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Monday, December 20, 2021

वंदेमातरम का उद्घोष धमनियों में रक्त का संचार बढ़ा देता है - सह सरकार्यवाह जी

 

प्रतापगढ़| अमृत महोत्सव आयोजन समिति, प्रतापगढ़ द्वारा आयोजित सामूहिक वंदे मातरम गायन कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह रामदत्त चक्रधर ने कहा कि अमृत महोत्सव का आयोजन हम सभी के लिए संकल्प का आयोजन है कि हम अपने स्वत्व का जागरण करें| अपने स्वत्व को जगा कर, अपने स्वाभिमान को जगा कर परम वैभवशाली राष्ट्र की परिकल्पना को साकार करना ही अमृत महोत्सव का उद्देश्य है| आज आवश्यकता है कि देश में अनेक ऐसे ज्ञात-अज्ञात स्वाधीनता संग्राम सेनानी हैं जिनका हम स्मरण करें और आने वाली पीढ़ी को परिचित कराएं| वंदेमातरम हम सभी के लिए राष्ट्र मंत्र है| वंदे मातरम का उद्घोष धमनियों में रक्त का संचार बढ़ा देता है| आइए हम सब मिलकर वंदे मातरम के जयघोष के साथ पूरे गगन को गुंजायमान करें|

उन्होंने आवाहन किया कि हम सभी को प्रतिदिन राष्ट्र की वंदना अवश्य करना चाहिए| अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि भारत गौरवशाली राष्ट्र है, इसका इतिहास गौरवशाली है और हम गौरवशाली वर्तमान के साथ भारत को अखंड भारत बनाने के लिए कृत संकल्पित हैं| उन्होंने कहा कि देश की संगठित शक्ति और सामर्थ्य के बल पर हम सभी ने स्वाधीनता प्राप्त की| समाज के सभी वर्गों ने आक्रांताओं का प्रतिरोध किया और समाज के एकीकरण के कारण स्वाधीनता प्राप्त की| हम सभी को स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर चलने का संकल्प लेना है| कार्यक्रम में हजारों की संख्या में उपस्थित लोगों ने एक साथ वंदेमातरम का सामूहिक गान करके राष्ट्रभक्ति का प्रबल ज्वार उत्पन्न किया| प्रस्तावना डॉ. पीयूष कांत शर्मा ने प्रस्तुत की|   ...आगे भी पढ़ें

राष्ट्रभक्ति से परिपूर्ण हो गया था पूरा परिसर

जबरदस्त ठंड के बाद भी भारत माता का जयकारा लगाते हुए लोग राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में स्वाधीनता सेनानियों को भावांजलि अर्पित करने के लिए उपस्थित हुए| राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में चारों ओर राष्ट्रभक्त नागरिकों का अपार समूह दिखाई पड़ रहा था| जिस समय सामूहिक वंदेमातरम का गायन हो रहा था, पूरा परिसर राष्ट्रभक्ति के भाव से परिपूर्ण हो गया| ऐसा लग रहा था जैसे हर कोई भारत को गौरव के परम वैभव तक पहुंचाने के लिए कृत संकल्पित हो रहा है| इस दौरान सह सरकार्यवाह रामदत्त चक्रधर को समिति के पदाधिकारियों ने साफा, अंगवस्त्रम और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया| कार्यक्रम का आरंभ दीप प्रज्वलन के पश्चात 21 वेद पाठी विद्वानों द्वारा शंख ध्वनि और वेद मंत्र का उच्चारण के साथ किया गया| अतिथियों का परिचय और स्वागत आयोजन समिति के पालक अधिकारी डॉ सौरभ ने किया| कार्यक्रम में जिले भर से नागरिक उपस्थित हुए थे|

कार्यक्रम में अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए| देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति कर छात्र-छात्राओं ने वातावरण को राष्ट्रभक्तिमय कर दिया गया|  लोग समूहों में भारत माता के जयकारे लगाते हुए कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित हुए और परिसर लगातार भारत माता की जय, वंदेमातरम की गूंज से गुंजायमान रहा| इस अवसर पर कर्नल श्रीनिवास, समाजसेवी सियाराम, प्रांत प्रचारक रमेश जी, प्रांत प्रचारक प्रमुख रामचंद्र जी, सेवा प्रमुख नागेंद्र जी, रमेश चंद्र त्रिपाठी, चिंतामणि जी, हरीश जी, प्रतोष जी, देवेंद्र सिंह, अशोक सिंह आदि सहित हजारों की संख्या में राष्ट्रभक्त उपस्थित रहे|

कार्यक्रम की अध्यक्षता आयोजन समिति के मनोज ब्रह्मचारी, आभार डॉ. अखिलेश एवं संचालन प्रभाशंकर ने किया|

स्व के आधार पर देश को विकसित कर भारत को बनाया जा सकता है विश्व गुरु - रामदत्त चक्रधर जी

75 बालिकाओं के नेतृत्व में एक लाख लोगों ने मिलकर गाया वंदेमातरम

प्रयागराज। तन समर्पित मन समर्पित और यह जीवन समर्पित के भाव को लेकर एक लाख देशभक्तों ने  सामूहिक वंदे मातरम गीत गाकर प्रयाग की धरती पर एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया। अमृत महोत्सव समिति प्रयाग के द्वारा रविवार को सामूहिक वन्देमातरम गान का आयोजन किया गया था| इस दौरान मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह रामदत्त चक्रधर जी ने कहा कि स्व के आधार पर देश को विकसित करने पर ही देश विश्व गुरु बन सकेगा। इसके लिए उन्होंने सभी से अपनी मातृभाषा में हस्ताक्षर करने तथा निमंत्रण पत्र मे अपनी भाषा का प्रयोग करने की जरूरत पर बल दिया।

उन्होंने आगे कहा कि स्वत्व का जागरण कर भारत को शक्तिशाली तथा विश्व गुरु के पद पर आसीन किया जा सकता है। इसके लिए स्वदेशी तकनीक स्व भाषा का प्रयोग तथा स्वधर्म का अनुगमन करना होगा। सह सरकार्यवाह ने जोर देकर कहा कि राष्ट्रभक्ति के ज्वार को जन-जन में फैलाना आज समय की सबसे बड़ी जरूरत है। इस दौरान उन्होंने सन्देश दिया कि जब तक ध्येय न पूरा होगा तब तक पग की गति न रुकेगी|

चंद्रशेखर आजाद, रमेश मालवीय, त्रिलोकीनाथ कपूर जैसे बलिदानियों की धरती पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा की भारत की आध्यात्मिक शक्ति और इसकी प्राचीन संस्कृति इसका प्राण है। आध्यात्मिक शक्ति से देश को बलशाली बनाये जाने की आवश्यकता है। आध्यात्मिक शक्ति से देश को विश्वगुरु बनाएं| उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत के स्वत्व को बचाना है तो आध्यात्मिक शक्ति को बचाना ही होगा। स्वेतलाना के अनुभवों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि प्रयाग की धरती आध्यात्मिक शक्ति से भरपूर है| विदेशियों को भी यहां से आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है। भारत रामकृष्ण, शिवाजी, राणा प्रताप, गुरु नानक, गुरु गोविंद सिंह, गंगा और गीता की अध्यात्मिक भूमि है। आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित कर देश की सांस्कृतिक धारा को मजबूत बनाने से श्रेष्ठ भारत का निर्माण हो सकेगा। इस संदर्भ में कवि रसखान का उल्लेख करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत और सनातन धर्म एक है। उन्होंने कहा कि भारत तो प्रयाग के अक्षयवट की तरह है। अनेकों विदेशी हमलावरो ने कई बार इस वृक्ष को काटकर पिघली धातु से  ढक कर इसे नेस्तनाबूत करने की चेष्टा की फिर भी अपनी मजबूत जड़ों के कारण यह नए रूपों में पल्लवित पुष्पित हो गया। जिस देश की जड़े मजबूत होती हैं उसे कोई नष्ट नहीं कर सकता। यह अमृत महोत्सव देश को अपनी जड़ों की पहचान कराने तथा उसे मजबूत बनाने का उत्सव है। उन्होंने याद दिलाया कि स्वाधीनता किसी एक परिवार की बदौलत नहीं मिली बल्कि इसके लिए किसानों, मजदूरों, नौजवानों, माताओं-बहनों को अपना बलिदान देना पड़ा। काकोरी कांड के क्रांतिकारियों का बलिदान दिवस पर उन्होंने कहा कि आज के दिन बलिदानियों से प्रेरणा लेने का दिन है। बलिदानों की प्रेरणा से ही प्रखर देशभक्ति का जागरण हो सकेगा जो अमृत महोत्सव का मूल उद्देश्य है।

इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति श्री शेखर यादव ने कहा कि एकता की कमी से हमें गुलाम होना पड़ा और विदेशियों ने हम पर शासन किया। इसलिए एकता बनाए रखें। उन्होंने कहा कि राम-कृष्ण, गंगा, गीता, शिवाजी, राणा प्रताप के प्रति देशवासियों मे सम्मान का भाव बना रहेगा तो देश को गुलाम बनाने की हिम्मत कोई नहीं कर सकेगा।

इसके पूर्व अमृत महोत्सव समिति काशी प्रांत के संयोजक डॉ आनंद शंकर सिंह ने काशी प्रांत में पूरे महीने भर चले अमृत महोत्सव की विस्तार से जानकारी दी। इस क्रम में काशी प्रांत के गांव गांव में भारत माता की झांकी सामूहिक आरती, विशाल तिरंगा यात्रा तथा शहीदों के याद के लिए दीपदान के आयोजन हुए। कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंगलाचरण से हुए| मंच पर फलाहारी बाबा की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय रही।

एक लाख देशभक्तों ने किया सहभाग, गाया वन्देमातरम

कार्यक्रम में केपी ग्राउंड में उपस्थित एक लाख देशभक्तों ने समवेत स्वरों में वंदेमातरम गीत गाकर देश पर मानो सर्वस्व न्योछावर करने के संकल्प का शंखनाद कर दिया। 75 बालिकाओं के नेतृत्व में एक लाख लोगों ने मिलकर वंदेमातरम गाया| लगभग 1 महीने से चल रहे अमृत महोत्सव कार्यक्रमों की श्रृंखला मे आज छोटे बच्चों से लेकर वयस्कों माता-बहनो विभिन्न सामाजिक संगठनों ने मिलकर देशभक्ति की धारा प्रवाहित की। नगर के सभी विद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने भी अपनी पूर्ण सहभागिता निभा कर मानो यह संदेश दे दिया कि देश के लिए जब कुछ कर गुजरने की बेला आएगी तो वे किसी से पीछे नहीं है। 


समारोह स्थल पर 75 कलश से सजावट 75 फुट की रंगोली 75 महापुरुषों की अलग-अलग परिधानों में झांकी आकर्षण का केंद्र बनी थी। इस अवसर पर काशी  महापौर अभिलाषा गुप्ता नंदी, प्रांत प्रचारक रमेश जी, कमिश्नर आशीष गोयल जी, प्रो. राज बिहारी लाल जी, डॉ. के पी सिंह जी, डॉ. पीयूष जी, शासकीय अधिवक्ता शिव कुमार पाल जी, महोत्सव समिति के सह संयोजक मुरारजी त्रिपाठी, संजीव जी, घनश्याम जी, वीर कृष्ण जी, अजय जी, वसु जी, रामकुमार जी, महेश चंद्र चतुर्वेदी, आदि की उपस्थिति प्रमुख रही। संचालन अधिवक्ता परिषद के महामंत्री शीतल जी ने तथा धन्यवाद ज्ञापन आशीष जी ने किया। 

Sunday, December 19, 2021

भारतीय राष्ट्रवाद का मूल आधार सांस्कृतिक राष्ट्रवाद है - प्रो.राकेश सिन्हा

एक साथ हजारों लोगों ने गाया वन्देमातरम

  • संस्कार भारती काशी महानगर ने प्रस्तुत किया सांस्कृतिक कार्यक्रम
  • शंखनाद और डमरू की धुन से गुंजायमान हुआ काशी
  • हर हाथ में तिरंगा ने दिया सन्देश

काशी| भारतीय राष्ट्रवाद का मूल आधार सांस्कृतिक राष्ट्रवाद है जिसका दूसरा नाम हिंदुत्ववाद है। हिन्दू हमारी मौलिक पहचान है जबकि हिंदुत्व, हिन्दू होने और हिन्दुओ के वैशिष्ट्य के प्रति जागरूकता का नाम है। जब भी यह जागरूकता कम हुई न सिर्फ हिन्दुओ की संख्या कम हुई बल्कि अखण्ड भारत की चौहद्दी भी सिमटती गयी। हिन्दुओ पर आज भी वही प्रहार कर रहे है, जिन्होंने देश को बांटने का कार्य किया था। उक्त बातें प्रख्यात चितंक एवं विचारक प्रो.राकेश सिन्हा ने वन्देमातरम आयोजन समिति काशी महानगर द्वारा आयोजित डॉ. संपूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम, सिगरा में अमृत महोत्सव के अंतर्गत सामूहिक वन्देमातरम गायन कार्यक्रम के दौरान कही| कार्यक्रम में एक साथ हजारों हजार लोगों ने वन्देमातरम का सामूहिक गायन कियाआगे भी पढ़ें...


उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता की लड़ाई का हम लोगों का पूरा इतिहास, कुछ लोगों के इर्द-गिर्द रखकर लिखा गया है और बलिदानियों की उपेक्षा की गई है। क्रांतिकारी गतिविधियों के कारण ही, अंग्रेजों के मन में भय और निराशा के बादल छा गए। आज इतिहास की पुस्तकों में बारह वर्षीय शहीद बाज रावत और उसी उम्र की तैलेश्वरी बरुआ का नाम खोजने से भी नहीं मिलता। क्रांतिकारीयों के योगदान और शुद्ध राष्ट्रवाद की घोर उपेक्षा की गई है।   आगे भी पढ़ें...

   

उन्होंने आगे कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के शीर्ष पर बैठे लोगों ने राष्ट्रवाद के मुद्दे पर समझौता करते हुए राष्ट्रीयता को कमजोर किया। इसी कारणवश जिन्ना और मुस्लिम लीग का आत्मविश्वास बढ़ता गया। इसका उदाहरण है कि वन्देमातरम का गायन कांग्रेस में सन 1896 से हो रहा था, उसके गायन को रेडियो पर सन 1937 में बंद कर दिया गया। जो कि फिर से सन 1941 में शुरू हुआ। मातंगी हजरा जैसे शहीदों, जिन्होंने वन्दे मातरम गाते हुए हिंदुस्तान के लिए शहादत दी थी, उनकी भी उपेक्षा कर दी गयी। यह एक तरह से मुस्लिम लीग के प्रति तुष्टिकरण का परिणाम था।

उन्होंने काशी का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि काशी न सिर्फ धर्म की नगरी है, बल्कि ज्ञान और परम्परा की सबसे प्राचीन नगरी है। इसने दुनिया में अकादमिक लोकतंत्र (एकेडेमिक डेमोक्रेसी) का विलक्षण उदहारण प्रस्तुत किया है। इसका उदाहरण दामोदर शास्त्री और बच्चा झा के बीच, दयानन्द शास्त्री और काशी के विद्वान पंडितों के बीच, गंगाधर शास्त्री व गट्टू लाल के बीच का शास्त्रार्थ है। काशी के इसी ज्ञान परम्परा के आधार पर शिक्षा को यूरोप केंद्रित से भारतीय केंद्रित बना सकते है।

प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए शिक्षा एवं कानूनविद डॉ. वीरेन्द्र जी ने कहा कि जिस प्रकार सांस्कृतिक विरासत को नष्ट किया गया उसके बाद यह अमृत महोत्सव सर्वाधिक उपयुक्त अवसर है राष्ट्रवाद को स्पष्ट करने का| उन्होंने कहा कि कांग्रेस की स्थापना यूरोपियन ने ही की थी मगर पंथ और जाति के नाम पर समाज को बाँटने का कुचक्र भी उन्होंने किया| वर्तमान में एक सुक्ति प्रचलित है- “हस के लिया है पाकिस्तान, लड़ के लेंगे हिन्दुस्तान”| कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री रमेश कुमार चौधरी जी, विशिष्ट अतिथि कर्नल श्री राघवेन्द्र एवं सह संयोजक श्री राहुल सिंह रहें|

इस दौरान डॉ आशीष, रजत प्रताप, सुरेन्द्र जी, समाजसेवी त्रिलोक जी, डॉ राकेश जी, दीनदयाल जी, कृष्णचंद्रजी, रविशंकर तिवारी, अनिल जी ,  प्रदीप कुमार, हरिओम जी, डॉ रंजना श्रीवास्तव, अरविन्द एवं अमित समेत हजारो छात्र-छात्राएं एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहें| संचालन सुनील द्विवेदी ने की|

कार्यक्रम का सीधा प्रसारण विश्व संवाद केन्द्र के काशी, कोंकण एवं राष्ट्रीय संस्था विश्व संवाद केन्द्र, काशी भारत एवं स्वदेशी ऐप वयम समेत देशभर के विभिन्न प्लेटफोर्म पर किया गया|

संस्कार भारती काशी महानगर ने प्रस्तुत किया सांस्कृतिक कार्यक्रम

कार्यक्रम के दौरान संस्कार भारती काशी महानगर द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से  हमारी संस्कृति से परिचित कराया तो देशभक्ति गीतों पर शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत कर परिसर में देशभक्ति का जूनून जगाया|    आगे भी पढ़ें...



  

शंखनाद और डमरू की धुन से गुंजायमान हुआ काशी

स्टेडियम में काशी का असली स्वरुप देखने को मिला| अतिथियों के आगमन पर डमरू और शंख का नाद किया गया| काशी की इस मूल संगीत ध्वनि ने पूरे माहौल को काशीमय कर दिया| समय समय पर हो रहे हर हर महादेव, वन्देमातरम और भारत माता की जय का उद्घोष लोगों में जोश और उत्साह जागृत कर रहा था|

हर हाथ में तिरंगा ने दिया सन्देश

परिसर में हर हाथ में तिरंगा दिख रहा था| हर हाथ में तिरंगा स्वतंत्रता की एक नयी कहानी बता रही थी| कार्यक्रम में सम्मिलित होने आये अनेक छात्र-छात्रों का कहना था कि हमें स्वाधीनता मिली है लेकिन ये तिरंगा लेकर हम ये सन्देश देना चाहते है कि अब हम स्वतंत्रता और सुराज की ओर कदम बढ़ा रहे हैं|

Saturday, December 18, 2021

हर व्यक्ति स्वयं में विशिष्ट है, अपने स्व को जागृत करें, नही करें किसी की नकल : डॉ ओम प्रकाश पाण्डेय

सुलतानपुर। विश्व में 750 अरब आबादी है किन्तु किसी एक का भी चेहरा किसी दूसरे से नही मिलता फिर भी हम किसी को अपना रोल मॉडल बनाते है। हम अपने आप में विशिष्ट हैं। आप किसी की नकल न करें अपने व्यक्तित्व को निखारें। दुनिया आपके पीछे होगी। अपने स्व को मारे नही, जागृत करें। उक्त बातें अंतरिक्ष विज्ञानी डॉ ओम प्रकाश पाण्डेय ने सुलतानपुर में आयोजित अमृत महोत्सव के समापन कार्यक्रम में कहीं|

के. एन. आई. परिसर में भारत माता पूजन एवं सामूहिक वंदे मातरम गान के पश्चात समारोह को संबोधित करते हुए डॉ ओमप्रकाश ने कहा कि हमारे यहाँ कुछ ऐसे लोग हैं जो राष्ट्र की संस्कृति, दर्शन और परंपरा को नही मानते। आधुनिक बनने के लिए बहुत कुछ करते रहते हैं। आधुनिक बनने के प्रयास  में हम अपनी संस्कृति, दर्शन और परंपरा को छोड़ देते हैं। ऐसे में स्वजनों में भी स्वतंत्रता नही रहती। आज तक हमें इतिहास में मुगल इंडिया, ब्रिटिश इंडिया का ही इतिहास पढ़ाया जाता रहा है। 75 साल में कुछ नही बदला। भारत किसी भी काल खंड में एक दिन भी गुलाम नही रहा। वास्तविकता यही है। भ्रम फैलाया गया कि आप पराजितों के देश में है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बन रहा हैं और काशी में बाबा भोलेले नाथ का दिव्य स्थल का निर्माण कर राज्य सत्ता आपको संकेत कर रही है कि  भारतीय संस्कृति के हिसाब से सब ठीक कर लें। कार्यक्रम में दन्त चिकित्सक डॉ अनुराधा ने कहा कि हमारे इतिहास गलत प्रस्तुत किया गया। कान्वेंट कल्चर ने हमारी भाषा को बिगाड़ दिया। भाषा के सर्वज्ञ हो सकते है पर विषय का विशेषज्ञ होना जरूरी नही है। उन्होंने आह्वान किया अपने आत्मबल और स्वाभिमान को ऊंचा रखें। हमें अपने जड़ो की तरफ लौटना चाहिए। इस दौरान डॉ सुधीर गोयल ने अपने विचार रखे। सांस्कृतिक कार्यक्रम सरस्वती विद्या मंदिर की बलिकाओ ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में शंखनाद डॉ कुँवर दिनकर सिंह ने किया| अन्त में सभी ने सामूहिक रूप से भारत माता की आरती की|

      कार्यक्रम में दिलीप बरनवाल,  वरिष्ठ प्रचारक रामचंद्र जी, सह प्रान्त प्रचारक मुनीश जी, अजित जी व डॉ रमाशंकर मिश्र, नवीन श्रीवास्तव,  पवनेश मिश्र, अजय गुप्ता, डॉ जेपी सिंह आदि उपस्थित रहें। संयोजन देवी प्रसाद एवं संचालन डॉ पवन सिंह ने किया।

Friday, December 17, 2021

राजनैतिक नहीं संस्कृति व सामाजिक ताना बाना को बचाने की हैं लड़ाई : डा.आनन्द शंकर सिंह

मीरजापुर। भारत स्वाधीन हुआ है, अभी स्वतंत्रता की तलाश जारी है। जब हम मन, वचन और कर्म से वसुधैव कुटुंबकम् की धारणा के साथ अपने आपको जोड़ लेंगे तभी स्वतंत्रता का सपना साकार होगा। हमारा देश भूगोल की नहीं, भारत माता को केन्द्र मानकर सोचता है। उक्त उद्गार नगर के राजकीय इण्टर कॉलेज में अमृत महोत्सव के अवसर पर आयोजित वंदे मातरम् गान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में ईश्वर शरण डिग्री कॉलेज के प्राचार्य डा आनन्द शंकर सिंह ने व्यक्त किया।

श्री सिंह ने कहा कि भारत की संस्कृति और संस्कार में वह विशेषता है जिसमें तमाम आक्रांताओं के लूट और शोषण के बावजूद प्राचीन संस्कृति और संस्कार जिन्दा है। उन्होंने कहा कि भारत में लोक संस्कृति और गांव में अपनी व्यवस्था होने से भारत में आए विदेशी आक्रमणकारी शहरों तक ही सिमट कर रह गए। अंग्रेजो ने भी भारतीय संस्कृति को नष्ट करने के लिए गांव में खेत से लगान वसूलने का काम शुरू किया तो मैकाले ने शिक्षा पद्धति थोप कर अपनी संस्कृति से दूर करने का काम किया। वर्ष 2020 में भारत सरकार द्वारा इस गलती को दुरुस्त करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू किया हैं। कहा कि देश में राजनैतिक लड़ाई नहीं सामाजिक ताना बाना को बचाने का संघर्ष चल रहा है।

विशिष्ट अतिथि डा. नन्द जी चौबे ने कहा कि स्वाधीनता बलिदान का प्रतिफल है। अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वालों की बदौलत अमृत महोत्सव का आयोजन किया गया है। भारत माता के अमर सपूतों के संघर्ष के बाद स्वाधीनता मिली। उन्होंने वाराणसी में जन-जागरण की चर्चा करते हुए कहा कि उस वक्त रणभेरी बजाकर लोग गंगा दर्शन करने जाते थे। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि देश का बंटवारा मेरी लाश पर होगा। इसके बाद भी देश के नक्शे पर लाइन खींच कर बंटवारा कर दिया गया। कांग्रेस ने समझौता कर लिया था। डेढ़ करोड़ लोगों के स्थानांतरण में लाखों लोगों की हत्या कर दी गई। बंटवारे का दंश आज भी बांग्लादेश और पाकिस्तान के साथ भारत झेल रहा हैं। कार्यक्रम के दौरान भरी संख्या में लोगों ने तिरंगा यात्रा निकाली तत्पश्चात छात्राओं ने सामूहिक वन्देमातरम का गान किया|

 

कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के मुख्य मार्ग प्रमुख राजेंद्र सक्सेना जी, मनोज श्रीवास्तव, विनीत सिंह,  बृज भूषण सिंह, मनोज जायसवाल, रवि शंकर साहू, विवेक बरनवाल, जितेंद्र तिवारी, राजू कन्नौजिया, जगदीश सिंह पटेल, आशुकांत चुनाहे, उत्तर कुमार मौर्य, अनिल सिंह, सन्तोष गोयल, महेश तिवारी, राजेंद्र पाठक, डा गणेश प्रसाद अवस्थी, कृष्ण मोहन गोस्वामी, शंकर राय, राम अवध पाण्डेय, मणि शंकर मिश्र, शरद उपाध्याय, डा. कुलदीप मिश्र, श्याम सुंदर केशरी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम का समापन भारत माता के जयकारे और वंदेमातरम् के जय घोष से किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमती अजिता श्रीवास्तव एवं संचालन धीरेन्द्र ने किया।