Monday, March 23, 2009
अखिल भारती प्रतिनिधि सभा नागपूर
।। श्रीः।।
परम पूजनीय सरसंघचालक जी, माननीय अखिल भारतीय पदाधिकारी तथा अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्यगण, अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सभी माननीय सदस्यगण, नवनिर्वाचित प्रतिनिधि बंधुगण, विविध कार्यों में कार्यरत बंधु भगिनी तथा विशेष निमंत्रित बंधु, माता, भगिनी -
अपनी परिपाटी के अनुसार इस वर्ष की प्रतिनिधि सभा की बैठक में हम नूतन सरकार्यवाह को निर्वाचित करने के साथ-साथ ही अब तक के अपने कार्य का सिंहावलोकन करते हुए उसे आगे बढ़ाने की योजनाएँ भी बनाएँगे। सदैव अपने कार्य में तथा देश के क्रियाकलापों में सक्रिय रहकर हमारा साथ देने वाले सहयोगी कार्यकर्ता व अन्य सक्रिय व्यक्ति, जो जीवन की मरणधर्मा प्रकृति के कारण हमसे अब बिछुड़ गये हैं, ऐसे समय सहज ही हमारी स्मृति में जीवन्त हो जाते हैं।
श्रद्धांजलि
प्रापंचिक परिस्थिति की विषमताओं को चुपचाप हँसते हुए सहन कर हिंदु धर्म संस्कृति व समाज की रक्षार्थ संघर्ष में सतत अग्रेसर रहनेवाले विनम्र व मृदु स्वभाव के ज्येष्ठ कार्यकर्ता जम्मू के श्री तिलकराज जी शर्मा हमें छोड़ गये। राजस्थान क्षेत्र के कार्यवाह रह चुके, अनेक गीतों के रचयिता, सतत स्वयंसेवकत्व की साधना में रत, अंत में सीकर विभाग संघचालक का दायित्व वहन कर रहे श्री मोती सिंह जी राठोड़ अब नहीं रहे। छत्तीसगढ़ प्रान्त में अपने ऋषिसम व्यक्तित्व व स्नेह से सबके सहज अभिभावक बने ‘‘बाबूजी’’ श्री पंढरीराव कृदत्त अंतिम प्रस्थान कर गये। विश्व हिन्दु परिषद् के महामंत्री रह चुके श्री माधव पांडुरंग उपाख्य राजाभाऊ डेगवेकर जी का देहान्त हो गया। पू. डॉक्टर साहब के समय से संघ इतिहास के साक्षी रहे, ‘‘युगप्रवर्तक श्री गुरुजी’’ के लेखक श्री चं. प. उपाख्य बापूराव भिशीकर जी का शरीर शान्त हो गया। कुष्ठसेवा को ही जीवन लक्ष्य बनाने वाले श्री अनन्तराव चाफेकर की जीवन यात्रा सम्पूर्ण हुई। भारतीय मजदूर संघ के कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष रहे श्री अ. वेंकटराम जी स्वर्गवासी हो गये। राजनीतिक क्षेत्र में स्वयंसेवकत्व का निर्वाह करने वाले अजातशत्रु श्री वेदप्रकाश जी गोयल लम्बी बीमारी के पश्चात् काल के अधीन हो गए। महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष रह चुके श्री सूर्यभान वहाडणे का भी निधन हुआ। सामान्य जनों की छोटी छोटी आवश्यकताओं की पूर्ति में भी मन से लगने वाले जयपुर के सांसद श्री गिरिधारी लाल जी भार्गव अब जीवन से सेवा निवृत्त हो गए।
मध्य क्षेत्र के प्रचारक रह चुके अपने ज्येष्ठ तपस्वी प्रचारक श्री बाबासाहेब नातु ने इहलोक की यात्रा पूर्ण की। असम के पुराने प्रचारक श्री माधव करंबेळकर अचानक ही हृदयाघात से चल बसे। बिहार के पुराने कर्मठ प्रचारक श्री जगदीश सर्राफ मृत्यु का वरण कर गये। बिहार की बाढ़ की विभीषिका में लोगों के प्राणों को बचाने के लिए स्वयं का प्राणार्पण करने वाले श्री मदन शर्मा और श्री रणधीर ठाकुर स्वयंसेवक की सेवा का उज्ज्वल आदर्श प्रस्तुत कर गये। मध्य भारत के हिन्दु जागरण मंच के कार्यकर्ता, अपने प्रचारक श्री अनिल भार्गव व स्वदेशी जागरण मंच के मध्य क्षेत्र के कार्यकर्ता श्री जगदीश गुप्त भी नहीं रहे।
कर्नाटक में यक्षगान कला के अध्वर्यु प्रान्त के श्री गुरुजी जन्मशती समिति के सदस्य रह चुके श्री शम्भु हेगडे श्रीराम निर्वाण के प्रसंग के अभिनय में इतने तन्मय हुए कि उन्होंने सचमुच ही रामधाम को प्रस्थान किया।जीवनयोगिनी विमलताई ठकार अनन्त में विलीन हो गयी।समरसता के लिए जीवन लगा देने वाले संत श्री बाबा प्रकाश शाह जी महाराज निर्वाण को प्राप्त हुए
पूर्व राष्ट्रपति श्री वेंकटरामन जी, पूर्व प्रधानमंत्री श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह जी और उत्तर पूर्व कलकत्ता के सांसद श्री अजित पांजा तथा उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के श्री रामशरण दास भी अब स्मृतिशेष मात्र रह गये हैं।
देश के जीवन में स्वनामधन्य इन नामों के साथ ही आंतकवाद के लम्बे व अभी भी चल रहे अध्याय में जुडे मुंबई हमला कांड, असम में घटित बम विस्फोटों की मालिका, गडचिरोली के मर्के गाँव में नक्सलियों द्वारा की गई हिंसा जैसे नए कांडों में मृत्यु को प्राप्त निर्दोष देशवासी व ऐसी सब विभीषिकाओं में देश की सुरक्षा व सम्प्रभुता की रक्षा का अपना कर्तव्य निभाते हुए वीरगति को प्राप्त सेना, पुलिस, सुरक्षा बलों तथा ए.टी.एस. जैसे प्रतिरोधी दस्तों के शौर्यवान, कर्तव्यदक्ष अधिकारी व जवानों का भी स्मरण अनिवार्य रूप से होना क्रम प्राप्त है।
हम से बिछड़े इन सभी बंधुओं को हम सब अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
कार्यस्थिति
मई-जून 2008 में सम्पन्न हुए अपने संघ शिक्षा वर्गों में सामान्य वर्ग के प्रशिक्षण में प्रथम वर्ष के लिए देशभर के 7,194 स्थानों से 11,082 शिक्षार्थी, द्वितीय वर्ष के लिए 2230 स्थानों से 2772 शिक्षार्थी व तृतीय वर्ष के लिए 862 शिक्षार्थी सहभागी रहें। चालीस वर्ष तथा तदुर्ध्व आयु के स्वयंसेवकों के लिए सम्पन्न विशेष वर्गों में प्रथम वर्ष के लिए देशभर के 445 स्थानों से 629 शिक्षार्थी व द्वितीय वर्ष के लिए 333 स्थानों से 420 शिक्षार्थियों ने भाग लिया। हर एकान्तर वर्ष में तृतीय वर्ष का विशेष वर्ग लगाने के अपने निर्णय के अनुसार पिछले वर्ष विशेष तृतीय वर्ष का आयोजन नहीं किया गया।
जनवरी मास के अन्त तक की अपने कार्य की जो जानकारी यहाँ प्राप्त हो सकी उसके अनुसार देश के 30015 स्थानों पर 43905 शाखाएँ चल रही है तथा 4964 स्थानों पर साप्ताहिक मिलन का व 4507 स्थानों पर मासिक संघ मंडली का कार्यक्रम चल रहा है।
पिछले वर्ष कार्य की स्थिरता के निदर्शक आँकड़े हमने पढ़े थे। इस वर्ष के आँकड़े यह बता रहे हैं कि कार्य धीमी गति से आगे बढ़ रहा है। कार्य बढ़ाने की गति और तेज हो व सभी प्रांतों में इस सम्बन्ध में समान स्थिति उत्पन्न हो इस ओर अब हमें ध्यान देना होगा।
आँकड़े पुष्ट करते हैं कि इस वर्ष सभी प्रान्तों में हमारे नित्य व नैमित्तिक कार्यक्रमों की उत्कृष्ट योजना बनी व निर्वहन भी सफलता के साथ हुआ। उसके कारण वातावरण निर्मिति, कार्यविस्तार व दृढीकरण में तुरंत लाभ मिला ऐसा सभी कार्यकर्ताओं का अनुभव है। पिछले वर्ष से चले प्रयासों का सातत्य भी ध्यान में आता है। उदाहरण के रूप में कुछ ही कार्यक्रमों का यहाँ निर्देश किया जा रहा है।
कार्यक्रम
संकल्प समावेश (सम्मेलन) - सुळ्या, मंगलोरः-
मंगलोर विभाग में सुळ्या तहसील के सभी 44 गाँवों में गत अनेक सालों से शाखाएँ हैं। इस वर्ष 26 जनवरी को संकल्प समावेश का आयोजन किया गया। उसके पूर्व कार्यविस्तार में उपवस्तिश: शाखा का संकल्प किया गया। 117 उपवसतियों में से 111 उपवसतियों में कुल 136 शाखाएँ चलीं। 26 जनवरी की पूर्व तैयारी के रूप में उपवसतिषः एकत्रीकरण का कार्यक्रम हुआ। इसमें कुल तहसील में 15,000 लोग उपस्थित रहे। उपवसतियों में शाखा, धर्मजागरण, सेवा, मातृशक्ति जागरण, साहित्य वितरण आदि 12 विषयों के लिए एक-एक व्यक्ति को दायित्व दिया गया।
दिनांक 26 के कार्यक्रम में प्रातः तिरंगा ध्वजारोहण और मातृशक्ति सम्मेलन हुआ। 2,800 माता-भगिनियों की उपस्थिति रही। सायंकाल को तीन स्थानों से संचलन हुआ जिसमें 4,018 स्वयंसेवक गणवेष में आए थे।
प्रमुख संख्यात्मक उपलब्धि - कार्यक्रम में प्रतिनिधित उपवसति 117, गणवेष में 100 से अधिक संख्या में आए ऐसी उपवसतियाँ 11, एक उपवस्ती से सर्वाधिक गणवेष 148, प्रत्येक घर से आए थे ऐसे शाखा क्षेत्र 4, प्रत्येक घर को संपर्कित किया गया ऐसी उपवसतियाँ 60 ।
मा. सरकार्यवाह जी के प्रवास में जिला सम्मेलनः-
प्रान्त प्रवास हेतु आए हुए श्री. मोहन भागवत जी के प्रवास में आंध्र के इन्दूर शासकीय जिले (संघ दृष्टि से कामारेड्डी तथा इन्दूर जिले) का सम्मेलन इन्दूर नगर में आयोजित किया गया। स्वयंसेवकों की विस्तृत सूची बनाना, गटनायक नियुक्ति, गाँवों में सम्पर्क, साधु-संतों से सम्पर्क और निक्कर, सफेद कमीज तथा दण्ड इस अपेक्षित वेष में सम्मेलन हो ऐसी योजना बनी। प्रवासी कार्यकर्ताओं के साथ कुल 621 गटनायकों ने 331 गाँवों में स्वयंसेवकों की सूची बनाई जिसमें 239 गाँवों में ग्राम प्रमुख निश्चित किए गए। कुल 132 मंडलों में से 119 मंडलों में और कुल 740 गाँवों में से 509 गाँवों में सम्पर्क हुआ। प्रत्यक्ष कार्यक्रम में 294 गाँवों से 5104 स्वयंसेवक उपस्थित रहे। सम्मेलन के कारण 3942 स्वयंसेवकों ने निक्कर और कमीजें बनवाईं। संपर्कित 50 साधु-संतों में से 36 साधु उपस्थित रहे तथा 2226 नागरिक बंधु-भगिनी उपस्थित रहे।
उत्तर बंग में पू. सरसंघचालक जी का प्रवासः-
दिनांक 24, 25, 26 दिसम्बर को यह प्रवास सम्पन्न हुआ। 24 दिसम्बर को मालदा नगर में आयोजित कार्यक्रम में 4500 स्वयंसेवकों का पूर्ण गणवेष में पथ संचलन हुआ। अन्य 3500 स्वयंसेवक तथा 17500 नागरिक बन्धु-भगिनी उपस्थित रहे। 26 दिसम्बर को महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के कार्यक्रम में 640 छात्र उपस्थित थे।
कर्नाटक उत्तर प्रांत में पू. सरसंघचालक जी का प्रवासः-
इस बार प. पू. सरसंघचालक जी कर्नाटक उत्तर प्रान्त के प्रवास हेतु दिसम्बर 28, 29, 30 बागलकोट नगर में पधारे। 28 को बेलगाँव विभाग समावेश तथा 29, 30 को कार्यकर्ता बैठक आयोजित हुई थी। विभाग समावेश में गुणात्मक संचलन तथा शारीरिक प्रदर्शनयुक्त सार्वजनिक कार्यक्रम हुए। संचलन में 109 शाखाओं से 1035 स्वयंसेवकों ने भाग लिया। प्रकट कार्यक्रम में 8000 जनता, उसमें 1000 माता-भगिनी उपस्थित थे।
गुणात्मक संचलन के लिए 185 शाखाओं में से 125 शाखाओं में संचलन का अभ्यास हुआ। खंड स्तर में हुई पहली परीक्षा में 2000 स्वयंसेवकों में से 1200 स्वयंसेवकों को चुना गया। एक दिन पूर्व बागलकोट आए हुए 1200 स्वयंसेवकों की दूसरी बार परीक्षा होकर 1035 स्वयंसेवकों का चयन हुआ।
प्रकट कार्यक्रम में 234 स्वयंसेवकों ने सामूहिक दण्ड प्रदर्शन किए। द्वितीय वर्ष के प्रयोगों के दण्ड प्रदर्शन में 42 स्वयंसेवकों ने भाग लिया। इस हेतु 84 शाखा स्थानों पर जून से ही दण्ड विषय का अभ्यास प्रारंभ हुआ था।
मध्यभारत प्रान्त में पू. सरसंघचालक जी का प्रवासः-
प. पू. सरसंघचालक जी के प्रवास में मध्यभारत का प्रांतीय कार्यकर्ता सम्मेलन शाजापुर में हुआ। इसका लाभ लेने के लिए गुणात्मक विकास का लक्ष्य रखकर कार्यक्रमों की योजना की गई।
इस निमित्त पूरे मध्यभारत प्रान्त में गण समता प्रतियोगिता का आयोजन हुआ था। एक ही स्थान का पूर्ण गण होना तथा गणवेष सही होना यह आवश्यक अर्हता थी। इसको पूर्ण कर प्रान्त में 92 स्थानों पर गण समता का अभ्यास चला। अन्तिम प्रतियोगिता में 69 स्थानों के गण सहभागी हुए, जिसमें से चयनित 12 गणों द्वारा प. पू. सरसंघचालक जी के आगमन पर सरसंघचालक प्रणाम, प्रत्युत् प्रचलनम्, प्रदक्षिणा संचलनम् का प्रात्यक्षिक किया गया।
शाजापुर जिले में 34 स्थानों पर स्वयंसेवकों ने दण्ड एवं सूर्यनमस्कार का अभ्यास किया। 22 स्थानों पर गण समता की तैयारी हुई जिसमें पूरा गण होना अनिवार्य था। इसमें से 3 चयनित गणों ने सरसंघचालक जी के सामने द्वितीय वर्ष तक की समता का प्रात्यक्षिक किया। घोष में चयनित 80 स्वयंसेवकों का वादन हुआ। सभी के परिणामस्वरूप कार्यक्रम में प्रात्यक्षिक अच्छी गुणवत्ता के साथ संपन्न हुए।
इन्दौर विभाग - स्वर्णिम भारत संकल्प दिवस कार्यक्रमः-
इन्दौर विभाग टोली ने गुरुजी जन्मशताब्दी वर्ष के पश्चात् अनुवर्ती प्रयास के रूप में एक कार्यक्रम तय किया जिसमें समस्त 11वीं, 12वीं एवं कॉलेज के विद्यार्थियों से (लगभग 1 लाख) सम्पर्क करना तथा एक विद्यार्थी सम्मेलन आयोजित कर उन्हें स्वर्णिम भारत का संकल्प दिलाने का कार्यक्रम था।
इसके लिए चुना गया 12 जनवरी, युवाओं के प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानन्द जयंती का दिन व प. पू. सरसंघचालक जी का उद्बोधन। इसके संचालन के लिए इंदौर में 24 स्थानों पर कार्यालय बनाए गए। पूर्व तैयारी के रूप में श्री. प्रवीण भाई तोगड़िया की उपस्थिति में चिकित्सा महाविद्यालयों के शिक्षार्थियों की संगोष्ठी, 32 इंजिनियरिंग महाविद्यालयों के 1462 विद्यार्थियों का ‘नमन 1857’ कार्यक्रम, 10 मई को 3000 युवकों की 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की 150वीं वर्षगाँठ पर वाहन यात्रा तथा अखण्ड भारत संकल्प लेना सम्मिलित था। सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में 6000 शिक्षार्थियों ने भाग लिया। ये सभी कार्यक्रम अपेक्षित सफलता के साथ संपन्न हुए।
कुल 110 महाविद्यालय, 145 छात्रावास, 161 विद्यालय, 219 कोचिंग कक्षाएँ मिलाकर 760 बैठकें आयोजित हुई र्थीं, जिनमें 39,915 विद्यार्थी सहभागी हुए थे। 5 रु. शुल्क लेकर 65,550 विद्यार्थियों का पंजीयन हुआ। विशेष लाभ यह हुआ कि 2562 विद्यार्थी गटनायक गणवेषधारी तैयार हो गए। 76 कार्यकर्ताओं ने 1 माह, 15 दिन या 4 दिन का समय दिया। 12 जनवरी को इन्दौर के नेहरू स्टेडियम में 25,000 विद्यार्थियों ने उपस्थित रहकर प.पू. सरसंघचालकजी को प्रणाम कर स्वर्णिम भारत का संकल्प लिया। इस कार्यक्रम में 10 नगर के स्वयंसेवकों ने गणसमता का प्रदर्शन किया तथा प. पू. सरसंघचालक प्रणाम, प्रत्युत् प्रचलनम्, प्रदिक्षणा संचलनम् का भी कार्यक्रम किया।
केरल प्रान्त महाविद्यालयीन कार्य विस्तारः-
केरल प्रान्त में महाविद्यालयीन छात्रों के कार्य वृद्धि के लिए इस वर्ष सुनियोजित विशेष प्रयास हुए। प्रान्त स्तर से जिला स्तर तक महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के लिए कार्यकर्ता नियुक्ति, महाविद्यालयों पर एवं अन्य स्थानों पर साप्ताहिक मिलन चलाने के प्रयास, साप्ताहिक मिलन चलाने वाले कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण हेतु प्रांत स्तर पर दो दिन का प्रशिक्षण वर्ग और प्रशिक्षण वर्ग में अनुवर्ती प्रयास के लिए विशेष प्रेरणा व प्रशिक्षण इस प्रकार की योजना सोची गई। सभी के सुचारु प्रयास के कारण वर्ग में 142 स्थान व 147 महाविद्यालय, कुल 289 इकाईयों से 741 विद्यार्थियों ने प्रशिक्षण वर्ग में भाग लिया। साप्ताहिक मिलन चलाने की पद्धति एवं कार्यक्रम, शारीरिक प्रात्यक्षिकों का प्रशिक्षण, अनुवर्ती प्रयास के बारे में चर्चा सत्र ऐसा वर्ग का स्वरूप था। सबके परिणामस्वरूप 111 महाविद्यालयों और 250 स्थानों में साप्ताहिक मिलन का संकल्प लेकर स्वयंसेवक अपने स्थान पर वापस गये। वर्ग के बाद मिलनों की संख्या में वृद्धि के साथ सहल, शिविर, व्यक्तित्व विकास शिविर, स्पर्धाएँ ऐसे विविध कार्यक्रमों के भी वृत्त बड़ी संख्या में प्राप्त हो रहे हैं।
जयपुर प्रान्त महाविद्यालयीन शिविरः-
दि. 27-28 सितम्बर 2008 के आयोजित इस शिविर में 371 स्थानों से 2546 विद्यार्थी उपस्थित रहे। नये छात्रों को संघ से जोड़ने की दिषा में पूर्व तैयारी की दृष्टि से इस शिविर की रचना की गयी।
शाखा में आने वाले हर महाविद्यालयीन छात्र को गटनायक, छात्रावास और महाविद्यालय प्रमुख का दायित्व देकर संपर्क करने को कहा गया तथा जिले और नगरों के सायम् कार्यवाहों के निरंतर प्रवास व सम्पर्क के माध्यम से 18,000 विद्यार्थियों से सम्पर्क किया गया। परिणामस्वरूप शिविर में उपस्थित तरुणों में से 70 प्रतिशत छात्र नये थे। ‘हल्दी घाटी युद्ध’ के खेल जैसे विशाल खेल सहित शिविर स्थान की ऐतिहासिक प्रेरणादायी रचना ने विद्यार्थियों को प्रभावित किया।
उत्तर बंग बाल शिविरः-
प्रांत की योजनानुसार हुए जिला शिविरों में मालदा जिले के शिविर में 92 स्थानों से 523 बाल स्वयंसेवक उपस्थित रहे। सिलिगुड़ी में 70 स्थानों से 426 बालकों ने भाग लिया।
महाकौशल प्रांत संगठन सशक्तीकरण शिविरः-
श्री गुरुजी जन्मशताब्दी के निमित्त हुए हिन्दू सम्मेलनों के अनुवर्ती प्रयास के रूप में यह उपक्रम किया गया। जहाँ-जहाँ से हिन्दू सम्मेलन में लोग आये थे, उन्हीं ग्रामों पर प्रयास कर स्थान-स्थान पर संघ परिचय वर्ग आयोजित करना, साप्ताहिक मिलन या संघ मंडली प्रारंभ करना और इस प्रयास के माध्यम से दिसम्बर माह में जिलाश: तीन दिन के संगठन सशक्तीकरण शिविर आयोजित करना, ऐसी कार्यक्रम की रूपरेखा जुलाई की बड़ी बैठक में निश्चित की गई। प्रांत कार्यकारी मंडल से लेकर तहसील खण्ड स्तर तक प्रत्येक कार्यकर्ता को निश्चित क्षेत्र का पालकत्व व प्रवास दिया गया। अन्तिम मास में 7 से 15 दिन देने वाले 559 विस्तारक, प्रतिदिन दिनभर का समय देने वाले 845 विस्तारक और सप्ताह में एक या दो दिन देने वाले 625 कार्यकर्ताओं ने इस योजना की यशस्विता के लिए प्रयास किए। 10 दिसम्बर से 18 जनवरी के मध्य में हुए जिलाश: शिविरों में 597 में से 568 खण्डों का, 2510 मंडलों में से 1652 मंडलों का तथा 24189 ग्रामों में से 5017 गाँवों का प्रतिनिधित्व हुआ। कुल उपस्थिति 21543 थी। सफेद कमीज, खाकी निक्कर व काली टोपी - यह वेष अपेक्षित था। प्रत्येक शिविर में सामूहिक सूर्य नमस्कार और व्यायाम योग हुए तथा पुरानी शाखाओं के स्वयंसेवकों ने नियुद्ध, समता एवं दण्ड युद्ध के प्रात्यक्षिक किए। अनुवर्ती प्रयास के रूप में सभी को अपने गाँवों में भारत माता पूजन, मकर संक्रमण उत्सव संपन्न करने के लिए कहा गया। इन सभी के परिणास्वरूप 181 शाखाएँ, 12 मिलन व 8 मंडलियाँ बढ़ गईं। इसमें उल्लेखनीय बरघाट तहसील है जिसने 80 शाखाओं का लक्ष्य रखकर 65 शाखाएँ प्रारम्भ कीं। इस उपक्रम के कारण कार्यकर्ताओं की सक्रियता बढ़ी तथा नए बंधु अच्छी संख्या में स्वयंसेवक बनें।
गुजरात प्रांत में जिलाश: शिविरः-
विगत 2 वर्षों से दिसम्बर-जनवरी मास में जिला स्तर पर शिविरों का प्रयास चल रहा है। इस वर्ष की विशेषताएँ इस प्रकार हैं - वडोदरा महानगर के तरुण शिविर में सभी 19 नगर और 49 बस्तियों से 380 तरुण उपस्थित रहे। पूर्व तैयारी के रूप में नगरश: संचलन और शाखाश: दण्डवलय स्पर्धा हुई। अनुवर्ती प्रयास के रूप में हर बस्ती में काम का लक्ष्य लेकर कार्य चल रहा है। कर्णावती महानगर के बाल शिविर में सात भागों के 52 में से 51 नगरों की 87 शाखाओं से 873 स्वयंसेवक उपस्थित रहे।
शिलांग में प्रथम बार संघ का प्रकट कार्यक्रमः-
मा. सरकार्यवाह श्री मोहन जी भागवत के प्रवास में 24 दिसम्बर 2008 को शिलांग में प्रथम बार संघ के प्रकट कार्यक्रम का आयोजन हुआ था। कार्यक्रम के पूर्व किए गए व्यापक संपर्क के कारण 4 जिलों के 140 गाँवों का प्रतिनिधित्व इस कार्यक्रम में रहा।
सेंग खासी संगठन के सचिव तथा अन्य प्रमुख कार्यकर्ता प्रथम बार संघ के कार्यक्रम में मंच पर आए तथा उनके भाषण भी हुए।
इसके पूर्व 22-24 दिसम्बर तक युवक शिविर का भी आयोजन किया गया जिसमें 272 युवक उपस्थित रहे। इन दोनों कार्यक्रमों को मिले प्रतिसाद के कारण शिलांग में संघकार्य की अनुकूलता अच्छी मात्रा में बढ़ गई है।
पश्चिम आंध्र में प्रांत कार्यकर्ताओं का खण्ड स्तर तक प्रवासः-
इस वर्ष सभी प्रांत कार्यकर्ताओं के खण्ड स्तर तक प्रवास की योजना निष्चित विषय लेकर बनी। खण्ड के शाखा कार्यकर्ता, साप्ताहिक मिलन तथा संघ मंडली के प्रमुखों की बैठक, खण्ड के प्रवासी कार्यकर्ताओं की बैठक, खण्ड केन्द्र में शाखा पर प्रवास, उस शाखा की टोली बैठक और मुख्य शिक्षक तथा प्रवासी कार्यकर्ताओं के घर पर भेंट - ऐसे पाँच कार्यक्रम तय हुए। अगस्त महीने में 29 प्रांत कार्यकर्ता और 1 क्षेत्र कार्यकर्ता ने मिलकर सभी खण्डों पर प्रवास पूर्ण किया। शाखा रहित खण्ड और नगरों में भी प्रवास करके शाखा प्रारम्भ करने का प्रयास किया गया।
प्रार्थना अभ्यास पखवाड़ा, बिलासपुर नगरः-
छत्तीसगढ़ प्रान्त के बिलासपुर नगर में 1 फरवरी से 15 फरवरी तक आयोजित पखवाड़े में प्रथम सप्ताह में कण्ठस्थीकरण, उच्चारण शुद्धता, स्वर का उतार-चढ़ाव आदि बातों का अभ्यास कराया गया। द्वितीय सप्ताह में प्रार्थना लेखन अभ्यास में स्वयंसेवकों ने 10 से 14 बार प्रार्थना लिखकर अभ्यास किया। कुछ शाखाओं पर साथ-साथ अनुवाद लेखन भी हुआ। परिणामस्वरूप प्रार्थना उच्चारण की गुणवत्ता में सुधार और प्रार्थना के प्रति अभिरुचि में वृद्धि दिख रही है।
सूर्यनमस्कार महायज्ञ, गोरक्ष प्रांतः-
दि. 23 जनवरी को नेताजी सुभाष जयन्ती के दिन आयोजित इस कार्यक्रम के लिए जुलाई की प्रांत बैठक से योजनाबद्ध प्रयास हुए। शारीरिक टोली का शाखा प्रवास, सूर्यनमस्कार शिक्षकों की निश्चिती, विद्यालयों से सम्पर्क, वक्ताओं की निश्चिती - इस क्रम से तैयारी की गई। 23 जनवरी को 1644 शाखा स्थानों पर और 385 विद्यालय, कॉलेज, कोचिंग केन्द्रों पर 1,25,766 विद्यार्थियों ने 17,59,152 सूर्यनमस्कार किए।
झारखंड प्रांत, रामगढ़ जिले में माण्डु खण्ड के ग्रामोत्सवः-
पिछले वर्ष से ही माण्डु खण्ड में हिन्दू साम्राज्य दिन के निमित्त ग्राम सम्पर्क की योजना चल रही है। इस वर्ष उन्हीं सब कार्यकर्ताओं के सहभाग से योजना निश्चित हुई। गत वर्ष जहाँ-जहाँ नुक्कड़ सभाएँ हुई थीं वहाँ सम्पर्क करना, संपर्कित ग्रामों में ग्राम बैठक करना तथा ग्राम बैठक में हिन्दू साम्राज्य दिन के निमित्त ग्राम सम्मेलन निश्चित करना - यह योजना बनी। ग्राम देवता पूजन, रामकथा, जलाभिषेक, भारत माता पूजन इत्यादि कार्यक्रमों का समावेश कर ग्राम सम्मेलन करना तय हुआ। खण्ड के सभी 11 ग्रामों में ये कार्यक्रम सम्पन्न हुए जिसमें 4433 नागरिक माता-बहिनों ने उत्साह से भाग लिया।
पू. सरसंघचालक जी के प्रवास में पुणे में बाल स्वयंसेवकों का कार्यक्रमः-
दि. 15 फरवरी को पू. सरसंघचालक जी की उपस्थिति में हुए बालों के शारीरिक प्रधान कार्यक्रम की योजना छः माह पहले बनी थी।
सभी बाल पूर्ण गणवेष में रहेंगे, महानगर के प्रत्येक भाग से न्यूनतम 100 बाल किसी एक विषय का प्रात्यक्षिक करेंगे, सभी के सांघिक सूर्यनमस्कार और सामूहिक गीत का प्रात्यक्षिक होगा, शाखाश: विषयों का अभ्यास और गुणवत्ता वृद्धि के प्रयास होंगे - ऐसे उद्दिष्ट निश्चित हुए। इसके लिए सभी स्तर के कार्यकर्ताओं के सुनियोजित प्रवास तय हुए। परिणामस्वरूप 15 फरवरी को 682 बाल स्वयंसेवकों ने 8000 नागरिक बन्धु भगिनियों की उपस्थिति में अच्छी गुणवत्ता के प्रात्यक्षिक किए। कार्यक्रम का सूत्र संचालन, परिचय, व्यक्तिगत गीत, घोष वादन - ये सब काम बाल स्वयंसेवकों ने ही किए।
जबलपुर में 1857 के बलिदानियों को श्रद्धांजलिः-
1857 के बलिदानियों की स्मृति को अभिवादन करने के लिए ‘एक दीप, दो मिनट मौन, शहीदों के नाम’ इस संकल्पना को लेकर जबलपुर नगर के गणमान्य व्यक्तियों की समिति का गठन किया गया। सामाजिक, धार्मिक, व्यावसायिक संस्थाओं से भी सहभागिता का आह्वान किया। समाज की सहभागिता की दृष्टि से एक लाख करपत्रक, 25000 चिपकियाँ, 100 से ज्यादा विज्ञापन पट लगाकर व्यापक प्रचार किया गया। 1 मई से 10 मई तक प्रतिदिन नगर के गणमान्य व्यक्तियों द्वारा प्रमुख स्थानों पर दीप प्रज्जवलित कर वातावरण बनाया गया। परिणामस्वरूप 10 मई को 250 से भी अधिक स्थानों पर 25000 से अधिक नागरिकों ने इस कार्यक्रम को यशस्विता दिलाई। इस पूरे अभियान को प्रचार माध्यमों ने व्यापक प्रसिद्धि दी।
अ.भा. श्रृंग वाद्य प्रशिक्षण वर्ग, ग्वालियरः-
दि. 2 से 9 नवम्बर तक संपन्न इस प्रथम अ. भा. श्रृंग-वाद्य प्रशिक्षण वर्ग में 34 प्रांतों से 306 स्वयंसेवक सहभागी रहे। 1 से अधिक रचना के जानकार 159 वादक थे तथा अधिकांश वादक पूर्व तैयारी करके आए थे। इस कारण शिविर का प्रशिक्षण स्तर ऊँचा रहा। गणश: प्राथमिक पाठों का अभ्यास, रचना शुद्धीकरण, सांघिक वादन का अभ्यास, वाद्य सहित संचलन का अभ्यास, लिपिपाठ, वादकों का प्रतिभा प्रदर्शन ऐसे सभी प्रकार के सत्र रहे। अंतिम दिन ग्वालियर में 5 घोष पथकों का संचलन तथा समापन कार्यक्रम में ध्वजारोहण के वाद 18 मिनट के अनवरत वादन ने ग्वालियर के नागरिकों को प्रभावित किया।
कोकण प्रांत का घोष शिविरः-
दि. 11 से 23 फरवरी 2009 में मुंबई के नजदीक पनवेल में आयोजित इस शिविर द्वारा प्रांत के घोष के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ ही मुंबई आतंकवादी हमले के हुतात्माओं के अभिवादन का कार्यक्रम आयोजित कर शिविर को अधिक समयोचित बनाया गया। पूर्व तैयारी के रूप में तालुकाश: तथा कुछ अन्य स्थानों पर तीन माह नियमित साप्ताहिक घोष वर्ग चले। इस शिविर के निमित्त छः नये गीतों की रचना, 2 नयी घोष रचना, पारंपरिक ‘पखवाज’ वाद्य का प्रायोगिक रूप में घोष में वादन, ऐसे उपक्रम हुए। महाराष्ट्र के विख्यात संगीतकार श्रीधर फडके का शिबिराधिकारी के रूप में सहभाग, प्रसिद्ध साहित्यिका गिरिजा कीर द्वारा शिविर के प्रदर्शनी का अनावरण, स्थानीय विधायक विवेकानंद पाटिल द्वारा शिविर का उद्घाटन, मुंबई पुलिस के हुतात्माओं के परिजनों की समापन कार्यक्रम में उपस्थिति - यह इस शिविर की विशेषता रही। इस शिविर में 778 स्वयंसेवक सहभागी हुए।
सेवाकार्य
मुंबई आतंकी हमले के समय सेवा कार्यः-
नरिमन हाउस पर आतंकी हमले के समय स्थानीय लोगों ने प्रतिकार किया। उसमें भाजपा के कार्यकर्ता आगे रहे। आतंकवादी हमले में भाजपा कार्यकर्ता श्री हरीश गोहिल का निधन हो गया तथा एक अन्य कार्यकर्ता श्री प्रकाश सुर्वे आतंकवादियों के ग्रेनेड से जख्मी हुआ।
स्वयंसेवकों की शीघ्र व उस्फूर्त कृति के कारण 26 नवम्बर को रात्रि 10.30-11.00 बजे के करीब कई स्थानों पर सहायता प्रारंभ हो गई। जी.टी. अस्पताल, जे.जे. अस्पताल, सेंट जार्ज अस्पताल, बाम्बे अस्पताल तथा कुछ रेलवे स्टेशन - ये सहायता के केन्द्र रहे। सभी अस्पतालों में मिलकर 200 बोतलों का रक्तदान, घायल लोगों के परिवारों में सूचना देने की व्यवस्था, अस्पताल में आए हुए परिजनों के लिए भोजन, चाय आदि की व्यवस्था - ये सभी कार्य स्वयंसेवकों ने किए। छत्रपति शिवाजी टर्मिनस के एक स्टेशन पहले मशीदबन्दर स्टेशन है। वहाँ रुकी हुई गाडियों में फँसे यात्रियों के लिए भोजन प्रबंध में 65 स्वयंसेवक लगे रहे। 120 लोगों के निवास की व्यवस्था भी स्वयंसेवकों ने की। बाहर गाँव जाने के लिए आए हुए यात्रियों के लिए वाहन व्यवस्था करके उन्हें दादर स्टेशन पर छोड़ा गया।
बिहार में बाढ़ से त्रस्त जनता को राहतः-
दि. 18 अगस्त 2008 को कुसहा तटबन्ध क्षतिग्रस्त होने के साथ ही कोसी नदी की अभूतपूर्व बाढ़ प्रारम्भ हुई जिसके कारण नदी मूल धारा से 115 कि. मी. दूर हो गई। इस अभूतपूर्व घटना से 5 जिलों के 35 प्रखण्डों के 1058 गाँवों के 62,96,691 परिवार क्षतिग्रस्त हो गए। इस प्रलंयकारी आह्वान को स्वयंसेवकों ने एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया तथा सहायता कार्य प्रारंभ किया जो आज भी चल रहा है। वीरपुर के जानकी प्रभात शाखा के युवा स्वयंसेवकों ने प्रतिकूल परिस्थिति में कार्यरत रहकर 18, 19, 20 अगस्त को लगभग 260 लोगों को लम्बी रस्सी के सहारे बाढ़ के पानी में घुसकर बाहर निकाला और सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया। कुल 494 गाँवों में 1800 लोगों को स्वयंसेवकों ने बाढ़ की चपेट से बाहर निकाला। खगड़िया जिले के स्वयंसेवक इंजीनियर मदन शर्मा तथा दरभंगा जिले के स्वयंसेवक रणधीर ठाकुर ने लोगों को बचाने के प्रयास में अपने जीवन का बलिदान दे दिया।
सहरसा जिला स्कूल में 23 अगस्त से 27 सितम्बर तक 5000 लोगों के लिए राहत शिविर चलाया गया। ऐसे ही अन्य 5 शिविरों में कुल 10,000 लोगों के जलपान, भोजन और चिकित्सा की व्यवस्था की गई। स्वयंसेवकों ने 320 गाँवों में छोटे-मोटे शिविरों में जाकर 5,70,000 भोजन पैकेट वितरित किए। इसके अलावा वनवासी कल्याण आश्रम, विद्या भारती, विश्व हिन्दू परिषद् तथा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ताओं ने भी स्थान-स्थान पर राहत शिविर चलाए।
पानी हटने के पश्चात् गरीब पीड़ित परिवारों के पुनर्वास हेतु 15 फीट गुना 8 फीट का जी. आई. सी. शीट से बना हुआ घर 4 जिलों के 264 परिवारों को उपलब्ध कराया गया। सेवा इंटरनेशनल के सहयोग से भी 4 जिलों में ऐसे 135 घर दिये गये हैं।
नित्यानुसार सम्पूर्ण देशभर से इन कार्यों के लिए संघ के आवाहन पर समाज ने सहायता भेजी है ही।
संगठन के संपर्क, विस्तार व दृढ़ीकरण को गति देने वाले ऐसे कार्यक्रमों तथा संकट के समय में की गयी सेवा से समाज संगठन की प्रक्रिया गतिमान होती है। जागृत व संगठित समाज ही आज की संकटमय परिस्थिति का उपाय है यह पिछले सत्र के घटनाक्रम ने हमें बता दिया है।
परिदृश्य
युगाब्द 5110 (सन् 2008) की वर्ष प्रतिपदा के बाद चांद्रयान का अंतिरक्ष में प्रक्षेपण, विष्वनाथन आनन्द का शतरंज में जगज्जेता बनना, भारतीय चित्रपट का आस्कर विजेता बनना, ऐसी शुभ घटनाएँ घटित होने के बावजूद सामान्य व्यक्ति के निकटस्थ परिवेश की चिन्ताएँ बढ़ी हैं। अमेरिका के आर्थिक पतन की मार से फिर भी हम अपनी पुरानी आर्थिक आदतों के कारण कुछ-कुछ बचे हैं। परन्तु इस देश की भूगोलीय अखण्डता व वैशिष्ट्यपूर्ण हिन्दू अस्मिता को अपने स्वार्थसाधन की राह का रोड़ा माननेवाली देश व दुनिया की शक्तियाँ, उनके सामने शासन व प्रशासन की लचर व दब्बू नीतियाँ व गठ्ठा मतों की राजनीति, इन तीनों के गठबंधन के कारण दिनोंदिन बिगड़ते जा रहे देश के परिदृश्य को हम पिछले वर्षों से अनुभव कर ही रहे हैं। सिलसिला अब भी जारी है। समाज से अपेक्षित किसी आत्मविश्वासयुक्त पौरुष-सम्पन्न प्रतिकार के अभाव में ये शक्तियाँ और उद्दण्ड होती जा रही हैं।
विधि सम्मत मार्ग, मंत्रिमंडल की सर्वसहमति व न्यायालय के आदेश से श्री बाबा अमरनाथ के यात्रियों की व्यवस्था के लिए अमरनाथ श्राइन समिति को कुछ भूमि दी गई थी। किंतु येन केन प्रकारेण अपनी सत्ता बनाए रखने की लालसा के शिकार राजनीतिज्ञों ने राष्ट्रविरोधी तत्वों के साथ जो गठजोड़ किया उसके परिणामस्वरूप वह भूमि जम्मू-कश्मीर की गठबंधन की सरकार ने वापस ले ली। पर जब न्यायप्राप्ति, स्वदेशाभिमान तथा मानबिंदुओं की मानरक्षा के लिए जनता खड़ी हुई तब देश से अलग होने की धमकियाँ पाकिस्तान के झण्डे फहरा-फहरा कर दी गयीं। परन्तु साठ दिन तक चले इस अनवरत संघर्ष ने इन राष्ट्रविरोधी शक्तियों के दुःसाहस तथा शासन के सत्तामद को करारी मात दी। केन्द्र से राज्य तक सबको जनता के हृद्गत भारत की आत्मा की बात को मानना ही पड़ा। इस सत्र के प्रारम्भ में ही अमरनाथ आंदोलन ने मानों देश की समस्त समस्याओं पर तथा हमारे राष्ट्र का शत्रुत्व करने वाली जागतिक शक्तियों पर विजय की राह दिखा दी। जम्मू व लद्दाख की देशभक्त जनता अभिनन्दन की ही नहीं, अनुकरण की भी पात्र है।
जम्मू में यह आंदोलन जब चल रहा था तभी ऐसी ही शक्तियों ने उत्कल के कंधमाल क्षेत्र में गैरकानूनी गोहत्या व मतांतरण के अडिग प्रतिरोधक बने सेवामूर्ति, निर्मलशील, स्नेहधन पूज्य लक्ष्मणानन्द सरस्वती की षड्यंत्रपूर्वक निर्घृण हत्या कर दी। इस जघन्य कृत्य के लिए हेतुपुरस्सर जन्माष्टमी का दिन चुनकर हिंदु समाज को अपमानित किया गया। पिछले वर्ष से शासकीय सुविधाओं के बँटवारे को लेकर कंध व पानाओं के आपसी संघर्ष से यह क्षेत्र अशांत था ही। इस संघर्ष की आग पर अपने स्वार्थ की रोटी सेकने वाली इन छली मतांतरकारी हिंसक शक्तियों के द्वारा की गई स्वामी जी की हत्या के कुकृत्य की तीव्र प्रतिक्रिया हुई। स्वामी जी को नित्य मिलती हत्या की धमकियों के बारे में, उनकी सुरक्षा के बारे में, अवैध मतांतरण, गोहत्या व उग्रवादी अत्याचार के बारे में अब तक संवेदनहीन शासन अचानक हिंदुओं के ही विरुद्ध अति सक्रिय हो गया। अपराधी-निरपराधी का भेद न करते हुए हिन्दु समाज पर निरकुंश दमन चक्र चलाया गया। स्वामी जी के हत्यारे व हत्या के षड्यंत्रकारी अभी भी विधि की पकड़ से बाहर हैं व बारह सौ के ऊपर निरपराध हिंदुओं पर अभियोग लगाए गये हैं।
स्वामी जी के हत्यारों व षड्यंत्रकारियों को गिरफ्तार करने की माँग को लेकर आंदोलन करनेवाली हिंदु जनता ने 25 दिसम्बर को जो बंद घोषित किया था, वह शासन के इस लिखित आश्वासन पर कि - हत्यारों व षड्यंत्रकारियों को तुरंत बंदी बनाया जाएगा - स्थगित किया गया। परंतु इस सभ्य व संयमित व्यवहार का उचित प्रतिभाव शासन ने नहीं दिखाया। उत्कलभाषी संवाद माध्यम वस्तुस्थिति का यथातथ्य वर्णन कर रहे थे किंतु अन्य, विशेषतः अँग्रेजी भाषी संवाद माध्यमों ने घटनाओं का एकतरफा वर्णन कर स्वामी जी की हत्या के प्रकरण की पूरी तरह अनदेखी कर दी तथा हिंदु समाज को ही दोषी व अपराधी ठहराने में लगे हुए हैं।
इन कट्टरपंथी मूलतत्त्ववादी देशतोड़क शक्तियों ने मालेगाँव विस्फोटों में कुछ हिंदु तरुणों व साध्वी संतों के नाम होने का बहाना लेकर ‘‘हिंदु आतंकवाद’’ नामक एक विरोधाभासी असत्य व निरर्थक कल्पना को उछालने का प्रयास किया। उन अभियुक्तों के विरुद्ध कोई आरोप किसी न्यायालय में सिद्ध होने के पूर्व ही विचित्र रहस्यमय व अनियमित ढंग से जाँच की बातें माध्यमों तक पहुँचती रहीं और न्यायालय में मामला जाने के पहले ही सबको संवाद माध्यमों द्वारा दोषी बता दिया गया। देश की सुरक्षा के खड़्गहस्त भारत के सुरक्षा बलों पर अत्यंत हल्के ढंग से लांछन लगाए गये, हिंदु संतों को, समाज को व संगठनों को इस मामले में लपेटकर बदनाम करने का निर्लज्ज व घृणित प्रयास किया गया। संघ जैसे 83 वर्षों से केवल राष्ट्रहित के लिए बद्धपरिकर संगठन पर विदेशी गुप्तचर संस्था से धन प्राप्त करने का हास्यास्पद, अविश्वसनीय, निराधार व उथला आरोप लगाया गया। भारत व हिन्दू जनता का मनोबल तोड़ने की इच्छा रखनेवाली शक्तियों के साथ हिंदुद्वेषी राजनैतिक शक्तियों ने आतंकवाद से जूझने में आए अपयश को छुपाने के लिए कट्टर धर्मांध राष्ट्रविरोधी हिंसक प्रवृत्तियों के समकक्ष हिंदू समाज को दिखाने के लिए व आसन्न लोकसभा चुनावों में मतों की फसल काटने के उद्देश्य से यह सब किया। परंतु संत-साध्वियों पर किये गये अत्याचारों के प्रति तीव्र रोष के परिणामस्वरूप जागृत व सजग हुए भारतीय समाज पर यह चाल सफल नहीं हो पाई।
परंतु स्वार्थी राजनीतिज्ञों की देश विघातक शक्तियों के साथ इस अपवित्र साँठगाँठ का असली भंडाफोड किया मुंबई पर 26 नवम्बर को हुए आतंकवादी दुःसाहसी हमले ने। हमारे सेनादल, पुलिस, उग्रवाद विरोधी दस्तों (ATS), अन्य सुरक्षा बल इत्यादि के वीर कर्मचारी व अधिकारियों के बलिदान तथा जनता के धैर्यपूर्ण व्यवहार से 60 घंटों की सतत लड़ाई के बाद संकट समाप्त हुआ, लेकिन वर्षों से इस विभीषिका के खतरे की छाया में जीनेवाले सामान्य जनों के मानस में जो वेदना व क्रोध विद्यमान था वह मुखर हो उठा। पनवेल के घोष शिबिर में मंच पर से श्रीमती सालसकर ने उन्हीं वेदना-भरी जनभावनाओं को एक प्रश्न के रूप में प्रस्तुत कर दिया कि ‘‘इस देश में और कितनी वीर पत्नियाँ बनेंगी ?’’
इस आतंकवादी हमले की घटना में देश के अन्दर से आतंकवादियों को मिलने वाली सहायता का मामला स्पष्ट रूप से उजागर हुआ। इस तथ्य के प्रकाश में बांगलादेश की सीमा से नित्य निरंतर बढ़ते प्रमाण में चलने वाली घुसपैठ और भी गंभीर परिणाम धारण करती है। किशनगंज में यशस्वी रीति से सम्पन्न घुसपैठ विरोधी छात्र सम्मेलन व उससे संबंधित अन्य कार्यक्रमों के द्वारा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के तत्वावधान में जनप्रबोधन का सुव्यवस्थित, अनुशासित व व्यापक प्रयास भी हुआ है। परंतु अपने राजनीतिक स्वार्थों के चलते शासन व प्रशासन आतंकवाद तथा घुसपैठ दोनों के प्रतिकार में समान रूप से पंगु दिखाई देता है।
इस और ऐसे सभी प्रश्नों के संपूर्ण सफल व सुफल उत्तर का रास्ता श्री अमरनाथ आंदोलन ने आलोकित व प्रशस्त कर दिखाया है। अधूरे आकलन पर आधारित विदेशी व्यवस्थाओं का युग समाप्त होने का संकेत अमरीका के आर्थिक पतन ने दे दिया है। मन में ‘स्व’ का गौरव लेकर, देश धर्म संस्कृति व समाज के लिए जीने-मरने का दृढसंकल्प लेकर जब समाज खड़ा होगा तभी प्रजातांत्रिक व्यवस्था में योग्य शासक व उत्तरदायी प्रशासन का निर्माण हो सकेगा। दुनियाँ के सब प्रकार के छल, कपट, आतंक व अत्याचार समाज की सज्जन प्रेरित संगठित अवस्था के आगे निष्प्रभ हैं। आने वाले चुनावों में अब तक के अनुभवों से सबक लेकर तथा राष्ट्रहित में सजग होकर शतप्रतिशत मतदान हेतु समाज को खड़ा करना पड़ेगा। रोजमर्रा की चालू व पक्षीय राजनीति में न पड़ते हुए अपनी मर्यादा में रहकर ही सभी को यह कार्य करना होगा।
आवाहन-
संकटों की यह घड़ी हम सबके लिए पराक्रम की वेला है, पुरुषार्थ से विजयश्री का वरण करने का सुअवसर है। आवश्यक है कि आसेतु हिमाचल फैले गाँव-गाँव में बसे यच्चयावत हिंदु समाज में यह पुरुषार्थ जागे, वीरवृत्ति व पराक्रम जागे। देशभर में फैले अपने कार्य को आधार बनाकर उसके विस्तार व दृढ़ीकरण के बल पर हम समाज को इन संकटों पर मात करने हेतु समुचित उपाय अपनाने के लिए तत्काल सिद्ध करें।
अटल चुनौती अखिल विश्व को
भला-बुरा चाहे जो माने
डटे हुए हैं राष्ट्रधर्म पर
विपदाओं में सीना ताने ।
ऐसा समाज ही सब कल्मष का परिहार है, संकटों का प्रतिकार है, विजय की जयकार है व राष्ट्र के परमवैभव का एकमात्र आधार है। ऐसा समाज निर्माण करने का कार्य ही संघ कर रहा है।
परम पूजनीय सरसंघचालक जी, माननीय अखिल भारतीय पदाधिकारी तथा अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्यगण, अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सभी माननीय सदस्यगण, नवनिर्वाचित प्रतिनिधि बंधुगण, विविध कार्यों में कार्यरत बंधु भगिनी तथा विशेष निमंत्रित बंधु, माता, भगिनी -
अपनी परिपाटी के अनुसार इस वर्ष की प्रतिनिधि सभा की बैठक में हम नूतन सरकार्यवाह को निर्वाचित करने के साथ-साथ ही अब तक के अपने कार्य का सिंहावलोकन करते हुए उसे आगे बढ़ाने की योजनाएँ भी बनाएँगे। सदैव अपने कार्य में तथा देश के क्रियाकलापों में सक्रिय रहकर हमारा साथ देने वाले सहयोगी कार्यकर्ता व अन्य सक्रिय व्यक्ति, जो जीवन की मरणधर्मा प्रकृति के कारण हमसे अब बिछुड़ गये हैं, ऐसे समय सहज ही हमारी स्मृति में जीवन्त हो जाते हैं।
श्रद्धांजलि
प्रापंचिक परिस्थिति की विषमताओं को चुपचाप हँसते हुए सहन कर हिंदु धर्म संस्कृति व समाज की रक्षार्थ संघर्ष में सतत अग्रेसर रहनेवाले विनम्र व मृदु स्वभाव के ज्येष्ठ कार्यकर्ता जम्मू के श्री तिलकराज जी शर्मा हमें छोड़ गये। राजस्थान क्षेत्र के कार्यवाह रह चुके, अनेक गीतों के रचयिता, सतत स्वयंसेवकत्व की साधना में रत, अंत में सीकर विभाग संघचालक का दायित्व वहन कर रहे श्री मोती सिंह जी राठोड़ अब नहीं रहे। छत्तीसगढ़ प्रान्त में अपने ऋषिसम व्यक्तित्व व स्नेह से सबके सहज अभिभावक बने ‘‘बाबूजी’’ श्री पंढरीराव कृदत्त अंतिम प्रस्थान कर गये। विश्व हिन्दु परिषद् के महामंत्री रह चुके श्री माधव पांडुरंग उपाख्य राजाभाऊ डेगवेकर जी का देहान्त हो गया। पू. डॉक्टर साहब के समय से संघ इतिहास के साक्षी रहे, ‘‘युगप्रवर्तक श्री गुरुजी’’ के लेखक श्री चं. प. उपाख्य बापूराव भिशीकर जी का शरीर शान्त हो गया। कुष्ठसेवा को ही जीवन लक्ष्य बनाने वाले श्री अनन्तराव चाफेकर की जीवन यात्रा सम्पूर्ण हुई। भारतीय मजदूर संघ के कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष रहे श्री अ. वेंकटराम जी स्वर्गवासी हो गये। राजनीतिक क्षेत्र में स्वयंसेवकत्व का निर्वाह करने वाले अजातशत्रु श्री वेदप्रकाश जी गोयल लम्बी बीमारी के पश्चात् काल के अधीन हो गए। महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष रह चुके श्री सूर्यभान वहाडणे का भी निधन हुआ। सामान्य जनों की छोटी छोटी आवश्यकताओं की पूर्ति में भी मन से लगने वाले जयपुर के सांसद श्री गिरिधारी लाल जी भार्गव अब जीवन से सेवा निवृत्त हो गए।
मध्य क्षेत्र के प्रचारक रह चुके अपने ज्येष्ठ तपस्वी प्रचारक श्री बाबासाहेब नातु ने इहलोक की यात्रा पूर्ण की। असम के पुराने प्रचारक श्री माधव करंबेळकर अचानक ही हृदयाघात से चल बसे। बिहार के पुराने कर्मठ प्रचारक श्री जगदीश सर्राफ मृत्यु का वरण कर गये। बिहार की बाढ़ की विभीषिका में लोगों के प्राणों को बचाने के लिए स्वयं का प्राणार्पण करने वाले श्री मदन शर्मा और श्री रणधीर ठाकुर स्वयंसेवक की सेवा का उज्ज्वल आदर्श प्रस्तुत कर गये। मध्य भारत के हिन्दु जागरण मंच के कार्यकर्ता, अपने प्रचारक श्री अनिल भार्गव व स्वदेशी जागरण मंच के मध्य क्षेत्र के कार्यकर्ता श्री जगदीश गुप्त भी नहीं रहे।
कर्नाटक में यक्षगान कला के अध्वर्यु प्रान्त के श्री गुरुजी जन्मशती समिति के सदस्य रह चुके श्री शम्भु हेगडे श्रीराम निर्वाण के प्रसंग के अभिनय में इतने तन्मय हुए कि उन्होंने सचमुच ही रामधाम को प्रस्थान किया।जीवनयोगिनी विमलताई ठकार अनन्त में विलीन हो गयी।समरसता के लिए जीवन लगा देने वाले संत श्री बाबा प्रकाश शाह जी महाराज निर्वाण को प्राप्त हुए
पूर्व राष्ट्रपति श्री वेंकटरामन जी, पूर्व प्रधानमंत्री श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह जी और उत्तर पूर्व कलकत्ता के सांसद श्री अजित पांजा तथा उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के श्री रामशरण दास भी अब स्मृतिशेष मात्र रह गये हैं।
देश के जीवन में स्वनामधन्य इन नामों के साथ ही आंतकवाद के लम्बे व अभी भी चल रहे अध्याय में जुडे मुंबई हमला कांड, असम में घटित बम विस्फोटों की मालिका, गडचिरोली के मर्के गाँव में नक्सलियों द्वारा की गई हिंसा जैसे नए कांडों में मृत्यु को प्राप्त निर्दोष देशवासी व ऐसी सब विभीषिकाओं में देश की सुरक्षा व सम्प्रभुता की रक्षा का अपना कर्तव्य निभाते हुए वीरगति को प्राप्त सेना, पुलिस, सुरक्षा बलों तथा ए.टी.एस. जैसे प्रतिरोधी दस्तों के शौर्यवान, कर्तव्यदक्ष अधिकारी व जवानों का भी स्मरण अनिवार्य रूप से होना क्रम प्राप्त है।
हम से बिछड़े इन सभी बंधुओं को हम सब अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
कार्यस्थिति
मई-जून 2008 में सम्पन्न हुए अपने संघ शिक्षा वर्गों में सामान्य वर्ग के प्रशिक्षण में प्रथम वर्ष के लिए देशभर के 7,194 स्थानों से 11,082 शिक्षार्थी, द्वितीय वर्ष के लिए 2230 स्थानों से 2772 शिक्षार्थी व तृतीय वर्ष के लिए 862 शिक्षार्थी सहभागी रहें। चालीस वर्ष तथा तदुर्ध्व आयु के स्वयंसेवकों के लिए सम्पन्न विशेष वर्गों में प्रथम वर्ष के लिए देशभर के 445 स्थानों से 629 शिक्षार्थी व द्वितीय वर्ष के लिए 333 स्थानों से 420 शिक्षार्थियों ने भाग लिया। हर एकान्तर वर्ष में तृतीय वर्ष का विशेष वर्ग लगाने के अपने निर्णय के अनुसार पिछले वर्ष विशेष तृतीय वर्ष का आयोजन नहीं किया गया।
जनवरी मास के अन्त तक की अपने कार्य की जो जानकारी यहाँ प्राप्त हो सकी उसके अनुसार देश के 30015 स्थानों पर 43905 शाखाएँ चल रही है तथा 4964 स्थानों पर साप्ताहिक मिलन का व 4507 स्थानों पर मासिक संघ मंडली का कार्यक्रम चल रहा है।
पिछले वर्ष कार्य की स्थिरता के निदर्शक आँकड़े हमने पढ़े थे। इस वर्ष के आँकड़े यह बता रहे हैं कि कार्य धीमी गति से आगे बढ़ रहा है। कार्य बढ़ाने की गति और तेज हो व सभी प्रांतों में इस सम्बन्ध में समान स्थिति उत्पन्न हो इस ओर अब हमें ध्यान देना होगा।
आँकड़े पुष्ट करते हैं कि इस वर्ष सभी प्रान्तों में हमारे नित्य व नैमित्तिक कार्यक्रमों की उत्कृष्ट योजना बनी व निर्वहन भी सफलता के साथ हुआ। उसके कारण वातावरण निर्मिति, कार्यविस्तार व दृढीकरण में तुरंत लाभ मिला ऐसा सभी कार्यकर्ताओं का अनुभव है। पिछले वर्ष से चले प्रयासों का सातत्य भी ध्यान में आता है। उदाहरण के रूप में कुछ ही कार्यक्रमों का यहाँ निर्देश किया जा रहा है।
कार्यक्रम
संकल्प समावेश (सम्मेलन) - सुळ्या, मंगलोरः-
मंगलोर विभाग में सुळ्या तहसील के सभी 44 गाँवों में गत अनेक सालों से शाखाएँ हैं। इस वर्ष 26 जनवरी को संकल्प समावेश का आयोजन किया गया। उसके पूर्व कार्यविस्तार में उपवस्तिश: शाखा का संकल्प किया गया। 117 उपवसतियों में से 111 उपवसतियों में कुल 136 शाखाएँ चलीं। 26 जनवरी की पूर्व तैयारी के रूप में उपवसतिषः एकत्रीकरण का कार्यक्रम हुआ। इसमें कुल तहसील में 15,000 लोग उपस्थित रहे। उपवसतियों में शाखा, धर्मजागरण, सेवा, मातृशक्ति जागरण, साहित्य वितरण आदि 12 विषयों के लिए एक-एक व्यक्ति को दायित्व दिया गया।
दिनांक 26 के कार्यक्रम में प्रातः तिरंगा ध्वजारोहण और मातृशक्ति सम्मेलन हुआ। 2,800 माता-भगिनियों की उपस्थिति रही। सायंकाल को तीन स्थानों से संचलन हुआ जिसमें 4,018 स्वयंसेवक गणवेष में आए थे।
प्रमुख संख्यात्मक उपलब्धि - कार्यक्रम में प्रतिनिधित उपवसति 117, गणवेष में 100 से अधिक संख्या में आए ऐसी उपवसतियाँ 11, एक उपवस्ती से सर्वाधिक गणवेष 148, प्रत्येक घर से आए थे ऐसे शाखा क्षेत्र 4, प्रत्येक घर को संपर्कित किया गया ऐसी उपवसतियाँ 60 ।
मा. सरकार्यवाह जी के प्रवास में जिला सम्मेलनः-
प्रान्त प्रवास हेतु आए हुए श्री. मोहन भागवत जी के प्रवास में आंध्र के इन्दूर शासकीय जिले (संघ दृष्टि से कामारेड्डी तथा इन्दूर जिले) का सम्मेलन इन्दूर नगर में आयोजित किया गया। स्वयंसेवकों की विस्तृत सूची बनाना, गटनायक नियुक्ति, गाँवों में सम्पर्क, साधु-संतों से सम्पर्क और निक्कर, सफेद कमीज तथा दण्ड इस अपेक्षित वेष में सम्मेलन हो ऐसी योजना बनी। प्रवासी कार्यकर्ताओं के साथ कुल 621 गटनायकों ने 331 गाँवों में स्वयंसेवकों की सूची बनाई जिसमें 239 गाँवों में ग्राम प्रमुख निश्चित किए गए। कुल 132 मंडलों में से 119 मंडलों में और कुल 740 गाँवों में से 509 गाँवों में सम्पर्क हुआ। प्रत्यक्ष कार्यक्रम में 294 गाँवों से 5104 स्वयंसेवक उपस्थित रहे। सम्मेलन के कारण 3942 स्वयंसेवकों ने निक्कर और कमीजें बनवाईं। संपर्कित 50 साधु-संतों में से 36 साधु उपस्थित रहे तथा 2226 नागरिक बंधु-भगिनी उपस्थित रहे।
उत्तर बंग में पू. सरसंघचालक जी का प्रवासः-
दिनांक 24, 25, 26 दिसम्बर को यह प्रवास सम्पन्न हुआ। 24 दिसम्बर को मालदा नगर में आयोजित कार्यक्रम में 4500 स्वयंसेवकों का पूर्ण गणवेष में पथ संचलन हुआ। अन्य 3500 स्वयंसेवक तथा 17500 नागरिक बन्धु-भगिनी उपस्थित रहे। 26 दिसम्बर को महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के कार्यक्रम में 640 छात्र उपस्थित थे।
कर्नाटक उत्तर प्रांत में पू. सरसंघचालक जी का प्रवासः-
इस बार प. पू. सरसंघचालक जी कर्नाटक उत्तर प्रान्त के प्रवास हेतु दिसम्बर 28, 29, 30 बागलकोट नगर में पधारे। 28 को बेलगाँव विभाग समावेश तथा 29, 30 को कार्यकर्ता बैठक आयोजित हुई थी। विभाग समावेश में गुणात्मक संचलन तथा शारीरिक प्रदर्शनयुक्त सार्वजनिक कार्यक्रम हुए। संचलन में 109 शाखाओं से 1035 स्वयंसेवकों ने भाग लिया। प्रकट कार्यक्रम में 8000 जनता, उसमें 1000 माता-भगिनी उपस्थित थे।
गुणात्मक संचलन के लिए 185 शाखाओं में से 125 शाखाओं में संचलन का अभ्यास हुआ। खंड स्तर में हुई पहली परीक्षा में 2000 स्वयंसेवकों में से 1200 स्वयंसेवकों को चुना गया। एक दिन पूर्व बागलकोट आए हुए 1200 स्वयंसेवकों की दूसरी बार परीक्षा होकर 1035 स्वयंसेवकों का चयन हुआ।
प्रकट कार्यक्रम में 234 स्वयंसेवकों ने सामूहिक दण्ड प्रदर्शन किए। द्वितीय वर्ष के प्रयोगों के दण्ड प्रदर्शन में 42 स्वयंसेवकों ने भाग लिया। इस हेतु 84 शाखा स्थानों पर जून से ही दण्ड विषय का अभ्यास प्रारंभ हुआ था।
मध्यभारत प्रान्त में पू. सरसंघचालक जी का प्रवासः-
प. पू. सरसंघचालक जी के प्रवास में मध्यभारत का प्रांतीय कार्यकर्ता सम्मेलन शाजापुर में हुआ। इसका लाभ लेने के लिए गुणात्मक विकास का लक्ष्य रखकर कार्यक्रमों की योजना की गई।
इस निमित्त पूरे मध्यभारत प्रान्त में गण समता प्रतियोगिता का आयोजन हुआ था। एक ही स्थान का पूर्ण गण होना तथा गणवेष सही होना यह आवश्यक अर्हता थी। इसको पूर्ण कर प्रान्त में 92 स्थानों पर गण समता का अभ्यास चला। अन्तिम प्रतियोगिता में 69 स्थानों के गण सहभागी हुए, जिसमें से चयनित 12 गणों द्वारा प. पू. सरसंघचालक जी के आगमन पर सरसंघचालक प्रणाम, प्रत्युत् प्रचलनम्, प्रदक्षिणा संचलनम् का प्रात्यक्षिक किया गया।
शाजापुर जिले में 34 स्थानों पर स्वयंसेवकों ने दण्ड एवं सूर्यनमस्कार का अभ्यास किया। 22 स्थानों पर गण समता की तैयारी हुई जिसमें पूरा गण होना अनिवार्य था। इसमें से 3 चयनित गणों ने सरसंघचालक जी के सामने द्वितीय वर्ष तक की समता का प्रात्यक्षिक किया। घोष में चयनित 80 स्वयंसेवकों का वादन हुआ। सभी के परिणामस्वरूप कार्यक्रम में प्रात्यक्षिक अच्छी गुणवत्ता के साथ संपन्न हुए।
इन्दौर विभाग - स्वर्णिम भारत संकल्प दिवस कार्यक्रमः-
इन्दौर विभाग टोली ने गुरुजी जन्मशताब्दी वर्ष के पश्चात् अनुवर्ती प्रयास के रूप में एक कार्यक्रम तय किया जिसमें समस्त 11वीं, 12वीं एवं कॉलेज के विद्यार्थियों से (लगभग 1 लाख) सम्पर्क करना तथा एक विद्यार्थी सम्मेलन आयोजित कर उन्हें स्वर्णिम भारत का संकल्प दिलाने का कार्यक्रम था।
इसके लिए चुना गया 12 जनवरी, युवाओं के प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानन्द जयंती का दिन व प. पू. सरसंघचालक जी का उद्बोधन। इसके संचालन के लिए इंदौर में 24 स्थानों पर कार्यालय बनाए गए। पूर्व तैयारी के रूप में श्री. प्रवीण भाई तोगड़िया की उपस्थिति में चिकित्सा महाविद्यालयों के शिक्षार्थियों की संगोष्ठी, 32 इंजिनियरिंग महाविद्यालयों के 1462 विद्यार्थियों का ‘नमन 1857’ कार्यक्रम, 10 मई को 3000 युवकों की 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की 150वीं वर्षगाँठ पर वाहन यात्रा तथा अखण्ड भारत संकल्प लेना सम्मिलित था। सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में 6000 शिक्षार्थियों ने भाग लिया। ये सभी कार्यक्रम अपेक्षित सफलता के साथ संपन्न हुए।
कुल 110 महाविद्यालय, 145 छात्रावास, 161 विद्यालय, 219 कोचिंग कक्षाएँ मिलाकर 760 बैठकें आयोजित हुई र्थीं, जिनमें 39,915 विद्यार्थी सहभागी हुए थे। 5 रु. शुल्क लेकर 65,550 विद्यार्थियों का पंजीयन हुआ। विशेष लाभ यह हुआ कि 2562 विद्यार्थी गटनायक गणवेषधारी तैयार हो गए। 76 कार्यकर्ताओं ने 1 माह, 15 दिन या 4 दिन का समय दिया। 12 जनवरी को इन्दौर के नेहरू स्टेडियम में 25,000 विद्यार्थियों ने उपस्थित रहकर प.पू. सरसंघचालकजी को प्रणाम कर स्वर्णिम भारत का संकल्प लिया। इस कार्यक्रम में 10 नगर के स्वयंसेवकों ने गणसमता का प्रदर्शन किया तथा प. पू. सरसंघचालक प्रणाम, प्रत्युत् प्रचलनम्, प्रदिक्षणा संचलनम् का भी कार्यक्रम किया।
केरल प्रान्त महाविद्यालयीन कार्य विस्तारः-
केरल प्रान्त में महाविद्यालयीन छात्रों के कार्य वृद्धि के लिए इस वर्ष सुनियोजित विशेष प्रयास हुए। प्रान्त स्तर से जिला स्तर तक महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के लिए कार्यकर्ता नियुक्ति, महाविद्यालयों पर एवं अन्य स्थानों पर साप्ताहिक मिलन चलाने के प्रयास, साप्ताहिक मिलन चलाने वाले कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण हेतु प्रांत स्तर पर दो दिन का प्रशिक्षण वर्ग और प्रशिक्षण वर्ग में अनुवर्ती प्रयास के लिए विशेष प्रेरणा व प्रशिक्षण इस प्रकार की योजना सोची गई। सभी के सुचारु प्रयास के कारण वर्ग में 142 स्थान व 147 महाविद्यालय, कुल 289 इकाईयों से 741 विद्यार्थियों ने प्रशिक्षण वर्ग में भाग लिया। साप्ताहिक मिलन चलाने की पद्धति एवं कार्यक्रम, शारीरिक प्रात्यक्षिकों का प्रशिक्षण, अनुवर्ती प्रयास के बारे में चर्चा सत्र ऐसा वर्ग का स्वरूप था। सबके परिणामस्वरूप 111 महाविद्यालयों और 250 स्थानों में साप्ताहिक मिलन का संकल्प लेकर स्वयंसेवक अपने स्थान पर वापस गये। वर्ग के बाद मिलनों की संख्या में वृद्धि के साथ सहल, शिविर, व्यक्तित्व विकास शिविर, स्पर्धाएँ ऐसे विविध कार्यक्रमों के भी वृत्त बड़ी संख्या में प्राप्त हो रहे हैं।
जयपुर प्रान्त महाविद्यालयीन शिविरः-
दि. 27-28 सितम्बर 2008 के आयोजित इस शिविर में 371 स्थानों से 2546 विद्यार्थी उपस्थित रहे। नये छात्रों को संघ से जोड़ने की दिषा में पूर्व तैयारी की दृष्टि से इस शिविर की रचना की गयी।
शाखा में आने वाले हर महाविद्यालयीन छात्र को गटनायक, छात्रावास और महाविद्यालय प्रमुख का दायित्व देकर संपर्क करने को कहा गया तथा जिले और नगरों के सायम् कार्यवाहों के निरंतर प्रवास व सम्पर्क के माध्यम से 18,000 विद्यार्थियों से सम्पर्क किया गया। परिणामस्वरूप शिविर में उपस्थित तरुणों में से 70 प्रतिशत छात्र नये थे। ‘हल्दी घाटी युद्ध’ के खेल जैसे विशाल खेल सहित शिविर स्थान की ऐतिहासिक प्रेरणादायी रचना ने विद्यार्थियों को प्रभावित किया।
उत्तर बंग बाल शिविरः-
प्रांत की योजनानुसार हुए जिला शिविरों में मालदा जिले के शिविर में 92 स्थानों से 523 बाल स्वयंसेवक उपस्थित रहे। सिलिगुड़ी में 70 स्थानों से 426 बालकों ने भाग लिया।
महाकौशल प्रांत संगठन सशक्तीकरण शिविरः-
श्री गुरुजी जन्मशताब्दी के निमित्त हुए हिन्दू सम्मेलनों के अनुवर्ती प्रयास के रूप में यह उपक्रम किया गया। जहाँ-जहाँ से हिन्दू सम्मेलन में लोग आये थे, उन्हीं ग्रामों पर प्रयास कर स्थान-स्थान पर संघ परिचय वर्ग आयोजित करना, साप्ताहिक मिलन या संघ मंडली प्रारंभ करना और इस प्रयास के माध्यम से दिसम्बर माह में जिलाश: तीन दिन के संगठन सशक्तीकरण शिविर आयोजित करना, ऐसी कार्यक्रम की रूपरेखा जुलाई की बड़ी बैठक में निश्चित की गई। प्रांत कार्यकारी मंडल से लेकर तहसील खण्ड स्तर तक प्रत्येक कार्यकर्ता को निश्चित क्षेत्र का पालकत्व व प्रवास दिया गया। अन्तिम मास में 7 से 15 दिन देने वाले 559 विस्तारक, प्रतिदिन दिनभर का समय देने वाले 845 विस्तारक और सप्ताह में एक या दो दिन देने वाले 625 कार्यकर्ताओं ने इस योजना की यशस्विता के लिए प्रयास किए। 10 दिसम्बर से 18 जनवरी के मध्य में हुए जिलाश: शिविरों में 597 में से 568 खण्डों का, 2510 मंडलों में से 1652 मंडलों का तथा 24189 ग्रामों में से 5017 गाँवों का प्रतिनिधित्व हुआ। कुल उपस्थिति 21543 थी। सफेद कमीज, खाकी निक्कर व काली टोपी - यह वेष अपेक्षित था। प्रत्येक शिविर में सामूहिक सूर्य नमस्कार और व्यायाम योग हुए तथा पुरानी शाखाओं के स्वयंसेवकों ने नियुद्ध, समता एवं दण्ड युद्ध के प्रात्यक्षिक किए। अनुवर्ती प्रयास के रूप में सभी को अपने गाँवों में भारत माता पूजन, मकर संक्रमण उत्सव संपन्न करने के लिए कहा गया। इन सभी के परिणास्वरूप 181 शाखाएँ, 12 मिलन व 8 मंडलियाँ बढ़ गईं। इसमें उल्लेखनीय बरघाट तहसील है जिसने 80 शाखाओं का लक्ष्य रखकर 65 शाखाएँ प्रारम्भ कीं। इस उपक्रम के कारण कार्यकर्ताओं की सक्रियता बढ़ी तथा नए बंधु अच्छी संख्या में स्वयंसेवक बनें।
गुजरात प्रांत में जिलाश: शिविरः-
विगत 2 वर्षों से दिसम्बर-जनवरी मास में जिला स्तर पर शिविरों का प्रयास चल रहा है। इस वर्ष की विशेषताएँ इस प्रकार हैं - वडोदरा महानगर के तरुण शिविर में सभी 19 नगर और 49 बस्तियों से 380 तरुण उपस्थित रहे। पूर्व तैयारी के रूप में नगरश: संचलन और शाखाश: दण्डवलय स्पर्धा हुई। अनुवर्ती प्रयास के रूप में हर बस्ती में काम का लक्ष्य लेकर कार्य चल रहा है। कर्णावती महानगर के बाल शिविर में सात भागों के 52 में से 51 नगरों की 87 शाखाओं से 873 स्वयंसेवक उपस्थित रहे।
शिलांग में प्रथम बार संघ का प्रकट कार्यक्रमः-
मा. सरकार्यवाह श्री मोहन जी भागवत के प्रवास में 24 दिसम्बर 2008 को शिलांग में प्रथम बार संघ के प्रकट कार्यक्रम का आयोजन हुआ था। कार्यक्रम के पूर्व किए गए व्यापक संपर्क के कारण 4 जिलों के 140 गाँवों का प्रतिनिधित्व इस कार्यक्रम में रहा।
सेंग खासी संगठन के सचिव तथा अन्य प्रमुख कार्यकर्ता प्रथम बार संघ के कार्यक्रम में मंच पर आए तथा उनके भाषण भी हुए।
इसके पूर्व 22-24 दिसम्बर तक युवक शिविर का भी आयोजन किया गया जिसमें 272 युवक उपस्थित रहे। इन दोनों कार्यक्रमों को मिले प्रतिसाद के कारण शिलांग में संघकार्य की अनुकूलता अच्छी मात्रा में बढ़ गई है।
पश्चिम आंध्र में प्रांत कार्यकर्ताओं का खण्ड स्तर तक प्रवासः-
इस वर्ष सभी प्रांत कार्यकर्ताओं के खण्ड स्तर तक प्रवास की योजना निष्चित विषय लेकर बनी। खण्ड के शाखा कार्यकर्ता, साप्ताहिक मिलन तथा संघ मंडली के प्रमुखों की बैठक, खण्ड के प्रवासी कार्यकर्ताओं की बैठक, खण्ड केन्द्र में शाखा पर प्रवास, उस शाखा की टोली बैठक और मुख्य शिक्षक तथा प्रवासी कार्यकर्ताओं के घर पर भेंट - ऐसे पाँच कार्यक्रम तय हुए। अगस्त महीने में 29 प्रांत कार्यकर्ता और 1 क्षेत्र कार्यकर्ता ने मिलकर सभी खण्डों पर प्रवास पूर्ण किया। शाखा रहित खण्ड और नगरों में भी प्रवास करके शाखा प्रारम्भ करने का प्रयास किया गया।
प्रार्थना अभ्यास पखवाड़ा, बिलासपुर नगरः-
छत्तीसगढ़ प्रान्त के बिलासपुर नगर में 1 फरवरी से 15 फरवरी तक आयोजित पखवाड़े में प्रथम सप्ताह में कण्ठस्थीकरण, उच्चारण शुद्धता, स्वर का उतार-चढ़ाव आदि बातों का अभ्यास कराया गया। द्वितीय सप्ताह में प्रार्थना लेखन अभ्यास में स्वयंसेवकों ने 10 से 14 बार प्रार्थना लिखकर अभ्यास किया। कुछ शाखाओं पर साथ-साथ अनुवाद लेखन भी हुआ। परिणामस्वरूप प्रार्थना उच्चारण की गुणवत्ता में सुधार और प्रार्थना के प्रति अभिरुचि में वृद्धि दिख रही है।
सूर्यनमस्कार महायज्ञ, गोरक्ष प्रांतः-
दि. 23 जनवरी को नेताजी सुभाष जयन्ती के दिन आयोजित इस कार्यक्रम के लिए जुलाई की प्रांत बैठक से योजनाबद्ध प्रयास हुए। शारीरिक टोली का शाखा प्रवास, सूर्यनमस्कार शिक्षकों की निश्चिती, विद्यालयों से सम्पर्क, वक्ताओं की निश्चिती - इस क्रम से तैयारी की गई। 23 जनवरी को 1644 शाखा स्थानों पर और 385 विद्यालय, कॉलेज, कोचिंग केन्द्रों पर 1,25,766 विद्यार्थियों ने 17,59,152 सूर्यनमस्कार किए।
झारखंड प्रांत, रामगढ़ जिले में माण्डु खण्ड के ग्रामोत्सवः-
पिछले वर्ष से ही माण्डु खण्ड में हिन्दू साम्राज्य दिन के निमित्त ग्राम सम्पर्क की योजना चल रही है। इस वर्ष उन्हीं सब कार्यकर्ताओं के सहभाग से योजना निश्चित हुई। गत वर्ष जहाँ-जहाँ नुक्कड़ सभाएँ हुई थीं वहाँ सम्पर्क करना, संपर्कित ग्रामों में ग्राम बैठक करना तथा ग्राम बैठक में हिन्दू साम्राज्य दिन के निमित्त ग्राम सम्मेलन निश्चित करना - यह योजना बनी। ग्राम देवता पूजन, रामकथा, जलाभिषेक, भारत माता पूजन इत्यादि कार्यक्रमों का समावेश कर ग्राम सम्मेलन करना तय हुआ। खण्ड के सभी 11 ग्रामों में ये कार्यक्रम सम्पन्न हुए जिसमें 4433 नागरिक माता-बहिनों ने उत्साह से भाग लिया।
पू. सरसंघचालक जी के प्रवास में पुणे में बाल स्वयंसेवकों का कार्यक्रमः-
दि. 15 फरवरी को पू. सरसंघचालक जी की उपस्थिति में हुए बालों के शारीरिक प्रधान कार्यक्रम की योजना छः माह पहले बनी थी।
सभी बाल पूर्ण गणवेष में रहेंगे, महानगर के प्रत्येक भाग से न्यूनतम 100 बाल किसी एक विषय का प्रात्यक्षिक करेंगे, सभी के सांघिक सूर्यनमस्कार और सामूहिक गीत का प्रात्यक्षिक होगा, शाखाश: विषयों का अभ्यास और गुणवत्ता वृद्धि के प्रयास होंगे - ऐसे उद्दिष्ट निश्चित हुए। इसके लिए सभी स्तर के कार्यकर्ताओं के सुनियोजित प्रवास तय हुए। परिणामस्वरूप 15 फरवरी को 682 बाल स्वयंसेवकों ने 8000 नागरिक बन्धु भगिनियों की उपस्थिति में अच्छी गुणवत्ता के प्रात्यक्षिक किए। कार्यक्रम का सूत्र संचालन, परिचय, व्यक्तिगत गीत, घोष वादन - ये सब काम बाल स्वयंसेवकों ने ही किए।
जबलपुर में 1857 के बलिदानियों को श्रद्धांजलिः-
1857 के बलिदानियों की स्मृति को अभिवादन करने के लिए ‘एक दीप, दो मिनट मौन, शहीदों के नाम’ इस संकल्पना को लेकर जबलपुर नगर के गणमान्य व्यक्तियों की समिति का गठन किया गया। सामाजिक, धार्मिक, व्यावसायिक संस्थाओं से भी सहभागिता का आह्वान किया। समाज की सहभागिता की दृष्टि से एक लाख करपत्रक, 25000 चिपकियाँ, 100 से ज्यादा विज्ञापन पट लगाकर व्यापक प्रचार किया गया। 1 मई से 10 मई तक प्रतिदिन नगर के गणमान्य व्यक्तियों द्वारा प्रमुख स्थानों पर दीप प्रज्जवलित कर वातावरण बनाया गया। परिणामस्वरूप 10 मई को 250 से भी अधिक स्थानों पर 25000 से अधिक नागरिकों ने इस कार्यक्रम को यशस्विता दिलाई। इस पूरे अभियान को प्रचार माध्यमों ने व्यापक प्रसिद्धि दी।
अ.भा. श्रृंग वाद्य प्रशिक्षण वर्ग, ग्वालियरः-
दि. 2 से 9 नवम्बर तक संपन्न इस प्रथम अ. भा. श्रृंग-वाद्य प्रशिक्षण वर्ग में 34 प्रांतों से 306 स्वयंसेवक सहभागी रहे। 1 से अधिक रचना के जानकार 159 वादक थे तथा अधिकांश वादक पूर्व तैयारी करके आए थे। इस कारण शिविर का प्रशिक्षण स्तर ऊँचा रहा। गणश: प्राथमिक पाठों का अभ्यास, रचना शुद्धीकरण, सांघिक वादन का अभ्यास, वाद्य सहित संचलन का अभ्यास, लिपिपाठ, वादकों का प्रतिभा प्रदर्शन ऐसे सभी प्रकार के सत्र रहे। अंतिम दिन ग्वालियर में 5 घोष पथकों का संचलन तथा समापन कार्यक्रम में ध्वजारोहण के वाद 18 मिनट के अनवरत वादन ने ग्वालियर के नागरिकों को प्रभावित किया।
कोकण प्रांत का घोष शिविरः-
दि. 11 से 23 फरवरी 2009 में मुंबई के नजदीक पनवेल में आयोजित इस शिविर द्वारा प्रांत के घोष के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ ही मुंबई आतंकवादी हमले के हुतात्माओं के अभिवादन का कार्यक्रम आयोजित कर शिविर को अधिक समयोचित बनाया गया। पूर्व तैयारी के रूप में तालुकाश: तथा कुछ अन्य स्थानों पर तीन माह नियमित साप्ताहिक घोष वर्ग चले। इस शिविर के निमित्त छः नये गीतों की रचना, 2 नयी घोष रचना, पारंपरिक ‘पखवाज’ वाद्य का प्रायोगिक रूप में घोष में वादन, ऐसे उपक्रम हुए। महाराष्ट्र के विख्यात संगीतकार श्रीधर फडके का शिबिराधिकारी के रूप में सहभाग, प्रसिद्ध साहित्यिका गिरिजा कीर द्वारा शिविर के प्रदर्शनी का अनावरण, स्थानीय विधायक विवेकानंद पाटिल द्वारा शिविर का उद्घाटन, मुंबई पुलिस के हुतात्माओं के परिजनों की समापन कार्यक्रम में उपस्थिति - यह इस शिविर की विशेषता रही। इस शिविर में 778 स्वयंसेवक सहभागी हुए।
सेवाकार्य
मुंबई आतंकी हमले के समय सेवा कार्यः-
नरिमन हाउस पर आतंकी हमले के समय स्थानीय लोगों ने प्रतिकार किया। उसमें भाजपा के कार्यकर्ता आगे रहे। आतंकवादी हमले में भाजपा कार्यकर्ता श्री हरीश गोहिल का निधन हो गया तथा एक अन्य कार्यकर्ता श्री प्रकाश सुर्वे आतंकवादियों के ग्रेनेड से जख्मी हुआ।
स्वयंसेवकों की शीघ्र व उस्फूर्त कृति के कारण 26 नवम्बर को रात्रि 10.30-11.00 बजे के करीब कई स्थानों पर सहायता प्रारंभ हो गई। जी.टी. अस्पताल, जे.जे. अस्पताल, सेंट जार्ज अस्पताल, बाम्बे अस्पताल तथा कुछ रेलवे स्टेशन - ये सहायता के केन्द्र रहे। सभी अस्पतालों में मिलकर 200 बोतलों का रक्तदान, घायल लोगों के परिवारों में सूचना देने की व्यवस्था, अस्पताल में आए हुए परिजनों के लिए भोजन, चाय आदि की व्यवस्था - ये सभी कार्य स्वयंसेवकों ने किए। छत्रपति शिवाजी टर्मिनस के एक स्टेशन पहले मशीदबन्दर स्टेशन है। वहाँ रुकी हुई गाडियों में फँसे यात्रियों के लिए भोजन प्रबंध में 65 स्वयंसेवक लगे रहे। 120 लोगों के निवास की व्यवस्था भी स्वयंसेवकों ने की। बाहर गाँव जाने के लिए आए हुए यात्रियों के लिए वाहन व्यवस्था करके उन्हें दादर स्टेशन पर छोड़ा गया।
बिहार में बाढ़ से त्रस्त जनता को राहतः-
दि. 18 अगस्त 2008 को कुसहा तटबन्ध क्षतिग्रस्त होने के साथ ही कोसी नदी की अभूतपूर्व बाढ़ प्रारम्भ हुई जिसके कारण नदी मूल धारा से 115 कि. मी. दूर हो गई। इस अभूतपूर्व घटना से 5 जिलों के 35 प्रखण्डों के 1058 गाँवों के 62,96,691 परिवार क्षतिग्रस्त हो गए। इस प्रलंयकारी आह्वान को स्वयंसेवकों ने एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया तथा सहायता कार्य प्रारंभ किया जो आज भी चल रहा है। वीरपुर के जानकी प्रभात शाखा के युवा स्वयंसेवकों ने प्रतिकूल परिस्थिति में कार्यरत रहकर 18, 19, 20 अगस्त को लगभग 260 लोगों को लम्बी रस्सी के सहारे बाढ़ के पानी में घुसकर बाहर निकाला और सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया। कुल 494 गाँवों में 1800 लोगों को स्वयंसेवकों ने बाढ़ की चपेट से बाहर निकाला। खगड़िया जिले के स्वयंसेवक इंजीनियर मदन शर्मा तथा दरभंगा जिले के स्वयंसेवक रणधीर ठाकुर ने लोगों को बचाने के प्रयास में अपने जीवन का बलिदान दे दिया।
सहरसा जिला स्कूल में 23 अगस्त से 27 सितम्बर तक 5000 लोगों के लिए राहत शिविर चलाया गया। ऐसे ही अन्य 5 शिविरों में कुल 10,000 लोगों के जलपान, भोजन और चिकित्सा की व्यवस्था की गई। स्वयंसेवकों ने 320 गाँवों में छोटे-मोटे शिविरों में जाकर 5,70,000 भोजन पैकेट वितरित किए। इसके अलावा वनवासी कल्याण आश्रम, विद्या भारती, विश्व हिन्दू परिषद् तथा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ताओं ने भी स्थान-स्थान पर राहत शिविर चलाए।
पानी हटने के पश्चात् गरीब पीड़ित परिवारों के पुनर्वास हेतु 15 फीट गुना 8 फीट का जी. आई. सी. शीट से बना हुआ घर 4 जिलों के 264 परिवारों को उपलब्ध कराया गया। सेवा इंटरनेशनल के सहयोग से भी 4 जिलों में ऐसे 135 घर दिये गये हैं।
नित्यानुसार सम्पूर्ण देशभर से इन कार्यों के लिए संघ के आवाहन पर समाज ने सहायता भेजी है ही।
संगठन के संपर्क, विस्तार व दृढ़ीकरण को गति देने वाले ऐसे कार्यक्रमों तथा संकट के समय में की गयी सेवा से समाज संगठन की प्रक्रिया गतिमान होती है। जागृत व संगठित समाज ही आज की संकटमय परिस्थिति का उपाय है यह पिछले सत्र के घटनाक्रम ने हमें बता दिया है।
परिदृश्य
युगाब्द 5110 (सन् 2008) की वर्ष प्रतिपदा के बाद चांद्रयान का अंतिरक्ष में प्रक्षेपण, विष्वनाथन आनन्द का शतरंज में जगज्जेता बनना, भारतीय चित्रपट का आस्कर विजेता बनना, ऐसी शुभ घटनाएँ घटित होने के बावजूद सामान्य व्यक्ति के निकटस्थ परिवेश की चिन्ताएँ बढ़ी हैं। अमेरिका के आर्थिक पतन की मार से फिर भी हम अपनी पुरानी आर्थिक आदतों के कारण कुछ-कुछ बचे हैं। परन्तु इस देश की भूगोलीय अखण्डता व वैशिष्ट्यपूर्ण हिन्दू अस्मिता को अपने स्वार्थसाधन की राह का रोड़ा माननेवाली देश व दुनिया की शक्तियाँ, उनके सामने शासन व प्रशासन की लचर व दब्बू नीतियाँ व गठ्ठा मतों की राजनीति, इन तीनों के गठबंधन के कारण दिनोंदिन बिगड़ते जा रहे देश के परिदृश्य को हम पिछले वर्षों से अनुभव कर ही रहे हैं। सिलसिला अब भी जारी है। समाज से अपेक्षित किसी आत्मविश्वासयुक्त पौरुष-सम्पन्न प्रतिकार के अभाव में ये शक्तियाँ और उद्दण्ड होती जा रही हैं।
विधि सम्मत मार्ग, मंत्रिमंडल की सर्वसहमति व न्यायालय के आदेश से श्री बाबा अमरनाथ के यात्रियों की व्यवस्था के लिए अमरनाथ श्राइन समिति को कुछ भूमि दी गई थी। किंतु येन केन प्रकारेण अपनी सत्ता बनाए रखने की लालसा के शिकार राजनीतिज्ञों ने राष्ट्रविरोधी तत्वों के साथ जो गठजोड़ किया उसके परिणामस्वरूप वह भूमि जम्मू-कश्मीर की गठबंधन की सरकार ने वापस ले ली। पर जब न्यायप्राप्ति, स्वदेशाभिमान तथा मानबिंदुओं की मानरक्षा के लिए जनता खड़ी हुई तब देश से अलग होने की धमकियाँ पाकिस्तान के झण्डे फहरा-फहरा कर दी गयीं। परन्तु साठ दिन तक चले इस अनवरत संघर्ष ने इन राष्ट्रविरोधी शक्तियों के दुःसाहस तथा शासन के सत्तामद को करारी मात दी। केन्द्र से राज्य तक सबको जनता के हृद्गत भारत की आत्मा की बात को मानना ही पड़ा। इस सत्र के प्रारम्भ में ही अमरनाथ आंदोलन ने मानों देश की समस्त समस्याओं पर तथा हमारे राष्ट्र का शत्रुत्व करने वाली जागतिक शक्तियों पर विजय की राह दिखा दी। जम्मू व लद्दाख की देशभक्त जनता अभिनन्दन की ही नहीं, अनुकरण की भी पात्र है।
जम्मू में यह आंदोलन जब चल रहा था तभी ऐसी ही शक्तियों ने उत्कल के कंधमाल क्षेत्र में गैरकानूनी गोहत्या व मतांतरण के अडिग प्रतिरोधक बने सेवामूर्ति, निर्मलशील, स्नेहधन पूज्य लक्ष्मणानन्द सरस्वती की षड्यंत्रपूर्वक निर्घृण हत्या कर दी। इस जघन्य कृत्य के लिए हेतुपुरस्सर जन्माष्टमी का दिन चुनकर हिंदु समाज को अपमानित किया गया। पिछले वर्ष से शासकीय सुविधाओं के बँटवारे को लेकर कंध व पानाओं के आपसी संघर्ष से यह क्षेत्र अशांत था ही। इस संघर्ष की आग पर अपने स्वार्थ की रोटी सेकने वाली इन छली मतांतरकारी हिंसक शक्तियों के द्वारा की गई स्वामी जी की हत्या के कुकृत्य की तीव्र प्रतिक्रिया हुई। स्वामी जी को नित्य मिलती हत्या की धमकियों के बारे में, उनकी सुरक्षा के बारे में, अवैध मतांतरण, गोहत्या व उग्रवादी अत्याचार के बारे में अब तक संवेदनहीन शासन अचानक हिंदुओं के ही विरुद्ध अति सक्रिय हो गया। अपराधी-निरपराधी का भेद न करते हुए हिन्दु समाज पर निरकुंश दमन चक्र चलाया गया। स्वामी जी के हत्यारे व हत्या के षड्यंत्रकारी अभी भी विधि की पकड़ से बाहर हैं व बारह सौ के ऊपर निरपराध हिंदुओं पर अभियोग लगाए गये हैं।
स्वामी जी के हत्यारों व षड्यंत्रकारियों को गिरफ्तार करने की माँग को लेकर आंदोलन करनेवाली हिंदु जनता ने 25 दिसम्बर को जो बंद घोषित किया था, वह शासन के इस लिखित आश्वासन पर कि - हत्यारों व षड्यंत्रकारियों को तुरंत बंदी बनाया जाएगा - स्थगित किया गया। परंतु इस सभ्य व संयमित व्यवहार का उचित प्रतिभाव शासन ने नहीं दिखाया। उत्कलभाषी संवाद माध्यम वस्तुस्थिति का यथातथ्य वर्णन कर रहे थे किंतु अन्य, विशेषतः अँग्रेजी भाषी संवाद माध्यमों ने घटनाओं का एकतरफा वर्णन कर स्वामी जी की हत्या के प्रकरण की पूरी तरह अनदेखी कर दी तथा हिंदु समाज को ही दोषी व अपराधी ठहराने में लगे हुए हैं।
इन कट्टरपंथी मूलतत्त्ववादी देशतोड़क शक्तियों ने मालेगाँव विस्फोटों में कुछ हिंदु तरुणों व साध्वी संतों के नाम होने का बहाना लेकर ‘‘हिंदु आतंकवाद’’ नामक एक विरोधाभासी असत्य व निरर्थक कल्पना को उछालने का प्रयास किया। उन अभियुक्तों के विरुद्ध कोई आरोप किसी न्यायालय में सिद्ध होने के पूर्व ही विचित्र रहस्यमय व अनियमित ढंग से जाँच की बातें माध्यमों तक पहुँचती रहीं और न्यायालय में मामला जाने के पहले ही सबको संवाद माध्यमों द्वारा दोषी बता दिया गया। देश की सुरक्षा के खड़्गहस्त भारत के सुरक्षा बलों पर अत्यंत हल्के ढंग से लांछन लगाए गये, हिंदु संतों को, समाज को व संगठनों को इस मामले में लपेटकर बदनाम करने का निर्लज्ज व घृणित प्रयास किया गया। संघ जैसे 83 वर्षों से केवल राष्ट्रहित के लिए बद्धपरिकर संगठन पर विदेशी गुप्तचर संस्था से धन प्राप्त करने का हास्यास्पद, अविश्वसनीय, निराधार व उथला आरोप लगाया गया। भारत व हिन्दू जनता का मनोबल तोड़ने की इच्छा रखनेवाली शक्तियों के साथ हिंदुद्वेषी राजनैतिक शक्तियों ने आतंकवाद से जूझने में आए अपयश को छुपाने के लिए कट्टर धर्मांध राष्ट्रविरोधी हिंसक प्रवृत्तियों के समकक्ष हिंदू समाज को दिखाने के लिए व आसन्न लोकसभा चुनावों में मतों की फसल काटने के उद्देश्य से यह सब किया। परंतु संत-साध्वियों पर किये गये अत्याचारों के प्रति तीव्र रोष के परिणामस्वरूप जागृत व सजग हुए भारतीय समाज पर यह चाल सफल नहीं हो पाई।
परंतु स्वार्थी राजनीतिज्ञों की देश विघातक शक्तियों के साथ इस अपवित्र साँठगाँठ का असली भंडाफोड किया मुंबई पर 26 नवम्बर को हुए आतंकवादी दुःसाहसी हमले ने। हमारे सेनादल, पुलिस, उग्रवाद विरोधी दस्तों (ATS), अन्य सुरक्षा बल इत्यादि के वीर कर्मचारी व अधिकारियों के बलिदान तथा जनता के धैर्यपूर्ण व्यवहार से 60 घंटों की सतत लड़ाई के बाद संकट समाप्त हुआ, लेकिन वर्षों से इस विभीषिका के खतरे की छाया में जीनेवाले सामान्य जनों के मानस में जो वेदना व क्रोध विद्यमान था वह मुखर हो उठा। पनवेल के घोष शिबिर में मंच पर से श्रीमती सालसकर ने उन्हीं वेदना-भरी जनभावनाओं को एक प्रश्न के रूप में प्रस्तुत कर दिया कि ‘‘इस देश में और कितनी वीर पत्नियाँ बनेंगी ?’’
इस आतंकवादी हमले की घटना में देश के अन्दर से आतंकवादियों को मिलने वाली सहायता का मामला स्पष्ट रूप से उजागर हुआ। इस तथ्य के प्रकाश में बांगलादेश की सीमा से नित्य निरंतर बढ़ते प्रमाण में चलने वाली घुसपैठ और भी गंभीर परिणाम धारण करती है। किशनगंज में यशस्वी रीति से सम्पन्न घुसपैठ विरोधी छात्र सम्मेलन व उससे संबंधित अन्य कार्यक्रमों के द्वारा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के तत्वावधान में जनप्रबोधन का सुव्यवस्थित, अनुशासित व व्यापक प्रयास भी हुआ है। परंतु अपने राजनीतिक स्वार्थों के चलते शासन व प्रशासन आतंकवाद तथा घुसपैठ दोनों के प्रतिकार में समान रूप से पंगु दिखाई देता है।
इस और ऐसे सभी प्रश्नों के संपूर्ण सफल व सुफल उत्तर का रास्ता श्री अमरनाथ आंदोलन ने आलोकित व प्रशस्त कर दिखाया है। अधूरे आकलन पर आधारित विदेशी व्यवस्थाओं का युग समाप्त होने का संकेत अमरीका के आर्थिक पतन ने दे दिया है। मन में ‘स्व’ का गौरव लेकर, देश धर्म संस्कृति व समाज के लिए जीने-मरने का दृढसंकल्प लेकर जब समाज खड़ा होगा तभी प्रजातांत्रिक व्यवस्था में योग्य शासक व उत्तरदायी प्रशासन का निर्माण हो सकेगा। दुनियाँ के सब प्रकार के छल, कपट, आतंक व अत्याचार समाज की सज्जन प्रेरित संगठित अवस्था के आगे निष्प्रभ हैं। आने वाले चुनावों में अब तक के अनुभवों से सबक लेकर तथा राष्ट्रहित में सजग होकर शतप्रतिशत मतदान हेतु समाज को खड़ा करना पड़ेगा। रोजमर्रा की चालू व पक्षीय राजनीति में न पड़ते हुए अपनी मर्यादा में रहकर ही सभी को यह कार्य करना होगा।
आवाहन-
संकटों की यह घड़ी हम सबके लिए पराक्रम की वेला है, पुरुषार्थ से विजयश्री का वरण करने का सुअवसर है। आवश्यक है कि आसेतु हिमाचल फैले गाँव-गाँव में बसे यच्चयावत हिंदु समाज में यह पुरुषार्थ जागे, वीरवृत्ति व पराक्रम जागे। देशभर में फैले अपने कार्य को आधार बनाकर उसके विस्तार व दृढ़ीकरण के बल पर हम समाज को इन संकटों पर मात करने हेतु समुचित उपाय अपनाने के लिए तत्काल सिद्ध करें।
अटल चुनौती अखिल विश्व को
भला-बुरा चाहे जो माने
डटे हुए हैं राष्ट्रधर्म पर
विपदाओं में सीना ताने ।
ऐसा समाज ही सब कल्मष का परिहार है, संकटों का प्रतिकार है, विजय की जयकार है व राष्ट्र के परमवैभव का एकमात्र आधार है। ऐसा समाज निर्माण करने का कार्य ही संघ कर रहा है।
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