75 बालिकाओं के नेतृत्व में एक लाख लोगों ने मिलकर गाया वंदेमातरम
प्रयागराज। तन समर्पित मन समर्पित और
यह जीवन समर्पित के भाव को लेकर एक लाख देशभक्तों ने सामूहिक वंदे मातरम गीत गाकर प्रयाग की धरती पर
एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया। अमृत महोत्सव समिति प्रयाग के द्वारा रविवार को
सामूहिक वन्देमातरम गान का आयोजन किया गया था| इस दौरान मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह रामदत्त चक्रधर जी ने कहा कि स्व के आधार पर देश
को विकसित करने पर ही देश विश्व गुरु बन सकेगा। इसके लिए उन्होंने सभी से अपनी
मातृभाषा में हस्ताक्षर करने तथा निमंत्रण पत्र मे अपनी भाषा का प्रयोग करने की
जरूरत पर बल दिया।
उन्होंने आगे कहा कि स्वत्व का जागरण कर भारत को शक्तिशाली तथा विश्व गुरु के
पद पर आसीन किया जा सकता है। इसके लिए स्वदेशी तकनीक स्व भाषा का प्रयोग तथा
स्वधर्म का अनुगमन करना होगा। सह सरकार्यवाह ने जोर देकर कहा कि राष्ट्रभक्ति के
ज्वार को जन-जन में फैलाना आज समय की सबसे बड़ी जरूरत है। इस दौरान उन्होंने सन्देश दिया कि जब तक ध्येय न
पूरा होगा तब तक पग की गति न रुकेगी|
चंद्रशेखर आजाद, रमेश मालवीय, त्रिलोकीनाथ कपूर जैसे बलिदानियों की धरती पर
आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा की भारत की आध्यात्मिक शक्ति और इसकी प्राचीन
संस्कृति इसका प्राण है। आध्यात्मिक शक्ति से देश को बलशाली बनाये जाने की आवश्यकता
है। आध्यात्मिक शक्ति से देश को विश्वगुरु बनाएं| उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा
कि भारत के स्वत्व को बचाना है तो आध्यात्मिक शक्ति को बचाना ही होगा। स्वेतलाना
के अनुभवों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि प्रयाग की धरती आध्यात्मिक शक्ति
से भरपूर है| विदेशियों को भी यहां से आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है। भारत रामकृष्ण,
शिवाजी, राणा प्रताप, गुरु नानक, गुरु गोविंद सिंह, गंगा और गीता की अध्यात्मिक
भूमि है। आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित कर देश की सांस्कृतिक धारा को मजबूत बनाने
से श्रेष्ठ भारत का निर्माण हो सकेगा। इस संदर्भ में कवि रसखान का उल्लेख करते हुए
उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत और सनातन धर्म एक है। उन्होंने कहा कि भारत तो
प्रयाग के अक्षयवट की तरह है। अनेकों विदेशी हमलावरो ने कई बार इस वृक्ष को काटकर
पिघली धातु से ढक कर इसे नेस्तनाबूत करने
की चेष्टा की फिर भी अपनी मजबूत जड़ों के कारण यह नए रूपों में पल्लवित पुष्पित हो
गया। जिस देश की जड़े मजबूत होती हैं उसे कोई नष्ट नहीं कर सकता। यह अमृत महोत्सव
देश को अपनी जड़ों की पहचान कराने तथा उसे मजबूत बनाने का उत्सव है। उन्होंने याद
दिलाया कि स्वाधीनता किसी एक परिवार की बदौलत नहीं मिली बल्कि इसके लिए किसानों,
मजदूरों, नौजवानों, माताओं-बहनों को अपना बलिदान देना पड़ा। काकोरी कांड के
क्रांतिकारियों का बलिदान दिवस पर उन्होंने कहा कि आज के दिन बलिदानियों से
प्रेरणा लेने का दिन है। बलिदानों की प्रेरणा से ही प्रखर देशभक्ति का जागरण हो
सकेगा जो अमृत महोत्सव का मूल उद्देश्य है।
इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति श्री
शेखर यादव ने कहा कि एकता की कमी से हमें गुलाम होना पड़ा और विदेशियों ने हम पर
शासन किया। इसलिए एकता बनाए रखें। उन्होंने कहा कि राम-कृष्ण, गंगा, गीता, शिवाजी,
राणा प्रताप के प्रति देशवासियों मे सम्मान का भाव बना रहेगा तो देश को गुलाम
बनाने की हिम्मत कोई नहीं कर सकेगा।
इसके पूर्व अमृत महोत्सव समिति काशी प्रांत के संयोजक डॉ आनंद शंकर सिंह ने
काशी प्रांत में पूरे महीने भर चले अमृत महोत्सव की विस्तार से जानकारी दी। इस
क्रम में काशी प्रांत के गांव गांव में भारत माता की झांकी सामूहिक आरती, विशाल
तिरंगा यात्रा तथा शहीदों के याद के लिए दीपदान के आयोजन हुए। कार्यक्रम की शुरुआत
वैदिक मंगलाचरण से हुए| मंच पर फलाहारी बाबा की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय रही।
एक लाख देशभक्तों ने किया सहभाग, गाया वन्देमातरम
कार्यक्रम में केपी ग्राउंड में उपस्थित एक लाख देशभक्तों ने समवेत स्वरों में वंदेमातरम गीत गाकर देश पर मानो सर्वस्व न्योछावर करने के संकल्प का शंखनाद कर दिया। 75 बालिकाओं के नेतृत्व में एक लाख लोगों ने मिलकर वंदेमातरम गाया| लगभग 1 महीने से चल रहे अमृत महोत्सव कार्यक्रमों की श्रृंखला मे आज छोटे बच्चों से लेकर वयस्कों माता-बहनो विभिन्न सामाजिक संगठनों ने मिलकर देशभक्ति की धारा प्रवाहित की। नगर के सभी विद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने भी अपनी पूर्ण सहभागिता निभा कर मानो यह संदेश दे दिया कि देश के लिए जब कुछ कर गुजरने की बेला आएगी तो वे किसी से पीछे नहीं है।
समारोह स्थल पर 75 कलश से सजावट 75 फुट की रंगोली 75 महापुरुषों की अलग-अलग परिधानों में झांकी आकर्षण का केंद्र बनी थी। इस अवसर पर काशी महापौर अभिलाषा गुप्ता नंदी, प्रांत प्रचारक रमेश जी, कमिश्नर आशीष गोयल जी, प्रो. राज बिहारी लाल जी, डॉ. के पी सिंह जी, डॉ. पीयूष जी, शासकीय अधिवक्ता शिव कुमार पाल जी, महोत्सव समिति के सह संयोजक मुरारजी त्रिपाठी, संजीव जी, घनश्याम जी, वीर कृष्ण जी, अजय जी, वसु जी, रामकुमार जी, महेश चंद्र चतुर्वेदी, आदि की उपस्थिति प्रमुख रही। संचालन अधिवक्ता परिषद के महामंत्री शीतल जी ने तथा धन्यवाद ज्ञापन आशीष जी ने किया।
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