हमारे राज्य में मां-बहनें देवी की साक्षात प्रतिमूर्ति : छत्रपति शिवाजी महाराज
काशी|
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के एम्फिथिएटर मैदान में चल रहे जाणता राजा महानाट्य के
तीसरे दिन के मंचन में शिवाजी की रणनीति से मुग़ल सेना कांपती दिखी| आदिलशाह का
घबराना और कहना कि “दुश्मन भी मिला तो शिवा जैसा” शिवाजी के प्रभाव को दर्शाता है|
मंचन में हिंदवी स्वराज्य की स्थापना के साथ ही शिवाजी महाराज लगातार 84 बंदरगाह और 25 जल दुर्ग जीतने के साथ ही अपने सिंधु
नदी के उद्गम से लेकर कावेरी नदी के तट तक स्वराज्य की स्थापना की| अपनी प्रतिज्ञा
को साकार करने हेतु अनगिनत विजय का परचम दर्ज करते हुए कोंकण दुर्ग को भी जीत
लिया। कोंकण के सैनिकों को लेकर थल सेना का निर्माण किया और छत्रपति शिवाजी महाराज ने
"स्वराज्य में गुलामी बंद", का ऐलान कर दिया।
स्वराज्य में गुलामी बंद के ऐलान से शहंशाह आदिलशाह थरथरा उठा और अपने
सिपाह सलारों को बुलाकर शिवाजी भोंसले को गिरफ्तार करने का आदेश देता है। अफजल खां
खुद को आगे करते हुए कहता है कि शिवाजी को जिंदा या मुर्दा आपके दरबार में पेश
करूंगा। अफजल खां की शिवाजी से भेंट के दौरान यह कहना कि सब कुछ छोड़कर शहंशाह के
कदमों में झुक जाओ तो तुम्हारी जान बच जाएगी। महानाट्यमन्चन को एक मोड़ देता है।
"डरो तो प्रभु रामचंद्र से डरो", शिवाजी महाराज
ने भेंट के दौरान अफजल खां की पीठ में छुरा भोकने की नापाक मंशा को भांपकर उसे ही
हमेशा के लिए सुला दिया और अपने हिंदवी स्वराज्य के स्थापना के रथ को आगे बढ़ाया
और उसे गति दी।
महाराष्ट्र
भाग्य भवानी जिजाऊ के रूप में प्रकट हुई
मुगलों की अत्याचार से चीख रही जनता ने मां तुलजा भवानी के सामने पूजा
अर्चना कर आवाह्न किया कि हे महिषासुर मर्दिनी प्रकट हो और दुष्टों का संहार करो।
यह नाटक दृश्य द्रवित करने वाला क्योंकि भक्त जब अत्याचार से कराह उठता है तो
भगवान की शरण में जाता है। तब भगवान और भवानी की कृपा से समाज या राष्ट्र की रक्षा
स्वयं भगवान के अवतरण से होता है। महाराष्ट्र भाग्य भवानी जी जाऊं के रूप में
प्रकट हुई और शाहजी राजा से उनकी शादी हुई। भगवती स्वरूप मां तुलजा भवानी की आरती
और कपाट खुलने की दृश्य ने दर्शक दीर्घा को जय जय अंबे जय जय भवानी के जय घोष
सुनाई देने लगे।
300 साल से गुलामी में मर रहे हैं अब हमें जीना है स्वतंत्र शेर की तरह
तरुण शिवाजी (राजे) द्वारा अपनी मां से यह कहना कि मैं भी अपने बाप
दादा की तरह राज करूंगा। मां जिजाऊ द्वारा शिवाजी को कहना कि मैराथन का सब कुछ
मिटाने वाले के दरबार में घुटने के बल बैठोगे। सभी के अपमान का बदला करने के लिए
बगावत कीजिए और आप निश्चय करें तो कालचक्र को घुमा सकते हैं। तब शिवाजी द्वारा यह
ऐलान करना कि 300 साल से गुलामी में मर रहे हैं
अब हमें जीना है स्वतंत्र शेर की तरह। मां तुलजा भवानी के सामने कसम खाते हुए
शिवाजी कहते हैं कि मेरी तलवार बेसहारों की सहारा बनेगी। स्वराज्य को सोने के
सिंहासन पर विराजमान करना है। हिंदी स्वराज्य के सपने को साकार करना है।
इस अवसर पर
अखिल भारतीय गोसेवा प्रमुख अजित प्रसाद महापात्र ने कहा कि छत्रपति शिवाजी का जीवन
हर भारतीय को अनुसरण करना चाहिए| उनका जीवन भारतीय संस्कृति के अनुरुप था|
उन्होंने वसुधैव कुटुम्बकम के मूल तत्वों का अनुगमन किया। महिलाओं के प्रति सम्मान
के भाव में उनकी माता जीजाबाई की प्रेरणाश्रोत थी। श्री महापात्र ने कहा कि शिवाजी
का जीवन प्रबन्धन की अभूतपूर्व कला थी| वे चाहते थे कि उनके राज्य में सभी
स्वतन्त्र एवं निर्भीक जीवन व्यतीत करें। कार्यक्रम का
संचालन सेवा भारती काशी प्रान्त के अध्यक्ष राहुल सिंह ने किया।
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