जब तक हममें स्व जागृत नहीं होता, स्वतंत्रता अधूरी है - रमेश जी
प्रयागराज। प्रयागराज
के अमृत महोत्सव में बुधवार को एक नया पृष्ठ जुड़ गया| 15000 लोगों ने 2,51,000
दीपों से 3 किलोमीटर लंबा दीपसेतु बनाकर स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर बढ़ने का
सन्देश दिया। इस दौरान मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काशी प्रांत प्रचारक
रमेश जी ने कहा कि जब तक भारत विश्व गुरु नहीं बन जाता, स्वतंत्रता का यह संघर्ष
जारी रहेगा|
अमृत महोत्सव
समिति प्रयाग दक्षिण भाग की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में नगर के
स्वामी विवेकानंद चौराहे से नेताजी सुभाष चंद्र बोस चौराहे तक सड़क के दोनों ओर
लगभग 3 किलोमीटर लंबा दीप सेतु बनाया गया। पूरे मार्ग पर विभिन्न रेखाकृतियों पर
प्रज्वलित दीप मनोहर छटा प्रस्तुत कर रहे थे। सायंकाल गोधूलि बेला में आयोजित इस
कार्यक्रम में अमृत महोत्सव, भारत माता की जय, वंदेमातरम, स्वस्तिक, श्रीयंत्र तथा
ओम समेत अनेक आकृतियो से सुसज्जित टिमटिमाते दीप लोगों को आकर्षित कर रहे थे| इस
दौरान मुख्य वक्ता रमेश जी ने विश्वास व्यक्त किया कि अमृत महोत्सव से हमने स्वतंत्रता
की ओर बढना शुरू कर दिया है और शताब्दी वर्ष तक इस लक्ष्य को अवश्य प्राप्त कर
लेंगे। उन्होंने आगे कहा कि इस दीप प्रज्वलन के माध्यम से हमने 1947 तक आजादी के
संघर्ष में जूझे लाखों ज्ञात-अज्ञात शहीदों को श्रद्धांजलि दी है। सन 47 में हमने
स्वाधीनता प्राप्त कर ली लेकिन अभी स्वतंत्रता शेष है। जब तक हममें "स्व"
जागृत नहीं होता स्वतंत्रता अधूरी है। स्वधर्म, स्वभाषा, स्वदेशी जब अपने चरम पर होगा तभी भारत विश्व गुरु के स्थान
पर स्थापित होगा। उन्होंने दीपसेतु का उद्देश्य बताते हुए कहा कि यह दीपसेतु स्वामी
विवेकानंद जी की आध्यात्मिक शक्ति और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बलिदान की प्रेरणा
प्राप्त करने के लिए बनाया गया है। स्वामी विवेकानंद जी ने शिकागो सम्मेलन में
पूरी दुनिया को भारत की आध्यात्मिक शक्ति का बोध कराया था तथा सुभाष चंद्र बोस ने
तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा देकर देशवासियों में बलिदान और
समर्पण का भाव भरा था। बलिदान का स्मरण बना रहे देशभक्ति की ज्वाला जलती रहे इसलिए
यह दीपसेतु बनाया गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की पहचान आध्यात्मिक
शक्ति के कारण है। भव्य काशी-दिव्या काशी की अलौकिक छटा तथा अयोध्या में राम मंदिर
निर्माण से देश अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहा है। हमारा प्रधानमंत्री राममंदिर
शिलान्यास का पूजन करता है, विश्वनाथ धाम के लोकार्पण में बाबा
का पूजन कर श्रमसाधकों का सम्मान करता है। सेकुलरी वर्जना तोड़ यह स्वधर्म के भाव
का पहला चरण है। भारत आत्मनिर्भर हो रहा है, यह सतत चलता रहे इसका उत्तरदायित्व
भारत के जागृत नागरिकों का है। अर्थात हमारा और आपका है। उन्होंने बड़े साफ शब्दों
में कहा कि जब तक स्वधर्म, स्वभाषा, स्वदेशी एवं स्व-संस्कृति की भावना जन-जन में
नहीं भर जाती तब तक स्वतंत्रता का लक्ष्य पूरा नहीं होगा और हमारा यह संघर्ष जारी
रहेगा। युवा शक्ति आगे आए। उन्होंने युवाओं का पुनः आह्वान किया कि वे ऐसी स्वतंत्रता
के लिए कमर कसकर आगे आएं। अमृत महोत्सव सच्ची स्वतंत्रता प्राप्ति का अभियान है। देशभक्ति
की भावना के व्यापक जन-जागरण के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है। इसके पूर्व सीएमपी
डिग्री कॉलेज के प्रो.राज बिहारी लाल जी ने आयोजन के संबंध में विषय प्रवर्तन किया।
उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम आम जनता का कार्यक्रम है। देश के नागरिकों एवं बच्चे-बच्चे
में राष्ट्रीयता का भाव जगाने के लिए पूरे प्रांत में यह कार्यक्रम आयोजित किए जा
रहे हैं।
अपने अध्यक्षीय
उद्बोधन में एडीशनल सॉलीसीटर जनरल श्रीशशि प्रकाश जी ने कहा कि सही अर्थों में
स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए देश अब अग्रसर हो रहा है। इसके लिए सबको मिलजुल कर
प्रयास करना होगा। युवा पीढ़ी को आगे आना होगा। कार्यक्रम की शुरुआत भारत माता के
चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया गया| शिशु मंदिर ज्वाला देवी की छात्राओं ने
समवेत स्वरों में मुक्त कंठ से "दसो दिशा में गूंजे भारत मां की जय" गीत
प्रस्तुत कर पूरे वातावरण को देशभक्तिमय कर दिया।
अन्त में भारत माता की भव्य आरती की गई। कार्यक्रम को डॉ पीयूष एवं वीर कृष्ण की टीम ने सफल बनाया। इस दौरान महंत लक्ष्मीनारायण, मोहन जी टंडन, अमृत महोत्सव आयोजन समिति के सह प्रांत संयोजक डॉ. मुरारजी त्रिपाठी, शिवकुमार, वसु पाठक समेत प्रतिष्ठित व्यवसायी, अधिवक्तागण, शिक्षक, मातृशक्ति एवं नागरिकों ने बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाई। संचालन विवेक जी ने तथा धन्यवाद ज्ञापन शरद जी ने किया। समापन वंदेमातरम के सामूहिक गायन से हुआ।
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