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Sunday, January 21, 2024

प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निमित्त सरसंघचालक जी का लेख ...


हमारे भारत का इतिहास पिछले लगभग डेढ़ हजार वर्षों से आक्रांताओं से निरंतर संघर्ष का इतिहास है। आरंभिक आक्रमणों का उद्देश्य लूटपाट करना और कभी-कभी (सिकंदर जैसे आक्रमण) अपना राज्य स्थापित करने के लिए होता था। परंतु इस्लाम के नाम पर पश्चिम से हुए आक्रमण यह समाज का पूर्ण विनाश और अलगाव ही लेकर आए। देश-समाज को हतोत्साहित करने के लिए उनके धार्मिक स्थलों को नष्ट करना अनिवार्य था, इसलिए विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत में मंदिरों को भी नष्ट कर दिया। ऐसा उन्होंने एक बार नहीं, बल्कि अनेकों बार किया। उनका उद्देश्य भारतीय समाज को हतोत्साहित करना था ताकि भारतीय स्थायी रूप से कमजोर हो जाएँ और वे उन पर अबाधित शासन कर सकें।

अयोध्या में श्रीराम मंदिर का विध्वंस भी इसी मनोभाव से, इसी उद्देश्य से किया गया था। आक्रमणकारियों की यह नीति केवल अयोध्या या किसी एक मंदिर तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि संपूर्ण विश्व के लिए थी।

भारतीय शासकों ने कभी किसी पर आक्रमण नहीं किया, परन्तु विश्व के शासकों ने अपने राज्य के विस्तार के लिए आक्रामक होकर ऐसे कुकृत्य किये हैं। परंतु इसका भारत पर उनकी अपेक्षानुसार वैसा परिणाम नहीं हुआ, जिसकी आशा वे लगा बैठे थे। इसके विपरीत भारत में समाज की आस्था निष्ठा और मनोबल कभी कम नहीं हुआ, समाज झुका नहीं, उनका प्रतिरोध का जो संघर्ष था वह चलता रहा। इस कारण जन्मस्थान बार-बार पर अपने आधिपत्य में कर, वहां मंदिर बनाने का निरंतर प्रयास किया गया। उसके लिए अनेक युद्ध, संघर्ष और बलिदान हुए। और राम जन्मभूमि का मुद्दा हिंदुओं के मन में बना रहा।

1857 में विदेशी अर्थात ब्रिटिश शक्ति के विरुद्ध युद्ध योजनाएं बनाई जाने लगी तो उसमें हिंदू और मुसलमानों ने मिलकर उनके विरुद्ध लड़ने की तैयारी दर्शाई और तब उनमें आपसी विचार-विनिमय हुआ। और उस समय गौ–हत्या बंदी और श्रीरामजन्मभूमि मुक्ति के मुद्दे पर सुलह हो जाएगी, ऐसी स्थिति निर्माण हुई। बहादुर शाह जफर ने अपने घोषणापत्र में गौहत्या पर प्रतिबंध भी शामिल किया। इसलिए सभी समाज एक साथ मिलकर लड़े। उस युद्ध में भारतीयों ने वीरता दिखाई लेकिन दुर्भाग्य से यह युद्ध विफल रहा, और भारत को स्वतंत्रता नहीं मिली, ब्रिटिश शासन अबाधित रहा, परन्तु राम मंदिर के लिए संघर्ष नहीं रुका।

अंग्रेज़ों की हिंदू मुसलमानों में "फूट डालो और राज करो" की नीति के अनुसार, जो पहले से चली आ रही थी और इस देश की प्रकृति के अनुसार अधिक से अधिक सख्त होती गई। एकता को तोड़ने के लिए अंग्रेजों ने संघर्ष के नायकों को अयोध्या में फाँसी दे दी और राम जन्मभूमि की मुक्ति का प्रश्न वहीं का वहीं रह गया। राम मंदिर के लिए संघर्ष जारी रहा।

1947 में देश को स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद जब सर्वसम्मति से सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया, तभी ऐसे मंदिरों की चर्चा शुरू हुई। राम जन्मभूमि की मुक्ति के संबंध में ऐसी सभी सर्वसम्मति पर विचार किया जा सकता था, परंतु राजनीति की दिशा बदल गयी। भेदभाव और तुष्टीकरण जैसे स्वार्थी राजनीति के रूप प्रचलित होने लगे और इसलिए प्रश्न ऐसे ही बना रहा। सरकारों ने इस मुद्दे पर हिंदू समाज की इच्छा और मन की बात पर विचार ही नहीं किया। इसके विपरीत, उन्होंने समाज द्वारा की गई पहल को उध्वस्त करने का प्रयास किया। स्वतन्त्रता पूर्व से ही इससे संबंधित चली आ रही कानूनी लड़ाई निरंतर चलती रही। राम जन्मभूमि की मुक्ति के लिए जन आंदोलन 1980 के दशक में शुरू हुआ और तीस वर्षों तक जारी रहा।

वर्ष 1949 में राम जन्मभूमि पर भगवान श्री रामचन्द्र की मूर्ति का प्राकट्य हुआ। 1986 में अदालत के आदेश से मंदिर का ताला खोल दिया गया। आगामी काल में अनेक अभियानों एवं कारसेवा के माध्यम से हिन्दू समाज का सतत संघर्ष जारी रहा। 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला स्पष्ट रूप से समाज के सामने आया। जल्द से जल्द अंतिम निर्णय के माध्यम से इस मुद्दे को हल करने के लिए आगे भी आग्रह जारी रखना पड़ा। 9 नवंबर 2019 में 134 वर्षों के कानूनी संघर्ष के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सत्य और तथ्यों को परखने के बाद संतुलित निर्णय दिया। दोनों पक्षों की भावनाओं और तथ्यों पर भी विचार इस निर्णय में किया गया था। कोर्ट में सभी पक्षों के तर्क सुनने के बाद यह निर्णय सुनाया गया है। इस निर्णय के अनुसार मंदिर के निर्माण के लिए एक न्यासी मंडल की स्थापना की गई। मंदिर का भूमिपूजन 5 अगस्त 2020 को हुआ और अब पौष शुक्ल द्वादशी युगाब्द 5125, तदनुसार 22 जनवरी 2024 को श्री रामलला की मूर्ति स्थापना और प्राणप्रतिष्ठा समारोह का आयोजन किया गया है।

धार्मिक दृष्टि से श्री राम बहुसंख्यक समाज के आराध्य देव हैं और श्री रामचन्द्र का जीवन आज भी संपूर्ण समाज द्वारा स्वीकृत आचरण का आदर्श है। इसलिए अब अकारण विवाद को लेकर जो पक्ष-विपक्ष खड़ा हुआ है, उसे ख़त्म कर देना चाहिए। इस बीच में उत्पन्न हुई कड़वाहट भी समाप्त होनी चाहिए। समाज के प्रबुद्ध लोगों को यह अवश्य देखना चाहिए कि विवाद पूर्णतः समाप्त हो जाये। अयोध्या का अर्थ है 'जहाँ युद्ध न हो', 'संघर्ष से मुक्त स्थान' वह नगर ऐसा है। संपूर्ण देश में इस निमित्त मन में अयोध्या का पुनर्निर्माण आज की आवश्यकता है और हम सभी का कर्तव्य भी है।

अयोध्या में श्री राम मंदिर के निर्माण का अवसर अर्थात राष्ट्रीय गौरव के पुनर्जागरण का प्रतीक है। यह आधुनिक भारतीय समाज द्वारा भारत के आचरण के मर्यादा की जीवनदृष्टि की स्वीकृति है। मंदिर में श्रीराम की पूजा 'पत्रं पुष्पं फलं तोयं' की पद्धति से और साथ ही राम के दर्शन को मन मंदिर में स्थापित कर उसके प्रकाश में आदर्श आचरण अपनाकर भगवान श्री राम की पूजा करनी है क्योंकि "शिवो भूत्वा शिवं भजेत् रामो भूत्वा रामं भजेत्" को ही सच्ची पूजा कहा गया है।

 

इस दृष्टि से विचार करें तो भारतीय संस्कृति के सामाजिक स्वरूप के अनुसार

मातृवत् परदारेषु, परद्रव्येषु लोष्ठवत्।

आत्मवत् सर्वभूतेषु, यः पश्यति सः पंडितः।

इस तरह हमें भी श्री राम के मार्ग पर चलने होगा।

जीवन में सत्यनिष्ठा, बल और पराक्रम के साथ क्षमा, विनयशीलता और नम्रता, सबके साथ व्यवहार में नम्रता, हृदय की सौम्यता और कर्तव्य पालन में स्वयं के प्रति कठोरता इत्यादि, श्री राम के गुणों का अनुकरण हर किसी को अपने जीवन में और अपने परिवार में सभी के जीवन में लाने का प्रयत्न ईमानदारी, लगन और मेहनत से करना होगा।

साथ ही, अपने राष्ट्रीय जीवन को देखते हुए सामाजिक जीवन में भी अनुशासन बनाना होगा। हम जानते हैं कि श्री राम-लक्ष्मण ने उसी अनुशासन के बल पर अपना 14 वर्ष का वनवास और शक्तिशाली रावण के साथ सफल संघर्ष पूरा किया था। श्री राम के चरित्र में प्रतिबिंबित न्याय और करुणा, सद्भाव, निष्पक्षता, सामाजिक गुण, एक बार फिर समाज में व्याप्त करना, शोषण रहित समान न्याय पर आधारित, शक्ति के साथ-साथ करुणा से संपन्न एक पुरुषार्थी समाज का निर्माण करना, यही श्रीराम की पूजा होगी।

अहंकार, स्वार्थ और भेदभाव के कारण यह विश्व विनाश के उन्माद में है और अपने ऊपर अनंत विपत्तियाँ ला रहा है। सद्भाव, एकता, प्रगति और शांति का मार्ग दिखाने वाले जगदाभिराम भारतवर्ष के पुनर्निर्माण का सर्व-कल्याणकारी और 'सर्वेषाम् अविरोधी' अभियान का प्रारंभ, श्री रामलला के राम जन्मभूमि में प्रवेश और उनकी प्राण-प्रतिष्ठा से होने वाला है। हम उस अभियान के सक्रिय कार्यान्वयनकर्ता हैं। हम सभी ने 22 जनवरी के भक्तिमय उत्सव में मंदिर के पुनर्निर्माण के साथ-साथ भारत और इससे पूरे विश्व के पुनर्निर्माण को पूर्तता में लाने का संकल्प लिया है। इस भावना को अंतर्मन में स्थापित करते हुए अग्रसर हो ...

जय सिया राम।


लेखक - डॉ. मोहन भागवत

(सरसंघचालक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ)

(मूल मराठी से अनुवाद)

श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह – काशी के डोमराजा सहित विभिन्न वर्गों से पंद्रह यजमान

 

अयोध्या | श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में काशी के डोमराजा सहित विभिन्न वर्गों से पंद्रह यजमान सपत्नीक शामिल होंगे. इनके निर्धारण में ध्यान रखा गया है कि समाज के निचले पायदान से भी प्रभु श्री राम के समारोह में सहभागिता हो.

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार उदयपुर से वनवासी कल्याण आश्रम के अध्यक्ष रामचन्द्र खराड़ी, असम से राम कुई जेमी, गुरुचरण सिंह गिल जयपुर, कृष्ण मोहन हरदोई, रमेश जैन मुल्तानी, अझलारासन तमिलनाडु, विट्ठलराव कांबले मुंबई, महादेव गायकवाड़ घुमंतू समाज, ट्रस्टी लातूर महाराष्ट्र, श्री लिंग राज वासव राज अप्पा, कलबुर्गी कर्नाटक, दिलीप वाल्मीकि लखनऊ, अनिल चौधरी डोमराजा काशी, और काशी के ही कैलाश यादव, कवीन्द्र प्रताप सिंह तथा पलवल हरियाणा के अरुण चौधरी प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के यजमान होंगे.

Friday, January 19, 2024

चरण कमल बंदौ हरि राई... : श्रीराम की चरण पादुका दर्शन के लिए उमड़ा प्रतापगढ़

  •  हर कंठ ने बोला जय श्रीराम....भगवाधारी हुआ प्रतापगढ़ 

प्रतापगढ़| चरन-कमल बंदौं हरि-राइ। जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै, अंधे कौं सब कछु दरसाइ॥ बहिरौ सुनै, गूँग पुनि बोलै, रंक चलै सिर छत्र धराइ। सूरदास स्वामी करुनामय, बार-बार बंदौं तिहिं पाइ॥ प्रभु श्रीराम की चरण पादुका की एक झलक पाने के लिए प्रतापगढ़ के भाव विह्वल लोग कुछ ऐसे ही व्यग्र दिखे| श्रीराम की चरण पादुका यात्रा चित्रकूट से चलकर कौशांबी, प्रयागराज, श्रृंगवेरपुर होते हुए प्रतापगढ़ पहुंची। प्रतापगढ़ की सीमा पर पहुंचने पर पुष्प वर्षा एवं जय श्री राम के उद्घोष के साथ शंखध्वनि करते हुए वैदिक मंत्र उच्चारण द्वारा पुष्प वर्षा कर भव्य स्वागत किया गया। यात्रा में उपस्थित हर कंठ के जय श्रीराम के उद्घोष से वातावरण राममय हो गया|

श्रीराम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा संपर्क अभियान समिति प्रतापगढ़ के संयोजकत्व एवं एकल विद्यालय तथा विश्व हिंदू परिषद प्रतापगढ़ के नेतृत्व में यात्रा विश्वनाथगंज शनि देव धाम के ठीक सामने पहुंचाते ही स्थानीय नागरिकों एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचार परिवार के कार्यकर्ताओं ने शीश नवाकर चरण पादुका का दर्शन पूजन किया। यात्रा राजगढ़ होते हुए भूपिया मऊ पहुंची जहाँ कार्यकर्ताओं ने जय श्रीराम के उद्घोष के साथ वातावरण राममय बनाया। सीताराम धाम होते हुए भगवा चुंगी होते हुए चौक घंटा घर के पास सड़कों पर बड़ी संख्या में एकत्र मातृशक्तियों ने मंगलवेश में थाल सजाकर आरती उतारी। श्रीरामचरण पादुका के दर्शन के लिए आम जनमानस सड़कों पर उमड़ा दिखाई पड़ा। पूरा समाज भक्तिमय वातावरण से ओतप्रोत रहा| जन-जन में भगवान श्रीराम के प्रति भक्ति का प्रबल ज्वार देखने को मिला। इस प्रकार जगह-जगह पर पूरी यात्रा मे भगवान श्रीराम की चरण पादुका देखने के प्रति प्रबल लालसा अभिसिंचित रही।

मातृशक्तियों ने बरसायें पुष्प

    यात्रा कई चौराहों, गलियों से होकर गुजरी| जन-जन में श्रीराम के प्रति दिखने वाला प्रेम-आस्था का दृश्य श्रीराम का गुणगान कर रहा था| जो मातृशक्ति यात्रा में उपस्थित होने से वंचित रह गयी थीं, उन्होंने अपने छतों से पुष्प वर्षा कर श्रीराम के दरबार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई| 

    यात्रा को सफल बनाने में प्रभा शंकर पांडेय, राजन जी, प्रवेश जी, शिव प्रसाद जी, हेमंत कुमार, शिव शंकर सिंह समेत अनेक कार्यकर्ताओं ने अपना योगदान दिया| यात्रा में रजनीश जी, चंदन, जी, महेश, शिवेश, विवेक, प्रभात, अवधेश, अनामिका, सारिका, छाया, राम उजागर समेत सैकड़ों की संख्या में श्रीराम भक्त उपस्थित रहे|

Thursday, January 18, 2024

भव्य शोभायात्रा से श्रीराममय हुआ गाजीपुर, छतों से हुई पुष्प वर्षा

नन्दगंज (गाजीपुर)। देश भर में श्रीराम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर उत्साह शीर्ष पर है| अपने आराध्य श्रीराम के प्रति भक्ति देखकर ऐसा लग रहा है जैसे त्रेता युग लौटकर वापस आ गया हो| इसी क्रम में मंगलवार को नन्दगंज बाजार में श्रीराम शोभायात्रा झांकी निकाली गयी। इस अवसर पर छोटे छोटे बालको को प्रतीकात्मक रूप में राम, लक्ष्मण जानकी और हनुमान जी के रूप में रथ पर बैठाकर गाजा बाजा, ढोल-डमरू आदि के साथ पूरे नगर में भ्रमण किया गया। यात्रा में सैकड़ो की संख्या में माताएं, बहनो के साथ वृद्धजन, युवाओं और बच्चों ने भाग लिया। श्रीराम शोभायात्रा बरहपुर स्थित रामलीला मैदान से शुरू होकर चोचकपुर मोड़, शादियाबाद मोड़, पूर्वी रेलवे क्रासिंग, रेलवे स्टेशन चौराहा से होते हुए पुनः बरहपुर स्थित रामलीला मैदान पर समापन हुआ।

    यात्रा नगर के जिस जिन स्थानों से गुजर रही थी माताएं बहने घर की छतों से पुष्प वर्षा करने के साथ ही श्रीराम, सीता माता और लक्ष्मण जी और हनुमान जी को माला पहनाकर जगह जगह आरती उतार रही थी। शोभा यात्रा से पूरा नगर भक्तिमय हो गया था। रामजानकी स्कूल के प्रबंध समिति व सैकड़ो छात्र/ छात्राओं ने पंक्ति बनाकर श्रीराम शोभा यात्रा पर पुष्प वर्षा करके स्वागत किया। शोभायात्रा झांकी निकालने में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ खण्ड देवकली, रामलीला कमेटी बरहपुर व भारत विकास परिषद मौनी बाबा नन्दगंज का विशेष योगदान रहा। इस अवसर पर सैदपुर में मुख्य रूप से जिला प्रचारक गौरव, नगर प्रचारक मंगल, राममंदिर अभियान के सचिव डॉ संतोष यादव, जिला संघचालक सुरेन्द्र यादव, जिला कार्यवाह सत्येन्द्र, अंकित जायसवाल, रविन्द्र श्रीवास्तव आदि  उपस्थित  रहे|


संगम नगरी के तट पर एक लाख श्रद्धालुओं को माघ मेला में सौपा मंदिर का निमंत्रण

प्रांत प्रचारक के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने चलाया महाअभियान

प्रयागराज। ग्रृहसंपर्क अभियान के अंतिम चरण में सोमवार को संघ विचार परिवार के कार्यकर्ताओं ने प्रांत प्रचारक रमेश जी के नेतृत्व में माघ मेला क्षेत्र में 'विशेष अक्षत वितरण अभियान' चलाकर लगभग एक लाख स्नानार्थियों को अक्षत एवं चित्र देकर अयोध्या पहुंचने का निमंत्रण सौंपा।

कड़ाके की ठंड में प्रातः काल 8.30 बजे माघ मेला में प्रयाग उत्तर, दक्षिण तथा नैनी भाग के 40 नगरों के कार्यकर्ताओं की टोलियां एकत्रित हुई। विहिप काशी प्रांत अध्यक्ष केपी सिंह एवं सह प्रांत कार्यवाह प्रो0 राज बिहारी की उपस्थिति में रमेश जी ने इस विशेष अभियान के विशेष उद्देश्य की जानकारी कार्यकर्ताओं को दी। उन्होंने कहा कि सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से आयी माता-बहनों, किसानो, श्रमिकों, खेतिहर मजदूरों, घुमंतू जातियों, झुग्गी-झोपड़ी में निवास करने वाले रामभक्तों सहित शैव, शाक्त, वैष्णव, सिख, जैन बौद्ध आदि विभिन्न संप्रदायों के भ्रमणशील संत महात्माओं एवं श्रद्धालुजनों से मिलकर उन्हें प्रभु श्रीराम के विग्रह की स्थापना का निमंत्रण देने का यह सब से उत्तम स्थान तथा शुभ घड़ी है। श्रीराम सबके हैं। सबको रामजी से जोड़ना ही अभियान का लक्ष्य है। इसलिए संपूर्ण जनमानस को निमंत्रण देकर हम सभी कृत कृत्य होंगे तथा निमंत्रित भाई-बहन भी धन्यता की अनुभूति करेंगे। 

संक्षिप्त उद्बोधन के बाद माघ मेला के सभी 6 सेक्टरों में अलग-अलग समूहों में बंटकर कार्यकर्ता हाथों में अक्षत चित्र तथा निमंत्रण पत्र लेकर निकल पड़े। कतारबद्ध होकर संगम स्नान करके लौट रहे स्नानार्थियों को त्रिवेणी बांध से लेकर काली सड़क तथा परेड की ओर लौट रहे श्रद्धालुओं को श्रीराम भक्तों की टोली ने बड़े ही सम्मान एवं सद्भाव के साथ निमंत्रण पत्र सौंपा। जिसे भी निमंत्रण पत्र मिला उसने उसे माथे लगाकर सम्मान के साथ अपने पास रख लिया ।कुछ लोगों ने कहा कि घरों में उन्हें अक्षत मिल चुका है इसलिए केवल चित्र  दे दें। ठंड के कारण मंदिर का चित्र किसी के हाथ से छूट गया तो भीड़ में पीछे चल रहे साथी ने उसे तुरंत उठाकर माथे से लगा कर आगे वाले को पुनः सौंप दिया। श्रद्धा का यह दृश्य देखकर कार्यकर्ता भावविह्वल हो गए और आंखों से आंसू  निकल पड़े।

विभाग प्रचारक आदित्य जी, सह कार्यवाह आशीष जी, प्रांत प्रचार प्रमुख मुरारजी त्रिपाठी, गंगा समग्र के अंबरीश जी, आलोक मालवीय, संजीव जी, विभाग प्रचार प्रमुख बसु जी, आकाश जी, मनोज, वीर कृष्ण, डॉक्टर एसपी सिंह , विहिप के प्रांत संगठन मंत्री नितिन जी श्रीकांत केसरवानी शिवप्रसाद आदि कार्यकर्ताओं ने अलग-अलग टोलियों  का नेतृत्व करते हुए लगभग 1 लाख निमंत्रण पत्र वितरित कर दिया।


Wednesday, January 17, 2024

श्रीराम के मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा से समस्त समाज मे अपार उत्साह: प्रान्त प्रचारक रमेश जी

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर सुलतानपुर नगर में निकली विशाल एवं भव्य शोभा यात्रा

      सुलतानपुर। आज का यह ऐतिहासिक क्षण लाखों लोगों के बलिदान के उपरांत मिला है। हम सभी सौभाग्यशाली है जो इस क्षण के साक्षी बने हैं। भगवान श्रीराम के मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा से समस्त हिंदू समाज मे अपार उत्साह और प्रसन्नता है। मन्दिर निर्माण के लिए तमाम आहुतियां आज सफल हुई है। उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी प्रांत के प्रांत प्रचारक रमेश जी ने सुलतानपुर में विशाल एवं भव्य शोभायात्रा को संबोधित करते हुए व्यक्त किया|

     नगर के तिकोनिया पार्क में एकत्रित श्रीरामभक्तों को संबोधित करते हुए अपने में रमेश जी ने कहा कि भगवान श्रीराम के प्रति सभी में समर्पण की आस्था आज दृष्टिगत हो रही है। अब तो ऐसा लग रहा है कि समूचा राष्ट्र, राममय और राम, राष्ट्रमय दिख रहा है चूँकि भारत की आत्मा हैं श्री राम। राम रग-रग में और राम कण-कण में विद्यमान हैं राम रोम-रोम में, आज चहूँओर राम की अयोध्या की सर्वाधिक चर्चा है राम का सम्पूर्ण जीवन मानवता के लिए उपेक्षित कष्ट में, दुःख में रहने वालों के लिए ही समर्पित रहा इसलिये आज सम्पूर्ण सनातन समाज श्री राम के साथ खड़ा है और भावना प्रगट करने हेतु इस विशाल शोभा यात्रा का कड़ी बना है। संघ परिवार की प्रेरणा से स्वतः स्फूर्त हिंदू समाज 22 जनवरी 2024 को श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व सुलतानपुर नगर में विशाल और भव्य शोभायात्रा में सम्मिलित हुआ है।    

यात्रा लगभग दो किलोमीटर की दूरी को आच्छादित कर रहा था। इससे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि स्वतः स्फूर्त समग्र हिंदू समाज सड़क पर आ गया है। क्या बच्चे, क्या बुजुर्ग ठंड की परवाह किसी को नहीं थी, 20 हजार से भी ज़्यादा लोगो की सहभागिता ने नगर को झकझोरकर राममय कर दिया। करीब 500 वर्षों के संघर्ष के उपरांत और साढ़े तीन लाख लोगों के बलिदान के उपरांत होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के पूर्व होने वाली इस शोभायात्रा में मातृशक्ति सबसे आगे थी। गायत्री परिवार से जुड़ी हुई मातृशक्ति एवं पुरुष मशाल के साथ शोभायात्रा में चल रहे थे। विभिन्न विद्यालयों की छात्राएं एवं छात्र अपने अभिभावकों के साथ शोभायात्रा में सम्मिलित थे। सुलतानपुर जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आए हुए साधु संत यात्रा में उपस्थित थे। इस दौरान लोग अपने छतों से श्रद्धा स्वरूप पुष्प वर्षा कर यात्रा का स्वागत कर रहे थे। देवी देवताओं की झांकियों से सुसज्जित और बच्चों द्वारा बजाये जा रहे घोष यात्रा का आकर्षण रहा। यात्रा का आरंभ भगवान श्रीराम के चित्र पर प्रान्त प्रचारक रमेश जी व विभाग संघचालक डॉ अरुण कुमार सिंह के दीप प्रज्ज्वलन और पुष्पार्चन से हुआ।

      शोभायात्रा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक श्रीप्रकाश जीजिला प्रचारक आशीष जी, जिला कार्यवाह भानु प्रताप सिंह सहित तमाम जिम्मेदार संघ के पदाधिकारी यात्रा के हर आयाम पर अपनी दृष्टि बनाए हुए थे। सह जिला संघचालक श्री अजय कुमार गुप्ता सहित संघ परिवार के सभी संगठनों विहिप, विद्या भारती, विद्यार्थी परिषद, किसान संघ, मज़दूर संघ, भारत विकास परिषद, अधिवक्ता परिषद के कार्यकर्ता पूरे उत्साह के साथ उपस्थित रहे। 






Tuesday, January 16, 2024

धर्म और संस्कृति के रक्षक है हमारे पर्व - क्षेत्र प्रचारक अनिल जी

 

जौनपुर| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जौनपुर नगर द्वारा राममंदिर शाखा पर मकर संक्रांति का उत्सव मनाया गया। मकर संक्रांति पर स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक अनिल जी ने कहा कि हमारे पर्व धर्म और संस्कृति के रक्षक है। मकर संक्रांति पर्व समानता व एकता का प्रतीक है। यह भेद भाव को समाप्त करने वाला त्यौहार है। इस पर्व के पीछे  गहरा संदेश छिपा रहता है। इस पर्व की वैज्ञानिकता भी है। आज आधुनिक परिवेश हमारी परम्परा को नष्ट करने पर तुले हुए है। हमे सावधान रहना चाहिए। देश और समाज के लिए कितना अच्छा कर सकते है, इस पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज में जातिवाद की भावना जगाकर हिन्दू समाज को तोड़ा जा रहा है। प्रयागराज में आयोजित होने वाले मौनी अमावस्या पर्व और मकर संक्रांति पर्व हमारे समाज को जोड़ने का कार्य करते हैं। उक्त पर्व को मनाते समय कोई जाति नहीं पूछता है। ऐसा ही हमारे अन्य त्योहारों में भी होता है।

   कार्यक्रम में धर्मवीर मोदनवालमानिकचंद्रविभाग प्रचारक अजीतजिला कार्यवाह रजनीशरविन्द्र जी, मंगलेश्वरम, अजय पाठक एवं अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

Saturday, January 13, 2024

तय था कि अयोध्‍या में श्रीराम का भव्य मंदिर अवश्‍य बनेगा – लालकृष्‍ण आडवाणी

लखनऊ. अयोध्‍या में श्रीरामलला के मंदिर का संकल्‍प अब अपनी परिणति के अंतिम पायदान पर है. इस भव्‍य संकल्‍प को जमीन पर उतारते हुए जन-जन की आस्‍था में सामुद्र‍िक मंथन का श्रेय कई रामभक्‍तों को जाता है. उन्‍हीं में एक नाम है – भाजपा के पूर्व सांसद एवं राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष लालकृष्‍ण आडवाणी जी का. उनकी रथयात्रा ने पूरे देश में रामभक्‍तों की दबी आस्‍था को जगाने का कृत किया था. वे अब 22 जनवरी को अयोध्‍या पहुंचकर श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा देखने के लिये आतुर हैं. वे इस पल को लाने, रामलला का भव्‍य मंदिर बनवाने और उनका संकल्‍प पूर्ण कराने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को भी बधाई दे रहे हैं. उन्‍होंने वैचारिक विषयों की मासिक पत्रि‍का ‘राष्‍ट्रधर्म’ के लिए एक लेख लिखा है. पत्रिका के विशेषांक हेतु अपने मनोभाव को प्रदर्श‍ित करते हुये एक लेख ‘श्रीराममंदिर : एक दिव्‍य स्‍वप्‍न की पूर्ति’ में इसकी चर्चा की है. यह विशेषांक 15 जनवरी को प्राकाशि‍त होगा.

आडवाणी जी अपनी रथयात्रा के अविस्‍मरणीय पल को याद करते हुये कहते हैं कि रथयात्रा को आज करीब 33 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं. 25 सितंबर, 1990 की सुबह रथयात्रा आरम्‍भ करते समय हमें यह नहीं पता था कि प्रभु राम की जिस आस्‍था से प्रेरित होकर यह यात्रा आरम्‍भ की जा रही है, वह देश में आंदोलन का रूप ले लेगा. उस समय वर्तमान में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके सहायक थे. वे पूरी रथयात्रा में उनके साथ ही रहे. तब वे ज्‍यादा चर्चि‍त नहीं थे. मगर राम ने अपने अनन्‍य भक्‍त को उस समय ही उनके मंदिर के जीर्णोद्धार के लिये चुन लिया था. आडवाणी जी स्‍वयं भी ऐसा मानते हैं कि उनकी राजनीतिक यात्रा में अयोध्‍या आंदोलन सबसे निर्णायक परिवर्तनकारी घटना थी, जिसने उन्‍हें भारत को पुन: जानने और इस प्रक्रि‍या में अपने आपको भी फिर से समझने का अवसर दिया.

अपनी यात्रा सम्‍बंधी संघर्षगाथा के संदर्भ में वे कहते भी हैं कि रथ आगे बढ़ रहा था और उसके साथ ही जनसैलाब भी जुड़ता जा रहा था. जनसमर्थन गुजरात से बढ़ता हुआ महाराष्‍ट्र में व्‍यापक हो गया और उसके बाद के सभी राज्‍यों में भी उत्‍तरोत्‍तर बढ़ता जा रहा था. यात्रा में ‘जय श्रीराम’ व ‘सौगंध राम की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे’ के गगनभेदी नारे गूंजते रहते थे. ‘रथयात्रा के समय ऐसे कई अनुभव हुये जिन्‍होंने मेरे जीवन को प्रभावित किया. सुदूर गांव के अंजान ग्रामीण रथ देखकर भाव-विभोर होकर मेरे पास आते. वे प्रणाम करते. राम का जयकारा करते और चले जाते.’ यह इस बात का संदेश था कि पूरे देश में राम मंदिर का स्‍वप्‍न देखने वाले बहुतेरे हैं. वे अपनी आस्‍था को जबरन छि‍पाकर जी रहे थे. 22 जनवरी, 2024 को मंदिर की प्राण प्रतिष्‍ठा के साथ ही उन ग्रामीणों की दबी हुई अभिलाषा भी पूर्ण हो जाएगी.

वे कहते हैं कि कोई भी घटना अंतत: वास्‍तविकता में घटित होने से पहले व्‍यक्‍त‍ि के मन-मस्तिष्‍क में आकार लेती है. उस समय मुझे लग रहा था कि नियति ने यह निश्‍चि‍त कर लिया है कि एक दिन अयोध्‍या में श्रीराम का भव्‍य मंदिर अवश्‍य बनेगा. बस, अब केवल समय की बात है.

रथयात्रा आरम्‍भ होने के कुछ दिनों बाद ही मुझे इसका अनुभव हो गया था कि मैं तो मात्र एक सारथी था. रथयात्रा का प्रमुख संदेशवाहक स्‍वयं रथ ही था और पूजा के योग्‍य इसलिये था क्‍योंकि वह श्रीराम मंदिर के निर्माण के पवित्र उद्देश्‍य की पूर्ति के लिये उनके जन्‍मस्‍थान अयोध्‍या जा रहा था.’ वे इस बीच पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी याद करते हैं. प्राण प्रतिष्‍ठा के भव्‍य आयोजन में उनकी कमी को महसूस कर रहे हैं.

आज जब चंद दिनों के बाद ही देश श्रीरामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्‍ठा का साक्षी बन रहा तो  आडवाणी जी इस संदर्भ में कहते हैं, ‘जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर की प्राण प्रतिष्‍ठा करेंगे, तब वे हमारे भारतवर्ष के प्रत्‍येक नागरिक का प्रतिनिधित्‍व करेंगे. मेरी प्रार्थना है कि यह मंदिर सभी भारतीयों को श्रीराम के गुणों को अपनाने के लिये प्रेरित करेगा.’

विदित हो कि राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (आरएसएस) एवं विश्‍व हिन्‍दू परिषद (विहिप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अयोध्या में श्रीरामलला के मंदिर का निर्माण शुरू करने का संकल्‍प कर चुकी थी. उसने 30 अक्तूबर, 1990 को नियत तिथि घोषित भी की थी. इसी संकल्‍प के साथ आडवाणी जी ने 25 सितंबर, 1990 से 30 अक्तूबर के बीच सोमनाथ से अयोध्या तक 10 राज्यों से गुजरते हुये राम नाम की धुन का बीज जन-जन में ‘बो’ दिया. 10 हजार किलोमीटर की रथयात्रा ने देश में दबी हुई हिन्‍दुत्‍व की आस्‍था को जगा दिया था. आज उसी अयोध्‍या में रामलला विराजित होने जा रहे हैं. उसी रथयात्रा को निकालने वाले आडवाणी जी अब अयोध्‍या में अपने उसी 33 वर्ष पुराने स्‍वप्‍न को पूर्ण होते देखने को आतुर हैं.

Thursday, January 11, 2024

श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह : बलिदानी कारसेवक स्व. रामबहादुर वर्मा के परिजन को संघ ने किया आमंत्रित

 

सुलतानपुर। श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन में बलिदानी कारसेवक स्वर्गीय रामबहादुर वर्मा के परिजन को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आमंत्रित किया। श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण पत्र लेकर पहुंचे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी प्रान्त प्रचारक रमेश जी ने स्व0वर्मा के परिजनों को सौंपते हुए कहा कि कारसेवकों के लम्बे संघर्षों और बलिदान से ही श्रीराम मंदिर का निर्माण अपनी पूर्ण अवस्था को प्राप्त कर रहा है। 6 दिसम्बर 1992 को जब हिन्दू जनमानस का आक्रोश फूटा उसी समय यह प्रण लिया गया कि मंदिर बनकर रहेगा। उसके बाद अनेकानेक तथ्यों के आधार पर देश के सर्वोच्च न्यायालय ने श्रीराममंदिर के पक्ष में एतिहासिक निर्णय सुनाया।

सुलतानुपर मा.विभाग संघचालक श्री अरुण कुमार सिंह के साथ बलिदानी कारसेवक स्व. रामबहादुर वर्मा के घर पहुंचे प्रान्त प्रचारक रमेश जी ने उनके पुत्र काली सहाय वर्मा को निमंत्रण पत्र दिया।

परिवार से उनके दोनों भाईपत्नीबच्चों ने निमंत्रण मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि आज हमारे परिवार के सभी सदस्यों का जीवन धन्य हो गया। बताते चले कि राम मंदिर आंदोलन के दौरान  30 अक्टूबर 1990 को रामजन्मभूमि की छत पर गोली लगने से कारसेवक राम बहादुर वर्मा गोली लगने से शहीद हो गए थे।

श्रीराम भारत की आत्मा हैं

उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भारत की आत्मा हैंवे आस्था-विश्वास के प्रतीक हैं। वे सत्य सनातन के प्रतीक हैं। श्रीराम सबके हैं-सबमें हैं। इसलिए श्रीराम के भव्य मंदिर को लेकर सम्पूर्ण देश में हर्षोल्लास का वातावरण है।

राष्ट्र-राममय और राम-राष्ट्रमय है”

22 जनवरी को पूरा देश दिवाली मनाएगा। उन्होंने आह्वान किया कि पूरा समाज अपने घरों को सजायें। दीपमालिका से श्रीरामलला का अभिनंदन करें। श्रीराम 500 वर्षों बाद अपने मूल स्थान पर विराजित होंगे। 22 जनवरी को अपने अपने गाँव मुहल्ले के मंदिर में दिन के 11 बजे से 1 के बीच विशेष अनुष्ठान करें और श्री राम जयराम जय-जयराम का जाप करें।

इस अवसर पर प्रान्त प्रचारक प्रमुख रामचंद्र जीविभाग प्रचारक श्रीप्रकाश जीजिला प्रचारक आशीष जीकृपाशंकर द्विवेदीमहिमाशंकर द्विवेदी आदि सैकड़ों की संख्या में रामभक्तविश्व हिंदू परिषदकिसान संघ सहित संघ परिवार के कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

Monday, January 8, 2024

सियावर रामचंद्र के जयकारे से बम बम बोली काशी

विदेशी मेहमानों में भी दिखा आस्था, किया जयश्रीराम का उद्घोष

काशी। देशभर में चल रहे श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर तरह-तरह के आयोजनों से वातावरण राममय हो चुका है। इसी क्रम में काशी दक्षिण एवं उत्तर भाग के विभिन्न नगरों में शोभायात्रा निकालकर नागरिकों ने अपने आराध्य के आगमन के उत्साह को शोभायात्राओं के माध्यम से प्रदर्शित किया।

रविवार को दक्षिण भाग के कुल 4 स्थानों से शोभायात्रा निकाली गई। मानस नगर में कश्मीरीगंज (खोजवां) स्थित श्रीराम जानकी मंदिर से यात्रा प्रारंभ हुआ। यात्रा में सबसे आगे माताएं अयोध्या से आए पूजित अक्षत कलश एवं राम ध्वजा लेकर चल रही थीं। यात्रा में वेद विद्यालय के छात्र मंगलाचरण करते हुए चल रहे थे। सुसज्जित रथ पर श्रीराम दरबार बैठा हुआ था। जिसके आगे डमरू दल का नाद शिव की काशी को गुंजायमान कर रहा था। यात्रा दुर्गाकुंड होती हुए कबीरनगर कॉलोनी से गांधी चौक खोजावां पहुंची। यात्रा का विश्राम शंकुलधारा पोखरे पर हुआ। इसके साथ ही गंगानगर में निकली शोभायात्रा अस्सी स्थित मुमुक्षु भवन से प्रारंभ हुई जिसमे बड़ी संख्या में महिलाएं, गणमान्य नागरिक एवं बटुकगण हाथ में ध्वज और पताका लिए हुए रामभजनों पर थिरकते हुए चल रहे थे।

शोभायात्रा के आगे सुसज्जित वाहन पर भगवान राम का बड़ा चित्र कार्यक्रम का आकर्षण था। शोभायात्रा रविदास गेट होकर रविदास पार्क नगवां मार्ग से होती हुई पुनः मुमुक्षु भवन पर समाप्त हुई। केशवनगर में अमरा बाईपास स्थित हनुमान मंदिर से यात्रा प्रारंभ हुई। शोभायात्रा में भगवान शिव का रूप धरे स्वयंसेवक तांडव नृत्य करते हुए चल रहे थे। सजे हुए वाहन पर छोटी बालिका ने भगवान राम का रूप धारण किया था। यात्रा का विसर्जन चितईपुर चौराहे स्थित श्रीराम जानकी मंदिर में पूजन कर हुआ। इसके अतिरिक्त रविदास नगर में भी शोभायात्रा निकाली गई, जिसमे बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहें। यात्रा में प्रमुख रूप से पंजीयन शुल्क एवं स्टांप मंत्री रवींद्र जायसवाल, भाग प्रचारक विक्रांत, अनिल, दिवाकर, नगर संघचालक के.वेंकट रमण घनपाठी, डा.वैभव जायसवाल, उपेंद्र त्रिपाठी, राकेश, अजीत, संतोष, जगन्नाथ ओझा, ऋषि सहित बड़ी संख्या में श्रीराम भक्त, माताएं, बहनें उपस्थित रहीं।

उत्तर भाग : पूजित अक्षत को लेकर निकाली गयी शोभायात्रा में नागरिकों ने दिखाया उत्साह

आवास विकास कॉलोनी पांडेयपुर स्थित शिवाजी पार्क से निकाली गई अयोध्या से पूजित अक्षत यात्रा ने नगर को एक नई ऊर्जा से ओत प्रोत कर दिया। यात्रा में सम्मिलित नगर के सभी रामभक्त और मातृशक्ति के उत्साह और उमंग से पूरे क्षेत्र में राममय का वातावरण छाया रहा। समृद्धि और सामूहिक एकता की भावना ने इस शोभायात्रा को और भी महत्वपूर्ण बना दिया। इस यात्रा का समापन मुंशी प्रेमचंद स्मारक पर हुआ, जहां स्थानीय नागरिकों ने भारी संख्या में भाग लेकर अपना समर्थन दिखाया।

यात्रा में सुनील, रमेश, वरुण, अजय, शैलेंद्र, प्रमोद, अखिलेश, शिवकुमार, अनीता, कुसुम, सुषमा, दुर्गेश नंदिनी समेत बस्ती के सभी स्वयंसेवकों ने इस शोभायात्रा में भाग लिया।




Sunday, January 7, 2024

गाजीपुर : हर घर में विराजे रामलला, हर गांव अयोध्या बने – रमेश जी

अभियान में प्रान्त प्रचारक रमेश जी की उपस्थिति से कार्यकर्ता में बढ़ा उत्साह