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Tuesday, November 28, 2023

मुग़ल आक्रान्ताओं का सामना करते हुए शिवाजी ने स्थापित किया हिन्दवी स्वराज, छत्रपति का हुआ राज्याभिषेक

 350 वर्ष पूर्व और आज भी शिवाजी महाराज का जीवन भारतीय समाज के लिए आदर्श : शांतनु जी महाराज

काशी| महानाट्य के अंत में शिवाजी के रणनीति के सभी मुगलिया सेना नतमस्तक हो जाते है| शिवाजी महाराज द्वारा हिंदवी स्वराज्य की पताका फहराते हुए 84 बंदरगाहों और 42 जल दुर्ग जीत लेते हैं। अलाउद्दीन खिलजी, औरंगजेब, आदिलशाह, अफजल खान समेत सभी मुग़ल शासकों का सामना कर उन्हें परास्त करते हुए छत्रपति शिवाजी हिन्दवी स्वराज की स्थापना करते है| काशी के वेद मूर्ति विद्वान पंडित गागा भट्ट द्वारा शिवाजी महाराज का राजतिलक कर उनका राज्याभिषेक कराया जाता है।

300 साल से गुलामी में मर रहे हैं अब हमें जीना है स्वतंत्र शेर की तरह

तरुण शिवाजी (राजे) द्वारा अपनी मां से यह कहना कि मैं भी अपने बाप दादा की तरह राज करूंगा। मां जिजाऊ द्वारा शिवाजी को कहना कि मैराथन का सब कुछ मिटाने वाले के दरबार में घुटने के बल बैठोगे। सभी के अपमान का बदला करने के लिए बगावत कीजिए और आप निश्चय करें तो कालचक्र को घुमा सकते हैं। तब शिवाजी द्वारा यह ऐलान करना कि 300 साल से गुलामी में मर रहे हैं अब हमें जीना है स्वतंत्र शेर की तरह। मां तुलजा भवानी के सामने कसम खाते हुए शिवाजी कहते हैं कि मेरी तलवार बेसहारों की सहारा बनेगी। स्वराज्य को सोने के सिंहासन पर विराजमान करना है। हिंदी स्वराज्य के सपने को साकार करना है।

जाणता राजा महानाट्य में आदर्श शासक की झलक

मंचन के दौरान यह भी दर्शाया गया है कि जाति, समुदाय, धर्म और पंथ से ऊपर उठकर एक आदर्श शासन को अपनी प्रजा के लिए कैसा होना चाहिए। महिला के साथ बच्चों की करने पर अपने राज्य के पाटिल को सजा देना और  मोहिते मामा को गिरफ्तार करना। अधिकार का दुरुपयोग करने पर अपने प्रधानमंत्री को बर्खास्त कर देना। शिवाजी महाराज के द्वारा स्थापित आदर्श शासन के तौर पर अनुशासन व न्याय प्रियता युवा समाज के लिए प्रेरणा का काम करेगी।

मेरे जीते जी कौन छू सकता है मेरे राजा को

शिवाजी महाराज के स्वराज में गुलामी बंद ऐलान से आदिल शाह की सल्तनत में घबराहट मच गई और अपने सैनिकों को बुलाकर शिवाजी को रोकने की रणनीति बनाते हुए अफजल खां को आगे बढ़ने का फरमान सुनाता है। आदिल शाह की फौज के आगे कई मराठा शासक घुटने टेक देते हैं और शिवाजी के खिलाफ युद्ध में शामिल होने की घोषणा कर देते हैं। लेकिन तान्हा जी जेधे द्वारा घर परिवार त्याग कर भी शिवाजी महाराज के लिए जीने मरने की बात स्वराज स्थापना की मजबूती को दर्शाता है। तान्हा जी जेधे द्वारा यह कहना कि मेरे जीते जी कौन छू सकता है मेरे राजा को, दर्शाता है कि हिंदवी स्वराज की स्थापना हेतु शिवाजी महाराज की तलवार को ऐसे वीर योद्धाओं का किस कदर समर्थन प्राप्त था। तान्हा जी जेधे के समर्थन के साथ 12 मावल के जवान वीर शिवाजी के साथ लड़ने के लिए तैयार खड़े होते हैं। हर हर हर महादेव के जयकारे के साथ एलान करते हैं कि मावल कि हथियारबंद भवानी आपकी सुरक्षा के लिए तैयार है।

राष्ट्रीय चेतना को जगाने हेतु लोगों ने लिया राष्ट्र शपथ

वीर शिवाजी महाराज के जीवन चरित्र पर आधारित महानाट्य जाणता राजा के मंचन के बीच उपस्थित विशाल जन समूह को राष्ट्र शपथ दिलाई गई। ईश्वर को साक्षी मानकर यह शपथ लेता हूं कि अपने देश को विश्व गुरु बनाने के लिए विश्व में प्रत्येक अवसर पर छत्रपति शिवाजी जैसा राष्ट्रभक्त, योग्य, साहसी और पराक्रमी, जाति धर्म का भेद न करने वाला, देश ही तो वह जनहित को सर्वोपरि रखते वाला दूरदर्शी नेतृत्व ही स्वीकार करूंगा। ऐसी नीतियों का ही समर्थन करूंगा। किसी भी अवसर पर अपने हित के पहले देश हित को महत्व दूंगा। भारत माता की जय।

6 दिन में 80 हजार दर्शकों ने शिवाजी का जीवन दर्शन किया : शांतनु जी महाराज

जाणता राजा महानाट्य मंचन के अंतिम दिन अध्यक्ष के रूप में उपस्थित प्रख्यात कथावाचक शांतनु जी महाराज ने भारत माता की जय व जय भवानी जय शिवाजी के जयघोष करते हुए कहा कि "प्रत्यक्षं किम प्रमाणं" यानी प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं होती। 6 दिनों में काशी प्रांत के विभिन्न जिलों से आए लगभग 80 हजार दर्शकों ने छत्रपति शिवाजी महाराज के विराट व्यक्तित्व को सीने में बसाया। भाव-विभोर दर्शकों ने अनुभव किया कि 350 वर्ष पूर्व यदि महाराज शिवाजी का जीवन अनिवार्य आवश्यक था तो आज 350 वर्ष बाद भी छत्रपति शिवाजी का जीवन प्रासंगिक है।

माता तुलजा भवानी की आरती से शुरू होता रहा मंचन

महाराज शिवाजी के छत्रपति बनने की भव्य जीवन गाथा को जाणता राजा महानाट्य के जरिए दर्शाया गया। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, कथावाचक शांतनु जी महाराज, प्रांत प्रचारक रमेश जी, सेवा भारती प्रांत अध्यक्ष राहुल सिंह आदि द्वारा माता तुलजा भवानी की आरती के बाद दुदंभी की गूंज और ढोल नगाड़ों की तेज धुनों के साथ मंचन की शुरुआत हुई। सभी दिन मंचन की शुरुआत माता तुलजा भवानी की आरती से की जाती रही|

उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि हिंदू साम्राज्य की स्थापना करने वाले शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित महानाट्य से समाज में युवा शक्ति को प्रेरणा लेकर उनके जैसा व्यक्तित्व निर्मित करना चाहिए। भारत रत्न महामना मदन मोहन मालवीय के इस प्रांगण में आकर गर्व का अनुभव कर रहा हूँ।इस भाव भूमि में आने का अवसर प्रदान करने के लिए सेवा भारती के प्रांत अध्यक्ष श्री राहुल सिंह का विशेष आभार व्यक्त किया। उन्होंने  कहा कि काशी के धरती पर आज अयोध्या राममंदिर की की चर्चा करना चाहता हूं।













Sunday, November 26, 2023

गनीमिकावा (गोरिल्ला युद्ध) मंत्र पाकर शिवाजी महाराज हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना की ओर अग्रसर

 

काशी| गनीमिकावा (गोरिला युद्ध) से शिवाजी हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना की ओर अग्रसर होते हैं|  शिवाजी तोरणगढ़ किले पर कब्जा कर हिंदवी साम्राज्य की स्थापना आरम्भ करते हैं। उधर आदिलशाह के फरमान पर शिवाजी को ठिकाने लगाने के लिए अफजल खान और शाहिस्ता खान जैसे मुगल सेना नायक आते हैं पर मावला की घाटियों में शिवाजी के सामने सभी को मुंह की खानी पड़ती है। शिवाजी को औरंगजेब से मिलने के लिए आगरा के किले में जाना होता है जहां धोखे से शिवाजी को औरंगजेब कैद करवा देता है। कैद में रहने के कुछ दिनों बाद वीर शिवाजी अपने मुट्ठी भर सैनिकों के दम पर औरंगजेब की सवा लाख की सेना को पराजित कर फरार हो जाते हैं। इसके बाद शिवाजी हिंदवी स्वराज्य के विस्तार हेतु 84 बंदरगाहों और 42 जल दुर्गों पर अपनी पताका फहराते हैं।

हिंदू हैं तो हिंदू जैसा आचरण रखें, विधर्मियों से सतर्क रहकर अपना कर्म करें : महंत शंकर गिरी जी महाराज

जाणता राजा महानाट्य मंचन के चौथे दिन विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित मां अन्नपूर्णा मंदिर महंत पूज्य शंकर गिरी जी महाराज ने कहा कि मां अन्नपूर्णा के आशीर्वाद की तरह प्रत्येक मां का आशीर्वाद मिलना चाहिए, तभी हर बालक में वीर शिवाजी जैसा साहसी व्यक्तित्व जन्म लेगा। वर्तमान समय में हिंदू समाज को विधर्मियों से सतर्क रहकर अपना कर्म करना होगा और हिंदू है तो हिंदू का आचरण अपनाना होगा। माथे पर टिका, हाथों में कलेवा आदि पूर्व के संस्कार अपने होंगे। अपने साथ परिवार एवं समाज में भी हिंदू संस्कार पर विशेष ध्यान देना होगा। महंत शंकर गिरी जी महाराज ने उपस्थित हजारों लोगों से अपील किया कि एक रोटी कम खाएं लेकिन संस्कारवान बनें।

पांचवे दिन उत्तर प्रदेश की महामहिम राज्यपाल ने देखा मंचन

जाणता राजा महानाट्य मंचन के पांचवें दिन उत्तर प्रदेश की महामहिम राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने मंचन देखा। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित राज्यपाल श्रीमती आनन्दी बेन पटेल नाटक के दृश्यों को देखकर द्रवित और भाव विभोर हो गयी। उन्होंने पत्रकारों से संवाद के क्रम में कहा कि यह नाटक अद्वितीय एवं रोमांचकारी है तथा भारतीय मूल्यों को अपने में समेटे हुए जीवंत कर रखा है। दी।उन्होंने प्रान्त प्रचारक श्री रमेश जी का भी हृदय से आभार जताया इसके साथ ही सेवाभारती के प्रांत अध्यक्ष राहुल सिंह एवं आयोजन सचिव एवं अध्यक्ष अभय सिंह को अयोजन की सफलता के लिए बधाई

 

शिवाजी महाराज के द्वारा स्थापित आदर्श शासन, अनुशासन व न्याय प्रियता युवा समाज के लिए प्रेरणा

मंचन के दौरान यह भी दर्शाया गया है कि जाति, समुदाय, धर्म और पंथ से ऊपर उठकर एक आदर्श शासन को अपनी प्रजा के लिए कैसा होना चाहिए। महिला के साथ बच्चों की करने पर अपने राज्य के पाटिल को सजा देना और  मोहिते मामा को गिरफ्तार करना। अधिकार का दुरुपयोग करने पर अपने प्रधानमंत्री को बर्खास्त कर देना। शिवाजी महाराज के द्वारा स्थापित आदर्श शासन के तौर पर अनुशासन व न्याय प्रियता युवा समाज के लिए प्रेरणा का काम करेगी।

हिन्दवी स्वराज विशेषांक की हुई सराहना

काशी। जाणता राजा महानाट्य मंचन के दौरान विश्व संवाद केंद्र काशी द्वारा प्रकाशित चेतना प्रवाह के हिन्दवी स्वराज विशेषांक संत समाज को काशी प्रांत प्रचारक रमेश जी एवं पत्रिका के प्रबंध संपादक नागेंद्र द्विवेदी भेंट किया गया।

पूज्य सद्गुरु रितेश्वर जी महाराज ने कहा कि यह विशेषांक शिवाजी महाराज के सम्पूर्ण जीवन पर एवं उनसे जुड़े सभी महापुरुषों, सहयोगियों और योद्धाओं को समेटे हुए है। जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यतिंद्रानंद जी महाराज ने कहा कि हिंदवी स्वराज विशेषांक से वर्तमान पीढ़ी शिवाजी की कुशल रणनीतियों से परिचित होगी। उक्त विशेषांक जाने माने अंतरिक्ष वैज्ञानिक एवं विद्वान प्रो.ओम प्रकाश पांडेय के अतिरिक्त अन्य अतिथियों को भी भेंट किया गया।

विशेषांक लेने के लिए लोगो में उत्साह

हिंदवी स्वराज विशेषांक के वितरण काउंटर पर विशेषांक लेने के लिए लोगों में उत्साह दिखा। मंचन देखने आए दर्शकों ने कहा कि नाट्य देखने के बाद विशेषांक के माध्यम से शिवाजी के जीवन चरित को अपने जीवन में उतारने का यह अच्छा अवसर है|




Friday, November 24, 2023

छत्रपति की रणनीति से घबरायी मुग़ल सेना, कहा- “दुश्मन भी मिला तो शिवा जैसा”

 हमारे राज्य में मां-बहनें देवी की साक्षात प्रतिमूर्ति  : छत्रपति शिवाजी महाराज


काशी| काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के एम्फिथिएटर मैदान में चल रहे जाणता राजा महानाट्य के तीसरे दिन के मंचन में शिवाजी की रणनीति से मुग़ल सेना कांपती दिखी| आदिलशाह का घबराना और कहना कि “दुश्मन भी मिला तो शिवा जैसा” शिवाजी के प्रभाव को दर्शाता है|

मंचन में हिंदवी स्वराज्य की स्थापना के साथ ही शिवाजी महाराज लगातार 84 बंदरगाह और 25 जल दुर्ग जीतने के साथ ही अपने सिंधु नदी के उद्गम से लेकर कावेरी नदी के तट तक स्वराज्य की स्थापना की| अपनी प्रतिज्ञा को साकार करने हेतु अनगिनत विजय का परचम दर्ज करते हुए कोंकण दुर्ग को भी जीत लिया। कोंकण के सैनिकों को लेकर थल सेना का निर्माण  किया और छत्रपति शिवाजी महाराज ने "स्वराज्य में गुलामी बंद", का ऐलान कर दिया।

स्वराज्य में गुलामी बंद के ऐलान से शहंशाह आदिलशाह थरथरा उठा और अपने सिपाह सलारों को बुलाकर शिवाजी भोंसले को गिरफ्तार करने का आदेश देता है। अफजल खां खुद को आगे करते हुए कहता है कि शिवाजी को जिंदा या मुर्दा आपके दरबार में पेश करूंगा। अफजल खां की शिवाजी से भेंट के दौरान यह कहना कि सब कुछ छोड़कर शहंशाह के कदमों में झुक जाओ तो तुम्हारी जान बच जाएगी। महानाट्यमन्चन को एक मोड़ देता है।

"डरो तो प्रभु रामचंद्र से डरो", शिवाजी महाराज ने भेंट के दौरान अफजल खां की पीठ में छुरा भोकने की नापाक मंशा को भांपकर उसे ही हमेशा के लिए सुला दिया और अपने हिंदवी स्वराज्य के स्थापना के रथ को आगे बढ़ाया और उसे गति दी।

महाराष्ट्र भाग्य भवानी जिजाऊ के रूप में प्रकट हुई

मुगलों की अत्याचार से चीख रही जनता ने मां तुलजा भवानी के सामने पूजा अर्चना कर आवाह्न किया कि हे महिषासुर मर्दिनी प्रकट हो और दुष्टों का संहार करो। यह नाटक दृश्य द्रवित करने वाला क्योंकि भक्त जब अत्याचार से कराह उठता है तो भगवान की शरण में जाता है। तब भगवान और भवानी की कृपा से समाज या राष्ट्र की रक्षा स्वयं भगवान के अवतरण से होता है। महाराष्ट्र भाग्य भवानी जी जाऊं के रूप में प्रकट हुई और शाहजी राजा से उनकी शादी हुई। भगवती स्वरूप मां तुलजा भवानी की आरती और कपाट खुलने की दृश्य ने दर्शक दीर्घा को जय जय अंबे जय जय भवानी के जय घोष सुनाई देने लगे।

300 साल से गुलामी में मर रहे हैं अब हमें जीना है स्वतंत्र शेर की तरह

तरुण शिवाजी (राजे) द्वारा अपनी मां से यह कहना कि मैं भी अपने बाप दादा की तरह राज करूंगा। मां जिजाऊ द्वारा शिवाजी को कहना कि मैराथन का सब कुछ मिटाने वाले के दरबार में घुटने के बल बैठोगे। सभी के अपमान का बदला करने के लिए बगावत कीजिए और आप निश्चय करें तो कालचक्र को घुमा सकते हैं। तब शिवाजी द्वारा यह ऐलान करना कि 300 साल से गुलामी में मर रहे हैं अब हमें जीना है स्वतंत्र शेर की तरह। मां तुलजा भवानी के सामने कसम खाते हुए शिवाजी कहते हैं कि मेरी तलवार बेसहारों की सहारा बनेगी। स्वराज्य को सोने के सिंहासन पर विराजमान करना है। हिंदी स्वराज्य के सपने को साकार करना है।

इस अवसर पर अखिल भारतीय गोसेवा प्रमुख अजित प्रसाद महापात्र ने कहा कि छत्रपति शिवाजी का जीवन हर भारतीय को अनुसरण करना चाहिए| उनका जीवन भारतीय संस्कृति के अनुरुप था| उन्होंने वसुधैव कुटुम्बकम के मूल तत्वों का अनुगमन किया। महिलाओं के प्रति सम्मान के भाव में उनकी माता जीजाबाई की प्रेरणाश्रोत थी। श्री महापात्र ने कहा कि शिवाजी का जीवन प्रबन्धन की अभूतपूर्व कला थी| वे चाहते थे कि उनके राज्य में सभी स्वतन्त्र एवं निर्भीक जीवन व्यतीत करें। कार्यक्रम का संचालन सेवा भारती काशी प्रान्त के अध्यक्ष राहुल सिंह ने किया।






Wednesday, November 15, 2023

शिवाजी के शासन का उद्देश्य सभी जाति-धर्मों के लिए समान अवसर एवं शुद्ध प्रशासनिक प्रणाली रहा - नरेन्द्र ठाकुर

 विशेषांक से शिवाजी की सुशासन परम्परा को जानने का अवसर - लक्ष्मण आचार्य

काशी। शिवाजी के शासन का उद्देश्य अपने अधीनस्थों को शान्ति, सहिष्णुता, सभी जाति-धर्मों के लिए समान अवसर और शुद्ध प्रशासनिक प्रणाली प्रदान करना था। उनके राजनीतिक आदर्श ऐसे थे कि हम उन्हें आज भी बिना किसी परिवर्तन के स्वीकार कर सकते हैं। उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेन्द्र ठाकुर ने व्यक्त किया। वे मंगलवार को होटल सूर्या में आयोजित विश्व संवाद केन्द्र काशी द्वारा प्रकाशित चेतना प्रवाह के ‘हिन्दवी स्वराज विशेषांक’ के लोकार्पण समारोह को मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। 

     उन्होंने आगे कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिन्दू समाज के ‘स्व’ को जागृत करने के लिए मुगलों द्वारा ध्वस्त किये गये हिन्दू मन्दिरों का पुनरुद्धार किया। फारसी के स्थान पर मराठी और संस्कृत भाषा को प्राथमिकता दी। मुगल कर व्यवस्था को बदलकर अपनी कर प्रणाली लागू की। शिवाजी ने अपनी स्वयं की राजमुहर का निर्माण किया जो फारसी के स्थान पर संस्कृत भाषा में तैयार की गयी थी। शिवाजी ने अपने राज्य को सुरक्षित रखने के लिए अनेक किलों का निर्माण किया। इसके अतिरिक्त कुशल सेना के साथ-साथ आधुनिक तकनीक का प्रयोग करते हुए उन्होंने नौसेना का भी निर्माण किया।

     छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा अपने राज्य को आत्मनिर्भर बनाने की कार्यप्रणाली का वर्णन करते हुए मुख्य वक्ता श्री ठाकुर ने आगे कहा कि छत्रपति ने अपने राज्य को आत्मनिर्भर बनाने की दृष्टि से कृषि को प्रधानता दी। किसानों को कृषि के लिए प्रोत्साहित किया।

शिवाजी की शासन व्यवस्था में शत्रु परिवार की महिला-बच्चों का हित और सम्मान भी निहित था - लक्ष्मण आचार्य

समारोह की अध्यक्षता करते हुए सिक्किम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य ने कहा कि इस विशेषांक का विमोचन न केवल “हिन्दवी स्वराज” के 350वें वर्ष पूर्ण होने और छत्रपति शिवाजी को स्मरण करने का अवसर प्रदान कर रहा है, वरन् भारत में “सुशासन” की जो परम्परा चली आ रही है, उसको भी समझने और जानने का एक सुन्दर अवसर है।

उन्होंने आगे कहा कि छत्रपति शिवाजी की शासन व्यवस्था और सोच इस प्रकार की थी कि उन्होंने जिन आक्रमणकारी मुगलों के विरुद्ध युद्ध किया, उनके परिवार की महिलाओं और बच्चों के हितों एवं सम्मान का भी ध्यान रखा। उनकी शासन प्रणाली अत्यन्त सुव्यवस्थित और पारदर्शी थी। उन्होंने नौसेना का भी गठन किया। उनको भारत के थोड़े भाग में मात्र 6-7 वर्षों तक ही शासन का अवसर प्राप्त हुआ, परन्तु इतने अल्पकाल में ही उन्होंने जो छाप छोड़ी, उसी से आज भी सुशासन के महत्वपूर्ण सूत्र हम प्राप्त कर रहे हैं। छत्रपति शिवाजी को पारंपरिक शिक्षा कुछ खास नहीं मिल पायी थी, परन्तु माता जीजाबाई और अपने गुरु समर्थ गुरु रामदास से उन्होंने भारतीय शास्त्रों और धर्म ग्रन्थों की भरपूर जानकारी प्राप्त किया, अपने माता पिता और गुरु का उनके व्यक्तित्व पर भरपूर प्रभाव था।

छत्रपति शिवाजी के राज्याभिषेक के लिए मुगलों के रोकटोक और निषेध के आदेश के बावजूद काशी से जाकर पं. गागा भट्ट ने उनका राजतिलक किया। जिससे पौराणिक नगरी काशी का सम्मान और बढ़ा। विषय प्रवर्तन करते हुए पत्रिका के प्रधान सम्पादक प्रो0ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि छत्रपति शिवाजी का राज्याभिषेक सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य की राज्याभिषेक की स्मृति को जीवंत करता है। चंद्रगुप्त मौर्य और छत्रपति शिवाजी के बीच समानता यह है कि दोनों महान शासक थे लेकिन किसी राजवंश परंपरा के उत्तराधिकारी नहीं थे। यह विषय वस्तु इस विशेषांक का मुख्य आकर्षण है। इस विशेषांक में छत्रपति शिवाजी की नौसेना एवं मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधि के साथ-साथ औरंगजेब जैसे क्रूर मुगल शासक को मात देकर उन्होंने हिंदवी स्वराज की स्थापना किया। इसके साथ ही इस विशेषांक में शिवजी के दो दिन के काशी गुप्त प्रवास एवं शिवाजी का राजतिलक करने वाले काशी के पंडित गंगा भट्ट की वंशावली भी इस विशेषांक में है।

विशिष्ट अतिथिद्वय वाराणसी के महापौर आशोक तिवारी एवं जाणता राजा महानाट्य समिति, काशी प्रान्त के अध्यक्ष अभय सिंह ने विशेषांक की सराहना करते हुए कहा कि यह विशेषांक वर्तमान पीढ़ी को  शिवाजी की कार्यप्रणाली, कूटनीति और शासन व्यवस्था से परिचित कराएगी।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों ने भारत माता एवं छत्रपति शिवाजी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर पुष्पार्चन किया। इसके साथ ही पारम्परिक रूप से मंगलाचरण एवं शंख ध्वनि से शिवाजी के राज्याभिषेक जैसा वातावरण प्रस्फूटित हुआ। स्वागत उद्बोधन विश्व संवाद केन्द्र काशी कार्यसमिति के अध्यक्ष डॉ.हेमन्त गुप्त एवं अतिथि परिचय सचिव प्रदीप चौरसिया ने कराया। मंच पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उ0प्र0क्षेत्र के क्षेत्र कार्यवाह डॉ0वीरेन्द्र जायसवाल एवं काशी प्रान्त कार्यवाह मुरली पाल उपस्थिति रही।

कार्यक्रम में प्रज्ञा प्रवाह पू.उ.प्र., बिहार एवं झारखण्ड के संयोजक रामाशीष जी, पू.उ.प्र. के मुख्य मार्ग प्रमुख राजेन्द्र सक्सेना, काशी प्रान्त प्रचारक रमेश जी, प्रधानाचार्य परिषद उ0प्र0 के प्रदेश अध्यक्ष डॉ.हरेन्द्र राय,  डॉ.सत्य प्रकाश पाल, डॉ.अजय परमार, प्रांत सह कार्यवाह डॉ. राकेश तिवारी, जाणता राजा महानाट्य आयोजन समिति के राहुल सिंह, अनिल किंजवाडेकर, सी.ए. सतीश चंद्र जैन, भारत विकास परिषद के प्रमोद राम त्रिपाठी, रविप्रकाश जायसवाल, डॉ. कमलेश तिवारी, डॉ. अमिता सिंह, डॉ. कुमकुम पाठक एवं कार्यक्रम के सह संयोजक डॉ. अशोक सोनकर, डॉ. कविता शाह आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे और कार्यक्रम की सफलता हेतु सहयोग प्रदान किया। धन्यवाद ज्ञापन पत्रिका के प्रबन्ध सम्पादक नागेन्द्र एवं संचालन कार्यक्रम संयोजक नवीन श्रीवास्तव ने किया।