॉ. भीमराव रामजी आम्बेडकर। बाबासाहब आम्बेडकर के संविधान में निहित सामाजिक न्याय की व्यवस्था के बल पर ही मेरी तरह का आर्थिक व सामाजिक पृष्ठभूमि का व्यक्ति, देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुँच सका। डॉ. हेडगेवार के गहन विचारों से समाज और राष्ट्र को समझने का मेरा दृष्टिकोण स्पष्ट हुआ। दोनों विभूतियों द्वारा निरूपित किए गए राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरसता के आदर्शों से मेरी जनसेवा की भावना अनुप्राणित रही है।

उन्होंने कहा कि संघ की अविरत राष्ट्र सेवा, राष्ट्रभक्ति और समर्पण के उदात्त आदर्श हम सबके लिए अनुकरणीय हैं। सच्चे अर्थों में मनुष्य कैसे बनें, जीवन कैसे जिएँ, इसका मार्गदर्शन हमें महापुरुषों से प्राप्त होता है। आज भारतीयों के लिए व्यक्तिगत व राष्ट्रीय चारित्र्य से समृद्ध जीवनमार्ग की आवश्यकता है। हमारा सनातन, आध्यात्मिक और समग्र दृष्टिकोण ही मानवता के मन, बुद्धि और अध्यात्म का विकास करता है।

सामाजिक व्यवहार में बदलाव केवल भाषणों से नहीं आता; इसके लिए व्यापक प्रबोधन आवश्यक है। विविधता होते हुए भी, हम सब एक बड़े समाज का अंग हैं। यह बड़ी पहचान हमारे लिए सर्वोपरि है। विचार, शब्द और कृति से किसी भी समुदाय के श्रद्धा या आस्था का अनादर न हो। जो लोग विकास यात्रा में पीछे छूट गए, उनका हाथ पकड़कर उन्हें अपने साथ ले चलना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है।

परम पावन दलाई लामा जी का संदेश

इस अवसर पर पूजनीय बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा जी के संदेश का पठन किया गया। जिसमें उनके द्वारा प्रेषित भावनाएँ व्यक्त की गयी कि – पुनर्जागरण की इस व्यापक धारा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने एक विशिष्ट और महत्वपूर्ण स्थान ग्रहण किया है। संगठन की स्थापना निःस्वार्थ भाव से हुई थी, जहाँ कर्तव्यबोध की निर्मल और स्पष्ट भावना थी, जिसमें किसी प्रतिफल की अपेक्षा नहीं थी। संघ से जुड़ने वाला प्रत्येक स्वयंसेवक मन की पवित्रता और साधनों की पावनता पर आधारित जीवन जीना सीखता है। संघ की सौ वर्षीय यात्रा स्वयं में समर्पण और सेवा का एक दुर्लभ तथा अनुपम उदाहरण है। संघ ने निरंतर लोगों को एकजुट करने का कार्य किया है और भारत को भौतिक एवं आध्यात्मिक दोनों ही दृष्टियों से सशक्त बनाया है। भारत के दुर्गम और चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में भी संघ ने शैक्षिक एवं सामाजिक विकास में योगदान दिया है तथा आपदा-ग्रस्त क्षेत्रों में आवश्यक सहयोग प्रदान किया है।

कार्यक्रम में देश-विदेश के गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही। इसमें मुख्य रूप से लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता (सेवानिवृत्त), कोयम्बटूर की डेक्कन इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक के. वी. कार्तिक, बजाज फिनसर्व के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक संजीव बजाज सहित घाना, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया, थाईलैंड, यूके, यूएसए से भी अतिथि और बड़ी संख्या में नागपुर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

लेफ्टिनेंट जनरल कलिता ने भारतीय सेना के पूर्व कमांड का नेतृत्व किया है। जून 1984 में उन्होंने कुमाऊ रेजिमेंट के माध्यम से अपनी सेवा शुरू की। उन्होंने सेना के विभिन्न अभियानों का नेतृत्व और मार्गदर्शन किया है। वैश्विक स्तर पर उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ के सीरा लियोन मिशन में निरीक्षक के रूप में जिम्मेदारी निभाई है।

कोयम्बटूर की डेक्कन इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक के. वी. कार्तिक देश में मोटर पंप निर्माण क्षेत्र के अग्रणी व्यवसायियों में शामिल हैं। वर्तमान में वे इंडियन पंप मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में भी कार्यरत हैं। भारत में निर्मित मोटर पंपों के निर्यात में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

बजाज फिनसर्व के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक संजीव बजाज, बजाज समूह के वित्तीय सेवा व्यवसाय के प्रमुख हैं। उनके नेतृत्व में बजाज फिनसर्व देश की अत्यंत प्रतिष्ठित कंपनियों में शामिल हुई है। कॉर्पोरेट क्षेत्र में अपनी भूमिका के साथ उन्होंने भारतीय उद्योग परिसंघ के अध्यक्ष के रूप में भारतीय उद्योग क्षेत्र का दूरदर्शी नेतृत्व भी किया है। इसके अलावा, उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में भी सक्रिय योगदान दिया है।

कार्यक्रम के प्रारंभ में सरसंघचालक जी और प्रमुख अतिथि रामनाथ कोविंद जी ने शस्त्रपूजन किया। उसके पश्चात स्वागत प्रणाम, ध्वजारोहण और प्रार्थना हुई। महानगर संघचालक राजेश जी लोया ने प्रास्ताविक, परिचय, स्वागत तथा सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। ध्वजावतरण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।