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Thursday, May 9, 2024

भ्रामक विज्ञापनों का समर्थन करने वाले प्रसिद्ध व प्रभावशाली लोग भी समान रूप से उत्तरदायी


नई दिल्ली. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा यदि सोशल मीडिया के प्रभावशाली व्यक्ति और प्रसिद्ध हस्तियां भ्रामक विज्ञापनों में उत्पादों या सेवाओं का समर्थन करते हैं तो वे भी समान रूप से उत्तरदायी होंगे.

मंगलवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) के दिशानिर्देश हैं जो प्रभावित करने वालों को भुगतान किए गए समर्थन के बारे में पारदर्शी होने के लिए कहते हैं.

न्यायालय ने कहा –

हमारा मानना है कि विज्ञापनदाता या विज्ञापन एजेंसियां या समर्थनकर्ता झूठे और भ्रामक विज्ञापन जारी करने के लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं. प्रभावशाली लोगों, प्रसिद्ध हस्तियों आदि द्वारा समर्थन, किसी उत्पाद को बढ़ावा देने में बहुत सहायता करता है और उनके लिए यह अनिवार्य है कि विज्ञापनों के दौरान किसी भी उत्पाद का समर्थन करते समय जिम्मेदारी के साथ कार्य करें.”

न्यायालय ने जोर दिया कि प्रभावशाली लोगों और मशहूर हस्तियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे किसी भी उत्पाद का प्रचार करते समय सीसीपीए दिशानिर्देशों का अनुपालन करें और जनता के विश्वास का दुरुपयोग न करें.

ये सीसीपीए दिशानिर्देश और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत अन्य प्रावधान यह सुनिश्चित करने के लिए हैं कि उपभोक्ता बाजार से खरीदे गए उत्पादों, खासकर स्वास्थ्य और खाद्य क्षेत्रों के बारे में जागरूक हो.

न्यायालयों ने टीवी प्रसारकों और प्रिंट मीडिया को स्व-घोषणा पत्र दाखिल करने का निर्देश देते हुए एक अंतरिम आदेश भी पारित किया, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाए कि उनके मंच पर प्रकाशित या प्रसारित कोई भी विज्ञापन भारत में कानूनों जैसे कि केबल टीवी नेटवर्क नियम 1994 और विज्ञापन संहिता के अनुरूप है.

यह स्व-घोषणा प्रपत्र विज्ञापन प्रसारित होने से पहले दाखिल किया जाना है.

न्यायालय ने कहा कि “हम वहां (विज्ञापनदाताओं द्वारा स्व-घोषणा प्रस्तुत करने में) बहुत अधिक लालफीताशाही नहीं चाहते हैं. हम विज्ञापनदाताओं के लिए विज्ञापन देना कठिन नहीं बनाना चाहते. हम केवल यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि जिम्मेदारी तय हो”.

केंद्र सरकार को प्रिंट मीडिया पर विज्ञापनों के लिए ऐसे स्व-घोषणा पत्र दाखिल करने के लिए एक नया पोर्टल स्थापित करने का आदेश दिया. न्यायालय ने कहा, यह पोर्टल चार सप्ताह के भीतर स्थापित किया जाना है.

Tuesday, May 7, 2024

राम मन्दिर की जगह बाबरी बनाने जैसे दिवास्वप्न साकार नहीं होंगे

 

नई दिल्ली. पूर्व कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद द्वारा राम मंदिर पर कांग्रेस नेता को लेकर किये गए दावे के बाद विश्व हिन्दू परिषद ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की. विहिप ने कहा कि राम मन्दिर की जगह बाबरी बनाने जैसे दिवास्वप्न साकार नहीं होंगे.

विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संयुक्त महासचिव डॉ. सुरेंद्र जैन ने कहा कि कांग्रेस के एक पूर्व वरिष्ठ नेता ने यह खुलासा किया है कि राहुल गांधी सत्ता में आने के बाद राम मंदिर की जगह बाबरी मस्जिद बनाएंगे, चाहे उसके लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को बदलने के लिए शाहबानो की तरह संविधान में संशोधन करना पड़े. इसका अभी तक किसी ने खंडन भी नहीं किया है. इसका मतलब उन्होंने इस आरोप को स्वीकार कर लिया है.

डॉ. जैन ने कहा कि इंडी गठबंधन का यह निर्णय विश्व के करोड़ों राम भक्तों के लिए एक बड़ी चुनौती है. राम मंदिर की जगह बाबरी मस्जिद बनाने के इरादों का राम भक्त हमेशा की तरह मुंह तोड़ जवाब देंगे. इंडी गठबंधन का सनातन विरोधी व राम विरोधी चरित्र बार-बार सामने आता रहा है. इस अपवित्र गठबंधन के सदस्यों ने ही अयोध्या में कारसेवकों का नरसंहार किया था और गोधरा में 59 कारसेवकों को जिंदा जलाने वालों का साथ दिया था. कांग्रेस ने तो राम मंदिर के निर्णय को लटकाने व भटकाने के लिए वरिष्ठ वकीलों की एक फौज खड़ी कर दी थी. तब भी राम भक्तों के संकल्प के सामने किसी के भी राम मंदिर विरोधी षड्यंत्र सफल नहीं हो सके और भव्य राम मंदिर का निर्माण हो गया तो उन्होंने यह नया प्रपंच रचा है.

ये लोग सत्ता में आने पर संविधान को बदल देना चाहते हैं और राम मंदिर की जगह बाबरी मस्जिद बनाना चाहते हैं. इन्होंने अपने इरादे पहले ही बता दिए हैं. इसलिए ऐसे नेता बार-बार बाबरी की बात करके समाज को भड़काते हैं. छोटे-छोटे बच्चे भी  यही जहर भरे हुए नारे लगा रहे हैं.

विहिप राम भक्तों का आह्वान करती है कि अपने मतदान द्वारा इन राम विरोधी और राष्ट्र विरोधी षडयंत्रों को असफल करें. वे मतदान अवश्य करें. “शत प्रतिशत मतदान और राष्ट्र के हित में मतदान”, हमारा यही संकल्प इन राष्ट्र विरोधी तत्वों को मुंहतोड़ जवाब देने में सफल होगा.

 

Wednesday, May 1, 2024

जूना अखाड़े की अनूठी पहल – अनुसूचित समाज के तपस्वी, ज्ञानवान साधुओं को भी महामंडलेश्वर की उपाधि


भगवान दत्तात्रेय व प्रभु श्रीराम की भक्ति में लीन महेंद्रानंद गिरि जी को जूना अखाड़ा ने जगद्गुरु की उपाधि प्रदान की. महेंद्रानंद गिरि जी वंचित समाज से आते हैं, लेकिन धर्म के प्रति उनके समर्पण के कारण जगदगुरु की उपाधि प्रदान की गई. अब महेंद्रानंद गिरी जी वंचित समाज के अन्य लोगों को सनातन धर्म से जोड़ने के अभियान में जुटे हैं.

वर्ष 2018 में महामंडलेश्वर बनने वाले वंचित समाज के कन्हैया प्रभुनंद गिरि जी कहते हैं – धर्मगुरु बनने के बाद उनका जीवन बदल गया. जो हेय दृष्टि से देखते थे, वे सम्मान करने लगे. महामंडलेश्वर बनने के पश्चात शिक्षा, सेवा प्रकल्प चलाकर मतांतरण रोकने के अभियान में जुटा हूं. कुछ ऐसे ही भाव इसी समाज के कैलाशानंद गिरि जी के हैं. जूना अखाड़ा ने इन्हें भी महामंडलेश्वर बनाया है.

इधर, अखाड़े ने आदिवासियों व वंचित समाज के संन्यासियों को महामंडलेश्वर बनाने का अभियान तेज कर दिया है. दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, अभी तक 52 आदिवासियों का चयन महामंडलेश्वर बनाने के लिए किया है. लोभ-भय, समाज से उपेक्षित व सरकारी सुविधाओं से वंचित लोग मतांतरण करते हैं. इनके घनत्व वाले क्षेत्रों में ईसाई मिशनरियां सक्रिय हैं. इसे देखते हुए जूना अखाड़ा के संन्यासी इनके बीच समय व्यतीत करके उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने में जुटे हैं. मेल-मिलाप करके उनके बीच के व्यक्ति को धर्मगुरु बनाने की योजना है.

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, गुजरात और महाराष्ट्र में आदिवासी एवं वंचित समाज के व्यापक घनत्व वाले क्षेत्रों के प्रभावशाली लोगों को अखाड़े से जोड़ा जा रहा है. इसमें कर्मकांड व सनातन धर्म में आस्था रखने वालों को महाकुंभ-2025 में महामंडलेश्वर की उपाधि प्रदान की जाएगी. अभी तक मध्य प्रदेश से पांच, छत्तीसगढ़ से 12, झारखंड से आठ, गुजरात से 15 और महाराष्ट्र के आदिवासी क्षेत्रों से 12 लोगों को महामंडलेश्वर बनाने के लिए चुना गया है.

जूना अखाड़ा ने पिछले 10 वर्षों में 5,150 से अधिक वंचित समाज के संन्यासियों को सनातन धर्म से जोड़ा है. इनके बीच से योग्य लोग महामंडलेश्वर बनाए जाएंगे. जूना अखाड़ा के सभापति श्रीमहंत प्रेम गिरि जी कहते हैं कि पद जाति से नहीं, योग्यता के आधार पर मिलना चाहिए. इसी कारण अखाड़े ने आदिवासी एवं वंचित समाज के योग्य लोगों को महामंडलेश्वर बनाने का निर्णय लिया है.

पद के लिए देनी होती है परीक्षा

जूना अखाड़ा में महामंडलेश्वर पद के लिए संबंधित को परीक्षा देनी पड़ती है. उन्हें पहले अखाड़े के किसी आश्रम से जोड़कर सनातन धर्म के ग्रंथों का अध्ययन कराया जाता है. अगर अनपढ़ हैं तो उन्हें पढ़े-लिखे संन्यासी धर्मग्रंथों का मर्म आत्मसात कराते हैं. घर-परिवार से दूर रहकर भक्ति व त्याग वाली दिनचर्या अपनानी होती है. पांच वर्ष तक इसमें खरा उतरने वालों को पद दिया जाता है.

आज चार लोग बनेंगे महामंडलेश्वर

जूना अखाड़ा ने 30 अप्रैल को गुजरात के सायंस सिटी सोला अहमदाबाद में पट्टाभिषेक समारोह का आयोजन किया है. इसमें वंचित समाज के संन्यासियों का महामंडलेश्वर पद का पट्टाभिषेक होगा. इसमें मंगल दास जी, प्रेम दास जी, हरि प्रसाद जी व मोहन दास बापू जी को महामंडलेश्वर बनाया जाएगा. इनके साथ लगभग पांच हजार लोग सनातन धर्म से जुड़ेंगे.

Monday, April 29, 2024

आरएसएस नाम उपयोग करने का मामला – जनार्दन मून की याचिका खारिज, उच्च न्यायालय ने एफआईआर रद्द करने से किया इंकार

नागपुर. जनार्दन मून और पाशा नामक स्वयंघोषित एक्टिविस्ट द्वारा विगत दिनों नागपुर सिविल लाईन्स स्थित प्रेस क्लब में पत्रकार परिषद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नाम का उपयोग करते हुए मनगढ़ंत दावे किए थे. समाज तथा स्वयंसेवकों में संभ्रम निर्माण करने के कृत्य को लेकर चुनाव आयोग में शिकायत के साथ ही, सीताबर्डी पुलिस थाने में उपरोक्त व्यक्तियों के खिलाफ अपराध दर्ज करवाया था. इस आपराधिक मामले को निरस्त करवाने के उद्देश्य से दोनों ने मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की थी. न्यायमूर्ति विनय जोशी और न्यायमूर्ति वृषाली जोशी की खंडपीठ ने जनार्दन मून की याचिका खारिज कर दी.

जनार्दन मून और पाशा ने २३ मार्च की पत्रकार परिषद के दौरान उनके द्वारा नामित ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ का कांग्रेस पार्टी को समर्थन घोषित किया था. इस मामले में रा. स्व. संघ नागपुर महानगर कार्यवाह रवींद्र बोकारे ने सीताबर्डी पुलिस थाने में शिकायत की थी. इस पर पुलिस ने आईटी कानून की धारा ६६ (क तथा ड) और भादंवि की धारा ५०५ (२) के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया था.

शिकायतकर्ता रवींद्र बोकारे को २३ मार्च के दिन व्हॉटसएप पर, जनार्दन मून द्वारा नामित ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ नाम से पत्रकार परिषद आयोजित करने की जानकारी प्राप्त हुई थी. पत्रकार परिषद में मून तथा पाशा ने मनगढ़ंत दावे किए थे.

इसके पूर्व भी, जनार्दन मून ने आरएसएस नामक संस्था स्थापन करने हेतु सहायक निबंधक कार्यालय में निवेदन किया था. किन्तु, उनका आवेदन खारिज हो गया था. इसके खिलाफ उन्होंने मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की थी और सर्वोच्च न्यायालय में भी विशेष अनुमति याचिका द्वारा (एसएलपी) निर्णय को चुनौती दी थी. इन सभी याचिकाओं को माननीय न्यायालय खारिज कर चुका है. जनार्दन मून की ‘आरएसएस’ नामक कोई भी संस्था नहीं है. किन्तु उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नाम का दुरुपयोग कर सोशल मीडिया पर संघ के विषय में भ्रामक वृत्त प्रसारित किया, इसलिए मून एवं पाशा इन दोनों के खिलाफ पुलिस द्वारा आपराधिक मामला दर्ज किया गया.

Wednesday, April 10, 2024

सृष्टि-निर्माण दिवस की स्मृति के रूप में यह हमारी संस्कृति का उज्ज्वल और महत्त्वपूर्ण दिन – रमेश जी

  •  सूर्योदय होते ही भगवान भास्कर को अर्घ्य प्रदान कर नववर्ष विक्रम संवत 2081 का काशी ने किया स्वाग


वाराणसीचैत्र शुक्ल 1 नए वर्ष का प्रथम दिवस है। इसीलिए इसे वर्ष प्रतिपदा कहते हैं। भारतीय प्राचीन वाङ्मय के अनुसार सृष्टि का प्रारम्भ इसी दिन से हुआ। सृष्टि-निर्माण दिवस की स्मृति के रूप में यह हमारी संस्कृति का उज्ज्वल और महत्त्वपूर्ण दिन है। उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त प्रचारक रमेश जी ने संस्कार भारती, काशी महानगर एवं भृगु योग (ब्रह्म चिन्ता प्रणाली) ट्रस्ट की ओर से प्रतिपदा विक्रम संवत-2081  के अवसर आयोजित कार्यक्रम ‘नव संवत्सर अभिसिंचन समारोह’ में व्यक्त किया|
शिवाला घाट पर आयोजित इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि चैत्र शुक्ल प्रथम नए वर्ष का प्रथम दिवस है। इसीलिए इसे वर्ष प्रतिपदा कहते हैं। भारतीय प्राचीन वाङ्मय के अनुसार सृष्टि का प्रारम्भ इसी दिन से हुआ। यही कारण है कि अपने देश में प्रचलित सभी संवत् इसी दिन से प्रारम्भ होते हैं।
उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति हो या समाज अथवा राष्ट्र उसके जीवन में नया वर्ष नई-नई भावनाएँ, नई-नई अभिलाषाएँ और नई-नई आकांक्षाएँ तथा उमंगें लेकर आता है। हर कोई आशा करता है कि आने वाला वर्ष उसके ही नहीं सभी के जीवन पथ को नव आलोक से प्रकाशित करके उसमें नयापन लाएगा और विगत वर्षों में किसी भी कारण से यदि कहीं भी और कोई भी कमी रह गई हो तो वह इस वर्ष में अवश्य पूरी हो जाएगी।
उन्होंने आगे कहा कि भारत के सामाजिक जीवन में जो कुछ भी मान्यताएँ, विश्वास और धारणाएँ स्थापित की गई हैं उनके पीछे कोई न कोई महत्त्वपूर्ण आधार अवश्य है। हमारे नए वर्ष की मान्यता के पीछे भी विशुद्ध सांस्कृतिक, प्राकृतिक और आर्थिक कारण हैं। सृष्टि-निर्माण दिवस की स्मृति के रूप में यह हमारी संस्कृति का उज्ज्वल और महत्त्वपूर्ण दिन है। जहाँ तक प्रकृति का प्रश्न है इस अवसर पर वह स्वयं ही नूतनता के परिवेश में डूबी हुई होती है, जिसका आभास चारों ओर छाए वातावरण में आए पूर्ण परिवर्तन से मिलता है। वसन्त के बाद का सुहावना मौसम चारों ओर छाया हुआ होता है। वृक्षों पर नई-नई कोपलें आई हुई होती हैं, आम के वृक्षों पर पूरी तरह से छाया बौर अपनी मीठी-मीठी सुगन्ध चारों ओर फैला रहा होता है, जिससे वातावरण में मादकता, मोहकता और मदान्धता भर जाती है। प्रकृति के इस परिवर्तन का कोयल कुहुक-कुहुक कर स्वागत करती है और जहाँ तक व्यक्ति, समाज या राष्ट्र की आर्थिक समृद्धि का प्रश्न है वह भी इसी समय से शुरू होती है।
समारोह का आरंभ प्रात: 5 बजे संस्कार भारती के ध्येय गीत की भरतनाट्यम प्रस्तुति डॉ. प्रियंवदा तिवारी पौड्याल के निर्देशन में अंजलि, शिखा पांडे, सरिता दुबे तथा शिवांगी तिवारी द्वारा प्रस्तुत किया गया। इसके पश्चात प्रभाती गायन मंच कला संकाय बीएचयू की शोध छात्रा निबेदिता श्याम द्वारा किया गया साथ में तबला संगत श्री अभिनंदन मिश्रा एवं हरमोनियम संगत श्री आनंद कुमार ने किया। तत्पश्चात सूर्योदय होते ही मुख्य अतिथि समेत उपस्थित लोगों ने माँ गंगा के तट पर डमरू एवं शंख वादन के साथ भगवान भास्कर को अर्घ्य प्रदान कर नववर्ष विक्रम संवत 2081 का स्वागत किया। इसके पश्चात अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकर पुरी जी महाराज ने आशीर्वचन व संदेश दिया। कार्यक्रम की व्यवस्था स्वप्निल एवं नवीन चंद्र ने तथा रंगोली शिवांशी विश्वकर्मा ने बनाया। इस अवसर पर महापौर अशोक तिवारी, संस्कार भारती काशी प्रान्त संगठन मंत्री दीपक शर्मा एवं दैनिक जागरण वाराणसी के सम्पादक भारतीय बसंत कुमार समेत बड़ी संख्या में विद्यार्थियों की टोली उपस्थिती रही। इसमें विशिष्ट उपस्थिति सुरभि शोध संस्थान द्वारा संचालित वनवासी छात्रावास, डगमगपुर से आए नॉर्थ ईस्ट के लगभग 300 विद्यार्थियों की संख्या रही| जिनको नव संवत्सर एवं भारतीय संस्कृति के महत्त्व से परिचित होने का अवसर मिला। इसके अतिरिक्त भदैनी शिशु मंदिर के लगभग 150 विद्यार्थी एवं लगभग 100 की संख्या में बटुकों की उपस्थिती रही। साथ ही 51 की संख्या में युवा चित्रकारों द्वारा चित्रांकन किया गया। अतिथियों का स्वागत समारोह के स्वागताध्यक्ष डॉ. आर.वी. शर्मा जी, धन्यवाद ज्ञापन संस्कार भारती, काशी महानगर के अध्यक्ष डॉ. के.ए. चंचल एवं संचालन कार्यक्रम संयोजक प्रमोद पाठक ने किया।

Sunday, March 17, 2024

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अ. भा. प्रतिनिधि सभा में पारित प्रस्ताव – श्रीराममन्दिर से राष्ट्रीय पुनरुत्थान की ओर

प्रस्ताव

श्रीराममन्दिर से राष्ट्रीय पुनरुत्थान की ओर

पौष शुक्ल द्वादशी, युगाब्द 5125 (22 जनवरी 2024) को श्रीरामजन्मभूमि पर श्रीरामलला के विग्रह की भव्य-दिव्य प्राण प्रतिष्ठा विश्व इतिहास का एक अलौकिक एवं स्वर्णिम पृष्ठ है। हिन्दू समाज के सैकड़ों वर्षों के सतत संघर्ष एवं बलिदान, पूज्य संतों और महापुरुषों के मार्गदर्शन में चले राष्ट्रव्यापी आंदोलन तथा समाज के विभिन्न घटकों के सामूहिक संकल्प के परिणामस्वरुप संघर्षकाल के एक दीर्घ अध्याय का सुखद समाधान हुआ। इस पवित्र दिवस को जीवन में साक्षात् देखने के शुभ अवसर के पीछे शोधकर्ताओं, पुरातत्वविदों, विचारकों, विधिवेत्ताओं, संचार माध्यमों, बलिदानी कारसेवकों सहित आंदोलनरत समस्त हिन्दू समाज तथा शासन-प्रशासन का महत्त्वपूर्ण योगदान विशेष उल्लेखनीय है। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा इस संघर्ष में जीवन अर्पण करनेवाले सभी हुतात्माओं के प्रति श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उपर्युक्त सभी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करती है।

श्रीराममन्दिर में अभिमंत्रित अक्षत वितरण अभियान में समाज के समस्त वर्गों की सक्रिय सहभागिता रही। लाखों रामभक्तों ने सभी नगरों और अधिकांश  गाँवों में करोड़ों परिवारों से संपर्क किया। 22 जनवरी 2024  को भारत ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण विश्व में अद्भुत आयोजन किये गए। गली-गली और गाँव-गाँव में स्वप्रेरणा से निकली शोभायात्राओं, घर-घर में आयोजित दीपोत्सवों तथा लहराती भगवा पताकाओं और मंदिरों-धर्मस्थलों में हुए संकीर्तनों आदि के आयोजनों ने समाज में एक नवीन ऊर्जा का संचार किया।

श्री अयोध्याधाम में प्राणप्रतिष्ठा के दिन देश के धार्मिक, राजनैतिक एवं समाज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र के शीर्ष नेतृत्व तथा सभी मत-पंथ-सम्प्रदाय के पूजनीय संतवृंद की गरिमामयी उपस्थिति थी। यह इस बात की द्योतक है कि श्रीराम के आदर्शों के अनुरूप समरस, सुगठित राष्ट्रजीवन खड़ा करने का वातावरण बन गया है। यह भारत के पुनरुत्थान के गौरवशाली अध्याय के प्रारंभ का संकेत भी है। श्रीरामजन्मभूमि पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से परकीयों के शासन और संघर्षकाल में आई आत्मविश्वास की कमी और आत्मविस्मृति से समाज बाहर आ रहा है। सम्पूर्ण समाज हिंदुत्व के भाव से ओतप्रोत होकर अपने “स्व” को जानने तथा उसके आधार पर जीने के लिए तत्पर हो रहा है।

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जीवन हमें सामाजिक दायित्वों के प्रति प्रतिबद्ध रहते हुए समाज व राष्ट्र के लिए  त्याग करने की प्रेरणा देता है। उनकी शासन पद्धति “रामराज्य” के नाम से विश्व इतिहास में प्रतिष्ठित हुई, जिसके आदर्श सार्वभौमिक व सार्वकालिक हैं। जीवन मूल्यों का क्षरण, मानवीय संवेदनाओं में आई कमी, विस्तारवाद के कारण बढ़ती हिंसा व क्रूरता आदि चुनौतियों का सामना करने हेतु रामराज्य की संकल्पना सम्पूर्ण विश्व के लिए आज भी अनुकरणीय है।

प्रतिनिधि सभा का यह सुविचारित मत है कि सम्पूर्ण समाज अपने जीवन में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शों को प्रतिष्ठित करने का संकल्प ले, जिससे राममंदिर के पुनर्निर्माण का उद्देश्य सार्थक होगा। श्रीराम के जीवन मे परिलक्षित त्याग, प्रेम, न्याय, शौर्य, सद्भाव एवं निष्पक्षता आदि धर्म के शाश्वत मूल्यों को आज  समाज में पुनः प्रतिष्ठित करना आवश्यक है। सभी प्रकार के परस्पर वैमनस्य और भेदों को समाप्त कर समरसता से युक्त पुरुषार्थी समाज का निर्माण करना ही श्रीराम की वास्तविक आराधना होगी।

अ. भा. प्र. सभा समस्त भारतीयों का आवाहन करती है कि बंधुत्वभाव से युक्त, कर्तव्यनिष्ठ, मूल्याधारित और सामाजिक न्याय की सुनिश्चितता करनेवाले समर्थ भारत का निर्माण करें, जिसके आधार पर वह एक सर्वकल्याणकारी वैश्विक व्यवस्था का निर्माण करने में अपनी महती भूमिका का निर्वहन कर सकेगा।

Friday, March 15, 2024

अ.भा.प्र.सभा : अक्षत वितरण अभियान में 45 लाख कार्यकर्ताओं ने 19.38 करोड़ परिवारों से संपर्क किया – डॉ. मनमोहन वैद्य जी

  • प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन 9.85 लाख कार्यक्रमों में 27.81 करोड़ लोगों की सहभागिता
  • संघ सम्पूर्ण समाज का संगठन है, 99 प्रतिशत जिलों में संघ कार्य
  • संघ शिक्षा वर्ग के पाठ्यक्रम में महत्वपूर्ण बदलाव
  • नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का शुभारम्भ

नागपुर, 15 मार्च| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आद्य सरसंघचालक डॉ. केशव बळिराम हेडगेवार ने कहा था कि, “संघ सम्पूर्ण समाज का संगठन है”. इसका अनुभव हम गत 99 वर्षों से कर रहे हैं. वर्ष 2017 से 2024 तक संघ कार्य के विस्तार का आकलन करने से इसकी व्यापकता ध्यान में आती है. देश के 99 प्रतिशत जिलों में संघ का कार्य चल रहा है. यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य जी ने आज अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के शुभारंभ के पश्चात स्वामी दयानंद सरस्वती परिसर में आयोजित प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कही.

मंच पर अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील जी आम्बेकर भी उपस्थित थे. इस अवसर पर अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख द्वय – नरेंद्र कुमार जी और आलोक कुमार जी भी उपस्थित थे.

इससे पूर्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का शुभारम्भ सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने भारत माता के चित्र पर पुष्पार्चन करके किया. इस वर्ष बैठक का आयोजन नागपुर (महाराष्ट्र) में रेशिम बाग, स्मृति मन्दिर परिसर में 15-17 मार्च तक किया गया है. बैठक में सभी 45 प्रांतों से 1500 से अधिक कार्यकर्ता उपस्थित हैं.

डॉ. मनमोहन वैद्य ने संघ कार्य के विस्तार के बारे में बताया कि कार्य की दृष्टि से संघ के 45 प्रान्त हैं, इसके बाद विभाग और फिर जिला, खंड ऐसी रचना है. ऐसे 922 जिलों में, 6597 खंडों (तहसील) में तथा 12-15 गावों का एक समूह जिसे हम मण्डल कहते हैं, ऐसे 27720 मंडलों में संघ की कुल 73,117 दैनिक शाखाएं लगती हैं. गत वर्ष से 4466 शाखाएं बढ़ी हैं. इन शाखाओं में 60 प्रतिशत विद्यार्थी और 40 प्रतिशत नौकरी अथवा व्यवसाय करने वाले कार्यकर्ताओं का समावेश है. इसमें 40 वर्ष से अधिक आयु के प्रौढ़ों की संख्या 11 प्रतिशत है. साप्ताहिक मिलन की संख्या 27,717 है, जिसमें गत वर्ष से 840 साप्ताहिक मिलनों की वृद्धि हुई. संघ मंडली की संख्या 10,567 है. नगर और महानगरों के 10 हजार बस्तियों में 43 हजार प्रत्यक्ष शाखाएं लगती हैं.

महिला समन्वय

महिला समन्वय के कार्य में राष्ट्र सेविका समिति व विभिन्न संगठनों में सक्रिय महिला कार्यकर्ताओं के माध्यम से 44 प्रान्तों में 460 महिला सम्मेलन हुए, जिसमें 5 लाख 61 हजार महिलाएं सहभागी हुईं. संघ के शताब्दी वर्ष की तैयारी की दृष्टि से यह महत्त्वपूर्ण है. भारतीय चिन्तन, समाज परिवर्तन में महिलाओं की सक्रिय सहभागिता बढ़े, यही इसका हेतु है.

अहिल्याबाई होल्कर की जन्म की त्रिशताब्दी वर्ष मई 2024 से अप्रैल 2025 तक मनाई जाने वाली है. अहिल्याबाई होल्कर ने देशभर के धार्मिक स्थलों का पुनर्निमाण करवाया और अभावग्रस्त लोगों के आर्थिक स्वावलम्बन के लिए बहुत कार्य किए हैं, जिसके संबंध में समाज को जानकारी नहीं है. इस वर्ष उनके योगदान को सम्पूर्ण भारत में प्रसारित करने की दृष्टि से योजना पर कार्य शुरू है. आगामी लोकसभा चुनाव में शत प्रतिशत मतदान हो, इस हेतु संघ स्वयंसेवक घर-घर जाकर जन जागृति करेंगे.

अयोध्या में रामलला प्राण-प्रतिष्ठा से संघ का व्यापक जनसंपर्क हुआ. अक्षत वितरण अभियान द्वारा 5,78,778 गावों और 4,727 नगरों के कुल 19 करोड़, 38 लाख, 49 हजार, 71 परिवारों से स्वयंसेवक सहित 44 लाख, 98 हजार 334 रामभक्तों ने संपर्क किया. इस अभियान द्वारा प्राप्त उत्साही प्रतिक्रिया और स्वागत ने लोगों में हमारे विश्वास को फिर से आश्वस्त किया.

संघ शिक्षा वर्गों की रचना में नवीन पाठ्यक्रम

संघ शिक्षा वर्ग की रचना में नवीन पाठ्यक्रम जोड़ने का निर्णय हुआ है. पहले संघ शिक्षा वर्ग की रचना में – 7 दिनों का प्राथमिक शिक्षा वर्ग, 20 दिनों का प्रथम वर्ष, 20 दिनों का द्वितीय वर्ष और 25 दिनों का तृतीय वर्ष होता था. अब आगे नवीन रचना में 3 दिनों का प्रारम्भिक वर्ग, 7 दिनों का प्राथमिक शिक्षा वर्ग तथा 15 दिनों का संघ शिक्षा वर्ग तथा कार्यकर्ता विकास वर्ग-एक 20 दिन और 25 दिनों का कार्यकर्ता विकास वर्ग-2 होंगे. इन वर्गों में विशेष रूप से व्यावहारिक प्रशिक्षण का समावेश भी रहेगा.

rss.org संघ के इस बेबसाइट पर प्रतिवर्ष जॉइन आरएसएस हेतु वर्ष 2017 से 2023 तक एक लाख से अधिक रिक्वेस्ट निरंतर आ रही है. जनवरी और फ़रवरी २०२४ में इन आंकड़ों में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद दोगुनी बढ़ोतरी हुई है.