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Thursday, March 31, 2022

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इन्द्रेश कुमार ने दलित और आदिवासी महिला पुरुषों को साथ लेकर मंदिर में किया प्रवेश, दिया सामाजिक समरसता का सन्देश

  •  दलित समाज की महिलाएं हुई अविभूत, कहा अब भगवान से ये रिश्ता नहीं टूटेगा।
  • मंदिर जाकर लगा कि मेरा धर्म कितना महान है।
  • भारत के जाने-माने दलित चिंतक एवं केराकत विधानसभा के पूर्व विधायक दिनेश चौधरी ने दलितों के जीवन की परिवर्तनकारी घटना बताया।
  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का स्वप्न हुआ साकार, छुआछूत मिटा, समरसता आयी।
  • विश्वनाथ कॉरिडोर के दर्शन कर जनजातीय, अनुसूचित समाज हुआ धन्य।
  • सबकी माता भारत माता, सबको मिलाए भारत माता का हुआ कीर्तन।
  • ॐ नमः शिवाय का जाप करते चल रही थीं महिलाएं।
  • माँ गंगा का जल पिलाकर इन्द्रेश कुमार ने दलित समाज की महिलाओं की बाबा विश्वनाथ से रिश्तेदारी पक्का कर दिया।

काशी। वृहस्पतिवार को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर समरसता और हृदय को जोड़ने की क्रांति का साक्षी बना| सामाजिक संगठनों के प्रयास से भारत के इतिहास में समानता, बंधुत्व और प्रेम की क्रांति बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर से निकल कर पूरी दुनिया में गयी| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अ.भा.कार्यकारिणी के सदस्य डा.इन्द्रेश कुमार ने समाज के वंचित वर्ग की महिलाओं के साथ विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश किया। दलित बस्ती एवं मुसहर बस्ती की ये महिलाएं 15 दिन से दर्शन की तैयारी कर रही थीं।

    काशी के आस-पास के जिलों से भी आये इन परिवारों के सदस्य उत्साहित थे। बाबा काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए 51 महिला-पुरुषों ने जब सुभाष भवन से हर हर महादेव और जय सियाराम का उदघोष करते हुए कूच किया तो दृश्य देखने लायक था। अपने भगवान से मिलने की खुशी चेहरे पर थी। दर्शन करने वाली महिलाओं ने कहा कि मन्दिर में जाना मना तो नहीं था, लेकिन इस समाज को कोई मंदिर ले जाने वाला भी तो नहीं था। संकोच में कि पता नहीं कोई क्या कह दे, इस कारण मन्दिर ही नहीं जा पाए। अपने विश्वनाथ से मिल  नही पाए| जब से कॉरिडोर की चर्चा सुनी थी, मन में ये तो था कि कभी बाबा के दर्शन अवश्य करेंगे। उन्होंने कहा कि इस बात की जानकारी जब इन्द्रेश जी को हुई  तो उन्होंने एक बड़ी पहल करते हुए कहा आपकी श्रद्धा का हम हृदय से स्वागत करते है और आपकी यह इच्छा हम पूरा करेंगे। मुसहर समाज के लोगों के लिए यह अद्भुत क्षण था, जब दर्शन करके दलित समाज के लोग बाहर निकले तो जौनपुर के किशन बनवासी रो पड़े। किशन ने कहा कि मुसहर समाज को अब तक बाबा से क्यों दूर रखा गया। आज हम धन्य हो गए।

    आजाद भारत की पहली घटना है, जब इतनी बड़ी संख्या में पहली बार दलित समाज की पुरुष महिलाओं एवं बच्चों ने इन्द्रेश कुमार के नेतृत्व में बाबा विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश किया। दलित समाज की महिलाओं ने कॉरिडोर देखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना आशीर्वाद दिया और कहा कि मोदी जी ने इतना सुंदर मंदिर प्रांगण बनवा दिया, उनकी उम्र बहुत लंबी हो, वो खुश रहे। दलित समाज इस प्रांगण की भव्यता और दिव्यता देने के लिए मोदी जी का ऋणी रहेगा।

    इस अवसर पर इन्द्रेश कुमार ने कहा कि सामाजिक समरसता और समानता की क्रांति की आरम्भ हो चुकी है। अब गांव-गांव से "चलो विश्वनाथ दरबार" का नारा गूंजेगा और दलित, जनजातीय, वनवासी समाज अयोध्या काशी और मथुरा की ओर दर्शन पूजन करने को निकलेगा और संस्कृति को दुनिया में प्रसारित करेगा और सामाजिक विषमता की भ्रांतियों को दूर करेगा|

    उन्होंने कहा कि इतिहास में समानता और समरसता के साथ दलित समुदाय को सनातन धर्म रक्षक के रूप में इस घटना को याद किया जाएगा। दलित समुदाय की महिलाएं और बेटियों को कुछ भारत विरोधी लोगों ने बाबा विश्वनाथ और प्रभु श्रीराम से दूर कर दिया था, आज उस दूरी को मिटाने में सफलता मिली। बाबा सबके हैं, सभी धर्म जातियों के लोगों का अधिकार बाबा पर है, वो विश्व के नाथ हैं। मुसहर समाज की भक्ति बाबा के मन्दिर तक ले आयी।

    केराकत विधानसभा के पूर्व विधायक दिनेश चौधरी ने कहा कि दलितों के जीवन की परिवर्तनकारी घटना है, दलितों को भगवान से मिलाने की प्रेरणा देता है। दलित समाज की महिलाओं का नेतृत्व लक्ष्मीना देवी ने और मुसहर समाज का नेतृत्व किशन बनवासी ने किया।  दर्शन करने वालों में अर्चना भारतवंशी, पूनम, सुनीता, अर्चना, प्रियंका, पार्वती, ऊषा, निर्मला, हीरामनी, लालती, सुमन, सविता, धनेसरा, नीतू, किशुना, श्यामदुलारी, विद्या देवी, प्रभावती, उर्मिला, गीता, सरोज, रमता, शीला, ज्ञान प्रकाश, सूरज चौधरी, राजेश आदि लोग शामिल रहे।

Monday, March 28, 2022

कुटुम्ब में आत्मीयता और सेवा से ही समाज परिवर्तन होता है - डा.मोहन भागवत

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन सभागार में कुटुम्ब प्रबोधन के परिवार स्नेह मिलन कार्यक्रम में बोले सरसंघचालक

काशी| समाज में परिवर्तन आत्मीयता और सेवा से ही आता है| समूह में तो पशु पक्षी भी रहते हैं, किन्तु सबको जोड़ने वाला, सबकी उन्नति करने वाला धर्म कुटुम्ब प्रबोधन है| यह परिवार में संतुलन मर्यादा तथा स्वाभाव को ध्यान में रखकर कर्तव्य का निरूपण करने वाला आनन्दमय सनातन धर्म है| हमारे यहाँ कुटुम्ब प्रबोधन में ही समानता और बंधुता का भाव निहित है| उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा.मोहन भागवत ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन सभागार में काशी महानगर द्वारा आयोजित कुटुम्ब प्रबोधन के परिवार स्नेह मिलन कार्यक्रम में बोल रहे थे|

उन्होंने कहा जड़वादी और भोगवादी विचार के प्रसार से हमारे वैचारिक अधिष्ठान चले गये| हमारे यहाँ प्रारम्भ से ही परिवार का अर्थ समस्त चराचर का अलग-अलग अस्तित्व, अनेक पूजा प्रकार, अनेक पद्धतियां होने के बावजूद सबका मूल एक ही है| कुटुम्ब का कोई संविधान नहीं है, इसका आधार केवल आत्मीयता होता है| अपने समाज में "व्यक्ति बनाम समाज" ऐसा विभाजन नहीं है| उन्होंने सभागार में बैठे स्वयंसेवक परिवारों को सम्बोधित करते हुए आगे कहा कि व्यक्ति की पहचान कुटुम्ब से होती है| जैसा समाज चाहिए वैसा कुटुम्ब होना चाहिए| कुटुम्ब में ही मनुष्य को आचरण सिखाया जाता है| पारिवारिक संस्कार आर्थिक इकाई को भी बल देता है| परिवार में बेरोजगारी की समस्या नहीं हो सकती|

आचरण की मर्यादा का ध्यान हमेशा रखना आवश्यक है| जुलिएस सीजर की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि वह बहुत पराक्रमी था, पर आचरण की मर्यादा न होने से संभव है कि कुछ वर्षों बाद उसे भुला दिया जाए| परन्तु लाखों वर्ष पूर्व मर्यादा पुरुषोत्तम ने अपने आचरण के आधार पर जो मापदंड स्थापित किया वह आज भी हमारे जीवन का मार्गदर्शन कर रहे हैं| उन्होंने सूर्य का उदहारण देते हुए कहा कि रात में अनगिनत तारे होते है पर दिन में केवल अकेला सूर्य होता है, मगर वह प्रकाश ज्यादा देता है अर्थात जो निकटतम है और स्वयं प्रकाशित है वही प्रकाश दे सकता है| अतः व्यक्ति की समाज से निकटता और स्वतः प्रकाशित आचरण समाज के लिए आवश्यक है|

कार्यकर्ता अकेले कार्य नहीं करता उसका कुटुम्ब काम करता है| इसी तरह कुटुम्ब भी अकेले नहीं जीता बल्कि कई कुटुम्बों का सह अस्तित्व होता है| योग्यतम की उत्तरजीविता को हम नहीं मानते| हमारी परम्परा कहती है कि जो बलवान वो सबका पोषण करेगा| सप्ताह में किसी एक दिन पूरे परिवार के साथ भजन इत्यादि करके घर का बना भोजन ग्रहण करना और उसके बाद दो-तीन घंटे तक गपशप करना, इसमें अपनी वंश परम्परा कुलरीति का सुसंगत विचार और तर्कसंगत परम्पराए कैसे आगे बढ़ें इस पर बातचीत करनी चाहिए| हमारी भाषा, वेशभूषा, भवनसज्जा, यात्रा, भोजन इन सब पर चर्चा होनी चाहिए| उदहारण स्वरूप अपनी मातृभाषा न जानने पर रामचरित मानस हमसे पराया हो जाएगा| हम अपनी भाव भाषा से कट जाएँगे| मणिपुर का प्रसंग बताते हुए उन्होंने कहा कि मणिपुरी समाज के लोग उत्सव इत्यादि में मणिपुरी वेशभूषा ही पहनते है| पारिवारिक संस्कार के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि जब पांडव कुंती के पास आशीर्वाद लेने गये तो कुंती ने कहा कि या तो विजयी हो या वीरगति को प्राप्त हो| परिवार में प्रत्येक सदस्य की अपनी अपनी भूमिका है और कुटुम्ब चलाने में अपनी भूमिका का निर्वहन भली प्रकार से करे| सभी व्यक्ति केवल अपने परिवारों के लिए ही न जिये बल्कि समाज के लिए भी कार्य करें| कुटुम्ब प्रबोधन व्रत का दृढ़ता पूर्वक पालन करना जरूरी है इसमें चाहे कितना भी समय क्यों न लगे

उपशास्त्रीय गायन की प्रस्तुति से श्रोता मंत्रमुग्ध

स्नेह मिलन कार्यक्रम में सरसंघचालक डॉक्टर मोहन भागवत के स्वागत में संस्कार भारती द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में विदुषी सुचारिता दासगुप्ता ने चैती गीत "एहि ठइया मोतिया" होरी गीतों में "फागुन में रास रचाये रसिया" व होरी दादरा में "रंग डालूंगी नन्द के लालन पर" सुनाकर मंत्रमुग्ध कर दिया। तबला पर पंकज, हारमोनियम पर सौरभ, बैंजो पर सुरेश व पैड पर संजू ने संगत किया।

कार्यक्रम की शुरुआत में सरसंघचालक ने महामना मालवीय एवं भारत माता के तैल चित्र पर पुष्प अर्पण कर नमन किया तत्पश्चात दीप प्रज्वलन किया गया। मंगलाचरण वेंकट रमन घनपाठी, एकल गीत मृत्युंजय, अमृत वचन रितेश ने किया। अतिथि परिचय त्रिलोक जी ने कराया। मंच पर पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के सह क्षेत्र संचालक राम कुमार, काशी विभाग संघचालक जेपी लाल उपस्थित रहें। संचालन सुनील किशोर द्विवेदी ने किया। इस दौरान अखिल भारतीय पदाधिकारी अनिल ओक, अजित महापात्रा, क्षेत्रीय पदाधिकारी पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र प्रचारक अनिल जी, क्षेत्र कार्यवाह डॉ वीरेंद्र जायसवाल, राजेन्द्र सक्सेना, काशी प्रान्त प्रचारक रमेश जी, सह प्रान्त प्रचारक मुनीश जी, प्रचारक प्रमुख रामचन्द्र जी आदि लोग उपस्थित रहें।

Friday, March 25, 2022

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रयागराज विभाग ने मनाया अमर बलिदानियों का बलिदान दिवस


प्रयागराज| बुधवार को अमर बलिदानी भगत सिंह, सुखदेव एवं राजगुरु के बलिदान दिवस पर दीपदान एवं भजन संध्या का कार्यक्रम प्रयागराज दक्षिण द्वारा यमुनातट पर बलुआ घाट बारादरी में आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ आनन्द शंकर सिंह (प्राचार्य ईश्वर शरण महाविद्यालय, प्रयागराज) ने कहा कि भारत कभी भी पूरी तरह से विदेशियों के शासन में नहीं रहा। अनेक विदेशी आक्रमणकारी आये, कुछ भागों को जीता।


विभाग प्रचार प्रमुख वसु के अनुसार मुख्य वक्ता ने आगे कहा कि भारत हमेशा प्रतिरोध करता रहा और जगह-जगह स्वशासन स्थापित करता रहा। भारत प्राचीन काल से ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन तक आर्थिक रूप से समृद्ध रहा। विदेशी अर्थशास्त्रियों का भी आकलन है कि इस दौरान विश्व अर्थव्यवस्था में भारत का योगदान 25% से 40% तक रहा। भारत की अर्थव्यवस्था को तोड़ने का कार्य 1858 से ब्रिटिश शासन के अधीन योजनाबद्ध तरीके से किया गया। इसी प्रताड़ित भारत माता के सपूतों को त्राण दिलाने के लिए कांग्रेस की आजादी के प्रयासों से अलग क्रांतिकारियों ने सशस्त्र संघर्ष प्रारंभ किया। राम प्रसाद बिस्मिल, चंद्र शेखर आजाद, भगतसिंह ने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन का गठन किया और केन्द्रीय असेंबली में बम एवं पर्चा फेंका। काकोरी काण्ड,  सॉन्डर्ष हत्याकांड जैसे कार्यक्रमों के बाद अपने बीच के ही गद्दारों की सूचना पर गिरफ्तार किए गए। भगतसिंह को साथियों सुखदेव, एवं राजगुरु के साथ मृत्यु दण्ड दिया गया। लाहौर में फांसी दी गई, लेकिन विद्रोह के डर से नियत तिथि से पहले चुपचाप दे दी गई। गांधी जी एवं कांग्रेस का आजादी के संघर्ष में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है, पर  हम क्रांतिकारियों के योगदान की उपेक्षा नहीं कर सकते। हमें खण्डित आजादी मिली, इसे अखण्ड भारत बनाने का संकल्प हमें बनाये रखना है। यह ऐसा स्वप्न है जो एक दिन अवश्य पूरा होगा। इस अवसर पर 5100 दीप जलाकर भारत माता के वीर शहीद सपूतों को श्रद्धांजलि दी गयी। लोकगायक श्री रामबाबू और उनके सहयोगियों द्वारा देशभक्ति लोकगीत प्रस्तुत किए गए।

     कार्यक्रम में शिवकुमार जी (विभाग सह संघचालक) ने भी अपना विचार रखा। विभिन्न आकृतियों की रंगोली आकर्षण का केंद्र रही। इस अवसर पर विभाग प्रचारक डॉ.पियूष जी, भाग कार्यवाह वीर कृष्ण जी, नरेंद्र जी, अवधेश जी, दक्षिण भाग प्रचारक सौरभ जी, मोहन जी टंडन, मनोज जी सह भाग कार्यवाह एवं कल्याणी नगर के स्वयंसेवकों और सैकड़ों की संख्या में दर्शक उपस्थित रहे| कार्यक्रम का संचालन दक्षिण भाग के प्रचार प्रमुख आशीष एवं वंदे मातरम विवेक ने किया|


पुण्य के कार्य में छोटा-सा सहभाग कई पीढ़ियों को गौरवान्वित करता है – डॉ. मोहन भागवत जी


गाजीपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि पुण्य के कार्य में की गयी छोटी सी सहभागिता कई पीढ़ियों को गौरवान्वित करती है. सिद्धपीठ हथियाराम मठ पर दर्शन से मुझे अपार ऊर्जा प्राप्त हुई है. इस ऊर्जा का प्रयोग लोक कल्याण में करना ही जीवन का ध्येय है. बुधवार को काशी प्रान्त के गाजीपुर जनपद के सिद्धपीठ हथियाराम मठ दर्शन करने पहुंचे सरसंघचालक जी ने आध्यात्मिक जागरण द्वारा राष्ट्र उन्नयन अधिष्ठान विषयक संगोष्ठी में  उपस्थित लोगों को संबोधित किया. सरसंघचालक जी ने मठ में स्थित बुढ़िया माता मंदिर में दर्शन-पूजन किया. इस दौरान महंत भवानीनन्दन यति महराज ने डॉ. मोहन भागवत जी को अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानि‍त किया.

सरसंघचालक जी ने कहा कि 125 वर्ष पूर्व ही योगी अरविन्द ने कहा था कि सनातन धर्म का उत्थान हो, ये भगवान् की इच्छा है और जब सनातन धर्म का उत्थान आवश्यक हो जाता है तब हिन्दू राष्ट्र का, भारतवर्ष का उत्थान भगवान करते हैं….और वो समय आया है आज, वो सब कुछ हो रहा है और नियति के सूत्र के अनुसार हो रहा है. हमारी बहादुरी ये है कि नियति अपना काम कर रही हो तो उस धर्म कार्य का, सद्कार्य का, मानवता के कल्याण के कार्य का निमित्त हम बनें. हम चुपचाप हाथ धरे बैठे तमाशा ना देखते रहें.

उन्होंने कहा कि नियति अपना काम करेगी, प्रकृति अपना चक्र पूरा करेगी. भगवान् की इच्छा से जो होना है होगा. हमारा कर्तव्य ये बनता है कि भगवान् की इच्छा से जो कार्य हो रहा है, उसमें अपना हाथ लगे. पुण्य कार्य में हाथ लगने से हमारा जीवन धन्य होगा, हमारा मनुष्य जन्म सार्थक होगा. उन्होंने रामसेतु निर्माण में गिलहरी के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि यदि गिलहरी बोल पाती तो अपनी पीढ़ियों को बताती कि रामसेतु बनाने में उनके कुल ने कितना योगदान दिया है.

उन्होंने कहा कि इस देश में सनातन काल से जो जीवन चला, आज भी देखने को मिल रहा है. वो जो जीवन चला उसने मनुष्य मात्र की मुक्ति का मार्ग खोल दिया. उसने कभी भी दुनिया के किसी भी जन को, देश को पीड़ित नहीं किया. अगर दुनिया भर में गये तो ध्यान लेकर गए, सभ्यता और संस्कृति लेकर गए, अपने हृदय का प्रेम लेकर गए.| हमारे देश ने दुनिया को बाजार नहीं, कुटुम्ब बनाया. हम उस देश के नागरिक हैं, पुत्र हैं, इसलिए आपस में हम भाई लगते हैं. हमारे यहाँ अनेक प्रकार के भाषा, जाति, पंथ संप्रदाय हैं, लेकिन हम उसको भेद नहीं मानते हैं. हम कहते हैं ये हमारा श्रृंगार है, एक ही बगीचे के रंग-बिरंगे फूल हैं. सबको एक ही मिट्टी से जीवन का एक ही रस मिला है.


बलिदानियों के परिजनों का किया सम्मान

सिद्धपीठ श्री हथियाराम मठ यात्रा के दौरान सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने बलिदान दिवस पर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को नमन किया. उन्होंने जनपद के बलिदानियों को भी श्रद्धांजलि देते हुए उनके परिजनों व प्रतिनिधियों को अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया. जिसमें परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद के पुत्र जैनुल बसर, महावीर चक्र विजेता रामउग्रह पांडेय की पुत्री सुनीता पांडेय, बलिदानी पारसनाथ सिंह के पुत्र सचिंद्र सिंह, बलिदानी रामचन्द्र मिश्र की धर्मपत्नी रामलली देवी व बलिदानी रितेश्वर राय के प्रतिनिधि रामनारायण राय को सम्मानित किया.