काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन सभागार में कुटुम्ब प्रबोधन के परिवार स्नेह मिलन कार्यक्रम में बोले सरसंघचालक
काशी| समाज में परिवर्तन आत्मीयता और सेवा से ही आता है| समूह में तो पशु पक्षी भी
रहते हैं, किन्तु सबको जोड़ने वाला, सबकी उन्नति करने वाला धर्म
कुटुम्ब प्रबोधन है| यह परिवार में संतुलन मर्यादा तथा स्वाभाव को ध्यान में रखकर कर्तव्य का
निरूपण करने वाला आनन्दमय सनातन धर्म है| हमारे यहाँ कुटुम्ब प्रबोधन में ही समानता और बंधुता का भाव निहित है| उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक
संघ के सरसंघचालक डा.मोहन भागवत ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन सभागार में काशी महानगर
द्वारा आयोजित कुटुम्ब प्रबोधन के परिवार स्नेह मिलन कार्यक्रम में बोल रहे थे|
उन्होंने कहा जड़वादी और भोगवादी विचार के प्रसार से हमारे
वैचारिक अधिष्ठान चले गये| हमारे यहाँ प्रारम्भ से ही परिवार का अर्थ समस्त चराचर का अलग-अलग अस्तित्व, अनेक पूजा प्रकार, अनेक पद्धतियां होने के
बावजूद सबका मूल एक ही है| कुटुम्ब का कोई संविधान नहीं है, इसका आधार केवल आत्मीयता होता है| अपने समाज में "व्यक्ति बनाम समाज" ऐसा विभाजन नहीं है| उन्होंने सभागार में बैठे
स्वयंसेवक परिवारों को सम्बोधित करते हुए आगे कहा कि व्यक्ति की पहचान कुटुम्ब से
होती है| जैसा समाज चाहिए वैसा
कुटुम्ब होना चाहिए| कुटुम्ब में ही मनुष्य को आचरण सिखाया जाता है| पारिवारिक संस्कार आर्थिक इकाई को भी बल देता है| परिवार में बेरोजगारी की
समस्या नहीं हो सकती|
आचरण की मर्यादा का ध्यान हमेशा रखना आवश्यक है| जुलिएस सीजर की चर्चा करते
हुए उन्होंने कहा कि वह बहुत पराक्रमी था, पर आचरण की मर्यादा न होने से संभव है कि कुछ वर्षों बाद उसे भुला दिया जाए| परन्तु लाखों वर्ष पूर्व
मर्यादा पुरुषोत्तम ने अपने आचरण के आधार पर जो मापदंड स्थापित किया वह आज भी
हमारे जीवन का मार्गदर्शन कर रहे हैं| उन्होंने सूर्य का उदहारण देते हुए कहा कि रात में अनगिनत तारे होते है पर दिन
में केवल अकेला सूर्य होता है, मगर वह प्रकाश ज्यादा देता है अर्थात जो निकटतम है और स्वयं प्रकाशित है वही
प्रकाश दे सकता है| अतः व्यक्ति की समाज से निकटता और स्वतः प्रकाशित आचरण समाज के लिए आवश्यक है|
कार्यकर्ता अकेले कार्य नहीं करता उसका कुटुम्ब काम करता है| इसी तरह कुटुम्ब भी अकेले नहीं जीता बल्कि कई कुटुम्बों का सह अस्तित्व होता है| योग्यतम की उत्तरजीविता को हम नहीं मानते| हमारी परम्परा कहती है कि जो बलवान वो सबका पोषण करेगा| सप्ताह में किसी एक दिन पूरे परिवार के साथ भजन इत्यादि करके घर का बना भोजन ग्रहण करना और उसके बाद दो-तीन घंटे तक गपशप करना, इसमें अपनी वंश परम्परा कुलरीति का सुसंगत विचार और तर्कसंगत परम्पराए कैसे आगे बढ़ें इस पर बातचीत करनी चाहिए| हमारी भाषा, वेशभूषा, भवनसज्जा, यात्रा, भोजन इन सब पर चर्चा होनी चाहिए| उदहारण स्वरूप अपनी मातृभाषा न जानने पर रामचरित मानस हमसे पराया हो जाएगा| हम अपनी भाव भाषा से कट जाएँगे| मणिपुर का प्रसंग बताते हुए उन्होंने कहा कि मणिपुरी समाज के लोग उत्सव इत्यादि में मणिपुरी वेशभूषा ही पहनते है| पारिवारिक संस्कार के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि जब पांडव कुंती के पास आशीर्वाद लेने गये तो कुंती ने कहा कि या तो विजयी हो या वीरगति को प्राप्त हो| परिवार में प्रत्येक सदस्य की अपनी अपनी भूमिका है और कुटुम्ब चलाने में अपनी भूमिका का निर्वहन भली प्रकार से करे| सभी व्यक्ति केवल अपने परिवारों के लिए ही न जिये बल्कि समाज के लिए भी कार्य करें| कुटुम्ब प्रबोधन व्रत का दृढ़ता पूर्वक पालन करना जरूरी है इसमें चाहे कितना भी समय क्यों न लगे|
उपशास्त्रीय गायन की प्रस्तुति से श्रोता मंत्रमुग्ध
स्नेह मिलन कार्यक्रम में सरसंघचालक डॉक्टर मोहन भागवत के स्वागत में संस्कार भारती द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में विदुषी सुचारिता दासगुप्ता ने चैती गीत "एहि ठइया मोतिया" होरी गीतों में "फागुन में रास रचाये रसिया" व होरी दादरा में "रंग डालूंगी नन्द के लालन पर" सुनाकर मंत्रमुग्ध कर दिया। तबला पर पंकज, हारमोनियम पर सौरभ, बैंजो पर सुरेश व पैड पर संजू ने संगत किया।
कार्यक्रम की
शुरुआत में सरसंघचालक ने महामना मालवीय एवं भारत माता के तैल चित्र पर पुष्प अर्पण
कर नमन किया तत्पश्चात दीप प्रज्वलन किया गया। मंगलाचरण वेंकट रमन घनपाठी,
एकल गीत मृत्युंजय,
अमृत वचन रितेश
ने किया। अतिथि परिचय त्रिलोक जी ने कराया। मंच पर पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के
सह क्षेत्र संचालक राम कुमार, काशी विभाग संघचालक जेपी लाल उपस्थित रहें।
संचालन सुनील किशोर द्विवेदी ने किया। इस दौरान अखिल भारतीय पदाधिकारी अनिल ओक,
अजित महापात्रा,
क्षेत्रीय
पदाधिकारी पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र प्रचारक अनिल जी,
क्षेत्र
कार्यवाह डॉ वीरेंद्र जायसवाल, राजेन्द्र सक्सेना,
काशी प्रान्त
प्रचारक रमेश जी, सह प्रान्त प्रचारक मुनीश जी,
प्रचारक प्रमुख
रामचन्द्र जी आदि लोग उपस्थित रहें।
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