चीनी सैनिकों के एक और प्रयास को भारतीय सैनिकों ने उस समय विफल कर दिया जब दक्षिणी पैन्गोंग में रेंजा गला से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित मुखपरी पहाड़ी पर चीनी सैनिक कब्ज़ा करने का प्रयास कर रहे थे. गलावन घाटी जैसी घटना दोहराने के प्रयास में लगे चीनी सैनिकों के इस साजिश को विफल कर उन्हें करारा जवाब दिया है.
यदि इस चोटी पर कब्ज़ा करने में चीनी सेना सफल हो जाती तो वह पैन्गोंग इलाके में भारतीय सैनिकों की तैनाती से लेकर आवाजाही समेत सभी गतिविधियों पर नजर रख सकती थी. हाल के दिनों में पैन्गोंग इलाके में कई स्थानों पर भारतीय सेना ने अपनी तैनाती नए सिरे से की है. कई अहम चोटियों पर अपनी मौजूदगी भी दर्ज कराई है. ऐसा इसलिए जरूरी था क्योंकि चीनी सेना फिंगर - 4 एवं फिंगर - 5 की चोटियों पर डटी हुई थी. जबकि भारतीय सेना निचले इलाकों में थी. पिछले हफ्ते भारतीय सेना ने ब्लैक टॉप समेत कई चोटियों पर मोर्चा संभाला. इससे वह चीनी सेना से बेहतर पोजीशन में आ गयी.
इन क्षेत्रों पर है चीन की नजर
तवांग
1914 में तिब्बत ने एक समझौते में तवांग को भारत का एक हिस्सा माना था. जबकि चीन अरुणांचल के तवांग को तिब्बत का हिस्सा मानता है. चीन की कोशिश यही है कि तवांग पर कब्ज़ा किया जाए. लेकिन हर बार चीन को मुंह की खानी पड़ी है.
पैन्गोंग त्सो झील
यह एक मुख्य मार्ग है जिसका चीन आक्रमण के लिए प्रयोग कर सकता है. इसका 45 किलोमीटर क्षेत्र भारत में और 90 किलोमीटर चीन में है. 14000 फुट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित इस झील के मध्य से एलएसी गुजरती है.
डोकलाम
2017 में डोकलाम को लेकर भारत-चीन में विवाद हुआ था. यह पठारी क्षेत्र भारत, चीन और भूटान की सीमा का ट्राई-जंक्शन है. भारत इसे भूटान का और चीन अपना हिस्सा मानता है. भारत ने यहाँ चीन द्वारा सड़क बनाने की कोशिश का विरोध किया था.
नाथुला
नाथूला हिमालय का पहाड़ी दर्रा है जो भारत के सिक्किम राज्य और दक्षिण भारत में चुम्बी घाटी को जोड़ता है. 14,200 फुट उंचाई पर स्थित नाथूला भारत के लिए महत्वपूर्ण है. कैलाश मानसरोवर का जत्था यहीं से गुजरता है.
रेजां गला
1962 के युद्ध में 13 कुमाऊं दस्ते का यह अंतिम मोर्चा था. लद्दाख की चुशूल घाटी की बर्फीली चोटी पर स्थित रेजां गला पोस्ट भारत के लिए काफी अहम है. इस इलाके से चीन को घुसपैठ के लिए लेह तक का रास्ता मिलता है.
गलवान घाटी
गलवान घाटी का क्षेत्र अक्साई चिन से बहुत नजदीक है. यहाँ पर एलएसी अक्साई चिन को भारत से विभाजित करती है. 1962 की लड़ाई के दौरान भी गलवान नदी का यह क्षेत्र लड़ाई का केन्द्र रहा था.
समझौते तोड़ रहा चीन
1993 : भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में एलएसी पर शांति-स्थिरता के रखरखाव पर समझौता
1996 : एलएसी के साथ सैन्य क्षेत्र में विश्वास निर्माण उपायों पर समझौता
2005 : एलएसी के साथ सैन्य क्षेत्र में विश्वास बहाली के उपायों के कार्यान्वयन के लिए तौर-तरीकों पर प्रोटोकाल
2012 : भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए एक कार्य प्रणाली की स्थापना पर समझौता
2013 : सीमा रक्षा सहयोग समझौता
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