मीरजापुर। भारत स्वाधीन हुआ है, अभी
स्वतंत्रता की तलाश जारी है। जब हम मन, वचन और कर्म से वसुधैव कुटुंबकम् की धारणा के साथ अपने आपको
जोड़ लेंगे तभी स्वतंत्रता का सपना साकार होगा। हमारा देश भूगोल की नहीं,
भारत माता को केन्द्र मानकर सोचता है। उक्त उद्गार नगर के राजकीय इण्टर कॉलेज में
अमृत महोत्सव के अवसर पर आयोजित वंदे मातरम् गान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप
में ईश्वर शरण डिग्री कॉलेज के प्राचार्य डा आनन्द शंकर सिंह
ने व्यक्त किया।
श्री सिंह ने कहा कि भारत की संस्कृति और संस्कार में वह
विशेषता है जिसमें तमाम आक्रांताओं के लूट और शोषण के बावजूद प्राचीन संस्कृति और
संस्कार जिन्दा है। उन्होंने कहा कि भारत में लोक संस्कृति और गांव में अपनी
व्यवस्था होने से भारत में आए विदेशी आक्रमणकारी शहरों तक ही सिमट कर रह गए।
अंग्रेजो ने भी भारतीय संस्कृति को नष्ट करने के लिए गांव में खेत से लगान वसूलने
का काम शुरू किया तो मैकाले ने शिक्षा पद्धति थोप कर अपनी संस्कृति से दूर करने का
काम किया। वर्ष 2020 में भारत सरकार
द्वारा इस गलती को दुरुस्त करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू किया हैं। कहा कि
देश में राजनैतिक लड़ाई नहीं सामाजिक ताना बाना को बचाने का संघर्ष चल रहा है।
विशिष्ट अतिथि डा. नन्द जी चौबे ने कहा कि स्वाधीनता बलिदान
का प्रतिफल है। अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वालों की बदौलत अमृत महोत्सव का आयोजन
किया गया है। भारत माता के अमर सपूतों के संघर्ष के बाद स्वाधीनता मिली। उन्होंने
वाराणसी में जन-जागरण की चर्चा करते हुए कहा कि उस वक्त रणभेरी बजाकर लोग गंगा
दर्शन करने जाते थे। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि देश का बंटवारा
मेरी लाश पर होगा। इसके बाद भी देश के नक्शे पर लाइन खींच कर बंटवारा कर दिया गया।
कांग्रेस ने समझौता कर लिया था। डेढ़ करोड़ लोगों के स्थानांतरण में लाखों लोगों
की हत्या कर दी गई। बंटवारे का दंश आज भी बांग्लादेश और पाकिस्तान के साथ भारत झेल
रहा हैं। कार्यक्रम के दौरान भरी संख्या में लोगों ने तिरंगा यात्रा निकाली तत्पश्चात
छात्राओं ने सामूहिक वन्देमातरम का गान किया|
कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश
क्षेत्र के मुख्य मार्ग प्रमुख राजेंद्र सक्सेना जी, मनोज श्रीवास्तव, विनीत सिंह, बृज भूषण सिंह,
मनोज जायसवाल, रवि शंकर साहू, विवेक बरनवाल, जितेंद्र तिवारी, राजू कन्नौजिया, जगदीश सिंह पटेल, आशुकांत चुनाहे, उत्तर कुमार मौर्य, अनिल सिंह, सन्तोष गोयल, महेश तिवारी, राजेंद्र पाठक, डा गणेश प्रसाद अवस्थी, कृष्ण मोहन गोस्वामी, शंकर राय, राम अवध पाण्डेय, मणि शंकर मिश्र, शरद उपाध्याय, डा. कुलदीप मिश्र, श्याम सुंदर केशरी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम
का समापन भारत माता के जयकारे और वंदेमातरम् के जय घोष से किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता
श्रीमती अजिता श्रीवास्तव एवं संचालन धीरेन्द्र ने किया।
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