1498 से 1947 तक चले भीषण संघर्ष की बलिदान गाथा इतिहास के पन्नों में सही नहीं – रमेश जी
प्रयागराज। प्रयागराज के ऐतिहासिक चंद्रशेखर आजाद पार्क में
अमृत महोत्सव समिति प्रयाग उत्तर भाग की ओर से आयोजित दीपदान उत्सव में देश के
क्रांतिवीरों एवं स्वतंत्रता सेनानियों की गौरव गाथा का अलग अलग अंदाज में वर्णन
किया गया| इस दौरान मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काशी प्रांत प्रचारक
रमेश जी ने अपने विचार व्यक्त किये| उत्सव में उपस्थित
कवियों ने भी अपने कविताओं से परिसर को राष्ट्रभक्ति वातावरण से ओत-प्रोत कर दिया|
कार्यक्रम में रमेश जी ने आह्वान करते हुए कहा कि सच्ची
स्वतंत्रता के लिए युवा पीढ़ी बलिदानों के लिए तैयार रहें। 15 अगस्त 1947 को तो केवल
स्वाधीनता मिली है, स्वतंत्रता के लिए संघर्ष जारी है।
उन्होंने आगे कहा कि स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले
बलिदानियों का स्मरण करने के लिए हम एकत्रित हुए हैं| यह
दीपदान उन सभी बलिदानियों को समर्पित है। उन्होंने बड़े ही ओजस्वी स्वर में कहा कि
हम देशभक्ति की ही ज्वाला धधकाने के लिए निकले हैं। प्रखर राष्ट्रभक्ति की भावना
से ही देश की सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है। उन्होंने भरोसा दिलाते हुए कहा
कि देश पर प्राण न्योछावर करने वाले शहीदों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। हाल ही
में शहीद जनरल विपिन
रावत समेत सभी बलिदानियो का श्रद्धापूर्ण स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि बलिदानियो
का मजाक उड़ाने वाले देश के दुश्मन है। इन्हें मुंहतोड़ जवाब मिलना चाहिए। अमृत
महोत्सव के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि स्वाधीनता से स्वतंत्रता
की ओर ले जाने वाले महाअभियान का नाम ही अमृत महोत्सव है।
देश को केवल स्वाधीनता मिली है| उन्होंने कहा कि 1498 से
1947 तक
चले भीषण संघर्ष की बलिदान गाथा इतिहास के पन्नों में सही नहीं लिखी गई। केवल
एक परिवार और एक विचारधारा को महिमामंडित कर बलिदानियों की पूरी तरह नजरअंदाज किया
गया। यह बलिदानियो के साथ सरासर अन्याय है। इस सच्चाई का
बोध कराने के लिए तथा लोगों के दिलों में बलिदान की याद अंकित कराने के लिए अमृत
महोत्सव का आयोजन किया गया है। उन्होंने इस बात पर जोर
दिया कि प्रयागराज का जनमानस देशभक्ति से ओतप्रोत है। पूरे प्रांत में ऐसा ही
देशभक्ति का वायुमंडल खड़ा करने के लिए यह अमृत महोत्सव आयोजित किया जा रहा है।
इतिहास की याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि देशवासियों को
पढ़ाया जाता है कि एक लंबे समय तक देश मुगलों और अंग्रेजों के अधीन रहा जबकि
सच्चाई इसके ठीक विपरीत है। पूरा देश कभी भी गुलाम नहीं हुआ। आजादी के लिए लगातार
संघर्ष चलते रहे और पूरे देश पर विदेशियों का आधिपत्य कभी भी स्थापित नहीं हो
पाया। इतिहास के पन्नों में इस सच्चाई को स्थान नहीं मिल पाया है| इस सत्य का साक्षात्कार कराने के लिए जनजागरण का अभियान जारी है। उन्होंने
युवाओं से आह्वान किया कि बलिदानी चंद्रशेखर आजाद से प्रेरणा लेकर सभी लोग अपने मन
में देशभक्ति का भाव जगाये और राष्ट्रीय कर्तव्यों के प्रति पूरी तरह सचेष्ट रहें।
इसके पूर्व समाजसेवी प्रो राज बिहारी लाल जी ने कहा कि देश को स्वतंत्रता समझौता
वादियो ने नहीं बल्कि क्रांतिकारियों ने दिलाया है। इसके लिए हजारों लोगों को
बलिदान देना पड़ा है। देश बलिदानियो के प्रति कृतज्ञ है। तत्पश्चात उत्सव में आये
प्रतिष्ठित युवा कवियों ने राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत अपनी कविता को सुना कर पूरे
वातावरण को जोश से भर दिया। कवियों को सुनकर एकत्रित नौजवानों ने जोशीले अंदाज में
भारत माता की जय और वंदे मातरम का घोष करके अपनी राष्ट्रभक्ति की भावना को मनो नया
स्वर दिया| कवियों में अपनी विशेष पहचान रखने वाले शैलेंद्र
मधुर के संचालन में शुरू हुए इस सम्मेलन में योगेश झमाझम ने वंदेमातरम को परिभाषित
करते हुए क्रांतिवीरों को श्रद्धांजली दी -
मन में उमंग और तन में तरंग भरे
अदम्य शौर्य की पहचान वंदे मातरम।
खींच लेता दुश्मनों का प्राण वंदेमातरम
आजाद के मूछों की है शान वंदेमातरम।
कवि अमित आभास ने “हम रहे न रहे, देश
जिंदा रहे” सुनाया| अलका श्रीवास्तव
समेत अनेक युवा कवियो ने वीर रस मे कविता सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। उद्बोधन के
पश्चात प्रांत प्रचारक रमेश जी, शिव कुमार पाल जी, प्रो राज बिहारी ने वैदिक मंत्रोच्चार के
साथ भारत माता की समवेत स्वरों में स्तुति के साथ आरती की। कार्यक्रम के बीच-बीच में लोगों ने भारत माता की जय तथा वंदेमातरम का उद्घोष कर
राष्ट्रभक्ति वातावरण बना दिया|
इस अवसर पर प्रो0 एसपी सिंह, शिव प्रकाश जी, विभाग प्रचारक
डॉ. पीयूष जी, अमृत महोत्सव के प्रांत सह संयोजक डॉ मुरारजी त्रिपाठी, शिव
कुमार पाल जी, प्रो. अमित पांडे, संजीव
जी, रामकुमार जी, नागेंद्र जी,
त्रिवेणी लाल श्रीवास्तव समेत हजारों की संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित थे। संचालन
अरुण वर्मा ने किया। कार्यक्रम का संयोजन गंगा समग्र ने किया।
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